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सोमवार, 14 अगस्त 2023
क्यों कैसे डूबी द्वारका क्यों कब और कैसे डूबी द्वारिका
रविवार, 13 अगस्त 2023
उजीना: द हिन्दू स्टेट अंडर इज़रायली 🇮🇱 डॉक्ट्रिन... 🚩
शुक्रवार, 11 अगस्त 2023
कहीं आप गौतम बुद्ध और भगवान बुद्ध को एक ही तो नहीं मान रहे, दोनों के बीच अंतर जानें..??
बीवी से झगडे करने के फायदे..
गुरुवार, 10 अगस्त 2023
#राखी_का_ऐतिहासिक_झूठ। राखी की इस झूठी कथा के षड्यंत्र में कभी मत फंसना..!
बुधवार, 9 अगस्त 2023
प्राण वायु क्या है? शरीर में वायु के कार्य और महत्व
- भारत के लगभग सभी वैदिक धर्मग्रंथों में वायु की विशेष रूप से चर्चा की गई है।
- -गोरक्षसंहिता के मुताबिक 10 वायु होती हैं- प्राण, अपान, समान, उदान, व्यान, नाग, कूर्म, किकर, देवदत्त तथा धनंजय। यथा
प्राणोऽपानः समानश्चोदानव्यानौ च वायवः।
नाग: कूर्मोऽथ कृकरो देवदत्तो धनञ्जय:!
शरीर में वायु के कार्य और महत्व
- प्राण- वायु का फेफड़े के भीतर ले जाना और छोड़ना। -
- अपान वायु - इस वायु के सहयोग से गुदा द्वारा मल उत्सर्जन, उपस्थ से मूत्र - निष्कासन, अंडकोष से वीर्य निष्कासन, गर्भ से संतति-निष्कासन, नाभि से चरण तल तक इस वायु का कार्याधिकार क्षेत्र है। -
- समान वायु नाभि से हृदय तक, शरीर के मध्य भाग में इस वायु का व्यापार क्षेत्र है। शरीरस्थ ( उदरस्थ) भोजन से निर्मित रसों को सभी नाड़ियों तथा अंगों में समान-संतुलित वितरण करना इस वायु का कार्य है।
- व्यान वायु का व्यापार - क्षेत्र उपस्थ-मूल से ऊपर है। समस्त शरीर में रक्त संचार इसका कार्यक्षेत्र है।
- उदान वायु कंठ से मस्तक - पर्यंत इस वायु का निवास स्थल है। शरीर को उठाए रखना उदानवायु का कार्य है।
- शरीर के व्यष्टि - प्राण का समष्टि-प्राण से संबंधन इसी प्राण के माध्यम से नियंत्रित होता है।इसी वायु के सहयोग से निधन काल में स्थूल शरीरस्थ सूक्ष्म शरीर निष्क्रमण करता है तथा अपने कर्म-गुणवासना-संस्कारवश लोकांतर-भ्रमण एवं गर्भधारण करता है।
- नागवायु इसी वायु के सहारे डकार (उद्गार ), छींकना इत्यादि कार्य संपन्न होते हैं।
- कूर्मवायु – इस वायु के सहयोग से शरीर के किसी भी भाग का संकोचन - विस्तारण संभव होता है।
- कृकरवायु – इस वायु के सहयोग से क्षुधा-तृष्णादि घटित होती है।
- देवदत्तवायु – इस वायु के सहयोग से निद्रा - तंद्रा घटित होती है।
- धनंजयवायु - इस वायु से पोषण होता है । - (इस दशवायु- समूह में प्रथम पाँच प्राण, अपान, समान, व्यान और उदान प्रमुख तथा शेष पाँच प्रथम पाँच के अंतर्गत तथा अधीन हैं।
- स्थितिदृष्टि से प्राणवायु हृदय में, अपानवायु गुह्यभाग में, समानवायु नाभिमंडल में, उदानवायु कंठदेश में तथा समानवायु समस्त शरीर में व्याप्त है। प्राणवायु समूह का वशीकर प्राणायाम है।
- वायु पुराण ७/१३०/३० के अनुसार ४९ मरूत गण हैं, जो संसार में ट्रांसपोटेशन का कार्य कर सम्पूर्ण जीव जगत की देखभाल करते हैं। महादेव के मुख्य गण मारुति हनुमान इन 49 मारूतों के स्वामी हैं।
49 मरुत के नाम इस प्रकार हैं
- सत्त्वज्योति, आदित्य, सत्यज्योति, तिर्यग्ज्योति, सज्ज्योति, ज्योतिष्मान्, हरित, ऋतजित, सत्यजित, सुषेण, सेनजित्, सत्यमित्र, अभिमित्र, हरिमित्र, कृत, सत्य, ध्रुव, धर्ता, विधर्ता, विधारय, ध्वांत, धुनि, उग्र, भीम, अभियु, साक्षिप, ईदृक्, अन्यादृक्, यादृक्, प्रतिकृत् ऋक्, समिति, संरंभ ईदृक्ष, पुरुष, अन्यादृक्ष, चेतस, समिता, समिदृक्ष, प्रतिदृक्ष, मरुति, सरत, देव, दिश, यजुः, अनुदृक, साम, मानुष तथा विश्।
- (ब्राह्मांडपुराण, गरुड़पुराण तथा विष्णुधर्मोत्तरपुराण में भी ये नाम हैं।)
पवन पुत्र भी 49 हैं
- ब्रह्मांडपुराण, अध्याय ३, उपोद्घातपाद - एकशक्र, द्विशक्र, त्रिशक्र, एकज्योति, द्विज्योति, त्रिज्योति, मित, सम्मित, सुमति, अनिमित्र, अनमित्र, पुरुमित्र, ऋतजित्, सत्यजित्, सेनजित्, अपराजित, ईदृक्ष, अदृक्ष, तत्, ऋत, पतिसकृत् इंद्र, गतदृश्य, पर, सुषेण, अथवास, विराट्, काम, जय, ऋतवाह, धरुण, धर्ता, धाता, धृति, ध्रुव, व्रतिन्, देवदेव, विधारण, दुर्ग, द्यपु, युति, सह, अयात, अभियुक्त, भीम, अनाय्य, समर -
49 दिति- पुत्र जो शरीर के रक्षक हैं
- शक्रज्योति, शक्र, सत्यज्योति, - चित्रज्योति, ज्योतिष्मान्, सुतपा तथा चैत्य (प्रथम गण), ऋतजित, सत्यजित, सुषेध, सेनजित, सुरमित्र, अमित्र तथा सुतमित्र (द्वितीय गण), धातु, धनद, उग्र, भीम, वरुण, वात तथा समीर (तृतीय गण), अभियुक्त, आक्षिक, साहवाप, झंझा, वायु, पवन तथा समीरण (चतुर्थ गण) ईहक, अन्याहक, ससरित, सद्रुभ, सवृक्ष, मित तथा समित (पंचम गण), एताहक, पुरुष, नान्याहक, समचेतन, संमित, समवृत्ति, प्रतिहर्ता (षष्ठ गण), मरुत्, प्राण, जीवन, श्वास, नाद, स्पर्श तथा संचार।
मंत्र जाप के 49 दोष बताए हैं
- छिन्न, रुद्ध, शक्तिहीन, पराङ्मुख, वधिर, नेत्रहीन, कीलित, स्तंभित, दग्ध, त्रस्त, भीत, मलिन, तिरस्कृत, भेदित, सुषुप्त, मदोन्मत्त, मूर्च्छित, सिद्धि हीन आदि
- मरुत का एक अर्थ पर्वत होता है। मरुद्गण का अर्थ मरुतों के गण। गण कई प्रकार के होते हैं उनमें से तीन प्रमुख है देवगण, राक्षस गण, मनुष्य गण।
- गण का अर्थ होता है समूह। मरुद्गण देवगणों में आते हैं। चारों वेदों में मिलाकर मरुद्देवता के मंत्र 49मरुतों का गण सात-सात का होता है। इस कारण उनको 'सप्ती' भी कहते हैं।
- ७/७ सैनिकों की साथ पंक्तियों में ये 49 रहते हैं। और प्रत्येक पंक्ति के दोनों ओर एक-एक पार्श्व रक्षक रहता है। अर्थात् ये रक्षक 14 होते हैं। इस तरह सब मिलकर 49 और 14 मिलकर 63 सैनिकों का एक गण होता है।
- गण' का अर्थ गिने हुए सैनिकों का संघ' भी होता है। प्रत्येक के नाम अलग अलग होते हैं।
- उनचास मरुतगण : मरुतगण देवता नहीं हैं, लेकिन वे देवताओं के सैनिक हैं। मरुतों का एक संघ है जिसमें कुल १८० से अधिक मरुतगण सदस्य हैं, लेकिन उनमें ४९ प्रमुख हैं। उनमें भी सात सैन्य प्रमुख हैं। मरुत देवों के सैनिक हैं और इन सभी के गणवेश समान हैं।
- वायु सभी प्राणियों की आयु का आधार है। शरीर को पर्याप्त प्राणवायु मिले, तो व्यक्ति लम्बे समय तक युवा बना रह सकता है। क्योंकि वायु का उल्टा शब्द युवा ही होता है।
मंगलवार, 8 अगस्त 2023
कबाड़ को जल्दी करें घर से बाहर वरना हो जाएगा आपका कबाड़ा
दान से धन एवं मन की शुद्धि
सोमवार, 7 अगस्त 2023
संस्कारी इवेंट द्वारा आयोजित हर उम्र के गायक कलाकारों की प्रतियोगिता का फाइनल राउंड सम्पन्न
सूर्यनगरी जोधपुर में 8 वर्ष से 60 वर्ष की उम्र तक के छुपे हुए गायक कलाकारो मे 16 जुलाई को हुए आडिशन मे चुने गये कलाकारो को 23 जुलाई को सेमी फाइनल मे तराशे गये कलाकारो का सुरों का धमाल संस्कारी इवेंट्स द्वारा आयोजित गायन प्रतियोगिता का फाइनल 06 अगस्त 2023 रविवार शाम 4:15 बजे से महिला पीजी महाविद्यालय ऑडिटोरियम, प्रताप नगर में आयोजित किया गया जिसमे कार्यक्रम के विशेष एवं मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति देवेन्द्र कछवाहा अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता आयोग, राजस्थान एवं आनंद पुरोहित जी वरिष्ठ अधिवक्ता राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर एवं समाज सेवी आदर्श शर्मा उपस्थित हुए |
कार्यक्रम के आयोजक श्री अभिषेक शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय संस्कृति के अनुसार भगवान गणेश जी का दीप प्रज्वलन व पुष्प माला द्वारा किया गया जिसमे नन्ही बालिकाएं स्वस्ति भंसाली व यति शर्मा द्वारा गणेश वंदना की प्रस्तुति दी गयी, आए हुए अतिथियों को केसरिया दुपट्टा औढ़ाकर मारवाड़ी परंपरा से साफा व माला पहना कर सम्मानित किया गया
कार्यक्रम में वैष्णवी दवे ने महाभारत पर नृत्य कर मंत्रमुग्ध कर दिया, अन्य प्रतिभाओ में तनिष्क धारू, धृति, कनिष्क शर्मा, मयंक, अधिराज आदि बाल कलाकारों ने अपना अद्भुत प्रदर्शन किया। मयंक शर्मा व अनिल आसोपा ने बांसुरी बजाकर समां बांध दिया
कार्यक्रम में फाइनल राउंड की प्रतियोगिता के जज के रूप में कमलेश पुरोहित, राजीव वशिष्ठ, धर्मेंद्र सिंह, निशि दुबे आदि ने निर्णायक मंडल की भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की मंच सञ्चालन मे कनिष्क शर्मा, श्रीमती संतोष जांगिड़ ने किया और एंकर के रूप में लोढ़ा इवेंट्स के विपिन लोढ़ा और हर्षि लोढ़ा की जुगलबंदी में मंच पर मारवाड़ी और हिंदी भाषा में दर्शको को ठहाके लगवाते हुए मंच संचालन किया
कार्यक्रम प्रतियोगियों मे श्री विठलेश व्यास ने
ओ दुनिया के रखवाले गीत की प्रस्तुति देकर दर्शको को भाव विभोर कर दिया, श्रीमति सीमा सिंघवी ने वन्दे मातरम् गीत की प्रस्तुति देकर दर्शको को देशभक्ति के रस मे डुबो दिया, लीशा ओझा ने मेरे ढोलना सुन मेरे प्यार की धुन पर अपनी प्रस्तुति देकर दर्शकों के साथ जज साहब को भी आश्चर्यचकित कर दिया,
जोधपुर के पधारे हुए कई रॉक स्टार गायक कलाकार, संगीत प्रेमियों ने सभी कलाकारो की प्रस्तुतियों का जोरदार तालियों से उत्साहवर्धन किया, कार्यक्रम को इतना ऐतिहासिक और सफल बनाने में संस्कारी इवेंट के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर इस मंच को सफल बनाने के लिए साँवरिया के संस्थापक और पुलिस पब्लिक प्रेस के जोधपुर ब्यूरो चीफ कैलाश चंद्र लढा, सुर संगम संगीत संस्थान, टीम रुद्राक्ष, टीम तराना, टीम सुर सुधा , टीम ब्लू सिटी, टीम सुरीली सूर्य नगरी, आदि के उत्तम भंसाली, राजेश, अशोक व्यास, सुनील मेहता, विमल सोनी, दीपक तंवर, हंसमुख दाधीच, जीतेन्द्र ओझा, विशाल पुरोहित, अनिल इंदु शर्मा, वीरेंदर कछवाहा, अभिलेश वढेरा ने कार्यभार संभाला।
कार्यक्रम के दौरान ए शार्प म्यूजिकल स्कूल की छात्राओं ने अच्युतम केशवम पर एक साथ गिटार, पियानो के साथ सामूहिक प्रस्तुति दी,
सूर्यनगरी में संगीत प्रेमियों के इतने बड़े इवेंट महिला पी जी विद्यालय का हाल क्षमता से अधिक खचाखच भरा था संगीत का समा बँधा था और मौसम भी खुशगवार हो गया था कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को अचंभित कर दिया, जोधपुर में इतनी प्रतिभाएं भरी पड़ी है और उनको बाहर निकालकर उभारने का कार्य किया संस्कारी इवेंट के संचालक अभिषेक शर्मा ने और इसमें उनका साथ उनकी धर्मपत्नी वंदना शर्मा ने दिया
कार्यक्रम के दौरान अंतिम चरण में लाइट जाने पर दर्शको ने अपने अपने मोबाइल से लाइट जलाकर कार्यक्रम में अँधेरे को भी एन्जॉय किया
कार्यक्रम मे 16 से 40 वर्ष की आयु के प्रतियोगियों मे लीशा ओझा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया व श्री विठलेश व्यास ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया व श्री अनुश्री पनिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया
इस कार्यक्रम में सीनियर सिटीजन कलाकारों को विशेष रूप से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि न्यायमूर्ति देवेन्द्र कछवाहा ने मंच से संस्कारी इवेंट के लिए कहा की सभी उम्र के लोगो में गाने की इच्छा तो होती है पर उन्हें इस प्रकार का मंच नहीं मिल पाता है आपने ऐसा मंच उपलब्ध कराकर सबको हर उम्र में अपने मन की अपनी इच्छाओ को प्रदर्शित करने का अच्छा मौका दिया
आनंद पुरोहित जी ने कहा की ऐसे प्रोग्राम होते रहने चाहिए ऐसे मंच से प्रतिभाओ को आगे लाने हेतु संस्था अच्छा कार्य कर रही है
जोधपुर के जाने-माने संगीत से जुड़े हुए कार्यक्रम मे सहयोगी संस्थाओ मे साँवरिया के संस्थापक कैलाश चंद्र लढा , पुलिस पब्लिक प्रेस, गिटार वर्ल्ड, जेम्स एंड आर्ट प्लाजा, रीगेंट इंस्टिट्यूट, एनएसएस सिक्योरिटीज, जोगमाया जेवेलर्स, राज एजेंसी, विक्की टेडर्स, डायनामिक प्रिंटर्स तरुण सोटवाल , मेहता इंवेस्टमेंट्स, आर जे विजय मनोरिया, अशोक टेंट हाउस आदि के संचालक, सोनू जेठवानी, निर्मल सिंघवी, डॉ. सुधा व्यास, वीरेंद्र कछवाह, संगीतकार श्रीमती नीलम सिंह, तरुण सिंह, विमल सोनी, एडवोकेट महेंद्र छंगाणी, गुलाब सिंह एवं कई गणमान्य नागरिक विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित थे सभी को मंच पर आमंत्रित कर सम्मानित किया गया,
इस ऐतिहासिक इवेंट की सबसे मुख्य बात यह थी की इतने बड़े ऐतिहासिक इवेंट में छोटे से छोटे सहयोगी को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया जिसमे महिला पीजी विद्यालय के रखवाले , मिर्चीबड़े वाले, चाय वाले, हलवाई, टेंट हाउस वाले, साउंड वाले, कैमरा वाले, डेकोरेशन वाले आदि सभी के कर्मचारियों को मंच पर आमंत्रित कर सम्मानित किया गया
गुरुवार, 3 अगस्त 2023
अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी ...
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