कथा सुनाऊँ सबको यह पवन पुत्र बलवान की,
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
पवन पुत्र बजरंगबली लाल लंगोटे वाला,
सिया राम का परम भक्त वो जपे राम की माला ।
...राम नाम की धुन में रहता हरदम वो मतवाला,
कौन बिगाड़ सके जग में जिसका है वो रखवाला ।
जिसके मन में बसी मूरत श्री भगवान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
एक समय बजरंगबली के पास शनिजी आये,
कहने लगे मुझे रहने को आप जगह बतलाएँ ।
हनुमान ने कहा क्या जग में कहीं ठौर नहीं पाये,
जो मेरी भक्ति में यहॉं विघ्न डालने आये ।
शनि देव समझाए ये बातें प्रभु विधान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
मनमें किया विचार बलि ने लगा प्रभु का ध्यान,
कैसे टाल सकूं जब इसको है ये प्रभु विधान ।
शनि देव बोले कहां बैठूं आप जगह बतलाएँ,
हॅंसकर बोले हनुमान मेरे सिर पर बैठ जाएँ ।
शनि देव मुस्काए सुन बातें राम दिवान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
शनि देव जब सिर पर बैठे हनुमान मुस्काए,
जाकर उतराखण्ड से पहाड़ उठा कर लाए ।
रखा अपने सिर के ऊपर शनि देव घबराए,
किसके पाले पड़ा अब कैसे छुटकारा पाएँ ।
आया था मैं खुश होकर अब मुश्किल पड़ गयी जान की।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
नारदजी के कहने से मैं लेन परिक्षा आया,
ऐसी भक्ति और शक्ति का भेद नहीं था पाया ।
खुश होकर के कहता हूँ मैं अब शनिवार भी तेरा,
तेरे भक्त को कष्ट न दूँगा इतना वचन है मेरा ।
घर घर में पूजा होती है अंजनी सुत बलवान की ।।
शनिदेव और हनुमान को नारदजी मिलवाए,
सबने मिलकर राम नाम की महिमा के गुण गाए ।
ताराचन्द कहे हनुमान का जो कोई ध्यान लगावे,
मन की इच्छा पूरण होवे जीवन भर सुख पाए ।
हरदम दया रहे उस पर श्री दयानिधान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो ....
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
पवन पुत्र बजरंगबली लाल लंगोटे वाला,
सिया राम का परम भक्त वो जपे राम की माला ।
...राम नाम की धुन में रहता हरदम वो मतवाला,
कौन बिगाड़ सके जग में जिसका है वो रखवाला ।
जिसके मन में बसी मूरत श्री भगवान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
एक समय बजरंगबली के पास शनिजी आये,
कहने लगे मुझे रहने को आप जगह बतलाएँ ।
हनुमान ने कहा क्या जग में कहीं ठौर नहीं पाये,
जो मेरी भक्ति में यहॉं विघ्न डालने आये ।
शनि देव समझाए ये बातें प्रभु विधान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
मनमें किया विचार बलि ने लगा प्रभु का ध्यान,
कैसे टाल सकूं जब इसको है ये प्रभु विधान ।
शनि देव बोले कहां बैठूं आप जगह बतलाएँ,
हॅंसकर बोले हनुमान मेरे सिर पर बैठ जाएँ ।
शनि देव मुस्काए सुन बातें राम दिवान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
शनि देव जब सिर पर बैठे हनुमान मुस्काए,
जाकर उतराखण्ड से पहाड़ उठा कर लाए ।
रखा अपने सिर के ऊपर शनि देव घबराए,
किसके पाले पड़ा अब कैसे छुटकारा पाएँ ।
आया था मैं खुश होकर अब मुश्किल पड़ गयी जान की।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
नारदजी के कहने से मैं लेन परिक्षा आया,
ऐसी भक्ति और शक्ति का भेद नहीं था पाया ।
खुश होकर के कहता हूँ मैं अब शनिवार भी तेरा,
तेरे भक्त को कष्ट न दूँगा इतना वचन है मेरा ।
घर घर में पूजा होती है अंजनी सुत बलवान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो .... ।।
शनिदेव और हनुमान को नारदजी मिलवाए,
सबने मिलकर राम नाम की महिमा के गुण गाए ।
ताराचन्द कहे हनुमान का जो कोई ध्यान लगावे,
मन की इच्छा पूरण होवे जीवन भर सुख पाए ।
हरदम दया रहे उस पर श्री दयानिधान की ।।
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो ....
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