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शनिवार, 12 सितंबर 2020

महोगनी के वृक्ष से मालामाल हो रहे किसान

 

महोगनी के वृक्ष से मालामाल हो रहे किसान

ब्राजील, कनाड़ा, अमरीका जैसे देशों में होने वाले आयुर्वेद महत्व वाले अमेरिकी पेड़ 'मोहगनी' की खेती अगले कुछ वर्षो में भारत के किसानों को मालामाल करने वाली है।इसकी लकड़ी उच्च गुणवत्ता वाली है तथा इसे हाईवुड भी कहा जाता है। छह वर्ष के पेड़ बनने के बाद पेड़ पर फल भी आते है।

महोगनी वृक्ष एक तरह का पर्णपाती वृक्ष है. यह बाहर के बोलिज ( दक्षिण अमेरिका) और डोमिनिकन गणराज्य का राष्ट्रीय वृक्ष है. महोगनी वृक्ष की लकड़ी को चौकड़ा, फर्नीचर, और लकड़ी के अन्य नाव निर्माण के लिए काफी बेशकीमती होता है.

महोगनी के वृक्ष की पत्तियों में एक ख़ास गुण पाया जाता है. जिसके कारण इसके पेड़ के पास किसी भी तरह के मच्छर या कीट नही आते. इस कारण इसकी पत्तियों और बीज के तेल का इस्तेमाल मच्छर मारने वाली दवाइयों और कीटनाशकों को बनाने में किया जाता है. इसके अलावा इसके तेल का इस्तेमाल साबुन, पेंट, वार्निस और भी कई प्रकार की दवाइयों को बनाने में किया जाता है.

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इसका वृक्ष उन जगहों पर उगाया जाता है जहाँ तेज़ हवाओं का प्रकोप कम होता है. इसके पेड़ 40 से 200 फिट की लम्बाई के होते हैं. लेकिन भारत में 60 फिट के आसपास की लम्बाई के पाए जाते हैं. इसके वृक्ष की जड़ें ज्यादा गहराई में नही जाती हैं। यह बर्फीली चोटियों पर नहीं उगाया जा सकता, जहां बर्फ नहीं पड़ता हो वहां बढि़या होता है।

इसके पत्तों का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों में होता है. इसका पौधा पांच वर्षों में एक बार बीज देता है. इसके एक पौधे से पांच किलों तक बीज प्राप्त किए जा सकते है. इसके बीज की कीमत काफी ज्यादा होती है और यह एक हजार रूपए प्रतिकिलो तक बिकते है. अगर थोक की बात करें तो लकड़ी थोक में दो से 2200 रूपए प्रति घन फीट में आसानी से मिल जाती है.

उपयुक्त मिट्टी

महोगनी का वृक्ष जल भराव वाली भूमि को छोड़कर अन्य किसी भी प्रकार की उपजाऊ भूमि में लगाया जा सकता है. इसके वृक्ष को पथरीली मिट्टी में नही लगाया जा सकता. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान सामान्य होना चाहिए.

जलवायु और तापमान

महोगनी की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त होती है. इसके वृक्ष को ज्यादा बारिश की भी जरूरत नही होती. सामान्य मौसम में इसके पेड़ अच्छे से विकास करते हैं. शुरुआत में इसके पौधों को तेज़ गर्मी और सर्दी से बचाने की जरूरत होती है. सर्दियों में पड़ने वाला पाला इसके लिए उपयुक्त नही होता है.

किस्में

अभी तक इसकी 5 विदेशी कलमी किस्मों को ही उगाया जाता है. जिनमें क्यूबन, मैक्सिकन, अफ्रीकन, न्यूज़ीलैंड, और होन्डूरन किस्में शामिल हैं. ये सभी किस्में विदेशी हैं. इन सभी किस्मों के पौधों को उनकी उपज और बीजों की गुणवत्ता के आधार पर तैयार किया गया है. जिनकी लम्बाई 50 फिट से 200 फिट तक पाई जाती है.

महोगनी व्यापारिक रूप से एक बहुत ही कीमती वृक्ष है. महोगनी के पेड़ के लगभग सभी भागों का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी लकड़ी का इस्तेमाल जहाज़, फर्नीचर, प्लाईवुड, सजावट की चीजें और मूर्तियों को बनाने में किया जाता हैं. जबकि इसके बीज और फूलों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाइयों को बनाने में किया जाता है.

इसके पौधे को अंकुरित होने और विकास करने के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है. इसका पूर्ण विकसित वृक्ष सर्दियों में 15 और गर्मियों में 35 डिग्री तापमान पर भी अच्छे से विकास कर सकता है.

पौधे 5 से 7 फिट की दूरी रखते हुए 2 फिट चौड़ाई और दो फिट गहराई के गड्डे तैयार कर लें. इन गड्डों को तैयार करते वक्त ध्यान रखे कि इन गड्डों को पंक्तियों में तैयार करें. और प्रत्येक पंक्तियों के बीच तीन मीटर की दूरी होनी चाहिए. गड्डों को तैयार कर उनमें जैविक और रासायनिक खादों को मिट्टी में मिलाकर गड्डों में भर दें. उसके बाद गड्डों की गहरी सिंचाई कर उन्हें ढक दें.

पौध रोपाई का टाइम और तरीका

महोगनी के पौधे नर्सरी में भी तैयार कर सकते हैं. लेकिन इसमें बहुत ज्यादा टाइम और मेहनत लगती है. जिस कारण किसान भाइयों के लिए इसकी पौध खरीदकर लगाना सबसे उचित होता है. नर्सरी से हमेशा दो से तीन साल पुराने और अच्छे से विकास कर रहे पौधे को ही खरीदें.

पौध लगाने का तरीका

इसके पौधों को खेत में तैयार किये गए गड्डों में लगाया जाता है. इसके पौधों को गड्डों में लगाने से पहले खेत में तैयार किये गए गड्डों के बीचोंबीच एक और छोटा गड्डा तैयार कर लेना चाहिए. इस छोटे गड्डे में इसके पौधे को लगाकर उसे चारों तरफ से मिट्टी से दबा दें.

इसके पौधों को खेत में लगाने का सबसे उपयुक्त टाइम जून और जुलाई का महीना होता है. क्योंकि इस दौरान भारत में मानसून का दौर होता है. जिससे पौधों को विकास करने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता है. और इस दौरान बारिश के होने से पौधों को सिंचाई की भी जरूरत नही होती.

पौधे खेत के चारों तरफ लगाए जाएं, तो बेहतर रहते हैं। बीच में लगाने पर पौधे से पौधे की दूरी 5 से 8 फुट जबकी लाइन से लाइन की दूरी लगभग 3 मीटर रखें

पौधों की सिंचाई

महोगनी के पौधों को खेत में लगाने के बाद उन्हें शुरुआत में सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है. इस दौरान पौधों को गर्मियों में 5 से 7 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए. और सर्दियों में 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी देना उचित होता है. जबकि बारिश के वक्त इसके पेड़ों को पानी की जरूरत नही होती है. जैसे जैसे पौधे का विकास होता जाता है. वैसे वैसे ही पानी देने की दर घट जाती है. एक पूर्ण विकसित वृक्ष की साल में 5 से 6 सिंचाई काफी होती है.

उर्वरक की मात्रा

इसके वृक्ष को भी बाकी पेड़ों की तरह उर्वरक की जरूरत होती है. इसके लिए शुरुआत में गड्डों की भराई के वक्त 20 किलो गोबर की खाद और 80 ग्राम एन.पी.के. की मात्रा मिट्टी में मिलाकर दें. पौधों को उर्वरक की ये मात्रा लगभग चार साल तक देनी चाहिए. उसके बाद पौधों के विकास के साथ साथ उर्वरक की भी मात्रा को बढ़ा देना चाहिए. पूर्ण विकसित पौधे को 50 किलो जैविक और एक किलो रासायनिक खाद की मात्रा साल में तीन बार सिंचाई से पहले देनी चाहिए.

खरपतवार नियंत्रण

महोगनी के वृक्षों में खरपतवार नियंत्रण नीलाई गुड़ाई के माध्यम से की जाती है. इसके लिए शुरुआत में पौधों को खेत में लगाने के लगभग 20 दिन बाद उनकी पहली गुड़ाई कर जन्म लेने वाली खरपतवारों को निकाल देना चाहिए. उसके बाद जब भी पौधों के आसपास कोई खरपतवार नजर आयें तो उसे पौधों की गुड़ाई कर बहार निकाल देना चाहिए. और बारिश के मौसम के बाद पौधों के बीच खाली बची जमीन के सूखने के बाद उसकी जुताई कर देनी चाहिए.

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