यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

वेलेंनटाईंन डे ( १४ फ़रवरी )

वेलेंनटाईंन डे ( १४ फ़रवरी ) हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है , मेरी समझ में आज तक यह नहीं आया की आखिर साल के ३६५ दिनों में सिर्फ एक दिन ही प्यार करने का क्या तुक है , और बाकी के ३६४ दिन किस लिए बनाये गए हैं , क्या रोने और कलपने के लिए.....????? प्रेम के कई रूप हैं, विभिन्न रिश्ते के साथ विभिन्न नाम। सत्य, निष्ठा, आस्था, भरोसा सब है, लेकिन लादा गया समझौता नहीं है प्रेम। प्यार एक रूहानी रिश्ता है, मगर आज के ज्यादातर लड़के-लड़कियों ने जिस्मानी रिश्ते को प्यार की संज्ञा देकर राख से पवित्र रिश्ते को अपवित्र कर दिया। प्यार में अहसास का होना लाजमी है, जब तक अहसास है तब तक प्यार है, नहीं तो प्यार केवल जिस्मानी रिश्ते तक सीमित होकर दम तोड़ देगा। भारत में वेलेंटाइन डे केवल प्रेमियों के साथ प्यार का इजहार शब्द से जुड़ा हुआ है। प्यार शब्द इस देश में केवल लगता है मोहब्बत से ही है जबकि प्यार की विभिन परिभाषाएँ हैं। इसे केवल प्रेमियों के साथ अधिक क्यों जोड़ रखा हैं....? बिना प्रेम के तो जीवन ही बेकार और नीरस हो जायेगा . इस लिए भारतीय परिप्रेक्ष्य में जहाँ जीवन का सार ही प्रेम हो , वंहा साल के ३६५ दिनों में से सिर्फ एक दिन १४ फ़रवरी को प्रेम दिवस का नाम देना सिवाय अन्धानुकरण के अलावा और कुछ नहीं है. इस लिए पूरे साल , हर पल प्रेम , स्नेह को एक दूसरे से साझा कीजिये , और भारतीय संस्कृति के अनुसार अपने माता , पिता , भाई बहन और बजुर्गों को प्यार दीजिये और लीजिये . प्यार का मतलब सिर्फ प्रेमी – प्रेमिका के बीच का प्यार नहीं है , इसे सर्वंगीण और समग्र रूप से देखे जाने की ज़रूरत है ________ "प्रेमदिवस मनाओ, अपने माता-पिता का सम्मान करो और माता-पिता बच्चों को स्नेह करें" "करोगे न बेटे ऐसा..............?????" सुन री राधा प्यारी इस राह को तो बस तू, जान से प्यारी______________ मासूम सी मोहब्बत का बस इतना सा फ़साना है कागज की हवेली है , बारिश का ज़माना है क्या शर्त -ए -मोहब्बत है , क्या शर्त -ए -ज़माना है आवाज़ भी जख्मी है और वो गीत भी गाना है उस पार उतरने की उम्मीद बहुत कम है कश्ती भी पुरानी है , तूफ़ान भी आना है समझे या न समझे वो अंदाज़ -ए -मोहब्बत का भीगी हुई आँखों से एक शेर सुनाना है भोली सी अदा , कोई फिर इश्क की जिद पर है फिर आग का दरिया है और डूब ही जाना है ये इश्क नहीं आसां , इतना तो समझ लीजिये एक आग का दरिया है , और डूब के जाना है __________________
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya