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सोमवार, 13 जुलाई 2020

प्राचीन भारत में पेड़ों की एहमियत 


मोहेंजो-दारो से मिली 4500 पुरानी सील

 क्या आपको पता है कि भारत में सबसे पुराना चित्रित पेड़ पीपल है? मोहेंजो -दारो से मिली 4500 साल पुरानी सील में पीपल को रचना का पेड़ बताया गया है। इसमें कोई शक़ नही कि प्राचीन समय से भारतीय महाद्वीप में वृक्षों का आध्यात्मिक महत्व रहा है। कहा जा सकता है कि पेड़ों की पूजा यहां धर्म का सबसे पुराना रुप है।


पुराणों में पर्यावरण

प्राक्कथन अश्वत्थो वटवृक्षचन्दनतरूर्मन्दार- कल्पद्रुमौ ।
जम्बू-निम्ब-कदम्ब-चूत-सरला वृक्षाश्च ये क्षीरिणः।।
सर्वे ते फलमिश्रिताः प्रतिदिनं विभ्राजिता सर्वतो।
रम्यं चैत्ररथं सनन्दनवनं कुर्वन्तु नो मंगलम्।।

यदि यह कहा जाय कि सम्पूर्ण सृष्टि वृक्षों पर आश्रित है तो अतिशयोक्ति न होगी। जहां वृक्षों की उपेक्षा हुई वहां विनाश हुआ, जहां इन्हें महत्व दिया गया वहां सतयुगी सुख की अविरल गंगा प्रवाहित होती रही। कई हजार वर्षों का हमारा विश्व इतिहास इसका साक्षी है। मनुष्य का उद्भव वनों में हुआ है। इनके पूर्वज करोडों वर्षों से वनों पर ही आश्रित जीवन व्यतीत करते रहे हैं- अतः मनुष्य के जेहन में वन की आवश्यकता बहुत गहराई तक व्याप्त है। वह इनसे दूर रहकर स्थाई आन्तरिक तृप्ति नही प्राप्त कर सकता। शायद यही कारण है कि महानगरों में रहने वाले लोगों को वनों के दर्शन, संस्पर्शन व परिक्रमण में असीम सुख की प्राप्ति होती है।
पुराणों के अनुसार वृक्षों की सेवा से सम्पूर्ण सृष्टि की सेवा करने का पुण्य कार्य सम्पन्न होता है। वृक्षों की सेवा में जल से सिंचन का स्थान सर्वोपरि है। पर्याप्त जल पाने से वृक्ष की जीवन की रक्षा होती है, ये तेजी से बढ़ते हैं, इन पर आश्रित प्राणियों को सुख मिलता है व पर्यावरण सुधरता है।
स्कन्द पुराण में, भविष्योत्तर पुराण में तथा अन्य पुराणों में भी तुलसी, पीपल तथा बेल इत्यादि वृक्षों इत्यादि वृक्षों में धार्मिक माहात्म्य के द्वारा जल सिंचन का प्रावधान है जो हमारी धार्मिक-मान्यताओं में आज भी प्रचलित है।
मानवी चेतना पर शोध करने वाले ऋषियों, विद्वानों का मानना है कि तरूसेवा में व्यक्ति जो श्रम और पुरूषार्थ व्यय करता है उससे उसका पाप क्षीण होता है, पुण्य बल बढ़ता है व इसके प्रभाववश सभी प्रकार के दुखःदुर्भाग्य दूर होते हैं व सुख-सौभाग्य का अभ्युदय होता है। यह अर्जन बिना श्रम के नहीं बल्कि तपस्या के बदले होता है। जल सिञ्चन के बहाने पवित्र वृक्षों का सान्निघ्य हमें सद्विचार व उस पर चलने की शक्ति देता है और व्यक्तित्व का परिष्कार करता है।

सेचनादपि वृक्षस्य रोपितस्य परेण तु।
महत्फलमवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।। – विष्णुत्तर पुराण 3.297
अर्थात् दूसरे द्वारा रोपित वृक्ष का सिंचन करने से भी महान् फलों की प्राप्ति होती है, इसमें विचार करने की आवश्यकता नही है।

वृक्षाणां कर्तनं पापं, वृक्षाणां रोपणं हितम्।
सुवृष्टिः जायते वृक्षैः उक्तं विज्ञानवादिभिः।।
स्वस्त्यस्तु विश्वस्य खलः प्रसीदतां
ध्यायन्तु भूतानि शिवं मिथो धिया।
मनश्व भद्रं भजतादधोक्षजे।
आवेश्यतां नो मतिरप्यहैतुकी।। भागवतपुराण 2.18.9.

वेदों और पुराणों में स्पष्ट रुप से कहा गया है कि पेड़ों में भी प्राण होते हैं और उन्हें ‘वनस्पती’ या वन देवता कहा गया है। प्राचीन काल में भी लोगों के लिए पेड़ों का सामाजिक-आर्थिक और स्वास्थ संबंधी महत्व था। टिंबर और टीक का इस्तेमाल जहां पानी के जहाज़ बनाने में होता था वहीं तुलसी तथा नीम का औषधि के रुप में प्रयोग होता था। बरगद और मैंग्रोव का पर्यावरण की दृष्टि से महत्व था जबकि अन्य पेड़ आहार के रुप में इस्तेमाल होते थे।

हिंदु धर्म में पेड़ों का संबंध कई देवी-देवताओं से है। एक किवदंती के अनुसार एक बार शिव और पार्वती अंतरंग समय बिता रहे थे तभी अग्नि देवता बिना आज्ञा के अचानक अंदर आ गए। लेकिन शिव ने जब इस पर कुछ नहीं कहा तो पार्वती नाराज़ हो गईं और सभी देवताओं को पृथ्वी पर पेड़ का रुप धारण करने का श्राप दे दिया। श्राप से डरकर देवता पार्वती के पास पहुंचे और कहा कि अगर वे सभी पेड़ बन गए तो असुर शक्तिशाली हो जाएंगे। चूंकि श्राप वापस नहीं लिया जा सकता था, पार्वती ने कहा कि उनका भले ही पूरी तरह पेड़ का रुप न हो लेकिन वे कुछ हद तक पेड़ के अंदर रहेंगे। इस कथा से लोगों की इस आस्था को बल मिलता है कि इंसान की तरह पेड़ों में भी आत्मा होती है और इनमें आत्माओं का निवास होता है जिनकी वजह से वर्षा तथा धूप खिलती है। ये आत्माएं महिलाओं को वंश बढ़ाने का आशीर्वाद देती हैं और इन्हीं की वजह से फ़सल की पैदावार होती है तथा पालतू मवेशियों की संख्या बढ़ती है। पुराणों के अनुसार कमल विष्णु की नाभी से निकला था, पीपल सूर्य से पैदा हुआ और पार्वती की हथेली से इमली का पेड़ निकला था।

बोधि वृक्ष
बहरहाल, कुछ पेड़ ऐसे भी हैं जिन्हें पवित्र माना जाता है। इनमें सबसे ज़्यादा पवित्र पीपल को माना जाता है जिसे संस्कृत में 'अश्वत्थ' कहा जाता है। नचिकेता को शिक्षा देते समय यम ने अश्वत्थ को एक ऐसा वृक्ष बताया जिसकी जड़े ऊपर और टहनियां नीचे की तरफ होती हैं। ये वृक्ष अमर ब्राह्मण है जिसके भीतर सारा जग समाहित है और जिसके इतर कुछ भी नही है। इसे बोधी वृक्ष भी कहा जाता है जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। बौद्ध कविता महावासमा के अनुसार जिस वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, बरसों बाद अशोक ने उसकी एक शाखा को कटवाकर सोने के गुलदान में लगवाया था। इसके बाद वह शाखा को लेकर पर्वतों पर गए और गंगा से होते हुए बंगाल की खाड़ी गए। बंगाल की खाड़ी में उनकी बेटी इसे लेकर श्रीलंका गईं और राजा को इसे भेंट किया।

अशोक वृक्ष का संबंध काम देवी से है। संस्कृत में अशोक का अर्थ दुख रहित होता है या ऐसा व्यक्ति जो किसी को दुख नही देता। रामाय़ण में रावण द्वारा हरण के बाद सीता को अशोक वृक्ष के नीचे रखा गया था।
बरगद का पेड़ शिव, विष्णु और ब्रह्मा का प्रतीक है। ज़्यादातर लोगों का विश्वास है कि बरगद जीवन और उर्वरता का सूचक है। दिलचस्प बात ये है कि भारत आए कई विदेशी सैलानियों ने इस वृक्ष का ज़िक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि बनिये इस पेड़ के नीचे बैठकर व्यापार करते है। सदियों तक गांव में बरगद के पेड़ के नीचे बैठक हुआ करती थी। 1050 में भारत का राष्ट्रीय वृक्ष घोषित किया था।
इसी तरह तुलसी को भी पवित्र माना जाता है। हिंदु इसे तुलसी/वृंदा देवी का सांसारिक रुप मानते हैं। उसे लक्ष्मी का अवतार कहते है और इस तरह वह भगवान की पत्नी हुईं।

उत्तर प्रदेश के शहर वृंदावन का नाम तुलसी से लिया गया है

बेल के पेड़ का संबंध भगवान शिव से है। इसके तिकोन पत्ते भगवान के तीन कार्यों को दर्शाते हैं- रचना, संरक्षण और विनाश। ये पत्ते शिव की तीन आंखों को भी दर्शाते हैं।
वृक्ष-पूजा से वृक्षवाटिकाओं की उत्पत्ति हुई। गांव को लोग वनों की रक्षा करते थे और उनका मानना था कि वन में भगवान निवास करते हैं। इस विश्वास या अंधविश्वास की वजह से चाहे अनचाहे पारिस्थितिक चेतना पैदा हो गई। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है राजस्थान में जोधपुर के गांव खेकारली में विश्नोई का बलिदान। 1730 में जोधपुर के सासक महाराजा अभय सिंह ने अपने नये क़िले के निर्माण के लिए भेड़ को भूनने के उद्देश्य से गांव के खेजड़ी पेड़ों को काटने का आदेश दिया था। पेड़ काटने के लिए महाराजा के मंत्री गिरधारी भंडारी के नेतृत्व में एक दल गांव पहुंचा। लेकिन अमृता देवी नाम की एक स्थानीय महिला ने इसका विरोध किया। उसने कहा, “सिर की क़ीमत पर भी अगर एक पेड़ बच सकता है तो ये बलिदान सार्थक है।
” अमृता देवी और उनकी तीन बेटियां पेड़ को कटने से रोकने के लिए पेड़ों से लिपट गईं। ये ख़बर फ़ैलते ही विश्नोई समाज के लोग भी वहां जमा होकर पेड़ से लिपट गए। इस विरोध में करीब 363 विश्नोई पुरुष, महिलाओं और बच्चों की जानें चली गईं क्योंकि पेड़ों के साथ उन्हें भी काट डाला गया। महाराजा को जब ये ख़बर मिली तो उन्हें बहुत पछतावा हुआ और उन्होंने उनके अधिकारियों की ग़लती के लिए माफी मांगी। इसके बाद उन्होंने शाही फ़रमान जारी कर हरेभरे पेड़ों को काटने और विश्नोई गांवों के आसपास शिकार पर रोक लगा दी।
ये बलिदान 70 के दशक में हुए चिपको आंदोलन की प्रेरणा बना था। लेकिन पेड़ और प्रकृति बचाने के मामले में हमें अभी और लंबा सफ़र तय करना है। आदिम समय में भारतीय लोग आग, घर, भोजन, कपड़े और हथियारों के लिए पेड़ों का इस्तेमाल करते थे लेकिन उन्हें पेड़ों की एहमियत का भी अंदाज़ा था। इस मामले में वे भगवान की तरह थे। लेकिन क्या आपको लगता है कि आज हम एक ऐसी परंपरा को भूलते जा रहे हैं जो हमारी प्रकृति के लिए घातक है?

संसार में पाए जाने वाले हर एक पेड़-पौधे में कोई ना कोई औषधीय गुण जरूर होता है, ये बात अलग है कि औषधि विज्ञान के अत्याधुनिक हो जाने के बावजूद भी हजारों पेड़-पौधे ऐसे हैं, जिनके औषधीय गुणों की जानकारी किसी को नहीं। सामान्यत: यह मानना है कि छोटी शाक या जड़ी-बूटियों में ही ज्यादा औषधीय गुण पाए जाते हैं,  मध्यम आकार के पेड़ और बड़े-बड़े वृक्षों और उनमें गजब के औषधीय गुणों की भरमार होती है। जाने पेड़ों औषधीय गुणों के बारे में...

बेलबेल: मंदिरों, आँगन, रास्तों के आस-पास प्रचुरता से पाये जाने वाले इस वृक्ष की पत्तियाँ शिवजी की आराधना में उपयोग में लायी जाती है। इस वृक्ष का वानस्पतिक नाम एजिल मारमेलस है। बेल की पत्तियों मे टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे रसायन पाए जाते है। पत्तियों का रस यदि घाव पर लगाया जाए तो घाव जल्द सूखने लगता है। गुजरात प्राँत के डाँग जिले के आदिवासी बेल और सीताफल पत्रों की समान मात्रा मधुमेह के रोगियों के देते है। गर्मियों मे पसीने और तन की दुर्गंध को दूर भगाने के लिये यदि बेल की पत्तियों का रस नहाने के बाद शरीर पर लगा दिया जाए तो समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

 जामुन
 जामुन
जामुन: जंगलों, गाँव के किनारे, खतों के किनारे और उद्यानों में जामुन के पेड़ देखे जा सकते हैं। जामुन का वानस्पतिक नाम सायजायजियम क्युमिनी है। जामुन में लौह और फास्फोरस जैसे तत्व प्रचुरता से पाए जाते है, जामुन में कोलीन तथा फोलिक एसिड भी भरपूर होते है। पातालकोट के आदिवासी मानते है कि जामुन के बीजों के चूर्ण की दो-दो ग्राम मात्रा बच्चों को देने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं। जामुन के ताजे पत्तों की लगभग 50 ग्राम मात्रा लेकर पानी (300 मिली) के साथ मिक्सर में रस पीस लें और इस पानी को छानकर कुल्ला करें, इससे मुंह के छाले पूरी तरह से खत्म हो जाते है।

नीम
नीम: प्राचीन आर्य ऋषियों से लेकर आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान नीम के औषधीय गुणों को मानता चला आया है। नीम व्यापक स्तर पर संपूर्ण भारत में दिखाई देता है। नीम का वानस्पतिक नाम अजाडिरक्टा इंडिका है। नीम में मार्गोसीन, निम्बिडिन, निम्बोस्टेरोल, निम्बिनिन, स्टियरिक एसिड, ओलिव एसिड, पामिटिक एसिड, एल्केलाइड, ग्लूकोसाइड और वसा अम्ल आदि पाए जाते हैं। नीम की निबौलियों को पीसकर रस तैयार कर लिया जाए और इसे बालों पर लगाया जाए तो जूएं मर जाते हैं। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार नीम के गुलाबी कोमल पत्तों को चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग मे आराम मिलता है।

नीलगिरी
नीलगिरी: यह पेड़ काफी लंबा और पतला होता है। इसकी पत्तियों से प्राप्त होने वाले तेल का उपयोग औषधि और अन्य रूप में किया जाता है। नीलगिरी की पत्तियां लंबी और नुकीली होती हैं जिनकी सतह पर गांठ पाई जाती है और इन्हीं गाठों में तेल संचित रहता है। नीलगिरी का वानस्पतिक नाम यूकेलिप्टस ग्लोब्यूलस होता है। शरीर की मालिश के लिए नीलगिरी का तेल उपयोग में लाया जाए तो गम्भीर सूजन तथा बदन में होने वाले दर्द नष्ट से छुटकारा मिलता है, वैसे आदिवासी मानते है कि नीलगिरी का तेल जितना पुराना होता जाता है इसका असर और भी बढता जाता है। इसका तेल जुकाम, पुरानी खांसी से पीड़ित रोगी को छिड़ककर सुंघाने से लाभ मिलता है।

पलाश
पलाश: मध्यप्रदेश के लगभग सभी इलाकों में पलाश या टेसू प्रचुरता से पाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम ब्युटिया मोनोस्पर्मा है। पलाश की छाल, पुष्प, बीज और गोंद औषधीय महत्त्व के होते हैं। पलाश के गोंद में थायमिन और रिबोफ़्लेविन जैसे रसायन पाए जाते है। पतले दस्त होने के हालात में यदि पलाश का गोंद खिलाया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिलता है। पलाश के बीजों को नींबूरस में पीसकर दाद, खाज और खुजली से ग्रसित अंगो पर लगाया जाए तो फ़ायदा होता है।
पीपल
पीपल
 पीपल: पीपल के औषधीय गुणों का बखान आयुर्वेद में भी देखा जा सकता है। पीपल का वानस्पतिक नाम फ़ाइकस रिलिजियोसा है। मुँह में छाले हो जाने की दशा में यदि पीपल की छाल और पत्तियों के चूर्ण से कुल्ला किया जाए तो आराम मिलता है। पीपल की एक विशेषता यह है कि यह चर्म-विकारों को जैसे-कुष्ठ, फोड़े-फुन्सी दाद-खाज और खुजली को नष्ट करता है। डाँगी आदिवासी पीपल की छाल घिसकर चर्म रोगों पर लगाने की राय देते हैं। कुष्ठ रोग में पीपल के पत्तों को कुचलकर रोगग्रस्त स्थान पर लगाया जाता है तथा पत्तों का रस तैयार कर पिलाया जाता है।

अमलतास
अमलतास
अमलतास: झूमर की तरह लटकते पीले फ़ूल वाले इस पेड़ को सुंदरता के लिये अक्सर बाग-बगीचों में लगाया जाता है हालांकि जंगलों में भी इसे अक्सर उगता हुआ देखा जा सकता है। अमलतास का वानस्पतिक नाम केस्सिया फ़िस्टुला है। अमलतास के पत्तों और फूलों में ग्लाइकोसाइड, तने की छाल टैनिन, जड़ की छाल में टैनिन के अलावा ऐन्थ्राक्विनीन, फ्लोवेफिन तथा फल के गूदे में शर्करा, पेक्टीन, ग्लूटीन जैसे रसायन पाए जाते है। पॆट दर्द में इसके तने की छाल को कच्चा चबाया जाए तो दर्द में काफी राहत मिलती है। पातालकोट के आदिवासी बुखार और कमजोरी से राहत दिलाने के लिए कुटकी के दाने, हर्रा, आँवला और अमलतास के फलों की समान मात्रा लेकर कुचलते है और इसे पानी में उबालते है, इसमें लगभग पांच मिली शहद भी डाल दिया जाता है और ठंडा होने पर रोगी को दिया जाता है।


रीठा: एक मध्यम आकार का पेड़ होता है जो अक्सर जंगलों के आसपास देखा जा सकता है। रीठा का वानस्पतिक नाम सेपिंडस एमार्जीनेटस होता है। रीठा के फलों में सैपोनिन, शर्करा और पेक्टिन नामक रसायन पाए जाते है। आदिवासियों की मानी जाए तो रीठा के फलों का चूर्ण नाक से सूंघने से आधे सिर का दर्द या माईग्रेन खत्म हो जाता है। पातालकोट के आदिवासी कम से कम 4 फल लेकर इसमें 2 लौंग की कलियाँ डालकर कूट लेते है और चिमटी भर चूर्ण लेकर एक चम्मच पानी में मिला लेते है और धीरे धीरे इस पानी की बूँदों को नाक में टपकाते है, इनका मानना है कि यह माईग्रेन के इलाज में कारगर है

अर्जुन
 अर्जुन: अर्जुन का पेड़ आमतौर पर जंगलों में पाया जाता है और यह धारियों-युक्त फलों की वजह से आसानी से पहचान आता है, इसके फल कच्चेपन में हरे और पकने पर भूरे लाल रंग के होते हैं। अर्जुन का वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुना है। औषधीय महत्व से इसकी छाल और फल का ज्यादा उपयोग होता है। अर्जुन की छाल में अनेक प्रकार के रासायनिक तत्व पाये जाते हैं जिनमें से प्रमुख कैल्शियम कार्बोनेट, सोडियम व मैग्नीशियम प्रमुख है। आदिवासियों के अनुसार अर्जुन की छाल का चूर्ण तीन से छह ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में दो या तीन बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फ़ायदा होता है। वैसे अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर ले सकते हैं। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें इससे उच्च-रक्तचाप भी सामान्य हो जाता है।
अशोक
अशोक
 अशोक: ऐसा कहा जाता है कि जिस पेड़ के नीचे बैठने से शोक नहीं होता, उसे अशोक कहते हैं। अशोक का पेड़ सदैव हरा-भरा रहता है, जिसपर सुंदर, पीले, नारंगी रंग फ़ूल लगते हैं। अशोक का वानस्पतिक नाम सराका इंडिका है। अशोक की छाल को कूट-पीसकर कपड़े से छानकर रख लें, इसे तीन ग्राम की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर में आराम मिलता है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार यदि महिलाएं अशोक की छाल 10 ग्राम को 250 ग्राम दूध में पकाकर सेवन करें तो माहवारी सम्बंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
कचनार
कचनार
कचनार: हल्के गुलाबी लाल और सफ़ेद रंग लिये फ़ूलों वाले इस पेड़ को अक्सर घरों, उद्यानों और सड़कों के किनारे सुंदरता के लिये लगाया जाता है। कचनार का वानस्पतिक नाम बाउहीनिया वेरीगेटा है। मध्यप्रदेश के ग्रामीण अँचलों में दशहरे के दौरान इसकी पत्तियाँ आदान-प्रदान कर एक दूसरे को बधाईयाँ दी जाती है। इसे सोना-चाँदी की पत्तियाँ भी कहा जाता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार जोड़ों के दर्द और सूजन में आराम के लिये इसकी जड़ों को पानी में कुचलते है और फ़िर इसे उबालते है। इस पानी को दर्द और सूजन वाले भागों पर बाहर से लेपित करने से काफी आराम मिलता है। मधुमेह की शिकायत होने पर रोगी को प्रतिदिन सुबह खाली पेट इसकी कच्ची कलियों का सेवन करना चाहिए।
गुन्दा
गुन्दा
गुन्दा: गुन्दा मध्यभारत के वनों में देखा जा सकता है, यह एक विशाल पेड़ होता है जिसके पत्ते चिकने होते है, आदिवासी अक्सर इसके पत्तों को पान की तरह चबाते है और इसकी लकड़ी इमारती उपयोग की होती है। इसे रेठु के नाम से भी जाना जाता है, हलाँकि इसका वानस्पतिक नाम कार्डिया डाईकोटोमा है। इसकी छाल की लगभग 200 ग्राम मात्रा लेकर इतने ही मात्रा पानी के साथ उबाला जाए और जब यह एक चौथाई शेष रहे तो इससे कुल्ला करने से मसूड़ों की सूजन, दांतो का दर्द और मुंह के छालों में आराम मिल जाता है। छाल का काढ़ा और कपूर का मिश्रण तैयार कर सूजन वाले हिस्सों में मालिश की जाए तो फ़ायदा होता है।
फालसा
फालसा
11) फालसा: फ़ालसा एक मध्यम आकार का पेड़ है जिस पर छोटी बेर के आकार के फल लगते है। फ़ालसा मध्यभारत के वनों में प्रचुरता से पाया जाता है। फ़ालसा का वानस्पतिक नाम ग्रेविया एशियाटिका है। खून की कमी होने पर फालसा के पके फल खाना चाहिए इससे खून बढ़ता है। अगर शरीर में त्वचा में जलन हो तो फालसे के फल या शर्बत को सुबह-शाम लेने से अतिशीघ्र आराम मिलता है। यदि चेहरे पर निकल आयी फुंसियों में से मवाद निकलता हो तो उस पर फालसा के पत्तों को पीसकर लगाने से मवाद सूख जाता है और फुंसिया ठीक हो जाती हैं।
बरगद
 बरगद
 बरगद: बरगद को 'अक्षय वट' भी कहा जाता है, क्योंकि यह पेड़ कभी नष्ट नहीं होता है। बरगद का वृक्ष घना एवं फैला हुआ होता है। बरगद का वानस्पतिक नाम फाइकस बेंघालेंसिस है। पेशाब में जलन होने पर दस ग्राम ग्राम बरगद की हवाई जड़ों का बारीक चूर्ण, सफ़ेद जीरा और इलायची (दो-दो ग्राम) का बारीक चूर्ण एक साथ गाय के ताजे दूध के साथ लिया जाए तो अतिशीघ्र लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर दाद-खाज खुजली पर लेप लगाया जाए तो फायदा जरूर होता है।


बहेड़ा
बहेड़ा: बहेड़ा मध्य भारत के जंगलों में प्रचूरता से उगने वाला एक पेड़ है जो बहुत ऊँचा, फैला हुआ और लंबे आकार का होता हैं। इसके पेड़ 18 से 30 मीटर तक ऊंचे होते हैं। बहेड़ा का वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया बेलिरिका है। पुरानी खाँसी में 100 ग्राम बहेड़़ा के फलों के छिलके लें, उन्हें धीमी आँच में तवे पर भून लीजिए और इसके बाद पीस कर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण का एक चम्मच शहद के साथ दिन में तीन से चार सेवन बहुत लाभकारी है। बहेड़ा के बीजों को चूसने से पेट की समस्याओं में आराम मिलता है और यह दांतो की मजबूती के लिए भी अच्छा उपाय माना जाता है।

शहतूत


शहतूत: मध्य भारत में ये प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। वनों, सड़कों के किनारे और बाग-बगीचों में इसे देखा जा सकता है। इसका वानस्पतिक नाम मोरस अल्बा है। शहतूत की छाल और नीम की छाल को बराबर मात्रा में कूट कर इसके लेप को लगाने से मुहांसे ठीक हो जाते हैं। शहतूत में विटामिन-, कैल्शियम, फास्फोरस और पोटेशियम अधिक मात्रा में मिलता हैं। इसके सेवन से बच्चों को पर्याप्त पोषण तो मिलता ही है, साथ ही यह पेट के कीड़ों को भी समाप्त करता है। शहतूत खाने से खून से संबंधित दोष समाप्त होते हैं
 
महुआ



महुआ: महुआ एक विशाल पेड़ होता है जो अक्सर खेत, खलिहानों, सड़कों के किनारों पर और बगीचों में छाया के लिए लगाया जाता है और इसे जंगलों में भी प्रचुरता से देखा जा सकता है। महुआ का वानस्पतिक नाम मधुका इंडिका है। आदिवासियों के अनुसार महुआ की छाल का काढ़ा तैयार कर प्रतिदिन 50 मिली लिया जाए तो चेहरे से झाइयां और दाग-धब्बे दूर हो जाते है। इसी काढ़ें को अगर त्वचा पर लगाया जाए तो फोड़े, फुन्सियाँ आदि से छुटकारा मिल जाता है। वैसे डाँग- गुजरात के आदिवासी इसी फार्मूले का उपयोग गाठिया रोग से परेशान रोगियों के लिए करते हैं।

रेगिस्तान का अमृत पीलू
पीलू: पश्चिमी राजस्थान के इस रेगिस्तानी इलाक़े पोकरण पर कुदरत की भी मेहरबानियां हैं। यहां पाए जाने वाले एक पेड़ को स्थानीय भाषा में जाल के नाम से जाना जाता है। इसी जाल के पेड़ पर छोटे छोटे रसीले पीलू के फल लगते हैं। यह फल मई जून तथा हिन्दी के ज्येष्ठ आधे आषाढ़ माह में लगते हैं। इसकी विशेषता यह है कि रेगिस्तान में जितनी अधिक गर्मी और तेज़ लू चलेगी पीलू उतने ही रसीले मीठे होंगे। लू के प्रभाव को कम करने के लिए यह एक रामबाण औषधि मानी जाती है।
इसे खाने से शरीर में केवल पानी की कमी पूरी हो जाती है बल्कि लू भी नहीं लगती है। अत्यधिक मीठे और रस भरे इस फल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे अकेला खाते ही जीभ छिल जाती है, ऐसे में एक साथ आठ-दस दाने मुंह में डालने पड़ते हैं। रेगिस्तान के इस फल को देसी अंगूर भी कहा जाता है। इसीलिए यहां के आम और ख़ास सभी इसे बड़े चाव से इसे खाते हैं। घर आये मेहमानों के सामने इसे परोसा जाता है और एक दूसरे को उपहार स्वरुप भी दिए जाते हैं।

 

तुलसी

तुलसी: तुलसी को आयुर्वेद मे बहुत महत्वपपूर्ण माना गया है |तुलसी की पूजा भी की जाती है और इसकी सुगंध से आस पास का वातावरण भी पवित्र महसूस होता है|तुलसी के पत्तों मे ऐसे बहुत से एंटी ऑक्सीडेंट (Anti Oxident) गुण होते है जो त्वचा और शरीर के कई प्रकार के रोग के इलाज मे लाभदायक है|इसके साथ इसमे विटामिन सी (Vitamin-C), विटामिन (Vitamin-A), विटामिन के (Vitamin-K), आयरन, कैल्सियम और भी कई तरीके के पोषक तत्व मोजूद होते है जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते है| तुलसी के गुण अदभुत हैं, इसलिए इसे औषधीय पौधा माना जाता हैं। तुलसी के उपयोग से कई सारे रोगों का शमन हो जाता है। यह पित्तनाशक, कुष्ठ निवारक, पसली में दर्द, कफ, ख़ून में विकार के उपचार में रामबाण की तरह काम करती हैं। दिल के लिए यह अत्यंत उपयोगी औषधि है। रोजाना तुलसी के पत्ते चबाने से शरीर मे रोगो से लड़ने की क्षमता बढ़ती
तुलसी के गुण


  • बारिश के मौसम मे रोजाना तुलसी के 5 पत्तों का सेवन करने से बुखार और ज़ुकाम जैसी समस्या पास नहीं आती|
  • तुलसी, अदरक, मुलैठी इन सब चिजो को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी और बुखार से राहत मिलती है|
  • मासिक धर्म के चलते अगर कमर मे दर्द हो रहा है तो एक चम्मच तुलसी का रस पीलें|इसके अलावा भी तुलसी के पत्ते चबाने से मासिक धर्म नियंत्रित रहता है|
  • तुलसी की पत्तियों को हल्की आग पर सेक कर नमक लगाकर खाने से खांसी और गला बैठने जैसी समस्या ठीक हो जाती है|
  • आंखो की जलन के लिए तुलसी का अर्क बहुत कारगर होता है| रात मे रोजाना तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखो मे डालना चाहिए|
  • ठंडों मे तुलसी के दस पत्ते ,पाँच काली मिर्च और चार बादाम गिरि इन सब चीज़ों को पीस कर आधा ग्लास पानी मे एक चम्मच शहद के साथ लेने से सभी प्रकार के हृदय के रोग ठीक हो जाते है|तुलसी की 4-5 पत्तियां और नीम के दो पत्तों के रस को 4-5 चम्मच पानी मे घोट कर पाँच से सात दिन खाली पेट सेवन करें इससे उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है|
  • तुलसी के पत्तों का सोंठ के साथ सेवन करने से लगातार आने वाला बुखार ठीक हो जाता है|
  • तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है|तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया जूस जैसे तुलसी का अर्क शहद के साथ नियमित रूप से 6 महीने तक सेवन करने से किडनी की पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकाल जाती है|
  

आंवला को आमतौर पर भारतीय गूज़बैरी और नेल्ली के नाम से जाना जाता है। इसे इसके औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसके फल विभिन्न दवाइयां तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। आंवला से बनी दवाइयों से अनीमिया, डायरिया, दांतों में दर्द, बुखार और जख्मों का इलाज किया जाता है। विभिन्न प्रकार के शैंपू, बालों में लगाने वाला तेल, डाई, दांतो का पाउडर, और मुंह पर लगाने वाली क्रीमें आंवला से तैयार की जाती है। यह एक मुलायम और बराबर शाखाओं वाला वृक्ष है, जिसकी औसत उंचाई 8-18 मीटर होती है। इसके फूल हरे-पीले रंग के होते हैं और यह दो किस्म के होते हैं, नर फूल और मादा फूल। इसके फल हल्के पीले रंग के होते हैं,जिनका व्यास 1.3-1.6 सैं.मी होता है। भारत में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश आंवला के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।
आँवला
दाह, खाँसी, श्वास रोग, कब्ज, पाण्डु, रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। वीर्य को पुष्ट करके पौरुष बढ़ाता है, चर्बी घटाकर मोटापा दूर करता है। सिर के केशों को काले, लम्बे घने रखता है। दाँत-मसूड़ों की खराबी दूर होना, कब्ज, रक्त विकार, चर्म रोग, पाचन शक्ति में खराबी, नेत्र ज्योति बढ़ना, बाल मजबूत होना, सिर दर्द दूर होना, चक्कर, नकसीर, रक्ताल्पता, बल-वीर्य में कमी, बेवक्त बुढ़ापे के लक्षण प्रकट होना, यकृत की कमजोरी खराबी, स्वप्नदोष, धातु विकार, हृदय विकार, फेफड़ों की खराबी, श्वास रोग, क्षय, दौर्बल्य, पेट कृमि, उदर विकार, मूत्र विकार आदि अनेक व्याधियों के घटाटोप को दूर करने के लिए आँवला बहुत उपयोगी है

शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

जिसने करोड़ो रुपया इस नेटवर्क व्यापार से कमाया।।

डायरेक्ट सेलिंग कांसेप्ट का पाठ बेशक आज भारत और हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जा रहा हो या फिर चाहे दुनिया के लगभग 90% प्रोफेशन से जुड़े करोड़ो लोग नेटवर्क मार्केटिंग में किस्मत आजमाते हों लेकिन कुछ पुरानी पद्धति के लोग आज भी नेटवर्क मार्केटिंग को देख कर पता नहीं क्यों नज़र टेढ़ी कर लेते हैं।। 

इन्हें पता धता कुछ नहीं और अपनी मनगढ़त राय नेटवर्क व्यापार के बारे में पेश कर देते हैं।। 

जब ये लोग किसी नेटवर्किंग व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति को एक लाख , 2 लाख , 10 लाख , 50 लाख या उससे भी बड़ा चैक उठाते हुये देखते हैं तो बस इनके दिल पर कितने साँप लौटते हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।।

कुछ पढ़े लिखों को तो लगता हैं कि हमने ज्यादा पढ़ाई लिखाई की है और डिग्रीयां हासिल की हैं।। इसलिये ज्यादा पैसा कमाने का हक हमको हैं।।

वैसे तो पढ़ाई लिखाई का, ज्यादा पैसा कमाने से कोई खास लेना देना नहीं है।।

किन्तु फिर भी एक लीडर की बात याद आती हैं जिसने करोड़ो रुपया इस नेटवर्क व्यापार से कमाया।। 


जब उस लीडर से पूछा गया कि आपने इतना पैसा कमाया है यह किस्मत से कमा लिया या फिर इसके लिये कुछ पढ़ाई लिखाई भी की है।।

हँसी मजाक में यह प्रश्न पूछ लिया गया।।

और फिर उस लीडर ने भी मुस्कुराते हुये जवाब दे दिया कि पुरानी पद्धति का पढ़ा लिखा व्यक्ति नौकरी पाने के लिये एक या दो बार इंटरव्यू देता हैं और हम लोगों को तो रोजाना दिन में पता नहीं कितनी बार इंटरव्यू देने होते हैं।। 
क्योंकि जब हम प्लान शो करते हैं तो एक से लेकर एक हज़ार प्रश्न हमसे पूछ लिये जाते हैं।। 
इसलिए इनका जवाब देने की तैयारी भी करनी पड़ती है।। 
और रही बात किताब पढ़ने की तो जितनी किताबें मैंने पढ़ी हैं उतने में तो मैं कई बार इंजीनियर, कई बार डॉक्टर या कई बार पी0एच0डी0 कर चुका होता।।

उस लीडर ने बताया कि 40 लाख से ज्यादा वह खर्च कर चुका है किताबों के ऊपर और इस व्यापार को सिखाने वाली ट्रेनिंग में जा जाकर।।
कुंतलो वजन है उन किताबों का जो उसके घर पर रखी हुई हैं।।

उस लीडर ने बात को जारी रखते हुये कहा कि दुनिया का चाहे जो भी प्रोफेशन हो हर जगह दो तरह के लोग मिलेंगे एक रिस्क उठाने वाला और दूसरा रिस्क ना उठाने वाला और मजे की बात है कि कामयाबी को रिस्क उठाने वाले लोग ज्यादा पसंद आते हैं।

वाकई में दुनिया का कोई भी प्रोफेशन हो आपको दो तरह के लोग मिलेंगे। लेकिन एक बहुत साधारण जीवन गुजरेगा और दूसरा वो जीवन गुजरेगा जिसको दुनिया किस्मत कहती हैं लेकिन जिसकी उत्पत्ति Risk की बुनियाद पर होती है।।

मैं अपने प्रोफेशन को सलाम करता हूँ क्योंकि दुनिया के बहुत कम ऐसे प्रोफेशन हैं जहाँ आम आदमी भी बड़े बड़े ख्वाबों को पूरा करने का हौसला रखते हुये कामयाबी की हर दहलीज को पार कर सकता है और इसमें कोई दो राय नही की जब नेटवर्क व्यवसाय में एक आदमी कामयाब होता है तो उसके साथ साथ हज़ारों जिंदगियां भी कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ जाती हैं।। 

मुझे गर्व है कि मैं इस महान नेटवर्क व्यवसाय का एक हिस्सा हूँ।।
😊🙏

जितने भी पढ़ें लिखे
लोग है 
एक ही बात कहना चाहूंगा
आप मानो या ना मानो
आनेवाला वक़्त
सिर्फ और सिर्फ
नेटवर्क मार्केटिंग का ही है

आज यदि खुशी से नहीं आए तोह
कल
मजबूरी लाएगी आपको

फैसला आपका

यदि इस सुंदर व्यवसाय के बारे में ज़्यादा जानने के इच्छुक हो तो संपर्क करे।

9352174466

गुरुवार, 9 जुलाई 2020

Adobe Fill & Sign app का वर्णन

Adobe Fill & Sign का वर्णन


The free Adobe Fill & Sign app streamlines the paperwork process and enhances productivity with contracts, business documents, and more.

The app lets you fill, sign, and send any form fast and reliably. You can even snap a picture of a paper form and fill it in on your phone or tablet, then e-sign and send. It’s that easy: no physical document, no printing or faxing needed.

HOW IT WORKS:

• FILL. The Adobe Fill & Sign app allows you to scan paper forms with your camera or open a file straight from your email. Simply tap to enter text or checkmarks in form fields. The app’s custom autofill entries let you fill forms even faster.

• SIGN. With the document signer, easily create your signature with your finger or a stylus, then apply it or your initials directly to the form.

• SEND. Save your forms, contracts, and business documents easily, and send to others immediately via email.


With the sleekest pdf editor and signature app out there it’s that easy.


WHAT CAN ADOBE FILL & SIGN DO FOR YOU?

• GET IT DONE NOW. Adobe Fill & Sign is an intuitive, easy-to-use platform suited to every situation. As long as you have an internet connection, the app allows you to sign documents, anytime, anywhere.

• GO GREEN. Our document signing and editing app allows you to go truly paperless. With Adobe Fill & Sign, send forms by email and avoid wasting paper.

• STAY ORGANIZED. No more messy paperwork with Fill & Sign. The app allows you to store your forms after signing and sending them. With your documents all in one place, simply access the app to consult your forms at a later date.

• GET IT DONE NOW. Adobe Fill & Sign is an intuitive, easy-to-use platform suited to every situation. As long as you have an internet connection, the app allows you to handle any forms, anytime, anywhere.

रविवार, 21 जून 2020

आखिर क्या हुआ LAC पर और क्या हो सकता है?

आखिर क्या हुआ LAC पर और क्या हो सकता है?

#क्या_हुआ_था_गलवान_घाटी_में?

12 बिहार रेजिमेंट के कर्नल,एक जेसीओ और एक सूबेदार के साथ चीनी खेमे को ये संदेश देने गए कि आप हमारे भू भाग पर हो, और #आपको_वापस_जाना_होगा। इस पर चीन और भारत के अग्रिम पंक्ति के बीच बातचीत का दौर चलते चलते अचानक चीनी खेमा उग्र हो कर कर्नल साहब पर नुकीले खील लगे बेस बैट और रॉड से हमला कर देता है। कर्नल साहब बुरी तरह घायल होते हैं। अपने कर्नल को घायल होता देख उनका जेसीओ और सूबेदार सामने आता है, और उनके माथे और पेट पर नुकीले कीलों वाले बेस बैट और लोहे के पंचों से हमला कर के उन्हें गम्भीर रूप से घायल कर दिया जाता है। पीछे आ रही भारतीय जवानों के पेट्रोलिंग पार्टी के ट्रक के ऊपर बड़ी चट्टान गिरा कर उनके वाहन को घाटी के नीचे नदी में गिरा दिया जाता है। उस ट्रक में 17 जवान मौजूद थे। अंजाम आप कल्पना कर लीजिये। दरबारी मीडिया ये सब सच कभी बताती नहीं,और कई बार सरकार कुछ जरूरी प्रोटोकॉल के वजह से इन सब खबरों को सामने नहीं लाता।

#सीन_नम्बर_2

इस घटना के तुरंत बाद पीछे आने वाली भारतीय फौज की 12th Bihar Regiment और Punjab Battalion की एक बड़ी टुकड़ी ने #रिइंफोर्समेंट किया। बिहार रेजिमेंट के कर्नल गम्भीर रूप से घायल है सुनकर बिहार रेजिमेंट के जवान आंदोलित हो उठे, साथ में पंजाब रेजिमेंट (पंजाब रेजिमेंट का मतलब सिख रेजिमेंट नहीं है) भी थे। फिर क्या था, चीनियों के तंबू और टेंट पर पंजाब रेजिमेंट के जवानों ने #आग_लगाना_शुरू_किया, और जैसे ही #क़ौमग्रेस_के_यार_चीनी_छुछुन्दर बाहर निकलते बिहार रेजिमेंट के खूंखार बिहारी जवान, "#बजरंगबली_की_जय" बोल कर गर्दन धड़ से अलग करते। पीछे से पंजाब रेजिमेंट के जवान #जो_बोले_सो_निहाल, #सत_श्री_अकाल" की युद्ध उदघोष कर बदस्तूर अपनी कार्यवाही जारी रखते रहे। 

उसके बाद 
देखते ही देखते भारतीय जवान 112, जी हां 112 चीनियों को मौत के घाट उतार चुकी थी। भारत के सिर्फ 3 फौजी (अफसर सहित) देश पर न्योछावर हुए, बाकी 17 जवान दुर्घटना के शिकार हुए। कुल 20 अमूल्य प्राण न्योछावर हुए।

#क्या_किया_चीन_ने??

चीन ने बीजिंग के सारे मिलिट्री हस्पतालों को रातों रात खाली करवाया। डेढ़ दिन लगातार लाशें जली। #डेढ़_दिन ??? #चीन_के_पालतू_कुत्ते और #भारत_के_रंडीटीवी_टाइप एक न्यूज चैनल जिसका नाम #ग्लोबल_टाइम्स है, ने लिखा कि चीन को बेहद "#भारी_नुकसान" हुआ। अब ये भारी नुकसान क्या था ? चीन ने स्वीकार किया कि उनके 43 जवान मारे गए, अगर चीन 43 जवानों के मरने की पुष्टि करता है तो आप 43X4 कर लीजिएगा। चीन जैसा देश #डरपोक और #दब्बू,  आंकड़े ऐसे ही बताया करता है। वैसे भी 43 शव उठाने के लिए 47 हेलीकॉप्टर नहीं भेजना पड़ता है।

#एक_बात_और

चीन 1970 से One Child की policy चलाता आया है। फलस्वरूप चीन में जो #लौंडे_भूले_भटके_पैदा_होते_हैं, अपने देश के #पप्पू_जैसे, वो बेहद ऐशोआराम और लाड़ प्यार में पल कर बड़े होते हैं। काम-धाम न मिलने से चीन की #फर्जी_आर्मी में आ कर ऐश करते हैं। और जब वास्तविक जंग हो तो "बिहार रेजिमेंट" टाइप प्रॉफेशनल किलर को सामने देख #कपड़ों_पर_हग_देते_हैं। कमोबेश चीन की पूरी आर्मी #पिछले_45_साल_से_कोई_जंग_न_लड़_सकी। वहीं आप हिंदुस्तान की फौज का मेरिट रिकॉर्ड जानते हैं। बेवजह इंडियन आर्मी के बहादुरी के किस्से नहीं सुनाऊंगा, क्योंकि इंडियन आर्मी का एक पर्यायवाची शब्द "#बहादुर" ही है। यकीन न हो तो ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनक़री खोल लीजिएगा। आगे बढें?? चलिए फिर गंतव्य से आगे।

अगर युद्ध पर आया चीन!

भारत के साथ कूटनीतिक मोर्चे पर, रूस, अमेरिका, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, फ्रांस, ताइवान, फिलीपींस, इंडोनेशिया,विएतनाम, अफ़ग़ानिस्तान, कजाकिस्तान, और सबसे बढ़ कर इज़राइल (जो ये कहता है कि भारत पर हमला करने से पहले हमसे लड़ना होगा) साथ होंगे। भारत, रूस, अमेरिका और जापान मिल कर साउथ चीन कॉरीडोर को ब्लॉक कर देंगे। और फिर शुरू होगा "विशुद्ध भारतीय प्रहार" कैसा होगा ये ??

भारत सिर्फ अपने दो हथियारों से लड़ेगा। 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाला #ब्रम्होस मिसाइल, जिसकी काट दुनिया के किसी दूसरे देश के पास नहीं, यहां तक कि अमेरिका के पास भी नहीं। जो मैक 7 की रफ्तार से चलता है। जिसे खुली आँखों से देखना भी संभव नहीं, न दुनिया का कोई रडार इसे पकड़ सकता है। लो एल्टीट्यूड पर उड़ने वाला ये मिसाइल बेहद घातक और बदनाम है।इस मिसाइल को नज़र पर कोई इस ग्रह का प्राणी रख ही नहीं सकता। आगे आप समझदार हैं।

दूसरा हथियार!

भारत एक ऐसा शांत और चमत्कारी देश है, जिनके अभिनव हथियार और उनकी मारक क्षमता को कोई आंकलन कर ही नही सकता। काली 5000 और काली 10000 एक चमत्कार ही हैं, जिसे भारत के अलावा कोई दूसरा देश जानता भी नहीं। अवाक्स और ए एन 32 श्रेणी के विमानों पर इनकी त्वरित तैनाती हो सकती है। सेकंड के 10वें भाग में काली क्या कहर मचा सकती है ये पाकिस्तान ने 2012 अप्रेल को देख लिया है।मैं इस हथियार के बारे में ज़्यादा कुछ बोलना उचित नहीं समझता। आप खुद शोध और रिसर्च कीजिये, गूगल बाबा के द्वारा।

#क्या_करेगा_ब्रम्होस

चीन जब तक सोच विचार करेगा तब तक उसके सैकड़ों शहर ब्रम्होस लील चुका होगा। ब्रम्होस दुनिया का एकमात्र ऐसा मिसाइल सिस्टम है जो "#Fire_And_Forget" पद्धति पर काम करता है।पहला ब्रम्होस मिसाइल लांच करने के लिए 3 मिनट लगते हैं। और उसके बाद लगातार 20 ब्रम्होस मिसाइल हर 3 सेकंड में आकाशीय बिजली की गति से हमला करते हैं। पहले जो ब्रम्होस मिसाइल बनी थी वो 3000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 290 किलोमीटर तक मार करती थीं अब जो ब्रम्होस मिसाइल में डीआरडीओ ने फेरबदल किया है तो वो लगभग 470 किलोमीटर की दूरी और लगभग 3700 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ़्तार से मार कर सकती है। और ये मार नभ, जल या स्थल कहीं से भी हो सकती है।

क्या हो अगर चीन परमाणु बम दागने की सोचे??

चीन जैसा दब्बू राष्ट्र अव्वल तो ऐसा करेगा नहीं, और अगर करने की योजना भी बनाये तो परमाणु बम लांच होने के पहले 25 मिनट का एक चार्जिंग सेशन होता है,जिसमें अपरम्पार धुंआ और रोशनी निकलती है। और इसे पकड़ने के लिए अंतरिक्ष में भारतीय शूरवीर #सेटेलाइट पहले से ही मौजूद है जो अग्नि और ब्रम्होस टाइप के मिसाइल सिस्टम को फारवर्ड कर देंगे। और फिर क्या करेगा भारत ये मुझे अपने किसी मित्र को समझाना नहीं पढ़ेगा।

#अंततः

ये हम नव युवाओं का भारत है, सशक्त प्रधानमंत्री मोदी का भारत है। 1962 का नहीं 2020 का भारत है। भारत को किसी भी तरह किसी भी क्षेत्र में कम आंकना विश्व समुदाय की भारी भूल होगी। 2020 के खत्म होते होते निश्चित तौर पर विश्व समुदाय को और हमारे घर में बैठे कुछ "#भटके" हुए को इसका एहसास हो जाएगा।

शनिवार, 13 जून 2020

रामायण महाभारत का प्रभाव कोरोना के संदर्भ में

*जिसने भी इसे लिखा उसे साष्टांग दंडवत*


पत्नी ने पतिदेव को आवाज़ लगाई.... "यह क्या ! आप यहां बालकनी में अकेले - अकेले *'क्वारंटाईन'* हुए खड़े हैं और एक मै हूं जो आपको ढूंढने के लिए हर कमरे में *स्क्रीनिंग* करवा रही हूं। पहले ड्राइंग रूम में ढूंढा, लेकिन टेस्ट में आप *'नेगेटिव'* निकले। डायनिंग रूम में भी रिज़ल्ट नेगेटिव ही था, फिर बेडरूम और किचन तक की *'स्क्रीनिंग'* करवाई तब जाकर आप इस बालकनी में *'पॉजिटिव'* निकले हैं । घर में इतना काम पड़ा है और आप यहां बालकनी की शुद्ध हवा से अपनी *'इम्यूनिटी'* बढ़ाने में लगे है  ! कहीं आप फिर से आस-पड़ोस वाली सुंदरियों के सौंदर्य से *संक्रमित* होकर तो यहां नहीं खड़े हैं ? याद है ना कि मै आपको पहले भी उनसे *सोशल डिस्टेंसिंग* मेनटेन करने की चेतावनी जारी कर चुकी हूं और आप है कि उन सौंदर्य युक्त *वायरसों* से मुक्त नहीं हो पा रहे है ? यदि वे सब ब्यूटी क्वीन है तो मै भी किसी *हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन* से कम नहीं हूं। सच- सच बताओ कि इस *इम्यूनिटी* के बहाने से कहीं महिलाओं की *कम्युनिटी* में आप दिलों का *ट्रांसमिशन* तो नहीं बढ़ा रहे हो ना ? याद रखना कि यदि मेरा शक एक *कनफर्म्ड केस* निकला तो इसी बालकनी में लॉक लगाकर आपको जिंदगी भर के लिए घर के अंदर *लॉकडाउन* कर दूंगी।

अच्छा चलो, अब कुछ काम की बात। बर्तनों को मैंने *'सेनेटाईज'* कर दिया है, किन्तु कपड़ों के ढेर का *सेनेटाईजेशन* अभी बाकी है। जल्द ही आटा गूंदने से लेकर सब्जी काटने तक के कई *'प्रकरण'* भी सामने आने वाले है। इससे पहले कि सारे काम एक साथ पेंडिंग होकर किसी *महामारी* का रूप ले लें, आप एहतियात बरतते हुए अपनी इच्छाओं को *मास्क* से ढक कर यह बालकनी छोड़ो और सारे काम निबटाना शुरू कर दो। घर की सफाई की स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। धूलकणों के आधार पर सिर्फ ड्राइंग रूम ही *ग्रीन जोन* में दिखाई देता है, बाकी बेडरूम *ऑरेंज जोन* तो डायनिंग रूम *रेड जोन* में बने हुए है। बाथरूम तो गंदगी का *हॉटस्पॉट* बन चुका है। इसकी दीवार की जिस दरार में से कॉकरोच निकल रहे हैं ,उसे मैंने पूरी तरह से *'सील'* कर दिया है। दवाई  तो डाली किन्तु *कॉकरोचों की मृत्यु दर*  बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही है। आपको ही कुछ करना पड़ेगा।

अरे हां ! सुना है आप संदिग्ध होकर भी अपनी *'हिस्ट्री'* छुपा रहे है ! मैं सब जानती हूं कि कल पूरी दोपहर किचन में बैठकर आलू के पराठे आपने ही उड़ाए थे। इसलिए आज से मैंने  किचन को दोपहर के समय में *'कंटेंटमेंट एरिया'* घोषित कर दिया है। शाम होने से पहले किचन में जाना पूर्णतया *'प्रतिबंधित'* है । रसोई बनाने से पहले घर के सभी सदस्यों का *'मास टेस्टिंग'* करके यह जरूर पूछ लेना कि शाम के खाने में उन्हें कौन-सा टेस्ट चाहिए, ताकि एक जैसी रसोई बन पाए। यदि मेरी बातें कुछ असर कर रही हो तो जल्दी से काम शुरू करो, वरना गुस्से में रूठकर यदि मैं *'सेल्फ आइसोलेशन'*  में चली गई तो तुम्हारे मनाने का कोई भी *'वैक्सीन'* काम नहीं करेगा।"

माइ डियर *करोनी* मुझे सब हिदायतें अच्छी तरह याद है, इसीलिए तो मैं तुम्हारी डांट *चुपचाप* सुन रहा हूं और *अनलोकन २* की राह देख रहा हूं।  प्रिये, मैं जानता हूं कि यह तुम्हारे गुस्से का *'इनक्यूबेशन पीरियड'* है, बाद में तो हालात और बेकाबू हो जाएंगे।" कहते हुए पतिदेव घर के काम निबटाने चले गए।

😃😄😄
😀😀😀

सोमवार, 8 जून 2020

फेसबुक अकाउंट हेक करना और किसी की भी निजी जानकारी को चुराना एक क्राइम है


ये जरुरी नही के आप जिसका अकाउंट हेक करने के बारे मे बात कर रहे हो उनका पासवर्ड इतना आशान हो और वो इतना टेकी बंदा ना हो ।
अगर मान के चले की उनको इतना ज्यादा टेकनोलोजी का ज्ञान नही है और वो आपके झांसे मे आ सकता है तो मे आपको 10 तरीके बता सकता हु जो हेकर फेसबुक अकाउंट हेक करने के लिये इस्तेमाल करते थे / है ।
फेसबुक अकाउंट हेक करना और किसी की भी निजी जानकारी को चुराना एक क्राइम है । मे आपको ये तरीके सिर्फ आपका ज्ञान बढाने के लिये बता रहा हु ।
Facebook ID Hack Karane Ke 10 Tarike
  • Phishing
  • Keylogging
  • Stealer’s
  • Session Hijacking
  • Sidejacking With Firesheep
  • Mobile Phone Hacking
  • DNS Spoofing
  • USB Hacking
  • 5 Minute Trick
How To Hack Facebook Account In Hindi
1) Phishing – फिशिंग से ID Kaise Hack करते है
Vector के द्वारा इस्तिमाल किया जानेवाला सब से Most Popular Attack Phishing है. जहा Different-Different Method का इस्तिमाल कर के Victim के किसी भी Social Networking साइट के Login Page को हैक किया जा सकता है
जैसे की अगर किसी Hacker को किसी User का Facebook Account ID Hack करना है तो वो Simple एक Facebook का Fake Login Page Create करेगा जिसे देखने से Same Facebook जैसे ही दिखेगा और उसे किसी Hosting के साथ Connect कर देगा
जिसका Web Address छोड़कर पूरा Home Page Facebook जैसे ही होगा अब Next वो हैकर जिस भी Victim का Facebook Account हैक करना चाहता है उसे वो किसी भी बहाने Fake Link भेज देगा
और जैसे ही Victim उस Fake Link पर Click करेगा वैसे ही उसके सामने Hacker का बनाया Fake Page दिखाई देगा जो पूरी तरह से Original Facebook जैसे ही दिखाई देता है और इसी धोके में आकर Victim हैकर के बनाये Fake पेज में Login लेता है
और जैसे ही Victim उस Fake Page में Login लेता है वैसे ही उस Victim का Real Facebook का Email और Password Hacker के पास चला जाता है
दोस्तों Phishing का इस्तिमाल केवल Facebook ID Hack करने के लिए नहीं तो Other Account भी हैक करने के लिए किये जाते है |
बहोत से User हमे पूछते है की क्या Phishing से केवल Facebook Id Hack कर सकते है तो नहीं दोस्तों आप Phishing Script से Gmail ,Tweeter,Instagram भी हैक कर सकते है
2) Keylogging – ID Kaise Hack करते है
किसी के भी Facebook Account का PasswordID Hack करने का सब से Easiest तरीका Keylogging है.
कभी-कभी की Keylogging इतनी खतरनाक हो सकती है कि कंप्यूटर के अच्छे ज्ञान वाले व्यक्ति भी इसमें धोका खा सकते है दोस्तों Keylogger एक Basically एक Small Program है
जिसे Victim के Computer या Laptop में Install किया जाता है जिस के बाद Targeted कंप्यूटर पर Victim जितने भी बार Keyboard पर Key Press करेगा उस Key के Record को यह Program Save कर लेगा
जैसे की मानलो हम ने आप के Computer में Keylogger Install कर रखा है और आप आपने समय के अनुसार उस Computer में Facebook Account में Login के लिए Email और Password टाइप करोगे तो उस Email और Password को यह Keylogger आपने Database में Text Format में Save कर लेगा तो इसी तरह यह Keylogging काम करता है
दोस्तों Keylogger के मदत से केवल Facebook ही नहीं तो Victim अपने Computer में जितने भी Account में Login लेगा उन सारे Account के ईमेल और Password का Report Keylogger आप को देगा तो इसीलिए यह Keylogging Method सब से आसान और खतरनाक है जिस से भी कोई इंसान इस्तिमाल कर के किसी का भी Facebook Hack कर सकता है
3) Stealer’s – Id Hack Kaise Karte Hai
दुनिआ में Almost 80% Percent लोग आपने Facebook Account ID का Passwords Browser में Store करते है क्यों की यह एक Fast तरीका है जिस से आप Quickly आपने Account में Login ले सकते है
पर कभी कभी यह तरीका आप के लिए बहोत Dangerous साबित हो सकता है क्यों की Stealer’s नाम का जो Program है उसे Specially Browser में Save किये Facebook Account का Password Capture करने के हिसाब से ही Design किया गया है
जिस से अगर Hacker को किसी भी Victim का Facebook ID Hack करना है तो वे सरल उसके Computer पर यह Stealer प्रोग्राम को Run कर देगा और अगर उस Victim ने अपने Browser में Facebook का Password Save कर के रखा है तो यह Stealer कुछ ही Second में Victim के Browser में Save Password को Capture कर के Hacker को दिखा देगा
4) Session Hijacking से Facebook Id Hack Karne Ka Tarika
दोस्तों अगर आप Https को छोड़ कर (HTTP )Non Secure तरीके से Log In or Sign Up तक पोहच रहे है तो आप के Facebook Account पर Session Hijacking का Attack हो सकता है
अब यह Session Hijacking होता क्या है उसके बारे में Short में बताने की कोशिश करते जैसे की अगर आप आपने Facebook Account में Login लेते हो और जब आप अपने Account में Enter करते हो तो वो आप का Session होता है
और जैसे की हम सभी को Cookie के बारे में पता ही है जो हमारे Browser के Password को Save कर के रखता है क्यों की अगर हम Next Time जभी अपने किसी भी Account में Login करे तो हमे बार -बार Password डालना ” ना ” पड़े
अब Session Hijacking में Hacker किसी भी Victim के Cookie वाले Session को Hijack करते है और उसके Account का Access खुद के पास ले ले ते है |
दोस्तों Session Hijacking Widely LAN, And WiFi Connections में किया जाता है जहा Multiple Computer एक ही Network में जुड़े रहते है जहा से आपने According किसी भी Computer को टारगेट बना कर उसके Cookie वाले Session को Hijack किया जाता है
5) Sidejacking With Firesheep से Facebook Id Hack Kaise Kare
2010 के आखिर में Sidejacking हमला आम हो गया था हालांकि यह अभी भी लोकप्रिय है। Firesheep का व्यापक रूप से Side Jacking हमलों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है
Firesheep केवल तभी काम करता है जब हमलावर (Attacker) और पीड़ित(Victim) एक ही WiFi Network पर होते है.
Sidejacking Attack को Basically Http Session Hijacking भी कहा जाता है पर इसका इस्तिमाल ज्यादातर एक ही WiFi के साथ जुड़े लोगों के Account Hack करने के लिए किया जा सकता है
6) Mobile Phone Hacking
Millions Of User’s मोबाइल पर Facebook का इस्तिमाल करते है यदि किसी Hacker को Victim के Facebook Account का Password पता करना है तो वो Direct Victim के Mobile को Hack कर लेगा
अब किसी के भी Mobile को हैक करने के बहोत सारे Method है जिस में से सबसे Popular Method का नाम Mobile Spy है जहा हैकर Victim के Mobile में एक Virus Install कर देता है
जिस के बाद Victim के Mobile का सारा Control उसे हैकर के पास चला जाता है . तो अगर आप को भी किसी का भी Mobile हैक करना है तो निचे दिए Link पर Click करे जहा “किसी का भी Mobile कैसे Hack करे” उसकी पूरी जानकारी Step By Step शेयर की है
7) DNS Spoofing से Facebook Ka Password Kaise Hack Kare
अगर Attacker और Victim एक ही Network में होंगे तो Attacker उस Victim पर DNS Spoof कर के उसका Original Facebook को Fake Facebook Page के साथ Replace कर सकता है और उस Victim का Facebook Account हैक कर सकता है
अब आप सोचोगे की यह कैसे Possible है तो दोस्तों Actually इंटरनेट पर जितने भी Websites है उनके Behind में एक IP Address काम कर रहा होता है जैसे की अगर आप Browser के Address Bar पर 157.240.13.35 यह IP Address टाइप कर के Enter करोगे तो आप के सामने Facebook खुलेगा क्यों की Server IP Address’s पर Deal करता है
तो ऐसे में हमारे Computer की भी एक Personal IP Address होती है और अगर हम उस Address से Google पर Facebook के लिए Request कर रहे है तो Return में Server हमारे IP Address पर Facebook को भेज देगा और हमारे कंप्यूटर पर फेसबुक चालू होगा
तो दोस्तों यहा होता क्या है ? Attacker हमारे Personal IP Address को Spoof कर देते है याने नक़ल करते है और हमारे Spoof IP से Server को किसी भी Website के लिए Request भेजते है
और Server उनके Request को पूरा कराती है। तो अगर Attacker Server को Facebook के लिए Request कर रहा है और हम Google के लिए Request कर रहे है तो हमारे Computer पर Facebook खुलेगा तो इसी तरह Attacker एक Phishing Page बनाकर खुदका सर्वर बनाते है और उसे हमारे Real Facebook के साथ Replace कर देते है और हम Facebook Phishing का शिकार बन जाते है
8) USB Hacking से FB ID Kaise Hack Kare
USB Hacking के लिए Attacker को Physically आप के Computer या Laptop के पास आना पड़ता है और उस Programmer USB को आप के System में लगाना पड़ता है जिस से आप के Computer में Save सारे Password Automatic Attacker के USB (Pendrive) में Save हो जाते है
Usb Hacking Program Name :- USB Stealer
9) Man In The Middle Attacks से Account Hack Kaise Kare
मानलो 2 कंप्यूटर आपस में एक Server से जुड़े है जो एक दूसरे को डाटा भेजते रहते है और ऐसे में अगर कोई Man याने Attacker इस Server को Hack कर के उन दोनों Computer के डाटा Modify कर के एक दूसरे को भेज रहा है याने “Man In The Middle Attacks“
जहा एक आदमी 2 नेटवर्क के बिच में आकर उनका डाटा चुराता है ! और यह बात इन Network में लगे इन दो कंप्यूटर (Victim) को पता भी नहीं चलता है की कोई उनका डाटा बिच में बैठकर चुरा रहा है या Modify कर रहा है
तो दोस्तों यह Man In The Middle Attacks कैसे करते है और इस से कैसे बचा जा सकता है यह सब हम आने वाले Post में जानेंगे फिलाल तो आप यह समझ ने की कोशिश करे की Man In The Middle Attacks से भी Facebook को हैक किया जा सकता है.

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