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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

कलियुग में महावीर हनुमान का नाम सही अर्थों में संकटमोचन है।

रामभक्त, संकटमोचन, रामसेवक, रामदूत, केशरीनंदन, आंजनेय, अंजनीसुत, कपीश, कपिराज, पवनसुत और संकटमोचक के रूप में विख्यात हनुमान अपने भक्तों को व्याधियों व संकटों, वेदनाओं तथा परेशानियों से मुक्ति दिलाते हैं।
हनुमान भक्ति व पूजा : हर व्यक्ति को जीवन में अनेक समस्याओं से गुजरना पड़ता है, ऐसे में हनुमानजी का स्मरण उसकी कष्टों से रक्षा करता है। जहाँ हनुमानजी का नाम मुश्किलों से बचाव करता है, वहीं वह मन से अनजाने भय को निकालकर शुभ व मंगल का पथ प्रशस्त करता है, विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
वास्तव में, हनुमानजी रामभक्ति, सत्य मर्यादा, ब्रह्मचर्य, सदाचार व त्याग की चरम सीमा हैं। इसका सविस्तार वर्णन हमें सुंदरकांड में मिलता है। इसीलिए सुंदरकांड का पाठ करने से अनिष्ट, अमंगल तथा संकट की समाप्ति होती है, और नेष्ट का रास्ता खुलता है। सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं, तथा भक्त को सुपरिणाम प्रदान करते हैं।
कार्यसिद्धि के लिए भी सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। परंतु इस हेतु पाठ अमावस्या की रात्रि से शुरू करके नियमित रूप से 45 दिन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त नवरात्रि के समय भी सुंदरकांड का पाठ करना उचित माना जाता है। एक ऐसी भी मान्यता है कि नौ ग्रहों को रावण की कैद से केशरीनंदन ने ही मुक्त कराया था। उस समय शनि ने हनुमानजी को वचन दिया था कि- 'हे हनुमान! जो कोई भी आपकी पूजा-अर्चना करेगा, मैं उसे नहीं सताऊँगा।'

साधक को मंगलवार व शनिवार की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। यथार्थ तो यह है कि कलियुग में महावीर हनुमान का नाम सही अर्थों में संकटमोचन है।


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