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रविवार, 14 अक्टूबर 2018

राजधानी दिल्ली में 7 नवंबर, 1966 को क्या हुआ था?

खतरनाक पोस्ट.. वोट के लिए हिंदू बनने वालों के लिए...

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार श्री मनमोहन शर्माजी के वॉल से...

राजधानी दिल्ली में 7 नवंबर, 1966 को क्या हुआ था? इस बाबत जितना लोग बताते हैं, उससे अधिक छुपा लेते हैं। मनमोहन शर्मा एक रिपोर्टर के तौर पर गो-भक्तों की उस रैली को कवर कर रहे थे। यहां पढ़ें कि उस दिन उन्होंने क्या देखा था-
मुझे खबर मिली कि दिल्ली में सात-आठ जगहों पर गोलियां चली हैं। गोल डाकखाना पर गोली चलने की खबर मिली। के. कामराज के घर पर गोली चली। विंडसर प्लेस पर गोलियां चलीं। ऐसी कई जगहें थीं। करीब दो घंटे तक दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर गोलियां चलती रहीं। अनौपचारिक तौर पर यह बताया गया था कि करीब 11 हजार राउंड गोलियां चलाई गई हैं। यह भी पता चला कि गोलियां चलने से 2700 से 2800 लोगों की जान गई थी।

वह दृश्य भूला नहीं हूं। सुबह आठ बजे होंगे। लोग संसद के सामने इकट्ठा होने लगे थे। घंटे भर बाद ही एक विशाल जनसमूह वहां एकत्र हो चुका था। कहीं से भक्ति-संगीत की आवाजें आ रही थी, तो कोई गीता के श्लोक गा रहा था। यूं समझ लीजिए कि पूरा वातावरण भक्ति-मय था।

संसद के ठीक समाने एक विशाल मंच बना था। मंच पर करीब ढाई सौ लोग बैठे थे। चारो पीठों के शंकराचार्य मंच पर थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख लोग वहां थे। स्वयं करपात्री महाराज थे। आर्य समाजी और नामधारी समाज के प्रमुख लोग भी वहां मौजूद थे। आखिर कौन नहीं था! यहां सभी के नाम को क्या गिनाना है, कुल मिलाकर कहूं तो उस दिन मंच पर विराट हिन्दू समाज प्रकट हुआ था।

मंच से भाषण का सिलसिला चल रहा था। दूसरी तरफ धार्मिक-गीत गाते-बजाते जत्थे आते जा रहे थे। बच्चे, बुढ़े, महिलाएं सभी उन जत्थों में शामिल थे। कई महिलाओं की गोद में तो दूध पीते बच्चे थे। चूंकि मामला आस्था से जुड़ा था तो लोग भाव-भक्ति में डूबे चले आ रहे थे।

करीब पांच लाख लोग दिल्ली के बाहर से आए हुए थे। वे दिल्ली में जगह-जगह बिखरे हुए थे। सात नवंबर की सुबह अचानक संसद के सामने वह जन-सैलाब प्रकट हुआ। इन आंदोलनकारियों के हाथों में झंडे भी थे। लेकिन, वह झंडा किसी पार्टी या संगठन का नहीं था, बल्कि उन झंडों में गो-माता के चित्र प्रमुखता से दिखाई दे रहे थे। कुल मिलाकर दोपहर ग्यारह बजे तक सब कुछ अपनी गति और लय में चल रहा था। गुरुजी का भाषण समाप्त हो चुका था। कई अन्य लोग भी अपनी बात रख चुके थे।

अचानक अफवाह फैली कि कुछ लोगों ने के. कामराज के घर पर हमला कर दिया है। फिर ट्रांसपोर्ट भवन के सामने कुछ वाहनों में आग लगाने की खबर आई। यह भी देखा गया कि साधु समाज के कुछ लोगों ने संसद भवन के भीतर प्रवेश करने की कोशिश की। उस वक्त इन पंक्तियों का लेखक स्वयं संसद के प्रेस कक्ष में मौजूद था।
मैं खबरें प्राप्त करने की कोशिश कर रहा था। तभी मेहताजी (संसद भवन के प्रमुख कर्मचारी) भागे-भागे वहां आए। उन्होंने मुझसे कहा- “शर्मा जी साधुओं पर गोलियां चल रही हैं। आप यहां बैठे हैं!” उन्हें जवाब देते हुए मैंने कहा – “नहीं, गोली नहीं चल रही होगी। आंसू गैस छोड़े जा रहे होंगे।”हमारे बीच इतनी बात हुई थी कि दो अन्य व्यक्ति वहां आए और कहने लगे- “बाहर गोलियां चल रही हैं।”

उनकी बातें सुनकर मैं चौंका। तेजी से बाहर निकला। वहां मैंने देखा कि आंसू गैस का धुंआ चारों तरफ फैला हुआ है। वह इतना घना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। गोलियां चल रही थीं। चारो तरफ कोहराम मचा था। कुल मिलाकर वह दृश्य भयावह था।

तत्काल मैं लौटकर वापस आया। तभी संसद के गेट पर हमारी भेंट गुलजारी लाल नंदाजी से हो गई। तब वे गृहमंत्री थे। चूंकि, उस करुण दृश्य को देखकर मैं भावुक हो उठा था, तो नंदाजी को देखकर मैं खुद को रोक न सका। मैं फट पड़ा। मैंने उनसे पूछा- “नंदाजी, इस दृश्य को देखकर क्या आपको शर्म नहीं आ रही है? आप निहत्थे गौ-भक्तों पर गोलियां चलवा रहे हैं।”

मुझे याद नहीं है कि तब गुस्से में मैंने उनसे क्या-क्या कहा था। हां, जवाब में नंदाजी ने कहा था- “सुनो, मैंने गोली चलाने के कोई आदेश नहीं दिए हैं। किसके आदेश से गोली चली है? यह मेरी जानकारी में नहीं है। इस घटना ने मुझे बहुत दुखी किया है।”

खैर, नंदाजी से बातचीत के बाद मैंने रूमाल भिगोकर चेहरे पर लपेटा और संसद परिसर से बाहर निकला। वहां से पटेल चौक आया। रास्ते में हर तरफ शव पड़े हुए थे। इतने खून बह रहे थे कि मेरा जूता खून से पूरी तरह लथपथ हो गया था। चारो तरफ से लोगों के कराहने की आवाज आ रही थी।

इसी दौरान मुझे खबर मिली कि दिल्ली में सात-आठ जगहों पर गोलियां चली हैं। गोल डाकखाना पर गोली चलने की खबर मिली। के. कामराज के घर पर गोली चली। विंडसर प्लेस पर गोलियां चलीं। ऐसी कई जगहें थीं। करीब दो घंटे तक दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर गोलियां चलती रहीं।

मुझे अनौपचारिक तौर पर यह बताया गया था कि करीब 11 हजार राउंड गोलियां चलाई गई हैं। सूत्रों से यह भी पता चला कि गोलियां चलने से 2700 से 3088 लोगों की जान गई थी।

पूरी खोज-खबर लेने के बाद मैं अपने दफ्तार पहुंचा। उन दिनों हमारा दफ्तर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ कनॉट प्लेस में था। मन व्यथित था, लेकिन खबर तो बनाना ही था, सो मैं खबर बनाने लगे। तभी मुझे सूचना मिली कि दिल्ली के चार अस्पतालों में उन शवों को रखा गया है, जिनमें एक विलिंगटन अस्पताल था। इसे हम आजकल राम मनोहर लोहिया अस्पताल के नाम से जानते हैं।

ज्यों ही मुझे खबर मिली, मैं वहां पहुंच गया। अस्पताल के बाहर सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा था। लेकिन एक कर्मचारी कुछ पैसे लेकर मुझे उन जगहों पर ले गया, जहां शव रखे थे। मैंने शवों को गिनना शुरू किया तो कुल 374 शव थे, जिनमें आठ महिलाएं के और 40-45 बच्चों के शव थे। वे सभी दूध पीते बच्चे थे।

मेरा अनुमान लगाया कि गोली चलने के बाद भगदड़ मची तो वे बच्चे कुचले गए होंगे। उन बच्चों के शरीर पर इसके ही जख्म थे। फिर मैं इरविन हॉस्पीटल (एलएनजेपी) आया। वहां सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त थी कि शवों को गिनने का अवसर नहीं मिला। तब तक दिल्ली में सेना को तैनात कर दिया गया था। उन्हें सख्त निर्देश थे कि किसी को भीतर न आने दिया जाए। सेना ने उन सभी स्थानों को कब्जे में कर रखा था, जहां-जहां गोलियां चली थीं।

वापस दफ्तर लौट आया। तब तक भारत सरकार का एक निर्देश-पत्र भी दफ्तर पहुंच चुका था। सरकार की तरफ से सभी एजेंसियों व अखबारों को एक निर्देश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था उन्हें वही छापना है, जो सरकार की प्रेस-विज्ञप्ति में लिखा है। उस विज्ञप्ति में लिखा था- “गोली चलने से 16 लोग मरे।” उस दिन मैंने भी अपनी रिपोर्ट फाइल की, लेकिन हमें निर्देश था कि सरकार की विज्ञप्ति को ही खबर बनाया जाए। सरकार ने जो प्रेस विज्ञप्ति भेजी थी, उसे ही एजेंसियों ने चलाया। अखबारों में भी वही खबर छपी।

उस वक्त एक अन्य महत्वपूर्ण जानकारी मुझे मिली। वह यह कि आईबी ने रिपोर्ट दी थी कि यदि जरूरत पड़ने पर दिल्ली पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिए गए तो संभव है कि वह गोली न चलाए। दिल्ली पुलिस साधु-संतों पर गोली चलाने से इनकार कर सकती है।

आईबी की इस सूचना के बाद ही जम्मू-कश्मीर मलेशिया पुलिस को खास तौर पर दिल्ली में तैनात किया गया था। इसमें ज्यादातर अन्य संप्रदाय के लोग थे। जब गोली चलाने के आदेश दिए गए तो इस दल के सुरक्षाकर्मियों ने समझ-बूझकर गो-भक्तों को जान से माने के लिए गोलियां चलाईं। उन्हें डराने या भगाने के लिए गोलियां नहीं चलाई गईं।

इस बात को मैं इसलिए दावे के साथ कहा रहा हूं, क्योंकि अधिकतर लोगों के शरीर पर जख्म के निशान कमर से ऊपर थे। जबकि, अक्सर कमर से नीचे गोली चलाने के आदेश होते हैं।

चार दिनों तक दिल्ली में कर्फ्यू लगा रहा। बाहर से आए आंदोलनकारियों को सेना के जवान बसों, ट्रकों में बिठाकर दिल्ली से बाहर जहां-तहां छोड़ने में जुटे रहे। पूरी क्षमता के साथ सेना ने अपना दो दिन इसी काम में लगाया। चूंकि यह डर बना हुआ था कि जिन गो-भक्तों ने अपनी आंखों के सामने लोगों को मरते देखा है, कहीं वे भड़क न जाएं। उनके गुस्से से बचने का यही रास्ता सरकार ने निकाला।

मैं जितनी जानकारियां इकट्ठा कर पाया, उसके आधार पर कह सकता हूं कि उस आंदोलन से सरकार हिल गई थी, इसलिए सरकार में शामिल कुछ षड्यंत्रकारी लोगों ने आंदोलन को बदनाम करने और उसे बल पूर्वक दबाने के लिए एक साजिश रची थी।

अगर कोई जांच आयोग गठित होता तो निश्चित तौर पर यह सच सामने आता। मेरे पास इस बात की पक्की जानकारी थी कि कांग्रेसी सांसद शशि भूषण वाजपेयी ने अपने गुंडों को लगाकर हिंसा भड़काई थी। हिंसक वारदातों को अंजाम देने के लिए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गुंडे बुलाए गए थे।

घटना के तीन दिन बाद गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा ने कहा, “मैं साधुओं का खून अपने सिर पर नहीं ले सकता।” उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

(मनमोहन शर्मा)

ये जो ME TOO कम्पैन चल रहा है इसे हल्के में मत लीजिये #metoo #me_too

ये जो ME TOO कम्पैन चल रहा है इसे हल्के में मत लीजिये - उस व्यक्ति के आला दिमाग की दाद दीजिये जिसके हरामी मष्तिष्क से ये निकला है कि कुछ बूढी होती कोठे की मौसियों का भी वापस बाजार भाव बढ़ा दिया है - ऊपर से खतरनाक पक्ष क्या है -समझे आप? जो कलम राष्ट्रवादिता के समर्थन में लिखेगी उसका चरित्र हनन किया जाएगा -ये सीधे थ्रेट हैं - ब्लैकमेल है।

अब इस कैम्पेन से थोड़ा डरिये भी और इसका तोड़ भी सोचिये , क्योंकि बहुतो की कलम खामोश हो जाएगी। बहुतो की पत्नियाँ समझदार नहीं निकलेंगी और परिवार तबाह कर बैठेंगी - पुरुष मूर्खो की तरह खड़ा रह जाएगा। और जो ये चूकी हुई नगर वधुऐं मी-टू कैम्पेन चला रही है

जिनकी बाज़ारी कीमत ५ रुपया भी नहीं है - इनको कोर्ट में घसीटने की तैयारी कीजिये - लड़िये पलट वार कीजिये इन वेश्याओं पर - इनको नारी होने लाभ मत लेने दीजिये -- याद रखिये ''ताड़का - शूर्पणखा-- पूतना '' भी नारियाँ ही थी, जिन्हे मारने मे ईश्वर ने भी देर न लगाई.

हालीवुड और विदेशों का चलन #meetoo का भसड़ अब भारत भी आ गया ..लेकिन निशाने पर कौन है ये सोचिये....

एमजे अकबर 13 सालो तक नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के सबसे बड़े आलोचक थे ।। मोदी के खिलाफ खूब जहर उगलते थे । तब उन पर किसी भी महिला ने कोई आरोप नही लगाया .. लेकिन जैसे ही वो मोटा भाई के आबे जमजम से पवित्र हो गए और केंद्रीय मंत्री बन गए तो अब चुनावी वर्ष में 5 महिला पत्रकार उनके ऊपर आरोप लगा रही हैं कि उन्होंने कई बार उन्हें गलत तरीके से छुआ था

मतलब जब इन महिलाओं को छुआ था तब उन्हें नहीं पता चला कि उन्हें सही तरीके से छुआ जा रहा है कि गलत तरीके से लेकिन 20 साल 25 साल बाद अचानक इन महिलाओं को याद आने लगा फलाने ने उन्हें गलत तरीके से छुआ था

अब नाना पाटेकर और विवेक अग्निहोत्री जैसे लोगों को देख लीजिए यह लोग ट्विटर पर और दूसरे माध्यमों में वामपंथियों को जमकर लतियाते हैं उनके खिलाफ अचानक दो तीन महिलाएं सामने आती हैं और कहती है 25 साल पहले मेरे साथ ही उन्होंने गलत व्यवहार किया था

यह एक नया ट्रेंड जो बेहद खतरनाक है अब 20 साल पहले या 25 साल पहले ना तो कोई सुबूत बचा होगा ना ही कोई ऐसा गवाह बचा बचा होगा फिर अब आरोप लगाकर वह भी ट्विटर पर या फेसबुक पर वह महिला क्या हासिल करना चाहती है

एक और ट्रेंड मैंने देखा है कि ज्यादातर वही महिलाएं आरोप लगा रही है या तो जिनका घर टूट चुका है या जो वक्त की मार से बेहद मोटी और कुरूप हो चुकी है और ऐसे पुरुषों पर आरोप लगा रही हैं जो अब शांत सुखी दांपत्य जीवन बिता रहे हैं

#MeeTo #MeTo #MeeToo #MeToo
पुरुषों के लिए #YouTo #WeTo जैसी केम्पेन चलानी चाहिए , माचिस की तीली बगैर माचिस के मसाला लगे सिरे पर रगड़ें नही जलती ?
इन्हें तीन चार शादी किये आमिर ,शाहरुख , जावेद भी नही दिखेंगे ,या 300 के साथ सोने की घोषणा करने वाले  संजय दत्त या महेश भट्ट या कोई और
#मीटू #यूटू #वीटू #WeTo #YouTo
संजय दत्त ने ख़ुलासा किया था कि वह तीन सौ लड़कियों के साथ सो चुका है। आश्चर्य है कि इस बात पर कोई महिलावादी आगे नहीं आया/आयी और न संजय दत्त को धिक्कार भेजा।
इससे सिद्ध होता है कि यह अभियान शुद्ध राजनैतिक साजिश है, और कुछ नहीं।
चुंबक वाले इमरान हाशमी भी बेदाग। 😳 ऐश्वर्या राय को पीटने वाले सलमान पर भी आरोप नहीं और ना शाहरूख खान के लड़के पर, जिसका mms दुनिया में घूमा।
Cambridge Analitica..... New plan against bjp supporters..... I think so

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

आज का पंचांग 11 october 2018

.                 *।। ॐ  ।।*
     🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द........................5120
विक्रम संवत्.......................2075
शक संवत्..........................1940
मास................................आश्विन
पक्ष...................................शुक्ल
तिथी................................तृतीया
दुसरे दिन प्रातः 05.28 पर्यंत पश्चात चतुर्थी
रवि............................दक्षिणायन
सूर्योदय.................06.21.53 पर
सूर्यास्त..................06.05.45 पर
सूर्य राशि...........................कन्या
चन्द्र राशि...........................तुला
नक्षत्र...............................स्वाति
प्रातः 10.27 पर्यंत पश्चात विशाखा
योग............................विषकुम्भ
प्रातः 09.54 पर्यंत पश्चात प्रीती
करण..............................तैतिल
संध्या 05.47 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु.................................शरद
दिन...............................गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
11 अक्तूबर सन 2018 ईस्वी ।

⚜ *ब्रह्मचारिणी पूजन (द्वितीय दिवस) :-*
भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया। मांदुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं। पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा -हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 01.40 से 03.07 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
दक्षिणदिशा -
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक.................2
🔯 शुभ रंग................पीला

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 06.24 से 07.51 तक शुभ
प्रात: 10.45 से 12.12 तक चंचल
दोप. 12.12 से 01.39 तक लाभ
दोप. 01.39 से 03.06 तक अमृत
सायं 04.33 से 06.00 तक शुभ
सायं 06.00 से 07.33 तक अमृत
रात्रि 07.33 से 09.06 तक चंचल |

📿 *आज का मंत्र* :-
|| ॐ ब्रह्मचारिन्ये नमः ||

📢 *सुभाषितम्* :-
संगः सत्सु विधीयतां
भगवतो भक्ति: दृढाऽऽधीयतां,
शान्त्यादिः परिचीयतां
दृढतरं कर्माशु संत्यज्यताम्।
सद्विद्वानुपसृप्यतां प्रतिदिनं
तत्पादुका सेव्यतां,
ब्रह्मैकाक्षरमर्थ्यतां
श्रुतिशिरोवाक्यं समाकर्ण्यताम्॥२॥
अर्थात :-
सज्जनों का साथ करें, प्रभु में भक्ति को दृढ़ करें, शांति आदि गुणों का सेवन करें, कठोर कर्मों का परित्याग करें, सत्य को जानने वाले विद्वानों की शरण लें, प्रतिदिन उनकी चरण पादुकाओं की पूजा करें, ब्रह्म के एक अक्षर वाले नाम ॐ के अर्थ पर विचार करें, उपनिषदों के महावाक्यों को सुनें ॥२॥

🍃 *आरोग्यं* :-
*दाढ़ी के सफेद बालों का घरेलू उपचार -*

*4. विटामिन बी12 -*
यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने भोजन पर ध्यान दें। बालों के भूरे रंग को रोकने के लिए विटामिन बी12 एक महत्वपूर्ण घटक है। यदि आपको लगता है कि आपको पर्याप्त विटामिन बी12 नहीं मिल रहा है, तो आप विटामिन बी कॉम्प्लेक्स सप्लीमेंट्स पर भी विचार कर सकते हैं।

⚜ *आज का राशिफल* :-

🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बाहरी-भीतरी मतभेद समाप्त होने से प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न लें। भाइयों से सहयोग मिलेगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
पुराना रोग उभर सकता है। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। बुद्धि का प्रयोग लाभ में वृद्धि करेगा। दूसरों की जवाबदारी न लें।

👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। बुद्धि व ज्ञान की वृद्धि होगी। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। बड़ों की बात मानें, लाभ होगा। अच्छी खबर मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। वरिष्ठ जन सहयोग करेंगे। जोखिम न लें। आलस्य रहेगा।

🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
शोक समाचार मिल सकता है। दौड़धूप अधिक होगी। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। घर-बाहर तनाव रहेगा। शांति बनाए रखें। अधिक प्रयास करने से लाभ होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। मेहनत का फल मिलेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। आय में वृद्धि होगी। कोई बड़ी समस्या का हल मिलेगा। मित्र व संबंधी सहयोग करेंगे। घर के बड़ों की चिंता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। संतान पक्ष तरक्की करेगा।

👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
भूले-बिसरे मित्र व संब‍ंधियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। दूसरों के काम की जवाबदारी न लें। प्रयास भरपूर करें, लाभ होगा। वरिष्ठजनों से मेल-मुलाकात होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।

⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
लाभ के अवसर हाथ आएंगे। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। यात्रा से लाभ होगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम उठाने व जल्दबाजी करने से बचें। अतिउत्साह हानि देगा। विवाद न करें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
सुख के साधनों पर अतिव्यय हो सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। बोलचाल में हल्की मजाक न करें। घर-बाहर तनाव रह सकता है। कार्यकुशलता में कमी रहेगी। कोई बड़ी गलती हो सकती है। अपरिचितों पर विश्वास न करें।

🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
रुका हुआ धन मिल सकता है। भाइयों व पार्टनर से सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। भाग्य अनुकूल है। समय का लाभ लें। रोजगार में वृद्धि होगी। परिवार में कोई मंगल कार्य हो सकता है। प्रसन्नता रहेगी। अपेक्षित कार्य पूर्ण होंगे।

🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
कार्यस्थल पर सुधार होगा। योजना फलीभूत होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। मतभेद समाप्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कार्य में प्रगति होगी। दूसरों से अपेक्षा न करें। अज्ञात भय सताएगा। विरोधी पस्त होंगे। प्रमाद न करें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
तं‍त्र-मंत्र में रुचि रहेगी। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। ऐश्वर्य पर व्यय होगा। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा।

🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
विवाद को बढ़ावा न दें। उत्तेजना पर नियंत्रण आवश्यक है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। घर में अशांति रहेगी। कुसंगति से बचें। वस्तुएं संभालकर रखें। कोई बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है, धैर्य रखें।

☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।

।। *शुभम भवतु* ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय*  🚩🚩

बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

10 अक्टूबर 2018 बुधवार से नवरात्रि प्रारंभ

नवरात्र प्रारंभ, घट-स्थापन, चन्द्रदर्शन, द्वितीया क्षय तिथि*
 *विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
   

 *नवरात्रि पूजन विधि* 
➡ *10 अक्टूबर 2018 बुधवार से नवरात्रि प्रारंभ ।*
 *नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरुप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रातःकाल  शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके माँ भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है।*
➡ *कलश / घट स्थापना विधि*
 *घट स्थापना शुभ मुहूर्त (सुरत) :*
*10 अक्टूबर  2018, 06:35 से 07:25 के बीच*
*(प्रतिपदा तिथि के विद्यमान रहते द्विस्वभाव लग्न को प्राथमिकता दी गयी है, दिन बुधवार होने के कारण अभिजीत मुहूर्त अनुपस्थित है, चौघड़िया को ध्यान में रखा है, राहुकाल से बचाव किया गया है)*
 *देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश / घट की स्थापना की जाती है। घट स्थापना करना अर्थात नवरात्रि की कालावधि में ब्रह्मांड में कार्यरत शक्ति तत्त्व का घट में आवाहन कर उसे कार्यरत करना । कार्यरत शक्ति तत्त्व के कारण वास्तु में विद्यमान कष्टदायक तरंगें समूल नष्ट हो जाती हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।*
 *सामग्री:*
 *जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र*
 *जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी*
 *पात्र में बोने के लिए जौ*
 *घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश (“हैमो वा राजतस्ताम्रो मृण्मयो वापि ह्यव्रणः” अर्थात 'कलश' सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का छेद रहित और सुदृढ़ उत्तम माना गया है । वह मङ्गलकार्योंमें मङ्गलकारी होता है )*
 *कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल*
 *मोली (Sacred Thread)*
 *इत्र*
 *साबुत सुपारी*
 *दूर्वा*
 *कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के*
 *पंचरत्न*
 *अशोक या आम के 5 पत्ते*
 *कलश ढकने के लिए ढक्कन*
 *ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल*
 *पानी वाला नारियल*
 *नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा*
 *फूल माला*
 *विधि*
 *सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब एक परत जौ की बिछाएं। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब फिर एक परत जौ की बिछाएं। जौ के बीच चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मोली बाँध दें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। अब कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल डालें। कलश में थोडा सा इत्र दाल दें। कलश में पंचरत्न डालें। कलश में कुछ सिक्के रख दें। कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें। ढक्कन में चावल भर दें। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार “पञ्चपल्लवसंयुक्तं वेदमन्त्रैः सुसंस्कृतम्। सुतीर्थजलसम्पूर्णं हेमरत्नैः समन्वितम्॥” अर्थात कलश पंचपल्लवयुक्त, वैदिक मन्त्रों से भली भाँति संस्कृत, उत्तम तीर्थ के जल से पूर्ण और सुवर्ण तथा पंचरत्न मई होना चाहिए।*
 *नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मौली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रखें। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है: “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्ध्वस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीकेलं”। अर्थात् नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है।नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे। ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है।*
 *अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। "हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इसमें पधारें।" अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें। कलश को इत्र समर्पित करें।*
 *कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है।*
 *नवरात्रि के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं ओर रखना चाहिए। उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। मूर्ति के अभाव में नवार्णमन्त्र युक्त यन्त्र को स्थापित करें। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ानी चाहिए। माँ दुर्गा से प्रार्थना करें "हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिये।" उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए। उसके बाद धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।*
 *नवरात्रि में नौ दिन मां भगवती का व्रत रखने का तथा प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व है। हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है। सभी कष्टों से छुटकारा दिलाता है।*
 *नवरात्रि के प्रथम दिन ही अखंड ज्योत जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है। दीपक के नीचे "चावल" रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा "सप्तधान्य" रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते है*
 *माता की पूजा "लाल रंग के कम्बल" के आसन पर बैठकर करना उत्तम माना गया है*
 *नवरात्रि के प्रतिदिन माता रानी को फूलों का हार चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन घी का दीपक (माता के पूजन हेतु सोने, चाँदी, कांसे के दीपक का उपयोग उत्तम होता है) जलाकर माँ भगवती को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। मान भगवती को इत्र/अत्तर विशेष प्रिय है।*
 *नवरात्रि के प्रतिदिन कंडे की धुनी जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कर्पूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा जरूर अर्पित करना चाहिए।*
 *लक्ष्मी प्राप्ति के लिए नवरात्रि  में  पान और  गुलाब की ७ पंखुरियां रखें तथा मां भगवती को अर्पित कर दें*
 *मां दुर्गा को प्रतिदिन विशेष भोग लगाया जाता है। किस दिन किस चीज़ का भोग लगाना है ये हम विस्तार में आगे बताएँगे।*
 *प्रतिदिन कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार “एकैकां पूजयेत् कन्यामेकवृद्ध्या तथैव च। द्विगुणं त्रिगुणं वापि प्रत्येकं नवकन्तु वा॥” अर्थात नित्य ही एक कुमारी का पूजन करें अथवा प्रतिदिन एक-एक-कुमारी की संख्या के वृद्धिक्रम से पूजन करें अथवा प्रतिदिन दुगुने-तिगुने के वृद्धिक्रम से और या तो प्रत्येक दिन नौ कुमारी कन्याओं का पूजन करें।  किस दिन क्या सामग्री गिफ्ट देनी चाहिए ये भी आगे बताएँगे।*
 *यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि  पर्यन्त प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ हैं तो उसे अष्टमी तिथि को विशेष रूप से अवश्य पूजा करनी चाहिए।  प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंश करने वाली महाभयानक भगवती भद्रकाली करोङों योगिनियों सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थीं।*

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