किसानों को अगर सही मदद और आइडिया मिलें तो वो भी करोड़पति बन सकते हैं। बस जरूरत है उन्हें सही रास्ता दिखाने की।हमारे देश के ज्यादातर किसान मौसमी सब्जियों, फलों और अनाजों की खेती करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती सबसे ज्यादा रिटर्न दे सकती है।
हालांकि, इसके लिए सब्र की जरूरत है और यह लांग टर्म इन्वेस्टमेंट हैं। आमतौर पर किसान अपने बगीचों या खेतों के किनारे फलों के पेड़ लगाते हैं, ताकि सीजन आने पर उन्हें बेचकर मुनाफा कमाया जा सके। इन सबके बीच अगर चंदन का पेड़ लगा लिया जाए तो ये आपको सालों तक मुनाफा देता रहेगा।
चंदन की खेती में इतना मुनाफा है, जितना किसी भी सरकारी या बाकी प्राइवेट स्कीम में नहीं मिल सकता। कुछ समय पहले गुजरात के भरूच में एक किसान ने 10 लाख रुपए लगाकर चंदन की खेती शुरू की थी। 15-20 सालों में जब ये पेड़ काफी बड़े हो गए तो उसे भारी मुनाफा हुआ। उस किसान ने रिकॉर्ड 15 करोड़ रुपए की कमाई की। सीधी भाषा में समझाएं तो 1 लाख रुपए लगाने पर 1.5 करोड़ का मुनाफा मिला। 15-20 साल तक अगर आप किसी भी स्कीम में इतना पैसा लगाएंगे तो आपको कभी भी इतना मुनाफा नहीं हो सकता।
आमतौर पर चंदन की लकड़ी 6 से 7 हजार रुपए प्रति किलो की दर से बिकती है, अगर क्वालिटी अच्छी हो तो 10 हजार रुपए किलो तक दाम मिल आसानी से मिल जाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि चंदन की खेती कैसे करें और इसके लिए आपको क्या-क्या चाहिए। सबसे पहले आपको चाहिए चंदन के बीच या फिर छोटा सा पौधा। आमतौर पर 2000 रुपए में आपको लाल चंदन के एक किलो बीज मिल जाएंगे। आप चाहें तो पास की नर्सरी से पौधे भी खरीद सकते हैं।
चंदन के पेड़ लाल मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है। इसके अलावा चट्टानी मिट्टी, पथरीली मिट्टी या चूनेदार मिट्टी में भी ये पेड़ उग जाता है। हालांकि, गीली मिट्टी और ज्यादा मिनरल्स वाली मिट्टी में ये पेड़ तेजी से नहीं उग पाता। अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है। पौधे बोने से पहले अच्छी और गहरी जुताई करनी जरूरी है। अगर आपके पास काफी जगह है तो एक खेत में 30 से 40 सेमी की दूरी पर चंदन के बीजों को बो दें। मानसून के पेड़ में ये पौधे तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन गर्मियों में इन्हें सींचाई की जरूरत है। चंदन के पेड़ को 5 से 50 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर वाले इलाके में लगाना सही माना जाता है। इसके लिए 7 से 8.5 पीएच वाली मिट्टी परफेक्ट होती है। एक एकड़ में औसत 400 पेड़ लगाए जा सकते हैं।
इन्वेस्टमेंट की बात करें, तो चंदन का एक पौधा 105-150 रु का पड़ता है। एक एकड़ जमीन में एवरेज 365 पेड़ लगाए जा सकते हैं। यानी 20 हजार का ये खर्चा। इसके अलावा 40 से 50 हजार रुपए खाद में भी खर्च होंगे। इसके बाद आपको 40 से 50 हजार रुपए जाली लगाने में खर्च करने होंगे, ताकि चंदन के पौधे सुरक्षित रहें। चंदन के पेड़ों का इंश्योरेंस भी करवाया जाता है, क्योंकि इन पेड़ों के चोरी का डर होता है। चोरी होने पर इंश्योरेंस कंपनी से आप पैसा ले सकेंगे। महंगा होने की वजह से इन पेड़ों की सुरक्षा भी जरूरी है, इसलिए अगर ज्यादा पेड़ लगा रहे हैं तो सिक्योरिटी के लिए कुछ लोग भी रख लें या फिर आप खुद भी इसकी देखरेख कर सकते हैं। इन सबके अलावा सिंचाई पर भी खर्च करना होगा।
चंदन लगाने के बाद 5वें साल से लकड़ी रसदार बनना शुरू हो जाती है। 12 से 15 साल के बीच यह बिकने के लिए तैयार हो जाता है। चंदन के पेड़ की जड़ से सुगंधित प्रोडक्ट्स बनते हैं। इसलिए पेड़ को काटने के बजाए जड़ से ही उखाड़ा जाता है। उखाड़ने के बाद इसे टुकड़ों में काटा जाता है। ऐसा करके रसदार लकड़ी को कर लिया जाता है। एवरेज कंडीशन में एक चंदन के पेड़ से करीब 40 किलो तक अच्छी लकड़ी निकल जाती है।
चन्दन की खेती करने से क्या फायदा होगा और चन्दन की खेती का लाइसेंस कहा से मिलेगा?
चन्दन ,महोगनी ,सागवान की खेती लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट है |
कहावत भी है ——दादा लगाता है और पोते मौज करते हैं|
एक एकड़ मैं भी चन्दन के पौधे लगाने की सोच रहा हूँ इसलिए ये जानकारी इकठ्ठी की थी जो आपके साथ साझा कर रहा हूँ |
मात्र एक एकड़ खेत में चार करोड़ अस्सी लाख रुपए तक की मोटी कमाई कराने वाली सफेद चंदन की खेती किसानों के लिए कामधेनु साबित हो रही है। इसकी खास तरह की खुशबू और इसके औषधीय गुणों के कारण भी इसकी पूरी दुनिया में भारी डिमांड है। इसकी एक किलो लकड़ी दस हजार रुपए तक में बिक रही है। इसी एक किलो लकड़ी की कीमत विदेशों में तो बीस से पचीस हजार रुपए तक है। गोरखपुर के किसान अविनाश कुमार का कहना है कि आने वाले कुछ वर्षों में सफेद चंदन का भाव आसमान छू सकता है।
अनेक दवाइयों में उपयोग एवं निरंतर घटती उपज के कारण इसकी मांग बढ़ रही है। इसकी विदेशों में भी निरंतर मांग है।
चंदन की खेती में सबसे मोटी कमाई है। मात्र अस्सी हजार से एक लाख रुपए लगाकर 60 लाख रुपए तक का मुनाफा हो रहा है।
अविनाश खेतों में लीक से हटकर कम लागत में ज्यादा मुनाफा ले रहे हैं। इस खेती में उन्होंने अपने साथ और भी किसानों को शामिल कर लिया है। मधुबनी (बिहार) के अविनाश पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद खेती-किसानी में लग गए हैं।
बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (आईआईएचआर) के वैज्ञानिकों ने उनको कई औषधीय पौधों की खेती के बारे में प्रशिक्षित किया है। सबसे पहले उन्होंने अपने दो एकड़ खेत में औषधीय फसल ब्राह्मी से ऐसी किसानी की शुरुआत की। बेचने पर सात कुंतल ब्राह्मी के अठारह हजार रुपए मिल गए। इसके बाद वह तुलसी, आंवला, कौंच, बच और शालपर्णी की भी खेती करने लगे। आज मधुबनी के अपने छौरही गांव में उनके खेत पर अर्जुन के पांच हजार पौधे लहलहा रहे हैं। पिछले साल उन्होंने दवा कंपनियों को अपनी औषधीय फसलें बेचकर बीस लाख रुपए कमाए हैं। वह विश्व बाजार में सक्रिय हैं। ऑस्ट्रेलिया तक से खरीददार उनके यहां आ रहे हैं।
सफेद चंदन किसानों के लिए धनवर्षा करने वाली कामधेनु साबित हो रहा है। मात्र एक लाख रुपए की लागत से साठ लाख रुपए तक की कमाई हो रही है। इसकी लकड़ी दस हजार रुपए किलो बिक रही है। पूरी दुनिया की दवा एवं सौंदर्य प्रसाधन निर्माता कंपनियों में भारी डिमांड के कारण इसका भाव आसमान छू रहा है।
सफेद चंदन का पेड़ पहाड़ी और रेगिस्तानी प्रदेशों में भी लगाया जा सकता है। राजस्थान के छीपाबड़ौद के किसान नवलकिशोर अहीर ने चंदन की खेती कर ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिससे कृषि विभाग भी हैरत में है।
लगभग एक साल पहले नवलकिशोर ने चंदन के 351 पौधे झालवाड़ नर्सरी के जरिए कर्नाटक से मंगवाए थे, जिसमें से कुछ पौधे नष्ट हो गए और बाकी बचे हुए पौधों की लंबाई अब दिनों दिन बढ़ रही है।
यह उसकी मेहनत और पत्नी के साथ का ही नतीजा था कि आज उनके पौधों की लंबाई छह इंच से बढ़कर पांच फीट हो गई है। गौरतलब है कि सफेद चंदन सदाबहार पेड़ है। इससे निकलने वाला तेल और लकड़ी दोनों ही औषधियां बनाने के काम आती हैं।
इसके अर्क को खान-पान में फ्लेवर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। साबुन, कॉस्मेटिक्स और पर्फ्यूम सफेद चंदन के तेल को खुशबू के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
अमूमन लोगों को लगता है कि चंदन की खेती अवैध है, जबकि ऐसा नहीं है।
केरल, कर्नाटक चंदन उत्पादन में अग्रणी
देश में चंदन की खेती के मुख्य राज्य केरल एवं कर्नाटक हैं। लेकिन अब अन्य राज्यों में भी इसके ट्रायल हो रहे हैं। केरल में चंदन का ऑयल कंटेंट चार फीसदी और कर्नाटक में तीन फीसदी है, जबकि इसके बाद पंजाब में 2.80 से तीन फीसदी, ओडिशा में ढाई फीसदी, महाराष्ट्र में दो फीसदी, मध्यप्रदेश में डेढ़ फीसदी और राजस्थान में डेढ़ फीसदी तक है।
स्पष्ट है कि पंजाब में चंदन की खेती की अपार संभावनाएं हैं और सूबा इसमें अग्रणी बन सकता है। चंदन की व्यावसायिक खेती कर पंजाब में भी ऑयल कंटेंट तीन फीसदी तक आसानी से लाया जा सकता है। रूटीन फसलें पैदा करने के साथ-साथ किसान अपने खेत के चारों तरफ की बट पर भी प्रति एकड़ अस्सी पेड़ लगाकर आमदनी बढ़ा सकता है।
चंदन के पौधे और चंदन की लकड़ी सफेद चंदन का पेड़ पहाड़ी और रेगिस्तानी प्रदेशों में भी लगाया जा सकता है। राजस्थान के छीपाबड़ौद के किसान नवलकिशोर अहीर ने चंदन की खेती कर ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिससे कृषि विभाग भी हैरत में है।
चन्दन की खेती के लिए कैसी मिट्टी की जरुरत है ?
इसकी खेती सभी तरह की मिटटी में हो सकता है लेकिन रेतीली मिटटी, चकनी मिटटी, लाल मिटटी , काली दानेदार मिट्टी चन्दन के पौधे की लिए ज्यादा उपयुक्त है | चन्दन की खेती वैसे जगह पर नहीं करे जहाँ पर पानी का जमाव होता है , बर्फ गिरती है, रेत भरी मिटटी है इसके अलवा तीव्र ठंड चन्दन के लिए उपयुक्त नहीं है | इसकी खेती काश्मीर के लाद्दक तथा राजस्थान के जैसलमेर में नहीं किया जा सकता है | बाकि पुरे देश में चन्दन की खेती की जा सकती है |
चन्दन की खेती कैसे करें ?
खेती के लिए मिट्टी के साथ पौधे का चुनाव करना महत्वपूर्ण रहता है | सफ़ेद चन्दन की 375 पौधे एक एकड़ खेत में लगाया जा सकता है | चन्दन की पौधों में ज्यादा पानी नहीं लगना चाहिए इसके लिए खेत में मेड बनाकर रोपाई करना चाहिए | इसके लिए मेड से मेड की दुरी 10 फुट होना चाहिए तथा मेड के ऊपर पौधे से पौधे की दुरी 12 फुट की होनी चाहिए |
पौधे कैसे लगायें
चन्दन की पेड़ अकेले नही लगाया जा सकता है अगर अकेले चन्दन का पेड़ लगाया गया तो यह सुख जयेगा | इसका कारण यह है की चन्दन अर्धपरजीवी पौधा है | मतलब आधा जीवन के लिए जरूरत खुद पूरा करता है तो आधे जरूरत के लिए दुसरे पौधे की जड़ों पर निर्भर रहता है इसलिए जब भी चन्दन की पेड़ लगाएं तो उसके साथ और भी पेड़ लगाएं |
एक बात का ख्याल रखना होगा की चन्दन के कुछ खास पौधे उसके साथ है जिसे लगाने पर ही चन्दन का विकास सम्भव है | जैसे – नीम, मीठी नीम, सहजन, लाल चंदा इत्यादी |
जैसा की पहले बताया जा चूका है की चन्दन की पौधे अकेले जीवित नही रह सकता है | इसके लिए दुसरे पेड़ का होना जरुरी है |
इसलिए एक एकड़ में 375 सफ़ेद चन्दन के पौधे लगाने के साथ ही 1125 चन्दन की होस्ट (साथी) पौधे को लगाना होगा | इसके लिए यह जानना जरुरी है की चन्दन की पोधे के साथ कौन – कौन से पौधे लगाना होगा यानि चन्दन की कौन – कौन सी पौधे साथी है |
एक एकड़ में चन्दन की पौधे के साथ उसके साथी पौधे को बोना चाहिए |
1-प्राथमिक साथी – 375
2-लाल चन्दन – 125
3- कैजुराइना – 125
4- देसी नीम – 125
5- सेकेंडरी होस्ट – 750
6- मीठी नीम – 375
7-सहजन – 375
खेती के लिए पौधे कहाँ से खरीदें ?
चन्दन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं | इसके लिए केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक संस्थान (institute of wood
science & technology) बेंगलोर में है | यहाँ से आप चन्दन की पौधे प्राप्त कर सकते हैं |
आप हमें
WhatsApp कर
सकते हैं 9414677357
चंदन की खेती अवैध नहीं है।
इसकी खेती करने वाले किसानों में एक भ्रांतियां रहती है की इसकी खेती करने के लिए सरकार से लाईसेंस लेने की जरुरत पड़ती है | किसान समाधान आप सभी किसान को आश्वस्त करना चाहता है की चन्दन की खेती के लिए किसी भी तरह का कोई लाईसेंस लेने की जरूरत नहीं है | केवल पेड़ की कटाई के समय राज्य वन विभग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होगा जो आसानी से मिल जाता है और यह सभी तरह के पौधे में काटने से पहले लेना होता है |
लाल चंदन - रक्त चंदन की खेती है सबसे महंगी ,देगी करोड़ों का मुनाफा
.लाल चन्दन एक ऐसा पेड़ है जिसकी लकड़ी भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता से जुडी हुई है | अगर बात हिन्दू धर्म में पूजा – पथ की हो तो और भी महत्व बढ़ जाता है | ऐसा कोई घर नहीं है जिसके पास चन्दन की लकड़ी नहीं है | इसकी महत्ता यहीं तक सिमित नहीं है बल्कि इसकी लकड़ी से औषधीय तथा सुगन्धित इत्र बनाया जाता है इसलिए इसकी मांग देश ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में मौजूद है | उत्पादन कम रहने के कारण लाल और सफेद चन्दन की लकड़ी की कीमत बहुत ज्यदा है |
वर्तमान समय में भारत में 7,000 से 8,000 टन प्रति वर्ष लकड़ी खपत है लेकिन उपलब्धता मात्र 100 टन तक ही है | जिसके कारण इसकी कीमत 15000 से लेकर 25000 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाती है|
पुरे विश्व में चन्दन की 16 प्रजातियाँ है | जिसमें सेंत्लम एल्बम प्रजातियाँ सबसे सुगन्धित तथा औषधीय युक्त है | इसके अलवा सफ़ेद चन्दन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद संडालो प्रजाति की चन्दन पायी जाती है |
लाल चन्दन की खेती के लिए कैसी मिट्टी की जरुरत है ?
इसकी खेती सभी तरह की मिटटी में हो सकता है लेकिन रेतीली मिटटी, चकनी मिटटी, लाल मिटटी , काली दानेदार मिट्टी चन्दन के पौधे की लिए ज्यादा उपयुक्त है | चन्दन की खेती वैसे जगह पर नहीं करे जहाँ पर पानी का जमाव होता है , बर्फ गिरती है, रेत भरी मिटटी है इसके अलवा तीव्र ठंड चन्दन के लिए उपयुक्त नहीं है | इसकी खेती काश्मीर के लाद्दक तथा राजस्थान के जैसलमेर में नहीं किया जा सकता है | बाकि पुरे देश में चन्दन की खेती की जा सकती है |
चन्दन की खेती कैसे करें ?
खेती के लिए मिट्टी के साथ पौधे का चुनाव करना महत्वपूर्ण रहता है | सफ़ेद चन्दन की 375 पौधे एक एकड़ खेत में लगाया जा सकता है | चन्दन की पौधों में ज्यादा पानी नहीं लगना चाहिए इसके लिए खेत में मेड बनाकर रोपाई करना चाहिए | इसके लिए मेड से मेड की दुरी 10 फुट होना चाहिए तथा मेड के ऊपर पौधे से पौधे की दुरी 12 फुट की होनी चाहिए |
सरकारी निर्देश के अनुसार चंदन का पेड़ 12 वर्ष से पहले नहीं काटा जा सकता .
12 वर्ष का चंदन का पेड़, लगभग 10 से 12 लाख में बिकता है। अगर आप 100 पौधे लगाते हैं तो कुल खर्च लगभग 10 से 12 हजार आता है। जबकि 12 वर्षों बाद यह पौधे लगभग 10 से 12 करोड़ में बिकेंगे. इतना मुनाफा किसी दूसरी फसल में नहीं होता।
लाल चंदन / सफेद चंदन
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