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गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

भारतीय सेना के हवलदार हंगपन दादा के बारे में हर भारतीय को पता होना चाहिए

26 मई 2016 को भारत में घुसपैठ की कोशिश कर रहे पाकिस्तानी आतंकवादियों से निपटने के दौरान शहीद हुए भारतीय सेना के हवलदार हंगपन दादा के बारे में हर भारतीय को पता होना चाहिए

हवलदार हैंपन दादा


अपने साथियों द्वारा दादा के नाम से पुकारे जाते हैं, का जन्म 2 अक्टूबर 1979 को अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले के बोरदुरिया गाँव में हुआ था। हवलदार दादा एक उत्सुक खिलाड़ी थे और कई किलोमीटर तक दौड़ते थे और एक बच्चे के रूप में हर दिन 25-30 पुश-अप भी करते थे। हवलदार दादा सेना 1997 मे सेना की पैराशूट रेजिमेंट की 3 वीं बटालियन में भर्ती हुए। छह साल बाद, वह असम रेजिमेंटल सेंटर के साथ सेवा करने के लिए चले गए और 24 जनवरी 2008 को असम रेजिमेंट की चौथी बटालियन में शामिल हो गए।


कुछ साल बाद 2016 में, हवलदार दादा ने जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में लगे 35 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ सेवा करने के लिए स्वेच्छा से काम किया। उन्हें पालतू जानवरों के रूप में सांपों को रखने का शौक था । हवलदार दादा एक सिपाही के रूप में श्रेष्ठ थे और अपने साथियों के साथ-साथ वरिष्ठों द्वारा भी उन्हें पसंद किया जाता था।


नौगाम ऑपरेशन: 26 मई 2016


मई 2016 के दौरान, हवलदार दादा की इकाई, 35 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) को जम्मू-कश्मीर में नौगाम सेक्टर में तैनात किया गया था। 26 मई 2016 को, उनकी यूनिट को नौगाम सेक्टर में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली थी। आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए रात में तलाशी शुरू करने का निर्णय लिया गया। 26 मई की रात में, हवलदार दादा ने अपने अन्य साथियों के साथ, योजनाबद्ध ऑपरेशन के अनुसार छिपे हुए आतंकवादियों पर हमले का नेतृत्व किया । संदिग्ध क्षेत्र में पहुंचने के बाद, हवलदार दादा ने अपनी टीम के साथ आतंकवादियों की गतिविधि को देखा और उन पर एक अच्छे टीम वर्क के साथ हमला किया। 24 घंटे तक चली इस मुठभेड़ मे दादा ने 2 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया। देखते ही अन्य दो आतंकवादी भाग गए और एक दीवार के पीछे छिप गए। दो आतंकवादि जो दीवार के पीछे छिपे थे, हवलदार दादा ने उनमें से एक पर हमला किया और उनमे से एक को मौत के घाट उतार दिया तब तक चौथे आतंकवादी ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी लकिन अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दादा ने उसपर हमला किया और उसको भी बुरी तरह घायल कर दिया लकिन ज्यादा घावों की वजह से दादा वीरगति को प्राप्त हो गए।



हवलदार दादा ने इस कार्रवाई से एक बड़े आतंकवादी हमले को असफल किया और अपने साथियों की सुरक्षा सुनिश्चित की। हवलदार दादा को 2016 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, “अशोक चक्र” शांति के लिए दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया गया था।

अपनी वीरता के लिए दादा आज भी हम हज़ारों भारतीयो के दिलों में जिंदा है

जय हिन्द. 🇮🇳

जय भारत. 🇮🇳

धन्यवाद. 🖋️

२०२3 में चार धाम यात्रा की तैयारी कैसे करे: पूर्ण जानकारी

 

२०२3 में चार धाम यात्रा की तैयारी कैसे करे: पूर्ण जानकारी

चार धाम यात्रा दुनिया की सबसे पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक है। इस यात्रा में शामिल चार मंदिर यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। इसे छोटा चार धाम यात्रा के नाम से भी जाना जाता है । इनके इलावा एक और चार धाम है जो आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किये गए था। इनमे देश के चार अलग-अलग कोनों में चार पवित्र तीर्थ स्थल शामिल हैं, जैसे उत्तराखंड में बद्रीनाथ, गुजरात में द्वारका, उड़ीसा में पुरी और तमिलनाडु में रामेश्वरम।

छोटा चार धाम यात्रा के सभी पवित्र स्थल अलग-अलग देवी देवताओं को समर्पित हैं। केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं और यह भगवान शिव को समर्पित है। बद्रीनाथ धाम भगवान बद्री या विष्णु को समर्पित है। गंगोत्री धाम माता गंगा और यमुनोत्री माता यमुना को समर्पित हैं।

यदि आप इस पवित्र तीर्थ यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो चारधाम यात्रा पैकेज बुक करे | इसमे आपको खाना, खुद की गाड़ी और रहने को बजट के अनुसार स्थान मिलेगे | और जानकारी के लिए हमे आज ही सम्पर्क करे |

चार धाम यात्रा

चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व – Char Dham Yatra Significance

ये पवित्र स्थान उत्तराखंड में हिमालय की बुलंद चोटियों के बीच विद्यमान हैं। हिंदू धर्म में, मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का गंतव्य माना गया गया है। और ऐसा मानते हैं कि चार धाम यात्रा आपको इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक कदम और करीब ले जाती है। 

चारधाम यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। यह माना जाता रहा है कि प्रत्येक हिंदू को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस तीर्थ यात्रा पर जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि चारधाम यात्रा जीवन भर के पापों को धो कर मोक्ष के द्वार खोलती है। और ऐसा कहा जाता है कि जब कोई तीर्थयात्री चारधाम यात्रा समाप्त करता है, तो वह मन की पूर्ण शांति प्राप्त करता है।यहाँ हर साल लाखों की संख्या में दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं।

चार धाम यात्रा की महत्वपूर्ण जानकारी – Chardham Yatra Important Tips

ये पवित्र स्थल उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं। परंपरागत रूप से, यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर की जाती है। इस प्रकार, यह यमुनोत्री से शुरू होती है, फिर गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ में समाप्त होती है। यहां आवश्यक जानकारी है जो यात्रा की योजना बनाते समय आपकी मदद करेगी:

  • यात्रा आपकी सुविधानुसार दिल्ली, हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से शुरू हो सकती है।
  • चार धाम यात्रा का बायोमेट्रिक पंजीकरण अनिवार्य है।
  • आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, या पासपोर्ट जैसे आवश्यक दस्तावेज यात्रा में अपने साथ ले जाएं।
  • स्विस कॉटेज में शिविर सुविधाएं तीर्थ के पास उपलब्ध हैं और मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित हैं। डीलक्स और बजट आवास भी उपलब्ध हैं।
  • श्रद्धालुओं के लिए हेलीकॉप्टर द्वारा चार धाम यात्रा भी उपलब्ध है। बुकिंग की ऑफलाइन और ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है। जो लोग चलने में असमर्थ हैं, उनके लिए पालकी, घोड़ा और पिट्ठू भी उपलब्ध हैं।
  • यात्रा के दौरान गर्म जैकेट, दस्ताने, स्वेटर, ऊनी मोजे और रेनकोट ले जाना ना भूलें।
  • यात्रा के दौरान अच्छी पकड़ वाले आरामदायक जूते ही पहने।

चार धाम तक कैसे पहुंचे? – How to reach Char Dham by Road & by Helicopter

चारधाम यात्रा या तो हरिद्वार या देहरादून से शुरू होती है। यात्रा शुरू करने के दो तरीके हैं – सड़क और हेलीकाप्टर द्वारा। यहाँ पवित्र स्थलों तक पहुँचने के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है:

1. सड़क मार्ग से: 

सड़क मार्ग से चार धाम यात्रा हरिद्वार, दिल्ली, ऋषिकेश,और देहरादून से शुरू कर सकते हैं। हरिद्वार रेलवे स्टेशन इन पवित्र स्थानों से सबसे निकटम  रेलवे स्टेशन है. हरिद्वार सड़क और रेल नेटवर्क के माध्यम से दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन और निजी बसें इन पवित्र तीर्थ स्थलों के लिए उपलब्ध हैं । हिरद्वार, ऋषिकेश, और देहरादून से टैक्सी भी उपलब्ध हैं।

चार धाम यात्रा को पूरा करने का मार्ग: हरिद्वार – ऋषीकेश – बरकोट –  जानकी चट्टी – यमुनोत्री – उत्तरकाशी – हरसिल – गंगोत्री – घनसाली – अगस्तमुनि – गुप्तकाशी – केदारनाथ – चमोली गोपेश्वर – गोविन्द घाट – बद्रीनाथ – जोशीमठ – ऋषीकेश – हरिद्वार

2. हेलीकॉप्टर द्वारा: 

सहस्त्रधारा हेलीपैड, देहरादून से चार धाम के लिए हेलीकाप्टर सेवा उपलब्ध है। हेलीकॉप्टर सेवा देहरादून से खरसाली तक है, जो यमुनोत्री मंदिर से लगभग 6 किमी दूर है। हरसिल हेलीपैड गंगोत्री मंदिर के लिए निकटतम हेलिपैड है, जो मंदिर से 25 किमी दूर स्थित है। बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के हेलिपैड भी मंदिर के पास स्थित हैं।

हेलीकॉप्टर मार्ग – देहरादून (सहस्त्रधारा हेलीपैड) – यमुनोत्री (खरसाली हेलीपैड) – गंगोत्री (हरसिल हेलीपैड) – गुप्तकाशी हेलीपैड – केदारनाथ हेलिपैड – गुप्तकाशी – बद्रीनाथ – देहरादून

चार धाम दर्शन के लिए हेलीकॉप्टर कैसे बुक करें? – How to Book Helicopter Ticket 

सहस्त्रधारा हेलीपेड, देहरादून से चार धाम के लिए हेलिकाप्टर सेवा उपलब्ध है। हेलिकाप्टर बुकिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन हो सकती है। सेरसी, फाटा, और गुप्तकाशी से चार धाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाएं मिलती हैं।। इनकी ऑफिशल वेबसाइट से बुकिंग कर सकते हैं। वरना इनके काउंटर्स भी उपलब्ध हैं हेलिपैड पे जहाँ से आप उसी वक़्त बुकिंग कर सकते हैं। हेलिऑप्टर टिकट को एडवांस बुक करना उचित है। क्योंकि उसी समय वहां जा के हेलीकॉप्टर टिकट प्राप्त करने की संभावना कम होती है। वे उपलब्धता के आधार पर ही बुक की जा सकती हैं।

चार धाम जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time to Visit Chardham Yatra

चार धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर तक है। इन महीनों में मौसम सुहाना होता है जो की यात्रा को आरामदायक और सुखद बनता है। गर्मियों के दौरान मौसम अच्छा रहता है। मानसून के मौसम में यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि क्षेत्र में भारी बारिश होती है, जिसके कारण कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ की आशंका बानी रहती है। सर्दियों के मौसम में, इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है जिसके कारण मंदिर लगभग छह महीने तक बंद रहते हैं। सर्दियों में केदारनाथ की मूर्तियां ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में एवं बद्रीनाथ की मूर्तियां जोशीमठ स्थानांतरित हो जाती हैं । भक्त वहां जा कर दर्शन कर सकते हैं।

चार धाम कहाँ स्थित हैं? – Where is Char Dham Located?

चार धाम यात्रा में चार पवित्र स्थान शामिल हैं, जो उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय की गोद में स्थित हैं। 

1. यमुनोत्री धाम

yamunotri temple

यमुना नदी का स्रोत, यमुनोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री मंदिर हिमालय के ग्लेशियरों और थर्मल स्प्रिंग्स से घिरा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना, मृत्यु के देवता – यम की बहन हैं। ऐसा माना जाता है कि यमुना में स्नान करने से शान्ति मिलती है। यहाँ से देहरादून 182 किमी की दूरी पर स्थित है और हरिद्वार 226 किमी दूर है।

  • यमुनोत्री मंदिर खुलने की तारीख – 3 मई से 24 अक्टूबर 2023 तक
  • दर्शन का समय – यमुनोत्री मंदिर सुबह लगभग 7 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुल जाता है। दोपहर 1 बजे से 4 बजे के बीच की अवधि में बंद होता है। यमुनोत्री मंदिर के बंद होने का समय रात 8 बजे है। यहाँ से देहरादून 182 किमी की दूरी पर स्थित है और हरिद्वार 226 किमी दूर है।
  • मंदिर के आस पास घूमने की जगह:  जानकीचट्टी, सूर्य कुंड, शनि देव मंदिर, सप्तऋषि कुंड

2.  गंगोत्री धाम 

gangotri-temple

यह मंदिर देवी गंगा को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगोत्री धाम वह स्थान है जहां गंगा नदी स्वर्ग से उतरी थी जब भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं से छोड़ा था। समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, गंगोत्री उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यहाँ से हरिद्वार 285 किमी और देहरादून 240 किमी है। 

  • गंगोत्री मंदिर खुलने की तारीख – 3 मई से 25 अक्टूबर 2023 तक
  • दर्शन का समय – गंगोत्री मंदिर में पूजा सुबह 4:00 बजे आरती के साथ शुरू होती है और शाम 7:00 बजे शयन आरती के साथ समाप्त होता है। मंदिर 6:00 बजे तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुलता है। दोपहर में यह 2:00 से 3:00 बजे तक बंद होता है। 
  • मंदिर के आस पास घूमने की जगह: भागीरथ शिला, भैरव घाटी, गौमुख, सूर्य कुंड, जलमग्न शिवलिंग

3. केदारनाथ धाम

२०२3 में चार धाम यात्रा की तैयारी कैसे करे: पूर्ण जानकारी

यह धाम हिमालय की गोद में स्थित रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र ताल से 3553  मीटर की ऊंचाई पे स्थित है। केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित है। यह न केवल चारधाम यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है, बल्कि इस प्राचीन मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भी माना जाता है। इसके अलावा, केदारनाथ, कल्पेश्वर, तुंगनाथ, मदमहेश्वर और रुद्रनाथ मंदिर एक साथ पंच केदार बनाते हैं। देहरादून से यह 254 किमी और हरिद्वार से 125 किमी दूर है।

  • केदारनाथ मंदिर खुलने की तारीख – 7 मई से 24 अक्टूबर 2023 तक
  • दर्शन का समय – केदारनाथ मंदिर में पूजा अनुष्ठान सुबह 4:00 बजे महा अभिषेक आरती के साथ शुरू होता है और शाम 7:00 बजे शयन आरती के साथ समाप्त होता है। मंदिर 6:00 बजे तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुलता है। दोपहर में यह 3:00 से 5:00 बजे तक दो घंटे के लिए बंद होता है। 
  • मंदिर के आस पास घूमने की जगह: गौरीकुंड, भैरव नाथ मंदिर, तुंगनाथ, चंद्रशिला ट्रैक , वासुकी ताल, त्रिजुगी नारायण

4. बद्रीनाथ धाम

Badrinath-Temple

नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित बद्रीनाथ धाम समुद्र ताल से 3300 मीटर की ऊंचाई पे स्थित है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें दिव्य हिंदू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) का रक्षक और संरक्षक माना जाता है। इन महत्वपूर्ण कारणों के अलावा, बद्रीनाथ धाम को चारधाम यात्रा में इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ आदि शंकराचार्य ने मोक्ष प्राप्त किया था, इस प्रकार, पुनर्जन्म की प्रक्रिया से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं। केदारनाथ से दूरी 218 किमी है और हरिद्वार से इसकी दूरी 316 किमी है। देहरादून से बद्रीनाथ 334 किमी पे स्थित है।

  • बद्रीनाथ मंदिर खुलने की तारीख – 8 मई से 20 नवंबर 2023 तक
  • दर्शन का समय – मंदिर में दैनिक अनुष्ठान महा अभिषेक और अभिषेक पूजा के साथ लगभग 4:30 बजे शुरू होते हैं और शयन आरती के साथ लगभग 9:00 बजे समाप्त होते हैं। मंदिर आम जनता के लिए सुबह 7:00 बजे खुलता है और दोपहर में 1:00 बजे से शाम 4:00 बजे के बीच बंद होता है।

मंदिर के आस पास घूमने की जगह: तप्त कुंड, चरण पादुका, व्यास गुफ़ा, गणेश गुफ़ा, भीम पुल, पांडुकेश्वर , योगध्यान बद्री मंदिर , माना गाँव, सतोपंथ लेक

चार धाम यात्रा शुरू होने और बंद होने की तिथि – Char Dham Yatra Opening & Closing date

गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के लिए यात्रा अक्षय तृतीया से शुरू होती है। केदारनाथ यात्रा की प्रारंभिक तिथि शिवरात्रि पर और बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी के दिन तय होती है। चारधाम यात्रा अप्रैल-मई में शुरू होती है और हर साल अक्टूबर-नवंबर में दीपावली के आसपास बंद हो जाती है।

चार धाम यात्रा ऑनलाइन पंजीकरण – Char Dham Yatra Registration

चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है जो की चार धाम यात्रा की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। ऑफलाइन यात्रा पंजीकरण हरिद्वार रेलवे स्टेशन, ऋषिकेश बस स्टैंड, जानकी चट्टी, गुप्तकाशी, गंगोत्री, फाटा, सोनप्रयाग, केदारनाथ, गोविंदघाट, और उत्तरकाशी जैसे कई स्थानों पर उपलब्ध है। पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज फोटो पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और पासपोर्ट हैं।

आपके पास अब चार धाम यात्रा से जुडी सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध है। अब आप इन पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना सकते हैं। साथ ही प्राकृतिक सुंदरता भी ले सकते हैं।

चार धाम यात्रा के दौरान रहने की जगह – Where to stay During Chardham Yatra

चार धाम यात्रा के दौरान रुकने के लिए बहुत सारे होटल, गेस्ट हाउस, रिसॉर्ट्स, आश्रम, और धर्मशाला उपलब्ध हैं। होटल लक्ज़री से लेकर किफायती रेंज तक उपलब्ध हैं। यात्री अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं। इस क्षेत्र के कुछ लोकप्रिय विश्राम स्थल यहाँ लिखे गए हैं:

  • गरवाल मंडल विकास निगम सरकारी गेस्ट हाउस – हरिद्वार, ऋषीकेश, देहरादून, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, पीपलकोटी, गोविंद घाट, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गुप्तकाशी, हरसिल (गंगोत्री), और यमुनोत्री 
  • हिमालयन एको रिसोर्ट, बरकोट 
  • कैंप निरवाना, गुप्तकाशी 
  • विश्वनाथ टूरिस्ट लॉज, गुप्तकाशी 
  • धनेश्वर रिसोर्ट, देवप्रयाग 
  • रामकुंड रिसोर्ट, देवप्रयाग 
  • यमनोत्री कॉटेज 
  • जोशीमठ चार धाम कैंप 
  • होटल नारायण पैलेस, बद्रीनाथ 
  • होटल चाहत, श्रीनगर 
  • होटल हेवन , चमोली 
  • होटल कुंदन पैलेस, उत्तरकाशी 
  • होटल मन्दाकिनी, रुद्रप्रयाग 

यात्रा के दौरान ले जाने वाली चीजें –  Things to Carry during yatra

  • हमेशा सर्दी, खांसी और बुखार के लिए जरूरी दवाओं की एक किट साथ रखें। 
  • इसके अलावा, बैंड-एड्स और एक एंटीसेप्टिक मरहम ले जाएं।
  • सनबर्न से बचाव के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। यदि आप धूप में यात्रा कर रहे हैं तो टोपी पहनें और चश्मा करें।
  • ऊनी कपड़े जैसे की बॉडी वार्मर, स्वेटर, जैकेट, टोपी, जुराबें, एवं ग्लव्स ले के जाएँ।
  • विंडचीटर, रेनकोट, और बारिश से बचने के लिए छाता भी रखें।
  • वाटर प्रूफ जूते और वाटरप्रूफ बैग ले के जाएं।
  • बैटरी से चलने वाली टार्च और पर्याप्त बैटरी ले जाएं।
  • पानी और ड्राई फ्रूट्स भी रखें रास्ते के लिए। 
  • ज़रूरी कागज़ात जैसे की टिकट्स, आइडेंटिटी प्रूफ, और पैसे संभाल के वाटरप्र्रोफ बैग में रखें।

आपके पास अब चार धाम यात्रा से जुडी सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध है। अब आप इन पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना सकते हैं। साथ ही प्राकृतिक सुंदरता भी ले सकते हैं।

बुधवार, 19 अप्रैल 2023

केदारनाथ यात्रा 2023 की जानकारी | Kedarnath Yatra 2023 Planning


 

केदारनाथ यात्रा 2023 की जानकारी | Kedarnath Yatra 2023 Planning

केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) भारत के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है। केदारनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से तीर्थयात्रियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ के मंदिर तक पहुँचने के लिए एक कठिन यात्रा करनी पड़ती है। चूंकि नवंबर से मार्च तक सर्दियों के महीनों में भारी बर्फबारी होती है, इसलिए केदारनाथ मंदिर में हर साल केवल सीमित समय के लिए ही पहुंचा जा सकता है।

Kedarnath Yatra 2023 Fast Facts

  • Kedarnath Yatra 2023 Opening Date: 26th April 2023
  • Best Time to Visit: May, June, October
  • Location: Rudraprayad, Garhwal, Uttarakhand
  • Kedarnath Yatra Distance (Walking/trek distance from Gaurikund): 16 km
  • Ideal duration: 1 day
  • Kedarnath Temple Darshan Timings: 06:00 AM to 01:00 PM & 05:00 PM to 7:30 PM
  • Nearest Railway Station: Rishikesh (228 kilometers)
  • Nearest Airport: Jolly Grant Airport, Dehradun
  • Nearest Helipad: Phata
  • Famous for: 12 Jyotirlinga, Chardham yatra, trekking, Panch Kedar, pilgrimage
  • Kedarnath Yatra 2023 Registration (ePass): You need to register online from the official website Uttarakhand Char Dham Devasthanam Management Board for puja, aarti, and accommodation. Only those with ePass are allowed to visit the temple. All you need is a working mobile number to receive OTP for Kedarnath yatra online registration.

केदारनाथ मंदिर खुलने की तिथि 2023 – Kedarnath Opening Date 2023

यदि आप केवल चारधाम यात्रा या यहां तक ​​कि केदारनाथ मंदिर की योजना बना रहे हैं, तो आपको मंदिर के खुलने की तारीख जानने की जरूरत है। केदारनाथ मंदिर के खुलने की तिथि अक्षय तृतीया पर निर्भर करती है। अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है।

अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। हर साल इसी दिन के आधार पर केदारनाथ मंदिर के पुजारी केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा करते हैं। इस साल 2023 में केदारनाथ मंदिर 26 अप्रैल को खुलेगा। इसी दिन से चारधाम यात्रा अगले 6 महीने तक चलेगी।

केदारनाथ यात्रा 2023 की योजना कैसे बनाएं – How to Prepare for Kedarnath Yatra

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का गठन करने वाले अन्य तीन मंदिरों के विपरीत, केदारनाथ मंदिर तक मोटर योग्य सड़क के माध्यम से नहीं पहुंचा जा सकता है। केदारनाथ के मंदिर तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर की कठिन यात्रा करनी पड़ती है।

तीर्थयात्री केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। या तो ट्रेक करें (यदि आप सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा कर रहे हैं तो आप पोनी/पालकी भी बुक कर सकते हैं) या फाटा हेलीपैड से उपलब्ध हेलीकॉप्टर सेवा का विकल्प चुनें।

सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा 2023 – Kedarnath Yatra by Road

Kedarnath Yatra by Road

देश भर से तीर्थयात्री हर साल इस पवित्र यात्रा को अंजाम देते हैं। उत्तराखंड के बाहर से यात्रा करने वालों के लिए, दिल्ली आधार के रूप में कार्य करता है जहां से वे केदारनाथ पहुंचने के लिए ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग की यात्रा करते हैं।

केदारनाथ की यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ होती है। हरिद्वार देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरो से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। हरिद्वार तक आप ट्रेन से आ सकते है। यहाँ से आगे जाने के लिए आप चाहे तो टैक्सी बुक कर सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं।

इस तथ्य के बावजूद कि आप अपनी यात्रा कहाँ से शुरू करते हैं, यदि आप केदारनाथ के लिए सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, तो ऋषिकेश सामान्य बिंदु होगा। ऋषिकेश से केदारनाथ 230 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गौरीकुंड अंतिम बिंदु है जो सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है (ऋषिकेश से 216 किलोमीटर)। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की ट्रेक दूरी 16 किलोमीटर है।

गौरीकुंड पहुंचने के लिए आप देहरादून या हरिद्वार/ऋषिकेश से बसों का विकल्प चुन सकते हैं। राज्य परिवहन की बहुत सारी बसें और साथ ही निजी तौर पर डीलक्स और वोल्वो बसें इन गंतव्यों के बीच चलती हैं। गौरीकुंड पहुंचने के लिए आप कैब/टैक्सी किराए पर भी ले सकते हैं।
 

हेलीकाप्टर द्वारा केदारनाथ यात्रा 2023 – Kedarnath Yatra by Helicopter

Chardham Yatra by helicopter

केदारनाथ मंदिर तक पहुँचने का सबसे सुविधाजनक और तेज़ तरीका हेलीकॉप्टर से है। केदारनाथ यात्रा हेलीकाप्टर द्वारा देहरादून से उपलब्ध है। देहरादून से, केदारनाथ यात्रा हेलीकाप्टर लागत लगभग 50,000 रुपये प्रति व्यक्ति है।

आप हेलीकॉप्टर द्वारा केदारनाथ पहुंचने के लिए फाटा से उपलब्ध हेलीकॉप्टर शटल सेवा का विकल्प भी चुन सकते हैं। फाटा से केदारनाथ मंदिर के लिए शटल सेवा की लागत लगभग 2,500 रुपये एकतरफा यात्रा और राउंड ट्रिप के लिए 5,000 रुपये है।


केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय और पूजा का क्रम – Opening and Closing Time of Kedarnath Temple

केदारनाथ मंदिर के कपाट रोजाना प्रातः 07:00 बजे खुलते हैं।

सुबह शिवलिंग को स्नान कराकर घी से अभिषेक किया जाता है। फिर दीयों और मंत्र जाप के साथ आरती की जाती है। तीर्थयात्री आरती में शामिल होने और दर्शन करने के लिए सुबह गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं।

दोपहर एक से दो बजे तक एक विशेष पूजा होती है जिसके बाद मंदिर के पट विश्राम के लिए बंद कर दिए जाते हैं। शाम पांच बजे मंदिर के कपाट एक बार फिर दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए जाते हैं।

शाम 07:30 बजे से 08:30 बजे तक एक विशेष आरती होती है, जिसके दौरान भगवान शिव की पांच मुखी प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार किया जाता है । भक्तगण केवल दूर से इसका दर्शन ही कर सकते हैं।

रात्रि 08:30 बजे मंदिर के कपाट दर्शन के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

भगवान शिव की पूजा के क्रम में प्रातः पूजन, महाभिषेक पूजा, अभिषेक, लघु रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजा, अष्टोपचार पूजा, संपूर्ण आरती, पांडव पूजा, गणेश पूजा, श्री भैरव पूजा, पार्वती जी पूजा, शिव सहस्रनाम आदि प्रमुख हैं।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास और महत्व – History and Significance of Kedarnath Temple

केदारनाथ मंदिर कैसे अस्तित्व में आया इसके बारे में कई कहानियां हैं। इस मंदिर की नींव का सबसे पुराना उल्लेख नर और नारायण की तपस्या से संबंधित है। हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूरी करने के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां सदैव के लिए निवास करने का वर प्रदान किया।

स्कन्द पुराण के केदार खण्ड प्रथम भाग ४० वाँ अध्यायके अनुसार युधिष्ठिर आदि पांडव गण ने गोत्र हत्या तथा गुरु हत्या के पाप से छूटने का उपाय श्री व्यास जी से पूछा । व्यास जी कहने लगे कि शास्त्र में इन पापों का प्रायश्चित नहीं है , बिना केदार खण्ड के जाए यह पाप नहीं छूट सकते , तुम लोग वहाँ जाओ । निवास करने से सव पाप नष्ट हो जाते हैं , तथा वहाँ मृत्यु होने से मनुष्य शिव रूप हो जाता है , यही महापथ है ।

शास्त्रों के अनुसार, यह माना जाता है कि कुरुक्षेत्र के महान युद्ध के बाद, जिसे महाभारत भी कहा जाता है, पांडवों ने भगवान शिव से अपने परिजनों की हत्या के पाप के लिए क्षमा मांगी।

बनारस में भगवान शिव नहीं मिलने के बाद पांडवों ने सर्वशक्तिमान की तलाश में हिमालय की यात्रा की। लेकिन भगवान क्रोधित थे और पांडवों को उनके परिजनों की हत्या के पाप के लिए माफ नहीं करना चाहते थे।

इसलिए उन्होंने पांडव भाइयों से छिपने के लिए काशी छोड़ एक बैल का रूप धारण किया और गढ़वाल क्षेत्र में हिमालय में घूमते रहे।

अंतत: जब पांडवों ने उसे पहचान लिया तो उसने धरती में गोता लगाया लेकिन किसी तरह भीम ने उसका कूबड़ पकड़ लिया। बैल के अन्य अंग अन्य स्थानों पर दिखाई दिए। केदारनाथ में कूबड़, मध्य महेश्वर में नाभि , तुंगनाथ में भूजाए, रुद्रनाथ में मुख और कल्पेश्वर में बाल। इन स्थानों को मिलाकर पंच केदार कहा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि मूल केदारनाथ मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था जहां कूबड़ दिखाई दिया था। वर्तमान केदारनाथ मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा बनाया गया था, जिन्हें इस प्राचीन मंदिर की महिमा को बहाल करने का श्रेय दिया जाता है।

हिंदू शास्त्रों में केदारनाथ का उल्लेख – Important things to know for Hindu Devotees

  • महाभारत – ( शान्ति पर्व 35वाँ अध्याय ) – महाप्रस्थान यात्रा अर्थात् केदारा चल पर गमन करके प्राण त्याग करने से मनुष्य शिवलोक को प्राप्त करता है ।
  • महाभारत – ( बन पर्व 38वाँ अध्याय ) – केदार कुण्ड में स्नान करने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं , कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव के दर्शन करने से स्वर्ग मिलता है।
  • लिंग पुराण– ( 12वाँ अध्याय ) जो मनुष्य सन्यास लेकर केदार में निवास करता है वह शिव के समान हो जाता है ।
  • वामन पुराण– ( 36वां अध्याय ) केदार क्षेत्र में निवास करने से तथा डीडी नामक रुद्र का पूजन करने से मनुष्य अनायास हो स्वर्ग को जाता है ।
  • पद्म पुराण– ( पा ० खं 61वाँ अध्याय ) कुम्भ राशि के सूर्य तथा वृहस्पति हो जाने पर केदार का दर्शन तथा स्पर्श मोक्षदायक होता है ।
  • कूर्म पुराण– ( 36वां अध्याय ) हिमालय तीर्थ में स्नान करके केदार के दर्शन करने से रुद्र लोक मिलता है ।
  • गरुड़ पुराण– ( 71वाँ अध्याय ) केदार तीर्थ सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला है ।
  • सौर पुराण– ( 69वां अध्याय ) केदार शंकर जी का महा तीर्थ है जो मनुष्य यहाँ स्नान करके शिवजी का दर्शन करता है , वह गणों का राजा होता है ।
  • शिव पुराण– ( ज्ञान संहिता 37वाँ अध्याय ) शिवजी के 12 ज्योतिलिंग विराजमान हैं , उनमें से केदारेश्वर लिंग हिमालय पर्वत पर स्थिति है । इसके दर्शन करने से महापापी भी पापों से छूट जाते हैं , जिसने केदारेश्वर लिंग के दर्शन नहीं किए उसका जन्म निरर्थक है ।

Kedarnath Yatra पैकिंग और तैयारी – Packing and Preparation

Kedarnath Yatra

यदि आप सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप एक अच्छे शारीरिक आकार में हों। चूंकि मंदिर तक पहुंचने के लिए एक लंबा और कठिन ट्रेक लगता है, इसलिए आपको दूरी तक चलने के लिए अच्छी सहनशक्ति की आवश्यकता होती है।

चूंकि मंदिर बहुत ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए अनुकूलन भी एक मुद्दा बन सकता है। सुनिश्चित करें कि आप इस तीर्थयात्रा को शुरू करने से पहले अच्छी तरह से जॉगिंग / तेज चलना शुरू कर दें।

यहां तक कि अगर आप गर्मी के महीनों में यात्रा कर रहे हैं, तो गर्म कपड़े, जैकेट, थर्मोकोट इनरवियर, रेनकोट, ऊनी मोजे आदि पैक करें क्योंकि सूर्यास्त के बाद तापमान बहुत जल्दी नीचे चला जाता है।

इसके अलावा टोपी, धूप का चश्मा और सनस्क्रीन लोशन भी साथ रखें क्योंकि सूर्य की किरणें दिन के समय बहुत कठोर हो सकती हैं। जब आप केदारनाथ की यात्रा कर रहे होते हैं तो वॉकिंग पोल और टॉर्च भी काम आता है।

कम खर्च में केदारनाथ की यात्रा कैसे करें |

कम खर्च में केदारनाथ की यात्रा कैसे करें | Kedarnath Trip Budget In Hindi.




आज के इस ब्लॉग में मैं आपको “कम खर्च में केदारनाथ मंदिर की यात्रा कैसे करें” के बारे में सबकुछ बताने वाला हूं। यहां पर मैंने खाने-पीने, रहने, टैक्सी और बस के किराए वगैरह सभी चीजों के बारे में जिक्र किया गया है, लेकिन मैं आपको इस ब्लॉग में हरिद्वार से केदारनाथ मंदिर की यात्रा को कम खर्च में पूरा करने के बारे में जानकारी दूंगा।

आप हरिद्वार के अलावा देश के किसी भी कोने से केदारनाथ धाम की यात्रा करने जा रहे हैं, तो आप अपने शहर से हरिद्वार जाने और वापस लौटने के खर्च के बारे में अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर लें, ताकि मैं जो हरिद्वार से केदारनाथ जाने और वापस केदारनाथ से हरिद्वार आने का खर्च बताऊंगा, ताकि आप उस हिसाब से अपना बजट तैयार कर सकें। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि कम खर्च में केदारनाथ मंदिर की यात्रा कैसे करें?

हरिद्वार से केदारनाथ मंदिर की यात्रा कम खर्च में कैसे करें ? – kedarnath jane ka kharcha

सबसे पहले तो आप यह जान लीजिए कि केदारनाथ मंदिर की यात्रा करने के लिए सबसे पहले आपको हरिद्वार जाना पड़ेगा, जो देश के दिल्ली जैसे बड़े शहरों से सड़क और रेल मार्ग से काफी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हरिद्वार जाने के लिए आप ट्रेन और बस दोनों में से कोई भी सुविधा ले सकते हैं।

हरिद्वार से केदारनाथ मंदिर जाने के लिए सोनप्रयाग तक रेगुलर बस चलती है, जिसका किराया एक व्यक्ति का ₹ 800 के आसपास है। अगर आप बस, टैक्सी या खुद की कार से केदारनाथ मंदिर की यात्रा पर जाते हैं, तो आपको सोनप्रयाग में ही अपनी गाड़ी पार्क करनी पड़ेगी और सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच के 5 किमी. की यात्रा आपको टैक्सी द्वारा कम्प्लीट करनी पड़ेगी। अब आप सोंच रहे होंगे कि जब सोनप्रयाग से गौरीकुंड टैक्सी जा सकती है, तो हमारी खुद की कार, रेंटल टैक्सी, शेयर टैक्सी या बस क्यों नहीं जा सकती है। इसका कारण यह है कि जो सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक टैक्सी चलती है, वह टैक्सी वहां की लोकल होती है और वहां के लोकल लोग अपनी खुद की कमाई करने के लिए दूसरे जगह की टैक्सी, बस और यहां तक कि दूसरे की कार वगैरह को भी गौरीकुंड नहीं ले जाने देते हैं। वे लोग सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक अपनी खुद की ही टैक्सी चलाते हैं, जिसका किराया ₹ 30 के आसपास रहता है।

Day-1 (हरिद्वार से सोनप्रयाग) –

पहले दिन आप हरिद्वार से सुबह बस पकड़कर सोनप्रयाग जा सकते हैं, जिसका किराया एक व्यक्ति का ₹ 800 के आसपास रहता है, लेकिन ध्यान रहे आप जिस दिन हरिद्वार पहुंचे हैं, उसी दिन शाम को हरिद्वार से सोनप्रयाग जाने वाली बस की टिकट बुक करा लें, क्योंकि केदारनाथ मंदिर की यात्रा के सीजन में सुबह हरिद्वार से सोनप्रयाग जाने वाली बस में जगह नहीं बच पाती है और कहीं ऐसा ना हो कि ज्यादा भीड़ होने की वजह से आपको उस दिन सोनप्रयाग जाने के लिए बस भी ना मिले।

बस ना मिलने के झंझट से बचने के लिए आप सोनप्रयाग जाने से एक दिन पहले ही बस का टिकट बुक करा लें, ताकि आप समय से सोनप्रयाग पहुंच सकें और रात को ठहरने के लिए रूम वगैरह ढूंढ सकें।

हरिद्वार से सोनप्रयाग जाने के लिए सुबह 4 बजे से ही बस खुलने लगती है, इसलिए आप जितना जल्दी हो सके हरिद्वार से सोनप्रयाग जाने के लिए बस पकड़ लें। सोनप्रयाग पहुंचने के बाद आप सबसे पहले बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन के ऑफिस चले जाएं, क्योंकि बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन का ऑफिस शाम 5 बजे के बाद बंद हो जाता है और फिर सुबह 5 बजे खुलता है। अगर आप अपना बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन सोनप्रयाग जाने वाले दिन शाम की जगह अगले दिन सुबह में करवाते हैं, तो आपको ऑफिस के बाहर लाइन में खड़ा होना भी पड़ सकता है और उसके बाद आपको सोनप्रयाग से गौरीकुंड जाने के लिए भी टैक्सी के लिए लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ेगा, जिससे आपको केदारनाथ पहुंचने में काफी देर हो सकती है।

अगर आपको सुबह में बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन कराने में ज्यादा देर हो गई, तो आपको केदारनाथ मंदिर पहुंचने में अंधेरा भी हो सकता है, क्योंकि गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की दूरी लगभग 16-18 किमी. है। इस 16-18 किमी. की दूरी को आपको पैदल ट्रेक करके ही कम्प्लीट करना पड़ेगा। इस 16-18 किमी. की दूरी को कम्प्लीट करके आप केदारनाथ जितना देर से पहुंचते हैं, वहां पर आपको होटल वगैरह उतना ही महंगा मिलेगा।

अगर आप ऊपर बताए गए सभी तकलीफों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो जब आप हरिद्वार से सोनप्रयाग शाम 5 बजे से पहले पहुंच जाते हैं, तो आप उसी समय बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन करवा लें।

बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद आप सोनप्रयाग में होटल की जगह डॉरमेट्री लेकर रात को ठहर सकते हैं, जिसका किराया ₹ 250 के आसपास होता है। डॉरमेट्री में ठहरने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को एक गद्दा, तकिया और कम्बल या रजाई दे दिया जाता है। अगर आप सस्ते में केदारनाथ की यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको डॉरमेट्री में ही रात को ठहरना चाहिए। सोनप्रयाग के किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद आप डॉरमेट्री में अपनी रात बिता सकते हैं। डॉरमेट्री में भी आपको केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने वाले बहुत सारे तीर्थयात्री देखने को मिल जाएंगे।

Day-2 (सोनप्रयाग से गौरीकुंड और गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर) –

सोनप्रयाग से गौरीकुंड जाने के लिए आप सुबह 3 या 4 बजे ही सोनप्रयाग के टैक्सी स्टैंड चले जाएं, वरना आप सोनप्रयाग के टैक्सी स्टैंड जाने में जितना देर करेंगे, आपको केदारनाथ मंदिर जाने में उतना ही देर होगा। इसलिए आप सुबह 3 या 4 बजे ही सोनप्रयाग के टैक्सी स्टैंड चले जाएं और वहां से टैक्सी पकड़कर गौरीकुंड पहुंचने के बाद केदारनाथ की यात्रा शुरू कर दें। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की दूरी लगभग 16-18 किमी. है। अगर आप कम खर्च में केदारनाथ मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं, तो गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की यात्रा आपको पैदल ट्रेक करके ही पूरा करना होगा। गौरीकुंड से पैदल ट्रेक करके केदारनाथ मंदिर जाते हुए आपको बहुत सारे युवा और वृद्ध व्यक्ति खासकर वृद्ध महिलाएं देखने को मिल जाएंगी, जिनके साथ आप भगवान शिव के जय जयकार करते हुए आसानी से केदारनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।

नोट:- केदारनाथ के रास्ते में जगह-जगह पर पीने वाले पानी और कुछ खाने के लिए रेस्टोरेंट्स की व्यवस्था कराई गई है। रास्ते में जगह-जगह पर बाथरूम की व्यवस्था भी है।

भगवान शिव के भक्तों को केदारनाथ मंदिर में स्थापित भगवान शिव के शिवलिंग का दर्शन शाम 5 बजे के बाद नहीं करने दिया जाता है। शाम 5 बजे के बाद केदारनाथ मंदिर के बाहर से ही आपको शिवलिंग का दर्शन करना पड़ेगा। इसलिए अगर आप शाम 5 बजे से पहले केदारनाथ मंदिर पहुंच जाते हैं, तो आप शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं, वरना दोबारा आपको सुबह में शिवलिंग के दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी।

केदारनाथ पहुंचने के बाद आप वहां पर टेंट में ही रुकें, जिसका किराया 24 घंटे का ₹ 300 के आसपास होता है। अगर आपको टेंट में रुकने की सुविधा ना मिले, तो आप वहां GMVN के होटल में ठहर सकते हैं, जिसका प्रति व्यक्ति किराया ₹ 500 है। केदारनाथ मंदिर के आसपास के रेस्टोरेंट्स और होटल्स में खाना थोड़ा ज्यादा महंगा है। वहां पर आपको ब्रेकफास्ट का ₹ 100 और डिनर/लंच का ₹ 150 देना पड़ सकता है।

रात में खाना खाने के बाद आप जल्दी सो जाएं और सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव के दर्शन करने के लिए चले जाएं, क्योंकि मंदिर के बाहर सुबह 3 बजे से ही दर्शन करने के लिए लाइन लगी होती है।


Day-3 (केदारनाथ से गौरीकुंड और गौरीकुंड से सोनप्रयाग) – केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने के बाद आप सुबह ब्रेकफास्ट करके गौरीकुंड के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दें। अगर आपको गौरीकुंड आते-आते शाम या फिर अंधेरा भी हो जाए, तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि गौरीकुंड से सोनप्रयाग के बीच रात के 10 बजे तक शेयर टैक्सी की आवाजाही लगी रहती है। केदारनाथ मंदिर से गौरीकुंड आकर आप वहां से सोनप्रयाग के लिए शेयर टैक्सी पकड़ लें।

सोनप्रयाग आने के बाद आप वहां किसी डॉरमेट्री या फिर GMVN के द्वारा उपलब्ध कराए गए होटल ले सकते हैं और किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद उसी डॉरमेट्री या होटल में रात को ठहर सकते हैं।

Day-4 (सोनप्रयाग से हरिद्वार) –

सोनप्रयाग में ब्रेकफास्ट वगैरह करने के बाद आप वहां से हरिद्वार के लिए बस पकड़ सकते हैं। अगर हरिद्वार आने के बाद वहां से आपके शहर के लिए बस या ट्रेन की सुविधा मिल जाए, तो आप अपने शहर के लिए रवाना हो सकते हैं या फिर हरिद्वार में होटल ले सकते हैं और सुबह में ब्रेकफास्ट करके अपने शहर के लिए बस या ट्रेन पकड़ सकते हैं।

हरिद्वार से केदारनाथ मंदिर जाने और वापस हरिद्वार आने का कुल खर्च –

Day-1 (हरिद्वार से सोनप्रयाग) –

हरिद्वार – सोनप्रयाग (बस) – ₹ 800
दोनों तरफ – ₹ 800 + ₹ 800 = ₹ 1600

ब्रेकफास्ट (₹ 50) + लंच (₹ 100) + डिनर (₹ 100) = ₹ 250

सोनप्रयाग (रात को डॉरमेट्री में ठहरने) – ₹ 250

Day-2 (सोनप्रयाग से गौरीकुंड और गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर) –

सोनप्रयाग – गौरीकुंड (टैक्सी) – ₹ 30

दोनों तरफ – ₹ 30 + ₹ 30 = ₹ 60

गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर –

ब्रेकफास्ट – ₹ 100 + लंच – ₹ 150 + डिनर – ₹ 150) = ₹ 400 (केदारनाथ मंदिर के पास खाने-पीने का प्राइस थोड़ा महंगा होता है।)

टेंट (केदारनाथ मंदिर के पास) – ₹ 300

या फिर GMVN होटल – ₹ 500 (केदारनाथ मंदिर)

Day-3 (केदारनाथ से गौरीकुंड और गौरीकुंड से सोनप्रयाग) –

केदारनाथ मंदिर – गौरीकुंड

ब्रेकफास्ट – ₹ 100 (केदारनाथ) + लंच – ₹ 100 + डिनर ₹ 100 (सोनप्रयाग) = ₹ 300

सोनप्रयाग (रात को डॉरमेट्री में ठहरने) – ₹ 250

या फिर GMVN का होटल – ₹ 400 (सोनप्रयाग)

Day-4 (सोनप्रयाग से हरिद्वार) –

ब्रेकफास्ट – ₹ 100 (सोनप्रयाग) + लंच – ₹ 100 + डिनर – ₹ 150 (हरिद्वार) = ₹ 350

हरिद्वार में होटल – ₹ 700-800

नोट:- सोनप्रयाग से बस द्वारा हरिद्वार जाने का किराया मैंने ऊपर में ही जोड़ दिया है। तो चलिए अब हरिद्वार से केदारनाथ मंदिर यात्रा का पूरा खर्च जोड़ लेते हैं।

अगर आप सोनप्रयाग से हरिद्वार आने के बाद उसी दिन अपने शहर के लिए रवाना हो जाते हैं, तो हरिद्वार में होटल का किराया आपका बच जाएगा।

Day – 1 – ₹ 1600 (बस) + ₹ 250 (भोजन) + ₹ 250/400 (सोनप्रयाग के डॉरमेट्री/GMVN के होटल का किराया) = ₹ 2100/2250

Day-1 का कुल खर्च ₹ 2250 मान लेते हैं, ताकि अगर सोनप्रयाग में डॉरमेट्री ना मिले, तो आप GMVN के होटल में ही रात को ठहर सकें।

Day – 2 – ₹ 60 (taxi) + ₹ 400 (भोजन) + ₹ 300/500 (टेंट/GMVN का होटल – केदारनाथ मंदिर के पास) = ₹ 760/960

Day-2 के कुल बजट को ₹ 950 मान लेते हैं।

Day – 3 – ₹ 300 (भोजन) + ₹ 250/400 (सोनप्रयाग के डॉरमेट्री/GMVN के होटेल का किराया) = ₹ 550/700

Day-3 के कुल बजट को ₹ 700 मान लेते हैं।

Day – 4 – ₹ 350 (भोजन) +₹ 800 (होटल) = ₹ 1150

कुल खर्च – Day-1 (₹ 2250) + Day-2 (₹ 950) + Day-3 (₹ 700) + Day-4 (₹ 1150) = ₹ 5050

यानी की आप ₹ 5000 तक हरिद्वार से केदारनाथ मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। अगर आप चौथे दिन हरिद्वार से होटल लेने की बजाए अपने शहर के लिए रवाना हो जाते हैं, तो आपके लगभग ₹ 700-800 बच जाएंगे।

आशा करता हूं कि “kedarnath jane me kitna kharcha aata hai, kedarnath jane ka kharcha, कम खर्च में केदारनाथ की यात्रा कैसे करें” के बारे में दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। मैं आपको जवाब देने की कोशिश जरूर करूंगा।

धन्यवाद।

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