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सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

ॐ की महिमा

ॐ की महिमा
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१. ॐ किसी एक धर्म या जाती का प्रतीक नहीं है | इस छोटे से अक्षर में ईश्वर का विशाल स्वरूप समाया हुआ है | इश्वर को स्मरण करने का यह सबसे सरल एवम् सीधा-सादा चिन्ह है | ॐ ही एकमात्र ऐसा अक्षर है जिसका कभी क्षरण नहीं होता है |

२. संसार कि सारी चुम्बकीय शक्ति ब्रह्म से जुड़ी हुई है | उपनिषद में ब्रह्म को ही ॐ कहा गया है | अगर आपने कार्य के आरम्भ में ॐ लिख दिया तो समझ लीजिए, इसमें – गणेशाय नम:, लक्ष्मी देवी नम:, सरस्वती देवी नम:, कुलदेवताय नम: वगैरा सभी देवता ॐ कि परिधि में समाहित हो गए हैं |

३. अतः आप जब भी कोई मंगल-कार्य आरम्भ करें तो सबसे पहले ॐ का उच्चारण कीजिए | अपना नया माकान, नई दुकान, नये बही-खाते आदि का आरम्भ करने से पूर्व ॐ लिखकर परमात्मा को याद करना अत्यंत शुभ फलदायक होता है |

४. ॐ की महिमा अपार है | जहाँ-जहाँ ॐ प्रतिष्ठित है, वहाँ-वहाँ आनंद ही आनंद है | अतः आप सदा ही ॐ का स्मरण कीजिए एवं मानव जीवन का आनंद लीजिए |

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