हल्दी:-
हजारों वर्षों से भारत की संस्कृति और परंपराओं की पहचान रसोई की पहचान और आयुर्वेद और घरेलू चिकित्सा पद्धतियों की जान रही है हमारे ॠषि वैज्ञानिक पूर्वजों ने प्रकृति के प्रत्येक महाऔषध को हमारी परंपराओ और पूजा पद्धतियों से जोड़ दिया ताकी पीढ़ी दर पीढ़ी ये विज्ञान और महाऔषध हमें मिलता रहे आसपास रहे
हल्दी बचपन से ही हमारे दैनिक आहार में शामिल रही है जब भी कोई बाहरी चोट लगती तो हल्दी का लेपन भारत में आदिकाल से किया जाता रहा है और अंदरूनी चोट में हल्दी मिलाकर दूध पिलाया जाता रहा है यही हमारे बुजुर्गों का सबसे बड़ा हीलिंग प्रॉडक्ट था इसने कभी उसे निराश नहीं किया
पाश्चात्य जगत को जैसे ही इस महाऔषध के गुणों का कुछ दशक पहले ही ज्ञान हुआ तो शुरू इसके खिलाफ षड्यंत्र
सबसे पहले हल्दी की देशी किस्मों को काबू किया गया और हमें ज्यादा उत्पादन का लालच देकर हाइब्रिड बीज थमा दिया गया और भोला किसान उसके लालच में आ गया और उत्पादन हुआ उस हल्दी का जिसे हमारा शारीरिक आंतरिक ज्ञानतंत्र पहचानता ही नहीं अतः औषधीय लाभ शून्य
तब भी मन नहीं भरा और भारत में उसका अंग्रेजी दवा कारोबार नहीं फलफूल रहा था तो आए फास्टफूड पैक्ड और ब्रैड डबलरोटी डॉक्टरों को सिखाया गया रोगी को हल्दी वाली खिचड़ी नहीं बतानी मैदा से सडाकर बना ब्रैड और डबलरोटी बताओ जो कभी ना पचे और रोगी का लीवर हमेशा के लिए कमजोर पड़ जाए ताकि दवाईयां बिकती रहें इसलिए हल्दी वाला खाना फास्टफूड और पैकेज्ड फूड से बदला गया
तब भी मन नहीं भरा तो उतार दिया उद्योग जगत ने पीले रंग का हल्दीमिश्रित जहर जो आज 90% भारत की रसोई में है और 90% भारत आज रोगग्रस्त है साध्य और असाध्य लीवर किडनी और आंत की भयावह बीमारी का कारण है ये पीला जहर हृदय रोगों की जड़ है
#अब खेल यहाँ शुरू होता है पाश्चात्य चिकित्सा जगत ने हल्दी पर लिया पेटेंट और नाम दिया कर्क्यूमिन का तथा कर्क्यूमिनोइड्स का और कैप्सूल उतारा बाजार में 3500/ का 60 कैप्सूल एंटीबायोटिक एंजीकैंसरस एंटी एजिंग एंटी इंफलामेटरी एंटी वायरस एंटी फंगल
एंटी एजिंग सेल एंड बोन प्रॉटेक्टर और भारतीय ग्रेजुएट फूल्स ने पलक पावड़े बिछाकर उनकी इस महान खोज का स्वागत किया जो हल्दी मिश्रित दूध के ही समान समकक्ष है
अनुसंधानकर्ताओं ने हल्दी में मौजूद करक्यूमिन की मदद से दवा डिलिवरी का एक नया सिस्टम विकसित किया है जिसके जरिए सफलापूर्वक बोन कैंसर सेल्स को फैलने और बढ़ने से रोका जा सकता है। साथ ही हेल्दी बोन सेल्स का विकास भी होता है। अप्लाइड मटीरियल्स ऐंड इंटरफेसेज नाम के जर्नल में इस स्टडी के नतीजों को प्रकशित किया गया है।ऐसा इसलिए ताकि सर्जरी के बाद रिकवर करने की कोशिश कर रहे मरीज जो बोन डैमेज की समस्या के साथ-साथ ट्यूमर को दबाने के लिए हार्ड-हार्ड दवाइयों का भी सेवन कर रहे हैं उन्हें कुछ राहत मिल सके। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन में ऐंटिऑक्सिडेंट, ऐंटि-इंफ्लेमेट्री और हड्डियों को विकसित करने की क्षमता होती है। साथ ही हल्दी सभी तरह के कैंसर में समान रूप से प्रभावी है अगर शुद्ध और देसी हो
क्या आप जानते हैं कि हल्दी से टाइप-2 डायबिटीज़ तक ठीक की जा सकती है.
एक अध्ययन में पाया गया है कि हल्दी भूलने की बीमारी का सामने करने वाले मरीजों के मस्तिक की गतिविधि को बेहतर बनाने में भी मदद करती है.हल्दी में मौजूद एंटीबायोटिक्स और दूध में मौजूद कैल्शियम दोनों मिलकर हड्डियों को मज़बूत बनाते हैं. इसीलिए किसी भी तरह की बोन डैमेज या फ्रैक्चर होने पर इसे खास तौर पर पीने की सलाह दी जाती है.
हल्दी को आमतौर पर हमारे देश में एक मसाला माना जाता है, लेकिन हल्दी में प्रोटीन, विटामिन ए, कैल्शियम कार्बोहाईड्रेट और मिनरल्स की प्रचुर मात्रा के अलावा एंटी-ऑक्सीडेंट,एंटी-फंगल और एंटीसेप्टिक तत्वों वाले कई सारे ऐसे औषधिय गुण पाए जाते हैं। जिसकी वजह से हल्दी का उपयोग न सिर्फ हमें कैंसर,सर्दी -खांसी जैसी गंभीर बीमारियों से बचाती है और सेहतमंद बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि हमारी खूबसूरती को बढ़ाने में भी बेहद कारगर साबित हल्दी से बड़ा डिटाक्सीफायर ना है कोई विश्व में
अगर सदा जवान मजबूत निरोग और बलिष्ठ रहना है तो एक गिलास दूध गौ दुग्ध सर्वश्रेष्ठ आधा चम्मच हल्दी एक चुटकी काली मिर्च का हर रोज सेवन करो हल्दी देशी और शुद्ध होनी चाहिए
लिखता रहूँगा गुण प्रयोग समाप्त नहीं होंगे थोड़ा लिखा ज्यादा समझिये
#damaulik पर 100% शुद्ध वैदिक नॉन जेनेटिकली मॉडीफाइड हल्दी उपलब्ध है हाँ एक जानकारी कूल डूडस के लिए भी इसमें "5%गैरेंटिड करक्यूमीन और अधिक्तम कर्क्यूमिनोइड्स " के साथ
श्रेस्ठ आर्गेनिक , हानिकारक केमिकल रहित #ग्रामवेद पर आधारित हल्दी हमारे पास मौजूद
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