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सोमवार, 24 जुलाई 2023

क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है?

 क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है? पढें भूतभावन भोलेनाथ के पवित्र मास श्रावण में एक उपयोगी एवम विस्तृत प्रस्तुति।





रुद्राभिषेक का महत्त्व तथा लाभ भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह जनित दोषों और रोगों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद अनुसार शिव हैं – सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।

 भगवान शंकर सर्व कल्याणकारी देव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी पूजा,अराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं।

भगवान शिव को शुक्लयजुर्वेद अत्यन्त प्रिय है कहा भी गया है वेदः शिवः शिवो वेदः। इसी कारण ऋषियों ने शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से रुद्राभिषेक करने का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है यथा –

यजुर्मयो हृदयं देवो यजुर्भिः शत्रुद्रियैः।
पूजनीयो महारुद्रो सन्ततिश्रेयमिच्छता।।

शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी में बताये गये विधि से रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है ।जाबालोपनिषद में याज्ञवल्क्य ने कहा – शतरुद्रियेणेति अर्थात शतरुद्रिय के सतत पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 परन्तु जो भक्त यजुर्वेदीय विधि-विधान से पूजा करने में असमर्थ हैं या इस विधान से परिचित नहीं हैं वे लोग केवल भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय  का जप करते हुए रुद्राभिषेक का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते है।

महाशिवरात्रि पर शिव-आराधना करने से महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होते है। शिव भक्त इस दिन अवश्य ही शिवजी का अभिषेक करते हैं।

क्या है  रुद्राभिषेक ?

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है –  स्नान करना अथवा कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक रुद्राभिषेक के रुप में  ही विश्रुत है।

अभिषेक के कई रूप तथा  प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी  जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय  माना गया है।

रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?

रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:  अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।

रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ?

प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु  के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु  ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ।

 इस युद्ध से नाराज भगवान  रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो  हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए।  कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।

एक अन्य कथा के अनुसार ––

एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती ने मृत्यु लोक में रुद्राभिषेक कर्म में प्रवृत्त लोगो को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ  मृत्यु लोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है?

भगवान शिव ने कहा – हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ।

जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए  रुद्राभिषेक करता  है  वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है  अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए।

रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ?

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।

जरूर पढ़े “शिवजी को कौन सा फूल चढाने से क्या फल मिलता है”

जानिए शिवजी की पूजा में क्या नहीं चढ़ाना चाहिए
संस्कृत श्लोक

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।

अर्थात

जल से रुद्राभिषेक करने पर —               वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर —        रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर —                  पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक  करने पर —     लक्ष्मी प्राप्ति
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि के लिए।
तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर —     मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से —     बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेककरने से   —                   पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा  मनोकामनाएं  पूर्ण
गंगाजल से अभिषेक करने से —             ज्वर ठीक हो जाता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति हेतू।
घी से अभिषेक करने से —                       वंश विस्तार होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से —      रोग तथा शत्रु का नाश होता है।
शुद्ध शहद रुद्राभिषेक करने से   —-         पाप क्षय हेतू।

इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है उसके बाद शिव के शुभाशीर्वाद सेसमृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती  हैं।

क्या श्री कृष्ण की जन्म की घटना सत्य थी अगर हा तो इसका क्या सबूत है?

 

क्या श्री कृष्ण की जन्म की घटना सत्य थी अगर हा तो इसका क्या सबूत है?

जी हां ये बात बिल्कुल सत्य है। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। फिर बासुदेव जी के जरिए उनको गोकुल में पहुंचाया गया। आप सभी जानते है जब वासुदेव जी श्री कृष्ण को गोकुल ले जा रहे थे। उस समय रास्ते में यमुना जी से होकर उन्हें जाना पड़ा था। जिसमें चलकर श्री कृष्ण को ले जाया गया था। इस बात का सबूत आप गूगल मैप पर देख सकते हो कि मथुरा और गोकुल के बीच में यमुना जी पड़ती है।


दुर्गा सप्तशती में भगवान विष्णु जी कानो के मैल से राक्षस मधु कैटभ ही क्यों उतपन्न हुए? कोई देवता शक्ति क्यों नहीं उतपन्न हुई

 

भगवान ने कौन सा काम क्यों किया यह समझ पाना हमारे वश का नहीं है फिर भी मधु कैटभ की उत्पत्ति और अंत पर कुछ बातें करते हैं।

प्रलय के अंत में सब कुछ जलमग्न था भगवान विष्णु योगनिद्रा के प्रभाव से शयन कर रहे थे लेकिन ब्रह्म जी उनकी कमल नाभि पर बैठे थे। जहां तक मुझे लगता है भगवान विष्णु कभी खाली नहीं रहते कुछ ना कुछ करते ही रहते हैं। ब्रह्म जी को ब्रह्मा होने का अभिमान बहुत बार हो चुका है , इस बार भी ब्रह्मा जी को एक पाठ पढ़ाने के लिए भगवान ने अपने कान के मैल से महा शक्तिशाली मधु कैटभ को उत्पन्न कर दिया है या उत्पन्न होने दिया।

मनु कैटभ उत्पन्न होते ही ब्रह्मा जी को मारने चल दिए, उन भयानक असुरों को देखकर ब्रह्मा जी ने सोचा भगवान तो सो रहे हैं अब उन्हें कौन बचाएगा ? तब ब्रह्म जी ने देवी की स्तुति करना प्रारंभ किया जिनके वश में आकर भगवान विष्णु शयन कर रहे थे।

ब्रह्मा जी ने कहा — " ये जो दोनों असुर मधु और कैटभ हैं, इनको मोह में डाल दो और जगदीश्वर भगवान विष्णु को शीघ्र ही जगा दो। साथ ही इनके भीतर इन दोनों असुरों को मार डालने की बुद्धि उत्पन्न कर दो "

तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी योगनिद्रा इस स्तुति से प्रसन्न हुईं और भगवान विष्णु के नेत्रों से निकलकर ब्रह्मा जी के सामने खड़ी हो गईं।

योगनिद्रा से मुक्त होते ही जगत के आधार भगवान शेषनाग की शैय्या पर बैठ गए और दो असुर वीरों को ललकारते हुए देखा। जो लाल लाल नेत्र किए ब्रह्मा जी को खाने के लिए उद्यत थे।

भगवान विष्णु को उन महापराक्रमी असुरों ने युद्ध करने को आमंत्रित किया लेकिन भगवान बल के साथ बुद्धि के भी भंडार हैं, वे उन असुरों की स्तुति करके उनसे उन्हीं के मृत्यु का वरदान मांग लिया। तत्पश्चात भगवान ने उनका वध कर दिया।

भगवान के इस लीला से हमें बहुत कुछ मिला जैसे दुर्गा जी की स्तुति करने का तरीका, भगवान की पावन कथा और व्यवहारिक ज्ञान तो मिला ही। अगर भगवान ये सब ना करें तो भवसागर से पार होने के लिए हमारे पास कोई साधन नहीं रहेगा।

मणिपुर से आ रही वीडियो ने देश को बुरी तरह से झंझोर दिया है। इस पर आपकी कोई टिप्पणी?

 

मणिपुर हिंसा वर्तमान समय में लगभग 80 दिनों से उपर से हो रही है। नागा,मैती और कुकी इन तीनो जनजातियों की गलती है हिंसा में। जिन दो महिलाओं की वीडियो को लेकर सारा बबाल हो रहा है वो 3–4 मई की है जो ठीक संसद के मानसून सत्र के पहले आई।सूत्र तो ये भी कहते हैं की कई महिलाओं शायद 200 से लेकर 2000 की इज्जत तार तार हुई।ये वीडियो सामने न आती तो कुछ विशेष प्रवृति के मनावतावादियों के छाती में दूध शायद न उतरता।दरअसल महिलाओं को हमेशा से समाज में एक व्यक्ति के तौर पर नही बल्कि एक वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया गया है।एक ऐसी वस्तु जिसका मान मर्दन कर सामने वाले प्रतिद्वंदी को नीचा दिखाया जा सके।युद्धकाल और आपातकाल में महिलाएं खासकर कम उम्र की स्त्री की इज्जत को नीलाम करने वाले नरपिचाषों से स्वयं को बचाकर रखना बेहद कठिन कार्य है।इसके बारे में हम मुंह उठाकर कितना भी लिखें परंतु उस स्वाभिमानी नवयोवना के अलावा रूह कंपा देने वाली इस स्तिथि को कोई नहीं समझ सकता जिसने इसका सामना किया हो। कहते हैं किसी महिला ने ही इस कृत्य के लिए इनको उकसाया था।

आज समाज की हालात बद से बद्तर हो चुकी है। इसे सिर्फ मणिपुर तक ही क्यों देखा जाए। महिलाएं स्वयं को एक बाजारू वस्तु के रूप में प्रस्तुत करने में गौरवान्वित महसूस करती है।जीतने कम कपड़े हम उतने हाई क्लास सोच वाले और मॉर्डन।इसे तो समाज सहर्ष स्वीकार कर रहा है।

मणिपुर की घटना गलत तो ये सही कैसे 👇

आज जो गंदगी परोसी जा रही है उसपर समाज क्यूं नही बोलता ,सोचा है कभी कितना नीचे गिर चुके हैं।🤔

मणिपुर गलत तो बंगाल सही कैसे 👇

नीचे की तस्वीर भी मणिपुर की महिलाओं की ही है 👇 ये सही था क्या

नीचे जो तस्वीर है वो सूत्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है बंगाल की ही है हो सकता है न भी हो ।ये नग्न महिला पुलिस को खदेड़ रही है।यहां मानवता कहां गई।

दो अमर्यादित तस्वीर हटानी जरूरी थी सो हटा दी। दूसरे को नसीहत देने से पहले स्वयं के आचरण पर गौर करना चाहिए। उन तस्वीरों से किसी की भावना आहत हुई है खासकर किसी बहन की तो क्षमा चाहूंगा। 🙏पर क्या करूं कुछ लोगों को आईना दिखाना जरूरी हो जाता है। मैं स्वयं मर्यादा का पालन न करूं तो दूसरों से उम्मीद बेमानी है।

सूत्रों के अनुसार ये मुर्शिदाबाद बंगाल की है।मोदी को मानवता और नारीवाद के नाम पर कोसने वाले लिब्रांड कोरापुत्रों अपने मोतियाबिंद वाला काला चश्मा नैनो पर चढ़ा कर लिखते रहो,नारीवाद का एकतरफा RR करने वाले इसपर क्या बोलोगे 👆👇my body my choice इतना काफी है इसे सही साबित करने को क्यूं

एकतरफा सोच रखकर लिखने वाले अपनी पीछे वाली जेब में अपनी पक्षपाती सोच की बत्ती बनाकर डाल लें तो बेहतर रहेगा।

खुद से स्वयं का मॉर्डनाइजेशन के नाम पर दैहिक शौषण करना सही कैसे

ये मोहतरमा कहती है अनपढ़ रूल कर रहे जिसका खुद का पति पूरे देश में पान और गांजा बेचता फिरता है।जिसका सामाजिक बहिष्कार नही होता 🤔अनपढ़ कौन ये या हम।

एक महिला बिना कपड़ों के हो या पूरे कपड़ों में उसे खिलौना ही समझा जाता है जिसमे महिलाएं भी 100% जिम्मेदार हैं ।

बेटियों के साथ साथ बेटों को भी जिस दिन हर घर में बचपन से अच्छे संस्कार मिलेंगे तो शायद स्तिथि थोड़ी बेहतर हो सके

रविवार, 23 जुलाई 2023

संस्कारी इवेंट्स द्वारा संगीत प्रतियोगिता का सेमीफाइनल का आयोजन संपन्न फाइनल 6 अगस्त को होगा

दिनांक 23 जुलाई 2023 रविवार प्रातः संस्कारी इवेंट्स द्वारा संगीत प्रतियोगिता का सेमीफाइनल का आयोजन  रेलवे स्टेशन परिसर के पास स्थित होटल कॉस्मापॉलिटन में किया गया
संस्था द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता से पूर्व 16 जुलाई को ऑडिशन का प्रोग्राम रखा गया था जिसमे  8 वर्ष से लेकर 70 वर्ष से भी अधिक के उम्र के प्रतियोगियों  ने चाहे वह बच्चे हो वयस्क हो महिला हो चाहे पुरुष हो सभी ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया ऑडिशन में चयनित कलाकारों द्वारा  सेमीफाइनल की शानदार प्रस्तुति दी गई 
कार्यक्रम में संगीत के क्षेत्र की कई जानी मानी हस्तियां उपस्थित रही 
 संस्था का अगला फाइनल का प्रोग्राम 6 अगस्त 2023 रविवार को जोधपुर में ही किया जाएगा जिसकी रूपरेखा आने वाले समय में सभी प्रतियोगियों को बता दी जाएगी और संस्था के अधिकारियों ने सभी के कलाकारों के साथ आगे बढ़ने की शपथ ली और कलाकारों की प्रतिभा को और अधिक प्रचलन प्रचलित करने के लिए सबका सहयोग चाहा और सभी कलाकारों के उज्जवल भविष्य की कामना की

शनिवार, 22 जुलाई 2023

हरियाणा में छाया सृष्टि का नाम। करंट अफेयर्स में आया सृष्टि का नाम।* सृष्टि की ऐतिहासिक उपलब्धि।

*हरियाणा में छाया सृष्टि का नाम। करंट अफेयर्स में आया सृष्टि का नाम।* 
सृष्टि की ऐतिहासिक उपलब्धि।
कहते हैं बेटियां बड़े भाग्य से मिलती है। वो माता पिता बड़े ही खुश किस्मत होते हैं जिनके घर बेटियां जन्म लेती है। छोटी उम्र में ही अनोखे काम करे बड़ी महान होती है वो बेटियां। ऐसी ही एक बेमिसाल बेटी से मिलाने जा रहे हैं आपको। जी हां हम बात कर रहे हैं फरीदाबाद हरियाणा की डी.सी.मॉडल.सीनियर.सेकेंडरी स्कूल कक्षा दो की छात्रा सृष्टि गुलाटी की। नन्ही बेटी का नाम पूरे हरियाणा में जाना जा रहा है। वजह जानकर आप हो जाएंगे हैरान। जी हां इस नन्ही सी बेटी का नाम हरियाणा के कर्रेंट अफेयर्स में आया है। करंट अफेयर्स में छाया सृष्टि गुलाटी का नाम। नित नए रिकॉर्ड बनाए, अनोखे काम किए। भिवानी से प्रकाशित एकलव्य क्लासेज हरियाणा के करंट अफेयर्स में नन्ही बेटी का नाम प्रकाशित हुआ है। एकलव्य हरियाणा करंट अफेयर्स 2021, 2022 ओर 2023 में भी नन्ही सृष्टि गुलाटी का नाम आया है। हरियाणा करंट अफेयर्स में सृष्टि के नाम का पूछा गया प्रश्न है।
 प्रश्न- साल 2021 ओर 2022 में यह प्रश्न आया।

 *मात्र 5 साल की आयु में नृत्य, कविता, रैंपवॉक, फ़ैशन शो में 68 अवार्ड, 18 मेडेल, 7 ट्रॉफी जितने वाली राज्य की किस लड़की का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।*
   *उतर- सृष्टि गुलाटी          फरीदाबाद* 

साल 2023 का प्रश्न-
 *मात्र 7 वर्ष की उम्र में नृत्य, कविता, फैशन शो, रैंपवॉक में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में राज्य की किस लड़की का नाम दर्ज किया गया है।*  
 *उत्तर- सृष्टि गुलाटी फरीदाबाद*
एकलव्य क्लासेज के लेखक प्रमोद चौधरी ने बताया कि हमारे संस्थान में करंट अफेयर्स में प्रकाशित होने वाले सभी प्रश्नों पर गहन अध्ययन ओर रिसर्च किया जाता है उसके बाद ही इन सभी प्रश्नों को हमारी करंट अफेयर्स बुक में प्रकाशित किया जाता हैं। प्रमोद ने बताया की हमारी बुक में हरियाणा के सभी जिलों, गांवों, कस्बो में होने वाली प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जाती हैं साथ ही करंट में क्या घटित हो रहा है वह सब हम अपनी बुक में प्रकाशित करते हैं। प्रमोद चौधरी ने बताया कि हमारी पुस्तक hspc, hssc, ctet, htet के लिए बहुत उपयोगी हैं। सृष्टि गुलाटी के बारे में उन्होंने कहा कि नन्ही बेटी की कामयाबी पर बहुत खुशी होती हैं। धन्य है वे माता पिता जिन्होंने ऐसी होनहार बेटी को जन्म दिया। हम यही कोशिश करेंगे की आने वाले ओर सालो में भी सृष्टि बिटिया का नाम हमारी करंट अफेयर्स बुक में प्रकाशित होता रहे। वर्तमान में नन्ही सृष्टि गुलाटी के नाम 750 से ज्यादा प्रमाण पत्र, 100 अवॉर्ड, 40 ट्रॉफी ओर 25 मेडेल है। पिता प्रवीन गुलाटी ने बताया की सृष्टि पूरे हरियाणा में पहली ऐसी बेटी है जिसका नाम लगातार 3 साल से इस पुस्तक में प्रकाशित हो रहा है। माता प्रिया गुलाटी ने कहा की यह बड़े ही गर्व की बात है। करंट अफेयर्स में नन्ही सृष्टि का नाम आना अपने आप मे एक बड़ी उपलब्धि है। एकलव्य क्लासेज की यह पुस्तक बाजार में सभी जगह उपलब्ध है। कोई भी इस बुक को बाजार में आसानी से खरीद कर पढ़ सकते हैं और बुक में सृष्टि का नाम भी देख सकते है। विद्यालय की प्रधानाचार्य ज्योति गुप्ता ने कहा कि अनोखी सृष्टि की अनोखी कामयाबी। सृष्टि की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर सभी सृष्टि को बधाई और आशीर्वाद दे रहे है।

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

कांग्रेस भारत को संविधान के माध्यम से मुस्लिम राष्ट्र बना चुकी थी बस घोषणा नहीं कर पाई

*कांग्रेस भारत को संविधान के माध्यम से मुस्लिम राष्ट्र बना चुकी थी बस घोषणा नहीं कर पाई*
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अनुच्छेद 25, 28, 30 (1950)
एचआरसीई अधिनियम (1951)
एचसीबी एमपीएल (1956)
धर्मनिरपेक्षता (1975)
अल्पसंख्यक अधिनियम (1992)
POW अधिनियम (1991)
वक्फ अधिनियम (1995)
राम सेतु शपथ पत्र (2007)
केसर (2009)
*1)* उन्होंने अनुच्छेद 25 द्वारा धर्मांतरण को वैध बनाया।
*2)* उन्होंने अनुच्छेद 28 के माध्यम से हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा छीन ली लेकिन अनुच्छेद 30 के माध्यम से मुस्लिमों और ईसाइयों को धार्मिक शिक्षा की अनुमति दी।
*3)* उन्होंने एचआरसीई अधिनियम 1951 लागू करके सभी मंदिरों और मंदिरों का पैसा हिंदुओं से छीन लिया।
*4)* उन्होंने हिंदू कोड बिल के तहत तलाक कानून, दहेज कानून द्वारा हिंदू परिवारों को नष्ट कर दिया लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छुआ। उन्हें बहुविवाह की अनुमति दी ताकि वे अपनी जनसंख्या बढ़ाते रहें।
*5)* 1954 में विशेष विवाह अधिनियम लाया गया ताकि मुस्लिम लड़के आसानी से हिंदू लड़कियों से शादी कर सकें।
*6)* 1975 में उन्होंने आपातकाल लगाया, जबरदस्ती धर्मनिरपेक्षता शब्द संविधान में जोड़ा और जबरदस्ती भारत को धर्मनिरपेक्ष बना दिया।
*7)* कांग्रेस यहीं नहीं रुकी. 1991 में वे अल्पसंख्यक आयोग कानून लेकर आये और घोषणा की
एमएसएल! एम को अल्पसंख्यक माना जाता है, हालांकि धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक नहीं हो सकते।
*8)* उन्होंने छात्रवृत्ति, सरकारी जैसे विशेष अधिकार दिए। अल्पसंख्यक अधिनियम के तहत उन्हें लाभ मिले।
*9)* 1992 में, उन्होंने हिंदुओं को उनके मंदिर कानूनी तरीके से वापस लेने से रोक दिया और पूजा स्थल अधिनियम द्वारा 40000 मंदिर हिंदुओं से छीन लिए।
*10)* कांग्रेस यहीं नहीं रुकी और 1995 में उन्होंने मुसलमानों को किसी भी जमीन पर दावा करने, वक्फ अधिनियम के जरिए किसी भी हिंदू की जमीन छीनने का अधिकार दे दिया और मुसलमानों को भारत का दूसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बना दिया।
*11)* 2007 में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु हलफनामे में *श्री राम* के अस्तित्व को अस्वीकार कर दिया और हिंदू विरोधी धर्मयुद्ध में चरम बिंदु 2009 में था जब कांग्रेस ने भगवा चरमपंथ शब्द गढ़कर हिंदू धर्म को चरमपंथी धर्म घोषित किया।
*12)* और मजे की बात यह है कि इसी कांग्रेस ने अपने 136 साल के इतिहास में कभी बुर्के में, तीन तलाक में कोई अतिवाद नहीं पाया!
*13)* कांग्रेस धीरे-धीरे बड़ी चतुराई से हिंदुओं को नंगा करती रही। वे एक-एक करके हिंदू अधिकारों को छीनते रहे और अब हिंदू पूरी तरह से हर चीज से वंचित हो गए हैं और मजेदार बात यह है कि उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं है।
*14)* उनके पास अपने मंदिर नहीं हैं, उनके पास अपनी धार्मिक शिक्षा नहीं है, उनकी ज़मीनें उनकी स्थायी संपत्ति नहीं हैं।
और वे प्रश्न भी नहीं पूछते!
क्यों मस्जिद और चर्च स्वतंत्र हैं, लेकिन मंदिर सरकार के अधीन हैं? नियंत्रण?
सरकार क्यों हैं? वित्त पोषित मदरसे, कॉन्वेंट स्कूल लेकिन सरकारी नहीं। वित्त पोषित गुरुकुल?
उनका वक्फ अधिनियम तो हिंदू भूमि अधिनियम क्यों नहीं है?
उनका मु$ल क्यों है m पर्सनल बोर्ड लेकिन हिंदू पर्सनल बोर्ड नहीं?
यदि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तो यहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक क्यों हैं? स्कूलों में रामायण और महाभारत क्यों नहीं पढ़ाई जाती?
*15)* औरंगजेब ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए तलवार का इस्तेमाल किया, कांग्रेस ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए संविधान, अधिनियमों, विधेयकों का इस्तेमाल किया और जहां तलवार विफल रही, वहां संविधान ने यह काम किया।
*16)* और फिर मीडिया है।
अगर कोई ये सवाल पूछने की कोशिश करता है तो उसे सांप्रदायिक, भगवा और भक्त घोषित कर दिया जाता है।
यदि कोई राजनेता इन गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है तो उन्हें बुलाया जाता है क्योंकि वे लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।
*17)* याद रखें शक्तिशाली रोमन धर्म के पतन में केवल 80 वर्ष लगे।
प्रत्येक हिंदू को रोमन सभ्यता के पतन के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए।
कोई भी बाहरी ताकत उन्हें हरा नहीं सकी, वे आंतरिक रूप से अपने ही शासक कॉन्सटेंटाइन और ईसाई धर्म से हार गए।
*18)* हिंदुओं ने 1950 से नेहरू और उनके परिवार को चुना और भारी कीमत चुकाई है और अधिकांश वर्षों तक कांग्रेस सरकारों से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है।
    हिंदुओं के लिए गुलाम मानसिकता से बाहर आने और शिवाजी और महाराणा प्रताप की तरह बनने का समय आ गया है, जो अपने शासनकाल के दौरान कभी गुलाम नहीं बने।
क्या हमें इस एक पार्टी की ज़रूरत है जिसने हिंदुओं को इतना नुकसान पहुंचाया है??

शनिवार, 15 जुलाई 2023

शास्त्रों के अनुसार इन 6 कारणों से जल्द होती है मौत

शास्त्रों के अनुसार इन 6 कारणों से जल्द होती है मौत
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हर व्यक्ति अपने जन्म के साथ ही मृत्यु की तारीख भी लिखवाकर आता है। लेकिन पुराणों के मुताबिक व्यक्ति अपने कर्मों से मृत्यु को टाल सकता है। यानी की अपनी उम्र बढ़ा सकता है और घटा भी सकता है। इसका मतलब यह है कि कर्मों के मुताबिक व्यक्ति को आयु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और मृत्यु का शाप पाकर पहले मर भी सकता है। तो आइए जानते हैं किस तरह के कर्मों से व्यक्ति की मौत जल्द होती है। 

महाभारत के उद्योगपर्व में धृतराष्ट्र महात्मा विदुर से सवाल पूछते हैं कि जब सभी वेदों में मनुष्य को सौ वर्ष की आयु वाला बताया गया है तब वह किस कारण से अपनी पूर्ण आयु को भोग नहीं पाता। 'शतायुरुक्ता पुरूषः सर्ववेदेषु वै यदा। नाप्नोत्यथ च तत् सर्वमायुः केनेह हेतुना।। धृतराष्ट्र के प्रश्नों का जवाब देते हुए विदुर जी वह छह कारण बताते हैं जिससे मनुष्य अपनी पूर्णायु को नहीं भोग पाता है।

विदुर जी कहते हैं मनुष्य की उम्र को काटने वाला पहला तलवार अभिमान है। अभिमानी मनुष्य अपने को सबसे बड़ा मानकर बड़ों का भी अनादर करने लगता है। अपने अभिमानी स्वभाव के कारण वह भगवान का प्रिय नहीं रह जाता और भगवान उसकी उम्र कम कर देते हैं। अधिक बोलने की आदत भी उम्र को कम करता है। इसकी वजह यह बतायी गई है कि ज्यादा बोलने वाले व्यक्ति का अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं रहता है और वह किसी को कुछ भी कह सकता है ऐसे में कई बार वह लोगों का दिल दुखाता है। अधिक बोलने वाले व्यक्ति झूठ भी बोलने लगते हैं। इस कारण से उनकी आयु कम हो जाती है।

त्याग की कमी। रावण और दुर्योधन इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। इन दोनों में त्याग की कमी थी इस कारण से ही इन्हें युद्ध करना पड़ा और मारे गए। क्रोध को उम्र कम करने वाला चौथा कारण माना गया है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि व्यक्ति को नर्क में पहुंचाने के लिए अकेला क्रोध ही काफी है क्योंकि क्रोध में मनुष्य उचित -अनुचित भूलकर कुछ ऐसा कर बैठता है जो उसका ही अहित कर देता है।

उम्र को काटने वाला पांचवा तलवार स्वार्थ है। विदुर जी कहते हैं कि स्वार्थ में मनुष्य बड़े से बड़ा पाप करने में लज्जा का अनुभव नहीं करता है। स्त्री, धन और जमीन इन स्वार्थों की पूर्ति के लिए लोग युद्ध के मैदान में पहुंच जाते है और जीवन का अंत कर लेते हैं। महाभारत इस बात का उदाहरण है। छठा कारण है मित्रों के साथ धोखा और 6बेईमानी। शास्त्रों में दोस्तों के साथ धोखा करने वाले को अधम यानी नीच मनुष्य कहा गया है। ऐसे मनुष्य पर यमराज बहुत क्रोधित होते हैं और इन्हें कठोर दंड देते हैं।

बस यही प्रोपेगैंडा है जो ये फैलाते हैं। और उससे भी बड़ी बात कि रियल स्टोरी में आधे से ज्यादा झूठ मिला होने के बाद भी सेंसर बोर्ड इनकी फिल्मों को पास कर देता है,

क्या आपको पता है अभी कुछ साल पहले 2019 में अक्षय कुमार अभिनीत एक फ़िल्म रिलीज हुई थी, नाम था *मिशन मंगल*! फ़िल्म ने चारों और वाहवाही बटोरी थी चूंकि फ़िल्म रियल टाइम स्टोरी पर आधारित थी तो सभी को पसंद आई थी। सारे दृश्य पर्दे पर हूबहू उतारे गए थे और फ़िल्म देखते हुए लगता था कि आप भी मंगल मिशन की टीम का हिस्सा बन गए हो। 
मुझे भी फ़िल्म बहुत पसंद आई, पर आपको याद होगा फ़िल्म में एक दृश्य दिखाया गया था जिसमें एक महिला साइंटिस्ट जिसका नाम *नेहा सिद्दीकी* है, वह एक _दीनी महिला_ है और उसे रहने के लिए घर ढूंढने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। 

जहाँ भी वह किराये पर घर देखने जाती वही उसका धर्म पता चलते ही मना कर दिया जाता। बड़ा ही इमोशनल हो गया था मैं, की इतनी खूबसूरत और टेलेंटेड वैज्ञानिक को लोगों ने घर देने से मना कर दिया, मैं शॉक्ड था। अगर आपने मूवी देखी है तो आप भी शॉक्ड हो गए होंगे और गुस्सा भी आया होगा, आना भी चाहिए । बताइये एक वैज्ञानिक जो दिन रात देश के लिए खून पसीना एक कर रहे हैं उनके लिए हमारे देश में इतना भेदभाव होता है, कितनी ओछी मानसकिता है यह, है ना? 

बस यही सब दिमाग में चल रहा था...खैर घर आ कर इंटरनेट खोला और ISRO के बारे में खोज करना शुरू किया तो पता चला कि इसरो अपने सभी वैज्ञानिकों और इंजीनीयरों को अपार्टमेंट्स देता है, अब ये पता चला तो दिमाग घूमा कि अगर इसरो अपार्टमेंट दे रहा है तो किराये पर घर कोई क्यों लेगा? 

तब मैंने नेहा सिद्दीकी को गूगल पर ढूंढा तो कहीं दिखी ही नहीं, इसके बाद मंगल मिशन की पूरी टीम चेक करने लगा कि देखें तो सही कि अपने रियल हीरो वास्तव में दिखते कैसे हैं। 
मैंने पूरी टीम के एक-एक मेंबर के नाम खंगाल लिए *पर मुझे नेहा सिद्दीकी नाम की कोई वैज्ञानिक, या इंजीनियर तो छोड़िए कोई टेक्नीशियन भी नहीं मिली।*

*शॉक्ड लगा न?*🤔😳 मुझे भी यह देखने के बाद 440 वोल्ट का झटका लगा था कि पूरी टीम में एक भी *मुस्लिम महिला या पुरुष* नहीं था पर बावजूद इसके *फ़िल्म के मेकर्स ने* अभिव्यक्ति की आजादी या मौलिक स्वतंत्रता के नाम पर यह कहानी प्लॉट की, जिसमें दिखाया गया कि भारत में कैसे एक मुस्लिम महिला को कोई अपना घर किराये पर नहीं देता, चाहे वह महिला इसरो की कोई वैज्ञानिक ही क्यों न हो। 
और फ़िल्म के पोस्टर पर वही महिला को दिखा कर लिखा गया कि *"Science Has No Religion"*

जी हाँ *धीमा जहर* कैसे घोला जाता है ये बॉलीवुड वाले अच्छे से जानते हैं, *मैंने तो यह crosscheck कर लिया पर कितने लोग ऐसा करते होंगे?*

ऐसे ढेरों सीन थे पर इसके अलावा एक सीन और था अगर आपको याद हो....

याद किजिए विद्या बालन का बेटा कहता है मैं नमाज पढूंगा। । उसका बाप संजय कपूर लड़ता है उससे 
लेकिन बेटा कहता है कि नही मुझे नमाज पढ़नी ही है , और उसकी मम्मी सहयोग करती है।।। याद कीजिए, बस यही प्रोपेगैंडा है जो ये फैलाते हैं। और उससे भी बड़ी बात कि रियल स्टोरी में आधे से ज्यादा झूठ मिला होने के बाद भी सेंसर बोर्ड इनकी फिल्मों को पास कर देता है, इसे अतिश्योक्ति ही कहा जायेगा।

और आपको पता है इस फ़िल्म के निर्माता कौन थे? 
अपने श्री श्री अक्षय कुमार जी, जी हां वही कालनेमि अक्षय कुमार जो देश प्रेम की अलख जगाये घूमते दिखाई देते हैं और अंदरखाने धीमा जहर फैलाते रहते हैं और सामने भी नहीं आते।
*आख थू थू थू* 🫢


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साभार
देशहित सर्वोपरी.....

कैलाश पर्वत और चंद्रमा का रहस्य

कैलाश पर्वत और चंद्रमा का रहस्य 
कैलाश पर्वत एक अनसुलझा रहस्य, कैलाश पर्वत के इन रहस्यों से नासा भी हो चुका है चकित.;

कैलाश पर्वत, इस एतिहासिक पर्वत को आज तक हम सनातनी भारतीय लोग शिव का निवास स्थान मानते हैं। शास्त्रों में भी यही लिखा है कि कैलाश पर शिव का वास है।

किन्तु वहीं नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था के लिए कैलाश एक रहस्यमयी जगह है। नासा के साथ-साथ कई रूसी वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत पर अपनी रिपोर्ट दी है।

उन सभी का मानना है कि कैलाश वास्तव में कई अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। विज्ञान यह दावा तो नहीं करता है कि यहाँ शिव देखे गये हैं किन्तु यह सभी मानते हैं कि, यहाँ पर कई पवित्र शक्तियां जरूर काम कर रही हैं। तो आइये आज हम आपको कैलाश पर्वत से जुड़े हुए कुछ रहस्य बताते हैं।

#कैलाश_पर्वत_के_रहस्य.

रहस्य 1– रूस के वैज्ञानिको का ऐसा मानना है कि, कैलाश पर्वत आकाश और धरती के साथ इस तरह से केंद्र में है जहाँ पर चारों दिशाएँ मिल रही हैं। वहीं रूसी विज्ञान का दावा है कि यह स्थान एक्सिस मुंडी है और इसी स्थान पर व्यक्ति अलौकिक शक्तियों से आसानी से संपर्क कर सकता है। धरती पर यह स्थान सबसे अधिक शक्तिशाली स्थान है।

रहस्य 2 - दावा किया जाता है कि आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत के शिखर पर नहीं पहुच पाया है। वहीं 11 सदी में तिब्बत के योगी मिलारेपी के यहाँ जाने का दावा किया जाता रहा है। किन्तु इस योगी के पास इस बात के प्रमाण नहीं थे या फिर वह स्वयं प्रमाण प्रस्तुत नहीं करना चाहता था। इसलिए यह भी एक रहस्य है कि इन्होंने यहाँ कदम रखा या फिर वह कुछ बताना नहीं चाहते थे।

रहस्य 3 - कैलाश पर्वत पर दो झीलें हैं और यह दोनों ही रहस्य बनी हुई हैं। आज तक इनका भी रहस्य कोई खोज नहीं पाया है। एक झील साफ़ और पवित्र जल की है। इसका आकार सूर्य के समान बताया गया है। वहीं दूसरी झील अपवित्र और गंदे जल की है तो इसका आकार चन्द्रमा के समान है। 

रहस्य 4 - यहाँ के आध्यात्मिक और शास्त्रों के अनुसार रहस्य की बात करें तो कैलाश पर्वत पे कोई भी व्यक्ति शरीर के साथ उच्चतम शिखर पर नहीं पहुच सकता है। ऐसा बताया गया है कि, यहाँ पर देवताओं का आज भी निवास हैं। पवित्र संतों की आत्माओं को ही यहाँ निवास करने का अधिकार दिया गया है।

रहस्य 5 - कैलाश पर्वत का एक रहस्य यह भी बताया जाता है कि जब कैलाश पर बर्फ पिघलती है तो यहाँ से डमरू जैसी आवाज आती है। इसे कई लोगों ने सुना है। लेकिन इस रहस्य को आज तक कोई हल नहीं कर पाया है.

रहस्य 6 – कई बार कैलाश पर्वत पर *सात तरह के प्रकाश* आसमान मेंदेखे गये हैं। इस पर नासा का ऐसा मानना है कि यहाँ चुम्बकीय बल है और आसमान से मिलकर वह कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण करता 

रहस्य 7 - कैलाश पर्वत दुनिया के 4 मुख्य धर्मों का केंद्र माना गया है। यहाँ कई साधू और संत अपने देवों से टेलीपैथी से संपर्क करते हैं। असल में यह आध्यात्मिक संपर्क होता है।

रहस्य 8 - कैलाश पर्वत का सबसे बड़ा रहस्य खुद विज्ञान ने साबित किया है कि यहाँ पर प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहाँ से *ॐ* की आवाजें सुनाई देती हैं।

समझ गये होंगे कि, कैलाश पर्वत क्यों आज भी इतना धार्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व रखे हुए है। हर साल यहाँ दुनियाभर से कई लोग अनुभव लेने आते हैं, और सनातन धर्म के लिए कैलाश सबसे बड़ा आदिकालीन धार्मिक स्थल भी बना हुआ 

यहाँ पर सूर्य और चंद्रमा के संधि काल (सायं काल) प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहाँ से *ॐ* की आवाजें सुनाई देती हैं

हर हर महादेव 🙏🔱🚩

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