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शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

बॉस ने पूछा ~ इससे पहले कि आप भारत में कहां काम करते थे? भारतीय ~ जी! मैं .. एक निजी अस्पताल में कंपाउंडर था.

 

सिरदर्द ....एक भारतीय ने अपनी नौकरी छोड़ दी


कनाडा में दुनिया की सबसे बड़ी

डिपार्टमेंटल स्टोर में

सेल्समैन की नौकरी ज्वाइन की।

बॉस ने पूछा ~

क्या आपके पास कोई अनुभव है?

उसने कहा ~ हाँ सर !

मैं भारत में सेल्समैन था।

पहला दिन उस भारतीय ने

पूरे मन से काम किया।

शाम 6 बजे बॉस ने पूछा ~

आज पहला दिन है...

आपने कितनी बिक्री की?

भारतीय ने कहा ~

सर ! मैंने 1 बिक्री की।

बॉस चौंक कर बोला ~ क्या...

केवल एक सेल?

जो आम तौर पर यहाँ काम करते हैं

20 से 30 प्रत्येक सेल्समैन बेचते हैं

रोज़ाना करते हैं.

अच्छा ये बताओ...

तुमने कितने की बिक्री की.

9,33,005 डॉलर ~

भारतीय बोलो.

क्या? लेकिन तुमने ऐसा कैसे किया?

हैरानी से बॉस ने पूछा.

भारतीय बोला ~

एक व्यक्ति आया,

मैंने उसे थोड़ा सा

मछली पकड़ने का हुक बेचा,

फिर एक माजोला और फिर

आखिर में एक बड़ा हुक बेचा.

फिर मैंने उसे एक बड़ी मछली पकड़ने वाली छड़ी दी

और कुछ मछली पकड़ने का सामान बेचा.

फिर मैंने उससे पूछा कि ~

तुम मछली कहाँ पकड़ोगे?

उसने कहा कि वह

तटीय क्षेत्र में पकड़ेगा.

फिर मैंने कहा इसके लिए

नाव की ज़रूरत होगी.

तो मैं उसे नीचे ले गया

उसे नाव विभाग में ले गया और उसे

20 फीट डबल इंजन

👉 स्कूनर नाव बेची.

जब उसने कहा कि यह नाव उसकी है

वोक्स वैगन में नहीं आएगी,

फिर मैंने उसे अपना

ऑटोमोबाइल सेक्शन में ले गया

और उसकी नई नाव कैरी

👉 डीलक्स 4×4 ब्लेज़र बेचा।

और जब मैंने उससे पूछा कि ~

मछली पकड़ने के दौरान तुम कहाँ रहोगी?

उसने कुछ भी प्लान नहीं किया था, इसलिए मैं

उसे कैंपिंग सेक्शन में ले गया, और

छह स्लीपर...

👉 कैंपर टेंट बेचा

और फिर उसने कहा कि

जब इतना कुछ ले लिया जाता है,

तो 200 डॉलर का किराना और

दो केस बीयर भी ले लूँगी।

अब बॉस दो कदम पीछे हटे, और

बहुत ही धमाकेदार अंदाज में

पूछना शुरू किया ~ तुमने इतना कुछ किया...

उस आदमी को बेचा, जो..

👉 सिर्फ़ एक मछली का हुक

खरीदने आया था।

नहीं सर! युवा भारतीय सेल्समैन ने

जवाब दिया ~ वह सिर्फ़...

सिरदर्द से राहत पाने के लिए

टैबलेट लेने आया था।

मैंने उसे समझाया कि ~

मछली पकड़ना

सिर दर्द से राहत पाना

सबसे बढ़िया उपाय है.

बॉस ने पूछा ~ इससे पहले कि आप

भारत में कहां काम करते थे?

भारतीय ~ जी! मैं ...

★ एक निजी अस्पताल में कंपाउंडर था.

घबराहट की मामूली शिकायत पर

हम मरीजों से हैं

पैथोलॉजी, इको, ईसीजी, टीएमटी,

सीटी स्कैन, एक्स-रे, एमआरआई

आदि जांच करवाते हैं.

बॉस ~ आप मेरी कुर्सी पर बैठिए.

मैं भारत में प्रशिक्षण के लिए

निजी अस्पताल

जॉइन करने जा रहा हूँ.

जय हिंद 🇮🇳

#बहन_बेटियों_सावधान 👬

 

#बहन_बेटियों_सावधान 👬

जब कोई रिश्तेदार मामा चाचा ताऊ फूफा मौसा पड़ोसी कज़िन भैया आदि प्रकार का रिश्ता किनारे रख कर तुमसे कहने लगे "रिश्ते अपनी जगह ,पर मैं तो तुम्हें अपनी फ्रेंड मानता हूँ।

तुम एक मॉर्डन गर्ल हो आज के ज़माने की तो पुराने टाइप के रिश्ते मत मानो।

"तो अपने माता पिता भाई को बता दो,,, क्योंकि उनकी नियत में खोट है।

फेसबुक के फ्रेंड किसी फ्रेंडशिप के प्रतीक नहीं हैं।

फेसबुक फ्रेंड मतलब फालतू के फ्रेंड, सिर्फ ऑनलाइन हैं ये,,,,इनसे जिंदगी पर तब तक कोई फर्क नही जबतक असल जिंदगी में न मिलो।

अतः फेसबुक पर उनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट को संदेह से न देखो,,,,

पर इनबॉक्स और व्हाट्सअप में वीडियो कोटेशन शेयर करने लगें तो सावधान।

पुरुषों के हथकंडे -

वे तुमसे ऐसे बातें करेंगे कि दर्द आंखों से छलक पड़े

स्वयं को अपनी पत्नी के पिछड़ेपन से त्रस्त दिखाएंगे

खुद हैंडसम बने रह कर जताएंगे कि बहुत पुराने विचारों की पत्नी मिली है,दर्द किससे कहे,,,,,,

तुम अगर कह बैठी कि मुझसे कहिये,में हूँ न तो बस तुम्हारा जीवन उनके हवाले हो गया।

पत्नी को बीमार बता सकते हैं

पत्नी के अवैध संबंधों की झूठी बात बता कर सहानुभूति लूटेंगे,,,

तुम्हें सुंदर और इंटेलीजेंट बता कर काबू करेंगे,,,,

तुम में उन्हें अचानक ऐश्वर्या सानिया कल्पना चावला दिखने लगेगी।

तुम्हारी ममी पापा की ज़्यादा केअर शुरू करेंगे,,,,

तुम्हें वो गिफ्ट करना शुरू करेंगे जो पापा नहीं दे सकते

कोई कुछ कहेगा भी नहीं

उनसे रिश्ता ही ऐसा है अचानक गिफ्ट बढ़ जाएं

कपड़े ज़्यादा प्राप्त होने लगें घर आना जाना बढ़ जाये।

तुम्हें एग्जाम दिलाने वे स्वयं जाने लगे।

#सावधान

कोई पुरुष रिश्ते की आड़ में तुम्हें लूटने की तैयारी में है।

अच्छी नियत वाले भी अलग दिख जाते हैं,,

#सबसे_सुरक्षित_रहें।।

मां बाप सगे भाई बहन के अलावा इस समाज में कोई हितैषी हो ही नही सकता ।।।

🌷❣️ 🙏राधे राधे 🙏❣️🌷

सालाना सैलरी 30 करोड़ रुपए, काम - सिर्फ स्विच ऑन-ऑफ करना, फिर भी लोग नहीं करना चाहते ये नौकरी

 

World`s First Lighthouse: ऐसी नौकरी जिसमें ना नजर रखने वाला बॉस हो, ना काम करने की टेंशन हो. जब मर्जी हो सो जाओ, जब मन करे मजे करो और सैलरी भी 30 करोड़ रुपए, फिर भी लोग नहीं करना चाहते ये जॉब, आखिर क्‍यों?

Highest Paying Lighthouse Job Salary: करोड़ों का मोटा पैकेज, काम के घंटे न के बराबर और उस पर बॉस भी ना हो. ऐसी नौकरी का सुख स्‍वर्ग के सुख से कम नहीं है. यूं कहें कि ऐसी नौकरी हर कोई करना चाहता है लेकिन एक ऐसी ही नौकरी के लिए कैंडिडेट मिलना मुश्किल होता है. ये नौकरी है मिस्‍त्र के अलेक्‍जेंड्रिया बंदरगाह में फारोस नाम के द्वीप पर स्थित लाइटहाउस ऑफ अलेक्‍जेंड्रिया के कीपर की नौकरी. इस नौकरी के लिए सालाना सैलरी 30 करोड़ रुपए है.

इस लाइटहाउस के कीपर का एक ही काम है कि उसे इस लाइट पर नजर रखना होती है कि यह लाइट कभी बंद ना हो. फिर चाहे दिन के चौबीसों घंटे उसका जो मन करे, वो करे. यानी कि जब मन करे सो जाओ, जब जागने का मन हो उठो और एंजॉय करो, फिसिंग करो, समुद्री नजारे देखो. बस, एक बात का ध्‍यान रखना है कि लाइट हाउस की लाइट बंद ना होने पाए. यह लाइट हमेशा जलती रहे. फिर भी लोग इतने मोटे पैकेज वाली आरामदायक नौकरी करने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाते हैं.

जान जाने का खतरा

इस नौकरी को दुनिया की सबसे कठिन नौकरी माना जाता है क्‍योंकि यहां व्‍यक्ति को पूरे समय अकेले रहना होता है. ना उससे कोई बात करने वाला होता है और ना ही उसे इंसान नजर आते हैं. समुद्र के बीचोंबीच बने इस लाइटहाउस को कई खतरनाक तूफान भी झेलने पड़ते हैं. कई बार तो समुद्री लहरें इतनी ऊंची उठती हैं कि लहरों से लाइफहाउस पूरी तरह ढंक जाता है. इससे लाइटहाउस कीपर का जान जाने का खतरा भी बना रहता है.

आखिर क्‍यों इतना जरूरी है यह लाइट जलना?

अब सवाल यह है कि इस लाइट हाउस को क्‍यों बनाया गया और इसकी लाइट जलते रहना इतना जरूरी क्‍यों है? एक बार मशहूर सेलर (नाविक) कैप्‍टन मेरेसियस इस ओर से निकल रहे थे. इस इलाके में बड़ी-बड़ी चट्टानें थीं, जो उन्‍हें रात के अंधेरे में तूफान के बीच दिखाई नहीं दीं. इससे उनकी नाव उलटी हो गई. कई क्रू मेंबर मारे गए, काफी नुकसान हुआ. कैप्‍टर मेरी को बहुत दूर जाकर जमीन मिली और वे मिस्‍त्र पहुंचे. अक्‍सर यहां की चट्टानों से समुद्री जहाजों को बहुत नुकसान होता था.

इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना

तब यहां के शासक ने आर्किटेक्‍ट को बुलाया और कहा कि समुद्र के बीच ऐसी मीनार बनाओ जहां से रोशनी की व्‍यवस्‍था की जा सके. इससे जहाजों को रास्‍ता भी दिखाया जा सके और उन्‍हें बड़े पत्‍थरों से भी बचाया जा सके. तब यह लाइट हाउस बनाया गया लेकिन जब यह बनकर तैयार हुआ तो उन्‍हें खुद ये अंदाजा नहीं था कि वह इंजीनियरिंग की दुनिया का बड़ा इंवेंशन होने वाला है.

इस लाइटहाउस का नाम रखा गया 'द फेरोस ऑफ अलेक्‍जेंड्रिया'. इस लाइटहाउस में लकडि़यों की मदद से बड़ी आग जलाई जाती थी और लेंस की मदद से उसे और बड़ा किया जाता था ताकि उसकी रोशनी दूर तक जा सके.

दुनिया का पहला लाइटहाउस

इस लाइटहाउस के कारण अब यहां नाविक आसानी से आने-जाने लगे. यह दुनिया का पहला लाइट हाउस था. इसके बाद दुनिया भर में लाइट हाउस बने. पहले लाइट हाउस केवल समुद्री किनारों पर बनते थे, लेकिन बाद में पत्‍थरों वाली जगहों पर भी लाइट हाउस बनने लगे. साथ ही समय के साथ बिजली की खोज हुई और लाइट हाउस पर बिजली से रोशनी की जाने लगी.

Various tattoo artists that nailed covering up scars and birthmarks!

 

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Source: Google

Quite smart move and amazing. ;)

बुधवार, 21 अगस्त 2024

घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।

जनोपयोगी नुस्खे
🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹
20 घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।

1👉 प्याज के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।

2👉 प्रतिदिन 1 अखरोट और 10 किशमिश बच्चों को खिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की समस्या दूर होती है।

3👉 टमाटर के सेवन से चिढ़ चिढ़ापन और मानसिक कमजोरी दूर होती है।यह मानसिक थकान को दूर कर मस्तिस्क को तंदरुस्त बनाये रखता है। इसके सेवन से दांतो व् हड्डियों की कमजोरी भी दूर होती है।

4👉 तुलसी के पत्तो का रस,अदरख का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1चम्मच की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार सेवन करने से सर्दी, जुखाम व खांसी दूर होती है।

5👉 चाय की पत्ती  की जगह तेज पत्ते की चाय पीने से सर्दी, जुखाम, छींके आना, नाक बहना ,जलन व सरदर्द में शीघ्र आराम मिलता है।

6👉 रोज सुबह खाली पेट हल्का गर्म पानी पीने से चेहरे में रौनक आती है वजन कम होता है, रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और गुर्दे ठीक रहते है।

7👉 पांच ग्राम दालचीनी ,दो लवंग और एक चौथाई चम्मच सौंठ को पीसकर 1 लीटर पानी में उबाले जब यह 250 ग्राम रह जाए तब इसे छान कर दिन में 3 बार पीने से वायरल बुखार में आराम मिलता है।

8👉 पान के हरे पत्ते के आधे चम्मच रस में 2 चम्मच पानी मिलाकर रोज नाश्ते के बाद पीने से पेट के घाव व अल्सर में आराम मिलता है।

9👉 मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर यदि शुद्ध देशी घी में हींग-जीरे का तड़का लगाकर खाया जाए तो यह वात, पित्त, कफ तीनो दोषो को शांत करती है।

10👉  भोजन में प्रतिदिन 20 से 30 प्रतिशत ताजा सब्जियों का प्रयोग करने से जीर्ण रोग ठीक होता है उम्र लंबी होती है शरीर स्वस्थ रहता है।

11👉 भिन्डी की सब्जी खाने से पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब साफ़ और खुलकर आता है।

12👉  दो तीन चम्मच नमक कढ़ाई में अच्छी तरह सेक कर गर्म नमक को मोटे कपडे की पोटली में बांधकर सिकाई करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।

13👉  हरी मिर्च में एंटी आक्सिडेंट होता है जो की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है इसमें विटामिन c प्रचुर मात्रा में होता है जो की प्राकृतिक प्रतिरक्षा में सुधार करता है।

14👉  मखाने को देसी घी में भून कर खाने से दस्तो में बहुत लाभ होता है इसके नियमित सेवन से रक्त चाप , कमर दर्द, तथा घुटने के दर्द में लाभ मिलता है।

15👉  अधिक गला ख़राब होने पर 5 अमरुद के पत्ते 1 गिलास पानी में उबाल कर थोड़ी देर आग पर पका ठंडा करके दिन में 4 से 5 बार गरारे करने से शीघ्र लाभ होता है।

16👉 आधा किलो अजवाइन को 4 लीटर पान में उबाले 2 लीटर पानी बचने पर छानकर रखे, इसे प्रतिदिन भोजन के पहले 1 कप पीने से लिवर ठीक रहता है एवं शराब पीने की इच्छा नहीं होती।

17👉  नीम की पत्तियो को छाया में सुखा कर पीस लें, इस चूर्ण में बराबर मात्रा में कत्थे का चूर्ण मिला ले।इस चूर्ण को मुह के छालो पर लगाकर टपकाने से छाले ठीक होते है।

18👉  प्रतिदिन सेब का सेवन करने से ह्रदय,मस्तिस्क तथा आमाशय को समान रूप से शक्ति मिलती है तथा शरीर की कमजोरी दूर होती है।

19👉  20से 25 किशमिश चीनी मिटटी के बर्तन में रात को भिगो कर रख दें।सुबह इन्हें खूब चबा कर खाने से लो ब्लड प्रेसर में लाभ मिलता है व शरीर पुष्ट होता है।

20👉 अमरुद में काफी पोषक तत्व होते है .इसके नियमित सेवन से कब्ज दूर होती है और मिर्गी, टाईफाइड , और पेट के कीड़े समाप्त होते है।
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मंगलवार, 20 अगस्त 2024

छोटी बुआ….!!!!*रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा जमशेदपुर (झारखण्ड )वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था.

*छोटी बुआ….!!!!*

रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा जमशेदपुर (झारखण्ड )वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था.

कितना बड़ा पार्सल भेजती थी बुआ जी.

तरह-तरह के विदेशी ब्रांड वाले चॉकलेट,गेम्स, मेरे लिए कलर फूल ड्रेस , मम्मी के लिए साड़ी, पापाजी के लिए कोई ब्रांडेड शर्ट.

इस बार भी बहुत सारा सामान भेजा था उन्होंने.

पटना और रामगढ़ वाली दोनों बुआ जी ने भी रंग बिरंगी राखीयों के साथ बहुत सारे गिफ्टस भेजे थे.

बस रोहतास वाली जया बुआ की राखी हर साल की तरह एक साधारण से लिफाफे में आयी थी.

पांच राखियाँ, कागज के टुकड़े में लपेटे हुए रोली चावल और पचास का एक नोट.

मम्मी ने चारों बुआ जी के पैकेट डायनिंग टेबल पर रख दिए थे ताकि पापा ऑफिस से लौटकर एक नजर अपनी बहनों की भेजी राखियां और तोहफे देख लें...

पापा रोज की तरह आते ही टी टेबल पर लंच बॉक्स का थैला और लैपटॉप की बैग रखकर सोफ़े पर पसर गए थे.

"चारो दीदी की राखियाँ आ गयी है...

मम्मी ने पापा के लिए किचन में चाय चढ़ाते हुए आवाज लगायी थी...

"जया का लिफाफा दिखाना जरा...

पापा जया बुआ की राखी का सबसे ज्यादा इन्तेज़ार करते थे और सबसे पहले उन्हीं की भेजी राखी कलाई में बांधते थे....

जया बुआ सारे भाई बहनो में सबसे छोटी थी पर एक वही थी जिसने विवाह के बाद से शायद कभी सुख नहीं देखा था.

विवाह के तुरंत बाद देवर ने सारा व्यापार हड़प कर घर से बेदखल कर दिया था.

तबसे फ़ूफा जी की मानसिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी. मामूली सी नौकरी कर थोड़ा बहुत कमाते थे .

बेहद मुश्किल से बुआ घर चलाती थी.

इकलौते बेटे श्याम को भी मोहल्ले के साधारण से स्कूल में डाल रखा था. बस एक उम्मीद सी लेकर बुआ जी किसी तरह जिये जा रहीं थीं...

जया बुआ के भेजे लिफ़ाफ़े को देखकर पापा कुछ सोचने लगे थे...

"गायत्री इस बार रक्षाबंधन के दिन हम सब सुबह वाली पैसेंजर ट्रेन से जया के घर रोहतास (बिहार )उसे बगैर बताए जाएंगे...

"जया दीदी के घर..!!

मम्मी तो पापा की बात पर एकदम से चौंक गयी थी...

"आप को पता है न कि उनके घर मे कितनी तंगी है...

हम तीन लोगों का नास्ता-खाना भी जया दीदी के लिए कितना भारी हो जाएगा....वो कैसे सबकुछ मैनेज कर पाएगी.

पर पापा की खामोशी बता रहीं थीं उन्होंने जया बुआ के घर जाने का मन बना लिया है और घर मे ये सब को पता था कि पापा के निश्चय को बदलना बेहद मुश्किल होता है...

रक्षाबंधन के दिन सुबह वाली धनबाद टू डेहरी ऑन सोन पैसेंजर से हम सब रोहतास पहुँच गए थे.

बुआ घर के बाहर बने बरामदे में लगी नल के नीचे कपड़े धो रहीं थीं....

बुआ उम्र में सबसे छोटी थी पर तंग हाली और रोज की चिंता फिक्र ने उसे सबसे उम्रदराज बना दिया था....

एकदम पतली दुबली कमजोर सी काया. इतनी कम उम्र में चेहरे की त्वचा पर सिलवटें साफ़ दिख रहीं थीं...

बुआ की शादी का फोटो एल्बम मैंने कई बार देखा था. शादी में बुआ की खूबसूरती का कोई ज़वाब नहीं था. शादी के बाद के ग्यारह वर्षो की परेशानियों ने बुआ जी को कितना बदल दिया था.

बेहद पुरानी घिसी सी साड़ी में बुआ को दूर से ही पापा मम्मी कुछ क्षण देखे जा रहे थे...

पापा की आंखे डब डबा सी गयी थी.

हम सब पर नजर पड़ते ही बुआ जी एकदम चौंक गयी थी.

उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे और क्या प्रतिक्रिया दे.

अपने बिखरे बालों को सम्भाले या अस्त व्यस्त पड़े घर को दुरुस्त करे.उसके घर तो बर्षों से कोई मेहमान नहीं आया था...

वो तो जैसे जमाने पहले भूल चुकी थी कि मेहमानों को घर के अंदर आने को कैसे कहा जाता है...

बुआ जी के बारे मे सब बताते है कि बचपन से उन्हें साफ सफ़ाई और सजने सँवरने का बेहद शौक रहा था....

पर आज दिख रहा था कि अभाव और चिंता कैसे इंसान को अंदर से दीमक की तरह खा जाती है...

अक्सर बुआ जी को छोटी मोटी जरुरतों के लिए कभी किसी के सामने तो कभी किसी के सामने हाथ फैलाना होता था...

हालात ये हो गए थे कि ज्यादातर रिश्तेदार उनका फोन उठाना बंद कर चुके थे.....

एक बस पापा ही थे जो अपनी सीमित तनख्वाह के बावजूद कुछ न कुछ बुआ को दिया करते थे...

पापा ने आगे बढ़कर सहम सी गयी अपनी बहन को गले से लगा लिया था.....

"भैया भाभी मन्नू तुम सब अचानक आज ?

सब ठीक है न...?

बुआ ने कांपती सी आवाज में पूछा था...

"आज वर्षों बाद मन हुआ राखी में तुम्हारे घर आने का..

तो बस आ गए हम सब...

पापा ने बुआ को सहज करते हुए कहा था.....

"भाभी आओ न अंदर....

मैं चाय नास्ता लेकर आती हूं...

जया बुआ ने मम्मी के हाथों को अपनी ठण्डी हथेलियों में लेते हुए कहा था.

"जया तुम बस बैठो मेरे पास. चाय नास्ता गायत्री देख लेगी."

हमलोग बुआ जी के घर जाते समय रास्ते मे रूककर बहुत सारी मिठाइयाँ और नमकीन ले गए थे......

मम्मी किचन में जाकर सबके लिए प्लेट लगाने लगी थी...

उधर बुआ कमरे में पुरानी फटी चादर बिछे खटिया पर अपने भैया के पास बैठी थीं....

बुआ जी का बेटा श्याम दोड़ कर फ़ूफा जी को बुला लाया था.

राखी बांधने का मुहूर्त शाम सात बजे तक का था.मम्मी अपनी ननद को लेकर मॉल चली गयी थी सबके लिए नए ड्रेसेस खरीदने और बुआ जी के घर के लिए किराने का सामान लेने के लिए....

शाम होते होते पूरे घर का हुलिया बदल गया था

नए पर्दे, बिस्तर पर नई चादर, रंग बिरंगे डोर मेट, और सारा परिवार नए ड्रेसेस पहनकर जंच रहा था.

न जाने कितने सालों बाद आज जया बुआ की रसोई का भंडार घर लबालब भरा हुआ था....

धीरे धीरे एक आत्म विश्वास सा लौटता दिख रहा था बुआ के चेहरे पर....

पर सच तो ये था कि उसे अभी भी सब कुछ स्वप्न सा लग रहा था....

बुआ जी ने थाली में राखियाँ सज़ा ली थी

मिठाई का डब्बा रख लिया था

जैसे ही पापा को तिलक करने लगी पापा ने बुआ को रुकने को कहा.

सभी आश्चर्यचकित थे...

" दस मिनट रुक जाओ तुम्हारी दूसरी बहनें भी बस पहुँचने वाली है. "

पापा ने मुस्कुराते हुए कहा तो सभी पापा को देखते रह गए....

तभी बाहर दरवाजे पर गाड़ियां के हॉर्न की आवाज सुनकर बुआ ,मम्मी और फ़ूफ़ा जी दोड़ कर बाहर आए तो तीनों बुआ का पूरा परिवार सामने था....

जया बुआ का घर मेहमानों से खचाखच भर गया था.

महराजगंज वाली नीलम बुआ बताने लगी कि कुछ समय पहले उन्होंने पापा को कहा था कि क्यों न सब मिलकर चारो धाम की यात्रा पर निकलते है...

बस पापा ने उस दिन तीनों बहनो को फोन किया कि अब चार धाम की यात्रा का समय आ गया है..

पापा की बात पर तीनों बुआ सहमत थी और सबने तय किया था कि इस बार जया के घर सब जमा होंगे और थोड़े थोड़े पैसे मिलाकर उसकी सहायता करेंगे.

जया बुआ तो बस एकटक अपनी बहनों और भाई के परिवार को देखे जा रहीं थीं....

कितना बड़ा सरप्राइस दिया था आज सबने उसे...

सारी बहनो से वो गले मिलती जा रहीं थीं...

सबने पापा को राखी बांधी....

ऐसा रक्षाबन्धन शायद पहली बार था सबके लिए...

रात एक बड़े रेस्त्रां में हम सभी ने डिनर किया....

फिर गप्पे करते जाने कब काफी रात हो चुकी थी....

अभी भी जया बुआ ज्यादा बोल नहीं रहीं थीं.

वो तो बस बीच बीच में छलक आते अपने आंसू पोंछ लेती थी.

बीच आंगन में ही सब चादर बिछा कर लेट गए थे...

जया बुआ पापा से किसी छोटी बच्ची की तरह चिपकी हुई थी...

मानो इस प्यार और दुलार का उसे वर्षों से इन्तेज़ार था.

बातें करते करते अचानक पापा को बुआ का शरीर एकदम ठंडा सा लगा तो पापा घबरा गए थे...

सारे लोग जाग गए पर जया बुआ हमेशा के लिए सो गयी थी....

पापा की गोद में एक बच्ची की तरह लेटे लेटे वो विदा हो चुकी ..

पता नही कितने दिनों से बीमार थीं....

और आज तक किसी से कही भी नही थीं...

आज सबसे मिलने का ही आशा लिये जिन्दा थीं शायद...!!

😥😥😥😥😩

 🙏🙏

रक्षाबंधन से श्रवण कुमार का संबंध

रक्षाबंधन से श्रवण कुमार का संबंध
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वास्तविक कारण चूँकि कारण थोड़ा दुःखद है तो शायद लोक परम्परा ने कारण को भुला दिया किंतु वचन को जिंदा रखा !
तो मूल घटना इस प्रकार है....!!👇 

श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को नेत्रहीन माता पिता का एकमात्र पुत्र श्रवण कुमार अपने माता पिता को कांवड में बिठा कर तीर्थ यात्रा कर रहे थे ,मार्ग में प्यास लगने पर वे एक बार रात्रि के समय जल लाने गए थे, वहीं कहीं हिरण की ताक में दशरथ जी छुपे थे। उन्होंने घड़े के में पानी भरने से हवा के बुलबुलों के निकलने के शब्द को पशु का शब्द समझकर शब्द भेदी बाण छोड़ दिया, जिससे श्रवण की मृत्यु हो गई।

श्रवण कुमार ने मरने से पहले दशरथ से वचन लिया कि वे ही अब उनके बदले माता पिता को जल पिलाएँगे। दशरथ ने जब यह कार्य करना चाहा तो नेत्रहीन माता पिता ने अपने पुत्र के अनुपस्थित रहने का कारण पूछा तो दशरथ ने उन्हें सत्य बताया। यह सुनकर उनके माता-पिता बहुत दुखी हुए। तब दशरथ जी ने अज्ञान वश किए हुए अपराध की क्षमा याचना की।
 
श्रवण कुमार के माता पिता ने अपने एक मात्र पुत्र के मर जाने पर अपना वंश नष्ट हो जाने का शोक व्यक्त किया तब दशरथ ने श्रवण के माता-पिता को आश्वासन दिया कि वे श्रावणी को श्रवण पूजा का प्रचार प्रसार करेंगे। अपने वचन के पालन में उन्होंने श्रावणी को श्रवण पूजा का सर्वत्र प्रचार किया।
 
उस दिन से संपूर्ण सनातनी श्रवण पूजा करते हैं और उक्त रक्षा सूत्र सर्वप्रथम श्रवण को अर्पित करते हैं।

भारतीय लोक परम्परा पर प्रश्न उठाने वाले अनेक इतिहास कार अक्सर यह प्रश्न उठाते हैं कि यदि यह सत्य है तो प्रमाण क्या है।राम जन्म भूमि के संदर्भ में न्यायालय में यह प्रश्न बार बार उठा विद्वान वकीलों ने मुक़द्दमा जीतने के लिए यहाँ तक घोषणा कर डाली कि राम कभी हुए ही नहीं !

दिन भर के प्रयास मात्र से मिली यह कथा बताती है कि
मुख और कान से ज़िंदा रखा गया इतिहास कितना शक्ति शाली है कि राम जन्म से पूर्व एक साधारण ग़रीब पितृभक्त बालक की गाथा को कितने चतुराई से ज़िंदा रखा है ।

हमारे द्वारा बनाए जाने वाला चित्र भी लगभग ऐसा ही है किंतु यह अधिक श्रेष्ठ है। इसे गेरू और रुई लिपटी सींक से द्वार के ओर बनाते हैं और इसे ही तिलक पूजा कर राखी अभिमंत्रित कलावा बांधा चिपकाया जाता है। इसके बाद वही पूजा की थाली भाई को राखी बांधने के लिए प्रयुक्त होती है।

इसमें अधिक ध्यान देने की बात यह है कि इसे सरल ज्यामितिक त्रिकोण ,आयत वर्ग और वृत द्वारा ही बनाया गया ताकि चित्रकारी विशेषज्ञ की आवश्यकता न हो रंगोली बनाने वाली गृहणी ही आसानी से इसे बना सके !

एक प्रकार से देखा जाए तो यही कार्टून कला का प्रारम्भ भी कहा जा सकता है। भारत के हर प्रदेश में हर उत्सव पर रंगोली,मंडवा, गणगौर, सांझी आदि अनेक चित्र बनाए जाते हैं ,दिए गए वेब site पर मध्य प्रदेश मालव क्षेत्र में बनाए जाने वाले रेखा चित्र दिए गए हैं 

सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा और बच्चों को संस्कारी करने के लिए उपयोगी परम्परा है। भाई दीर्घायु हो इतना ही काफ़ी नहीं है। वह माता पिता की सेवा करने वाला भी हो।

राजा दशरथ का धर्म और वचन निभाने का उदाहरण देखिए कि मुझे जानें या न जाने लेकिन श्रवण कुमार को सब जानें !
आइए इस धरोहर को पुष्पित पल्लवित करें।

       🌹🙏 हर हर महादेव 🙏🌹
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सोमवार, 19 अगस्त 2024

रक्षा बंधन 19 अगस्त विशेष

रक्षा बंधन 19 अगस्त विशेष
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रक्षाबन्धन एक हिन्दू त्यौहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं।रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।

अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ हो गयी है। हिन्दुस्तान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष सदस्य परस्पर भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बाँधते हैं।हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है। इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ, तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।"

रक्षासूत्र बाँधने का नियम एवं परंपरा
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प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियाँ और महिलाएँ पूजा की थाली सजाती हैं। थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई और कुछ पैसे भी होते हैं। लड़के और पुरुष तैयार होकर टीका करवाने के लिये पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। पहले अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर छिड़का जाता है, उसकी आरती उतारी जाती है, दाहिनी कलाई पर राखी बाँधी जाती है और पैसों से न्यौछावर करके उन्हें गरीबों में बाँट दिया जाता है। भारत के अनेक प्रान्तों में भाई के कान के ऊपर भोजली या भुजरियाँ लगाने की प्रथा भी है। भाई बहन को उपहार या धन देता है। इस प्रकार रक्षाबन्धन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है। प्रत्येक पर्व की तरह उपहारों और खाने-पीने के विशेष पकवानों का महत्त्व रक्षाबन्धन में भी होता है। आमतौर पर दोपहर का भोजन महत्त्वपूर्ण होता है और रक्षाबन्धन का अनुष्ठान पूरा होने तक बहनों द्वारा व्रत रखने की भी परम्परा है। पुरोहित तथा आचार्य सुबह-सुबह यजमानों के घर पहुँचकर उन्हें राखी बाँधते हैं और बदले में धन, वस्त्र और भोजन आदि प्राप्त करते हैं। यह पर्व भारतीय समाज में इतनी व्यापकता और गहराई से समाया हुआ है कि इसका सामाजिक महत्त्व तो है ही, धर्म, पुराण, इतिहास, साहित्य भी इससे अछूते नहीं हैं।

उत्तरांचल में इसे श्रावणी कहते हैं। इस दिन यजुर्वेदी द्विजों का उपकर्म होता है। उत्सर्जन, स्नान-विधि, ॠषि-तर्पणादि करके नवीन यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। ब्राह्मणों का यह सर्वोपरि त्यौहार माना जाता है। वृत्तिवान् ब्राह्मण अपने यजमानों को यज्ञोपवीत तथा राखी देकर दक्षिणा लेते हैं।

महाराष्ट्र राज्य में यह त्योहार नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से विख्यात है। इस दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं। इस अवसर पर समुद्र के स्वामी वरुण देवता को प्रसन्न करने के लिये नारियल अर्पित करने की परम्परा भी है। यही कारण है कि इस एक दिन के लिये मुंबई के समुद्र तट नारियल के फलों से भर जाते हैं।

राजस्थान में रामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा बाँधने का रिवाज़ है। रामराखी सामान्य राखी से भिन्न होती है। इसमें लाल डोरे पर एक पीले छींटों वाला फुँदना लगा होता है। यह केवल भगवान को ही बाँधी जाती है। चूड़ा राखी भाभियों की चूड़ियों में बाँधी जाती है। जोधपुर में राखी के दिन केवल राखी ही नहीं बाँधी जाती, बल्कि दोपहर में पद्मसर और मिनकानाडी पर गोबर[ख], मिट्टी[ग] और भस्मी[घ] से स्नान कर शरीर को शुद्ध किया जाता है। इसके बाद धर्म तथा वेदों के प्रवचनकर्त्ता अरुंधती, गणपति, दुर्गा, गोभिला तथा सप्तर्षियों के दर्भ के चट (पूजास्थल) बनाकर उनकी मन्त्रोच्चारण के साथ पूजा की जाती हैं। उनका तर्पण कर पितृॠण चुकाया जाता है। धार्मिक अनुष्ठान करने के बाद घर आकर हवन किया जाता है, वहीं रेशमी डोरे से राखी बनायी जाती है। राखी को कच्चे दूध से अभिमन्त्रित करते हैं और इसके बाद ही भोजन करने का प्रावधान है।

तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और उड़ीसा के दक्षिण भारतीय ब्राह्मण इस पर्व को अवनि अवित्तम कहते हैं। यज्ञोपवीतधारी ब्राह्मणों के लिये यह दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस दिन नदी या समुद्र के तट पर स्नान करने के बाद ऋषियों का तर्पण कर नया यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। गये वर्ष के पुराने पापों को पुराने यज्ञोपवीत की भाँति त्याग देने और स्वच्छ नवीन यज्ञोपवीत की भाँति नया जीवन प्रारम्भ करने की प्रतिज्ञा ली जाती है। इस दिन यजुर्वेदीय ब्राह्मण 6 महीनों के लिये वेद का अध्ययन प्रारम्भ करते हैं।इस पर्व का एक नाम उपक्रमण भी है जिसका अर्थ है- नयी शुरुआत।व्रज में हरियाली तीज (श्रावण शुक्ल तृतीया) से श्रावणी पूर्णिमा तक समस्त मन्दिरों एवं घरों में ठाकुर झूले में विराजमान होते हैं। रक्षाबन्धन वाले दिन झूलन-दर्शन समाप्त होते हैं।

उत्तर प्रदेश :श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है। रक्षा बंधन के अवसर पर बहिन अपना सम्पूर्ण प्यार रक्षा (राखी ) के रूप में अपने भाई की कलाई पर बांध कर उड़ेल देती है। भाई इस अवसर पर कुछ उपहार देकर भविष्य में संकट के समय सहायता देने का बचन देता है।

रक्षाबंधन का पौराणिक प्रसंग
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लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है।

स्कन्ध पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षाबन्धन का प्रसंग मिलता है। कथा कुछ इस प्रकार है- दानवेन्द्र राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयत्न किया तो इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर राजा बलि से भिक्षा माँगने पहुँचे। गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान ने तीन पग में सारा आकाश पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। इस प्रकार भगवान विष्णु द्वारा बलि राजा के अभिमान को चकनाचूर कर देने के कारण यह त्योहार बलेव नाम से भी प्रसिद्ध है।कहते हैं एक बार बाली रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया।भगवान के घर न लौटने से परेशान लक्ष्मी जी को नारद जी ने एक उपाय बताया। उस उपाय का पालन करते हुए लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे रक्षाबन्धन बांधकर अपना भाई बनाया और अपने पति भगवान बलि को अपने साथ ले आयीं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। विष्णु पुराण के एक प्रसंग में कहा गया है कि श्रावण की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में अवतार लेकर वेदों को ब्रह्मा के लिये फिर से प्राप्त किया था। हयग्रीव को विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

रक्षाबंधन का ऐतिहासिक प्रसंग
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राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएँ उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी। इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आयेगा। राखी के साथ एक और प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुई है। कहते हैं, मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की।एक अन्य प्रसंगानुसार सिकन्दर की पत्नी ने अपने पति के हिन्दू शत्रु पुरूवास को राखी बाँधकर अपना मुँहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकन्दर को न मारने का वचन लिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया।

महाभारत में भी इस बात का उल्लेख है कि जब ज्येष्ठ पाण्डव युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूँ तब भगवान कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिये राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि राखी के इस रेशमी धागे में वह शक्ति है जिससे आप हर आपत्ति से मुक्ति पा सकते हैं। इस समय द्रौपदी द्वारा कृष्ण को तथा कुन्ती द्वारा अभिमन्यु को राखी बाँधने के कई उल्लेख मिलते हैं।महाभारत में ही रक्षाबन्धन से सम्बन्धित कृष्ण और द्रौपदी का एक और वृत्तान्त भी मिलता है। जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई। द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उँगली पर पट्टी बाँध दी। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया। कहते हैं परस्पर एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना रक्षाबन्धन के पर्व में यहीं से प्रारम्भ हुई।

रक्षा बन्धन का शास्त्रीय निर्णय (मुहूर्त)👉

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गतवर्ष की भांति इस वर्ष भी रक्षाबन्धन
पर्व अल्पकालिन होगा। शास्त्रानुसार यह पर्व भद्रा रहित अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में करना चाहिए। भारत के कुछ प्रदेशों में यह पर्व उदय व्यापिनी पूर्णिमा में मनाने का प्रचलन है। इस वर्ष 19 अगस्त को प्रातः कॉल से दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक भद्रा दोष पाताल में व्याप्त है। अत: शास्त्र निर्णय अनुसार 19 अगस्त सोमवार को ही भद्रा के बाद दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से अथवा प्रदोष काल के समय भद्रा रहित काल में सायं 06 बजकर 53 मिनट से रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक रक्षाबन्धन पर्व मनाया जायेगा। अति आवश्यक परिस्थिति में परिहार स्वरूप प्रातः 10:51 से 12:36 तक के समय को छोड़कर भद्रा पुच्छकाल प्रातः 09 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक में भी रक्षाबन्धन करना कुछ मर्यादा तक ग्राह्य रहेगा।

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 👉 अगस्त 18, को अंतरात्रि 03:03 बजे से.

पूर्णिमा तिथि समाप्त अगस्त 19 को रात्रि 11:55 पर।

भद्रा अन्त समय 👉 दिन 01:31
भद्रा पूँछ 👉 प्रातः 09:51 से 10:52
भद्रा मुख 👉 प्रातः 10:51 से 12:36

मुहूर्त प्रकाश में स्पष्ट ही कहा है कि अतिआवश्यक कार्य में मुख मात्र को छोड़कर सम्पूर्ण भद्रा में शुभ कार्य कर सकते हैं। रक्षाबंधन से पहले इस दिन प्रातः अथवा दोपहर के समय अपने घर के मुख्य द्वार पर गेरू (खड़िया) अथवा अन्य रूप से रक्षाबंधन का पूजन करते है वो लोग भद्रा पूँछ के समय प्रातः 09:51 से 10:52 तक देहरी पूजन संपन्न कर सकते है।

रक्षा बन्धन के लिये दोपहर का मुहूर्त👉 दिन 01 बजकर 32 मिनट से सायं 04 बजकर 16 मिनट तक।

रक्षा बन्धन के लिये प्रदोष काल का मुहूर्त 👉 सायं 06 बजकर 53 मिनट से रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक।
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