महान सनातन योद्धा सम्राट मिहिर भोज.... जिनसे खौफ खाते थे अरब के 8 मुस्लिम खलीफा
- सम्राट मिहिर भोज के राष्ट्रवादी मार्ग पर चले... नमाजवादियों को नहीं... भगवाप्रेमियों को चुनें
- 836 ईस्वी से 885 ईस्वी तक सम्राट मिहिर भोज का शासन रहा... इस कालखंड में बगदाद के अंदर 8 खलीफा आए और गए और हर खलीफा यही ख्वाब देखते देखते अल्लाह को प्यारा हो गया कि महान हिंदू सम्राट मिहिर भोज को किसी तरह हिंदुस्तान की जमीन से हटा दें... लेकिन मां भारती के महान सुपुत्र सम्राट मिहिर भोज का प्रताप इतनी तेजी से फैला कि अफगानिस्तान से लेकर बगदाद तक फैली अरब के खलीफाओं की सत्ता हिल गई... खलीफाओं के खिलाफ ही विद्रोह हो गए
-खौफ के मारे अरब के यात्री सुलेमान ने अपनी किताब सिलसिला-उत-तारिका में लिखा कि सम्राट मिहिरभोज के पास उंटों, घोड़ों और हाथियों की बड़ी विशाल और सर्वश्रेष्ठ सेना है... उनके राज्य में व्यापार सोने और चांदी के सिक्कों से होता है. .. और इनके शासन में चोरों डाकुओं का भय नहीं है
-सम्राट मिहिर भोज के कालखंड में आए अब्बासी 8 खलीफाओं के नाम निम्नलिखित हैं...
1- मौतसिम (833 से 842 ई०)
2- वासिक (842 से 847 ई०)
3- मुतवक्कल (847 से 861 ई०)
4- मुन्तशिर (861 से 862 ई०)
5- मुस्तईन (862 से 866 ई०)
6- मुहताज (866 से 869 ई०)
7- मुहतदी (869 से 870 ई०)
8- मौतमिद (870 से 892 ई०)
- ये 8 खलीफा अपने संपूर्ण शासन काल में महाप्रतापी सम्राट मिहिर भोज से सीधे शत्रुता मानते रहे । 672 ईस्वी में अरब सेनापति मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध की जमीन पर अरब मुसलमानों की जड़ें जमा दी थीं... लेकिन मिहिर भोज सिंध को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले आए
-सिंध के आगे खलीफा के पांव भारत के अंदर नहीं जम पा रहे थे क्योंकि भारत में तब उत्तर भारत के विशाल हिस्से पर सम्राट मिहिर भोज का शासन था
- सम्राट की सेनाओं ने सिंध में कई युद्ध करके अरब की इस्लामी सेनाओं को पछाड़ दिया और सिंध नदी के पश्चिमी क्षेत्रों पर भी अधिकार स्थापित किया
- धौलपुर के सामन्त चन्द्र महासेन चौहान के 842 ई० के एक लेख में ये स्पष्ट किया गया है कि सम्राट मिहिर भोज ने म्लेच्छों को अपने आधीन करके अर्थात उन पर अपना नियन्त्रण स्थापित करके उनसे कर वसूल किया था ।
(नोट- कई मित्रों ने 9990521782 मोबाइल नंबर दिलीप नाम से सेव किया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की... लेख के लिए मिस्ड कॉल और नंबर सेव... दोनों काम करने होंगे क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से मैसेज भेजता हूं जिन्होंने नंबर सेव नहीं किया होगा उनको लेख नहीं मिलते होंगे.. जिनको लेख मिलते हैं वो मिस्डकॉल ना करें प्रार्थना)
-उस वक्त तक अफगानिस्तान में हिंदू ब्राह्मण राजाओं का शासन था.. लेकिन तब खलीफाओं ने उनको गुलाम बना लिया था... जब सिंध से मिहिर भोज का प्रताप फैला और अफगान हिंदू राजाओं को सपोर्ट मिला तो अफगान के हिंदू राजा ललिया देव (850-870) ने विद्रोह कर दिया और अरब के खलीफा से मुक्ति हासिल की
- सम्राट मिहिर भोज के सहयोग से निरन्तर हिंदू राजाओं ने अरब आक्रान्ताओं को देश से बाहर खदेड़ दिया
-सम्राट मिहिर भोज विष्णु के अनन्य भक्त थे इसीलिए उन्होने आदिवराह की उपाधि ली थी उनकी तलवार धरती पर बोझ बने अरब मलेच्छों के लिए साक्षात मृत्यु थी
-लेख के माध्यम से मेरी अपील है कि सम्राट मिहिर भोज के आदर्शों पर चलते हुए नमाजवादियों को नहीं राष्ट्रवादियों को चुनें
धन्यवाद
भारत माता की जय
वंदेमातरम
प्लीज शेयर इन ऑल ग्रुप्स
जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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रविवार, 6 फ़रवरी 2022
महान सनातन योद्धा सम्राट मिहिर भोज.... जिनसे खौफ खाते थे अरब के 8 मुस्लिम खलीफा
शनिवार, 5 फ़रवरी 2022
बिल्व_वृक्ष_विशेष_पंचपत्रबिल्व_दर्शनम्
प्रिय असंतुष्ट मध्यम वर्ग के मतदाता..
शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022
दुनिया की सबसे पहली फोर व्हीलर गाड़ी
ये थी दुनिया की पहली कार, इसकी स्पीड जानकर आपके होश उड़ जाएंगे …!!
आज के समय में इंसान के लिए कार बहुत ज्यादा जरूरी बन गई है, क्योंकि इसकी मदद से एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत ही आसानी के साथ कम समय में पहुंचा जा सकता है। देश और दुनिया की जानी-मानी ऑटोमोबाइल कंपनियां एक से बढ़कर एक बेहतरीन कारें लॉन्च करती रहती हैं और अब कारों का डिजाइन शानदार और फीचर्स हाइटेक होते जा रहे हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि दुनिया की सबसे पहली मोटरकार कैसी थी और उसके फीचर्स कैसे थे। आज हम आपको यहां ये बताएंगे कि दुनिया की पहली कार कैसी थी।
कगनोट फर्डियर Cugnot Fardier थी दुनिया की पहली कार...
फ्रांस के निकोलस जोसफ कगनोट ने आर्मी की मांग पर 1769 में दुनिया की पहली कार का आविष्कार किया था। दिखने में ये कार काफी शानदार लग रही है, दुनिया की ये पहली कार वैसी नहीं है जैसी आज की कारें होती हैं। इस कार को 1769 में लोगों के सामने पेश किया था। फ्रांस में इस कार का निर्माण सिर्फ आर्मी के लिए किया गया था। ये एक भाप से चलने वाली कार थी, जिसे सड़कों पर बिना किसी अन्य मदद के चलने लायक बनाया गया था।
इस कार को मिलिटरी के लिए तैयार किया गया था, ताकि इस पर रखकर वो खुद एक जगह से दूसरी जगह जा सकें और अपना सामान जैसा हथियार, बम और गोले एक जगह से दूसरी जगह लेकर जा सकें। स्पीड की बात की जाए तो ये कार 4.82 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल सकती थी। इस गाड़ी को इतना मजबूत बनाया गया था कि इस पर 5 टन का वजन ले जाया जा सकता था। ये कार लगातार 1 घंटे 15 मिनट तक बिना रुके चल सकती थी। इस कार को वर्तमान में फ्रांस की राजधानी पेरिस के Musee Des Arts Et Metiers म्यूजियम में रखा हुआ है।
नमक के पानी से नहाने से फायदा
नमक के पानी से नहाने के चमत्कारी फायदे होते हैं। प्राचीन काल से, लोग बीमारियों को ठीक करने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए नमक के पानी से स्नान करते रहे हैं। नमक स्नान के लाभ केवल बीमार लोगों के लिए ही नहीं हैं बल्कि किसी भी उम्र के स्वस्थ लोग नमक के पानी से स्नान कर सकते हैं। दरअसल खारे पानी से नहाने से कोशिकाओं का पुनर्निर्माण होता है, जिससे जीवन स्वस्थ रहता है। स्नान का नमक आमतौर पर मैग्नीशियम सल्फेट (एप्सम नमक) या समुद्री नमक (समुद्री नमक) से बना होता है जो आसानी से गुनगुने पानी में घुल जाता है और तनाव, दर्द और परेशानी सहित शरीर के विभिन्न विकारों से राहत देता है।
बाथ सॉल्ट यानी एप्सम या सी साल्ट में 21 अलग-अलग तरह के मिनरल्स होते हैं जिनमें मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, सल्फर, जिंक, कैल्शियम, क्लोराइड, आयोडाइड और ब्रोमाइड शामिल हैं जो शरीर को पोषण प्रदान करते हैं।
इसलिए थोड़ा सा नमक पानी में मिलाकर उसमें नहाने से शरीर को कई फायदे हो सकते हैं।खारे पानी से नहाने के अपने स्वास्थ्य लाभ हैं जो सामान्य पानी आपको प्रदान नहीं करते हैं।
निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभों की एक सूची है जो आपको नमक के पानी से स्नान करने से मिल सकते हैं।
- उपचार और आराम:
हिमालयन बाथ सॉल्ट का उपयोग परिसंचरण को प्रोत्साहित करने, त्वचा को हाइड्रेट करने, नमी बनाए रखने को बढ़ाने और सेलुलर पुनर्जनन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, वे त्वचा को डिटॉक्सीफाई और हीलिंग करने में भी सहायक होते हैं। नमक-पानी से नहाने से मांसपेशियों और जोड़ों की सूजन कम होती है, मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द और खराश से राहत मिलती है।
- त्वचा के लिए अच्छा:
नमक-पानी के स्नान अपने प्राकृतिक रूप में कई खनिज और पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा को फिर से जीवंत करने में मदद करते हैं।
मैग्नीशियम, कैल्शियम, ब्रोमाइड, सोडियम और पोटेशियम जैसे खनिज त्वचा के छिद्रों में अवशोषित हो जाते हैं, त्वचा की सतह को साफ और शुद्ध करते हैं, जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकती रहती है।
- डिटॉक्सिफिकेशन:
बाथ सॉल्ट त्वचा को डिटॉक्सीफाई करने में भी मदद करते हैं।गर्म पानी त्वचा के छिद्रों को खोलता है जिससे नमक के खनिज त्वचा में गहराई से अवशोषित हो जाते हैं, जिससे पूरी सफाई सुनिश्चित हो जाती है।
ये लवण दिन भर त्वचा द्वारा अवशोषित हानिकारक विषाक्त पदार्थों और बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे आपकी त्वचा स्वस्थ और साफ दिखती है।
- युवा चमक:
जवान दिखना और महसूस करना कौन नहीं चाहता। चेहरे पर झुर्रियों और महीन रेखाओं की उपस्थिति को कम करने के लिए नियमित रूप से नहाने के नमक का प्रयोग करें। ये आपकी त्वचा को कोमल और कोमल बनाते हैं। स्नान नमक त्वचा को मोटा करके और त्वचा की नमी को संतुलित करके इसे प्राप्त करते हैं। वे त्वचा को वह प्राकृतिक चमक भी देते हैं जो नियमित जीवन में खो जाती है।
- विभिन्न समस्याओं का उपचार:
स्नान नमक न केवल आपकी त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं बल्कि ऑस्टियोआर्थराइटिस और टेंडिनाइटिस जैसी कुछ गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, नहाने के नमक खुजली और अनिद्रा को कम करने में भी प्रभावी होते हैं।
(फोटो गूगल से साभार लिए गए हैं )
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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022
लड़कों की त्वचा को बिल्कुल बेदाग करने के लिए क्या करना चाहिए?
फिटकरी, जिसे एलम के नाम से भी जाना जाता है, वो आपको ग्रॉसरी शॉप पर बड़ी आसानी से मिल जाती है। खासकर पुरुषों को इसकी जरूरत तब पड़ती है जब वे अपनी शेविंग कराने के लिए सलून में जाते हैं। दरअसल, शेविंग के दौरान अगर उनके चेहरे पर कहीं पर कट लग जाता है तो फिटकरी खून को रोकने में काफी मदद करती है। फिटकरी आमतौर पर अधिकतर लोगों के घरों में होती है और न भी हो तो ये बहुत ही आसानी से बाजार में मिल जाती है। फिटकरी को पानी में डालने पर वह पानी को साफ करती है।फिटकरी आपके चेहरे को कैसे चमकता हुआ निखार दे सकता
त्वचा के दाग धब्बे हटाने के लिए फिटकरी एक बढ़िया उपाय है। आप चाहें तो नियमित रूप से चेहरे पर फिटकरी से मसाज करें या फिर फिटकरी केपानी से चेहरे को साफ करें। त्वचा बेदाग हो जाएगी। नेशनल इंस्टिट्यूट ने फिटकरी पर एक विस्तृत अध्ययन किया है जो इस बात की पुष्टि करता है कि फिटकरी कई प्रकार की मेडिकल कंडीशन के उपचार में काफी मदद कर सकती है। वहीं, नेशनल सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के फिटकरी पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को निखारने और एंजिन के प्रभाव को काम करने के लिए काफी सक्रिय भूमिका निभाता है। इसके साथ-साथ एंटी ऑक्सीडेंट की क्रिया स्किन पोर्स को खोलकर चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बे को भी दूर करने में काफी मददगार मानी जाती है। हालांकि, इस बात पर विशेष ध्यान देना है कि फिटकरी का सेवन नहीं करना है बल्कि इसका चेहर पर या शरीर की त्वचा पर केवल इस्तेमाल करना है नहीं तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।
एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण से भरपूर होने के कारण यदि आप फिटकरी का इस्तेमाल अपने चेहरे पर करते हैं तो यह गुण आपके चेहरे सूजन को कम करके मुंहासों की समस्या से आपको बचा सकती है। जबकि एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को निखारने के लिए सक्रीय रूप से कार्य करता है। आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ एक चम्मच नींबू का रस निकाल लें और फिटकरी को इसमें डुबोकर इसे अपने चेहरे पर इस्तेमाल करें। इसे हफ्ते में दो से तीन बार इस्तेमाल करें, इसके बाद आपको खुद ही इसका फर्क दिखने लगेगा। फिटकरी को चेहरे पर इस्तेमाल करते हुए इस बात पर भी विशेष ध्यान दें कि यह आपकी आंखों में न लगने पाए, नहीं तो इसके कारण आंखों में जलन भी उत्पन्न हो सकती है। वह पानी को साफ करती है।फिटकरी आपके चेहरे को कैसे चमकता हुआ निखार दे सकता है-
पतंजलि ब्रांड का शहद सर्दियों में क्यों जम जाता है ?
अस्वीकरण :—
चूँकि मैं नीदरलैंड्स में रहता हूँ, अतः भारतीय शहद का उपभोग एक विलासिता ही है। अतः यह आलेख भारतीय बाजार में उपलब्ध किसी एक विशेष शहद की गुणवत्ता के बारे में न होकर शहद की गुणवत्ता के बारे में है। अतः यह किसी भी छाप-विशेष के समर्थन अथवा विरोध में नहीं है।
मधुमक्खियों के छत्ते में उत्तम प्रकार का मधु बन सके इसके लिए मधुमक्खियाँ छत्ते का तापमान लगभग ३५° सेंटीग्रेड के निकट बना कर रखती हैं। इस तापमान से शहद में उपस्थित नमी की मात्रा तो कम होती ही है, साथ ही शहद का रासायनिक स्वरूप भी चिरकाल तक स्थाई रहता है। शहद मुख्यतः शर्कराओं का अतिसंतृप्त विलयन है। शहद में लगभग १७% पानी ३१% ग्लूकोज (२५-४०% तक), ३८% फ्रुक्टोज (३०-४५% तक), ७% माल्टोज, १.५% शर्करा (सूक्रोज), ४% उच्चतर शर्कराएँ (लम्बी शृंखला वाले कार्बोहाइड्रेट), तथा ०.५% एंजाइम, खनिज, विटामिन होते हैं। शहद में शर्कराओं तथा पानी का अनुपात सामान्य रूप से पानी में इन शर्कराओं के घुल सकने की क्षमता से कहीं अधिक होता है। इस प्रकार के किसी भी संतृप्त विलयन में केलासीकरण सामान्य है।
Hide commentsतापमान कम होने पर शहद में उपस्थित शर्करा केलासित होने लगती हैं। शहद का केलासीकरण होने से इसकी श्यानता बढ जाती है।
इसके तीन कारण हैं :—
शहद का तापमान कम होने पर शर्कराएँ केलासित लगती हैं, लगभग १०° सेंटीग्रेड अथवा कम का तापमान इस प्रक्रिया को बढावा देता है।
परागकणों की उपस्थिति से केलासीकरण की प्रक्रिया के आरम्भ होने के लिए ठोस केन्द्र मिलने से केलासीकरण सरलता से होता है। वास्तव में शहद में परागकणों की उपस्थिति मधु के प्राकृतिक होने का द्योतक है। यदि शहद में शक्कर का घोल मिलाया गया हो तो परागकणों की सान्द्रता कम हो जाएगी, इससे केलासीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है।
शहद में उपस्थित ग्लुकोज तथा फ्रुक्टोज का अनुपात भी शहद के केलासीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करता है, अधिक ग्लूकोज का अर्थ अधिक सरलता से केलासीकरण। ध्यान रहे कि हम ग्लूकोज को सरलता से पचा सकते हैं, किन्तु फ्रुक्टोज को पचा पाने के उपयुक्त एंजाइम हमारे पाचनतन्त्र में उपस्थित नहीं।
शहद के केलासीकरण से इसमें खनिज, एंजाइम तथा विटामिन की सान्द्रता बढती है। यदि शहद में ग्लूकोज की मात्रा अधिक है तो शहद का केलासीकरण अधिक सरलता से होता है। इस प्रकार के शहद में छोटे, मक्खन के जैसे चिकने शर्करा के कण बनते हैं। कुछ स्थानों पर इस प्रकार का श्वेत, गाढ़ा, क्रीम के जैसा शहद मिलता है, जिसे उत्तम गुणवत्ता वाला माना जाता है। यदि शहद का केलासीकरण धीमी गति से होता है तो बडे और पारभासक केलास भी बन सकते हैं।
यदि शहद जम जाए तो इसे काँच के बर्तन में रखकर उस बर्तन को मन्द आँच पर उबलते पानी में कुछ देर रखें, शहद को हलके-हलके चम्मच से हिलाते रहें, यह पुनः द्रवित हो जाएगा।
शहद को सामान्य से कुछ ठंडे तापमान (२०-२५° सेंटीग्रेड) तथा कम नमी वाले स्थान पर संग्रहित करें।
वैसे जमा हुआ शहद खाने योग्य भी है, और कम नमी वाला होने से पौष्टिकता से भरपूर भी। जमा हुआ दानेदार शहद और दानेदार घी शुद्धता का संकेत देते हैं।
शहद की शुद्धता जाँचने के लिए कुछ घरेलू उपाय :—
१. शुद्ध शहद ठंडे पानी में अपेक्षाकृत कठिनाई से घुलता है। एक बूँद शहद पानी में टपकाने कर देखें कि इसमें कितना समय लगता है।
२. शहद में बत्ती डुबो कर दिया जलाइए, शुद्ध शहद में बत्ती सरलता से जलेगी, किन्तु यदि इसमें शक्कर का घोल है तो तड़कने की आवाज आएगी।
३. चखकर देखें।
४. ब्रांड वाले शहद में उसके घटकों की सूची पढें, शुद्ध शहद में मात्र एक घटक शहद ही होगा।
५. शुद्ध शहद की सामान्य रूप से उपभोग की कोई अन्तिम तिथि नहीं होती है।
इनमें कोई एक उपाय प्रामाणिक रूप से शुद्धता नहीं बता सकता है, अतः एक से अधिक प्रकार से जाँच करें। तथा, संतुष्टि के लिए स्वयं मिलावट कर उपरोक्त परीक्षण करें।
युरोपीय संघ में शहद की गुणवत्ता के लिए उच्च प्रतिमान बनाए गए हैं। यूरोपीय संघ में शहद के रूप में बेचा जाने वाला कोई भी उत्पाद कानून द्वारा मिलावट से मुक्त होना चाहिए, जिसमें मधुमक्खियों को निरोग रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक्स भी शामिल हैं।
अब थोड़ा शहद की गुणवत्ता के बारे में उसकी कीमत से भी अनुमान कर सकते हैं।
फूलों का शहद (जो जम कर क्रीम बन गया है) €१५.९६ प्रति किलोग्राम (लगभग ₹१३५०)।
सामान्य फूलों का शहद € ४.३८ प्रति किलोग्राम (लगभग ₹ ३७५)।
https://www.powerblanket.com/blog/why-does-honey-crystallize/
How to Prevent Raw Honey from Crystallizing | Asheville Bee Charmer
क्या यह सच है कि लाखामंडल मंदिर में शव के अंदर आत्मा वापिस आ जाती है ?
विधि का विधान है जिस व्यक्ति का जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है जो एक बार चला जाता है वह कभी वापस नहीं आता । लेकिन जन्म और मृत्यु तो ईश्वर का खेल है ईश्वर के चमत्कार के आगे कुछ भी नहीं है अगर भगवान चाहे तो उनके आगे सृष्टि के नियमों में भी परिवर्तन हो जाता है । भोलेनाथ का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है जहां अगर शव को लेकर जाया जाए तो आत्मा उस शव में वापस प्रवेश कर जाती है शायद आपको इस पर यकीन ना हो लेकिन यह सच है ।
लाखामंडल शिव मंदिर का इतिहास.. यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर बसे लाखामंडल नामक स्थान पर मौजूद है । मान्यता के अनुसार द्वापर युग में महाभारत काल के समय दुर्योधन ने पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जला देने के लिए यहां एक लाशाग्रह का निर्माण किया था लेकिन पांडव इस लाशाग्रह से बच निकले थे । पांडव जिस गुफा से बचकर निकले थे वह ऐतिहासिक गुफा आज भी यहां मौजूद है।
लाखामंडल शिवलिंग की खासियत… यहां पर पाए जाने वाले शिवलिंग की खासियत है कि हर शिवलिंग का रंग अलग-अलग है शिवलिंग हजारों साल पुराने हैं लेकिन इतने समय तक जमीन के नीचे दबे रहने के कारण भी इन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा । लाखामंडल में मौजूद शिवलिंग को महामंडलेश्वर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर के आगमन में एक शिवलिंग है जिसके बारे में यह माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास में पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर ने की थी । यह शिवलिंग ग्रेफाइट का बना हुआ है और जब भी इस पर जल चढ़ाया जाता है यह चमकने लगता है इस दौरान इस शिवलिंग में आपका चेहरा बिल्कुल साफ दिखाई देगा।
लाखामंडल शिव मंदिर का चमत्कार… मंदिर के आंगन में इस शिवलिंग के सामने 2 द्वारपाल पश्चिम की ओर मुंह करकर खड़े हैं माना जाता है किसी भी मृत व्यक्ति को इनके सामने रख दिया जाता है । पुजारी द्वारा अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह फिर से जीवित हो जाता है जीवित होते ही वह देवों के देव महादेव को याद करता है और उनका नाम लेता है । उसके बाद उसे पुजारी के हाथ से चावल, दूध और गंगाजल दिया जाता है गंगाजल ग्रहण करकर उसकी आत्मा फिर से शरीर त्याग कर चली जाती है इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान सका।
द्वारपाल का रहस्य… इस मंदिर में दो द्वारपाल खड़े हैं जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है जो एक अनसुलझा रहस्य मंदिर है । मंदिर के प्रांगण में एक चट्टान पर पैरों के निशान मौजूद हैं जिन्हें यहां के स्थानीय लोग माता पार्वती के पैरों के निशान बताते हैं । स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता महादेव सभी की मनोकामना पूरी करते हैं ।
चित्र साभार: गूगल
बैंक वाले चेक के पीछे हस्ताक्षर क्यों करवाते हैं? जबकि वहां हस्ताक्षर के लिए मार्क नहीं होता है।
बहोत अच्छा सवाल किया है आपने।
चलीये, इसपर गौर करते है।
मान लो की कोई खाताधारक बँकसे अपने पैसे निकालने हेतू अपना चेक जमा कर देता है, खजांची उसे पैसे दे देता है। वो घर चला जाता है।
काम खतम।
पर क्या होगा, जब थोडेही देरमे वही आदमी खजांचीसे कहता है की मेरा टोकन गुम हो गया, आप मुझे पैसे दे दिजीए।
अब खजांची के पास तो पैसे देनेका कोई सबुत नही है।
ऐसी अवस्थामे चेक के पिछे किया हुआ हस्ताक्षर काम मे आता है।
ये मात्र नियमो के अनुसार पाली गई एक सुरक्षा व्यवस्था है। मैने कभी किसीं को दुबारा पैसे मांगते हुवे नही देखा।
ये इसिलीये भी किया जाता है की टोकन लेनेके बाद अगर सचमे वो उसे घुमा देता है, और कोई गैर आदमी पैसे लेने बँक मे आता है, तो वो सही हस्ताक्षर कर नही पायेगा और पकडा जायेगा।
और एक बात है।
जब बेअरर चेक से पैसे लेनेवाला बादमे पैसे मिलने से इन्कार करता है, तब ये हस्ताक्षर उसे पकडवा सकते है। आपको याद होगा की बेअरर चेक से बडी रकम निकलनेवाले के हस्ताक्षर ऊसके पॅन कार्डसे मिलानेके बाद ही खजांची उसे पैसे दे देता है, साथमे उसका पॅन नंबर भी लिख लेता है।
बँक ये सभी बाते केवल आपके पैसोंकी सुरक्षा के लिये ही करती है!
नमोस्तुते!!
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