#सेल्फी_इन_हिजाब
कानपुर के एक कॉन्वेंट स्कूल के बाहर स्कूल ड्रेस पर हिजाब पहनी सकीना मास्क लगा कर,प्रिया और राधिका के साथ सेल्फी लेती है,सेल्फी लेने से पहले प्रिया और राधिका को हिजाब पहनाती है,जो उसकी अम्मी ने खास प्रिया और राधिका के लिए दुबई से मंगवाया है,जहां सकीना के अब्बा अरबियों के गुसलखाने साफ़ करते हैं,सकीना उस तस्वीर को राधिका और प्रिया को व्हाट्सएप करने के साथ साथ,अपने इस्लामिक ग्रुप में शेयर करती है,जहां सकीना के मामा,चाचा,चाचा के लड़के,भाई और अब्बा भी मौजूद हैं,अब्बू वो तस्वीर अपने अरबी बॉस को दिखाता है,और अरबी बॉस सकीना के अब्बा के अकाउंट में 10000 दीनार यानी मोटा मोटी भारतीय रुपयों में 26 लाख 70,000 ट्रांसफर कर देता है।
उधर राधिका अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट पर हैशटैग हिजाब फैशन,हैशटैग हिजाब स्टाइल,हैशटैग हिजाबी,हैशटैग इस्लाम इज लव इमोजी हार्ट हार्ट,हैशटैग सकीना बीएफएफ (बेस्ट फ्रेंड फॉरेवर)लिखकर अपनी और प्रिया की फोटो मास्क लगाई सकीना के साथ पोस्ट कर देती है।प्रिया के मम्मी उसे सोशल मीडिया से दूर रखती हैं,तो वो ऐसी कोई पोस्ट नहीं कर सकती।
राधिका के एक रात में इंस्टाग्राम पर डेढ़ हज़ार फॉलोअर बढ़ जाते हैं,और सारे मुस्लिम लड़के,उसकी तारीफ़ पर तारीफ़ करने लगते हैं,साथ ही साथ उसकी स्कूल की बाकी हिंदू लड़कियां उसको सुंदरता के लिए अंग्रेज़ी में जितने शब्द हैं,उनसे नवाज़ देती हैं,और स्कूल में अगले दिन हिजाब पहन कर,सेल्फी पोस्ट करने का ट्रेंड शुरू हो जाता है।
राधिका खुशी से फूली नहीं समा रही है,उसकी कभी किसी लड़के ने तारीफ करी ही नहीं,और आज इतने सारे लड़के,लड़कियां उसे खूबसूरत कह रहे हैं,बस इसलिए क्योंकि उसने हिजाब पहना..
राधिका के पापा लखनऊ में प्रिंसिपल हैं,भाई दिल्ली में इंजीनियर है,और मां कानपुर के लाल बंगले के कॉन्वेंट स्कूल में टीचर,घर में सब कुछ है,जो एक उच्च मध्यमवर्गीय घर में होना चाहिए,पर किसी के पास किसी के लिए समय नहीं है,कौन क्या कर रहा है,किसी को उससे कोई मतलब नहीं है,राधिका अभी 14 साल की है,इस साल उसका 10 th है,पर पढ़ाई से ज्यादा समय उसका इंस्टाग्राम की रील देखने में,
और अपनी फोटो पोस्ट करने में जाता है।
रात को 11 बजे,इंस्टा पर एक मैसेज आता है,और जिसका ये मैसेज है,राधिका उसे बचपन से जानती है,ये है सकीना का सगा बड़ा भाई,फरहान जो रोज़ सकीना को स्कूल छोड़ने अपनी काली अपाचे आरटीआर 200 से आता है,जिसमें दोनों तरफ़ हरे झंडे लगे हुए हैं और कुछ लिखा हुआ है उर्दू में,वो रोज़ काली टोपी लगाए कुर्ते पजामे में इत्र लगाए सकीना को छोड़ने और वापस ले जाने आता है,वो क्या करता है,ये राधिका को पता नहीं,पर उसे वो अच्छा लगता है,क्योंकि फरहान के बाल उसके फेवरेट कोरियन बैंड बीटीएस के जंगकूक से मिलते हैं,जिसका पोस्टर उसके कमरे में लगा हुआ है,
सकीना राधिका और प्रिया की हर पसंद नापसंद से वाकिफ है,उसने बहुत अच्छी रिसर्च करी है इन दोनों पर,और उसकी पूरी रिपोर्ट वो अपनी अम्मी अब्बू और भाई फरहान को रोज़ देती है।
फरहान के मैसेज का वो तुरंत रिप्लाई कर देती है,और फरहान उसे कहता है कि वो बहुत खूबसूरत और ज़हीन लग रही थी कल हिजाब में,राधिका को ज़हीन का मतलब पता नहीं है,पर वो खुश हो जाती है, कि जिस लड़के को वो सिक्रेटली पसंद करती थी,वो लड़का उसकी आज इतने साल बाद तारीफ कर रहा सामने से,कारण हिजाब.!
कहानी में आगे क्या हुआ होगा,ये पता सबको है..
पर शुरुआत यहीं से होती है,स्कूल से ही आपकी बेटियां,आपकी बहनें,आपकी पोतियां,नतिनी,भांजी,भतीजी सब टारगेट पर आ जाती हैं,वो उनका शिकार करते हैं,और शिकार करने के लिए एक जाल बिछाया जाता है,एक शिकारी मेमना बन उसे जाल के पास लाने का काम करती है,शिकार खुद ब खुद शिकारी की गिरफ्त में फंसता चला जाता है,और जब तक उसे पता चलता है,बहुत देर हो चुकी होती है, अंत हो जाता है उसका और अंत दुबई में होता है,या कार्डबोर्ड के डब्बे से लेकर,फ्रिज में,या सूटकेस में,ये कहना मुश्किल है,क्योंकि वो तरीका बदलता रहता है..
और एक आप हैं..
जो बदलना चाहते ही नहीं,
सतर्क होना चाहते ही नहीं
पता नहीं कैसा सम्मोहन है
जो बार बार जाल में फंसते चले जाते हैं
और जाल में फंसते रहने देते हैं अपने बच्चों को
शिकार होते रहिए..
फिल्म बनवाते रहिए अपनी पीड़ा पर,
कश्मीर फाइल्स,केरला स्टोरी,अजमेर फाइल्स,
बंगाल फाइल्स,और अंत में द भारत स्टोरी?
क्या चाहते हैं?
आप पर हुई त्रासदियों के ऊपर बस फिल्म बनती रहें?
और वो आपकी बेटियां बहनों की फिल्म बना दुबई में अपने आकाओं को भेजते रहें?पता भी नहीं चलेगा कि कब आपकी राधिका रज़िया बेगम बन गई और कब उसे मुंबई के रास्ते दुबई और दुबई से न जाने कहां कहां भेज दिया गया,सकीना तो राधिका के बाद प्रिया,प्रिया के बाद तान्या,आकृति,अदिति,आद्या,पूजा,
नेहा,समृद्धि,सीमा,तृप्ति,लतिका etc etc सबके साथ फोटो डालेगी,और एक एक करके,फरहान और उसके अन्य भाई अलग अलग तरीकों से,एक एक कर सबको ट्रैप करेंगे,और लड़की 18 की होते ही इस्लाम कुबूल कर,निकाह कर लेगी,क्योंकि उसे इस तरह ब्रेनवॉश किया जाएगा कि इस्लाम से सुंदर कुछ नहीं है संसार में,वो इसलिए क्योंकि आपके पास उसे अपने धर्म के बारे में न बताने के लिए टाइम है,ना आपको खुद पता है कि आपको उसे बताना क्या है,आप सिर्फ़ और सिर्फ़ पैसा कमाने में लगे हुए हैं,और वो पैसे के साथ साथ अपने पंथ को बढ़ाने के लिए हर तरीका आजमाने में लगे हुए हैं,और इसमें उनके साथ उनकी बीवियां भी हैं,और उनके बेटे और बेटियां भी..
यूएनओ में राणा आयूब जा कर,क्या बोलती है अतीक को पता है? लॉ मेकर(शास्त्रकार)एक लॉ मेकर की
कैमरे के सामने हत्या हो गई।
एक लॉ ब्रेकर माफिया को,
वो अपना लॉ मेकर बताते हैं दुनिया भर में..
और आप क्या करते हैं बॉस?
जातियों के आधार पर,वोट देने में लगे रहते हैं,चाहे वो किसी भी विचारधारा का क्यों न हो,आपकी जाति का होना चाहिए,बस भईया अपना काम बनता भाड़ में जाए सनातन विचारधारा और सनातन विचारधारों के लिए लड़ने मरने वाली जनता,हमको अपने फ्री बिजली और फ्री पानी वाले नेता के साथ सेल्फी खिंचानी है,खींचते रहिए सेल्फियां,फिर चाहे वो माफियाओं के दिन क्यों न लौट कर आएं कि कोई आपके बच्चे की खाल बीच चौराहे खींच कर उसका खून से लथपथ निर्जीव शरीर फेंक दे और पुलिस तथा सिस्टम फिर उसकी हजूरी में लगी रहे,क्योंकि वो चुना हुआ नेता है, उस कौम द्वारा जो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी आबादी बढ़ाने और आपकी आबादी को अपने में मिलाने और मिटाने में लगी हुई है,और आप बस फेसबुक व्हाट्सएप की डीपी बदल लड़ाई जीतने के ख्वाब देखते रहते हैं...
ख्वाब टूट जाते हैं बॉस..
इसलिए लक्ष्य निर्धारित करना आरंभ करिए🙏🏻
और कुछ करिए ठोस उसके लिए🙏🏻
कौनसा लक्ष्य?
अखंड हिंदू राष्ट्र का लक्ष्य..
उससे कम कुछ भी नहीं.!
अरे वो तो धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कर ही रहे हैं..
योगी जी भी कर ही रहे हैं..
हमें किस बात की चिंता?
हमें तो पैसा कमाना है,
और अपने बच्चों की सरकारी नौकरी लगवानी है..
भईया,
ज़रा ये बताइए वो दिल्ली में जिसकी लाश नाले से निकाली गई थी,जिसे चाकुओं से गोद दिया था वो सनातनी लड़का,इंटेलिजेंस ब्यूरो में कांस्टेबल पद पर तैनात था न?सरकारी नौकरी तो उसकी भी थी?सेट था उसका भविष्य न?
फिर क्यों हुआ उसके साथ वो सब?
वो तो समझाने गया था..शायद
और उसे खींच लिया..अंदर..
अल्लाह हू अकबर के नारे लगे..
और फिर एक दिन नाले से लाश निकली हाथ में रस्सी बांध कर निकाली गई उसकी लाश..
सरकारी नौकरी..सेट भविष्य..
सब खत्म!
बताइए हाथ जोड़ें आपके या पैर पड़ें?
कैसे समझेंगे आप?
बॉस अपनी अगली पीढ़ी और उसकी अगली पीढ़ी को तैयार करिए,नहीं तो आपका कमाया सब कुछ,उनके कब्जे में होगा और आप पर बस फिल्म बनती रहेगी और आप किसी रिफ्यूजी कैंप में पड़े रहेंगे और अपने गुमशुदा बच्चों की सेल्फी देख रोते रहेंगे.!
और अभी भी नहीं समझे तो..खैर जाने दीजिए..
समय सब समझा देगा,
अच्छे से समझा देगा.!
कभी कभी लगता है,
कुछ नया बनने से पहले
पुराना टूटना आवश्यक होता है..
समझाने से जो नहीं समझते,उनके लिए समय द्वारा पीड़ा से भरा सबक मिलना ज़्यादा बेहतर होता है.!
✒️ तत्वज्ञ देवस्य
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