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गुरुवार, 7 मई 2020

#Corona संकट प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए बहुत बड़ा सबक लेकर आया है

#Corona संकट प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए बहुत बड़ा सबक लेकर आया है :-
यह मानकर चलिए कि नौकरी 50 की उम्र तक ही रहेगी ज्यादा से ज्यादा 55 मान लो अगर उसके बाद भी जॉब रहे तो ये आपकी खुशकिस्मती है लेकिन वर्तमान का खर्च और भविष्य की प्लानिंग 50 साल की उम्र के हिसाब से ही करें | मतलब अगर आप 25 साल की उम्र से कमाना शुरू करते हैं और 55 की उम्र तक आपके पास 30 वर्ष कमाई करने के रहेंगे मतलब आप की बचत करने के लिए आपके पास 30 वर्षों का समय है इन 30 वर्ष के बाद रिटायरमेंट के समय आपको जितने रुपए की आवश्यकता पड़ेगी उसका इंतजाम इन्हीं 30 वर्षों में करना है इसके लिए  प्रतिवर्ष एक अनुशासित बचत प्लान में आने वाले वर्षों में गारंटीड मैच्योरिटी अथवा पेंशन प्लान में निवेश करना जरूरी होता है आपकी आज की उम्र के हिसाब से आप पता कर सकते हैं कि 55 की उम्र से पहले आपके पास कितने वर्ष बचे हैं इतने वर्षों में आपको आपकी रिटायरमेंट अथवा पेंशन प्लान का प्रबंध आवश्यक रूप से करना चाहिए नौकरी के साथ आवश्यक बचत अनिवार्य है

2- इस गलतफहमी में मत रहिए कि मुझे काम आता है इसलिए मैं कंपनी के लिए Indispensable हूं क्योंकि आप कंपनी के लिए उतने ही ज़रूरी हैं जितना 'OKay' शब्द में 'AY' जरूरी है, किसी कर्मचारी के जाने से कंपनी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता, कंपनी के लिए आप कितने उपयोगी हैं यह बहुत हद तक आपके बॉस के नज़रिए पर ही निर्भर करता है |

3- (इसकी पालना करनी ज़रा मुश्किल है, पर बात है पते की) बॉस को गाली देने से कभी कोई फायदा नहीं होता, यकीन मानिए बॉस होना आसान नहीं होता क्योंकि दबाव बहुत ज़्यादा होता है, बॉस को भी 24 घंटे कंपनी के बारे में ही सोचना होता है और उसकी भी व्यक्तिगत ज़िन्दगी उतने ही दबाव में होती है जितनी की उसके मातहतों और सहयोगियों की |

4- बचत ज़रूर करिए; नौकरी शुरू होने के साथ ही बचत और निवेश करना भी शुरू करें, याद रखें कि निवेश सिर्फ शेयर मार्केट में नहीं होता बल्कि सेफ ऑप्शन जैसे aditya birla ka  Guaranteed maturity plan, pension plan, child vision star plan, whole life income plan, भी चुन सकते हैं, बैंक में FD से लेकर कमर्शियल एरिया में छोटी सी दुकान खरीदने तक, यह सब आगे जाकर फ़ायदा देंगे। यदि आपकी सैलरी ज्यादा है तो इसका ये मतलब नहीं है कि ख़र्च भी अनाप-शनाप किया जाए, सैलरी ज्यादा का मतलब बचत और निवेश ज्यादा भी हो सकता है | इसके अलावा हॉस्पिटल से संबंधित खर्चो से बचने के लिए नौकरी के साथ हेल्थ इंश्योरेंस अवश्य लेना चाहिए ताकि समय आने पर मेडिकल और हॉस्पिटल के समस्त खर्चे हेल्थ इंश्योरेंस के द्वारा बिना टेंशन के भुगतान किया जा सके
5- घर और गाड़ी अब विलासिता नहीं ज़रूरत हैं इसलिए इन्हें खरीदें ज़रूर लेकिन कोशिश की जाए कि ज़िन्दगी EMI के दुष्चक्र में ना फंस जाए ! EMI-किश्तें आदि जितनी जल्द से जल्द निपट जाएँ उतना अच्छा ! Liability जितनी ज़्यादा होंगी नौकरी की टेंशन उतनी ही ज़्यादा होगी कुछ ऊंच-नीच (नौकरी जाना) हो गया तो उस सूरत में यह liabilities अपने मूल आकार से 10 गुना ज्यादा बड़ी लगती हैं |
6- अगर मुमकिन हो तो आय का दूसरा स्रोत या प्लान-B हमेशा तैयार रखें, नौकरी में रहने के दौरान आपको लग सकता है कि अमुक कंपनी में मेरे पहचान का बंदा है और कुछ इमरजेंसी हो गई तो मदद कर देगा लेकिन यकीन मानिए अगर सड़क पर आ गए तो कोई मदद नहीं करेगा, यह भी ज़रूरी नहीं कि आपकी पहचान का बंदा मदद नहीं करना चाहता यह भी हो सकता है उसकी genuine problem हो और फिलहाल उसके हाथ में कुछ ना हो |
7- ऑफिस में डांट सभी खाते हैं, थोड़ा अपसेट होना स्वभाविक है कोशिश करें कि ऑफिस का तनाव घर ना ले जाएं |
8- मुमकिन हो तो साल में एकाध बार घूमने ज़रूर जाएं.. De Stress और Refresh होने में बहुत मदद मिलती है |
9- साल में एक बार घर (गांव) हर हाल में जाएं, गांव से सम्पर्क कभी ना तोड़ें ! इस बात के लिए मानसिक रूप से अवश्य तैयार रहें की कभी भी झोला-झिमटा समेट कर गांव जाना पड़ सकता है |
10- अगर नौकरी चली जाए तो इस ठसक में मत रहिए कि मैं पुरानी कंपनी में बड़ा काम करता था इसलिए नई जगह भी मुझे वैसा ही काम मिले, जितने नखरे करेंगे उतना ज्यादा टाइम बीतता जाएगा और नई नौकरी मिलने के चांस उतने ही कम होते जाएंगे। खाली दिमाग शैतान का घर वाली कहावत सौ फीसदी सही है खाली वक्त काटने को दौड़ता है।
 11. आजकल क्रेडिट कार्ड का जमाना है बैंक वाले किसी को भी क्रेडिट कार्ड थमा देते हैं और ईएमआई के लिए प्रेरित करते हैं यह एक जाल है इस प्रकार के झांसे में ना फंसे क्रेडिट कार्ड का प्रयोग केवल अपने अकाउंट में जमा रकम के हिसाब से  ही  करें  क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय पर करें दिखावे के लिए अनावश्यक खर्च क्रेडिट कार्ड द्वारा ना करें आप अपने क्रेडिट कार्ड का प्रयोग वार्षिक पॉलिसी प्रीमियम भरने अथवा मंथली फिक्स्ड बिल भरने में कर सकते हैं एवं उसका भुगतान नियत तिथि पर ऑटो डेबिट मोड में होना चाहिए ताकि किसी प्रकार के  चार्जेस ना लगे इसके अलावा अनावश्यक खर्चों में क्रेडिट कार्ड का प्रयोग नहीं करना चाहिए
12.  बहुत ज्यादा गोलियों के सेवन या एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए जहां तक हो सके आयुर्वेदिक दिनचर्या का पालन करें सप्ताह में अलग-अलग प्रकार के रेस जैसे नींबू पानी आंवले का रस नीम का रस ज्वारे का रस एलोवेरा का रस हल्दी का पानी जीरे का पानी छाछ इत्यादि का सेवन अपनी नियमित दिनचर्या में आवश्यक रूप से सम्मिलित करें इसी प्रकार जंक फूड डिब्बाबंद चीजों से दूरी बनाएं

#नोट - सबसे ज़रूरी सेहत का ख्याल रखें, याद रखिए जब तक आप हैं तभी तक आपके लिए ये दुनिया है और स्वस्थ रहेंगे तो कुछ करने का विकल्प हमेशा मौजूद रहेगा | जागरूक रहें, सजग रहें और बहुत ज़्यादा भरोसे किसी के भी ना रहें ||

सादर/साभार
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जय हिन्द | वन्दे मातरम् 🇮🇳
#कोरोना #प्राइवेट #नौकरी
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बुधवार, 6 मई 2020

COVID 19 चुनौती या अवसर व्यवस्था परिवर्तन का ?

पोस्ट को पूरा पढ़े, सहमत है तो like के साथ साथ अधिकाधिक शेयर भी करे और यदि कही संशय है, असहमति है तो सबके सकारात्मक विचारो का स्वागत है - 

COVID 19 चुनौती या अवसर व्यवस्था परिवर्तन का ?

विगत लगभग २ माह से पुरे विश्व में कोरोना महामारी के आधुनिक जीवन शैली पर व्यापक प्रभाव को हम सब स्पष्ट रूप से देख पा रहे है | विभिन्न सामाजिक चिन्तक इसे सकारात्मक अथवा नकारात्मक दृष्टी से देख रहे है लेकिन कुछ चिरस्थायी प्राकृतिक प्रभाव जो रूप से स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहे है उस पर गहराई से चिन्तन अवश्य किया जाना चाहिए | यह कहना कतई गलत नहीं होगा की इस महामारी ने दुनिया में कृत्रिम व्यवस्थाओं को अधिक हानि पहुंचाई है, आधुनिकता की चकाचौंध पर सबसे ज्यादा प्रहार किया है | इस संकट में प्राकृतिक संसाधन  तो पहले से बेहतर हुवे है लेकिन सर्वाधिक परेशानी में वही लोग है जो प्रकृति से अधिक दूर हो गये थे, जो जन प्रकृति के निकट थे, वे तो आज भी उतने ही आनंद में है जितने पहले थे | जिन लोगो ने आधुनिकता का स्वाद चखने के लोभ में अपना गाँव, अपना देश, अपना पारिवारिक व्यवसाय छोड़ा, वे ही आज सर्वाधिक परेशानी में जी रहे है | 
आज कोरोना महामारी के इस दौर में जबकि प्रकृति करवट ले रही है, स्वयं को पूर्ण परिष्कृत कर रही है, हमें प्रकृति द्वारा मानव जाति को दिए जा रहे इस सन्देश को समझने का प्रयास करना होगा | जिस आर्थिक युग की तरफ हम दौड़े चले जा रहे थे, क्या भविष्य में यह मानव जीवन के लिए बेहतर व्यवस्था कही जा सकती है ? क्या एक मजदुर जो की अपने गाँव को, परिवार को, पारिवारिक व्यवसाय को छोड़कर, शहर में गया था नौकरी के लिए और आज केवल १ माह के लॉक डाउन के चलते यदि उसके भूखे मरने की नौबत आ जाती है तो ऐसा रोजगार करके क्या हासिल किया उसने ? इससे तो कही गुना बेहतर वो किसान भी है जो पारंपरिक कृषि या पशुपालन में बहुत अधिक नवाचार नही कर सका फिर भी जितना कर पाया, उसी से अपने भरण पोषण के लिए दूसरो पर निर्भर नहीं है | 
आने वाले समय में बहुत से रोजगारो पर मंदी, या कर्जे की मार बढ़ने से हो सकता है की शहरी क्षेत्र के रोजगार के अवसरों पर गहरा असर पड़े | क्या ऐसे में हम सबको प्रकृति द्वारा दिए जा रहे स्पष्ट सन्देश को समझने का प्रयास नहीं करना चाहिए | क्या इस परिस्थिति में जबकि हर गाँव की सीमा को सील करना आवश्यक होता जा रहा है, गाँधी जी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना, अथवा पुरातन आत्मनिर्भर भारतीय व्यवस्था पर गहन चिन्तन, अधिक प्रासंगिक नहीं हो रहा है ? कोरोना जैसी महामारियो से उत्पन्न अनिश्चितताओ को देखते हुवे क्या आने वाले समय के लिए हमें अर्थव्यवस्था के ऐसे प्रारूप पर चिन्तन नहीं करना चाहिए जिसमे गाँव का व्यक्ति, गाँव में ही रहकर, गाँव के लिए ही कार्य करते हुवे ग्राम स्वराज के स्वप्न को साकार करने के संकल्प में अपना दायित्व निर्धारण करे ? 
विगत २ माह के गृहवास (लॉक डाउन) ने यह भी स्पष्ट कर दिया की दुनिया भर के आधुनिक सुख सुविधाओ, आडम्बरो आदि के बिना भी घर में बड़े आनंद के साथ रहा जा सकता है | गाँव का प्रत्येक व्यक्ति यह तय कर ले की गाँव की रोजमर्रा की हर आवश्यक वस्तु जो की गाँव में ही निर्मित की जा सकती है या उपलब्ध करायी जा सकती है वह वस्तु कोई ग्रामवासी गाँव के बाहर से नहीं लेगा, अपने ग्राम को विकसित करने के लिए, ग्राम में रहने वालो के रोजगार की व्यवस्था के लिए, गाँव को उजड़ने से बचाने के लिए हर ग्रामवासी को यह संकल्प लेना ही होगा | स्वदेशी की कल्पना को स्वग्राम तक समझना होगा | जो वास्तु ग्राम में उपलब्ध नहीं हो सकती या निर्माण नहीं हो सकती उसके लिए गृहजिले से आपूर्ति की जाये | जो जिले में संभव नहीं है उसकी आपूर्ति राज्य स्तर पर और जो राज्य में नहीं हो सकता केवल उसकी आपूर्ति राष्ट्रीय स्तर पर की जाए | लेकिन रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं का केन्द्रीयकरण ही अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक घातक सिद्ध हो रहा है | आज यदि लॉक डाउन कुछ हद तक असफल रहा है या बार बार बढ़ाना पड़ रहा है तो उसका सबसे मुख्य कारण इन वस्तुओ की आपूर्ति के लिए बाह्य आपूर्तिकर्ताओ पर निर्भर होना भी रहा है | 
आज समय आ गया है जबकि युवा वर्ग को अपनी सोच में बदलाव लाते हुवे अपनी जमीन से जुड़ना पडेगा, कृषि और पशुपालन, क्षेत्रीय विशिष्टता सम्बन्धी नवाचारो के माध्यम से अपने अपने ग्राम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे | ग्राम स्तर पर राजनैतिक नेतृत्व (पंच-सरपंच आदि) को ग्रामवासियों को जागरूक करते हुवे, युवाओ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सबको साथ लेकर ग्राम स्वराज की कल्पना को साकार करने हेतु पुरातन भारतीय व्यवस्था और विभिन्न नवाचारो पर चर्चा करनी होगी | अपने ग्राम को आत्म निर्भर बनाने हेतु स्वावलंबन आधारित योजनाऐ बनाकर समस्त ग्रामवासियो को विश्वास में लेकर स्वयं नेतृत्व करते हुवे सामूहिक संकल्प करने होंगे | गाँव के लिए जल, जमीन, शिक्षा, रोजगार व विभिन्न संसाधनों आदि के लिए सरकारों पर आश्रित रहने की बजाय सामूहिक संकल्प करते हुवे स्वयं इन व्यवस्थाओ की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सकारात्मक निर्णय और प्रयास करने होंगे | यदि गाँव का प्रत्येक व्यक्ति पूरी निष्ठा से अपने ग्राम को स्वयं के प्रयासों से स्वावलंबी बनाने का संकल्प कर लेगा तो प्रकृति स्वयं हर कदम पर साथ देगी, इसमें कोई संशय नहीं है | यदि इस प्रकार से देश के गाँव स्वावलंबी होने लगेंगे तो देश अवश्य आत्मनिर्भर हो जाएगा, देश की सबसे बड़ी समस्या रोजगार का हल निकल पायेगा | 
मेरा युवा पीढी, विशेषकर जो हाल ही में नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि है उनसे विशेष अनुरोध है की जिस प्रकार संकट के इस समय में हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी देशवासियों को संबोधित करते हुवे हर देशवासी को साथ लेकर चलने का प्रयास करते है उसी भांति वे भी आगे आये, ग्रामवासियों से संपर्क कर उन्हें इस ग्राम स्वराज की संकल्पना से अवगत कराते हुवे सबकी सहमति बनाने का प्रयास करे | पशुपालन, जैविक कृषि, भूसंरक्षण एवं संवर्धन, जल संरक्षण, ग्राम्य पर्यटन, गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था, आयुर्वेद चिकित्सा जैसे अन्यान्य आयामों पर सबके साथ मिलकर विचार विमर्श कर अपने दम पर छोटी से लेकर बड़ी योजनाये बनाये | अधिकाधिक जन सहभागिता सुनिश्चित करते हुवे प्रत्येक ग्रामवासी का दायित्व निर्धारण करे और उनकी व्यवस्थित परिणिति भी सुनिश्चित करे | 
यदि आप युवा है अथवा नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि है, यदि आप अपने क्षेत्र के उत्थान के लिए हरसंभव प्रयास करना अपना दायित्व समझते है, तो आइये सबसे पहला कदम हम स्वयं उठाये, देश का सबसे पहला आत्मनिर्भर गाँव बनाने का तबगा अपने नाम करे | यदि आप ऐसा करने में सफल हो जाते है तो जाने अनजाने में, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से आप प्रकृति की, अपने देश की कितनी बड़ी सेवा करेंगे, कितनी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर देंगे, उनको शब्दों में बखान करना इस पोस्ट में संभव नहीं हो सकता | सच्चे अर्थो में यही राष्ट्र की सेवा होगी, मानवता की सेवा होगी, प्रकृति एवं स्वयं नारायण की पूजा होगी |

जितेन्द्र लड्ढा
स्वतंत्र विचारक, राजसमन्द

बुधवार, 29 अप्रैल 2020

अभी जिंदा रहने की उपयोगी सावधानियां #COVID19

अभी जिंदा रहने की उपयोगी  सावधानियां
अपने पूरे परिवार को बचाना हो तो इस उपयोगी (होमवर्क) सावधानियों को जरूर अमल  करे

    अगर हम इन बारीक बातो पर ध्यान  देंगे तभी सुरक्षित रह सकते है, देखे कितनी बारीक बाते हो सकती है corona से सावधानी के लिए, बचना है तो करना ही पड़ेगा ।  इसे बार बार पड़े, यही जीवन है

जैसे
1-  नोट की अदला बदली करना, थूक लगाकर नोट गिनने से बचे । वापस आए हुए पैसे को 3 दिनों तक न छुए जरूरी हो तो प्रेस करले ।
 2 - सब्जी को सलाद के रूप में कच्ची खाने में सावधानी बरते, धनिया, पालक से भी बचें , 
 3 - सब्जी काटते वक़्त  सब्जी फैलाकर न काटे,  जिस बर्तन में सब्जी रखी हो बाद में इन्हीं बर्तनों को, चाकू व हाथ को साबुन से धो ले । 
हो सके तो सूखी सब्जियां खाएं ।
4 - बाहर जाकर कहीं भी बेंच पर न बैठे ।  बाहर की हर वस्तु से टकराने से बचे।
5 - यदि घर के थोड़े भी बाहर गए हो चाहे टहलने या सब्जी के लिए तो रोड से आकर  अपनें पैरो को व चप्पल को घिसकर सर्फ के पानी से फिर हाथ को साबुन से 20 सेकंड तक बाहर ही धोए । रोड पर भी संक्रमण हो सकता है, इसलिए।
6 - यदि ज्यादा देर तक बाहर गए हो तो  हाथ पैर धोकर सीधे बाथरूम जाकर सभी कपड़े को गर्म पानी में भिगो दे फिर नहा ले ।   
7 - बाहर जाते वक़्त मोबाइल पन्नी में रखे बाद ने वहीं पन्नी फेक दे या मोबाइल को बाहर जाते समय न छुए जरूरी हो तो स्पीकर मोड़ पर बात करे । मोबाइल बड़ा खतरा है, इसलिए बाहर होने पर इसे हाथ न लगाए ।
8 -  गेस की टंकी व पास-बुक को 4-5 दिन तक न छुए ।
9 - किसी से बात करते  हुए मूह से थूक उड़ता ही है इसलिए हमेशा मास्क पहने, दूरी बनाकर बात करे।
10 - मित्र पड़ोसी के साथ ओवर कॉन्फिडेंस में एकजुट होकर पास पास न बैठे।
11- किसी ने भोजन दिया हो तो रोटी सब्जी को दुबारा गर्म करना न भूले ।
12 - गमछा, रुमाल, या मास्क पर बार बार हाथ लगाने से खतरा our jyada होता है, उसको रोज धोए । मास्क ,गमछा, रुमाल,  एक ही साइट से पहने । ऊपरी हिस्सा अंदर कभी न आने पाए।
13 - बाहर से आई हुई प्रत्येक वस्तु को जल्दी हाथ न लगाए बहुत सी पालीथीन वाली चीजों को सर्फ से अच्छी तरह से धोए या गर्म पानी में खाने वाला सोड़ा डालकर धूप में रखे । दवाई (रेपर)को तो अवश्य ही साबुन से धोए  
14 - सब्जी, फल के ठेले वालों व कचरे की गाड़ी से दूरी बनाए।
15- राशन की दुकान पर कोई जाए तो वहां बहुत ही ज्यादा सावधानी रखे ।
16- बाहर जाते समय मास्क व चस्मे का उपयोग भी ज्यादा से ज्यादा करे, क्योंकि आख में हाथ लग सकता है ।
17-  3 लेयर के कपड़े के 2- 3 मास्क रखे, उसे बार बार धोए व बदले। मास्क को बीच  से कभी न छुएं साईट से ही पकड़े
18-  अपने किचन में मक्खी, काक्रोच, छिपकली, व चूहे न आने दे सभी खाने की हर वस्तु को ढककर रखें व बर्तन दुबारा धोकर युज करे ।
19 - घर में बाथरूम में, सीढ़ी पर ध्यान से चले, अभी docter की कमी है .
20 - देर तक सांस रोकने की प्रैक्टिस व अन्य योगा भी करे । गुड अदरक, हल्दी, तुलसी, लोंग, काली मिर्च का उपयोग काडे के रूप में अपने हिसाब से करे ।
21- हींग का व अन्य सभी मसाले का उपयोग खाने में जरूर करे

WWW.SANWARIYA.ORG
     ये सब सावधानी हटी बहुत बड़ी दुर्घटना घटी, आपकी ये सब *असावधानियां* पूरे परिवार को ले डूबेगी । कृपया लापरवाह व *ज्यादा बहादुर न बने ।* ये बात सभी को बता सकते है, समझा सकते है , *
*ये आपका फर्ज है इस वक़्त ।*ये बातें भोजन से भी महत्वपूर्ण है* I  इसे *बार बार पोस्ट* करने में *शर्म न करे,* ये पोस्ट सबके लाईफ की सबसे *महत्वपूर्ण* है🙏 राधे राधे धन्यवाद

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी , 

पहला चरण   -   कैंची 

दूसरा चरण    -   डंडा 

तीसरा चरण   -   गद्दी ...

तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं था क्योंकि तब घर में साइकिल बस पापा या चाचा चलाया करते थे. 
तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।

"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे।

और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और "क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है।

आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था।

हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तोड़वाए है और गज़ब की बात ये है कि तब दर्द भी नही होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।

अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में ।

मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी!  "जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं ।

इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए !

और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।

और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी ।

हम लोग  की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !

*पहला चरण कैंची*

*दूसरा चरण डंडा*

*तीसरा चरण गद्दी।*

● *हम वो आखरी पीढ़ी  हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और नावेल पढ़े हैं।

● *हम वही पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी,  किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर, नुक्कड़ से भाग कर, घर आ जाया करते थे।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़  की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है। 

● *हम निश्चित ही वो आखिर लोग हैं*, जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो और बिनाका जैसे  प्रोग्राम सुने हैं।

● *हम ही वो आखिर लोग हैं*, जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे। उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे। एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था। सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे। वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं। डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए। अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं। *हम ही वो खुशनसीब लोग हैं, जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!*

*हम एक मात्र वह पीढी है*  जिसने अपने माँ-बाप की बात भी मानी और बच्चों की भी मान रहे है. 

ये पोस्ट जिंदगी का एक आदर्श स्मरणीय पलों को दर्शाती है l

शनिवार, 18 अप्रैल 2020

Aditya Birla Life Insurance Guaranteed Milestone Plan


Aditya Birla Sun Life Insurance Guaranteed Milestone Plan


Aditya Birla Life Insurance - Guaranteed Milestone एक नॉन-पार्टिसिपेटिंग लाइफ इन्शुरन्स प्लान हैं। यह प्लान आपके जीवन के महत्वपूर्ण पलो को साकार करने में आपकी वित्तीय तौर पर मदद करता हैं।

Aditya Birla Life insurance GMS Plan
 के बारे में

आपके जीवन के महतपूर्ण पल कुछ भी हो सकता हैं जैसे – आपके बच्चो की पढाई एवं उनकी शादी या फिर आपका असामयिक निधन हो या आपकी कोई अन्य सपना जिसे आप पूरा करना चाहते है भविष्य में , कुछ भी हो सकता हैं। इन सब को पूरा करने यह प्लान आपकी मदद करता हैं।
साथ ही यह प्लान में आप को प्रीमियम राशि, पॉलिसी अवधि और मृत्यु लाभ (death benefit) के विकल्प चुनने का अवसर प्रदान करती है।
यह प्लान आपको देता हैं – Guaranteed death benefits + Guaranteed maturity benefits + Tax benefits.

Entry Age30 days* - 60 years
Minimum PremiumRs.15000
Mode of PaymentAnnual, Semi Annual, Quarterly and Monthly
USPs- Fully guaranteed Benefits on death;
- Fully guaranteed Benefits on maturity
Other BenefitTax benefit under Sec.80C

Aditya Birla GMS Plan किसको खरीदना चाहिए ?

इस प्लान को खरीदने के लिए एंट्री आयु (entry age) मिनिमम 30 दिन की और ज्यादा से ज्यादा 60 साल की होती हैं। यह एक आदर्श प्लान हैं जिसमे आपको एक फिक्स्ड प्रीमियम का भुगतान कर के अपने परिवार के भविष्य को सिक्योर करता हैं। इसके अलावा अत्तिरिक्त लाभ के साथ उच्च सुरक्षा कवर प्रदान करके आपकी अनुपस्थिति में भी आपकी जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद करती है। यही इस प्लान (Aditya Birla Life Insurance Guaranteed Milestone Plan) की खूबी हैं।

आपको Aditya Birla Life GMS Plan को क्यों खरीदना चाहिए?

जैसे की आपको मैंने पहले इसकी खूबी के बारे में बताया हैं। उनके अलावा और भी कई सारे फायदे इस प्लान को खरीदने में।

Joint life Protection

इस प्लान में आप अपनी और अपनी पत्नी का इन्शुरन्स, एक ही प्लान में कवर हो जाएगा। कुल Sum Assured यदि 1 करोड़ का हैं तब 50 लाख आपके नाम और 50 लाख आपके पत्नी के नाम होगा। यदि आपको कुछ हो जाता हैं तब आपके पत्नी को 50 लाख मिल जायेगा और पालिसी कंटिन्यू रहेगी और प्रीमियम देना नहीं होगा आगे से।

Free-look Period & Grace Period

Free-look Period : अब यह क्या हैं ? आपको बता दे की आप जब आप किसी कंपनी का पालिसी खरीदते हैं तब आप का पालिसी स्वीकार हो जाने के बाद कंपनी आपको 15 दिन का समय देती पालिसी को रिटर्न / कैंसिल करने की या आपको पॉलिसी के टर्म्स और कंडीशंस से कोई दिक्कत हैं तब आप पालिसी को न लेने से मना कर सकते हैं और आपका प्रीमियम रिटर्न मिल जाएगा। इसे ही Free-look Period कहते हैं।
Grace Period : ग्रेस पीरियड उसे कहते हैं की जब आप टाइम पर प्रीमियम नहीं देते हैं तब कंपनी आपको कुछ दिन का समय देती हैं उसके अंदर ही आपको प्रीमियम देना होता हैं नहीं तो आप की पालिसी बंद हो जायेगा। प्रीमियम भुगतान करने के लिए अत्तिरिक्त दिन का मोहलत देती हैं उसे ग्रेस पीरियड कहते हैं।
यदि आप सालाना या 6 महीने बाद बाद प्रीमियम भरते हैं तब आपको 30 दिन का ग्रेस पीरियड मिलता हैं और प्रत्येक महीने देते हैं तब आपको 15 दिन का ग्रेस पीरियड मिलता हैं।

Tax Benefits

इन्शुरन्स एक वित्तीय इंस्ट्रूमेंट हैं जिसमे निवेश करने पर आपको टैक्स में छूट मिलती हैं। और कोई कोई भुगतान जो कंपनी आप को करेगी तब वह इनकम टैक्स फ्री होती हैं। इसमें आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 (सी), 80 (डी), और 10 (10 डी) के तहत टैक्स में लाभ प्रदान करती है। इस प्लान Aditya Birla Life Insurance Guaranteed Milestone Plan में भी टैक्स में छूट मिलती हैं।
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KAILASH CHANDRA LADHA 
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Bhupendra Singh

9785008009

मुझे पूरा विश्वाश हैं की आपको Aditya Birla Life Insurance Guaranteed Milestone Plan के बारे बहुत जानने को मिला होगा। यदि आपको कोई प्रॉब्लम हैं तो आप कमेंट में लिख सकते हैं।
अंत में आप से एक बात कहना चाहता हूँ की हमारी जिंदगी कब तक चलेगी इसका कोई भरोसा नहीं हैं नहीं हम जान सकते हैं। इसलिए हम खुद की और अपने परिवार के भविष्य को सिक्योर करने के लिए रोज छोटा सा अमाउंट जमा कर सकते हैं। यदि आप रोज Rs.50 रुपया जमा करते हैं तो आपको एक करोड़ रूपये का प्रोटेक्शन मिल जाएगा। मैंने तो आज से ही शुरू कर दिया और आप कब से शुरू करने वाले हो ? कमेंट करें
आम तौर पर पूछें जाने वाले प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQs )
ABLI Guaranteed Milestone Plan क्या हैं ?
ABLI Guaranteed Milestone Plan एक non-linked और non-participating life insurance plan हैं जिस में आपको Guaranteed Death बेनिफिट और maturity बेनिफिट मिलती हैं।
मिनिमम प्रीमियम कितना हैं ?
आप सिर्फ 15000 रुपया साल से शुरू कर सकते हैं।
यदि में साल का एक लाख रुपया प्रीमियम दू , तब मुझे कितना रुपया मिलेगा ?
बहुत बढ़िया सवाल हैं , यदि आप एक लाख रुपया जमा करते हैं हर साल ,10 साल तक और आपकी पॉलिसी टर्म 20 साल की हैं तब आपको कुल 24 लाख रुपया से ज्यादा मिलेगा। जो की गारंटी हैं .
पॉलिसी पूरा होने से पहले मेरी मृत्यु हो गयी, तब क्या होगा ?
20 साल इस पॉलिसी की टर्म हैं और ऐसी बीच आपकी मृत्यु हो जाती है तब कंपनी आपके नॉमिनी को 15 लाख रुपया दे देगी और पालिसी टर्म पूरा होते ही बाकि सारे पैसे भी।
Guaranteed Milestone Plan किसे और कब लेना चाहिए ?
कोई भी पॉलिसी को लेने का उत्तम समय होता जब आप कमाना शुरू कर दिए हो। क्यूंकि उस वक़्त आपकी उम्र काफी काम होती हैं, इसका फायदा यह होता हैं की आपको काम कीमत में अच्छी पॉलिसी मिल जाती हैं।
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अति आवश्यक कागज पत्र:-
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कैलाश चन्द्र लढा
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शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

हरसिंगार : हर बीमारी में असरदार

पारिजात नाम के वृक्ष को छूने से मिटती है थकान,और मन्नत मांगने से होती है पूरी
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क्या कोई ऐसा भी वृक्ष है,जिसं छूने मात्र से मनुष्य की थकान मिट जाती है। हरिवंश पुराण में ऐसे ही एक वृक्ष का उल्लेख मिलता है,जिसको छूने से देव नर्तकी उर्वषी की थकान मिट जाती थी। पारिजात नाम के इस वृक्ष के फूलो को देव मुनि नारद ने श्री कृश्ण की पत्नी सत्यभामा को दिया था। इन अदभूत फूलों को पाकर सत्यभामा भगवान श्री कृष्ण से जिद कर बैठी कि परिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में रोपित किया जाए। पारिजात वृक्ष के बारे में श्रीमदभगवत गीता में भी उल्लेख मिलता है। श्रीमदभगवत गीता जिसमें 12 स्कन्ध,350 अध्याय व18000 ष्लोक है ,के दशम स्कन्ध के 59वें अध्याय के 39 वें श्लोक , चोदितो भर्गयोत्पाटय पारिजातं गरूत्मति। आरोप्य सेन्द्रान विबुधान निर्जत्योपानयत पुरम॥ में पारिजात वृक्ष का उल्लेख पारिजातहरण नरकवधों नामक अध्याय में की गई है।

सत्यभामा की जिद पूरी करने के लिए जब श्री कृष्ण ने परिजात वृक्ष लाने के लिए नारद मुनि को स्वर्ग लोक भेजा तो इन्द्र ने श्री कृष्ण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पारिजात देने से मना कर दिया। जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने गरूड पर सवार होकर स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया और परिजात प्राप्त कर लिया। श्री कृष्ण ने यह पारिजात लाकर सत्यभामा की वाटिका में रोपित कर दिया। जैसा कि श्रीमदभगवत गीता के श्लोक, स्थापित सत्यभामाया गृह उधान उपषोभन । अन्वगु•र्ा्रमरा स्वर्गात तद गन्धासलम्पटा, से भी स्पष्ट है। भगवान श्री कृष्ण ने पारिजात को लगाया तो था सत्यभामा की वाटिका में परन्तु उसके फूल उनकी दूसरी पत्नी रूकमणी की वाटिका में गिरते थे। लेकिन श्री कृष्ण के हमले व पारिजात छीन लेने से रूष्ट हुए इन्द्र ने श्री कृश्ण व पारिजात दोनों को शाप दे दिया था । उन्होन् श्री क्रष्ण को शाप दिया कि इस कृत्य के कारण श्री कृष्ण को पुर्नजन्म यानि भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जाना जाएगा। जबकि पारिजात को कभी न फल आने का शाप दिया गया। तभी से कहा जाता है कि पारिजात हमेशा के लिए अपने फल से वंचित हो गया। एक मान्यता यह भी है कि पारिजात नाम की एक राजकुमारी हुआ करती थी ,जिसे भगवान सूर्य से प्यार हो गया था, लेकिन अथक प्रयास करने पर भी भगवान सूर्य ने पारिजात के प्यार कों स्वीकार नहीं किया, जिससे खिन्न होकर राजकुमारी पारिजात ने आत्म हत्या कर ली थी। जिस स्थान पर पारिजात की कब्र बनी वहीं से पारिजात नामक वृक्ष ने जन्म लिया। इसी कारण पारिजात वृक्ष को रात में देखने से ऐसा लगता है जैसे वह रो रहा हो, लेकिन सूर्य उदय के साथ ही पारिजात की टहनियां और पत्ते सूर्य को आगोष में लेने को आतुर दिखाई पडते है। ज्योतिश विज्ञान में भी पारिजात का विशेष महत्व बताया गया है।
धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने में पारिजात वृक्ष का उपयोग किया जाता है। यदि ,ओम नमो मणि़•ाद्राय आयुध धराय मम लक्ष्मी़वसंच्छितं पूरय पूरय ऐं हीं क्ली हयौं मणि भद्राय नम, मन्त्र का जाप 108 बार करते हुए नारियल पर पारिजात पुष्प अर्पित किये जाए और पूजा के इस नारियल व फूलो को लाल कपडे में लपेटकर घर के पूजा धर में स्थापित किया जाए तो लक्ष्मी सहज ही प्रसन्न होकर साधक के घर में वास करती है। यह पूजा साल के पांच मुहर्त होली,दीवाली,ग्रहण,रवि पुष्प तथा गुरू पुष्प नक्षत्र में की जाए तो उत्तम है। यहां यह भी बता दे कि पारिजात वृक्ष के वे ही फूल उपयोग में लाए जाते है,जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते है। यानि वृक्ष से फूल तोड़ने की पूरी तरह मनाही है।

परिजात वृक्ष की प्रजाति भारत में नहीं पाई जाती, लेकिन भारत में एक मात्र पारिजात वृक्ष आज भी उ.प्र. के बाराबंकी जनपद अंतर्गत रामनगर क्ष्ोत्र के गांव बोरोलिया में मौजूद है। लगभग 50 फीट तने व 45 फीट उंचाई के इस वृक्ष की ज्यादातर शाखाएं भूमि की ओर मुड़ जाती है और धरती को छुते ही सूख जाती है।
एक साल में सिर्फ एक बार जून माह में सफेद व पीले रंग के फूलो से सुसज्जित होने वाला यह वृक्ष न सिर्फ खुशबू बिखेरता है, बल्कि देखने में भी सुन्दर लगता है। आयु की दृष्टि से एक हजार से पांच हजार वर्ष तक जीवित रहने वाले इस वृक्ष को वनस्पति शास्त्री एडोसोनिया वर्ग का मानते हैं। जिसकी दुनियाभर में सिर्फ 5 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें से एक डिजाहाट है। पारिजात वृक्ष इसी डिजाहाट प्रजाति का है। एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी । जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था। कहा जाता है जब पांडव पुत्र माता कुन्ती के साथ अज्ञातवास पर थे तब उन्होने ही सत्यभामा की वाटिका में से परिजात को लेकर बोरोलिया गांव में रोपित कर दिया होगा। तभी से परिजात गांव बोरोलिया की शोभा बना हुआ है। देशभर से श्रद्धालु अपनी थकान मिटाने के लिए और मनौती मांगने के लिए परिजात वृक्ष की पूजा अर्चना करते है। पारिजात में औषधीय गुणों का भी भण्डार है। पारिजात बावासीर रोग निदान के लिए रामबाण औषधी है। पारिजात के एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बावासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का पेस्ट बनाकर गुदा पर लगाने से बावासीर के रोगी को बडी राहत मिलती है। पारिजात के फूल हदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलो के रस का सेवन किया जाए तो हदय रोग से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सुखी खासी ठीक हो जाती है। इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधि रोग ठीक हो जाते है। पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। पारिजात की कोंपल को अगर 5 काली मिर्च के साथ महिलाएं सेवन करे तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है। वहीं पारिजात के बीज जंहा हेयर टानिक का काम करते है तो इसकी पत्तियों का जूस क्रोनिक बुखार को ठीक कर देता है। इस दृश्टि से पारिजात अपनेआपमें एक संपूर्ण औषधी भी है।
इस वृक्ष के ऐतिहासिक महत्व व दुर्लभता को देखते हुए जंहा परिजात वृक्ष को सरकार ने संरक्षित वृक्ष घोषित किया हुआ है। वहीं देहरादून के राष्ट्रीय वन अनुसंधान संस्थान की पहल पर पारिजात वृक्ष के आस पास छायादार वृक्षों को हटवाकर पारिजात वृक्ष की सुरक्षा की गई। इस वृक्ष की एक विषेशता यह भी है कि इस वृक्ष की कलम नहीं लगती ,इसी कारण यह वृक्ष दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में आता है। भारत सरकार ने पारिजात वृक्ष पर डाक टिकट भी जारी किया। ताकि अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर पारिजात वृक्ष की पहचान बन सके।

सायटिका में लाभदायक पारिजात
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हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है।

परिचय : यह 10 से 15 फीट ऊँचा और कहीं 25-30 फीट ऊँचा एक वृक्ष होता है और देशभर में खास तौर पर बाग-बगीचों में लगा हुआ मिलता है। विशेषकर मध्यभारत और हिमालय की नीची तराइयों में ज्यादातर पैदा होता है। इसके फूल बहुत सुगंधित और सुन्दर होते हैं जो रात को खिलते हैं और सुबह मुरझा जाते हैं।
विभिन्न भाषाओं में नाम : संस्कृत- पारिजात, शेफालिका। हिन्दी- हरसिंगार, परजा, पारिजात। मराठी- पारिजातक। गुजराती- हरशणगार। बंगाली- शेफालिका, शिउली। तेलुगू- पारिजातमु, पगडमल्लै। तमिल- पवलमल्लिकै, मज्जपु। मलयालम - पारिजातकोय, पविझमल्लि। कन्नड़- पारिजात। उर्दू- गुलजाफरी। इंग्लिश- नाइट जेस्मिन। लैटिन- निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस।
गुण : यह हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है। सायटिका रोग को दूर करने का इसमें विशेष गुण है।
रासायनिक संघटन : इसके फूलों में सुगंधित तेल होता है। रंगीन पुष्प नलिका में निक्टैन्थीन नामक रंग द्रव्य ग्लूकोसाइड के रूप में 0.1% होता है जो केसर में स्थित ए-क्रोसेटिन के सदृश्य होता है। बीज मज्जा से 12-16% पीले भूरे रंग का स्थिर तेल निकलता है। पत्तों में टैनिक एसिड, मेथिलसेलिसिलेट, एक ग्लाइकोसाइड (1%), मैनिटाल (1.3%), एक राल (1.2%), कुछ उड़नशील तेल, विटामिन सी और ए पाया जाता है। छाल में एक ग्लाइकोसाइड और दो क्षाराभ होते हैं।
उपयोग : इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है।
गृध्रसी (सायटिका) : हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी लगभग 700 मिली बचे तब उतारकर ठण्डा करके छान लें, पत्ते फेंक दें और 1-2 रत्ती केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें। इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा में इसे पिएँ।
ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है। इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।

हरसिंगार : हर बीमारी में असरदार,
1. नारंगी डंडी वाले सफेद खूबसूरत और महकते हरसिंगार के फूलों को आपने जरूर देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी हरसिंगार की पत्तियों से बनी चाय पी है? या फि‍र इसके फूल, बीज या छाल का प्रयोग स्वास्थ्य एवं सौंदर्य उपचार के लिए क्या है?  आप नहीं जानते तो, जरूर जान लीजिए इसके चमत्कारी औषधीय गुणों के बारे में। इसे जानने के बाद आप हैरान हो जाएंगे➖
2. हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्त‍ियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। इसकी चाय, न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि सेहत के गुणों से भी भरपूर है। इस चाय को आप अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं और सेहत व सौंदर्य के कई फायदे पा सकते हैं।
जानिए विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इसके लाभ और चाय बनाने का तरीका➖
1. विधि :  हरसिंगार की चाय बनाने के लिए इसकी दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पत्त‍ियां लीजिए और इन्हें 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तो इसे छानकर गुनबुना या ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं। यह खांसी में फायदेमंद है। 
2. वि‍धि  : हरसिंगार के दो पत्ते और चार फूलों को पांच से 6 कप पानी में उबालकर, 5 कप चाय आसानी से बनाई जा सकती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता। यह स्फूर्तिदायक होती है। चाय के अलावा भी हरसिंगार के वृक्ष के कई औषधीय लाभ हैं।
3. जानिए कौन-कौन सी बीमारियों में कैसे करें इसका इस्तेमाल -
1. जोड़ों में दर्द : हरसिंगार के 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खालीपेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जोड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।
2. खांसी:  खांसी हो या सूखी खांसी, हरसिंगार के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से बिल्कुल खत्म की जा सकती है। आप चाहें तो इसे सामान्य चाय में उबालकर पी सकते हैं या फिर पीसकर शहद के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं।
3. बुखार : किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बूखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।
4. साइटिका:  दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे सुबह शाम खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।
5. बवासीर: हरसिंगार को बवासीर या पाइल्स के लिए बेहद उपयोगी औषधि माना गया है। इसके लिए हरसिंगार के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।
6. त्वचा के लिए :हरसिंगार की पत्त‍ियों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। इसके फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।
7. हृदय रोग: हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इस के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने में कारगर है।
8. दर्द: हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है।
9. अस्थमा: सांस संबंधी रोगों में हरसिंगार की छाल का चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से लाभ होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है।
10 :प्रतिरोधक क्षमता : हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर नियमित रूप से पीने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार के रोग से लड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, स्त्री रोगों में भी बेहद फायदेमl

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