
जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
यह ब्लॉग खोजें
मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012
कैसे मनायें 'मातृ-पितृ पूजन दिवस'?

नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
वेलेंनटाईंन डे ( १४ फ़रवरी )

नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
क्या भारत में सभी सरकारी स्कूल (विद्यालय) बन्द कर देना चाहिए ?
क्या भारत में सभी सरकारी स्कूल (विद्यालय) बन्द कर देना चाहिए ?आज भारत में जितने भी बड़े नेता/अधिकारी/सभी सरकारी शिक्षक हैं उन सभी के बच्चे या तो विदेशों में पड़ रहे हैं या प्राइवेट स्कूलों में ।
**************************************
आजकल सभी सरकारी शिक्षक(96%) अपने बच्चों को तो निजी विद्यालय (प्राइवेट स्कूल) में पड़ना चाहते है लेकिन नोकरी सरकारी स्कूल (विद्यालय)में करना चाहते है क्यूँ ?
आज सरकारी स्कूलों की जो हालत बद से बदतर होती जा रही हैं। किसी प्रेरणा या जवाबदेही के अभाव में सरकारी स्कूलों में शिक्षण इतना दयनीय हो गया है कि शहरी झुग्गी बस्तियों के कई गरीब मां-बाप भी अपने बच्चो को मुफ्त में सरकारी स्कूलों में पढाने की जगह फीस देकर निजी स्कूलो में पढाना बेहतर समझ रहे है।
कर्तव्य-निर्वाह न करने वाले शिक्षकों पर कार्यवाही की जाए।¦
सरकारी स्कूलों (विद्यालय) में निशुल्क पुस्तकों से लेकर, ड्रेस, मध्याह्न भोजन, साइकिल सहित अन्य प्रकार की सुविधा प्रदान कर रही है। लेकिन बच्चे हैं कि लोभ-दबाव में यदि नाम लिखा भी लिया तो शीघ्र ही उनका आना बंद होने लगा। आखिर क्यों?
सब प्राइवेट स्कूलों में चले गए और जाए भी क्यों नहीं साब सरकारी स्कूल का तो भटटा बैठ गया है बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से नहीं हो पा रही है।
क्या निजी स्कूल (विद्यालय)सरकारी स्कूलों से बेहतर हैं ? देश के विभिन्न भागों के शोधकर्ताओं ने यह साबित कर दिया है कि प्रति छात्र पर होने वाला खर्च सरकारी स्कूल की तुलना में कहीं कम है। एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि निजी और गैर -वित्तीय सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों का वेतन सरकारी स्कूलों की तुलना में 5-7 गुना कम है।निजी स्कूल बजट के हिसाब से भी सस्ते हैं।
सरकारी मतलब घोटाला, ग़ैर ज़िम्मेदारी, कोई जवाबदेही नहीं । कोई भी माँ- बाप अपने बच्चों को सरकारी स्कुल (विद्यालय)में नहीं भेजता, सब प्राइवेट स्कूलों (विद्यालय) कि तरफ भाग रहें है ।
अब सरकारी स्कूल में किसी अफ़सर, नेता, व्यापारी, उद्योगपति, डॉक्टर और ऐसे ही किसी ऐसे व्यक्ति के बच्चे नहीं पढ़ते जो उच्च या मध्यवर्ग में आते हैं। जो महंगे निजी स्कूल में नहीं जा सकते वो किसी सस्ते निजी स्कूल में जाते हैं, लेकिन सरकारी स्कूल में नहीं जाते । भारत में सरकारी स्कूलों की हालत हद से ज्यादा दयनीय है।भारत में सभी सरकारी स्कूल (विद्यालय) बन्द कर देना चाहिए
! जय हिन्द, जय भारत ! वन्दे मातरम !!
******************************
आजकल सभी सरकारी शिक्षक(96%) अपने बच्चों को तो निजी विद्यालय (प्राइवेट स्कूल) में पड़ना चाहते है लेकिन नोकरी सरकारी स्कूल (विद्यालय)में करना चाहते है क्यूँ ?
आज सरकारी स्कूलों की जो हालत बद से बदतर होती जा रही हैं। किसी प्रेरणा या जवाबदेही के अभाव में सरकारी स्कूलों में शिक्षण इतना दयनीय हो गया है कि शहरी झुग्गी बस्तियों के कई गरीब मां-बाप भी अपने बच्चो को मुफ्त में सरकारी स्कूलों में पढाने की जगह फीस देकर निजी स्कूलो में पढाना बेहतर समझ रहे है।
कर्तव्य-निर्वाह न करने वाले शिक्षकों पर कार्यवाही की जाए।¦
सरकारी स्कूलों (विद्यालय) में निशुल्क पुस्तकों से लेकर, ड्रेस, मध्याह्न भोजन, साइकिल सहित अन्य प्रकार की सुविधा प्रदान कर रही है। लेकिन बच्चे हैं कि लोभ-दबाव में यदि नाम लिखा भी लिया तो शीघ्र ही उनका आना बंद होने लगा। आखिर क्यों?
सब प्राइवेट स्कूलों में चले गए और जाए भी क्यों नहीं साब सरकारी स्कूल का तो भटटा बैठ गया है बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से नहीं हो पा रही है।
क्या निजी स्कूल (विद्यालय)सरकारी स्कूलों से बेहतर हैं ? देश के विभिन्न भागों के शोधकर्ताओं ने यह साबित कर दिया है कि प्रति छात्र पर होने वाला खर्च सरकारी स्कूल की तुलना में कहीं कम है। एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि निजी और गैर -वित्तीय सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों का वेतन सरकारी स्कूलों की तुलना में 5-7 गुना कम है।निजी स्कूल बजट के हिसाब से भी सस्ते हैं।
सरकारी मतलब घोटाला, ग़ैर ज़िम्मेदारी, कोई जवाबदेही नहीं । कोई भी माँ- बाप अपने बच्चों को सरकारी स्कुल (विद्यालय)में नहीं भेजता, सब प्राइवेट स्कूलों (विद्यालय) कि तरफ भाग रहें है ।
अब सरकारी स्कूल में किसी अफ़सर, नेता, व्यापारी, उद्योगपति, डॉक्टर और ऐसे ही किसी ऐसे व्यक्ति के बच्चे नहीं पढ़ते जो उच्च या मध्यवर्ग में आते हैं। जो महंगे निजी स्कूल में नहीं जा सकते वो किसी सस्ते निजी स्कूल में जाते हैं, लेकिन सरकारी स्कूल में नहीं जाते । भारत में सरकारी स्कूलों की हालत हद से ज्यादा दयनीय है।भारत में सभी सरकारी स्कूल (विद्यालय) बन्द कर देना चाहिए
! जय हिन्द, जय भारत ! वन्दे मातरम !!

नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
सोमवार, 23 जनवरी 2012
बजरंग बाण के बारे में कुछ विचार.......
बजरंग बाण के बारे में कुछ विचार.......
बजरंग बाण के बारे में कुछ विचार प्रचलित है कि इसका प्रयोग तभी करना चाहिए जब आप को और कोई भी उपाय नहीं समझ नहीं आ रहा हो और आप दुखों की पराकाष्ठा पार कर चुके हो...... क्योंकि इसमे श्री राम की सौगंध लगती है हनुमानजी को... .... क्या इसमे कुछ तथ्य है....????
एक वीतरागी सन्त महाराज ने बताया था कि बजरंग बाण के पाठ से कार्यसिद्धि तो हो जाती है परन्तु राम जी की दुहाई से हनुमान जी महाराज बहुत व्यथित होते हैँ, इसलिये इस पाठ को नहीँ करना चाहिये ।
सच्चा सेवक वही है जो अपने स्वामी को सँकोच में न डाले ।
सीता राम चरित अति पावन l मधुर सरस अरु अति मनभावन | |
जपहिं नामु जन आरत भारी । मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ।।
नाना भाँति राम अवतारा । रामायन सत कोटि अपारा ।।
रामचरितमानस मुनि भावन । बिरचेउ संभु सुहावन पावन ।।
बजरंग बाण :-
भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग.....
अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।
हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ। बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।
जप के प्रारम्भ में यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे। अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।
गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समयाभाव में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।
बजरंग बाण ध्यान.....
श्रीराम
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।
वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।
जै अंजनी कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।
ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।
हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।
हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।
जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।
जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।
जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।
जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।
जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।
राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।
विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।।
तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।
यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।
सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।
*****बोल बजरंग बली की जय*****
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----

चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----
1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग... करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."
2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."
3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "
4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."
7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."
8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."
9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."
10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."
11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."
12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."
13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है."
14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."
15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं ."
1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग... करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."
2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."
3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "
4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."
7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."
8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."
9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."
10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."
11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."
12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."
13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है."
14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."
15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं ."

चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----
1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग... करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."
2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."
3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "
4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."
7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."
8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."
9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."
10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."
11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."
12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."
13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है."
14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."
15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं ."
1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग... करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."
2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."
3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "
4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."
7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."
8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."
9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."
10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."
11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."
12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."
13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है."
14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."
15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं ."
1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग... करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."
2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."
3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "
4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."
7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."
8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."
9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."
10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."
11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."
12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."
13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है."
14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."
15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं ."
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
विशालकाय शिवलिंग
बन्दूक की गोली के समान इतने बड़े आकार में दिखने वाला ये चित्र एक सामान्य चित्र नहीं है| ये एक विशालकाय शिवलिंग है, ये चित्र १९०४ में बारामुला, जम्मू कश्मीर में किया गया था जो की ये दर्शाता है की यहाँ शिव उपसना का बड़ा केंद्र था| इतिहासकारों के अनुसार , चौथी शताव्दी के आसपास बारामुला से लेकर बजिरिस्तान(वर्तमान में पकिस्तान में) तक एक प्रसिद्ध शिव उपासक केंद्र रहा है| काफी संख्या में पुराने शिवलिंग अभी भी झेलम में पाए जाते है
ये चित्र (b/w) “A Vision of Splendour: Indian Heritage in the Photographs of Jean Philippe Vogel, 1901–1913 by Gerda Theuns-de Boer” से लिया गया है
वर्तमान में भी ये शिवलिंग उसी प्रकार वही स्थित है परन्तु ना तो वहा कोई श्रदालु है ना सरकारी या गैर सरकारी संस्था जो इसको सही रूप में स्थापित कर सके
जय भोले नाथ ..जय शिव शम्भू
ये चित्र (b/w) “A Vision of Splendour: Indian Heritage in the Photographs of Jean Philippe Vogel, 1901–1913 by Gerda Theuns-de Boer” से लिया गया है
वर्तमान में भी ये शिवलिंग उसी प्रकार वही स्थित है परन्तु ना तो वहा कोई श्रदालु है ना सरकारी या गैर सरकारी संस्था जो इसको सही रूप में स्थापित कर सके
जय भोले नाथ ..जय शिव शम्भू
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
रविवार, 22 जनवरी 2012
एक सैनिक की व्यथा ---
एक सैनिक की व्यथा ---
एक भारतीय सियाचिन सैनिक का अपनी दिवंगत माँ को लिखा खत-
प्रणाम माँ,
"माँ" बचपन में मैं जब भी रोते - रोते सो जाया करता था तो तू चुपके से मेरे सिरहाने खिलौने रख दिया करती थी और कहती थी की ऊपर से एक परी ने आकर रखा है और कह गई है की अगर मैं फिर कभी रोया तो खिलौने नहीं देगी! लेकिन इस मरते हुए देश का सैनिक बनके रो तो मैं आज भी रहा हूँ पर अब ना तू आती है और ना तेरी परी। परी क्या....... यहाँ ढाई हज़ार मीटर ऊपर तो परिंदा भी नहीं मिलता।
मात्र 14 हज़ार के लिए मुझे कड़े अनुशासन में रखा जाता है, लेकिन वो अनुशासन ना इन भ्रष्ट नेताओं के लिए है और ना इन मनमौजी देशवासियों के लिए।
रात भर जागते तो हम भी है लेकिन अपनी देश की सुरक्षा के लिए लेकिन वो जागते हैं तो
"लेट नाईट पार्टी" लिए।
इस -12 डिग्री में आग जला के अपने को गरम करते है लेकिन हमारे देश के नेता हमारे ही पोशाको, कवच, बन्दूको, गोलियों और जहाजों में घोटाले करके अपनी जेबे गरम करते है।
आतंकियों से मुठभेड़ में मरे हुए सैनिक की संख्या को न्यूज़ चैनल में नहीं दिखाया जाता लेकिन सचिन के शतक से पहले आउट हो जाने को देश में राष्टीय शोक की तरह दर्शाया जाता है।
हर चार-पांच सालो में हमे एक जगह से दूसरे जगह उठा के फेंक दिया जाता है लेकिन यह नेता लाख चोरी कर लें, बार बार उसी विधानसभा - संसद में पहुंचा दिए जाते है।
मैं किसी आतंकी को मार दूँ तो पूरी राजनीतिक पार्टियां वोट के लिए उसे बेकसूर बना के मुझे कसूरवार बनाने में लग जाती है लेकिन वो आये दिन अपने अपने भ्रष्टाचारो से देश को आये दिन मारते है, कितने ही लोग भूखे मरते है, कितने ही किसान आत्महत्या करते है, कितने ही बच्चे कुपोषण का शिकार होते है लेकिन उसके लिए इन नेताओं को जिम्मेवार नहीं ठहराया
जाता ?
आज अल्पसंख्यको के नाम पर आरक्षण बांटा जा रहा है लेकिन आज तक मरे हुए शहीद सैनिक की संख्या के आधार पर कभी किसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया ?
मैं दुखी हूँ इस मरे हुए संवेदनहीन देश का सैनिक बनके। यह हमे केवल याद करते है 26 जनवरी और 15 अगस्त को। बाकी दिन तो इनको शाहरुख़, सलमान, सचिन, युवराज की फ़िक्र रहती है।
हमारी स्थिति ठीक वैसे ही पागल किसान की तरह है जो अपने मरे हुए बैल पर भी कम्बल डाल के खुद ठंड में ठिठुरता रहता है।
मैंने गलती की इस देश का रक्षक बनके।
तू भगवान् के ज्यादा करीब है तो उनसे कह देना की अगले जनम मुझे अगर इस देश में पैदा करे तो सैनिक ना बनाए और अगर सैनिक बनाए तो इस देश में पैदा ना करे।
यहाँ केवल परिवारवाद चलता है, अभिनेता का बेटा ज़बरदस्ती अभिनेता बनता है और नेता का बेटा ज़बरदस्ती नेता।
प्रणाम-
लखन सिंह ( मरे हुए देश का जिन्दा सैनिक )
भारतीय सैनिक सियाचिन।

एक भारतीय सियाचिन सैनिक का अपनी दिवंगत माँ को लिखा खत-
प्रणाम माँ,
"माँ" बचपन में मैं जब भी रोते - रोते सो जाया करता था तो तू चुपके से मेरे सिरहाने खिलौने रख दिया करती थी और कहती थी की ऊपर से एक परी ने आकर रखा है और कह गई है की अगर मैं फिर कभी रोया तो खिलौने नहीं देगी! लेकिन इस मरते हुए देश का सैनिक बनके रो तो मैं आज भी रहा हूँ पर अब ना तू आती है और ना तेरी परी। परी क्या....... यहाँ ढाई हज़ार मीटर ऊपर तो परिंदा भी नहीं मिलता।
मात्र 14 हज़ार के लिए मुझे कड़े अनुशासन में रखा जाता है, लेकिन वो अनुशासन ना इन भ्रष्ट नेताओं के लिए है और ना इन मनमौजी देशवासियों के लिए।
रात भर जागते तो हम भी है लेकिन अपनी देश की सुरक्षा के लिए लेकिन वो जागते हैं तो
"लेट नाईट पार्टी" लिए।
इस -12 डिग्री में आग जला के अपने को गरम करते है लेकिन हमारे देश के नेता हमारे ही पोशाको, कवच, बन्दूको, गोलियों और जहाजों में घोटाले करके अपनी जेबे गरम करते है।
आतंकियों से मुठभेड़ में मरे हुए सैनिक की संख्या को न्यूज़ चैनल में नहीं दिखाया जाता लेकिन सचिन के शतक से पहले आउट हो जाने को देश में राष्टीय शोक की तरह दर्शाया जाता है।
हर चार-पांच सालो में हमे एक जगह से दूसरे जगह उठा के फेंक दिया जाता है लेकिन यह नेता लाख चोरी कर लें, बार बार उसी विधानसभा - संसद में पहुंचा दिए जाते है।
मैं किसी आतंकी को मार दूँ तो पूरी राजनीतिक पार्टियां वोट के लिए उसे बेकसूर बना के मुझे कसूरवार बनाने में लग जाती है लेकिन वो आये दिन अपने अपने भ्रष्टाचारो से देश को आये दिन मारते है, कितने ही लोग भूखे मरते है, कितने ही किसान आत्महत्या करते है, कितने ही बच्चे कुपोषण का शिकार होते है लेकिन उसके लिए इन नेताओं को जिम्मेवार नहीं ठहराया
जाता ?
आज अल्पसंख्यको के नाम पर आरक्षण बांटा जा रहा है लेकिन आज तक मरे हुए शहीद सैनिक की संख्या के आधार पर कभी किसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया ?
मैं दुखी हूँ इस मरे हुए संवेदनहीन देश का सैनिक बनके। यह हमे केवल याद करते है 26 जनवरी और 15 अगस्त को। बाकी दिन तो इनको शाहरुख़, सलमान, सचिन, युवराज की फ़िक्र रहती है।
हमारी स्थिति ठीक वैसे ही पागल किसान की तरह है जो अपने मरे हुए बैल पर भी कम्बल डाल के खुद ठंड में ठिठुरता रहता है।
मैंने गलती की इस देश का रक्षक बनके।
तू भगवान् के ज्यादा करीब है तो उनसे कह देना की अगले जनम मुझे अगर इस देश में पैदा करे तो सैनिक ना बनाए और अगर सैनिक बनाए तो इस देश में पैदा ना करे।
यहाँ केवल परिवारवाद चलता है, अभिनेता का बेटा ज़बरदस्ती अभिनेता बनता है और नेता का बेटा ज़बरदस्ती नेता।
प्रणाम-
लखन सिंह ( मरे हुए देश का जिन्दा सैनिक )
भारतीय सैनिक सियाचिन।
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
रविवार, 15 जनवरी 2012
सूर्य मकर संक्रान्ति : 15 जनवरी, 2012 को......
सूर्य मकर संक्रान्ति : 15 जनवरी, 2012 को......
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l
मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l
17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l
इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l
मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l 17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l

आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l
मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l
17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l
इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l
मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l 17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l
मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l
17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l
इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l
मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
रविवार, 8 जनवरी 2012
सेल्समेन
एक
लड़के को सेल्समेन के इंटरव्यू में इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उसे
अंग्रेजी नहीं आती थी। लड़के को अपने आप पर पूरा भरोसा था । उसने मैनेजर से
कहा कि आपको अंग्रेजी से क्या मतलब ? यदि मैं अंग्रेजी वालों से ज्यादा
बिक्री न करके दिखा दूं तो मुझे तनख्वाह मत दीजिएगा।
मैनेजर को उस लड़के बात जम गई। उसे नौकरी पर रख लिया गया।
फिर क्या था, अगले दिन से ही दुकान की बिक्री पहले से ज्यादा बढ़ गई। एक ही सप्ताह के अंदर लड़के ने तीन गुना ज्यादा माल बेचकर दिखाया।
स्टोर के मालिक को जब पता चला कि एक नए सेल्समेन की वजह से बिक्री इतनी
ज्यादा बढ़ गई है तो वह खुद को रोक न सका । फौरन उस लड़के से मिलने के लिए
स्टोर पर पहुंचा। लड़का उस वक्त एक ग्राहक को मछली पकड़ने का कांटा बेच रहा
था। मालिक थोड़ी दूर पर खड़ा होकर देखने लगा।
लड़के ने कांटा बेच दिया।
ग्राहक ने कीमत पूछी। लड़के ने कहा – 800 रु. । यह कहकर लड़के ने ग्राहक के
जूतों की ओर देखा और बोला – सर, इतने मंहगे जूते पहनकर मछली पकड़ने जाएंगे
क्या ? खराब हो जाएंगे। एक काम कीजिए, एक जोड़ी सस्ते जूते और ले लीजिए।
ग्राहक ने जूते भी खरीद लिए। अब लड़का बोला – तालाब किनारे धूप में बैठना
पड़ेगा। एक टोपी भी ले लीजिए। ग्राहक ने टोपी भी खरीद ली। अब लड़का बोला –
मछली पकड़ने में पता नहीं कितना समय लगेगा। कुछ खाने पीने का सामान भी साथ
ले जाएंगे तो बेहतर होगा। ग्राहक ने बिस्किट, नमकीन, पानी की बोतलें भी
खरीद लीं।
अब लड़का बोला – मछली पकड़ लेंगे तो घर कैसे लाएंगे। एक
बॉस्केट भी खरीद लीजिए। ग्राहक ने वह भी खरीद ली। कुल 2500 रु. का सामान
लेकर ग्राहक चलता बना।
मालिक यह नजारा देखकर बहुत खुश हुआ । उसने
लड़के को बुलाया और कहा – तुम तो कमाल के आदमी हो यार ! जो आदमी केवल मछली
पकड़ने का कांटा खरीदने आया था उसे इतना सारा सामान बेच दिया ?
लड़का बोला – कांटा खरीदने ? अरे वह आदमी तो केयर फ्री सेनिटरी पैक खरीदने
आया था । मैंने उससे कहा अब चार दिन तू घर में बैठा बैठा क्या करेगा । जा
के मछली पकड़ ……
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
function disabled
Old Post from Sanwariya
- ► 2024 (358)
- ► 2023 (420)
- ► 2022 (477)
- ► 2021 (536)
- ► 2020 (341)
- ► 2019 (179)
- ► 2018 (220)
- ► 2012 (671)