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रविवार, 18 नवंबर 2012

रासायनिक एवं आयुर्वेदिक साबुन : गुणवत्ता एवं उपयोग

रासायनिक एवं आयुर्वेदिक साबुन : गुणवत्ता एवं उपयोग
हमारे दैनिक उपयोग में आने वाला एक महत्वपूर्ण उत्पाद है साबुनI साबुन रासायनिक और आयुर्वेदिक/हर्बल दो प्रकार के होते हैंIसामन्यता हम टेलीविजन पर आने वाले विज्ञापनों को देख कर दैनिक उपयोग में आने वाले साबुन का चुनाव करते हैंI
आइये एक दृष्टि डाले साबुन के बनाने की प्रक्रिया और साबुन के महत्त्वपूर्ण घटकों पर I साबुन बनाने की प्रक्रिया में ३ महत्त्वपूर्

ण घटक वसीय अम्ल ,कास्टिक सोडा और पानी होते हैंI

वसीय अम्ल या (FATTY ACID ) : वसीय अम्ल का मुख्य स्रोत नारियल जैतून या ताड़ के पेड़ होते हैं, इसे जानवरों की चर्बी से भी निकाला जाता है,जिसे टालो(TALLOW ) कहते हैं जो की बूचड़खाने से मिलता हैIटालो से निकले जाना वसीय अम्ल अपेक्षाकृत सस्ता होता हैIइस वसीय अम्ल(FATTY ACID ) से सोडियम लौरेल सल्फेट(SLS ) का निर्माण होता है जो झाग बनाने में प्रयुक्त होता हैI
यदि आप शाकाहारी हैं तो अपने साबुन के रैपर पर ध्यान से देखें की कही छोटे अक्षरों में (TALLOW ) तो नहीं लिखा हैIसाबुन के वर्गीकरण से पहले हमे एक महत्त्वपूर्ण शब्द TFM के बारे में जान ले जो सामन्यतया हर साबुन के पैकेट के पीछे लिखा मिल जायेगा.."TFM " का मतलब TOTAL FATTY MATRIAL होता है जो की साबुन का वर्गीकरण और गुणवत्ता का निर्धारण करता है.. जितना ज्यादा TFM का प्रतिशत होगा साबुन की गुणवत्ता उतनी ही अच्छी होगीI
इस आधार पर हम सामान्यतया रासायनिक साबुन साबुन को ३ भागो में वर्गीकृत कर सकते हैं:कार्बोलिक साबुन, ट्वायलेट साबुन,और नहाने का साबुन या बाथिंग बारI

१ कार्बोलिक साबुन (CARBOLIC SOAP ) :GRADE 3 SOAP : इस साबुन में TFM का प्रतिशत ५०% से ६०% तक होता है.और यह साबुन सबसे घटिया दर्जे का साबुन होता हैIइसमें फिनायल की कुछ मात्रा होती है जो सामन्यतया फर्श या जानवरों के शारीर में लगे कीड़े मारने के लिए प्रयुक्त किया जाता हैIयूरोपीय देशों में इसे एनिमल सोप या जानवरों के नहाने का साबुन भी कहते हैंIभारत में इस श्रेणी का साबुन लाइफबॉय हैI

२ ट्वायलेट साबुन :GRADE 2 SOAP : यह गुणवत्ता के आधार पर दूसरे दर्जे का साबुन होता हैIट्वायलेट सोप का उपयोग सामन्यतया शौच इत्यादि के बाद हाथ धोने के लिए होता हैIइसमें ६५ से ७८% TFM होता है.,इससे इस्तेमाल से त्वचा पर होने वाली हानि कार्बोलिक साबुन की अपेक्षा कम होती हैIभारत में इस श्रेणी का साबुन लक्स,लिरिल डिटोल और हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड के अन्य कई उत्पाद हैI

३ नहाने का साबुन या बाथिंग बार.: GRADE 1 SOAP : गुणवत्ता के आधार पर सर्वोत्तम साबुन है तथा इसका उपयोग स्नान के लिए किया जाता हैIइस साबुन में TFM की मात्रा ७६% से अधिक होती हैI
इस साबुन के रसायनों से त्वचा पर होने वाली हानि न्यूनतम होती है. निरमा साबुन या कुछ कंपनिया ही कम मात्रा में ये उत्पाद बनाती हैI

साबुन में झाग के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन सोडियम लारेल सल्फेट से त्वचा की कोशिकाएं शुष्क हो जाती हैं और कोशिकाओं के मृत होने की संभावना रहती है.यह आँखों के लए अत्यंत हानिकारक है नहाते समय साबुन यदि आँखों में चला जाये तो इसी रसायन के असर से हमे तीव्र जलन का अनुभव होता है,त्वचा पर खुजली और दाद की संभावना होती है.



ये सारे प्रकार हुए रासायनिक साबुन के अतः कोई भी रासायनिक साबुन त्वचा के लिए लाभदायक नहीं है कम हानि के लिए साबुन के रैपर पर TFM की मात्रा ७६% से अधिक देखकर लेIये साबुन नहाने का साबुन या बाथिंग बार की श्रेणी में आते हैं बाकी के सभी साबुन या तो जानवरों के नहालने के लिए प्रयोग होने वाले हैं या शौचालय से आने के बाद हाथ धोने के लिएI

हर्बल और आयुर्वेदिक साबुन: ये एक अन्य प्रकार साबुन है जो लगभग पूर्ण रूप से रसायनों से रहित(CHEMICAL FREE ) होता हैIइसको बनाने में मुख्य रूप से भारत में पैदा होने वाले तथा घरों में इस्तेमाल होने वाले सौन्दर्य प्रसाधन होते हैं जो की निम्नलिखित हैI

१ हल्दी : बैक्टीरिया से बचाव ,दाद पैदा करने वाले फफूंद (FUNGAL) से बचाव,त्वचा के दानो से बचाव I
२ नीम : बैक्टीरिया से बचाव ,दाद पैदा करने वाले फफूंद (FUNGAL ) से बचाव ,त्वचा के दानो से बचाव I
३ तुलसी : त्वचा एवं चेहरे में प्राकृतिक चमक लेन के लिए उपयोगीI
३ घृतकुमारी :इसे त्वचा पर लगाने पर त्वचा स्वस्थ रहती है व झुर्रियां नहीं पड़ती I
४ आंवला : अनेको औषधीय गुण.त्वचा को तैलीय बनाये रखता है I
५ गिलोय :त्वचा के विकारो को ख़त्म करता है I
६ चन्दन : moisturizer त्वचा की शुष्कता को ख़तम करता है और त्वचा नम रहती हैI
७ नारियल का तेल- moisturizer त्वचा की शुष्कता को ख़तम करता है और त्वचा नम रहती है I
८ बादाम: त्वचा को प्रोटीन देता है I
इन सब के अलावा कुछ एक और औषधियां उत्पादक की गुणवत्ता नीति के अनुसार मिलायी जाती हैIविको,कान्ति,ओजस आदि कई आयुर्वेदिक साबुन बाज़ार में उपलब्ध हैंI

हिन्दुस्थान में इन पदार्थों का उपयोग हजारो वर्षों से त्वचा और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए किया जा रहा हैIयूरोप और पश्चिमी देशों में जलवायु के कारण हल्दी,नीम,तुलसी,चन्दन,बादाम,नारियल की उपलब्धता नहीं के बराबर है इसलिए उन जगहों पर रासायनिक साबुन(CHEMICAL SOAP) का इस्तेमाल शुरू हुआIधीरे धीरे रासायनिक साबुन में भी अतिहनिकारक grade -२ और grade -३ के साबुन हमारे दैनिक जीवन में आ गए और हम हमेशा की तरह गुलाम मानसिकता को दिखाते हुए उनके यहाँ कुत्तों के नहलाने वाले साबुन से नहा कर गीत गाते हैं की "लाइफब्वाय है जहाँ तंदुरुस्ती है वहां"Iआज हम आजाद हैं ,मगर हमने खुद को शिक्षित कहने वाले लोगों ने खुद को आजादी के बाद भी यूरोपियन कुत्तों के के इस्तेमाल के लिए बने उत्पादों का खुद पर प्रयोग करके खुद को उन्नत मानते हैंIउपरोक्त वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर हर्बल और आयुर्वेदिक साबुन इस्तेमाल करना शरीर और त्वचा के लिए हर प्रकार से लाभदायक और बिना किसीपार्श्व प्रभाव(SIDE EFFECT ) के हैIयदि इन वैज्ञानिक तथ्यों को जानने के बाद भी कोई रासायनिक साबुन का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए करना चाहता है की वो किसी सुन्दर अभिनेत्री के अर्धनग्न शरीर को टेलीविजन पर प्रसारित कर बेचा जा रहा है तो कृपया TFM का प्रतिशत रैपर के पीछे देखकर ये निश्चित कर ले की कही विज्ञापनों को देख कर आप कही ट्वायलेट में इस्तेमाल होने वाले साबुन से स्नान तो नहीं कर रहे??या आपका साबुन आप के नहाने के लिए है या कुत्तों के नहाने के लिए ??

ध्यान लगाने से सर्दी और बुखार रहते हैं दूर-अध्ययन

ध्यान लगाने से सर्दी और बुखार रहते हैं दूर-अध्ययन
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि सर्दी के मौसम में होने वाले सर्दी और बुखार को रोकने के लिए ध्यान लगाना बहुत प्रभावी सिद्ध हो सकता है।

विस्कंसिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, जो वयस्क ध्यान लगाते थे या फिर चलने-फिरने जैसा हल्का व्यायाम करते थे, वे आठ सप्ताह तक उन लोगों के मुकाबले सर्दी से कम पीड़ित रहे, जो ऐसा कुछ भी नहीं करते थे।
पिछले अध्ययन में पाया गया था कि ध्यान लगाने से मूड में सुधार और तनाव में कमी होने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है।

ध्यान लगाने के बारे में जिक्र हिंदू वेदों में मिलता है। पांचवीं से छठी शताब्दियों के दौरान ध्यान लगाने के अन्य तरीके ताओ चीन और बौद्ध भारत में विकसित हुए।

डेली मेल की खबर के अनुसार, इस नए अध्ययन ने 149 लोगों को तीन समूहों में बांटा था। एक समूह ने सचेत ध्यान लगाया। यह ऐसा ध्यान है जिसमें दिमाग को वर्तमान पर केंद्रित किया जाता है।

दूसरे समूह ने आठ सप्ताह तक लगातार दौड़ लगाई जबकि तीसरे समूह ने कुछ भी नहीं किया।

शोधकर्ता सितंबर से मई तक इन लोगों के स्वास्थ्य की जांच करते रहे। हालांकि उन्होंने यह जांच नहीं की कि क्या ये लोग आठ सप्ताह के समय के बाद भी व्यायाम व ध्यान कर रहे हैं या नहीं।

इन लोगों में जुकाम, घुटन, गले में खराश, छींक जैसे सर्दी और बुखार के लक्षणों की जांच की गई।

इकट्ठे किए गए नमूनों का विश्लेषण लक्षण शुरू होने के तीन दिन बाद किया गया। अध्ययन में पाया गया कि ध्यान लगाने वालों ने कुछ न करने वालों की तुलना में 76 प्रतिशत कम छुट्टियां लीं। जबकि व्यायाम करने वालों ने इस दौरान 48 प्रतिशत कम छुट्टियां लीं।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि सचेत ध्यान के जरिए सांस संबंधी संक्रमणों की अवधि को 50 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है और व्यायाम से इसे 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

यह अध्ययन एन्नाल्स ऑफ फैमिली मेडिसिन में प्रकाशित किया गया था

कम उम्र में गंजेपन के कुछ प्रमुख कारण - उपाय

आजकल कम उम्र में ही युवाओं के बाल तेजी से झडऩे की समस्या अब आम हो चली है। झड़े हुए बालों की जगह नए बाल नहीं आ पाते हैं। इसी कारण कई लोग गंजेपन का शिकार हो जाते हैं। बाल झड़ने का मुख्य कारण रोमकुप का बंद होकर सिर की त्वचा सपाट हो जाना है। वैसे बाल गिरने का कोई विशेष कारण नहीं होता हैं लेकिन रक्त विकार, किसी विष का सेवन कर लेने, उपदंश (गर्मी), दाद, एक्जिमा आदि कम उम्र में गंजेपन के कुछ प्रमुख कारण माने गए हैं। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो यहां कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जो बहुत कारगर सिद्ध हुए हैं।

हरे धनिए का लेप लगाने से बाल आने लगते हैं।

केले के गूदे को नींबू के रस में पीस लें और लगाएं, इससे लाभ होता है।

अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।

नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। पिसा हुआ नमक, काली मिर्च एक-एक चम्मच और नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर लगाने से बाल आने लगते हैं।

अगर किसी जगह से बाल उड़ जाए तो गंजेपन वाली जगह पर नींबू रगड़ते रहने से बाल दुबारा आने लगते हैं।

प्याज का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते हैं।

बालों में नीम का तेल लगाने से भी राहत मिलती है।

लहसुन का खाने में अधिक प्रयोग करें।

उड़द की दाल उबाल कर पीस लें और सोते समय सिर पर लेप लगाएं ।

कैंसर भगाए तुलसी और पुदीना

कैंसर भगाए तुलसी और पुदीना

राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम से जुड़े एक शोधकर्ता चिकित्सक ने कहा है कि भारतीय जनजीवन में प्राचीन समय से ही लोकप्रिय रहे तुलसी और पुदीना कैंसर जैसे गंभीर रोगो से लडने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।

डॉ. नरेश पुरोहित ने इस बारे में किए गए शोध के आधार पर बताया कि तुलसी और पुदीना के पौधे कैंसररोधी गुणों से भरपूर है।

उन्होंने बताया कि शोध के दौरान त्वचा कैंसर ग्रस्त चूहों को दो समूहों में विभाजित कर एक पर रासायनिक लेप और दूसरे समूह के चूहों पर तुलसी व पुदीना का लेप लगाया गया गया।

ग्यारह महीने बाद देखा गया तो रासायनिक लेप वाले समूह के चूहों की तुलना में तुलसी व पुदीना के लेप वाले समूह के चूहों की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ गई थी। इसके पूर्व त्वचा कैंसर पर पुदीना एवं तुलसी के असर का अध्ययन भी किया गया था।

डॉ. पुरोहित ने अपने शोध में निष्कर्ष निकाला कि जिन चूहों को पुदीना एवं तुलसी का लेप नियमित तौर पर लगाया गया, उनकी कैंसर से लड़ने की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ गई।

उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति को कैंसर तब होता है, जब शरीर में पाए जाने वाले फ्री रेडिकल किसी कोशिका की आनुवांशिक बनावट को असंतुलित बना देते हैं।

अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है।

ज्यादा टी.वी. देखने लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने या अन्य कारणों से अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी।

सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें।

नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।

बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।

त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
ज्यादा टी.वी. देखने लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने या अन्य कारणों से अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी।

सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें।

नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।

बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।

त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

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