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बायो मैग्नेटिक ब्रेसलेट ब्रेसलेट क्या है - Bio-magnetic Anti-Radiation Bracelet
एक चुंबकीय कंगन जैसा कि नाम से पता चलता है,एक उपकरण है जिसे कंगन की तरह पहना जा सकता है। माना जाता है कि लंबी अवधि के लिए ऐसे कंगन पहनने से गठिया, कार्पल टनल सिंड्रोम, और अन्य पुरानी दर्दनाक परिस्थितियों से जुड़े दर्द को दूर करने में मदद मिली है।
2004 के एक अध्ययन में 200 से अधिक पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित लोगों पर रिसर्च की गई और पाया गया कि 12 सप्ताह के लिए चुंबकीय कंगन का प्रयोग करने से उनके दर्द और अन्य लक्षणों को कम करने में मदद मिली।
2007 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के एक अन्य अध्ययन में, कुछ प्रतिभागियों ने चुंबकीय उपकरणों का उपयोग करने के बाद दर्द से राहत की सूचना दी।
एक चुंबकीय कंगन की रिपोर्ट की ताकत लगभग 300 से 5000 गाऊस है, जो मनुष्यों पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से कहीं ज्यादा और एमआरआई मशीन की तुलना में कम है। कोई भी व्यक्ति जो स्वस्थ भी है वो लंबी अवधि के लिए चुंबकीय कंगन का उपयोग कर सकता है।
चुंबकीय चिकित्सा का इस्तेमाल सदियों से किया गया है।
ऐतिहासिक रूप से, ग्रीक, मिस्र और चीनी ने सभी उपचार उद्देश्यों के लिए मैग्नेट का उपयोग रिकॉर्ड किया है।
पुनर्जागरण के दौरान, यूरोप और एशिया के चिकित्सकों ने संक्रमण और पुराने दर्द के इलाज के लिए मैग्नेट का इस्तेमाल किया। वे मानते हैं कि मैग्नेट शरीर से बीमारी को निकाल सकते हैं।
लेकिन मैग्नेट में विश्वास धीरे-धीरे 1800 के दशक में दवाओं में प्रगति के साथ मिट गया।
1970 के दशक में जब वैज्ञानिक डॉ अल्बर्ट रॉय डेविस ने दावा किया कि चुंबकीय ऊर्जा गठिया के दर्द को दूर कर सकती है, घातक कोशिकाओं को मार सकती है और बांझपन का भी इलाज कर सकती है तब चुंबकीय चिकित्सा वापस आई।
मोबाइल के हानिकारक रेडिएशन से बचने का सर्वोत्तम तरीका
Bio-magnetic Anti-Radiation Bracelet
यह रोग एक चेतावनी है
यह रोग आप आजकल के बच्चों में देखेंगे जो ज्यादा फोन का इस्तेमाल करते हैं या आप खुद भी की अगर इन रोगों से पीड़ित हैं तो कृपया सावधान हो जाएँ |
सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन, जोड़ों में दर्द आदि ये सब आज सभी को हो रहें हैं और अगर इनका निदान न किया गया तो बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है |
ऐसे में यह लेख हाज़ारों लोगों की सहायता कर चुकी है अगर आपको यहाँ पर बताये गंभीर विषय का बोध हो गया है तो अभी एक कदम उठाइए की इस ब्रेसलेट को अपने परिवार के हर सदस्य को दीजिये और इसके लाभ और हानि बताइए |
Bio- Magnetic Bracelet के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ
यह 5 प्रकार के महत्वपूर्ण तत्वों और कुछ आठ प्रकार के धातुओं से मिलकर बना है प्राचीन काल में इसे अष्टधातु के नाम से जाना जाता था |
इसमें 5 प्रकार के थेरेपी का उपयोग किया गया है
1- Magnetic therapy
2 - Far infrared therapy
3- Germanium therapy
4 - Negative Elons therapy
5 - Titanium therapy
घर बैठे प्राप्त करें - 9352174466
लाभ -
यह ब्रेसलेट सभी प्रकार के हानिकारक रेडिएशन से शरीर की रक्षा करता है
यह शरीर के चारो तरफ एक (AURA) कवच का निर्माण करती है |
यह ब्रेसलेट आपको मोबाइल रेडिएशन , इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन , EMM Polution जैसे हानिकारक विकिरणों से आपको बचा सकती है | इस ब्रेसलेट में चुम्बक का बेहतरीन उपयोग किया गया है जिससे धमनियों में हुए Blockage को खोल देती है और रक्तचाप को माध्यम बनाये रखती है |
यह आपके आस पास रहे सूक्ष्म हानिकारक बैक्टीरिया को आपके पास पहुचने से रोकता है |
इसमें अष्ट धातु का उपयोग होने से कभी भी तनाव या अनिद्रा की शिकायत नहीं रहती है |
यह शरीर में जल्दी थक जाने वाली कोशिकाओं को बल देता है और उन्हें जल्द ही रिपेयर करता है |
सबसे बड़ी और जरुरी बात की इसके mobile Radiation destroyar गुण के लिए अमेरिका ने इसे appove किया है और साथ ही जर्मनी ने इस फ़ॉर्मूला पर अपने वैज्ञानिकों को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया है भारत में पैर पसारती कंपनी IMC ने इसे खरीद लिया और इसे बेहद ही कम कीमत पर उपलब्ध करवा रही है |
हानि -
इस ब्रेसलेट को गर्भवती महिलाएँ नहीं पहन सकती |
अगर आपके शरीर में पेसमेकर या अन्य कोई बैटरी से चलने वाले एंजो-प्लास्ट कराया हो वे भी इसे नहीं पहन सकते |
आज बाज़ार में Duplicate products भी मौजूद हैं इसे किसी सम्मानित IMC store या दिए हुए link से खरीदना बेहतर विकल्प होगा |
उपयोग करने का तरीका -
इसे खरीदने के पहले एक घंटा , दुसरे दिन दो घंटा और फिर तीसरे दिन पहनना चाहिए और फिर इसे 24 घंटे पहने रहना चाहिए|
अगर इसे पहनने पर सर भरी लगे या सर्दी या अन्य कोई भी दिक्कत हो तो बिलकुल भी न घबराएँ क्योंकि शुरुवात में शरीर को इतने Positive energy की आदत नहीं होती फिर सब कुछ सामान्य लगने लगता है
वैसे तो इसे कोई भी दाहिने हाथ में पहन सकता है लेकिन जिन्हें हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो उन्हें दाहिने और जिन्हें लो ब्लडप्रेशर की समस्या हो वे बाए हाथ में धारण करें
डिस्काउंट के बारे में भी जानें
IMC भारत में एक बहुत ज़ोरों से विस्तृत होती एक कंपनी है जो अपने प्रोडक्ट्स को प्रतिस्पर्धा में उतारने के साथ-साथ अपने ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए हर प्रोडक्ट के साथ एक बेहतरीन Business oppurtinity मुहैया करवाई है जिससे हज़ारों ग्राहकों को बेहतरीन क्वालिटी के सामान के साथ उन्हें एक अवसर भी मिला है |
एक बार डिस्काउंट कार्ड बन जाने पर IMC के सभी प्रोडक्ट्स पर भारी डिस्काउंट का प्रावधान है | डिस्काउंट कार्ड मुफ्त में प्राप्त करने के लिए आपके पास कोई एक ID PROOF होना जरुरी है |
अगर डिस्काउंट कार्ड के बारे में और imc busniess के बारे में इस लिख में लिखा गया तो यह लेख काफी बड़ा हो सकता है इसलिए डिस्काउंट कार्ड मुफ्त में बनवाने के लिए दिए हुए नंबर पर अपना नाम पता और id proof को 9352174466 whatsapp करें |
सावधानी - इसे किसी भी सम्मानित store या किसी सम्मानित website से ही ख़रीदे | यहाँ पर सुझाया गया प्रोडक्ट सैकड़ो बार उपयोग में लिया गया है इसलिए ख़राब और डुप्लीकेट प्रोडक्ट से बचने के लिए इसे चुनें |
बढ़ी-बढ़ी कम्पनी ... we should know about ingredients
प्रोडक्ट्स की पैकिंग चाहे जितनी बढ़िया हो use करने के पहले उसके लेबल पे #ingredients जरूर चेक करें..
मुझे बहुत से लोगो ने toothpaste के backside लेबल भेजे ओर हैरानी जाहिर की , की वो लोग रोज सुबह toothpaste से mouth वाश कर रहे या mouth की केमिकल cleaning कर रहे।
सबसे बड़ी बात बहुत से डायबिटिक person को तो ये भी नही मालूम था कि उनके toothpaste मे #sugar substance भी है ,
वैसे भी TV advertisement में तो यही कहते है क्या आपके पेस्ट मे #नमक है ... कभी कोई ये नही बोलता की "..कहि आपके पेस्ट मे #Fluoride , #Triclosan , #SLS (Sodium lauryl sulphate), Sodium lauryl ether sulfate (#SLES), #Paraben या #sugar तो नही "
आप कहि भी काम करे , या TV add देखे लेकिन जब खुद के ओर परिवार के स्वास्थ्य की बात हो तो toothpaste use करने के पहले उसके ingredients जरूर चेक करे , क्योकि रोज सुबह ये केमिकल आपकी Tongue and Mouth के जरिये शरीर मे जा रहा होता है और #deposit हो रहा होता है ओर धीरे धीरे immunity को kill कर रहा होता है ।
#जागरूकता ओर #सतर्कता ही आपको ओर आपके परिवार को हानिकारक रसायनों से बचा सकती है । अपनी education का use करे , फिर हेल्प के लिए गूगल बाबा तो है ही । उचित दाम मे रसायन रहित toothpate उपलब्ध हो तो chemical base toothpaste क्यो उपयोग करना , for info DM।
कुछ ब्रांड लोंग , नीम इत्यादि का प्रचार करके भर भर के केमिकल डाल रहे , see below example label --
हमारा काम जागरूक करना है इसलिए समझाने हेतु label diya है क्योंकि किसी को defame करना हमारा उद्देश्य नही ।
👉Always Check ingredients Before Use .....
Help to Nature , Avoid Chemicals .
Switch to Chemical Free World From Chemical Base Products।
क्या सिर्फ किसी प्रोडक्ट मे ओर्गानिक लिख देने से वो आर्गेनिक हो जाता है ????
अगर आप कोई भी ऑर्गेनिक प्रोडक्ट जैसे कि आर्गेनिक चाय , आर्गेनिक मसाले इत्यादि उपयोग कर रहे हो तो आज एक बार Backside label जरूर चेक करे ये आपकी ओर परिवार की सेहत का सवाल है ।
Damaulik symbol of श्रेष्ठ ऑर्गेनिक ।
Origin Base Best certified Organic Products by #damaulik
फिर बोलता हूँ , Damaulik हो या कोई ओर ब्रांड जब भी उपयोग करे श्रेष्ठ organic उत्पादों का उपयोग करे , हमेशा purchase के पहले लेबल पर सर्टिफिकेशन जरूर चेक करे।
कपूर एक बहोत हो गुणकारी और अत्यावश्यक समाग्री में से एक है। इसका इस्तेमाल हमारी हर रोग स्वस्थ्य और आध्यात्मिक कार्योमें किया जाता है। इस लेख हम जानने वाले है, की कैसे कपूर का उपयोग अपनी रोजमर्रा जिन्दगी मे आने वाले स्वास्थ्य और निरोगी रहने हेतु इस्तेमाल किया करते है।
कपूर | Camphor:
कपूर स्थान, बनावट और रंग के अनुसार अनेक प्रकार के होते हैं लेकिन यह भीमसेनी, चीनी और भारतीय कपूर के नाम से अधिका प्रचलित है। भीमसेन कपूर अच्छा होता है और इसका प्रयोग औषधि के रूप में प्राचीन काल से होता आ रहा है। यह चीनी कपूर से भारी होता है और पानी में डूब जाता है, जबकि चीनी कपूर पानी में नहीं डूबता। पिपरमेंट और अजवायन रस के साथ चीनी कपूर को मिलाने से यळ द्रव में बदल जाता है।
भारतीय कपूर(Indian Camphor) या भीमसेनी कपूर तुलसी के पौधे से प्राप्त की जाती है जो तुलसी कुल की ही एक जाति है। तुलसी की तरह ही इस पौधे की पत्तियों से तेज खुशबू आती है। इसकी पत्तियों से 61 से 80 प्रतिशत की मात्रा में कपूर मिलता है, जबकि बीजों से हल्के पीले रंग का तेल 12.5 प्रतिशत की मात्रा में निकलता है।
कपूर के पेड़ की ऊचाई 100 फुट और चौड़ाई 6 से 8 फुट तक हो सकती है। इसके तने की छाल ऊपर से खुरदरी व मटमैली होती है और अन्दर से चिकनी होती है। इसके पत्ते चिकने, एकान्तर, सुगंधित, हरे व हल्के पीले रंग के होते हैं।
इसके पत्ते 2 से 4 इंच लंबे होते हैं। इसके फूल गुच्छों में छोटे-छोटे सफेद पहले रंग के होते हैं। इसके फल पकने पर काले रंग के हो जाते हैं। बीज छोटे होते हैं।
पेड़ के सभी अंगों से कपूर की गंध आती रहती है। इसकी छाल को हल्का काटने से एक प्रकार का गोंद निकलता है जो सूखने के बाद कपूर कहलाता है।
आयुर्वेद के अनुसार: कपूर मीठा व तिखा, कडुवा, लघु, शीतल होता है और इसका रस कडुवा होता है। कपूर स्वाद में कडुवा होने के कारण त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को नष्ट करने वाला होता है। कपूर प्यास को शांत करने वाला, पाचनशक्ति को बढ़ाने वाला, ज्वर दूर करने वाला, रुचि बढ़ाने वाला, हृदय उत्तेजक, पसीना लाने वाला, कफ निकालने वाला, दर्द को दूर करने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला, पेट के रोग को ठीक करने वाला एवं सूजन को मिटाने वाला होता है। यह कामोत्तेजना व गर्भाशय उत्तेजना को शांत करता है और पेट के कीड़े व कमर दर्द को दूर करता है।
फोडे़-फुंसी, नकसीर, कीड़े होना, क्षय (टी.बी.), पुराना बुखार, दस्त रोग, हैजा, दमा, गठिया, जोडों का दर्द, टेटेनस, कुकुर खांसी एवं फेफड़ों के रोग आदि में कपूर का प्रयोग करना लाभकारी होता है। दिल की धडकन बढ़ जाने पर इसके प्रयोग करने से धड़कन की गति सामान्य होती है।
वैज्ञानिक मतानुसार: कपूर एक प्रकार का जमा हुआ तेल है जो सफेद, पारदर्शक, स्फटिक, क्रिस्टल दाने एवं भुरभुरे टुकडों में प्राप्त होता है। इसमें एक प्रकार की सुगंध होती है। इसे मुंह में रखने से एक प्रकार का सुगंध अनुभव होता है जो बाद में ठंडक पहुंचाती है। यह जल में कम और अलकोहल व वनस्पतिक तेलों में अधिक घुलन शील होता है। कपूर अधिक ज्वलशील व उड़नशील होता है और आसानी से जल्दी जलता है। कपूर का रासायनिक सूत्र C10 H16O है।
कपूर का सेवन अधिक मात्रा में करने से शरीर पर विषैला प्रभाव पड़ता है जिसके कारण पेट दर्द, उल्टी, प्रलाप, भ्रम, पक्षाघात (लकवा), पेशाब में रुकावट, अंगों का सुन्न होना, पागलपन, बेहोशी, आंखों से कम दिखाई देना, शरीर का नीला होना, चेहरे का सूज जाना, दस्त रोग, नपुंसकता, तन्द्रा, दुर्बलता, खून की कमी आदि लक्षण उत्पन्न होता है।
कपूर को लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग की मात्रा में प्रयोग करना लाभकारी होता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग:-
त्वचा के रोग:
कपूर को पीसकर नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर दिन में 2 से 3 बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक लगाने से त्वचा के रोग दूर होते हैं।
सर्दी-जुकाम:
सर्दी-जुकाम से पीड़ित रोगी को रुमाल में कपूर का एक टुकड़ा लपेटकर बार-बार सूंघना चाहिए। इससे सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है और बंद नाक खुलती है।
सिर दर्द:
(1) यदि सिर दर्द हो तो कपूर और चंदन को तुलसी के रस में घिसकर लेप बनाकर सिर पर लगाए। इससे सिर का दर्द दूर होता है। (2) कपूर और नौसादर को एक शीशी के बोतल में भर दें और जब सिर दर्द हो तो इसे सूंघे। इससे सिर का दर्द दूर होता है। (3) सिर दर्द होने पर गुलरोगन का रस और कपूर का रस मिलाकर इसके 2 से 3 बूंद नाक में डालने से माईग्रेन (आधे सिर का दर्द) ठीक होता है। (4) कपूर का रस सिर पर लगाने या मलने से सिर का दर्द ठीक होता है।
नपुंसकता:
यदि किसी व्यक्ति में नपुंसकता आ गई हो तो उसे कपूर को घी में घिसकर लेप बनाना चाहिए और उससे लिंग की मालिश करनी चाहिए। इसका प्रयोग कुछ हफ्ते तक करते रहने से नपुंसकता दूर होती है।
आंखों के रोग:
आंखों के रोग से पीड़ित रोगी को भीमसेनी कपूर को दूध के साथ पीसकर उंगली से आंखों में लगाएं इससे बहुत सारे रोग में फायदा होता हैं।
स्तनों के दूध का बढ़ना:
यदि किसी स्त्री का दूध पीता बच्चा मर जाता है तो उसके मरने के बाद स्तनों में लगातार दूध बनता रहता है। ऐसे में स्तनों की दूध की अधिकता को दूर करने के लिए कपूर को पानी में घिसकर लेप बनाकर स्तनों पर दिन में 3 बार लगाएं। इससे स्तनों में दूध का अधिक बनना कम हो जाता है।
बिच्छू के डंक:
बिच्छू के डंक से पीड़ित रोगी को कपूर को सिरके में मिलाकर डंक वाले स्थान पर लगाना चाहिए। इससे बिच्छू का जहर नष्ट हो जाता है।
प्रसव का दर्द:
यदि प्रसव के समय तेज दर्द हो रहा हो तो स्त्री को पके केले में 125 मिलीग्राम कपूर मिलाकर खिलाना चाहिए। इससे के सेवन से बच्चे का जन्म आराम से हो जाता है।
आमवात (गठिया):
गठिया के दर्द से पीड़ित रोगी को तारपीन के तेल में कपूर मिलाकर रोगग्रस्त अंगों पर सुबह-शाम मालिश करना चाहिए। इससे आमवात (गठिया) का दर्द नष्ट होता है।
रक्तपित्त:
रक्तपित्त से पीड़ित रोगी को थोडा-सा कपूर पीसकर गुलाबजल में मिलाकर उसके रस को नाक में टपकाना चाहिए। इससे रक्तपित्त नष्ट होता है।
घाव:
यदि घाव जल्दी ठीक न हो रहा हो तो कपूर को उस पर लगाना चाहिए।
दमा:
(1) 125 मिलीग्राम कपूर व 125 ग्राम हींग मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से श्वास (दमा, अस्थमा) रोग की शिकायतें दूर होती है। (2) 10 ग्राम कपूर व 10 ग्राम भुनी हुई हींग लेकर पीस लें और इसमें अदरक का रस मिलाकर चने के बराबर गोलियां बना लें। इस गोलियों को छाया में सुखाकर 1-1 गोली दिन में 3-4 बाद पानी के साथ सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से दमा रोग में लाभ मिलता है। (3) कपूर को पानी में डालकर उबालें और उससे निकलने वाले भाप को सूंघे। इससे सांस सम्बन्धी परेशानी दूर होती है। सांस रोग, चोट लगना व मोच आदि की शिकायत होने पर प्रतिदिन रात को थोड़ा सा कपूर मुंह में रखकर चूसना चाहिए। इससे सभी रोग दूर होता है।
खुजली:
10 ग्राम कपूर, 10 ग्राम सफेद कत्था और 5 ग्राम सिन्दूर को एक साथ कांच के बर्तन में डालकर मिला लें और फिर उसमें 100 ग्राम देसी घी डालकर अच्छी तरह मसल लें। फिर इस मिश्रण को 121 बार पानी से धोएं। इस तरह तैयार मलहम को त्वचा की खुजली पर लगाने से खुजली दूर होती है। इसका प्रयोग सड़े-गले जख्मों पर भी करना लाभकारी होता है।
बच्चों के पेट में कीडे़ होना:
यदि बच्चे के पेट में कीड़े हो गए हों तो थोडा सा कपूर गुड़ में मिलाकर देने सेवन कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं। इससे पेट दर्द में जल्दी लाभ मिलता है।
आंखों का फूलना:
बरगद के दूध में कपूर को पीसकर मिला लें और इसे 2 महीने तक फूली आंखों पर लगाए। इससे आंखों का फूलना ठीक होता है।
मूत्राघात (पेशाब में वीर्य आना):
(1) मूत्राघात रोग से पीड़ित रोगी को कपूर के चूर्ण में कपड़े की बत्ती बनाकर लिंग पर रखना चाहिए। इससे मूत्राघात नष्ट होता है। (2) अगर पेशाब बंद हो गया हो तो लिंग के ऊपर कपूर का टुकड़ा रखना चाहिए। इससे पेशाब खुलकर आता है। (3) पेशाब बंद हो जाने पर कपूर को पानी में पीस लें और उसमें कपड़े को भिगोंकर उसकी बत्ती बनाकर लिंग पर रखें। इससे रोग ठीक होता है।
पेट का दर्द:
4 या 5 कपूर के टुकड़े को चीनी के साथ मिलाकर सेवन करने से पेट का दर्द दूर होता है।
छाती का रोग:
कपूर को जलाकर उसके धुंए को नाक के द्वारा लेने से छाती का रोग दूर होता है।
गर्भाशय का दर्द:
कपूर को घी में मिलाकर नाभि के नीचे मलने से और इसके 3-4 टुकड़े चीनी के साथ खाने से गर्भाशय का दर्द ठीक होता है।
आंखों का दुखना:
कपूर का चूरा आंखों में अंजन की तरह लगाने से आंखों का दर्द दूर होता है। यदि किसी को नींद न आती हो तो उसे कपूर को आंख में लगाना चाहिए। इससे नींद आती है।
पलकों के बाल झड़ना:
कपूर को नींबू के रस में मिलाकर पलकों पर लगाने से पलकों के बाल झड़ना ठीक होता है।
स्वप्नदोष
130 मिलीग्राम कपूर को एक चम्मच चीनी के साथ पीसकर रोज रात को सोते समय फंकी लेने से स्वप्नदोष की शिकायते दूर होती है।
बदहजमी:
कपूर और हींग को बराबर मात्रा में लेकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें और इसकी 1-1 गोली दिन में 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन करें। इससे बदहजमी दूर होती है।
मुहांसे:
चेहरे पर कील-मुहांसे हो गया हो तो 3 चम्मच बेसन, चौथाई चम्मच हल्दी, चुटकी भर कपूर व नींबू का रस मिलाकर लेप बना लें। इस तैयार पेस्ट को चेहरे पर लेप करें और जब यह सूख जाए तो इसे ठंडे पानी से धो लें। इससे चेहरे की मुहांसे ठीक होते हैं।
चेहरे के दाग
धब्बे: 2 चम्मच पिसी हुई हल्दी, गुलाबजल और चुटकी भर कपूर को मिलाकर चेहरे पर रोजाना लेप करें। इसका प्रयोग 15-20 दिनों तक करने से दाग-धब्बे दूर होते हैं। इसका लेप करते समय ध्यान रखें कि लेप आंखों के पास न लगें।
जुएं:
यदि बालों में जुएं अधिक हो गई हो तो 3 चम्मच नारियल के तेल में थोडा-सा कपूर चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय बालों के जडों में लगाएं और सुबह उठने के बाद बाल को धोकर बारीक कंघी से बालों को झाड़ें। इससे जुएं मरकर अपने आप निकल आती है।
आन्त्रिक ज्वर:
(1) आन्त्रिक ज्वर से पीड़ित रोगी को को 120 से 240 मिलीलीटर कपूर या कपूर का रस 5 से 20 बूंद की मात्रा में सेवन कराना चाहिए। इससे सेवन से रक्तवाहिनियां फैलती है और अधिक पसीना आकर ज्वर (ताप) का तापमान कम हो जाएगा। इसका प्रयोग करते रहने से बुखार ठीक हो जाता है। (2) आन्त्रिक ज्वर (टाइफाइड) में यदि बच्चे को बार-बार दस्त आ रहा हो तो उसे तुरन्त बंद करने के लिए बच्चे को कपूर की गोली को पीसकर पानी के साथ सेवन करानी चाहिए। इसका प्रयोग लगातार करने से दस्त का अधिक आना कम होता है।
दांतों का दर्द:
(1) कपूर 5 ग्राम व अकरकरा 5 ग्राम की मात्रा में एक साथ बारीक पीसकर पाउडर बना लें। इससे मंजन करने से मसूढ़ों की सूजन दूर होती है। (2) दांत खोखला हो और उसमें दर्द हो तो इसका प्रयोग करें- कपूर, भूना सुहागा, अकरकरा तथा नौसादर को पीसकर इन सब को देशी मोम में मिलाकर दांत के गड्ढे में भरें। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है और दांतों का खोखलापन भी भरता है। (3) कपूर या अदरक या नौसादर को पीसकर रुई में लपेटकर दांतों के खोखले में दबा कर रखने से दर्द में जल्द आराम मिलता है। (4) यदि दांतों में दर्द हो तो दर्द वाले दांत के नीचे कपूर का टुकड़ा रखने से दांतों का पुराना दर्द ठीक होता है।
अंडकोष की खुजली:
अंडकोष की खुजली से पीड़ित रोगी को 120-240 मिलीग्राम कपूर का सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। कपूर को जलाकर उसके राख को तेल में मिलाकर लगाने से अंडकोष की खुजली मिटती है।
मलेरिया का बुखार:
5 ग्राम कपूर चूरा को पानी के साथ सेवन करने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।
बुखार:
कपूर 600 से 1800 मिलीग्राम या कर्पूरासव का 5 से 20 बूंदे या कर्पूराम्बु (कपूर का पानी) 28 से 58 मिलीलीटर का सेवन करने से बुखार का रोग ठीक होता है। इसके साथ पतले कपड़े में बांधने से रक्तवाहिनियां फैलती है जिससे पसीना खुलकर आता हैं और बुखार का तेज कम हो जाता है। 4 या 5 पीस कपूर को पान में डालकर खाने से आधे घण्टे के अन्दर पर सेवन करने से पसीना आकर बुखार कम हो जाता है।
काली खांसी:
काली खांसी होने पर बच्चों को बिस्तर पर सुलाने से पहले उसके सीने और कमर पर कपूर के तेल मालिश करने से काली खांसी ठीक होती है।
बच्चे को खांसी:
बच्चे को खांसी होने पर कपूर के तेल से छाती व पीठ पर मालिश करने से खांसी कम होती है।
मोतियाबिन्द:
भीमसेनी कपूर को घिसकर स्त्री के दूध में मिलाकर आंखों में लगाने से मोतियाबिन्द में आराम मिलता है।
दांत मजबूत करना:
कपूर 10 ग्राम और नौसादर 10 ग्राम को मिलाकर पीस लें और इसे रात को खाना खाने के बाद दांतों पर मलकर कुल्ला करें। इससे दांतों में मजबूती आती है।
दिन में दिखाई न देना:
कपूर को शहद में मिलाकर आंखों में रोजाना 2-3 बार काजल की तरह लगाने से आंखों की रोशनी साफ होती है।
दांतों में कीड़े लगना:
(1) कपूर को एल्कोहल में घोलकर, रुई में लगाकर, दांतों के गड्ढ़े में रखने से दांतों के कीड़े मर जाते हैं। (2) यदि दांतों में कीड़ हो गए हो तो कपूर कचरी को मंजन की तरह दांतों पर मलें। इससे दांतों का दर्द व कीड़े खत्म होते हैं।
इंफ्लुएन्जा:
कपूर का एक टुकड़ा पास में रखने से इन्फ्लुएन्जा नहीं होता हैं। कर्पूरासव की 5 से 20 बूंद बतासे पर डालकर खाने और ऊपर से पानी पीने से लाभ होता हैं। इसका प्रयोग सुबह-शाम करने से इंफ्लुएन्जा रोग ठीक होता है।
डेंगू का बुखार:
कर्पूरासव 5 से 10 बूंदे बतासे पर डालकर सुबह-शाम लेने से रक्तवाहिनियां फैलती है और अधिक पसीना आकर बुखार, जलन और बेचैनी कम होती है।
पायरिया:
पायरिया होने पर कपूर का टुकड़ा पान में रखकर खूब चबाएं लेकिन चबाते समय ध्यान रखें कि रस अन्दर न जाएं। लार व रस को बाहर थूकते रहें। इसका प्रयोग काफी दिनों तक करने से पायरिया रोग ठीक होता है। देशी घी में कपूर मिलाकर प्रतिदिन 3 से 4 बार दांत व मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें तथा लार को गिरने दें एवं थोड़ी देर बाद कुल्ला कर लें। इससे पायरिया रोग ठीक होता है।
निमोनिया:
(1) निमोनिया के रोग से पीड़ित रोगी को 2 ग्राम कपूर और 10 तारपीन का तेल मिलाकर पसलियों की मालिश करने से निमोनिया का लाभ होता है। (2) कपूर का एक टुकड़े को उसके चार गुने सरसों के तेल में मिलाकर पसलिसों पर मालिश करने से पसलियों का दर्द ठीक होता है।
योनि की जलन व खुजली:
योनि में खुजली या जलन होने पर कपूर 120 से 240 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रोग ठीक होता है। इसके सेवन के साथ कपूर को तेल में घोलकर खुजली वाले स्थान पर भी लगाएं।
वमन (उल्टी):
कपूर का रस 3 से 4 बूंद पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से उल्टी आना बंद होता है। चीनी में थोड़े से कपूर को मिलाकर खाने से उल्टी बंद होता है।
खून की उल्टी:
2 ग्राम कपूर और 1 ग्राम भांग को पीसकर पानी में मिलाकर मूंग की दाल के आकार की गोलियां बना कर छाया में सुखा लें। इसमें से 1-1 गोली हर 3-3 घंटे के अंतर पर पानी के साथ लेने से खून की उल्टी में आराम मिलता है।
मुंह के छाले:
(1) कपूर का पाउडर छालों पर लगाने से मुंह के छाले व दाने खत्म होते हैं। (2) कपूर और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर चुटकी भर की मात्रा में इसे दिन में 3 से 4 बार चूसने से मुंह के छाले नष्ट होते हैं। (3) मिश्री को बारीक पीसकर उसमें थोड़ा-सा कपूर मिलाकर मुंह में लगाएं। इससे मुंह के छाले खत्म होते हैं। इसका प्रयोग बच्चों के मुंह में छाले होने पर भी किया जाता है। (4) पान में चने के बराबर कपूर का टुकड़ा डालकर चबाने व पीक थूकते रहने से मुंह के जख्म ठीक होते हैं। (5) कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर छालों पर लगाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं। (6) देशी घी में कपूर मिलाकर रोजाना 4 बार जख्म या छालों पर लगाने एवं लार गिराते रहने से मुंह के जख्म व छाले नष्ट होते हैं।
हिचकी:
कपूर और कचरी का घोल बनाकर रोजाना 2 से 3 बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
गर्भपात:
भीमसेनी कपूर को गुलाब के रस में पीसकर योनि पर मलने से गर्भपात नहीं होता है।
गर्भाशय के रोग:
मासिकधर्म के समय यदि गर्भाशय में किसी प्रकार की पीड़ा हो तो कपूर 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रोग में लाभ मिलता है। गर्भाशय की पीड़ा अन्य कारणों से होने पर भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है। गर्भवती स्त्री को इसका सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दूध कम हो जाता है।
कमर दर्द:
कमर दर्द में कपूर को 4 गुने तीसी के तेल में मिलाकर कमर पर मालिश करें। इससे कमर दर्द में लाभ होता है।
बवासीर (अर्श):
(1) एक कपूर को आठ गुना आरण्डी के गर्म तेल में मिलाकर मलहम बना लें और सुबह शौच से आने के बाद मस्सों को धोकर व पौंछकर साफ करके इस मलहम को उस पर लगाएं। इसको लगाने बवासीर का दर्द, जलन व चुभन दूर होता है तथा मस्से सूखकर गिर जाते हैं। (2) कपूर, रसोत, चाकसू और नीम का फूल 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद एक मूली को लम्बाई में बीच से काटकर उसमें चूर्ण को भर दें और मूली को कपड़े से लपेटकर उसके ऊपर मिट्टी लगाकर आग में भून लें। भून जाने के बाद मूली के उपर से मिट्टी, कपड़े उतार कर मूली को सिलबट्टे पर पीस लें और मटर के बराबर गोलियां बना लें। 1 गोली प्रतिदिन सुबह खाली पेट पानी के साथ लेने से एक सप्ताह में ही बवासीर ठीक हो जाती है।
चोट लगना:
चोट लगने पर घी और कपूर बराबर मात्रा में मिलाकर चोट वाले स्थान पर बांधे। इससे चोट लगने से होने वाले दर्द में आराम मिलता है और खून बहना भी ठीक होता है। कपूर को उसके 4 गुने तेल में मिलाकर चोट, मोच, ऐंठन आदि में मालिश करने से दर्द दूर होता है।
मासिकधर्म सम्बंधी गड़बड़ी:
आधा ग्राम मैदा व कपूरचूरा को मिलाकर 4 गोलियां बना लें। इन गोलियों में से एक गोली प्रतिदिन सुबह खाली पेट सेवन करने से मासिकधर्म सम्बंध गड़बड़ी दूर होती है। इसका सेवन मासिकस्राव से लगभग 4 दिन पहले करना चाहिए। मासिकधर्म शुरू होने के बाद इसका सेवन करना हानिकारक होता है।
घाव:
रसौत और कपूर को मक्खने में मिलाकर घाव पर लगाने से कटने से होने वाले घाव एवं पुराना घाव ठीक होता है।
अग्निमान्द्य (पाचनशक्ति की कमजोरी):
डली कपूर 10 ग्राम, अजवाइन का रस 10 ग्राम, पुदीने का रस 10 मिलीलीटर और यूकेलिप्टस आयल 10 ग्राम को पीसकर एक शीशी में रखकर एक घंटे तक रखें। इसमें से 2 बूंद सुबह-शाम खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें।
रक्तचाप (ब्लड प्रेशर):
(1) कपूर 120 से 240 मिलीग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम लेने से रक्तचाप कम होता है। (2) कपूर का रस 5 से 20 बूंद की मात्रा में बतासे पर डालकर प्रतिदिन 2 से 3 बार लेने से रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) सामान्य होता है।
छींक अधिक आना:
यदि अधिक ठंड लगने या पानी में भीग जाने के कारण छींक अधिक आती हो तो एक चावल के दाने के बराबर कपूर को बतासे में डालकर या चीनी के साथ मिलाकर खाएं और ऊपर से पानी पीए। इससे छींक का अधिक आना व जुकाम में लाभ मिलता है।
लू लगना:
यदि किसी को लू लग गया हो तो कपूर का रस लगभग 10 बूंद की मात्रा में पानी के साथ थोड़ी-थोड़ी देर में रोगी को पिलाने से लू से आराम मिलता है।
शीतपित्त:
शीतपित्त के रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा पर कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर लगाना चाहिए। इससे शीतपित्त के रोग में लाभ मिलता है। कपूर को नीम के तेल मे मिलाकर शीतपित्त के रोग से ग्रस्त रोगी के चकत्तों पर लगाना चाहिए। इससे रोग में जल्दी लाभ मिलता है।
पानी में डूबना:
240 मिलीग्राम की मात्रा में कपूर या 5 से 20 बूंद कपूर का रस बतासे में डालकर रोगी को पिलाने से पूरे शरीर में शक्ति ऊर्जा बढ़ती है और रोगी में जीने की आशा बढ़ जाती है।
पाला मारना:
(1) यदि अधिक ठंड के कारण पाला मार गया हो तो शरीर का तापमान बढ़ाने के लिये कपूर (कपूर) को बताशे या चीनी में मिलाकर रोगी को सेवन कराएं। इससे शारीरिक तापमान बढ़कर रोग दूर होता है। (2) पाला से ग्रस्त रोगी का शारीरिक तापमान बढ़ाने के लिये 5 से 10 बूंदे कपूर का रस बताशें या चीनी के साथ सेवन कराने से लाभ होता है।
प्लेग रोग:
प्लेग से बचने के लिये और अपने आस-पास के वातावरण शुद्ध करने के लिये कपूर को जलायें।
दांतों में कीड़े लगना:
कपूर का टुकड़ा दांत या दाढ़ पर लगाने से दांतों के कीड़े मार जाते हैं।
लिंग की त्वचा का न खुलना:
तीसी के तेल में कपूर मिलाकर उससे लिंग पर मालिश करने से लिंग के अगले भाग की त्वचा खुल जाती है।
स्तनों में दूध का अधिक होना:
कपूर को पीसकर पेस्ट बनाकर स्तनों पर लगाने और 120 से 240 मिलीग्राम की मात्रा में सेवन करने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की अधिक बनना कम होता है।
धातुदोष (वीर्य की कमजोरी):
240 ग्राम कपूर तथा 30 ग्राम अफीम को मिलाकर गोली बनाकर रात को सोते समय खाने से वीर्य-सम्बन्धी रोग मिट जाते हैं।
नाक के रोग:
(1) 10 ग्राम कपूर को 10 मिलीलीटर तारपीन के तेल के साथ मिलाकर पीस लें और एक शीशी में भरकर रख दें। जब कपूर अच्छी तरह से गल जाए तो इसे मिलाकर रोगी के नाक में 5-5 बूंद करके डाल लें। इसको नाक में डालने से पीनस (पुराना जुकाम) रोग ठीक होता है और नाक के कीड़े भी समाप्त होते हैं। (2) जुकाम होने पर कपूर को नाक से सूंघने से भी जुकाम ठीक होता है। (3) लगभग 120 मिलीग्राम कपूर को एक चम्मच बतासे या चीनी में डालकर सेवन करने और ऊपर से पानी पीने से जुकाम में लाभ होता है। शुरुआत में एक ही बार लेना काफी है अगर जरूरत पड़े तो दूसरी बार भी ले सकते हैं। (4) अगर जुकाम होने के कारण छींके आ रही हो तो चावल के एक दाने के बराबर कपूर को एक चम्मच चीनी के साथ मुंह में रखकर पानी पी लें। इससे जुकाम भी ठीक हो जाता है और छींके भी बंद हो जाती है। (5) अगर जुकाम पुराना हो जाने की वजह से नाक मे कीड़े पड़ जाये तो नाक में से बदबू आने लगती है। ऐसा होने पर 3 ग्राम कपूर और 6 ग्राम सेलखड़ी को मिलाकर पीस लें। इस रस को रोजाना 3-4 बार नाक में डालने से आराम आता है।
नकसीर:
(1) कपूर और तिल के तेल को एक साथ मिलाकर नाक मे डालने से नकसीर (नाक से खून बहना) के रोग में आराम आता है। (2) कपूर और सफेद चंदन को माथे पर लेप करने से नकसीर (नाक से खून बहना) के रोग में आराम आता है। (3) देसी घी के अन्दर थोड़ा सा कपूर मिलाकर नाक में डालने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है। (4) लगभग 120 ग्राम कपूर के चूर्ण को हरे धनिए के साथ पानी में मिलाकर नाक में डालने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक होता है।
स्त्रियों को संतुष्ट करना:
कपूर को 120 मिलीग्राम की मात्रा में प्रतिदिन खिलाने से स्त्री की कामोत्तेजना कम होती है।
पीनस रोग:
(1) 3 ग्राम देसी कपूर और 6 ग्राम सेलखड़ी को एक साथ मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को नाक से सूंघने से पीनस (पुराना जुकाम) दूर होता है। (2) 10 कपूर और 10 ग्राम तारपीन के तेल को मिलाकर थोड़ी देर के धूप में सूखाकर एक शीशी में रख लें। इसमें से 5-5 बूंद-बूंद तेल रोगी की नाक में डालने से 3 से 6 बार में ही पीनस (पुराना जुकाम) ठीक हो जाता है।
मूर्च्छा (बेहोशी):
(1) लगभग 1 ग्राम कपूर और 6 ग्राम सफेद चंदन को गुलाब के रस में घिसकर माथे, छाती और पूरे शरीर पर लेप करने से बेहोशी दूर होती है। (2) कपूर और हींग को लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में महीन पीसकर लगभग 240-240 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ देने से बेहोशी दूर होती है।
दिल की धड़कन बढ़ना:
यदि दिल की धड़कन तेज हो गई हो तो रोगी को थोड़ा-सा कपूर सेवन का सेवन कराएं। इससे दिल की धड़कन सामान्य बनती है।
हैजा:
(1) हैजा से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए इसका उपयोग करें। शुद्ध कपूर 20 ग्राम, भुनी हुई हींग 12 ग्राम, शुद्ध अफीम 10 ग्राम और लाल मिर्च व ईसबगोल 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ पीस लें। इसके बाद इसके चने के बराबर गोलियां बना लें और यह 1-1 गोली गुलाबजल अथवा ताजे पानी से 1-1 घंटे के अंतर पर रोगी को देते रहने से 2-3 मात्रा में ही दस्त व उल्टी रुक जाती है। (2) यदि किसी में हैजा शुरुआती अवस्था दिखाई दे तो कर्पूरासव को बताशे में डालकर बार-बार देने से हैजा रोग में लाभ होता है। इसका प्रयोग सांस, हृदय तथा रक्तसंचार के लिए उत्तेजक है। (3) कपूर, अजवायन रस व पिपरमिंट को बराबर मात्रा में मिला लें और इससे प्राप्त रस को 1-1 बूंद की मात्रा में बताशे में रखकर रोगी को दें। इससे हैजा रोग में बेहद लाभ होता है। (4) कपूर को महीन कपड़े में बांधकर पानी में डूबों देने से वह पानी कर्पूराम्बु कहलाता है। कर्पूराम्बु का सेवन बीच-बीच में करते रहने से स्थिति खराब नहीं हो पाती। 30 मिलीग्राम से 50 मिलीग्राम मात्रा में काफी है।
गठिया रोग:
500 मिलीलीटर तिल के तेल में 10 ग्राम कपूर मिलाकर शीशी में भरकर उसके बाद ढक्कन को बंद करके धूप में रख दें। जब कपूर तेल में पूरी तरह से घुल जाए तो गठिया के जोड़ों पर अच्छी तरह से मालिश करें।
खाज-खुजली:
चमेली के तेल में कपूर मिलाकर शरीर पर मालिश करने से खुजली दूर होती है।
हाथ पैरों की ऐंठन:
(1) कपूर को चार गुने सरसों के तेल में मिलाकर हाथ-पैरों पर मालिश करने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर होती है। (2) कपूर का सेवन करने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।
गुल्यवायु हिस्टीरिया:
लगभग 28 मिलीलीटर कपूर कचरी का रस सुबह-शाम सेवन करने से हिस्टीरिया रोग ठीक होता है।
नहरूआ (स्यानु):
1.50 ग्राम कपूर को दही में घोलकर 3 दिन तक पीने से नहरूआ रोग नष्ट होता है। इसके प्रयोग से हिड्डयों में घाव होने से रुकता है।
नाखून के रोग:
1-1 ग्राम कपूर और गंधक लेकर उसे मिट्टी के तेल में मिला लें। जब यह मलहम की तरह हो जाए तो उसे नाखूनों पर प्रतिदिन 2 से 3 बार लेप करें। इससे नाखूनों पर लेप करने से रोगी में जल्द लाभ मिलता है।
चेचक (मसूरिका):
लगभग 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम कपूर या 5 से 20 बूंद कर्पूरासव या 28 मिलीलीटर से 56 मिलीलीटर कर्पूराम्बु का सेवन करना चाहिए। इससे अधिक पसीना आकर बुखार निकल जाता है। कपूर को पतले कपड़े मे बांधकर पानी में डुबाने से कर्पूराम्बु बनता है।
पसलियों का दर्द:
यदि पसलियों में दर्द हो रहा हो तो कपूर का रस छाती व पसलियों पर मालिश करें। इससे पसलियों का दर्द ठीक होता है।
दाद:
गन्धक, कपूर व मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिटता है।
फोड़े-फुंसियों पर:
20 ग्राम कपूर, 20 ग्राम राल, 10 ग्राम नीलाथोथा, 20 ग्राम मोम और 20 ग्राम सिन्दूर को पीसकर घी मे मिलाकर लेप बना लें। इस तैयार लेप को प्रतिदिन फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता है।
हाथों का खुरदरापन:
तिल के तेल में साफ मोम और थोड़ा सा कपूर डालकर गर्म कर लें। अब इस मिश्रण को एक शीशी में भरकर रख लें। रोज रात को हाथों पर इस तेल को लगाने से खुरदरापन दूर होता है।
सूखी खुजली:
10 ग्राम कपूर को लगभग 58 ग्राम चमेली के तेल में मिलाकर लेप बना लें और इस तैयार लेप को खुजली वाले स्थान पर लगाएं। इसके प्रयोग से सूखी खुजली जल्द दूर होती है।
होंठों के रोग:
गाय के घी को 100 बार ताजे पानी में धोकर साफ कर लें और फिर उस घी में कपूर मिलाकर होठों पर लगाएं। इससे होठों के कटने-फटने व अन्य रोग ठीक होते हैं।
खून का निकलना:
यदि शरीर के किसी अंग से खून निकल रहा हो तो खून रोकने के लिए लाल चंदन और कपूर को मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ होता है।
लिंगोद्रक (चोरदी):
120 से 240 मिलीग्राम कपूर को प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से लिंग की उत्तेजना कम होती है।
त्वचा का सूजकर मोटा व सख्त होना:
(1) गुलाबजल के साथ चंदन को घिस लें और इसमें कपूर मिलाकर त्वचा की सूजन पर लगाएं। इससे त्वचा की सूजन मिटती है और त्वचा मुलायम होती है। (2) 120 मिलीग्राम कपूर या 5 से 20 बूंद कपूर का रस सेवन कराने से बच्चे को खसरा रोग में आराम मिलता है। (3) खसरे के दाने जब अपने आप सूख जाए तो उस पर कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर लगाना चाहिए। इससे जलन आदि में शांति मिलती है।
नाड़ी का रोग:
(1) 120 से 240 मिलीग्राम कपूर या 5 से 20 बूंद कपूर का रस का प्रयोग करने से हृदय एवं खून की क्रिया तेज होती है। (2) एक कपूर को आठ गुने दूध में घोलकर एक चौथाई चम्मच की मात्रा में 4-4 घंटों के अंतर पर लेते रहें। इससे नाड़ी की गति सामान्य होती है। कपूर को चार गुने सरसों के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करने से नाड़ी की गति सामान्य होती है।
बच्चों के रोग:
3 ग्राम कपूर और 1 ग्राम पठानी लोध्र को पीसकर एक पोटली में बांध लें। इसके बाद इस पोटली को एक घंटे तक पानी में भिगोंकर रखें। फिर इस पोटली को पानी से निकालकर आंखों पर लगाने से आंखों के दर्द, सूजन व जलन आदि दूर होती है।
शरीर में सूजन:
शरीर में सूजन होने पर कपूर को गाय के घी के साथ मिलाकर लेप बना लें और इस लेप से शरीर पर मालिश करने से सूजन खत्म होती है
उसके पास एक बडी जालीदार टोकरी में बहुत सारे तीतर थे..!
और एक छोटी जालीदार टोकरी में सिर्फ एक ही तीतर था..!
एक ग्राहक ने पूछा
एक तीतर कितने का है..?
40 रूपये का..!
ग्राहक ने छोटी टोकरी के तीतर की कीमत पूछी।
तो वह बोला,
मैं इसे बेचना ही नहीं चाहता..!लेकिन आप जिद करोगे,
तो इसकी कीमत 500 रूपये होगी..!
ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा,
"इसकी कीमत इतनी ज़्यादा क्यों है..?"
दरअसल यह मेरा अपना पालतू तीतर है और यह दूसरे तीतरों को जाल में फंसाने का काम करता है..!जब ये चीख पुकार कर दूसरे तीतरों को बुलाता है और दूसरे तीतर बिना सोचे समझे ही एक जगह जमा हो जाते हैं फिर मैं आसानी से सभी का शिकार कर लेता हूँ..!
बाद में, मैं इस तीतर को उसकी मनपसंद की 'खुराक" दे देता हूँ जिससे ये खुश हो जाता है..!बस इसीलिए इसकी कीमत भी ज्यादा है..!
उस समझदार आदमी ने तीतर वाले को 500 रूपये देकर उस तीतर की सरे आम बाजार में गर्दन मरोड़ दी..!
किसी ने पूछा,
"अरे, ज़नाब आपने ऐसा क्यों किया..?
उसका जवाब था,
"ऐसे दगाबाज को जिन्दा रहने का कोई हक़ नहीं है जो अपने मुनाफे के लिए अपने ही समाज को फंसाने का काम करे और अपने लोगो को धोखा दे..!"
हमारी व्यवस्था में 500 रू की क़ीमत वाले बहुत से तीतर हैं..!
'जिन्हें सेक्युलर, लिबरल, वामपंथी, कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष, जातिवादी, परिवारवादी आदि के नाम से जानते हैं..!
गांवों में बहुत सारे हुक्के , बीडी पीने वाले बुड्ढे मिल जायेंगे, जिनको सांस की दिक्कत होती है,
उनका oxygen लेवल दिन में कई बार 93 से बहुत नीचे भी जाता है, लेकिन फिर भी वे उसको आराम से बर्दाश्त कर जाते हैं।
क्यों? क्योंकि उन्हें उस समय
Oximeter लगाकर oxygen लेवल नाप कर डराने वाला कोई नहीं होता है। उनके हिसाब से थोडी देर पंखे के सामने उलटा-सीधा होकर लेटना-बैठना ही इसका इलाज है।
उनको नहीं पता कि oxygen cylinder क्या होता है। उनको बस यह पता है कि थोडी देर शरीर दुखेगा और उसके बाद अपने आप एडजस्ट कर लेगा। उनको पता है कि इसका इलाज उनके अंदर ही है।
जबकि वर्तमान डर के माहौल व oxygen बिजनेस ने लोगों को इतना मानसिक कमजोर कर दिया है कि oxygen का लेवल 93 से नीचे आते ही सब सिलेंडर तलाशने लग जाते हैं।
हमारा शरीर सांस लेते समय जो हवा अंदर लेता है, उसमें oxygen का प्रतिशत लगभग 21 होता है। अब उसके स्थान पर अचानक से 60% , 90% ,100% concentrated Oxygen दोगे तो क्या शरीर मजबूत हो जायेगा ?
हमारा शरीर जिस माहौल के लिए सालों से तैयार है, के स्थान पर अचानक से ऐसे कृत्रिम माहौल में शरीर को घुसेड़ देंगे तो फिर शरीर भी बदलने लगेगा। फेंफड़ों में , व शरीर के अन्य हिस्सों में भी परिवर्तन होने लगेगा।
हमारे शरीर में जादुई गुण होते हैं, कि वह हर माहौल के हिसाब से बदलने की प्राकृतिक ताकत रखता है। जब उस प्राकृतिक गुण को मशीनों से रिप्लेस करने की कोशिश करेंगे तो फिर नुकसान तो होंगे ही ।
डर का माहौल ऐसा बनाया हुआ है, कि लोग अपनी कारों में सिलेंडर लगवा कर लेटे हुए हैं, ओक्सीजन लेवल कितना क्या रखना है, कैसे मोनिटर करना है, कुछ अता-पता नहीं।
Industrial Oxygen बनाते- बनाते medical oxygen बनाने लग गये ... प्रोडक्शन को कोन रेगुलेट कर रहा है,अंदर क्या किस अनुपात में भर रखा है, पता नहीं।
डरे हुए लोग अपने परिवारजनों को ना खो देने के डर से जिधर-जहां ,जो मिल रहा हैं, आंख मूंद के ले रहे हैं।
लोग अनजाने में, मरने के डर से, मरने के लिए ही अपनी सालों की कमाई को रातों रात लूटा रहे हैं।
वर्तमान समय में फ्लू के थोडे से लक्षण दिखने पर ही अंट-शंट दवाइयां, सिलेंडर के चक्कर में पडे बिना, अपने आप पर भरोसा रखिये। हाई विटामिन सी डाईट पर शिफ्ट हो जाइये। डर फैलाने वालों से दूर रहिए। बुखार हो तो दवाईयों से कम करने की कोशिश मत किजिए। बुखार खराब चीज़ नहीं है, वह शरीर के ठीक होने से पहले के युद्ध का परिणाम है।
बहुत ज्यादा ही टेम्परेचर होने पर गीली पट्टी वगैरह से टैम्प्रेचर कम कर लीजिए। सांस की दिक्कत होने पर prone ventilation या देशी तरीकों से शरीर को मजबूत कीजिए, ना कि सिलेंडरों पर शरीर को निर्भर बनाइये।
डरना-घबराना नहीं है, खुद पर भरोसा रखिये अपने साथी को मानसिक रूप से तगडा रहने में मदद कीजिए।
अपने साथी या परिवारजन को सिलेंडर लगवा कर बैंगन की तरह पडे रहने के लिए मत छोड़ दीजिए ।
बातें किजिए, हंसी-मजाक, ठहाके लगाने में मदद किजिए। मानसिक अकेलेपन की गिरफ्त में मत जाने दिजिए। डर मत फैलाइए। खुद मत डरिये। कम लोगो के सम्पर्क में आइए। हो सके उतना भय के माहौल से दूर रहिए। भय का कोई इलाज नही है सिवाय मौत के।
हजारों वर्षों से भारत की संस्कृति और परंपराओं की पहचान रसोई की पहचान और आयुर्वेद और घरेलू चिकित्सा पद्धतियों की जान रही है हमारे ॠषि वैज्ञानिक पूर्वजों ने प्रकृति के प्रत्येक महाऔषध को हमारी परंपराओ और पूजा पद्धतियों से जोड़ दिया ताकी पीढ़ी दर पीढ़ी ये विज्ञान और महाऔषध हमें मिलता रहे आसपास रहे
हल्दी बचपन से ही हमारे दैनिक आहार में शामिल रही है जब भी कोई बाहरी चोट लगती तो हल्दी का लेपन भारत में आदिकाल से किया जाता रहा है और अंदरूनी चोट में हल्दी मिलाकर दूध पिलाया जाता रहा है यही हमारे बुजुर्गों का सबसे बड़ा हीलिंग प्रॉडक्ट था इसने कभी उसे निराश नहीं किया
पाश्चात्य जगत को जैसे ही इस महाऔषध के गुणों का कुछ दशक पहले ही ज्ञान हुआ तो शुरू इसके खिलाफ षड्यंत्र
सबसे पहले हल्दी की देशी किस्मों को काबू किया गया और हमें ज्यादा उत्पादन का लालच देकर हाइब्रिड बीज थमा दिया गया और भोला किसान उसके लालच में आ गया और उत्पादन हुआ उस हल्दी का जिसे हमारा शारीरिक आंतरिक ज्ञानतंत्र पहचानता ही नहीं अतः औषधीय लाभ शून्य
तब भी मन नहीं भरा और भारत में उसका अंग्रेजी दवा कारोबार नहीं फलफूल रहा था तो आए फास्टफूड पैक्ड और ब्रैड डबलरोटी डॉक्टरों को सिखाया गया रोगी को हल्दी वाली खिचड़ी नहीं बतानी मैदा से सडाकर बना ब्रैड और डबलरोटी बताओ जो कभी ना पचे और रोगी का लीवर हमेशा के लिए कमजोर पड़ जाए ताकि दवाईयां बिकती रहें इसलिए हल्दी वाला खाना फास्टफूड और पैकेज्ड फूड से बदला गया
तब भी मन नहीं भरा तो उतार दिया उद्योग जगत ने पीले रंग का हल्दीमिश्रित जहर जो आज 90% भारत की रसोई में है और 90% भारत आज रोगग्रस्त है साध्य और असाध्य लीवर किडनी और आंत की भयावह बीमारी का कारण है ये पीला जहर हृदय रोगों की जड़ है
#अब खेल यहाँ शुरू होता है पाश्चात्य चिकित्सा जगत ने हल्दी पर लिया पेटेंट और नाम दिया कर्क्यूमिन का तथा कर्क्यूमिनोइड्स का और कैप्सूल उतारा बाजार में 3500/ का 60 कैप्सूल एंटीबायोटिक एंजीकैंसरस एंटी एजिंग एंटी इंफलामेटरी एंटी वायरस एंटी फंगल
एंटी एजिंग सेल एंड बोन प्रॉटेक्टर और भारतीय ग्रेजुएट फूल्स ने पलक पावड़े बिछाकर उनकी इस महान खोज का स्वागत किया जो हल्दी मिश्रित दूध के ही समान समकक्ष है
अनुसंधानकर्ताओं ने हल्दी में मौजूद करक्यूमिन की मदद से दवा डिलिवरी का एक नया सिस्टम विकसित किया है जिसके जरिए सफलापूर्वक बोन कैंसर सेल्स को फैलने और बढ़ने से रोका जा सकता है। साथ ही हेल्दी बोन सेल्स का विकास भी होता है। अप्लाइड मटीरियल्स ऐंड इंटरफेसेज नाम के जर्नल में इस स्टडी के नतीजों को प्रकशित किया गया है।ऐसा इसलिए ताकि सर्जरी के बाद रिकवर करने की कोशिश कर रहे मरीज जो बोन डैमेज की समस्या के साथ-साथ ट्यूमर को दबाने के लिए हार्ड-हार्ड दवाइयों का भी सेवन कर रहे हैं उन्हें कुछ राहत मिल सके। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन में ऐंटिऑक्सिडेंट, ऐंटि-इंफ्लेमेट्री और हड्डियों को विकसित करने की क्षमता होती है। साथ ही हल्दी सभी तरह के कैंसर में समान रूप से प्रभावी है अगर शुद्ध और देसी हो
क्या आप जानते हैं कि हल्दी से टाइप-2 डायबिटीज़ तक ठीक की जा सकती है.
एक अध्ययन में पाया गया है कि हल्दी भूलने की बीमारी का सामने करने वाले मरीजों के मस्तिक की गतिविधि को बेहतर बनाने में भी मदद करती है.हल्दी में मौजूद एंटीबायोटिक्स और दूध में मौजूद कैल्शियम दोनों मिलकर हड्डियों को मज़बूत बनाते हैं. इसीलिए किसी भी तरह की बोन डैमेज या फ्रैक्चर होने पर इसे खास तौर पर पीने की सलाह दी जाती है.
हल्दी को आमतौर पर हमारे देश में एक मसाला माना जाता है, लेकिन हल्दी में प्रोटीन, विटामिन ए, कैल्शियम कार्बोहाईड्रेट और मिनरल्स की प्रचुर मात्रा के अलावा एंटी-ऑक्सीडेंट,एंटी-फंगल और एंटीसेप्टिक तत्वों वाले कई सारे ऐसे औषधिय गुण पाए जाते हैं। जिसकी वजह से हल्दी का उपयोग न सिर्फ हमें कैंसर,सर्दी -खांसी जैसी गंभीर बीमारियों से बचाती है और सेहतमंद बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि हमारी खूबसूरती को बढ़ाने में भी बेहद कारगर साबित हल्दी से बड़ा डिटाक्सीफायर ना है कोई विश्व में
अगर सदा जवान मजबूत निरोग और बलिष्ठ रहना है तो एक गिलास दूध गौ दुग्ध सर्वश्रेष्ठ आधा चम्मच हल्दी एक चुटकी काली मिर्च का हर रोज सेवन करो हल्दी देशी और शुद्ध होनी चाहिए
लिखता रहूँगा गुण प्रयोग समाप्त नहीं होंगे थोड़ा लिखा ज्यादा समझिये
#damaulik पर 100% शुद्ध वैदिक नॉन जेनेटिकली मॉडीफाइड हल्दी उपलब्ध है हाँ एक जानकारी कूल डूडस के लिए भी इसमें "5%गैरेंटिड करक्यूमीन और अधिक्तम कर्क्यूमिनोइड्स " के साथ
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