यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 8 अगस्त 2023

दान से धन एवं मन की शुद्धि

दान से धन एवं मन की शुद्धि
〰️〰️🌸〰️🌸〰️🌸〰️〰️
कलियुग में दान प्रधान है । श्रुति में निर्देश है जो सिर्फ अपने लिये पकाकर खाता है, वह अन्न नहीं खाता, पाप पकाकर खाता है-'केवलाघो भवति केवलादी।' अत: अन्नदान को सर्वोपरि दान कहा गया है। 

कलियुग का धर्म केवल एक पैर अर्थात् दान के ऊपर टिका हुआ है। ईमानदारी, परिश्रम तथा धर्म अनुसार अर्जित धन-संपत्ति का दान ही पुण्य दायक होता है । लक्ष्मी माता हैं। उनका सत्कर्म के लिये उपयोग तो किया जा सकता है, परंतु सांसारिक सुख-सुविधाओं के लिये-व्यक्तिगत लाभ के लिये उनका उपभोग नहीं किया जाना चाहिये। -अर्थ अमृत है, पर असावधानी से वह जहर भी बन जाता है। जो नीति से आये और जिसका उपयोग रीति से हो, वह अर्थ अमृत है; पर अनीति से अर्जित धन जहर बन जाता है। -यदि धर्म की मर्यादा न रहे तो धन अनर्थ करता है। धन साधन है, धर्म साध्य है।

धन कमाना कठिन नहीं है, उसका धर्म-कार्यों सेवा, सहायता, दान आदि में सदुपयोग करना कठिन है। धन का धार्मिक कर्तव्यों-दान, सेवा, गोसेवा-जैसे सत्कर्म में सदुपयोग हो तो वह सुख देता है और विलासिता आदि दुष्कर्मों में उपभोग करने पर तरह-तरह के दुख देता है। ज्ञान दान श्रेष्ठ दान है। अन्नदान और वस्त्रदान कुछ समय के लिये शान्ति प्राप्त होती है, किंतु ज्ञान दान अर्थात जहाँ अध्यात्म ज्ञान का दान होता है, वहाँ सारे तीर्थ आ जाते हैं।

दान के नियम और फल
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
👉 दान देने का अधिकार गृहस्थ को दिया गया है। दान में विवेक रखो। इतना दान दो कि गृहस्थ की आवश्यकता की पूर्ति में बाधा न पड़े।

👉 दान से धन की शुद्धि, स्नान से तन की शुद्धि तथा ध्यान से मन की शुद्धि होती है।

👉 जिसका धन शुद्ध नहीं, उसका दान तथा उसकी सहायता स्वीकार नहीं करनी चाहिये। 

👉 यदि सत्कर्मों में, धर्म में सम्पत्ति का सदुपयोग करोगे तो लक्ष्मीमाता तुम्हें नारायण की गोद में बिठायेंगी। 

👉 धन का दान करते रहने से धन के प्रति ममता कम होती है तथा तन से सेवा करने से देहाभिमान में कमी आती है।

👉 दान देते समय जब तुम लेने वाले को परमात्मा का रूप समझकर दान दो तभी दान सफल-सार्थक होगा। 

👉 आँगन में आये याचक को यदि कुछ नहीं मिलता है तो वह घर का पुण्य ले जाता है।

👉 याचका माँगने नहीं आता, वह तो हमको ज्ञान देने आता है कि पूर्वजन्म में मैंने किसी को कुछ दिया नहीं, इसीलिये मैं भिखारी हुआ हूँ। यदि आप भी किसी को कुछ न देंगे तो अगले जन्म में मेरे-जैसे याचक बनेंगे।

〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya