भारत
में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं
जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर..
भारत
में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं
जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है,
दरअसल इस मंदिर में एक ऐसा कुंड है जो हमेशा ही पानी से भरा रहता है, और इस
कुण्ड में नहाने के लिए साल भर लोगों का तांता लगा रहता है, जी हां हम बात
कर रहे हैं बर्बरीक कुंड यानि श्याम कुंड के बारे में, जो भारत के
राजस्थान(Rajasthan) के जयपुर(Jaipur) में स्थित एक मशहूर मंदिर खाटू श्याम
बाबा के मंदिर का हिस्सा है, खाटू वाले बाबा के मंदिर में स्थित ये कुंड
अपने अंदर बहुत से रहस्यों को दबाए हुए है।
बाबा
श्याम के इस विख्यात मंदिर की कई मान्यताएं और कहानियां (Stories) है,
बाबा के मंदिर में मौजूद ये कुंड अपनी उत्पत्ति को लेकर भी कई रहस्य छिपाए
हुए है, कहा जाता है कि आज से हजारों साल पहले जब यहां केवल मिट्टी ही थी,
तब यहां रोज गाय आया करती थी, और जानवर आया करते थे और इस स्थान पर पहुंचने
के बाद गाय का अपने आप दूध देने लगती थी, रोज हो रहे इस घटनाक्रम को देखने
के बाद आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों ने वहां खुदाई का काम शुरू कर
दिया, और जब उन्होंने गड्ढा खोदना शुरू किया तो उनका सामना एक गजब रहस्य से
हुआ, दरअसल, खुदाई करते हुए जब वो लगभग 30 फीट(Feet) तक नीचे पहुंचे तो
उन्हें एक बक्सा मिला जिस पर लिखा था, बर्बरीक कथाओं की माने तो इस बक्से
के अंदर महाभारत काल के बर्बरीक का असली सिर मौजूद था, जिसके बाद वहां
मौजूद लोगों ने इस बक्से को ले जाकर उस समय के राजा रतन सिंह को दिया,
चौकाने वाली बात तो ये रही कि जिस स्थान से वो शीश प्रकट हुआ ठीक उसी स्थान
से पानी का तेज प्रभाव शुरू हो गया जिसे आगे जाकर श्याम कुंड कहा गया, हर
साल लगने वाले मेले में आने वाले भक्त पहले इसकुंड में आकर नहाते हैं, और
फिर जाकर बाबा के दर्शन कर सके।
आखिर कौन थे बर्बरीक
बर्बरीक
महाभारत(Mahabharat) के एक महान योद्धा (Warrior) थे, उनके पिता घटोत्कच
और माता अहिलावती थे, बचपन से ही बर्बरीक को उनकी माँ ने सिखाया था, कि
युद्ध हमेशा ही हारने वाले की तरफ से करना चाहिए, और बर्बरीक भी हमेशा इसी
सिद्धांत को याद में रखकर युद्ध भूमि में जाया करते थे, कहा जाता है कि
बर्बरीक ने भगवान शिव और माता आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी, जिसके बाद खुश
होकर भगवान ने उन्हें कुछ सिद्धियां दी थी, जिन्हें पाने के बाद बर्बरीक
और भी ज्यादा बलवान हो गए थे, जानकारी के मुताबिक इन शक्तियों का प्रभाव
इतना ज्यादा था कि वो महाभारत जैसे विशाल युद्ध को भी पलक झपकते ही बंद
करवा सकते थे, और युद्ध में भाग ले रहे सभी वीरों को मौत के घाट उतार सकते
थे, लेकिन उनके अपनी माता को दिए हुए वचन के कारण भगवान श्रीकृष्ण की चिंता
काफी ज्यादा बढ़ी हुई थी, जिसके चलते बर्बरीक के युद्ध में शामिल होने से
पहले ही भगवान ने साधु का रूप धारण करके उनसे उनका सिर मांग लिया, जिसके
बाद उनकी सारी शक्तियों को उन्होंने मां रणचंडी को बलि चढ़ा दिया, वहीं
इतना बड़ा बलिदान देने के बाद उन्हें शीश का दानी कहा गया, वहीं अपना ये
बलिदान (Sacrifice) देने के बाद उन्होंने महाभारत युद्ध की समाप्ति तक इस
युद्ध को देखने की कामना करी, बलिदान से खुश होकर श्रीकृष्ण ने वरदान देकर
उनके सिर को एक पहाड़ पर रख दिया, जिसके बाद बर्बरीक ने पूरा युद्ध देखा।
आखिर क्या है श्याम कुंड की मान्यताएं
श्याम
कुंड को लेकर कई तरह की मान्यताएं जताई जाती है, कहा जाता है कि श्याम
कुंड में नहाने से कई पाप दूर हो जाते हैं, और अगर कोई बाबा के दरबार पर
पहुंचकर अच्छे और निश्चल मन से कुंड में स्नान करता है तो उसे एक नया शरीर
मिल जाता है, इसके अलावा अगर कोई हारा हुआ हो उसका कोई काम न बन रहा हो और
वो जाकर बाबा के कुंड में स्नान करे तो बाबा हारे का सहारा बनकर उसका साथ
देते हैं, इसके अलावा इस कुंड में नहाने से शरीर और मन दोनों की ही
अशुद्धियों का नाश हो जाता है, और अगर किसी स्त्री को पुत्र रत्न की
प्राप्ति न हुई हो और वो जाकर बाबा के कुंड में नहा ले तो उसे पुत्र रत्न
की प्राप्ति होती है।