……….इच्छा ……………..
पति मुस्कुराता हुआ अपने मोबाइल पर फटाफट उँगलियां दौड़ा रहा था! उसकी पत्नी बहुत देर से उसके पास बैठी खामोशी से देख रही थी, जो उसकी रोज़ की आदत हो गई थी और जब भी कोई बात अपने पति से करती तो जवाब ‘हाँ’ ‘हूँ’ में ही होता या नपे-तुले शब्दों में!
“किससे चैटिंग कर रहे हो?”
“फेसबुक फ्रेंड से।”
“मिले हो कभी अपने इस फ़्रेण्ड से?”
“नहीं”
“फिर भी इतने मुस्कुराते हुए चैटिंग करते हो?”
“और क्या करूँ बताओ?”
“कुछ नहीं, फेसबुक पे आपकी महिला मित्र भी बहुत -सी होंगी ना?”
“हूँ”
उँगलियों को हल्का -सा विराम दे मुस्कुराते हुए पति ने हुंकार भरी!
“उनसे भी यूहीं मुस्कुराते हुए चैटिंग करते हो, क्या आप सभी को भली-भांति जानते हो?”
पत्नी ने मासूमियत भरा प्रश्न पर प्रश्न किया!
“भली-भांति तो नहीं मगर रोजाना चैटिंग होते-होते बहुत कुछ हम आपस में एक दूसरे को जानने लगते हैं और बातें ऐसी होने लगती हैं कि मानो बरसों से जानते हो और मुस्कुराहट होठों पे आ ही जाती है, अपने -से लगने लग जाते हैं फिर ये!”
“हूँ और पास बैठे पराये -से!” पत्नी हुंकार सी भरने के बाद बुदबुदाई!
“अभी मजे़दार टॉपिक चल रहा है हमारे ग्रुप में! अरे, अभी तुमने क्या कहा था, ध्यान नहीं दे पाया! बोलो ना फिर से, अरे, यार किस सोच डूब गईं।”
पति मुस्कुराता हुआ तेज़ी से मोबाइल पर अपनी उँगलियाँ चलाता। हुआ एक नज़र पत्नी पे डाल बोला!
“किसी सोच में नहीं! सुनो, बस मेरी एक इच्छा पूरी करोगो?”
पत्नी टकटकी लगाए बोली!
“क्या अब तक तुम्हारी कोई अधूरी इच्छा रखी है मैंने? खैर, बोलो क्या चाहिए?”
“मेरा मतलब ये नहीं था, मेरी हर इच्छाएँ आपने पूरी की हैं मगर ये बहुत ही अहम है!”
“ऐसी बात तो बोलो क्या इच्छा?”
“एंड्रॉयड मोबाइल”
“मोबाइल! बस इनती- सी बात, ओके डन! मगर क्या करोगी बताना चाहोगी?” पति चौकता बोला!
पत्नी ने भीगी पलकों से प्रत्युत्तर दिया! “और कुछ नहीं, चैटिंग के ज़रिये आप मुझसे भी खुलकर बातें तो करोगे!”
ये पोस्ट का मेन मक़सद ये है की आज के युग Digital युग मे इंसान इतना मसगुल होग्या है की वो अपनी निजी ज़िंदगी को भी टाइम नही देता है सो ये पोस्ट के माध्यम से ये कहना चाहता हूँ की पहले आप अपने को टाइम दो क्यूँकि डिजिटल जैसे मोबाइल बेग़ैरह से जादा importanta आपका परिवार है शुक्रिया!
बहुत सी औरते अपनी लाइफ मे अपने इसलिए अकेली महसूस करती है क्युकी उनके पति के पास उनके लिए वक्त ही नहीं होता है ,शायद इसलिए वो एक साथी कि तलाश करती है जो उनके अकेलेपन को समझें उनसे बात करें खुलकर कि वो क्या चाहती है !उनकी इक्षाये को समझें बिना कहे सब कुछ जान जाँए उनकी मन कि बाते और उन्हें खुद मे समेट ले लेकिंन अफ़सोस ऐसा होता नी है शायद इसलिए एक औरत मजबूर होती है !और बहुत से इंसान इसे गलत कहते है लेकिन मै मानता हु हर औरत का होता है अपनी लाइफ को खुल के जीने का 🙏🙂