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मंगलवार, 25 मई 2021

आखिर darjuv9 का प्रोडक्ट ही क्यो उपयोग करें ??

 आखिर darjuv9 का प्रोडक्ट ही क्यो उपयोग  करें  ??

Food grade / Biodegradable

Recyclable packaging अपने उत्पादों मे ...... 

एक जिम्मेदारी जो सभी मिलकर उठाये तो समाधान हो सकता है , सभी ऐसा करे तो बेहतर होगा । जब भी कोई products खरीदे तो जरूर चेक करे कि packing क्या है ?। हम पेड़ कटने से न भी रोक सके तो कम से कम 2 पेड़ लगा तो सकते है । idea positive contribution का है ।  Negative impact को कम करने का एक ही तरीका है positive contribution towards environment किया जाए।


वो ही उत्पाद खरीदे ओर प्रमोट करे जिनकी पैकिंग Food grade / Biodegradable

 Recyclable पैटर्न को फॉलो करें । शुरुवात खुद से । 


"..अंत से पहले सम्भलना होगा ..… मान लीजिये आज आपने 20 रुपये की पानी की बोतल खरीदी, और पीकर फेंक दिया। तो इस बोतल का 90 फीसदी हिस्सा 27-28 वीं सदी में नष्ट होगा। करीब 450 से 500 साल लगेंगे। यानि जिस बोतल में पानी पिया होगा वह आज भी मौजूद है। हर 60 मिनट में 6 करोड़ बोतल बेची जा रही है, अरबो खरबो का व्यापार है। हिन्द महासागर में करीब 28 पैच (प्लास्टिक पहाड़) का बन चुका है। जानवर मर रहे है, मछलियां, समुद्री जीव मर रहे हैं। अगला नम्बर आपका और मेरा है ।


फाइव स्टार और अन्य होटल में भारत मे रोज करीब 4 लाख पानी की बोतल का कूड़ा निकलता है। शादी विवाह में अब कुल्हड़ में पानी पीना, तांबे पीतल के जग से पानी पिलाना फैशन वाह्य है, बेल, कच्चे आम, पुदीना या लस्सी के शर्बत की जगह पेप्सी कोक की बोतल देना चाहिए नही तो लोग गंवार समझेंगे। विज्ञान के अनुसार सोडा प्यास बुझता नही, बढ़ाता है। फिर भी ठंडा मतलब ठंडा, प्यास लगे तो पेप्सी यह टीवी में दिखाता है। 

यूरोप के बहुत देशों ने अपने प्रदूषण पर काबू पाया है, अब उनके नल का पानी पीने योग्य हो गया। लेकिन गंगा यमुना सहित सैकड़ों नदियों, लाखो कुंवे के देश मे पानी का व्यापार अरबो रुपये का है। लगातार भूजल नीचे जा रहा है, एनसीआर डार्क जोन बन गया है, देश के के महानगर में कूड़े और इससे रिसता लीकेज

 कैंसर पैदा कर रहा है। तो क्या हुआ? जो होगा देखा जाएगा..


सोचना आपको है आने वाली पीढ़ी को क्या देके जाना चाहते है ।।???

Think 

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Kailash Chandra Ladha - 9352174466

Hemant Bajpai- 9414129498




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जब बात आर्गेनिक की हो तो पैकेट मे लेबल जरूर देखें Organic Products in Jodhpur

मेडिसन  बेचना किरदार है
और डुप्लीकेट मेडिसन बेचना भी एक किरदार है ,

रेमेडीसीवर इंजेक्शन बेचना किरदार है
डुप्लीकेट इंजेक्शन बेचना भी एक किरदार है ,

ब्रांड प्रोडक्ट बेचना किरदार है
ब्रांड का डुप्लीकेट बेचना भी एक किरदार है , 


ऑर्गेनिक बेचना किरदार है
डुप्लीकेट ऑर्गेनिक बेचना भी एक किरदार है 


कमाते दोनों हैं दोनों के किरदार में "फर्क" होता है जनाब ..... मैं यह जो बता रहा हूं यह मैंने उस बात का उत्तर दिया था जो मुझे एक direct selling industry के व्यक्ति ने पूछा था , 


ऑर्गेनिक को लेकर के मुझे कई सारे कॉल आए थे और बहुत लोगों ने अपने प्रोडक्ट को स्टडी किया उन प्रोडक्ट्स को जिनके ऊपर ऑर्गेनिक लिखा था उसके उन्होंने पीछे लेवल चेक किए उसी में से एक व्यक्ति का कॉल आया कि ".....मेरे प्रोडक्ट में ऑर्गेनिक लिखा है लेकिन back side लेबल पे कोई सर्टिफिकेशन नहीं है तो मैंने अपने सीनियर से पूछा इस बारे में आपका क्या कहना है तो उन्होंने सीधा कोई रिप्लाई ना दे कर अपना कमीशन स्टेटमेंट भेज दिया और बोला नेगेटिव बात करने से या इधर-उधर की बात करने से बेहतर है काम पर ध्यान दो मैंने उनको बोला काम पर तो ध्यान दे ही रहा हूं लेकिन मैं जिन लोगों को प्रोडक्ट देता हूं मैं उन्हें "सही प्रोडक्ट" देना चाहता हूं इसलिए पूछ रहा हूं तो उन्होंने बोला पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है आपका मोटिवेशन डाउन है तो 

मैंने उनसे बोला कि मुझे सिर्फ इस ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के लिए पंख यानी कि सर्टिफिकेट आप बता दीजिए हौसला मेरे अंदर बहुत है फिर उन्होंने बोला कि चलो मैं तुम्हारी M D  से बात करवाता हूं , 

एमडी  साहब ने बोला यह प्रोडक्ट पर मेरी फोटो लगी है और कौन सा सर्टिफिकेट चाहिए मेरे से बड़ा सर्टिफिकेट क्या होगा , मैं समझ तो नहीं पाया लेकिन कुछ बोल भी नहीं पाया M D को बोलता भी क्या ? 

परंतु  मुझे यह समझ में आ गया कि जब  तक पैसा है तो जो सामने है वह बेचो बाद में देखा जाएगा, कि policy पे काम हो रहा है लेकिन मुझे समझ नहीं आया कि यह पैसा , गाड़ी जो भी चाहिए वो तो डुप्लीकेट की जगह ओरिजिनल ऑर्गेनिक प्रोडक्ट बेच कर भी आ सकता है तो फिर ऐसा क्यों तब मैंने सबसे पहले जो लिखा है वह जवाब उसको दिया था ओर यही कहा था जिस दिन एक भी ग्राहक  जागा ओर उसने इनसे सवाल कर लिया तो ये पढ़े-लिखे लोग जवाब नही दे पाएंगे  । । 

जागरूकता ही समाधान है



, जब बात आर्गेनिक की हो तो पैकेट मे  लेबल जरूर देखें ..... know Your Products । ।







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सोमवार, 24 मई 2021

कुतुबुद्दीन की मौत और स्वामी भक्त घोड़ा "शुभ्रक"

 कुतुबुद्दीन, क़ुतुबमीनार, कुतुबुद्दीन की मौत और स्वामी भक्त घोड़ा "शुभ्रक"     ।। पुनः प्रसारित।।



किसी भी देश पर शासन करना है तो उस देश के लोगों ढह का ऐसा ब्रेनवाश कर दो कि- वो अपने देश, अपनी संस्कृति् और अपने पूर्वजों पर गर्व करना छोड़ दें. इस्लामी हमलावरों और उनके बाद अंग्रेजों ने भी भारत में यही किया. हम अपने पूर्वजों पर गर्व करना भूलकर उन अत्याचारियों को महान समझने लगे जिन्होंने भारत पर बे-हिसाब जुल्म किये थे.


अगर आप दिल्ली घुमने गए है तो आपने कभी क़ुतुबमीनार को भी अवश्य देखा होगा. जिसके बारे में बताया जाता है कि- उसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनबाया था. हम कभी जानने की कोशिश भी नहीं करते हैं कि- कुतुबुद्दीन कौन था, उसने कितने बर्ष दिल्ली पर शासन किया, उसने कब क़ुतुबमीनार को बनबाया या कुतूबमीनार से पहले वो और क्या क्या बनवा चुका था ?


कुतुबुद्दीन ऐबक, मोहम्मद गौरी का खरीदा हुआ गुलाम था. मोहम्मद गौरी भारत पर कई हमले कर चुका था मगर हर बार उसे हारकर वापस जाना पडा था. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जासूसी और कुतुबुद्दीन की रणनीति के कारण मोहम्मद गौरी, तराइन की लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराने में कामयाबी रहा और अजमेर / दिल्ली पर उसका कब्जा हो गया.


अजमेर पर कब्जा होने के बाद मोहम्मद गौरी ने चिश्ती से इनाम मांगने को कहा. तब चिश्ती ने अपनी जासूसी का इनाम मांगते हुए, एक भव्य मंदिर की तरफ इशारा करके गौरी से कहा कि - तीन दिन में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना कर दो. तब कुतुबुद्दीन ने कहा आप तीन दिन कह रहे हैं मैं यह काम ढाई दिन में कर के आपको दूंगा.


कुतुबुद्दीन ने ढाई दिन में उस मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदल दिया. आज भी यह जगह "अढाई दिन का झोपड़ा" के नाम से जानी जाती है. जीत के बाद मोहम्मद गौरी, पश्चिमी भारत की जिम्मेदारी "कुतुबुद्दीन" को और पूर्वी भारत की जिम्मेदारी अपने दुसरे सेनापति "बख्तियार खिलजी" (जिसने नालंदा को जलाया था) को सौंप कर वापस चला गय था.


कुतुबुद्दीन कुल चार साल ( 1206 से 1210 तक) दिल्ली का शासक रहा. इन चार साल में वो अपने राज्य का विस्तार, इस्लाम के प्रचार और बुतपरस्ती का खात्मा करने में लगा रहा. हांसी, कन्नौज, बदायूं, मेरठ, अलीगढ़, कालिंजर, महोबा, आदि को उसने जीता. अजमेर के विद्रोह को दबाने के साथ राजस्थान के भी कई इलाकों में उसने काफी आतंक मचाया.


जिसे क़ुतुबमीनार कहते हैं वो महाराजा वीर



विक्रमादित्य की बेधशाला थी. जहा बैठकर खगोलशास्त्री वराहमिहर ने ग्रहों, नक्षत्रों, तारों का अध्ययन कर, भारतीय कैलेण्डर "विक्रम संवत" का आविष्कार किया था. यहाँ पर 27 छोटे छोटे भवन (मंदिर) थे जो 27 नक्षत्रों के प्रतीक थे और मध्य में विष्णू स्तम्भ था, जिसको ध्रुव स्तम्भ भी कहा जाता था.


दिल्ली पर कब्जा करने के बाद उसने उन 27 मंदिरों को तोड दिया. विशाल विष्णु स्तम्भ को तोड़ने का तरीका समझ न आने पर उसने उसको तोड़ने के बजाय अपना नाम दे दिया. तब से उसे क़ुतुबमीनार कहा जाने लगा. कालान्तर में यह यह झूठ प्रचारित किया गया कि- क़ुतुब मीनार को कुतुबुद्दीन ने बनबाया था. जबकि वो एक विध्वंशक था न कि कोई निर्माता.


अब बात करते हैं कुतुबुद्दीन की मौत की. इतिहास की किताबो में लिखा है कि उसकी मौत पोलो खेलते समय घोड़े से गिरने पर से हुई. ये अफगान / तुर्क लोग "पोलो" नहीं खेलते थे, पोलो खेल अंग्रेजों ने शुरू किया. अफगान / तुर्क लोग बुजकशी खेलते हैं जिसमे एक बकरे को मारकर उसे लेकर घोड़े पर भागते है, जो उसे लेकर मंजिल तक पहुंचता है, वो जीतता है.


कुतबुद्दीन ने अजमेर के विद्रोह को कुचलने के बाद राजस्थान के अनेकों इलाकों में कहर बरपाया था. उसका सबसे कडा बिरोध उदयपुर के राजा ने किया, परन्तु कुतुबद्दीन उसको हराने में कामयाब रहा. उसने धोखे से राजकुंवर कर्णसिंह को बंदी बनाकर और  उनको जान से मारने की धमकी देकर, राजकुंवर और उनके घोड़े शुभ्रक को पकड कर लाहौर ले आया.  


एक दिन राजकुंवर ने कैद से भागने की कोशिश की, लेकिन पकड़ा गया. इस पर क्रोधित होकर कुतुबुद्दीन ने उसका सर काटने का हुकुम दिया. दरिंदगी दिखाने के लिए उसने कहा कि- बुजकशी खेला जाएगा लेकिन इसमें बकरे की जगह राजकुंवर का कटा हुआ सर इस्तेमाल होगा. कुतुबुद्दीन ने इस काम के लिए, अपने लिए घोड़ा भी राजकुंवर का "शुभ्रक" चुना.




कुतुबुद्दीन "शुभ्रक" पर सवार होकर अपनी टोली के साथ जन्नत बाग में पहुंचा. राजकुंवर को भी जंजीरों में बांधकर वहां लाया गया. राजकुंवर का सर काटने के लिए जैसे ही उनकी जंजीरों को खोला गया, शुभ्रक ने उछलकर कुतुबुद्दीन को अपनी पीठ से नीचे गिरा दिया और अपने पैरों से उसकी छाती पर कई बार किये, जिससे कुतुबुद्दीन बही पर मर गया.

इससे पहले कि सिपाही कुछ समझ पाते राजकुवर शुभ्रक पर सवार होकर वहां से निकल गए. कुतुबुदीन के सैनिको ने उनका पीछा किया मगर वो उनको पकड न सके. शुभ्रक कई दिन और कई रात दौड़ता रहा और अपने स्वामी को लेकर उदयपुर के महल के सामने आ कर रुका. वहां पहुंचकर जब राजकुंवर ने उतर कर पुचकारा तो वो मूर्ति की तरह शांत खडा रहा.

वो मर चुका था, सर पर हाथ फेरते ही उसका निष्प्राण शरीर लुढ़क गया. कुतुबुद्दीन की मौत और शुभ्रक की स्वामिभक्ति की इस घटना के बारे में हमारे स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता है लेकिन इस घटना के बारे में फारसी के प्राचीन लेखकों ने काफी लिखा है. धन्य है भारत की भूमि जहाँ इंसान तो क्या जानवर भी अपनी स्वामी भक्ति के लिए प्राण दांव पर लगा देते हैं।

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रविवार, 23 मई 2021

भाजपा, बस एक छोटा सा काम कर दे - चार दिन में कांग्रेसी सड़कों पर नाचते मिलेंगे !!!

*भाजपा, बस एक छोटा सा काम कर दे !!*
😳
एम.ओ. मथाई की किताब “Reminiscences of the Nehru Age” पर लगा बैन हटा ले !!
बिकने दे भारत में और कुछ फ्री बटवा दें !!
चार दिन में कांग्रेसी सड़कों पर नाचते मिलेंगे !!!

सच्चाई दुनियां न जान जाए इसीलिए तो मथाई की पुस्तक को प्रतिबंधित कर दिया गया था। एम ओ मथाई के साथ इंदिरा के अवैध संबंध रहे थे। बारह वर्षों तक। इंदिरा प्रियदर्शिनी ने नेहरू राजवंश को अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया।

इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढ़ाई में खराब प्रदर्शन और ऐयाशी के कारण वह बाहर निकाल दी गयी। उसके बाद उनको शांति निकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया। शान्ति निकेतन से बाहर निकाले जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी। राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था, और मां तपेदिक से स्विट्जरलैंड में मर रही थी। उनके इस अकेले पन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया। फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पर महंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था। फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए।
महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा० श्री प्रकाश ने नेहरू को चेतावनी दी, कि फिरोज खान इंदिरा के साथ अवैध संबंध बना रहा था।फिरोज खान इंग्लैंड में था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी। जल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर,एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी। इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने नया नाम मैमुना बेगम रख लिया। उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी, जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी,,,
नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे, क्योंकि इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना खतरे में आ जाती।इसलिए नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि वह अपना उपनाम खान से गांधी कर लें, हालांकि इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना-देना नहीं था। यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था, और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गये, हालांकि यह बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह ही एक असंगत नाम है। दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था। जब वे भारत लौटे,तो एक नकली वैदिक विवाह जनता के समक्ष स्थापित किया गया था।
इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम गांधी मिला। नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं, जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलता है, वैसे ही इन लोगो ने अपनी असली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले।
के.एन.राव की पुस्तक "नेहरू राजवंश"
(10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र नहीं था,जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक तथ्यों को सामने रखा गया है।उसमें यह साफ़ तौर पर लिखा हुआ है की संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था। दिलचस्प बात यह है कि एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घर में ही हुआ था। मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था।

यूनुस की पुस्तक"व्यक्ति जुनून और राजनीति" (persons passions and politics) (ISBN-10 : 0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है कि संजय गाँधी के जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ किया गया था।

कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक "The life of Indira Nehru Gandhi" (ISBN : 9780007259304) में इंदिरा गांधी के कुछ अन्य प्रेम संबंधो पर प्रकाश डाला गया है। उसमें यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था। बाद में वह एम.ओ मथाई (पिता के सचिव), धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्ध हुईं।

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलो से संबंध के बारे में एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया है,अपनी पुस्तक "Profiles and letters" (ISBN : 8129102358) में। उसमें यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थीं। नटवर सिंह एक आई एफ एस अधिकारी के रूप में इस दौरे पर गए थे। दिन भर के कार्यक्रमों के समाप्त होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था। कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद, इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थीं, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया था। अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही और अंत में वह उस कब्रगाह पर गयीं, जो एक सुनसान जगह थी। वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंदकरके खड़ी रहीं और नटवर सिंह उनके पीछे खड़े थे।जब इंदिरा ने अपनी प्रार्थना समाप्त कर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली, आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया ("Today we have had our brush with history")। यहाँ आपको यह बता दें कि बाबर मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य से उत्पन्न हुआ था।

इतने वर्षों से भारतीय जनता इसी धोखे में है कि नेहरु एक कश्मीरी पंडित था,जो कि सरासर गलत तथ्य है।

इस तरह इन नीचों ने भारत में अपनी जड़ें जमाई जो आज एक बहुत बड़े वृक्ष में परिवर्तित हो गया है, जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओं ने माँ भारती को आज बहुत जख्मी कर दिया है। अब देश के प्रति यदि आपकी कुछ भीC जिम्मेदारी बनती हो, तो अब आप लोग ''निःशब्द'' न रहें और उपरोक्त सच्चाई को सबको बताएं !!!
🙏🏼🙏🏼🇮🇳🚩🚩
वन्दे मातरम।
सिर्फ सनातन हिंदू धर्म के लोग रहे जुड़ते ही 20 लोगों को शेयर करें 
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जात पात की करो विदाई
 हिंदू हिंदू भाई

शुक्रवार, 21 मई 2021

ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50-100 करोड़

एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई कि 
ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50 करोड़ '--
या 100 करोड़ रुपये मिलते हैं?
सुशांत सिंह की मृत्यु के बाद यह चर्चा चली थी कि 
जब वह इंजीनियरिंग का टॉपर था तो फिर उसने फिल्म का क्षेत्र क्यों चुना?

जिस देश में शीर्षस्थ वैज्ञानिकों , डाक्टरों , इंजीनियरों , प्राध्यापकों , अधिकारियों इत्यादि को प्रतिवर्ष 10 लाख से 20 लाख रुपये मिलता हो, 
जिस देश के राष्ट्रपति की कमाई प्रतिवर्ष 
1 करोड़ से कम ही हो-
उस देश में एक फिल्म अभिनेता प्रतिवर्ष 
10 करोड़ से 100 करोड़ रुपए तक कमा लेता है। आखिर ऐसा क्या करता है वह?
देश के विकास में क्या योगदान है इनका? आखिर वह ऐसा क्या करता है कि वह मात्र एक वर्ष में इतना कमा लेता है जितना देश के शीर्षस्थ वैज्ञानिक को शायद 100 वर्ष लग जाएं?

आज जिन तीन क्षेत्रों ने देश की नई पीढ़ी को मोह रखा है, वह है -  सिनेमा , क्रिकेट और राजनीति। 
इन तीनों क्षेत्रों से सम्बन्धित लोगों की कमाई और प्रतिष्ठा सभी सीमाओं के पार है। 

यही तीनों क्षेत्र आधुनिक युवाओं के आदर्श हैं,
जबकि वर्तमान में इनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगे हैं। स्मरणीय है कि विश्वसनीयता के अभाव में चीजें प्रासंगिक नहीं रहतीं और जब चीजें 
महँगी हों, अविश्वसनीय हों, अप्रासंगिक हों -
तो वह देश और समाज के लिए व्यर्थ ही है,
कई बार तो आत्मघाती भी।

सोंचिए कि यदि सुशांत या ऐसे कोई अन्य 
युवक या युवती आज इन क्षेत्रों की ओर आकर्षित होते हैं तो क्या यह बिल्कुल अस्वाभाविक है? 
मेरे विचार से तो नहीं। 
कोई भी सामान्य व्यक्ति धन , लोकप्रियता और चकाचौंध से प्रभावित हो ही जाता है ।

बॉलीवुड में ड्रग्स वा वेश्यावृत्ति, 
क्रिकेट में मैच फिक्सिंग, 
राजनीति में गुंडागर्दी  - भ्रष्टाचार 
इन सबके पीछे मुख्य कारक धन ही है 
और यह धन उन तक हम ही पहुँचाते हैं। 
हम ही अपना धन फूँककर अपनी हानि कर रहे हैं। मूर्खता की पराकाष्ठा है यह।

*70-80 वर्ष पहले तक प्रसिद्ध अभिनेताओं को     
 सामान्य वेतन मिला करता था। 

*30-40 वर्ष पहले तक क्रिकेटरों की कमाई भी 
  कोई खास नहीं थी।

*30-40 वर्ष पहले तक राजनीति भी इतनी पंकिल नहीं थी। धीरे-धीरे ये हमें लूटने लगे 
और हम शौक से खुशी-खुशी लुटते रहे। 
हम इन माफियाओं के चंगुल में फँस कर हम
अपने बच्चों का, अपने देश का भविष्य को
बर्बाद करते रहे।

50 वर्ष पहले तक फिल्में इतनी अश्लील और फूहड़ नहीं बनती थीं।  क्रिकेटर और नेता इतने अहंकारी नहीं थे - आज तो ये हमारे भगवान बने बैठे हैं। 
अब आवश्यकता है इनको सिर पर से उठाकर पटक देने की - ताकि इन्हें अपनी हैसियत पता चल सके।

एक बार वियतनाम के राष्ट्रपति 
हो-ची-मिन्ह भारत आए थे। 
भारतीय मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने पूछा -
" आपलोग क्या करते हैं ?"

इनलोगों ने कहा - " हमलोग राजनीति करते हैं ।"

वे समझ नहीं सके इस उत्तर को। 
उन्होंने दुबारा पूछा-
"मेरा मतलब, आपका पेशा क्या है?"

इनलोगों ने कहा - "राजनीति ही हमारा पेशा है।"

हो-ची मिन्ह तनिक झुंझलाए, बोला - 
"शायद आपलोग मेरा मतलब नहीं समझ रहे। 
राजनीति तो मैं भी करता हूँ ; 
लेकिन पेशे से मैं किसान हूँ , 
खेती करता हूँ। 
खेती से मेरी आजीविका चलती है। 
सुबह-शाम मैं अपने खेतों में काम करता हूँ। 
दिन में राष्ट्रपति के रूप में देश के लिए 
अपना दायित्व निभाता हूँ ।"

भारतीय प्रतिनिधिमंडल निरुत्तर हो गया
कोई जबाब नहीं था उनके पास।
जब हो-ची-मिन्ह ने दुबारा वही वही बातें पूछी तो प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने झेंपते हुए कहा - "राजनीति करना ही हम सबों का पेशा है।"

स्पष्ट है कि भारतीय नेताओं के पास इसका कोई उत्तर ही न था। बाद में एक सर्वेक्षण से पता चला कि भारत में 6 लाख से अधिक लोगों की आजीविका राजनीति से चलती थी। आज यह संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी है।

कुछ महीनों पहले ही जब कोरोना से यूरोप तबाह हो रहा था , डाक्टरों को लगातार कई महीनों से थोड़ा भी अवकाश नहीं मिल रहा था , 
तब पुर्तगाल की एक डॉक्टरनी ने खीजकर कहा था -
"रोनाल्डो के पास जाओ न , 
जिसे तुम करोड़ों डॉलर देते हो।
मैं तो कुछ हजार डॉलर ही पाती हूँ।"

मेरा दृढ़ विचार है कि जिस देश में युवा छात्रों के आदर्श वैज्ञानिक , शोधार्थी , शिक्षाशास्त्री आदि न होकर अभिनेता, राजनेता और खिलाड़ी होंगे , उनकी स्वयं की आर्थिक उन्नति भले ही हो जाए , 
देश की उन्नत्ति कभी नहीं होगी। सामाजिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक, रणनीतिक रूप से देश पिछड़ा ही रहेगा हमेशा। ऐसे देश की एकता और अखंडता हमेशा खतरे में रहेगी।

जिस देश में अनावश्यक और अप्रासंगिक क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ता रहेगा, वह देश दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाएगा। 
देश में भ्रष्टाचारी व देशद्रोहियों की संख्या बढ़ती रहेगी, ईमानदार लोग हाशिये पर चले जाएँगे व राष्ट्रवादी लोग कठिन जीवन जीने को विवश होंगे।

 सभी क्षेत्रों में कुछ अच्छे व्यक्ति भी होते हैं। 
उनका व्यक्तित्व मेरे लिए हमेशा सम्माननीय रहेगा ।
आवश्यकता है हम प्रतिभाशाली,ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, समाजसेवी, जुझारू, देशभक्त, राष्ट्रवादी, वीर लोगों को अपना आदर्श बनाएं।

नाचने-गानेवाले, ड्रगिस्ट, लम्पट, गुंडे-मवाली, भाई-भतीजा-जातिवाद और दुष्ट देशद्रोहियों को जलील करने और सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से बॉयकॉट करने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी हमें।

यदि हम ऐसा कर सकें तो ठीक, अन्यथा देश की अधोगति भी तय है।🙏 आप स्वयं तय करो सलमान खान,आमिर खान,अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जितेंद्र,हेमा,रेखा, जया देश के विकास में इनका योगदान क्या है हमारे बच्चे मूर्खों की तरह इनको आइडियल बनाए हुए है।

जिसने भी लिखा है शानदार लिखा है। सभी को पढ़ना चाहिए।

ब्लैक फंगस से बचाव के तरीके


देश में कोविड-19 महामारी के बीच हाल के दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस (जिसे ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है) के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। कैंसर के समान घातक इस संक्रमण को लेकर डॉक्टर, लोगों से विशेष सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि  म्यूकोरमाइकोसिस के कारण होने वाली मृत्यु दर 50 से 60 फीसदी तक हो सकती है, यानी इस संक्रमण से ग्रसित 100 में से लगभग 60 लोगों को मौत का खतरा रहता है।
कोविड से ठीक हो रहे मरीजों (विशेषकर डायबिटिक) में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लोगों के मन में इससे संबंधित कई तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं। ऐसा ही एक सवाल है कि क्या कोरोना की तरह ब्लैक फंगस का संक्रमण भी एक व्यक्ति से दूसरे को हो सकता है?
उप
कितना संक्रामक है ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस संक्रमण के बारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सौरभ चौधरी कहते हैं कि इस संक्रमण के मामले काफी दुर्लभ होते हैं। हमारे वातावरण में यह फंगस हमेशा से मौजूद रहे हैं लेकिन इनका असर सिर्फ उन्हीं लोगों पर ज्यादा होता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। यह संक्रमण सामान्यतौर पर एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। अनियंत्रित शुगर लेवल और ब्लड कैंसर के रोगी विशेषकर जो कीमोथेरपी ले रहे हैं, उनमें इस संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

घरों में भी मौजूद हो सकता है फंगस?
ब्लैक फंगस संक्रमण की प्रकृति और इसकी मौजूदगी के बारे में जानने के लिए हमने एनेस्थीसियॉलॉजिस्ट (निश्चेतनविज्ञानी) डॉ एचके महाजन से बात की। डॉ महाजन बताते हैं यह फंगस घरों में भी हो सकता है। खराब हो रही सब्जियों, मिट्टी और फ्रिज में यह फंगस मौजूद हो सकता है। इसलिए इन सभी की अच्छी तरह से साफ-सफाई करना बेहद जरूरी होता है। इसके साथ सभी को व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। सब्जियों को अच्छे से धोकर ही उपयोग में लाएं, घरों में जो सब्जियां खराब हो रही हैं उन्हें तुरंत फेंक दें।

किन्हें विशेष सावधान रहना चाहिए?
फंगल संक्रमण किसी भी इम्यूनो-कंप्रोमाइज यानी कि जिसकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, उसे हो सकता है। म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा कोविड संक्रमित रह चुके डायबिटिक रोगियों को ज्यादा होता है। इसकी वजह ऐसे रोगियों के ब्लड शुगर का अनियंत्रित स्तर माना जाता है। कोविड के इलाज के समय स्टेरॉयड्स भी दी जाती हैं, जोकि शुगर को बढ़ा देती हैं इसलिए इन रोगियों में भी खतरा हो सकता है।

उपचार कैसे किया जाता है?

डॉ महाजन बताते हैं कि लक्षण दिखते ही ब्लैक फंगस का निदान करना अनिवार्य हो जाता है। इसके लिए शरीर के प्रभावित हिस्से अंश लेकर बायोप्सी किया जाता है। उपचार के तौर पर प्रभावित हिस्से को निकालने की भी जरूरत पड़ सकती है। मरीजों को एंटी-फंगल दवाइयां दी जाती हैं। रोगी को चार से छह हफ्ते तक इन दवाइयों की आवश्यकता हो सकती है।  
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नोट: यह लेख इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में एनेस्थीसियॉलॉजिस्ट डॉ एचके महाजन और  विनायक हॉस्पिटल नोएडा के डायरेक्टर डॉ सौरभ चौधरी से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: सांवरिया ब्लॉग की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को इंटरनेट  से संकलित संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। सांवरिया लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें तथा किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न करें।

ब्लैक फंगस से बचाव के तरीके

1.लोग मास्क को कई दिन तक धोते नहीं है उल्टा सैनिटाइजर से साफ करके काम चलाते है। ऐसा न करें। कपड़े के मास्क बाहर से आने पर तुरंत मास्क साबुन से धोएं, धूप में सुखाएं और प्रेस करें। सर्जिकल मास्क एक दिन से ज्यादा इस्तेमाल न करें। 
N95 मास्क को मेंहगा होने की वजह से लंबे समय तक उपयोग करना पड़े तो साबुन के पानी में प्रतिदिन कई बार डुबोकर धो लें, रगड़े नहीं। बेहतर हो कि नया इस्तेमाल करें।

2. अधिकांश सब्जियां खासकर प्याज़ छीलते समय दिखने वाली काली फंगस हाथों से होकर आंखों या मुंह मे चली जाती है। बचाव करें। साफ पानी , फिटकरी के पानी या सिरके से धोएं फिर इस्तेमाल करें।

3. फ्रिज के दरवाजों और अंदर काली फंगस जमा हो जाती है खासकर रबर पर तो उसे तत्काल ब्रश साबुन से साफ करें । और बाद में साबुन से हाथ भी धो लें।

4. जब तक बहुत आवश्यक न हो, ऑक्सीजन लेवल सामान्य है तो अन्य दवाओं के साथ स्टेरॉयड न लें। जब तक आपका डॉक्टर सलाह नहीं दे। विशेष तौर पर यह शुगर वाले मरीजों के लिए अधिक खतरनाक है।

 5. डॉक्टर की सलाह पर ही ऑक्सिजन लगायें। अपने आप अपनी मर्ज़ी से नहीं। यदि मरीज को ऑक्सीजन लगी है तो नया मास्क और वह भी रोज साफ करके इस्तेमाल करें। साथ ही ऑक्सीजन सिलिंडर या concentrator में स्टेराइल वाटर/saline डालें और रोज बदलें।
6. बारिश के मौसम में मरीज को या घर पर ठीक होकर आ जाएं तब भी किसी भी नम जगह बिस्तर या नम कमरे में नहीं रहना है। अस्पताल की तरह रोज बिस्तर की चादर और तकिए के कवर बदलना है । और बाथरूम को नियमित साफ रखना है।
रूमाल गमछा तौलिया रोज धोना है। 

आप इन सब बातों का ध्यान रखें और दूसरों को भी बताएं तो इस घातक बीमारी से बचाव संभव है। क्योंकि इसका उपचार अभी बहुत दुर्लभ और महंगा है इसलिए सावधानी ही उपचार है...🙏

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निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया

*"ग़जब का रिश्ता"*
मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा। मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया। मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था।
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मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ।"
"हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन करना"   मोबाइल में देखते-देखते ही पत्नी बोलीं।
मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी।
ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला ध्रुव साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, उसने मुझे सामने खड़ा देखा।
"क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?
मैंने कहा- "नहीं..!!"
आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब, 
इतना पसीना क्यों आ रहा है?
सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते, मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ। ध्रुव ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा- 
"साब अकेले जा रहे हो?"
मैंने कहा- "हाँ"
उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते, 
चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये।
मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?
"सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता  छोड़कर बैठ जाओ"
पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे। ध्रुव दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया। 
"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"।
ध्रुव के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया? ध्रुव ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि *आज नहीं आ सकता।*
ध्रुव डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है। लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया।
डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये।
डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा।"
अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है। इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे। इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है। डाॅक्टर ने ध्रुव की ओर देखा।
मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"
उसने कहा- 
"सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो।"
"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है, फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की। वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी। एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा। मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है। ध्रुव ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर  किये हैं", बस अब... ..
*"और हाँ घर फोन लगा कर खबर कर दो"।*
बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन ध्रुव के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा।
थोड़ी देर के बाद ध्रुव बोला- "मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ। हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ, डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"।
मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"
"हाँ सा'ब।"
मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो? आँखों में आँसू के साथ ध्रुव के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते।"
"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है।"
"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा। 
*इसलिए चिंता बिल्कुल भी मत करना।"*
ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "ध्रुव कहाँ है?"
पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया। कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है, 
15 दिन के बाद फिर आयेगा।"
अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा।
हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?
पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था।
एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था। यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है। बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है, जिसके परिणाम स्वरूप  वह बीस-बीस साल में भी ससुराल पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती।
डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये ध्रुव भाई आप के क्या लगते हैं?"
मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब,  कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी, बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था।"
पिन्टू बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह ध्रुव ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा।"
"बेटा, *जवाबदारी और नसीहत (सलाह) लोगों को देने के लिये ही होती है।*
जब लेने की घड़ी आये, तब लोग  बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं।
                   अब रही मोबाइल की बात...
बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है। अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है।
नहीं तो....
*परिवार समाज और राष्ट्र* को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा।"
अतः बेटे और बेटियों को बड़ा *अधिकारी या व्यापारी* बनाने की जगह एक *अच्छा इन्सान* बनायें।
          🙏🙏🙏🙏
पता नहीं, किन महानुभाव ने लिखी है, लेकिन मेरे दिल को इतना छू गयी कि शेयर करने से मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।🙏

गुरुवार, 20 मई 2021

लाशों के व्यापारी - 16 जून 2013 को उत्तराखंड केदारनाथ में जलप्रलय शुरू हुआ जो भीषण तबाही मचा गया था

*लाशों के व्यापारी* 16 जून 2013 को उत्तराखंड केदारनाथ में जलप्रलय शुरू हुआ जो भीषण तबाही मचा गया था

आज कल बहस चल रही है किस सरकार ने आपदा समय में क्या किया तो मुझे 2013 की बाबा केदारनाथ धाम मे भीषण बादल फटने की घटना याद आ गई। आइये जानें इस आपदा में काँग्रेस ने कैसे की लोगों की मदद।

16 जून 2013 को उत्तराखंड केदारनाथ में जलप्रलय शुरू हुआ जो भीषण तबाही मचा गया था। *केदारनाथ में लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु मर गये थे।* तीन दिन चली इस भीषण तबाही में कांग्रेस की सरकार ने केदारनाथ में फंसे श्रद्धालु भक्तों की कोई मदद नही की। चौथे दिन जब इस भयंकर तबाही की खबर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन गई तब निर्लज्जता से कांग्रेस ने सहायता भेजने का एलान किया। ध्यान रहे सिर्फ एलान किया था।

18 जून को सोनिया गांधी अमेरिका अपना किसी गुप्त बिमारी का इलाज कराने गई हुई थीं और राहुल गांधी बैंकॉक में थे। मनमोहन सिंह कोई निर्णय नही ले सकते थे। सो उन्हें सूचना भेजी गई, तब दोनों मां बेटे 21 जून को भारत पहुंचे। कांग्रेस ने बहुत तामझाम करके आपदा में फंसे लोगों की सहायता के लिये बिस्किट के पैकेट और पानी की बोतलों के आठ ट्रक रवाना किये। जिन पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बड़े बड़े पोस्टर लगाकर मां बेटे ने उन्हें झंडी दिखाकर रवाना किया। फोटो भी खिंचवाए गये जो अखबारों की सुर्खियां बने थे।

उन ट्रकों को न किराया दिया गया न डीजल दिया गया था। आठ दिन भटककर उन ड्राइवरों ने वो बिस्किट बेचकर अपना किराया वसूल किया, और निकल लिये। आज तक किसी को भी पता नही उस राहत सामग्री का क्या हुआ ? फिर जब वहां लाशें सड़ने लगीं तो महामारी का खतरा बढ़ता देख आसपास के गांवों के लोगों ने आन्दोलन किया। वह भी पन्द्रह दिन बाद किया जब लाशों से बदबू आने लगी थी। कई ग्रामीणों ने सामूहिक दाहसंस्कार भी किये, लेकिन शव ही शव फैले देखकर लोग डर गये थे। *तब देश के जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकारें थी उन सबने अपने राज्य के सरकारी हेलिकॉप्टर उत्तराखंड की काँग्रेस सरकार को बचाव कार्य हेतु ऑफर किए थे। तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 24 हेलिकॉप्टर देने की पेशकश की थी, मगर उत्तराखंड की काँग्रेस सरकार ने दिये गये सभी ऑफर ठूकरा दिए थे।* 

*अब देखें हिन्दुओ की लाशों पर कैसे व्यापार हुआ ?*

तब कांग्रेस ने उन लाशों को निकालने के लिये एक विज्ञप्ति निकाली। *ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक एक एअरक्राफ्ट चारटरिंग कम्पनी आगे आई। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन नंबर था -U52100DL2007PTC170055 इस कंपनी के केवल दो डायरेक्टर हैं राॅबर्ट वाड्रा और उनकी मां मौरीन वाड्रा। वर्ष 2008 तक प्रियंका वाड्रा भी इस कंपनी मे डायरेक्टर थीं। इस कंपनी ने एक लाश निकालने के 4,60,000 रुपये में टेंडर लिया था। और लगभग 16, 000 लाशें तीन दिन में निकाली थीं। सरकार ने उस कम्पनी को 'सात अरब छतीस करोड़ रूपयों का भुगतान तुरन्त कर दिया था।* हालांकि लाशें मिलने का सिलसिला महीनों चलता रहा फिर कई दिन तक कंकाल मिलते रहे।

*हाँ लाशें निकालने वाली कम्पनी रॉबर्ट वाड्रा की थी।* कांग्रेस की सरकारी सहायता के नाम पर किया गया नाटक भी याद रखियेगा। *मां बेटे के भेजे बिस्किट आज भी नही पहुंचे हैं। विश्व के इतिहास में लाशों का इतना बड़ा व्यापार सुनने को मिले तो बताइएगा।*

*और 7,36,00 ,00,000 (सात अरब छत्तीस करोड़ ) का घोटाला तो शायद आप भूल जाएंगे। क्योंकि हम भारत की जनता भूलने में माहिर हैं।*

अब आते हैैं 2021 में :

सिर्फ 4 घण्टे के अंदर सेना, ITBP, SDRF, NDRF उत्तराखण्ड पहुंची,
और 4 अस्थायी पुल बना कर राहत कार्य शुरू कर दिया। इसे कहते हैं सुशासन। नकारात्मक लिखना बोलना सरल है पर किया जाना मुश्किल है।
हो सकता है किसी स्तर पर गलती हुई हो पर गलती होने पर ही सीख मिलती है।

जय मां भारती

-साभार 🇮🇳🙏🕉️🙏🚩 अमर सिंह

देश के सबसे बड़े बैंक SBI के बदल गए कामकाज के तरीके और समय और जानिए कैसे बदले मोबाइल नं

 📌 देश के सबसे बड़े बैंक SBI के बदल गए कामकाज के तरीके और समय और जानिए कैसे बदले मोबाइल नं

कोरोना वायरस संक्रमण से ग्राहकों और कर्मचारियों को बचाने के लिए देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई (SBI-State Bnak of India) लगातार कदम उठा रहा है. इसी कड़ी में बैंक ने अब ब्रांच खुलने और बंद होने के समय में भी बदलाव किया है. साथ ही, बैंक अब चुनिंदा काम ही करेगा.


ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बैंक ग्राहक बहुत जरूरी काम के लिए ही ब्रांच जाएं. साथ, ही वे 31 मई तक सुबह 10 बजे से 1 बजे के बीच ही ब्रांच में पहुंचे क्योंकि बैंक शाखा 2 बजे तक बंद हो जाएंगे.


अब क्या है नई टाइमिंग


SBI की ब्रांच अब सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही खुलेंगी.


साथी ही, नए नोटिफिकेशन में साफ तौर से कहा गया है बैंक के प्रशासनिक कार्यालय 50 फीसदी स्टाफ सदस्यों के साथ पहले की तरह पूरे बैंकिंग कार्य अवधि में कार्यरत रहेंगे.


बिना मास्क वालों को नहीं मिलेगी एंट्री

बैंक शाखा में जाने वाले ग्राहक मास्क लगाकर जरूर आएं वरना उन्हें एंट्री करने नहीं दी जाएगी.


बैंकों में अब होंगे सिर्फ ये 4 काम

SBI की ओर से जारी Twitter पर दी गई जानकारी के मुताबिक, बैंक में अब सिर्फ 4 काम है.


(1) कैश जमा करना और निकालना

(2) चेक से जुड़े काम

(3) डीडी यानी डिमांड ड्राफ्ट/RTGS/NEFT से जुड़े काम

(4) गवर्मेंट चालान


ग्राहक उठा सकते है SBI फोन बैंकिंग सर्विस का फायदा

SBI फोन बैंकिंग के लिए के पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके बाद पासवर्ड बनाना होता है, ग्राहक संपर्क केंद्र के माध्यम से फोन पर नीचे दी गई सर्विस का फायदा उठा सकते है.


बैंक खाते से जुड़ी जानकारी

खाता संबंधी सूचना पा सकते है. इसके अलावा बैलेंस और लेनदेन का पूरा ब्यौरा मिलेगा. डाक या ईमेल के माध्यम से अधिकतम 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट मंगाई जा सकती है.


चैक बुक से जुड़े काम

चैक बुक मंगाने, चेक रुकवाने का काम भी आसानी से अब घर बैठे किया जा सकता है.


घर बैठे ऐसे अपडेट करें SBI खाते का फोन नंबर

- एसबीआई की वेबसाइट (www.onlinesbi.com) पर जाएं और लॉगिन करें।

- अब टॉप-लेफ्ट कॉर्नर में मौजूद My Accounts and Profile ऑप्शन में जाएं।

- यहां आपको Profile का विकल्प दिया गया है।

- इसके बाद Personal details/Mobile के ऑप्शन पर क्लिक करें।

- अब आपको Personal password डालकर Submit पर क्लिक करना होगा।

- अब Change Mobile Number-Domestic only (Through OTP/ATM/Contact Centre) पर क्लिक करें।

- अब एक नई स्क्रीन (Personal Details-Mobile Number Update) ओपन होगी।

- अब अपना नया मोबाइल नंबर दर्ज करें। और Submit पर क्लिक करें।

- अब एक पॉप-अप मैसेज खुलेगा, जिसमें मोबाइल नंबर वेरिफाई करने के लिए कहा जाएगा। OK पर क्लिक करें।

- अब आपको तीन ऑप्शन- OTP, IRATA और Contact Centre दिए जाएंगे।

- सबसे पहले विकल्प By OTP on both the Mobile Number को चुनें और Proceed पर क्लिक करें।

- पहले अकाउंट और फिर ATM card सिलेक्ट करके Proceed पर क्लिक करें।

- अगली स्क्रीन पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का पेमेंट गेटवे दिखेगा।

- कार्ड की डीटेल्स डालें और Submit बटन पर क्लिक करें।

- डीलेट्स वेरिफाई करें और Pay बटन पर क्लिक करें।

- जानकारी सही होने पर आपको नए और पुराने नंबर पर OTP आएगा।

- अब आपको दोनों ही फोन नंबर से एक मैसेज भेजना है।

- मैसेज में आपको ACTIVATE <8 डिजिट का OTP> <13 डिजिट का रेफ्रेंस नंबर> लिखकर 567676 पर भेजना होगा।

- जानकारी वेरिफाई होने के बाद आपको सफलता पूर्वक नंबर बदलने का मैसेज मिल जाएगा।


 वन्दे मातरम

कांग्रेस सरकारी बैंक बनाती है और मोदी सरकार उसे बेच देती है

गिद्ध गैंग को सप्रेम भेट:
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*एक कितना शानदार झूठ फैला दिया जाता है कि कांग्रेस सरकारी बैंक बनाती है और मोदी सरकार उसे बेच देती है, और काफी सारे लोग इस झूठ पर यकीन भी कर लेते हैं* 

*आज जो निजी क्षेत्र के 3 सबसे बड़े बैंक हैं ।यानी ICICI बैंक,  एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक यह तीनों कभी सरकारी हुआ करते थे ।लेकिन पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने इन्हें बेच दिया*

ICICI बैंक का पूरा नाम - इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया था ..यह भारत सरकार की ऐसी संस्था थी जो बड़े उद्योगों को लोन देती थी लेकिन एक ही झटके में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने इसका डिसइनवेस्टमेंट करके इसे प्राइवेट बना दिया और इसका नाम अब आईसीआईसीआई बैंक हो गया ।

आज जो HDFC बैंक है उसका पूरा नाम  -  हाउसिंग डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया था । यह भारत सरकार की एक ऐसी संस्था हुआ करती थी जो मध्यम वर्ग के लोगों को सस्ते ब्याज पर होम लोन देने का काम करती थी।

 नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने कहा -  "सरकार का काम सिर्फ गवर्नेंस करना है होम लोन बेचना नही है" 

 मनमोहन सिंह  इसे जरूरी कदम बताते हैं और कहते हैं सरकार का काम सिर्फ सरकार चलाना है बैंक चलाना, लोन देना नहीं ।

और, एक झटके में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने HDFC बैंक को बेच दिया और यह निजी क्षेत्र का बैंक बन गया ।

इसी तरह की बेहद दिलचस्प कहानी एक्सिस बैंक की है.... 

भारत सरकार की एक संस्था हुआ करती थी उसका नाम था - 'यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया'। यह संस्था लघु बचत को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी यानी आप इसमें छोटे-छोटे रकम जमा कर सकते थे। नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने कहा की सरकार का काम चिटफंड की स्कीम चलाना नहीं है। और एक झटके में इसे बेच दिया गया। पहले इसका नाम यूटीआई बैंक हुआ और बाद में इसका नाम एक्सिस बैंक हो गया।

इसी तरह से एक IDBI ( आईडीबीआई) बैंक भी है जो अब एक प्राइवेट बैंक है। एक समय में यह भी भारत सरकार की संस्था हुआ करती थी, जिसका नाम था -  इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया। इसका भी काम उद्योगों को लोन देना था। लेकिन मनमोहन सिंह ने इसे भी बेच दिया और आज यह निजी बैंक बन गया।

अपनी यादाश्त को कमजोर न होने दो कभी....

 डिसइनवेस्टमेंट पॉलिसी को भारत में कौन लाया था जरा सर्च कर लो जब *नरसिंगा राव के समय में जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे तब मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था - "मैक्सिमम गवर्नमेंट लेस गवर्नेंस" । उन्होंने कहा था कि सरकार का काम धंधा करना नहीं सरकार का काम गवर्नेंस देना है* ऐसा माहौल देना है कि लोग यह सब काम करें।

मनमोहन सिंह द्वारा ही *सबसे पहले टोल टैक्स पॉलिसी लाई गई थी* यानी निजी कंपनियों से  सड़क बनवाओ और उन कंपनियों को टोल टैक्स वसूलने  की परमिशन दो।

मनमोहन सिंह ने *सबसे पहले एयरपोर्ट के निजीकरण* की शुरुआत की थी और सबसे पहले दिल्ली के *इंदिरा गांधी एयरपोर्ट को जीएमआर ग्रुप को* निजी हाथों में दिया गया था।
फिर भी आज चम्पक उछल - उछल कर नाच - नाच कर बेसुर रागा गाता फिर रहा है, "मोदी ने दोस्तो को बेच दिया..
*मनमोहन सिंह करें तो - विनिवेश*

*मोदी करें तो - देश को बेचा .. !!!*

 *2009-10 में मनमोहन सिंह ने 5 कंपनियां बेचीं*-

 NHPC Ltd.-
 OIL - ऑयल इंडिया लिमिटेड
 NTPC - नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन
 REC- ग्रामीण विद्युतीकरण निगम
 NMDC - राष्ट्रीय खनिज विकास निगम

 *2010-11 में, मनमोहन सिंह ने 6 कंपनियाँ बेचीं!*

 SJVNL - सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड
 EIL - इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड
 CIL - कोल इंडिया लिमिटेड
 PGCIL - पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
 MOIL - मैंगनीज अयस्क इंडिया लिमिटेड
 SCI - शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया।

*2011-12 में मनमोहन सिंह ने 2 कंपनियाँ बेचीं*

 PFC - पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन।
 ONGC - तेल और प्राकृतिक गैस निगम

*2012-13 में, मनमोहन सिंह ने बेचीं 8 कंपनियां-*

 SAIL - भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड
 NALCO - नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड
 RCF - राष्ट्रीय रसायन और उर्वरक
 NTPC - नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन
 OIL - ऑयल इंडिया लिमिटेड
 NMDC - राष्ट्रीय खनिज विकास निगम
 HCL - हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
 NBCC - एनबीसीसी

👉 *2013-14 में मनमोहन सिंह ने 12 कंपनियां बेचीं*-

 NHPC - नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन
 BHEL - भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
 EIL - इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड
 
 CPSE - सीपीएसई-एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
 PGCI - पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन इंडिया लि।
 NFL - राष्ट्रीय उर्वरक लिमिटेड
 MMTC - धातु और खनिज व्यापार निगम
 HCL - हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
 ITDC - भारतीय पर्यटन विकास निगम
 STC - स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन
 NLC - नेयली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड

  *इन सभी का प्रमाण भी है...* 

 1.) वित्त मंत्रालय, केंद्र सरकार के तहत, *निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट* पर जाएँ: www.dipam.gov.इन लॉगिन करे।

 2.) सबसे पहले *Dis-Investment पर क्लिक करें।  इसके बाद Past Dis-Investment पर क्लिक करें*

 3.) पोस्ट में दिए गए सभी डेटा वहां उपलब्ध हैं।

 *यह पोस्ट उन लोगों की आँखे खोलने के लिए किया है, जो सोचते हैं कि मोदी देश को बेच रहे हैं, जबकि यह सब मनमोहन पहले ही ..........................*

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