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गुरुवार, 9 जून 2022

अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखते हुए मोदी जी ने पारिजात का पौधा लगाया है

 

श्रीराम के जीवन मे पारिजात एवं कल्पवृक्ष का बड़ा महत्व है जिसके पीछे एक विचित्र कथा है।

ये बात तब की है जब लंका युद्ध समाप्त हो गया था और श्रीराम सुखपूर्वक अयोध्या पर राज्य कर रहे थे। महर्षि दुर्वासा महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र थे जो भगवान शिव के अंश से जन्मे थे। ये बहुत क्रोधी थे और श्राप तो जैसे इनकी जिह्वा की नोक पर रखा रहता था। इन्होंने एक बार श्रीराम की परीक्षा लेने की ठानी। उन्हें पता था कि श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं किन्तु फिर भी वे श्रीराम की परीक्षा लेने अपने 60000 शिष्यों के साथ अयोध्या पहुँचे।

जब श्रीराम को पता चला कि महर्षि दुर्वासा अयोध्या पधारे हैं तो वे स्वयं अपने भाइयों के साथ द्वार पर उन्हें लिवाने चले आये। उन्होंने महर्षि दुर्वासा की अभ्यर्थना की और उनके चरण प्रक्षालन कर उन्हें ऊँचे आसन पर बिठाया। फिर उन्हें अर्ध्यपान देने के बाद उन्होंने कहा - 'हे महर्षि! आप अपने तेजस्वी शिष्यों के साथ अयोध्या पधारे ये हमारे लिए बहुत सम्मान की बात है। मुझे वनवास समय में अपनी पत्नी और भाई के साथ आपके माता-पिता महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। आज आपके भी दर्शन प्राप्त कर मैं अपने आपको धन्य मान रहा हूँ। कृपया कहें कि मेरे लिए क्या आज्ञा है।"

तब महर्षि दुर्वासा ने कहा - 'हे कौशल्यानंदन! मुझे भी तुम्हारे दर्शन कर बड़ा हर्ष हो रहा है। मैं पिछले १०० वर्षों से उपवास पर था और आज ही मेरा उपवास पूर्ण हुआ है। इसी कारण भोजन करने की इच्छा से मैं अपने शिष्यों सहित तुम्हारे द्वार पर आया हूँ।' तब श्रीराम ने प्रसन्नता से कहा - 'हे भगवन! मेरे लिए इससे प्रसन्नता की और क्या बात होगी कि आपको भोजन कराने के सौभाग्य मुझे प्राप्त होगा।' तब महर्षि दुर्वासा ने आगे कहा - 'हे राम! किन्तु मेरा संकल्प है कि तुम मुझे ऐसा भोजन कराओ जो जल, धेनु या अग्नि की सहायता से ना पका हो। इसके अतिरिक्त भोजन करने से पूर्व मेरी शिव पूजा के लिए तुम मुझे ऐसे अद्भुत पुष्प मँगवा दो जैसे आज तक किसी ने ना देखे हों। इस सब के लिए मैं तुम्हे केवल एक प्रहर का समय देता हूँ। अगर ये तुमसे ना हो सके तो मुझे स्पष्ट कह दो ताकि मैं यहाँ से चला जाऊँ।'

तब महर्षि की इस बात को सुनकर श्रीराम ने मुस्कराते हुए नम्रता से कहा - 'भगवान् ! मुझे आपकी यह सब आज्ञा स्वीकार है।' ये सुनकर महर्षि दुर्वासा प्रसन्न होकर बोले - 'ठीक है। मैं अपने शिष्यों के साथ सरयू में स्नान करके आता हूँ। तब तक हमारे लिए सभी सामग्रियों की व्यवस्था कर दो।' ये कह कर महर्षि दुर्वासा अपने शिष्यों के साथ स्नान करने को चले गए। उनके जाने के बाद देवी सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न आश्चर्य से उनकी ओर देखने लगे कि किस प्रकार श्रीराम केवल एक प्रहर ऐसी दुर्लभ चीजों को प्राप्त कर पाएंगे। तब श्रीराम ने लक्ष्मण से एक पत्र लिखने को कहा और फिर उसे अपने बाण पर बांध कर स्वर्गलोक की ओर छोड़ दिया। वह बाण वायु वेग से उड़कर अमरावती में इन्द्र की सुधर्मा नामक सभा में जाकर उनके सामने गिर पड़ा। उस बाण को देखते ही देवराज इंद्र पहचान गए कि ये श्रीराम का बाण है।

उन्होंने तुरंत उसपर बंधे पत्र को खोलकर पढ़ा तो उसमे लिखा था - 'हे देवराज! आप सुखी रहें। मैं सदैव आपका स्मरण करता हूँ किन्तु आज आपकी एक सहायता के लिए आपको पत्र लिख रहा हूँ। अयोध्या में इस समय महर्षि दुर्वासा अपने 60000 शिष्यों के साथ उपस्थित हैं और वो ऐसा भोजन चाहते हैं, जो गऊ, जल अथवा अग्नि के द्वारा सिद्ध न किया हो। साथ ही उन्होंने शिव पूजन के लिए ऐसे पुष्प माँगे हैं जिन्हें कि अब तक मनुष्यों ने न देखा हो। अतः आप अतिशीघ्र कल्पवृक्ष और पारिजात, जो क्षीरसागर से निकले हैं, मेरे पास भेज दें। इसके लिए रावण के संहारक मेरे बाणों की प्रतीक्षा मत कीजियेगा।'

वो पत्र मिलते ही इंद्रदेव उठे और कल्पवृक्ष तथा पारिजात को साथ ले देवताओं सहित विमान में बैठकर अयोध्या में आ पहुँचे। वहाँ श्रीराम ने इंद्र का स्वागत किया उधर सरयू तट पर महर्षि दुर्वासा ने अपने एक शिष्य से कहा कि वे भवन जाकर देख आएं कि वहाँ का क्या हाल है। जब वो शिष्य राजभवन पहुँचा तो इन्द्रादि देवताओं से घिरे श्रीराम को देखा। उसने वापस आकर महर्षि को सारा हाल सुनाया। ये सुनकर महर्षि आश्चर्य करते हुए श्रीराम के पास पहुँचे। उन्हें आया देख कर श्रीराम ने देवताओं सहित उठकर उन्हें प्रणाम किया और फिर उन्होंने महर्षि को किसी के द्वारा ना देखे गए पारिजात के पुष्प शिव पूजा के लिए अर्पण किये। महर्षि दुर्वासा ने प्रसन्नतापूर्वक उन अद्भुत पुष्पों द्वारा श्रीराम और देवताओं सहित भगवान महाकाल की पूजा की।

पूजा समाप्त होने के बाद श्रीराम ने देवी सीता को भोजन परोसने के लिए कहा। तब सीता ने कल्पवृक्ष के नीचे असंख्य पात्रों को रखवा कर प्राथना की - 'हे कपलवृक्ष! आप सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। कृपया महर्षि दुर्वासा और उनके सभी शिष्यों को संतुष्ट करें।' देवी सीता के ऐसा कहते ही वो सारे पात्र कल्पवृक्ष द्वारा ऐसे व्यंजनों से भर गए जो अग्नि, दूध अथवा जल से नहीं बने थे। ये देख कर महर्षि दुर्वासा ने श्रीराम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और आकंठ भोजन कर वहाँ से प्रस्थान किया।

यही कारण है कि श्रीराम मंदिर में पारिजात वृक्ष लगाया जा रहा है। ये बहुत शुभ संकेत है।

जय श्रीराम। 🚩

#ब्लड कैंसर का यही एकमात्र उपचार है - संजीवनी बूटी है यह पेड़ और फल

 #संजीवनी बूटी है यह,,,

हाँ सही समझे,, लेकिन सबके लिए नहीं सिर्फ ब्लड कैंसर वालों के लिए,,,

#चकोतरा नाम है इसका,,हरिद्वार, #रुड़की में बहुत होता है,, रोड़ पर खूब बिकता मिलेगा कई किलोमीटर तक,,आप इसे एक बड़ा संतरा मान सकते हैं,,,

एक बार हमारे गुरुकुल के कुछ ब्रह्मचारी भाइयों का ग्रुप #कर्नाटक घूमने गया था,,जिसमें मैं भी शामिल था,,वहाँ घने जंगल हैं जिन्हें BR Hills कहते हैं,,, उन्हीं जंगलों में घूमते घूमते एक साधु मिले थे,,

तब बातचीत के दौरान उन्होंने सामने पेड़ की तरफ हाथ करके कहा था--देख रहे हो ब्रह्मचारी यह पेड़ और फल,,,#ब्लड कैंसर का यही एकमात्र उपचार है,,मैंने पूछा कैसे??

तब उसने कहा कि #एक महीने तक रोगी को और कुछ नहीं खाना है,, भूख लगे तो इसी फल को खाओ,, प्यास लगे तो इसी का जूस पीओ,, इसी का सलाद खाओ,, मतलब यह है कि जो कुछ भी करना है इसी से करो,, पूरे एक महीने तक,,,ब्लड कैंसर ठीक हो जाएगा,,,

उसने यह बात इतने आत्मविश्वास से बताई थी कि ना करने का सवाल ही नहीं था,,, आज एक बहन Rakhi Mishra ने अपने पति की नाज़ुक हालत के बारे में लिखा तो मुझे यह बात सबको बताने की आवश्यकता हुई,,,,,

इस पोस्ट पर तर्क वितर्क के लिए जगह नहीं है,,, मुझे कैंसर है नहीं वरना मैं टेस्ट करके देखता,,, जीवन कीमती है,, ईलाज कराते कराते पहले वह सबकुछ लूट जाएगा जो आपने खून पसीने से कमाया है,, और फिर जिंदगी भी हाथ से जाएगी जोकि आज नहीं कल जानी ही है,,,

विश्वास कीजिए,,, ब्लड कैंसर वाले के लिए वैसे भी खोने को कुछ नहीं है लेकिन पाने को बहुत कुछ है,,, एक लंबा रोग रहित पवित्र जीवन,,, अपने परिवार के साथ,,

ॐ श्री परमात्मने नमः,,,

अगर रास्ते में आते जाते वक्त भूत प्रेतों का डर लगता हो तो क्या करना चाहिए?

मैं आपको एक छोटा सा उपाय बताने जा रहा हूँ जिसको करने से आप किसी भी तरीके के भूत प्रेत से दूर रहेंगे, किसी भी तरीके की आत्मा से दूर रहेंगे। ये उपाय खासकर उन लोगों के लिए है जो लोग ट्रेवल करते हैं। जो लोग ज्यादा से ज्यादा घर से बाहर रहते हैं। जिनका एक जगह पर रह कर काम करने का ऑक्यूपेशन नहीं है। मैंने पहले भी एक उत्तर लिखा था जिसमें मैंने पाँच गलतियों का वर्णन किया है, जिनको करने से आप पर भूत चिपक सकता है

अगर आपको लगता है कि आप किसी भी ऐसे स्थान पर जाते हैं या फिर किसी भी ऐसी जर्नी में जाते हैं जो सेफ नहीं है या फिर आपको ऐसा अंदेशा होता है कि वहाँ पर कोई चीज है जो आप पर अटैक कर सकती है तो ये उपाय आपको काफी मदद करेगा।

मुझे उस उत्तर में भी बहुत लोगों ने पूँछा था कि ये पाँच गलतियाँ अक्सर लोग करते हैं तो आप कोई इसकी रेमेडी बताएं जिससे हम आगे अगर कभी भी कहीं पर ट्रेवल करते हैं तो हमें इस तरीके की दिक्कत का सामना न करना पड़े, न ही कोई ऐसा अंदेशा हो कि हमने ऐसी गलती कर दी है।

ये बहुत छोटा है और बहुत ज्यादा कारगर है। आप इसको अपनाइए और आप खुद देखेंगे कि आप हर तरीके से अच्छा फील करेंगे। ये उपाय में आपको बस करना क्या है आपको एक छोटा सा कालीमिर्च का दाना लेना है और जब भी आप घर से बाहर निकलें तो कालीमिर्च का दाना मुंह में डाल लें और उसको चबा लें। ऐसा करने से किसी भी तरीके की नकारात्मकता, किसी भी तरीके की निगेटिव एनर्जी आप पर अटैक नहीं करेगी। इसका मेन रीजन ये है कि जो कालीमिर्च है, नमक है, ये ऐसी चीजें होती हैं जो निगेटिविटी को दूर करते हैं, निगेटिविटी की काट हैं ये।

 नमक का पोंछा घर में लगाना चाहिए। वो इसीलिए बताया गया था क्योंकि नमक का एक बहुत ही कमाल का रोल है निगेटिव एनर्जी को दूर भगाने में और कालीमिर्च भी उसी फैमिली से आती है जिस फैमिली से नमक और रॉक सॉल्ट वगैरह आते हैं, वही श्रेणी है, वही गुण हैं किसी भी तरीके की नकारात्मकता को दूर करने के।

आप ऐसा भी कर सकते हैं कि आप थोड़ी सी साबुत कालीमिर्च हमेशा अपने पास रखें। अगर आप दस ग्राम भी कालीमिर्च अपने साथ रखें तो कहीं भी आप ट्रेवल करके जा रहे हैं, बीच में रास्ते में कोई भी सुनसान एरिया आता है तो आप कालीमिर्च मुंह में डाल कर चबा लें। इससे हाजमा तो होगा ही होगा, आपको इस तरीके के कोई भी बुरे अंदेशे नहीं रहेंगे।

चित्र स्त्रोत : Google

 

प्रयागराज में गर्ल्स हॉस्टल की असुरक्षा

 

प्रयागराज में गर्ल्स हॉस्टल की असुरक्षा

प्रयागराज विश्व भर में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शहर के नाम से प्रसिद्ध है। इस शहर में देश भर से लड़के और लड़कियां पढ़ने आते हैं। यहां लगभग 120 से ज्यादा गर्ल्स हॉस्टल हैं।

प्रयागराज के कचहरी रोड पर एक डाक्टर के बेटे आशीष खरे ने अपने घर में गर्ल्स हॉस्टल बना रखा है। आशीष खरे ने आनलाईन स्पाई कैमरा मंगवाकर बाथरूम के शावर में लगवा रखा था। यह व्यक्ति लड़कियों को नहाते हुए देखता था।

जितनी भी लड़कियां बाथरूम में नहाने जातीं वह सभी का वीडियो बनाता था। एक दिन शावर से पानी कम आ रहा था एक लड़की ने शावर हिलाया तो कैमरा नीचे गिर गया जिससे यह व्यक्ति पकड़ा गया।

कैमरा निकलते ही लड़कियां रोने लगीं और मुंह छिपाकर वहां से निकलने लगीं। पुलिस ने आशीष खरे के घर से कंप्यूटर, 9 हार्ड डिस्क, डिजिटल वीडियो रिकार्डर, लड़कियों के न्यूड फोटो वीडियो, 100 से अधिक लड़कियों के फोटो और फोन नंबर बरामद किए।

लड़कियों के वीडियो और फोटो को वह व्यक्ति पोर्न साईट पर बेंच सकता है, उनको ब्लैकमेल कर सकता है, उन्हें वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर कर सकता है।

(आरोपी )

https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/story-prayagraj-spy-camera-installed-in-washroom-of-girls-hostel-son-of-doctor-arrested-6581896.html

आशीष ने अपने जुर्म को स्वीकार कर लिया है और जिस टेक्निशियन ने कैमरा फिट किया था उसे पुलिस खोज रही है। लेकिन इतनी शर्मनाक हरकत करने वाले आशीष खरे को मात्र 2 घंटे में जमानत मिल गई, ये लोग जिन किराएदारों के पैसे से घर चलाते हैं उनके साथ ऐसी घटिया हरकत करते हैं।

पुलिस भी इतनी कमजोर धारा लगाती है कि आरोपी को तुरंत जमानत मिल गई। लड़कियों को हास्टल लेते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए खासकर प्रयागराज में, प्रयागराज में मकान मालिक के रुप में भेड़िए बैठे हैं जिनका पुलिस और प्रशासन भी कुछ नहीं कर सकता।

सबसे खराब पैकेजिंग डिजाइन क्या हैं?

 

अंतिम तस्वीर बहुत बढ़िया है ……!

मुझे वास्तव में कुछ दिलचस्प दिखा आइये देखते हैं

1. मूल प्रोडक्ट से 30% ज्यादा ।

2. नीचे की तरफ अतिरिक्त जगह!

3. यह चालाकी है

4. वास्तव में बड़ा 😅

5. गमी बीयर कप!

6. यही कारण है कि मैं विश्वास नहीं करता !

7. हमें स्क्रू मिल रहा है

8.

9.

10.

11. यह सिर्फ असभ्यता है।

12. मैकडॉनल्ड्स में एक छोटे और मध्यम ऑरेंज जूस के बीच का अंतर।

यह एक खेल है !


बुधवार, 8 जून 2022

यह थी महान मुगलों की महान संस्कृति जिसका महिमा मंडन करते करते महाझूठे कपोल कल्पित इतिहासकार नही थकते

महान आसुरी संस्कृति ---
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मुमताज महल से शाहजहाँ को इतना प्रेम था कि उसके मरने पर उसने उससे उत्पन्न १७ वर्ष की अपनी स्वयं की सगी बेटी जहाँआरा को ही अपनी बादशाह बेगम बना लिया था। यद्यपि शाहजहाँ की आठ बेगमों में से तीन जीवित थीं। किन्तु शाहजहाँ को १७ वर्ष की बेटी जहाँआरा ही “बादशाह बेगम”  बनने योग्य लगी। जहाँआरा दारा शिकोह की समर्थक थी और बाप को कैद किये जाने पर बाप के साथ रही। किन्तु बाप के मरने पर औरंगजेब से दोस्ती करके अपनी छोटी बहन रोशनआरा को हटाकर औरंगजेब की “बादशाह बेगम” बन गयी। पहले अपने सगे बाप की बेगम थी फिर अपने भाई की बेगम बन गई। बाद में औरंगज़ेब ने अपनी सगी बेटी जीनत को अपनी “बादशाह बेगम” बनाया। इसी क्रम में मुगल बादशाह फर्रूखसियर ने भी अपनी ही बेटी को अपनी “बादशाह बेगम” बनाया था। शाहजहाँ ने अपनी बेटी तथा औरंगजेब ने अपनी दो बहनों और बेटी को बारी−बारी से अपनी “बादशाह बेगम” बनाया। यह मुगलों की महान सभ्यता थी। उनकी बेगमों की सूची अंतर्जाल पर उपलब्ध है। मुगलों की कब्रें खोदकर जबतक उन सबका DNA टेस्ट नहीं होता तब तक कहना कठिन है कौन अपनी बहन वा बेटी का क्या था। मुगल क्रूर थे लेकिन नालायक निकम्मे और भ्रष्ट थे। उनके दरबारी मुल्लाओं का तर्क था कि अपने द्वारा रोपे वृक्ष का फल खाने से किसी को रोकना अन्याय है। इसलिए मुगल बादशाह लोग अपनी बेटियों के साथ शादी कर लेते थे। 
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औरंगजेब ने अपनी बेटी जुब्दत−उन−निसा की शादी दाराशिकोह के बेटे से करायी, किन्तु दूसरी बेटी को अपनी “बादशाह बेगम” बनाया और तीसरी को बीस वर्षों तक जेल में रखा। अकबर ने स्वयं दो मुगल शहजादियों से शादी की — रुकैया और सलमा जो उसकी बहनें थीं (कजिन)। अकबर की सभी बेटियों की शादी हुई, केवल एक के सिवा जो जहाँगीर के साथ आजीवन रही। जहाँगीर ने अपनी तीन बहनों (कजिन) से शादी की। जहाँगीर की दो बेटियाँ थीं जिनमें से एक की शादी उसकी सौतेली माँ नूरजहाँ ने वैमनस्य के कारण नहीं होने दी और दूसरी की शादी जहाँगीर के भतीजे से हुई। उस भतीजे के बाप दानियाल की माँ कौन थी इसपर सारे समकालीन लेखक मौन हैं किन्तु उसका बाप अकबर था यह सब लिखते थे। दानियाल की माँ अनारकली थी, जिससे अकबर ने दानियाल को पैदा किया और जब अनारकली से सलीम का चक्कर चला तो अकबर ने अनारकली को जीवित दीवार में चिनवा दिया।
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यह थी महान मुगलों की महान संस्कृति जिसका महिमा मंडन करते करते महाझूठे कपोल कल्पित इतिहासकार नही थकते। जय हो !! जय हो !! आप सब की जय हो॥

सोमवार, 6 जून 2022

जिला स्तरीय सब जूनियर प्रतियोगिता संपन्न लक्ष्यराज रहे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी

जिला स्तरीय सब जूनियर प्रतियोगिता संपन्न
लक्ष्यराज रहे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी

 जोधपुर 6 जून जोधपुर
वुशु संघ और आचार्य स्पोर्ट्स गुरुकुल के संयुक्त तत्वाधान में
16 वीं जिला स्तरीय वुशु प्रतियोगिता संपन्न हुई

जानकारी देते हुए जोधपुर वुशु संघ के अध्यक्ष सुरेश डोसी ने बताया कि 16 वीं जिला स्तरीय वुशु प्रतियोगिता राजकीय नवीन सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहनपुरा में आयोजित हुई

तीन दिवसीय इस प्रतियोगिता के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में लेफ्टिनेंट कर्नल अपर्णा बिसेन अध्यक्षता समाजसेवी सुरेश सोनी कार्यक्रम के विशेष अतिथि पुनीत राव, डॉक्टर पृथ्वी सिंह भाटी, रविंद्र जांगिड़, चेतन कालीराणा ,कैलाश चंद्र लढा ,रामस्वरूप पोटलिया ,राजस्थान प्रो बॉक्सिंग के डायरेक्टर हेमंत शर्मा जिला ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पूनम सिंह शेखावत थे 

प्रतियोगिता में बालक वर्ग के तालु  इवेंट में लक्ष्यराज सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे बालिका वर्ग में मनीषा भाटी ,सांशु वर्ग  के बालिका में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चित्रांशी चौहान, बालक वर्ग में नवदीप ,सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे विजेता खिलाड़ी दिनांक 17 से 19 जून तक हनुमानगढ़ में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेंगे

एक शाम बुजुर्गो के नाम सांस्कृतिक संध्या का आयोजन जोधाणा वृद्धाश्रम मे


जोधाणा वृद्धाश्रम मे यति क्रिएशन द्वारा निर्देशित "संस्कारी इवेंट" जोधपुर मे एक शाम बुजुर्गो के नाम - सांस्कृतिक संध्या का आयोजन


  जोधपुर दिनांक 05. June. 2022, शाम 6 से महामंदिर स्थित जोधाणा वृद्धाश्रम मे यति क्रिएशन द्वारा निर्देशित "संस्कारी इवेंट" जोधपुर मे एक शाम बुजुर्गो के नाम - सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया जिसके आयोजक श्री अभिषेक शर्मा ने बताया कि जोधपुर मे 8 वर्ष से 60 वर्ष तक के उभरती प्रतिभाओ को मंच प्रदान करने हेतु सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया| मंच संचालन युगल जोड़ी श्रीमती वंदना शर्मा एवं अभिषेक शर्मा द्वारा किया गया| जिसमे सर्व प्रथम दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया

जिसमे यति शर्मा जानवी शर्मा द्वारा गणेश वंदना पर अपनी मनमोहक प्रस्तुति से सभी प्रतिभागियों का मन मोह लिया,


उसके बाद सबसे छोटे प्रतिभागी कुंज माहेश्वरी ने "तेरी ऊँगली पकड़ के चला" गीत गाकर वृद्धाश्रम के सभी बड़े बुजुर्गों को एवं दर्शको को अभिभूत कर दिया| कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि श्री आलोक  मोहता जी, डॉ सुधा, सोनू जेठवानी, सत्य प्रकाश सोनी ,हरि प्रकाश जी, दिलीप टॉक, देवेश सोनी, कविता अरोड़ा थे, सभी मुख्य अतिथियों को साँवरिया के संस्थापक कैलाश चंद्र लढा एवं अन्य कलाकारों द्वारा दुपट्टा एवं माला पहना कर सम्मानित किया


कार्यक्रम के संयोजक मानवता की सेवा मे समर्पित साँवरिया के अध्यक्ष श्री अभिषेक शर्मा ने बताया की कार्यक्रम मे ओल्ड ईज़ गोल्ड पुराने गानो की झलकियाँ दिखाई दी कार्यक्रम मे 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमे यति शर्मा, कुंज माहेश्वरी, मनीषा गोयल, योगिता टाक, कृष्णा खत्री, डॉ. सुधा मोहता, विनीता, वंदना शर्मा, कैलाशचंद्र लढा, अभिषेक शर्मा, अजय दवे, , महेंद्र मालपनि, मुकेश, अभिलेश, एस. एन व्यास, दिलीप टाक ललित जी हरीश जी आदि प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति दी |


कार्यक्रम में सनसिटी रॉकस्टार अमित पेड़ीवाल ने भी की शिरकत...
अपनी मनमोहक प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया कार्यक्रम में चार चांद लगाए

साउंड दीपक साउंड द्वारा लगाया गया, कार्यक्रम के अंत मे सभी प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि द्वारा दुपट्टा वह माला पहनाकर स्वागत किया गया, कार्यक्रम के अंत मे अभिषेक शर्मा व वंदना शर्मा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया|

कार्यक्रम के अंत मे प्रतिभागियों के उत्साह को देखते हुए गर्ल्स सेव यूथ असोसियेशन के संस्थापक कनिष्क शर्मा ने बताया इसके अगले आयोजन की जल्द घोषणा की जाएगी









गुरुवार, 2 जून 2022

आजकल मृत्यु का पैटर्न बदल गया है। अब मृत्यु गीता का सोलहवां अध्याय सुनने सुनाने का सुअवसर नहीं देती

*मृत्यु का बदलता पैटर्न*
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एक बेहतरीन गायक और शानदार शख्सियत कृष्ण कुमार कुन्नाथ 'केके' मात्र ५३ वर्ष की आयु में अचानक उस वक्त अपने फैंस को स्तब्ध छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए शांत हो गए जब वे कोलकाता के एक लाइव कार्यक्रम में मंच पर परफॉर्म कर रहे थे। अपना सबसे पसंदीदा काम करते हुए यानी गाने गाते हुए उन्होंने आखिरी साँसें ली, एक यही बात सोचकर उनके फैंस जरा सी तसल्ली महसूस कर सकते हैं। के के अपने पीछे परिवार में पत्नी व दो छोटे बच्चे छोड़ गए हैं। सोचता हूँ अन्य सेलेब्रिटीज़ की तरह उन्होंने भी आज हैल्दी ब्रेकफास्ट लिया होगा, दैनिक व्यायाम, योगा या जिम वर्क आउट किया होगा। कुछेक लोगों के साथ व्यावसायिक मीटिंग्स की होंगीं। उस दिन  के कार्यक्रम के लिए टिपटॉप तैयार होकर मंच पर पहुंचे होंगे जहाँ उन्हें एक यादगार हाई एनर्जी परफॉर्मेंस देनी थी। उनके शेड्यूल में अगले कुछ महीनों के कार्यक्रम पूर्व निर्धारित रहे होंगे। एक तिरेपन वर्षीय हैंडसम सेलेब्रिटी की जिंदगी शायद इससे भी अधिक व्यस्त रही होगी जितनी मैं सोच पा रहा हूँ।

०२ सितंबर, २०२१ को इसी तरह ४० वर्षीय परफैक्टली फिट नजर आने वाले अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत ने भी दर्शकों को चौंका कर रख दिया था। उन्होंने आधी रात को अपनी माँ से सीने में हल्का दर्द होने की शिकायत की और अस्पताल ले जाए जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। 

कन्नड़ फिल्मों के सुपरस्टार और जाने माने समाज सेवी ४६ वर्षीय पुनीत राजकुमार की २६ अक्टूबर को बैंगलुरू में अचानक उस समय कार्डियक अरैस्ट के कारण मृत्यु हो गई जब वे प्रतिदिन की भाँति जिम में वर्क आउट कर रहे थे। वे कन्नड़ फैंस के दिलों में इस गहराई तक बसे हुए हैं कि आज उनकी मृत्यु के नौ महीने बाद भी हर गली, हर चौराहे पर गोल गप्पे बेचने वाले से लेकर बड़े बड़े शोरूम वालों ने भी उनकी श्रद्धांजलि में बड़े-बड़े  पोस्टर लगा रखे हैं।

इन तीनों ही सेलेब्रिटीज़ ने अपने जीवन में हर मुमकिन वह कोशिश की होगी जिससे वे एक लंबा व स्वस्थ, सफल जीवन अपने परिवार के साथ बिता सकें। नि:स्संदेह ये सभी खानपान के परहेज से लेकर कसरत आदि सभी प्रयासों के द्वारा एक अनुशासित जीवन का पालन करते रहे होंगे। फिर भी किसी को ५३, किसी को ४६ तो किसी को ४० वर्ष में बहुत भागदौड़ कर कमाई हुई सारी संपत्ति, इतना स्ट्रैस लेकर, तिकड़में भिड़ाकर अर्जित किया हुआ सारा वैभव अचानक ही छोड़कर जाना पड़ा। ऐसा नहीं है कि जीवन भर भागदौड़ करके उन्होंने कोई गलती की। दु:ख मात्र यह होता है कि ये प्यारे-प्यारे लोग अपनों से यह भी ना कह पाए कि अब चलता हूँ, अपना ख्याल रखना। जाते समय अपने बच्चों को सीने से नहीं लगा पाए, उन्हें आखिरी पप्पियाँ नहीं दे पाए। दो चार दिन बीमार भी नहीं पड़े रहे कि कुछ आभास हो जाता तो माँ, पिता, पत्नी, दोस्तों से आखिरी बार अपने मन की कुछ साध कह लेते। 

कुछ वर्षों पहले तक जब मैनें अपने बुजुर्गों को अंतिम यात्रा पर जाते देखा था, मुझे याद है वे आराम से हमारे सर पर हाथ रखकर हमें असीसते हुए, गीता का सोलहवां अध्याय सुनते हुए शांतिपूर्वक अंतिम सांसें लेते थे। कौन सी करधनी किस नातिन को तो कौन सा गुलूबंद किस बहू को देना है, बहुत संतोष पूर्वक मैनें बुज़ुर्गों को मृत्युशैया पर बताते देखा। गौदान का संकल्प भी होश रहते ले लिया करते थे।

आजकल मृत्यु का पैटर्न बदल गया है। अब मृत्यु गीता का सोलहवां अध्याय सुनने सुनाने का सुअवसर नहीं देती। अब बेटे बहू, यार दोस्तों से हँसते बतियाते हुए जाने की साध पूरी होती नहीं देखी जा रही। बहुत से लोग तो इतनी युवावस्था में जा रहे हैं कि बहू, दामाद, नाती, पोतों जैसे सुख और कर्तव्यों का आनंद एक दिवास्वप्न ही रह गया है। 

एक ही आग्रह है। किसी से रूठकर ना बिछड़ें। किसी को रुलाकर ना सोएं। किसी को अपमानित करके बड़प्पन ना महसूस करें। किसी को दबाकर, किसी की स्थिति का फायदा उठाकर मूँछों पर ताव ना दें। हो सकता है जब तक हमें अपनी गलती महसूस हो तब तक वह जिसके प्रति हमसे अपराध हुआ है, अगर इस संसार को अलविदा कह दे तो हम किससे अपने अपराध क्षमा करवाएंगे, किससे माफी मांगेंगे। हम अपना मन उदार रखें। छोटी-छोटी बातों को दिल से ना लगाएं। चोट और धोखा बेशक किसी से ना खाएं पर इतने तंगदिल भी ना हो जाएं कि प्रेम के दो बोल भी हमसे सुनने के लिए हमारे संपर्क में आने वाले तरस जाएं। तनी हुई भृकुटि में तो हमारी अंतिम तस्वींरें भी सुंदर नहीं आएंगीं। 
*पनपा*

बुधवार, 1 जून 2022

अनिल जी धुत का सर्वसम्मति से जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संघठन के अध्यक्ष पद पर चयन

दिनांक 31 मई , 

मंगलवार को पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन के अंतर्गत आने वाले जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संगठन की बैठक जोधपुर में आयोजित हुई 
जोधपुर जिला युवा संघठन की बैठक 31-5-2022 को जोधपुर में आयोजित हुई जिसके अंतर्गत अनिल जी धुत का सर्वसम्मति से जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संघठन के अध्यक्ष पद पर चयन किया गया ।

जिसमें प्रदेश संघठन मंत्री वरुण जी बंग की देखरेख में जिला अध्यक्ष पद पर सर्व सहमती से अनिल जी धूत का चयन किया गया । 
दिनेश राठी 
अध्यक्ष 
पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन

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