ध्यान लगाने से सर्दी और बुखार रहते हैं दूर-अध्ययन
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि सर्दी के मौसम में होने वाले सर्दी और बुखार को रोकने के लिए ध्यान लगाना बहुत प्रभावी सिद्ध हो सकता है।
विस्कंसिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, जो वयस्क ध्यान लगाते थे या फिर चलने-फिरने जैसा हल्का व्यायाम करते थे, वे आठ सप्ताह तक उन लोगों के मुकाबले सर्दी से कम पीड़ित रहे, जो ऐसा कुछ भी नहीं करते थे।
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि सर्दी के मौसम में होने वाले सर्दी और बुखार को रोकने के लिए ध्यान लगाना बहुत प्रभावी सिद्ध हो सकता है।
विस्कंसिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, जो वयस्क ध्यान लगाते थे या फिर चलने-फिरने जैसा हल्का व्यायाम करते थे, वे आठ सप्ताह तक उन लोगों के मुकाबले सर्दी से कम पीड़ित रहे, जो ऐसा कुछ भी नहीं करते थे।
पिछले अध्ययन में पाया गया था कि ध्यान लगाने से मूड में सुधार और तनाव में कमी होने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है।
ध्यान लगाने के बारे में जिक्र हिंदू वेदों में मिलता है। पांचवीं से छठी शताब्दियों के दौरान ध्यान लगाने के अन्य तरीके ताओ चीन और बौद्ध भारत में विकसित हुए।
डेली मेल की खबर के अनुसार, इस नए अध्ययन ने 149 लोगों को तीन समूहों में बांटा था। एक समूह ने सचेत ध्यान लगाया। यह ऐसा ध्यान है जिसमें दिमाग को वर्तमान पर केंद्रित किया जाता है।
दूसरे समूह ने आठ सप्ताह तक लगातार दौड़ लगाई जबकि तीसरे समूह ने कुछ भी नहीं किया।
शोधकर्ता सितंबर से मई तक इन लोगों के स्वास्थ्य की जांच करते रहे। हालांकि उन्होंने यह जांच नहीं की कि क्या ये लोग आठ सप्ताह के समय के बाद भी व्यायाम व ध्यान कर रहे हैं या नहीं।
इन लोगों में जुकाम, घुटन, गले में खराश, छींक जैसे सर्दी और बुखार के लक्षणों की जांच की गई।
इकट्ठे किए गए नमूनों का विश्लेषण लक्षण शुरू होने के तीन दिन बाद किया गया। अध्ययन में पाया गया कि ध्यान लगाने वालों ने कुछ न करने वालों की तुलना में 76 प्रतिशत कम छुट्टियां लीं। जबकि व्यायाम करने वालों ने इस दौरान 48 प्रतिशत कम छुट्टियां लीं।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि सचेत ध्यान के जरिए सांस संबंधी संक्रमणों की अवधि को 50 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है और व्यायाम से इसे 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
यह अध्ययन एन्नाल्स ऑफ फैमिली मेडिसिन में प्रकाशित किया गया था
ध्यान लगाने के बारे में जिक्र हिंदू वेदों में मिलता है। पांचवीं से छठी शताब्दियों के दौरान ध्यान लगाने के अन्य तरीके ताओ चीन और बौद्ध भारत में विकसित हुए।
डेली मेल की खबर के अनुसार, इस नए अध्ययन ने 149 लोगों को तीन समूहों में बांटा था। एक समूह ने सचेत ध्यान लगाया। यह ऐसा ध्यान है जिसमें दिमाग को वर्तमान पर केंद्रित किया जाता है।
दूसरे समूह ने आठ सप्ताह तक लगातार दौड़ लगाई जबकि तीसरे समूह ने कुछ भी नहीं किया।
शोधकर्ता सितंबर से मई तक इन लोगों के स्वास्थ्य की जांच करते रहे। हालांकि उन्होंने यह जांच नहीं की कि क्या ये लोग आठ सप्ताह के समय के बाद भी व्यायाम व ध्यान कर रहे हैं या नहीं।
इन लोगों में जुकाम, घुटन, गले में खराश, छींक जैसे सर्दी और बुखार के लक्षणों की जांच की गई।
इकट्ठे किए गए नमूनों का विश्लेषण लक्षण शुरू होने के तीन दिन बाद किया गया। अध्ययन में पाया गया कि ध्यान लगाने वालों ने कुछ न करने वालों की तुलना में 76 प्रतिशत कम छुट्टियां लीं। जबकि व्यायाम करने वालों ने इस दौरान 48 प्रतिशत कम छुट्टियां लीं।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि सचेत ध्यान के जरिए सांस संबंधी संक्रमणों की अवधि को 50 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है और व्यायाम से इसे 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
यह अध्ययन एन्नाल्स ऑफ फैमिली मेडिसिन में प्रकाशित किया गया था
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