नाम महिमा : इंद्र द्वारा वज्र से प्रहार करने से उनकी हनु (ठुड्डी) टूट जाने के कारण ही उन्हें हनुमान कहा जाने लगा। प्रहार से मूर्छित हनुमान को जल छिड़ककर पुन: सचेत कर प्रत्येक देवता ने उनको अपने-अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र दिए जिसके कारण उनका नाम महावीर हुआ।
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सशरीर आज भी हैं हनुमान : वानरराज केसरी के यहाँ माता अंजनी के गर्भ से जन्मे हनुमानजी की जयंती के प्रति विद्वानों में मतभेद हैं। हनुमान के भक्त उनकी जयंती प्रथम चैत्र पक्ष पूर्णिमा और द्वितीय कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं। हनुमानजी का बचपन जितना रोचक और रोमांचक था उतनी ही उनकी युवावस्था भी। कहते हैं कि वे हिन्दुओं के एकमात्र ऐसे देवता हैं जो सशरीर आज भी विद्यमान हैं। मान्यता अनुसार कलयुग के अंत में ही हनुमानजी अपना शरीर छोड़ेंगे।
उन्हें ग्यारहवें व्याकरणकार और रुद्र का अंशावतार माना जाता है। उनमें जबरदस्त विद्वता है। उनके बल और बुद्धि के अनेक उदाहरण हैं। संकटकाल में राम और उनकी सेना हनुमानजी से ही सलाह लेते थे।
निर्भीक बनाए हनुमान : कहते हैं कि हनुमान चालीसा या हनुमान अष्टक पढ़ने मात्र से ही व्यक्ति के सारे संकट दूर हो जाते हैं। भूत-प्रेत निकट नहीं आवै, महावीर जब नाम सुनावै। शनि के प्रकोप से बचाव के लिए हनुमानजी की भक्ति उत्तम है।
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