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QR Code क्या है कैसे बनाए ?
What is QR code in Hindi जाने
What is QR code in Hindi (QR Code क्या है और कैसे काम करता है ?)तो क्या आप भी उन्ही लोगों मे से है जिन्हे QR Code को स्कैन करके पेमेंट करना ज्यादा अच्छा लगता है।
पर क्या आप जानते है QR Code क्या है (What is QR code in Hindi) आज छोटे दुकान से लेके बड़े -बड़े कॉम्पनियों के अपने QR code होते है।जिसे हम स्कैन करके बड़े ही आसानी से उस कंपनी के URL या उस प्रोडक्ट की जानकारी पा लेते है।वैसे तो हर कोई QR code बना सकता है।
QR code कैसे बनाए हम इस आर्टिकल मे जानेंगे।QR code आज हर जगह देखने को मिलता हम जब भी किसी को UPI पेमेंट करते है तो दुकानदार हमे अपना QR code स्कैन करने को कहता है और इंटरनेट की मदद से पेमेंट पूरा जाता है। पलक झपकते ही
Full form of QR code/QR code का पूरा नाम होता है Quick Response Code जो की दिखने मे एक सफेद पेज पर बने चौकोर ग्रिड मे व्यवस्थित काले वर्ग के होते है।
जिसे किसी भी कैमरा द्वारा स्कैन करके पड़ा जा सकता है।इसका स्तेमाल आज ज्यादा तर UPI पेमेंट करने के लिए कीया जाता है तथा किसी भी प्रोडक्ट मे इसे लगाया जाता है।
जिसमे उस प्रोडक्ट की सारी जानकारी होती है। QR code को कोई भी इस्तेमाल कर सकता है
चाहे वह पर्सनल यूज के लिए हो या प्रोफेसनल यूज के लिए इसे आप अपने विजिटिंग कार्ड मे भी प्रिन्ट कर सकते है जिसमे आप अपना ईमेल तथा वेबसाईट और पता स्टोर कर सकते है।
यह बार कोड UPC (universal product code) से तेज पड़ने तथा ज्यादा मेमोरी होने के वजह से महसूर है इसे स्कैन करने पर बहुत ही तेजी से आप इसके अंदर छिपे डेटा को पढ़ सकते है।
इसे सन 1994 में DENSO WAVE द्वारा जापान में announce किया गया है।जो की अपने तेज गति से डेटा को पड़ने के लिए महसूर है।
यदि आप अपने स्मार्ट फोन से QR Code को स्कैन करना चाहते है तो यह बड़ा ही आसान है।यह निर्भर करता है की आपको QR Code किस काम के लिए स्कैन करना है
जैसे किसी को online payment करना है या किसी भी प्रोडक्ट या विजिटिंग कार्ड की QR Code को स्कैन करना है
Online payment के लिए QR Code कैसे स्कैन करे जाने
यदि आप किसी को UPI payment करना चाहते है तो आप सबसे पहले अपने किसी भी UPI Payment एप को खोले
जैसे Google pay, Phone Pe जब आप इनमे से कोई आप खोलेंगे तो आपको Google pay मे ऊपर left साइड कोने मे और Phone Pe मे ऊपर के Right side मे आपको QR स्कैन का लोगों या फिर ऑप्शन दिखेगा आपको उसे खोलना है
और आपका स्कैनर खुल जाएगा आब किसी भी UPI QR Code के सामने रखे स्कैनर उसे पलक झपकते ही स्कैन कर लेगा।
यदि आप इसी प्रोडक्ट या फिर विजिटिंग कार्ड पर बने QR Code को स्कैन अपने स्मार्ट फोन से करना चाहते है
तो इसके लिए आप गूगल प्ले स्टोर पर जाए और किसी भी QR Code स्कैनर को डाउनलोड करे और इंस्टाल हो जाने पर उसे खोले और स्कैन करे .
QR Code मे क्या स्टोर करे यह सवाल आपके मन मे भी आ रही होगी तो हम जानते है। QR Code आज कोई भी बना सकता अगर आप भी चाहते है
अपने बिजनस या अपने विजिटिंग कार्ड मे QR Code भी जोड़ना चाहते है तो QR Code कैसे बनाए हम आगे जानेंगे फिलहाल जानते है।
QR Code मे क्या स्टोर करे हम QR Code मे किसी भी तरह का URL,LINK,तथा अपने ईमेल आइडी और फोन नंबर और बिजनस का पता स्टोर कर सकते है।
आप अपने वेबसाईट का URL भी स्टोर कर सकते है। ताकि लोग सीधे आपके QR Code को स्कैन करके आपके वेबसाईट पर पहुच जाए । इत्यादि .
QR code क्या है -What is QR code in Hindi आपने जाना अब हम जानते है QR Code के प्रकार QR Code दो तरह के होते है।
QR Code kse bnae यदि आप भी अपने बिजनस के लिए QR Code Generate करना चाहते है।तो यद बिल्कुल ही आसान है। इसे कोई भी Generate कर सकता है।
स्टेप 1- सबसे पहले अपने स्मार्ट फोन के गूगल प्ले स्टोर मे जाए .
स्टेप 2- वहाँ सर्च करे QR code Generator.
स्टेप 3 -अब आपके सामने कई QR code Generator के लिस्ट आएंगे इसनमे से कोई भी इंस्टाल करे.
स्टेप 4- अब आप Generator खोले और बनाए अपना QR code.
मुझे उम्मीद है What is QR code in Hindi (QR Code क्या है)QR code कैसे बनाए ?आपको आपको पूरा समझ आ गया होगाआपने आज QR code को कैसे बनाए ये भी जाना मैंने यह आर्टिकल बहुत ही आसान सबद्धों ने लिखा है ताकि आपको What is QR code in Hindi (QR Code क्या है) अच्छे से समझ आ सके यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल हो तो हमसे जरूर पूछे और कैसी लगी आपको यह जानकारी नीचे कमेन्ट कर के जरूर बताए और इस आर्टिकल को शेयर करे धन्यबाद.
आज हम जानेंगे आज के दुनिया मे स्मार्ट फोन हम मानव की जरूरत सी बन चुकी है.स्मार्टफोन के मदद से हमारे जीवन के काम करने के तौर तरीकों मे बहुत ही बदलाओ सा हो गया है.
ऐसे मे हम अगर बात करते है स्मार्ट फोन की तो हमे Android शब्द सुनने को जरूर मिलता है और आप मे से बहुतों लोग इसका स्तेमाल बी करते है पर Android Kya Hota Hai इसकी जानकारी हमे पूरी तरह नहीं होती जिसके लिए मुझे लगा क्यू ना आपको एंड्रॉयड क्या है हिन्दी मे इसकी जानकारी आपलोगों तक पहुचाया जाए.
ताकि जब भी Android शब्द का जिक्र हो तो आप इसे दूसरों को भी समझा सके की Android क्या होता है और इसका काम क्या है ताकि आप एक स्मार्ट यूजर कहलाए.Androidके साथ साथ आपने Windows और iOS स्मार्ट फोन के बारे मे भी सुना होगा पर आज हम Android के बारे मे जानेंगे की Android Operating System Kya Hai विस्तार से.
Android एक ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका स्तेमाल स्मार्टफोन मे सबसे ज्यादा कीया जाता है यह पूरे दुनिया मे ऑपरेटिंग सिस्टम के मामले मे सबसे प्रसिद्ध ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे Google के द्वारा बनाया गया है और यह linux kernel के ऊपर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है और यह बहुत ही user Friendly है जिसे बड़े ही आसानी से कोई भी स्तेमाल कर सकता है.
Android open source होने के वजह से इसे ज्यादा तर मोबाईल कंपनी द्वारा उनके स्मार्ट फोन मे डाला जाता है और क्यू की यह ओपन सोर्स है इसके चलते Android ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन हमे सस्ते दामों पर मिल जाता है.
सुरू से लेकर आज तक इसके कई वर्ज़न आ चुके है जिनमे Android 1.0 Alpha ,Android 4.1 Jelly Bean, Android 5.0 Lollipop, 6.0 Marshmallow, Android 10 इत्यादि सामील है जिनके बारे मे हम आगे जानेंगे.
Fact-भारत मे 90% से 94% स्मार्टफोन एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले स्तेमाल कीये जाते है और वही बात करे पूरे दुनिया मे तो करीब 70 %से 85% स्मार्ट फोन एंड्रॉयड के स्तेमाल कीये जाते है . |
ओपन सोर्स उसे कहते है जिसके सोर्स कोड आम डेवलपर्स के लिए उपलब्ध हो और उसमे किसी भी तरह परिवर्तन कीया जा सके और इसके लिए किसी को किसी भी तरह का कोई चार्ज नहीं देना होता है.
उदाहरण के और पर आप जिस भी कंपनी का स्मार्टफोन स्तेमाल करते है वो रहता तो Android ही है पर कंपनी उसमे कुछ परिवर्तन कर अपने खुद के UI (User interface ) डाल कर देती है जैसे realme के स्मार्ट फोन मे हमे (Realme ui 2.0) और Oneplus के फोन मे (Oxygen OS 11) देखने को मिलता है.
गूगल से पहले एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम Android Inc की थी जिसके फाउन्डर Andy Rubin, Rich Miner, Nick Sears और Chris White थे.इहोने इसपर सुरुवात मे काम कीया और क्यू की इनके पास कुछ खास फन्डिंग ना होने के कर इसे गूगल को 2005 मे बेचना पड़ा.
गूगल से पहले एंड्रॉयड (Android Inc) की थी जिसके फाउन्डर Andy Rubin, Rich Miner, Nick Sears और Chris White थे.इहोने इसपर सुरुवात मे काम कीया और क्यू की इनके पास कुछ खास फन्डिंग ना होने के कर इसे गूगल को 2005 मे बेचना पड़ा और गूगल ने Android को खरीदने के बाद इन्ही चारों को उसका मुख्य बनाया.
बाद मे March 2013 मे Andy Rubin को इसे छोड़ किसी और प्रोजेक्ट पर अपना समय देने का सोचा और आगे चलकर Android को Sundar Pichai के देख रेख मे रखा गया और सन 2007 एंड्रॉयड मे अपना पहला वर्ज़न लौंच कीया और एक एक कर इसमे कई सुधार कर नए नए वर्ज़न मार्केट मे लौंच कीया गया.
यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं की आज एंड्रॉयड दुनिया का सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे समसे ज्यादा स्मार्टफोन के लिए पसंद कीया जाता है वही आजकल इसका उपयोग कुछ स्मार्ट टीवी इत्यादि मे भी किया जा रहा है.
यदि बात लकरे एंड्रॉयड की तो इसे Google और Open Handset Alliance मिलकर डेवेलप कीया था तब से लकर आज तक बाजार मे इसके कई वर्ज़न आ चुके है वही इसमे पहले से बहुत ज्यादा सुधार हो चुका और अब का एंड्रॉयड एक अड्वान्स OS है.
एंड्रॉयड के बारे मे सबसे रोचक बात यह है की इसके हर वर्ज़न को Alphabetic order के हिसाब से कोड नेम दिए जाते है जैस Cupcake, Donut, Éclair, Froyo, Gingerbread, Honeycomb, Ice cream sandwich, Jelly Bean, KitKat, Lollipop, Marshmallow, Nougat, Oreo और Pie और यह सभी नाम किसी ना किसी desserts के नाम पर रखा गया है.
हमने एंड्रॉयड क्या है और Android के इतिहास के बारे मे जाना अब हम एंड्रॉयड द्वारा सुरू से लकर अभी तक के वर्ज़न के नाम और उनमे हुए अपडेट के बारे मे जानते है और आपने इन सभी मे से एक दो ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल जरूर कीया होगा अगर आप एंड्रॉइड स्मार्टफोन का स्तेमाल करते होंगे तो.
Code name | Version numbers | API level | Release date |
Alpha | 1.0 | 1 | September 23, 2008 |
Beta | 1.1 | 2 | February 9, 2009 |
Cupcake | 1.5 | 3 | April 27, 2009 |
Donut | 1.6 | 4 | September 15, 2009 |
Eclair | 2.0 – 2.1 | 5 – 7 | October 26, 2009 |
Froyo | 2.2 – 2.2.3 | 8 | May 20, 2010 |
Gingerbread | 2.3 – 2.3.7 | 9 – 10 | December 6, 2010 |
Honeycomb | 3.0 – 3.2.6 | 11 – 13 | February 22, 2011 |
Ice Cream Sandwich | 4.0 – 4.0.4 | 14 – 15 | October 18, 2011 |
Jelly Bean | 4.1 – 4.3.1 | 16 – 18 | July 9, 2012 |
KitKat | 4.4 – 4.4.4 | 19 – 20 | October 31, 2013 |
Lollipop | 5.0 – 5.1.1 | 21- 22 | November 12, 2014 |
Marshmallow | 6.0 – 6.0.1 | 23 | October 5, 2015 |
Nougat | 7.0 | 24 | August 22, 2016 |
Nougat | 7.1.0 – 7.1.2 | 25 | October 4, 2016 |
Oreo | 8.0 | 26 | August 21, 2017 |
Oreo | 8.1 | 27 | December 5, 2017 |
Pie | 9.0 | 28 | August 6, 2018 |
Android 10 | 10.0 | 29 | September 3, 2019 |
Android 11 | 11 | 30 | September 8, 2020 |
Android 12 | no data | no data | no data |
हम यहाँ जानते है सुरू से अभी तक Android Versions के बारे मे.
यह September 23, 2008 मे सबसे पहला variant आया था और इसके बाद दो variant जिनके नाम Astro और Bender जिसे पब्लिक मे लौंच नहीं कीया गया था.
यह एक variant स्वीट के नाम पर रखा गया था इसमे कोई बदलाओ कीया गया इसमे आपका स्क्रीन अपने आप घूमती थी फोन के हिसाब से और third party virtual keyboard ,video recording and playback ,animated screen transitions इत्यादि का सपोर्ट देखने को मिला.
यह variant September 29, 2009 मे लौंच हुआ इसमे GSM के साथ साथ हमे CDMA का भी सपोर्ट देखने को मिला.
Android Donut के लॉन्च होने के ठीक दो महीने बाद October 26 ,2009 Android 2.1 Eclair लौंच हुआ जिसमे हमे Live navigation यानि गूगल मैप का सपोर्ट देखने को मिल और इसके साथ साथ टेक्स्ट तो स्पीच ,expanded Account sync, Exchange email support, Bluetooth 2.1 इत्यादि का सपोर्ट मिला.
Android 2.3 Froyo May 20, 2010 मे लौंच हुआ यह नाम frozen yogurt से मिलकर बना जो Linux kernel 2.6.32 पर based था.इसमे हमे वाईफाई और हॉट स्पॉट का सपोर्ट देखने को मिला.
2.3 Gingerbread को December 6, 2010 को लौंच हुआ जिसमे यूजर इंटरफेस मे कई बदलाओ देखने को मिला.इसमे हमे एक्स्ट्रा लार्ज स्क्रीन देखने को मिली साथ ही साथ Faster Text Input, Copy और Paste के फीचर भी हमे देखने को मिले.एंड्रॉयड के इस वर्ज़न के सॉफ्टवेयर मे कई सुधार कीये गए और यह पहले से ज्यादा तेज था और इसमे हमे कई नए हार्डवेयर तथा अन्य सपोर्ट देखने को मिला.
February 22, 2011 को Android 3.2 Honeycomb लौंच हुआ जो बड़े स्क्रीन के लिए डिजाइन कीया गया था जैसे टैबलेट इत्यादि इसमे हमे वर्चुअल और होलोग्राफिक User Interface देखने को मिला साथ ही साथ इसमे हम multiple browser tabs का उपयोग कर सकते थे.
साथ ही साथ इसमे कैमरा पहले से जल्दी खुलता था और यह वर्ज़न वीडियो कॉल को भी सपोर्ट करता था.
October 19, 2011 को लौंच हुआ Android 4.0 Ice Cream Sandwich जिसमे हमे Face unlock सिस्टम देखने को मिला और यह पहली बार था और साथ ही साथ इसमे कई सुधार भी कीये गए थे.
June 27, 2012 को Android 4.1 Jelly Bean के नाम से लौंच हुआ यह Linux kernel 3.0.31 के ऊपर based था जिसमे हमे bi-directional text, ability to turn off notifications on apps, offline voice detection.
इसके साथ Google Wallet, shortcuts and widgets, multichannel audio, Google Now search application, USB audio, audio chaining इत्यादि देखने को मिले और आगे चलकर इसमे और भी अपडेट आए जो की 4.2 और 4.3 था.
October 2013 मे लौंच हुआ Android 4.4 “KitKat” जिसे बहुत ही ज्यादा पसंद कीया गया लौंच होने से पहले इसका नाम Key Lime Pie होना था बर बाद KitKat कंपनी के साथ डील होने के बाद इसका नाम Android 4.4 “KitKat” रखा गया.
October 15, 2014 को गूगल ने लौंच कीया Android 5.0 Lollipop जिसमे एंड्रॉयड का पूरा फ़ील ही बदल गया इसमे कई बदलाओ कीये गए जैसे इसमे हमे Material Design बहुत ही बेहतर देखने को मिल साथ ही साथ colourful interfaces, playful transitions इत्यादि हमे मिला
Android का यह वर्ज़न को लोगों ने खूब पसंद कीया और इसमे Battery Life मे भी काफी सुधार कीया ज चुका था.
Android 6.0 Marshmallow को गूगल ने लौंच कीया October 5, 2015 को जो की इसके पिछले वर्ज़न से काफी मिलता झूलता था पर इसमें हमे कोई और सपोर्ट जैसे फिंगर प्रिन्ट अन्लाक और USB type C देखने को मिला इत्यादि.
October 4, 2016 को Android 7.0 Nougat का अपडेट आया जिसमे हमे Night Light ,Fingerprint swipe down gesture, Daydream VR Mode, Circular app icons support इत्यादि का सपोर्ट देखने को मिला.देखा जाए तो इसमे इसके आलवे भी कोई बड़े अपडेट हमे देखने को मिले.
August 18, 2017 को गूगल ने अपना नया अपडेट लोगों के सामने लाया जिसका नाम था Android 8.0 OREO जिसमे हमे कोई बेहतर सुविधा देखने को मिली जैसे Enhanced Battery Life ,Smart Text Selection ,Better Google Assistant, Autofill feature और इत्यादि.
August 6, 2018 को गूगल ने लौंच कीया Android 9.0 Pie जिसमे हमे Adaptive Battery, Adaptive Brightness, App Actions इत्यादि जैसे नए फीचर देखने मिला.
Android 10 को गूगल ने लौंच कीया September 3, 2019 को जिसमे पहले इसे गूगल के द्वारा इसका नाम Android Q कहा जा रहा था बाद मे इसका नाम Android 10 रखा गया.
इसे गूगल ने लौंच कीया September 8, 2020 जो की गूगल का लेटेस्ट अपडेट है इसमे हमे परफॉरमेंस मे सुधार देखने को मिला उसके साथ साथ इसमे हमे एप के पर्मिसन मे काफी सेटिंग देखने को मिली
वही इसमे हमे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले एप को पिन करने का ऑप्शन देखने को मिल इसके अलावे भी हमे इसमे हमे काफी और फीचर्स देखने को मिलता है.
Android 12 को बहुत जल्द ही हम स्तेमाल कर पाएंगे फिलहाल गूगल ने इसका developer preview लौंच कीया जिसे हम बीटा टेस्टिंग भी कह सकते है. आने वाले 2021,जुलाई से सप्टेंबर के बीच यह हमे स्तेमाल करने को मिल सकता है.
कहा यह भी जा रहा है की Pixel devices मे हमे इसका अपडेट देखने को सकता है और तो और हमे Pixel flagship फोन मे भी इसका अपडेट देखने को मिल सकता है.
अगर हम बात करे Android 12 मे मिलने वाले फीचर्स की तो इसमे हमे
जैसा की हम सभी जानते किसी भी चीज को बनाने के बाद उसमे और भी सुधार कीया जाता है ठीक उसी प्रकार गूगल समय समय पर अपने Android प्लेटफॉर्म मे बहतेर बनाता है पहले से और उसमे कोई फीचर भी जोड़ता है.
इसके बाद हार्डवेयर कंपनी जी की किसी भी मोबाईल का हार्डवेयर तयार करती है जैसे की Realme ,MI ,सैमसंग इत्यादि.ये सभी Android के लेटेस्ट वर्ज़न को अपने संयत फोन ने डाल कर मार्केट मे बेचती है.
Android का वर्ज़न जितना ही लेटेस्ट होता है उसके लिए उतना मजबूत हार्डवेयर की जरूरत पड़ती है जैसे प्रोसेसर ,रैम इत्यादि क्यू की कोई भी नया वर्ज़न पहले से ज्यादा फीचर्स को जोड़कर आता है.
मोबाईल कंपनी अक्सर कमजोर हार्डवेयर वाले फोन मे Android के पुराने वर्ज़न को डाल कर देती है ताकि हार्डवेयर बैलन्स रहे अच्छे प्रकार से काम करे.
गूगल जो ऑपरेटिंग सिस्टम बनती है उसका नामAndroid है जिसे की बनाने के बाद मोबाईल कंपनी को बेचती है.यह मोबाईल कंपनी गूगल से ऑपरेटिंग सिस्टम खरीदने के बाद क्यू की एंड्रॉयड ओपन सोर्स है.
तो मोबाईल कंपनी उसमे अपने हिसाब से कई बदलाओ कर के उसके डिजाइन मे बदलाओ करते है जैसे की MIUI ,Real-me UI, Oxygen US इत्यादि.ये सभी होते तो Android ही पर क्यू की कंपनी ने उसमे कई बदलाओ कीये होते है उसे वह अपना रखा नाम देकर स्मार्ट फोन मे डालती है.
वही Stock Android गूगल का प्योरAndroid होता है(यानि बिना की छेड़ छाड़ के )जिसे पूरी तरह से गूगल द्वरा ही डिजाइन कीया जाता है.जिसमे कोई भी एक्स्ट्रा एप और कोड ना होने के वजह से इसमे हैंग होने की समस्या कम आती है और फोन की रैम भी काफी बचती है.
Stock Android वाले फोन को गूगल का अपडेट जल्दी से जल्दी मिल जाता है वही बाके UI मे इसकी कोई समय सीमा नहीं होती क्यू की उन्हे इसमे बदलाओ करने मे काफी समय लग जाते है.
गूगल के Nexus फोन इत्यादि मे आपको स्टॉक Android देखने को मिल जाता है.
यदि आप चाहते है की आपको अपने फोन मे कोई भी फालतू के बिना आपके स्तेमाल वाले एप आपको ना मिले और आपको Android के नए अपडेट हमेशा टाइम पर मिले तथा आपका फोन हैंग होने के चांस नहीं के बराबर हो तो आप स्टॉक Android वाला फोन ले सकते है. |
दुनिया मे सबसे ज्यादा स्तेमाल होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम बन चुका है एंड्रॉयड और यह होने पीछे काही ना कही इसके futures इसके लिए बड़े मैने रखते है जिसके वहज से एंड्रॉयड को इतना पसंद कीया था है तो जानते है एंड्रॉयड के फीचर्स के बारे मे.
एंड्रॉयड के यूजर इंटरफेस को हर पीढ़ी के लोगों द्वारा पसंद कीया है जाता है क्यू की इसका UI बहुत ही यूजर फ़्रेंडली होता है जिसके हर एक विकल्प को आप बड़े ही आसानी से खोज सकते है.इसे सीखने के लिए आपको ज्यादा वक्त नहीं लगता है.
इसका दूसरा कारण है एंड्रॉयड का की भाषा जी हाँ एंड्रॉयड पूरे 100 से भी ज्यादा भाषा को सपोर्ट करता है आप देश या दुनिया के किसी रिसन मे रहते है हो एंड्रॉयड आप किसी भी भाषा मे उपयोग कर सकते है.
जी हाँ अगर आप एक ही फोन मे एक समय मे अनेकों टास्क करना पसंद करते है तो इसके लिए एंड्रॉयड बेस्ट है क्यू की यह Multi Tasking बहुत ही अच्छे से सपोर्ट करता है और समय-समय पर इसमे कई सुधार भी कीये जाते है.
अगर बाद कर तो एंड्रॉयड हमे सभी तरह के Network से बेहतर Connectivity प्रदान करता है जैसे Bluetooth, NFC , Wi-Fi ,Hotspot ,CDMA ,GSM ,4 G , 5G इत्यादि.
एंड्रॉयड क्या है आपने जाना अब हम जान लेते है Android के कुछ विशेषता के बारे मे.
यह सवाल अक्सर हमारे दिमाग मे आता है किस की हमए एंड्रॉयड को अपडेट करने के लिए पैसे देने पड़ते है तो मै आपको बता दु यह बईकुल ही फ्री है यदि आप कोई स्मार्ट फोन लेते है तो कंपनी द्वारा जो एंड्रॉयड वर्ज़न दिया जाता है
उसमे बाद मे कुछ सुधार कर सारे यूजर को फिर से अपडेट प्रवाइड कराया जाता है जिसे करने के बाद आपके फोन की परफॉरमेंस मे सुधार आता है इसके आलवा कई नए फीचर भी आपको देखने को मिलते है.
एंड्रॉयड अपडेट निर्भर करता है आपके आप कौन सा फोन है कंपनी एक ना एक बार किसी भी फोन मे अपडेट जरूर भेजती है.
एंड्रॉयड एक ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो की Linux kernel के ऊपर काम करता है इसे आप सिस्टम सॉफ्टवेयर भी मान सकते है जो किसी भी स्मार्टफोन को संचालित करने मे मदद करता है.
जब किसी भी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम मे कोई सुधार और कई बदलाओ के साथ नए रूप मे लाया जाए तो वही नया वर्ज़न कहलाता है.
Android 10,Android 11,Android 12 एंड्रॉयड के नवीनतम वर्ज़न है जो नए स्मार्टफोन मे आपको अधिक देखने को मिलता है.
एंड्रॉयड एक ऑपरेटिंग सीस्टम है जिसे गूगल द्वारा लौंच किया गया और यह पूरी तरह ओपन सोर्स है.
मुझे उम्मीद है Android क्या है ?
Android Kya Hai (What is Android in Hindi)
आपको अच्छे से समझ मे आ गया होगा एंड्रॉयड क्या होता है हिन्दी मे
NFC क्या है?
NFC Kya Hai (What is NFC in Hindi)
जब हम कही सुनते है जैसे Samsung
Pay मे.आज बहुतों लोग ऐसे है जिनके फोन मे NFC होता है पर उन्हे पता नहीं
होता की NFC क्या है और NFC का स्तेमाल क्या है ?
वैसे तो Bluetooth का नाम हम सब ने सुना है और शायद आपने इसका उपयोग भी कीया हो पर उसी से मिलता झूलता एक वायरलेस technology है NFC जिसके फायदे अनेक है और इसका भविष्य मे उपयोग भी बड़ने वाले है.
NFC के द्वारा किसी भी दो डिवाइस के बीच सिर्फ एक दूसरे से टच कर के छोटे Data को एक दूसरे डिवाइस मे पाया और भेजा जा सकता है.
NFC के कुछ फायदे है तो नुकसान भी है जिसे हम आगे पड़ेंगे तो जानते है विस्तार से NFC क्या है?
(What is NFC in Hindi) और कैसे काम करता है.
NFC का पूरा नाम है Near Field Communication इसका उपयोग बहुत ही कम दूरी मे दूसरे NFC डिवाइस से जुड़ सकते है वो भी बिना किसी वायर के इसका उपयोग छोटे डेटा का आदान प्रदान करने के लिए कीया जाता है.
NFC मे Electromagnetic Radio Field का इस्तेमाल कीया जाता है किसी भी दो डिवाइस के बीच डेटा का आदान प्रदान करने मे जिसके लिए हमे दोनों NFC डिवाइस को आपस मे पास रखना होता है.
NFC 106kbps से लेके 424kbps तक डेटा सपोर्ट करता है.और अगर बात करे इसकी रेंज की तो यह 4cm से लेकर 6c के दूरी तक दूसरे NFC डिवाइस से जुड़ सकता है.
सीधी भाषा मे समझे तो अगर आपका मोबाईल NFC को सपोर्ट करता है तो यही आप अपने डिवाइस के NFC को ऐक्टिव कर देते है तो उस डिवाइस के नजदीक मे Communication field बन जाता है और एसा होने पर आप यदि दूसरे NFC डिवाइस को उसके पास टच करते है तो दोनों ही आपस मे जुड़ जाते है.
Connection जुडते ही आप एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस मे किसी भी तरह का फाइल या डेटा का आदान पप्रदान कर सकते है.
NFC को काम करने के लिए कसी भी तरह की पावर की जरूरत नहीं होती क्यू की किसी भी चालू NFC के पास आटे ही यह electromagnetic field produced करता है और अपने काम जितना पावर उत्तपन होजता है.
जो की बहुत जी कम होता है.अगर हम बात करे इसकी डेटा transmission frequency की तो यह 13.56 megahertz होती है.
NFC क्या है आपने जाना पर एनएफसी दो प्रकार के होते है.
Active NFC डिवाइस का स्तेमाल किसी भी स्मार्टफोन और touch payment जैसे जगह कीया जाता है Active NFC को ऐक्टिव रहने के लिए पावर की जरूरत पड़ती है और यह डेटा को पाने और भजने दोनों मे ही सकछम रहता है.
वही अगर हम बात करे Passive NFC की
तो यह किसी भी NFC डिवाइस को डेटा भेज सकता है इसे काम करने के लिए किसी
भी तरह का कोई पॉवर की जरूरत नहीं होती है इसका एक बेहतरीन उदाहरण है NFC
tag.
भले ही आप नअ जानते हो की NFC tag क्या है पर अपने जीवन मे आपने इसका स्तेमाल कभी ना कभी जरूर कीया होगा यह तो भविष्य मे करेंगे.
NFC
tag एक छोटा सा माइक्रोचिप होता है जिसमे किसी छोटे डेटा या इनफार्मेशन
स्टोर कीया जाता है.ताकि आप जब भी उस टैग को किसी भी NFC डिवाइस के पास रखे
तो वो कमांड रिसीव करले.
उदाहरण से जाने जैसे मेट्रो टोकन क्या है हम सभी जानते है जी हाँ मेट्रो टोकन Passive NFC डिवाइस होता जिसे Active NFC डिवाइस यानि मेट्रो स्टेशन मे दाखिल होने के लिए मेट्रो टोकन टच करते ही गेट खुल जात है.
क्यू की उस मेट्रो टोकन मे आप की स्टेशन से यत्रा कर रहे है और कहा जक जाएंगे यह डेटा स्टोर रहता है और Active NFC डिवाइस उसे पड़ लेता है.
NFC क्या है ?
आपने जाना अब NFC Modes के बारे मे जानते है
NFC Modes को तीन पार्ट मे बात जाता है जिनके नाम है
Peer-to-peer मोड मे डेटा को ट्रांसफर होने के लिए दोनों ही NFC डिवाइस का ऐक्टिव होना जरूरी होता है इसका स्तेमाल आपको स्मार्टफोन मे देखने को मिलता है जब भी हम किसी डेटा को ट्रांसफर करते है दोनों डिवाइस के NFC को ऐक्टिव करना होता है.
Reader/writer मोड की बात करे तो इसका सबसे अच्छा उदाहरण है NFC टैग यह one-way होता है जिसके से इसमे स्टोर डेटा पड़ा या लिखा जा सकता है.
Card emulation मोड मे हम NFC को किसी कार्ड के रूप मे स्तेमाल कर सकते है
जैसे क्रेडिट कार्ड या फिर डेबिट कार्ड.
NFC क्या है यही आप जान गए तो आगे जानते है यह काम कैसे करता है जैसा की आपने ऊपर जाना NFC को दो भागों मे बात गया है पहला Active NFC डिवाइस और दूसरा Passive NFC डिवाइस जैसा की आप जान चुके है Active NFC डिवाइस को पावर की जरूरत होती है
इसे ऐक्टिव करते ही यह आपने आस पास electromagnetic field produced करता और Passive NFC इसके संपर्क मे आटे ही ऐक्टिव हो जाता है और Passive NFC मे स्टोर डेटा को Active NFC पड़ पाता है.इसलिए NFC को Near Field Communication कहा जाता है.
यही आप भी चाहते है की आपने कामों को आसान बनाने के लिए NFC tag का स्तेमाल करना चाहते है यह बेहद ही आसान है इसके लिए आपका डिवाइस NFC से लैस होना छिए और आपके पास NFC Tag होना चाहिए.
अपने Android फोन से NFC टैग मे डेटा स्टोर करने के लिए सबसे पहले अपने प्ले स्टोर मे जाए और एक application डाउनलोड जिसका नाम है NFC task.
इसे खोलते ही आपको इसमे पहला ऑप्शन दिखेगा जिसमे आपको NFC tool डाउनलोड करने को कहा जाएगा आपको यह कर लेना है.
आप अपने NFC टैग मे इसी टूल की मदद से डेटा राइट कर सकते है. इसे राइट करने के बाद डेटा को पड़ा जाता है और NFC task की मदद से टास्क परफॉर्म होता है.
यहाँ आपको कई ऑप्शन देखने को मिलेगा आप अपने काम के हिसाब से डेटा राइट कर सकते है.
यदि आप अपने टैग मे स्टोर डेटा को मिटाना चाहते है तो आपको इसमे मिटाने का भी ऑप्शन मिल जाता जिसे मिटाकर नया डेटा स्टोर कीया जाता है.
NOTE – NFC tag मे स्टोर डेटा किसी और डिवाइस से भी मिटाया जा सकता है यानि कोई भी अगर आप इसे हमेशा के लिए स्टोर रखना चाहते है तो आपको NFC टूल मे Lock Tag का विकल्प मिलता है उसे लॉक कर देना और हाँ एक बार लॉक हो जाने के बाद इसे दुबारा मिटाया नहीं जा सकता चाहे वो आप खुद क्यू ना हो. |
NFC के वैसे बहुत सारे स्तेमाल है पर हम उनमे से कुछ के स्तेमाल जानते है.
आप इसके मदद से किसी भी दो दो फोन के बीच डेटा ट्रांसफर कर सकते है वो भी सिर्फ टच कर के इसमे ब्लूटूथ और wi-fi की तरह pairing करने की जरूरत नहीं पड़ती.
इसके द्वारा आप किसी भी NFC सपोर्ट डिवाइस के द्वारा बस एक दूसरे से टच कर के कनेक्ट कर सकते है जैसे ब्लूटूथ डिवाइस.
आप इसमे मदद से बिना कार्ड की जानकारी बताए आप अपने फोन मे कार्ड की जानकारी स्टोर करके फोन को पेमेंट टर्मिनल से टच कर के पेमेंट कर सकते है.
यह एक छोटा स टैग होता है जिसमे आप अपनी चोटी जानकारी इसमे स्टोर कर सकते है जैसे आप की टेबल पर बैठे है और आप अपने फोन मे जिस भी किसी ऐप का सबसे ज्यादा स्तेमाल करते है.
आप उसका डेटा अपने NFC टैग मे स्टोर कर टेबल मे पेस्ट कर देंगे आप आप जब भी उस टैग से अपने फोन को टच करेंगे वह एप आपके फोन मे खुल जाएगा.
इसमे आप अपने वाईफाई ले पसवॉर्ड इत्यादि स्टोर कर सकते है जिसे टच करते ही वह डिवाइस वाईफाई से जुड़ जाएगा बिना पिन किसी को बताए.
Smart business card business card NFC से लैस होता है जिसमे आप कार्ड के ऊपर लिखे डेटा के आलवा NFC मे स्टोर कर सकते है जिसे अपने मोबाईल से टच करते ही वो इनफार्मेशन हमे अपने फोन पर धिक जाती है.
यह आपके किसी भी बहुमूल्य समान इत्यादि को चोरी होने से बचा सकता है जहां RFID proximity की मदद से इसके पास से गुजरने वाले NFC tags के रेंज मे आले जी अलार्म बजने लगता है
इसका इस्तेमाल Manufacturing Industries मे काफी कीया जाता है जहां किसी भी निर्माण हो रहे सामानों के पार्ट्स इत्यादि को ट्रैक करने मे मदद करता है जहा इसके अंदर स्टोर unique identification number के द्वारा कसी भी समान इत्यादि को ट्रैक कीया जाता है.
इसके स्तेमाल से आपको किसी भी तरह के चाभी की जरूरत नहीं होती जहां आप एक टच से लॉक खोल सकते है चाहे वह कोई गाड़ी का दरवाजा हो या घर का यह NFC tag के मदद से होता है वही identification badges के मदद से आप किसी भी गाड़ी को एक्सेस करने मे यह आपकी मदद करता है.
क्यू की NFC Magnetic field के द्वारा काम करता है इस कारण इसकी range 1cm से लकर 10 cm तक हो सकती है.
NFC का पूरा नाम Near Field Communication होता है.
मुझे उम्मीद है NFC क्या है?/NFC Kya Hai (What is NFC in Hindi)
या NFC मोड क्या है आप पूरा समझ चुके होंगे NFC का स्तेमाल बहुत सारे
फील्ड मे है और आने वाले दिनों मे यह सभी स्मार्ट फोन मे हमे देखने को
मिलेगा मैंने बहुत ही आसान सबद्धो मे आपको NFC क्या होता है बताया है
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