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रविवार, 28 अप्रैल 2024

केरल के ईसाई तो "जाग गए", यानी कुछ समय पहले खुलकर "लव जेहाद" के विरोध में उतर आए हैं... लेकिन "तथाकथित प्रगतिशील हिन्दू" (यानी शतुरमुर्ग) अभी भी रेती में अपना सिर घुसाए, तूफ़ान की तरफ अपना पिछवाड़ा करके खड़े हैं।

 

केरला स्टोरी वाली घटना यानी लव जिहाद में या दूसरे तरीकों से किशोरावस्था में हिंदू लड़के और लड़कियों का ब्रेनवाश करके उन्हें अपने इस्लाम के जाल में फंसा कर उन्हें या तो बच्चा पैदा करने वाली फैक्ट्री बना देना या फिर आतंकी बना देना यह सब कुछ सिर्फ केरल में नहीं हुआ इन लोगों ने यह प्रयोग श्रीलंका में भी किया था।

आप लोगों को 2018 में कोलंबो और उसके आसपास हुए सीरियल ब्लास्ट वाली घटना याद होगी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे।

इस घटना को लव जिहाद में फंसकर हिंदू से मुसलमान बनी एक लड़की ने अंजाम दिया था।

इस घटना के बाद श्रीलंका सरकार ने जब जांच के आदेश दिए जब श्रीलंका में ऐसी कुल 100 से ज्यादा लड़कियों का पता चला जो या तो बौद्ध थी या सिंघली थी या तमिल हिंदू थी जिन्हें एक संगठित गिरोह ने लव जिहाद में फंसा कर मुसलमान बना दिया था।

श्रीलंका के मुस्लिम मौलवी उसकी ट्रेनिंग लेने केरल के उसी बदनाम कन्वर्जन सेंटर में आए थे जिसे लव जिहाद की फैक्ट्री कहा जाता है।

इसके बाद श्रीलंका सरकार ने इस पर बहुत कड़ा एक्शन लिया था और श्रीलंका में चल रहे ऐसे तमाम सेंटर को नष्ट कर दिया और 20 से ज्यादा लोगों को कड़ी धाराएं लगाकर आजीवन जेल में डाल दिया जो यह कन्वर्जन रैकेट चला रहे थे।

इतना ही नहीं श्रीलंका सरकार ने अपने देश में सभी बौद्ध धर्म गुरुओं सिंघली धर्मगुरुओं और हिंदू धर्म गुरुओं से अपील किया कि वह अपने अपने समुदाय की लड़कियों को संस्कारी बनाने और उन्हें इस बात की ट्रेनिंग दे कि वह लव जिहाद में ना फंसे और यदि कोई उनके साथ ऐसी कोशिश करता है तब उसकी जानकारी अपने माता-पिता या पुलिस को दें।

इस इस जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही श्रीलंका में बौद्ध और मुस्लिम दंगे भड़क गए थे जिसमें मुसलमानों पर बौद्धों ने भीषण हमले किये।

आप मित्रों ने जोम्बी फ़िल्में देखी होंगी... जिसमें खून पीने वाले जोम्बी जिस मनुष्य को काट लेते हैं, वह साधारण मनुष्य भी जोम्बी बन जाता है... और दूसरों का खून पीने लगता है... इस प्रकार यह "चेन सिस्टम" चलता जाता है।

चित्र में दिखाई गई सुन्दर कन्या का नाम है, "पुलस्तिनी राजेन्द्रन", एक तमिल हिन्दू लड़की... यह लड़की फँसी एक जोम्बी के चक्कर में... यानी लव जेहाद में... फिर क्या था!!! ये भी चली दूसरों का खून पीने... जी हाँ... पुलस्तिनी राजेन्द्रन निकाह के बाद बनी "साराह"... और यह जोम्बी हाल ही के श्रीलंका के आत्मघाती बम विस्फोटों में शामिल दर्जनों जोम्बियों में से एक थी।

केरल के ईसाई तो "जाग गए", यानी कुछ समय पहले खुलकर "लव जेहाद" के विरोध में उतर आए हैं... लेकिन "तथाकथित प्रगतिशील हिन्दू" (यानी शतुरमुर्ग) अभी भी रेती में अपना सिर घुसाए, तूफ़ान की तरफ अपना पिछवाड़ा करके खड़े हैं।

निष्कर्ष :- "खून पीने वाले जोम्बियों" से खुद भी यथासंभव दूर रहें... और अपने परिजनों को भी दूर रखें।

मित्रों आपके इलाके में यदि कोई मुस्लिम आईएएस आईपीएस है तो आपका, स्थानीय पत्रकारों का और मीडिया का सबका कर्तव्य है कि आप लोग उस पर नजर रखें

 

अभी देखा 51 शांतिदूत IAS, IPS बने है

उत्तर प्रदेश में एक सीनियर आईएएस ऑफिसर थे जिनका नाम इफ्तिखारुद्दीन था

वह बड़े पैमाने पर धर्मांतरण रैकेट चलाते थे अखिलेश यादव सरकार के दौरान वह बड़े-बड़े अहम पदों पर रहे

जब मायावती जी मुख्यमंत्री थी सब इंटेलीजेंस यूनिट ने सरकार को रिपोर्ट दिया था कि इफ्तिखारुद्दीन जिहादी प्रवृत्तियों में लिप्त है और वह हर काम में मुसलमानों का फेवर कर रहे हैं हिंदुओं की धर्मांतरण करते हैं तब मायावती जी के समय में उन्हें हमेशा साइड पोस्टिंग दिया गया हालांकि उनके ऊपर तब भी कार्रवाई नहीं हुई

अखिलेश यादव के समय में जब कानपुर मेट्रो और लखनऊ में मेट्रो का निर्माण चल रहा था तब कानपुर के मंडल आयुक्त रहने के दौरान इफ्तिखारउद्दीन भोले वाले दलितों को कहते थे कि तुम्हारा मकान और दुकान मेट्रो प्रोजेक्ट में जा रहा है कितना मुआवजा देना है वह मेरे हाथ में है यदि तुम इस्लाम कबूल कर लो तो मैं तुम्हारा मुआवजा बढ़कर 10 गुना कर दूंगा और मुआवजा बढ़ाने का लालच देकर इफ्तिखार उद्दीन ने 20 से ज्यादा दलितों का धर्मांतरण करवाया था

फिर 40 से ज्यादा दलित हिंदू सरकारी जमीन पर रह रहे थे तब उनसे इसने कहा कि तुम्हारी जमीन सरकारी है तुम्हें कोई मुआवजा नहीं मिलेगा लेकिन यदि तुम इस्लाम कुबूल करो तो मैं तुम्हें वक्फ बोर्ड से जमीन और पैसा दोनों दिलवा दूंगा जिस पर तुम मकान बना कर रह सकते हो

और इसने उन सभी दलितों का धर्मांतरण करवा कर मुस्लिम बना दिया

इसने एक किताब भी लिखी जिसका नाम हिंदुओं को धोखा देने के लिए शुद्ध भक्ति रखा है और इस किताब में इसने हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया और एक पूरा मैन्युअल तैयार किया कि किस तरह से हिंदुओं का धर्मांतरण किया जा सके

इसके सरकारी निवास पर हमेशा बीच से ज्यादा कट्टर मौलाना रहते थे जो इसे आदेश लेकर जेहादी प्रवृत्ति करते रहते थे

वीडियो तब का है जब इफ्तिखारुद्दीन उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का एमडी था वह लखनऊ स्थित अपने सरकारी निवास पर तबलीगी जमात के मौलानाओ को संबोधित करते हुए कह रहा है कि तुम कैसे ज्यादा से ज्यादा संख्या में हिंदुओं को मुसलमान बन सकते हो और यदि तुम हिंदुओं को मुसलमान बनाओगे तो तुम्हें क्या-क्या फायदे मिलेंगे

रमजान के समय इसके ऑफिस और इसके निवास पर ड्यूटी कर रहे हिंदू कर्मचारियों को भी पानी पीने और नाश्ता करने की इजाजत नहीं होती थी जबरन अपने मातहत हिंदू कर्मचारियों से भी रोजा रखवाता था

योगी सरकार के आने के बाद इसको पहले सस्पेंड करके बाद में जबरन रिटायर किया गया

तो मित्रों आपके इलाके में यदि कोई मुस्लिम आईएएस आईपीएस है तो आपका, स्थानीय पत्रकारों का और मीडिया का सबका कर्तव्य है कि आप लोग उस पर नजर रखें

क्योंकि डॉक्टर अंबेडकर ने जो इनके बारे में कहा है वह एकदम सच है इनके लिए संविधान कोई अहमियत नहीं रखती आप उनके क्रियाकलापों पर नजर रखिए उसका वीडियो बनाया सोशल मीडिया पर वायरल करिए

जब भगवान शंकराचार्य ने एक चांडाल को अपना गुरु बनाया

 

जब भगवान शंकराचार्य ने एक चांडाल को अपना गुरु बनाया

दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने अवतार लेकर कलियुग में भारत मे आसुरी धर्म की स्थापना कर दी थी । शुक्राचार्य की माया को काटने के लिए आदि शंकराचार्य ( शंकर के अंशावतार ) को धरती पर जन्म लेना पड़ा ।।

आसुरी मत के प्रचलन के कारण उस समय छुवाछुत ने भारत मे घोर प्रभाव जमा लिया ।। अब आदिशंकराचार्य पर जिम्मेदारी थी, की वह इस छुवाछुत को खत्म करें ।

आदि शंकराचार्य से जुड़ा एक किस्सा प्रचलित है--

ये किस्सा भारत भ्रमण के दौरान का है.

इसके मुताबिक़ उन्होंने काशी प्रवास के दौरान शमशान के चंडाल को अपना गुरु बनाया था ।। उस वक्त के समाज में चांडाल अस्पृश्य माने जाते थे, कहते हैं कि आदि शंकराचार्य काशी में एक शमशान से गुजर रहे थे जहां उनका सामना चांडाल से हो गया ।।

आदि ने उन्हें सामने से हटने को कहा. जवाब में चांडाल ने हाथजोड़ कर बोला क्या हटाऊं,

शरीर या आत्मा

आकार या निराकार??

यह जवाब सुनकर आदि शंकराचार्य चकित रह गए ...और उसी चांडाल को अपना गुरु स्वीकार किया । वह चांडाल भी कोई और नही, स्वयं महादेव थे ।

शंकराचार्य के विषय में कहा गया है-

अष्टवर्षेचतुर्वेदी, द्वादशेसर्वशास्त्रवित् षोडशेकृतवान्भाष्यम्द्वात्रिंशेमुनिरभ्यगात्

अर्थात् आठ वर्ष की आयु में चारों वेदों में निष्णात हो गए, बारह वर्ष की आयु में सभी शास्त्रों में पारंगत, सोलह वर्ष की आयु में शांकरभाष्यतथा बत्तीस वर्ष की आयु में शरीर त्याग दिया। ब्रह्मसूत्र के ऊपर शांकरभाष्यकी रचना कर विश्व को एक सूत्र में बांधने का प्रयास भी शंकराचार्य के द्वारा किया गया है, जो कि सामान्य मानव से सम्भव नहीं है। शंकराचार्य के दर्शन में सगुण ब्रह्म तथा निर्गुण ब्रह्म दोनों का हम दर्शन, कर सकते हैं। निर्गुण ब्रह्म उनका निराकार ईश्वर है तथा सगुण ब्रह्म साकार ईश्वर है। जीव अज्ञान व्यष्टि की उपाधि से युक्त है।

तत्त्‍‌वमसि तुम ही ब्रह्म हो; अहं ब्रह्मास्मि मैं ही ब्रह्म हूं; 'अयामात्मा ब्रह्म' यह आत्मा ही ब्रह्म है; इन बृहदारण्यकोपनिषद् तथा छान्दोग्योपनिषद वाक्यों के द्वारा इस जीवात्मा को निराकार ब्रह्म से अभिन्न स्थापित करने का प्रयत्‍‌न शंकराचार्य जी ने किया है ।।

" बोलो शंकर भगवान की जय "

यह संकल्प अवश्य लें : -

अपने जन्मदिवस पर हवन अवश्य ही करवाये।

अपनी विवाह की वर्षगाँठ पर सत्यनारायण कथा या सुंदरकांड का पाठ अवश्य ही करवाये।

विवाह शादी के लावा फेरे व अन्य पूजन दिन में ही करवाये, विधि विधान से करवाये, रात में पूजन करवाने से बचे।

सड़क व ट्रैफिक रोककर, गली में, नाली के किनारो पर किसी भी प्रकार की पूजा-सत्संग-कीर्तन-भंडारा इत्यादि न करें।

संस्कृत(हिन्दी) भाषा का अधिकाधिक प्रयोग करें।

ब्राह्मण, राजा, सन्यासी और बच्चों के संपर्क में बने रहें। जय सिया राम 🚩

स्टीकर जिहाद –असल जीवन में भाजपा से कोई लेना देना नहीं है।। आँखें खोलो –

 

स्टीकर जिहाद –

वदोदरा शहर के कारेलीबाग इलाके की यह घटना है, एक साइकिल रिक्शा चालक अपना 5000 रुपये का मासिक वेतन लेकर घर लौट रहा था,...

भाजपा के चुनावी चिन्ह "कमल" का स्टीकर लगी बिना नंबर प्लेट की स्कूटी पर दो लड़के आते हैं और गरीब साइकल रिक्शा चालक के 5000 रुपये छीन कर चंपत हो जाते हैं,

साइकिल रिक्शा चालक को काले रंग की स्कूटी और उसपर बना भाजपा का निशान याद रह जाता है।

गरीब व्यक्ति पुलिस स्टेशन जाकर इंस्पेक्टर साहब को पूरा किस्सा सुनाता है और इंस्पेक्टर साहब बिना देरी करे सर्विलेंस एक्टिव करवा के भाजपा के निशान वाली काली बिना नंबर वाली स्कूटी ढूँढ़ने का आदेश देते हैं,

पुलिस को कुछ घंटो में ही कामयाबी मिलती है और दो बदमाश पकड़े जाते हैं,

बदमाशों का पहले से ही अपराधिक रिकॉर्ड होता है, नाम पूछने पर पता लगता है की एक का नाम फैजल अय्यूब घांची और दूसरे का फिरोज हुसैन है,...

ज्यादा पूछताछ पर पता लगता है की भाजपा का स्टीकर मात्र दिखाने के लिए लगाया था – असल जीवन में भाजपा से कोई लेना देना नहीं है।।

आँखें खोलो –

यह सबक है जो हिंदू लड़की कहती है मेरा अब्दुल ऐसा नहीं है

 

आज की चौकाने वाली घटना

मुंबई में एक शादीशुदा हिंदू महिला हर्षदा अपने पति और 6 साल की बेटी के साथ रहती थी

पबजी गेम पर उसे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले फ़ुजैल ने लव जिहाद में फसाया और उसे फुसलाकर मुंबई से अपने पति और बेटी को छोड़कर यूपी के मुरादाबाद लाया

एक मस्जिद में हर्षदा इस्लाम कबूल कर जीनत फातिमा बन गई और फ़ुजैल की पत्नी बन गई

एक हफ्ते के बाद ही फ़ुजैल के घर वाले हर्षदा उर्फ जीनत पर बेइंता जुल्म करने लगे

फिर हर्षदा की मम्मी को मुरादाबाद के एक अस्पताल से फोन आया की बेटी मरणासन्न अवस्था में अस्पताल में भर्ती है

हर्षदा दो दिन से वेंटिलेटर पर है उसे बहुत अंदरूनी चोट आई है उसके बाल नोच लिए गए हैं उसकी गर्दन की हड्डी डैमेज हुई है और दो पसलियां टूट गई है पुलिस ने कई धाराओं में केस दर्ज करके फ़ुजैल के पूरे परिवार को गिरफ्तार कर लिया है

यह सबक है जो हिंदू लड़की कहती है मेरा अब्दुल ऐसा नहीं है

आयुर्वेद के अनुसार देसी गाय का "गौ मूत्र" एक संजीवनी है| गौ-मूत्र एक अमृत के सामान है जो दीर्घ जीवन प्रदान करता है, पुनर्जीवन देता है, रोगों को भगा देता है, रोग प्रतिकारक शक्ति एवं शरीर की मांस-पेशियों को मज़बूत करता है|

गोमुत्र के अद्भुत लाभ.....
आयुर्वेद के अनुसार देसी गाय का "गौ मूत्र" एक संजीवनी है| गौ-मूत्र एक अमृत के सामान है जो दीर्घ जीवन प्रदान करता है, पुनर्जीवन देता है, रोगों को भगा देता है, रोग प्रतिकारक शक्ति एवं शरीर की मांस-पेशियों को मज़बूत करता है|

आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर में तीनों दोषों का संतुलन भी बनाता है और कीटनाशक की तरह भी काम करता है| 

गौ-मूत्र का कहाँ-कहाँ प्रयोग किया जा सकता ह....

संसाधित किया हुआ गौ मूत्र अधिक प्रभावकारी प्रतिजैविक, रोगाणु रोधक (antiseptic), ज्वरनाशी (antipyretic), कवकरोधी (antifungal) और प्रतिजीवाणु (antibacterial) बन जाता है|

ये एक जैविक टोनिक के सामान है| यह शरीर-प्रणाली में औषधि के सामान काम करता है और अन्य औषधि की क्षमताओं को भी बढ़ाता है|

ये अन्य औषधियों के साथ, उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए भी ग्रहण किया जा सकता है|

गौ-मूत्र कैंसर के उपचार के लिए भी एक बहुत अच्छी औषधि है | यह शरीर में सेल डिवीज़न इन्हिबिटोरी एक्टिविटी को बढ़ाता है और कैंसर के मरीज़ों के लिए बहुत लाभदायक है| 

आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार गौ-मूत्र विभिन्न जड़ी-बूटियों से परिपूर्ण है| यह आयुर्वेदिक औषधि गुर्दे, श्वसन और ह्रदय सम्बन्धी रोग, संक्रामक रोग (infections) और संधिशोथ (Arthritis), इत्यादि कई व्याधियों से मुक्ति दिलाता है|

गौ-मूत्र के लाभों को विस्तार से जाने.....

देसी गाय के गौ मूत्र में कई उपयोगी तत्व पाए गए हैं, इसीलिए गौमूत्र के कई सारे फायदे है|गौमूत्र अर्क (गौमूत्र चिकित्सा) इन उपयोगी तत्वों के कारण इतनी प्रसिद्ध है|देसी गाय गौ मूत्र में जो मुख्य तत्व है उनमें से कुछ का विवरण जानिए.....

1. यूरिया  ....यूरिया मूत्र में पाया जाने वाला प्रधान तत्व है और प्रोटीन रस-प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद है| ये शक्तिशाली प्रति जीवाणु कर्मक है|

2. यूरिक एसिड ..... ये यूरिया जैसा ही है और इस में शक्तिशाली प्रति जीवाणु गुण हैं| इस के अतिरिक्त ये केंसर कर्ता तत्वों का नियंत्रण करने में मदद करते हैं|

3. खनिज ....... खाद्य पदार्थों से व्युत्पद धातु की तुलना मूत्र से धातु बड़ी सरलता से पुनः अवशोषित किये जा सकते हैं| संभवतः मूत्र में खाद्य पदार्थों से व्युत्पद अधिक विभिन्न प्रकार की धातुएं उपस्थित हैं| यदि उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो मूत्र पंकिल हो जाता है| यह इसलिये है क्योंकि जो एंजाइम मूत्र में होता है वह घुल कर अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है, फिर मूत्र का स्वरुप काफी क्षार में होने के कारण उसमे बड़े खनिज घुलते नहीं है | इसलिये बासा मूत्र पंकिल जैसा दिखाई देता है | इसका यह अर्थ नहीं है कि मूत्र नष्ट हो गया | मूत्र जिसमे अमोनिकल विकार अधिक हो जब त्वचा पर लगाया जाये तो उसे सुन्दर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |

4. उरोकिनेज ......9यह जमे हुये रक्त को घोल देता है,ह्रदय विकार में सहायक है और रक्त संचालन में सुधार करता है |

5. एपिथिल्यम विकास तत्व क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतक में यह सुधर लाता है और उन्हें पुनर्जीवित करता है|

6. समूह प्रेरित तत्व यह कोशिकाओं के विभाजन और उनके गुणन में प्रभावकारी होता है |

7. हार्मोन विकास यह विप्रभाव भिन्न जैवकृत्य जैसे प्रोटीन उत्पादन में बढ़ावा, उपास्थि विकास,वसा का घटक होना|

8. एरीथ्रोपोटिन रक्ताणु कोशिकाओं के उत्पादन में बढ़ावा |

9. गोनाडोट्रोपिन मासिक धर्म के चक्र को सामान्य करने में बढ़ावा और शुक्राणु उत्पादन |

10. काल्लीकरीन काल्लीडीन को निकलना, बाह्य नसों में फैलाव रक्तचाप में कमी |

11. ट्रिप्सिन निरोधक मांसपेशियों के अर्बुद की रोकथाम और उसे स्वस्थ करना |

12. अलानटोइन घाव और अर्बुद को स्वस्थ करना |

13. कर्क रोग विरोधी तत्व निओप्लासटन विरोधी, एच -11 आयोडोल - एसेटिक अम्ल, डीरेकटिन, 3 मेथोक्सी इत्यादि किमोथेरेपीक औषधियों से अलग होते हैं जो सभी प्रकार के कोशिकाओं को हानि और नष्ट करते हैं | यह कर्क रोग के कोशिकाओं के गुणन को प्रभावकारी रूप से रोकता है और उन्हें सामान्य बना देता है |

14. नाइट्रोजन... यह मूत्रवर्धक होता है और गुर्दे को स्वाभाविक रूप से उत्तेजित करता है |

15. सल्फर..  यह आंत कि गति को बढाता है और रक्त को शुद्ध करता है |

16. अमोनिया ...यह शरीर की कोशिकाओं और रक्त को सुस्वस्थ रखता है |

17. तांबा ...यह अत्यधिक वसा को जमने में रोकधाम करता है |

18. लोहा ...यह आरबीसी संख्या को बरकरार रखता है और ताकत को स्थिर करता है |

19. फोस्फेट ....इसका लिथोट्रिपटिक कृत्य होता है |

20. सोडियम ... यह रक्त को शुद्ध करता है और अत्यधिक अम्ल के बनने में रोकथाम करता है |

21. पोटाशियम ...यह भूख बढाता है और मांसपेशियों में खिझाव को दूर करता है |

22. मैंगनीज .... यह जीवाणु विरोधी होता है और गैस और गैंगरीन में रहत देता है |

23. कार्बोलिक अम्ल .... यह जीवाणु विरोधी होता है |

24. कैल्सियम ...यह रक्त को शुद्ध करता है और हड्डियों को पोषण देता है , रक्त के जमाव में सहायक|

25. नमक ....यह जीवाणु विरोधी है और कोमा केटोएसीडोसिस की रोकथाम |

26. विटामिन ए बी सी डी और ई (Vitamin A, B, C, D & E).. अत्यधिक प्यास की रोकथाम और शक्ति और ताकत प्रदान करता है |

27. लेक्टोस शुगर ....ह्रदय को मजबूत करना, अत्यधिक प्यास और चक्कर की रोकथाम |

28. एंजाइम्स ...प्रतिरक्षा में सुधार, पाचक रसों के स्रावन में बढ़ावा |

29. पानी ....शरीर के तापमान को नियंत्रित करना| और रक्त के द्रव को बरक़रार रखना |

30. हिप्पुरिक अम्ल ...यह मूत्र के द्वारा दूषित पदार्थो का निष्कासन करता है |

31. क्रीयटीनीन ...जीवाणु विरोधी|

32.स्वमाक्षर ....जीवाणु विरोधी, प्रतिरक्षा में सुधार, विषहर के जैसा कृत्य |

वौदिक ग्रंथों में गाय की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की गई है गाय से मिलने वाले फायदे क्या हैं और आप कैसे अपने जीवन को स्वस्थ रख सकते हैं। यह अब वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध किया जा चुका है की गाय का मूत्र कीटाणुनाशक है जो शरीर में विभ्भिन बीमारियों को दूर करने में सहायक है। गोमूत्र में कार्बोलिक एसिड, यूरिया, फाॅस्फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम और सोडियम होता है । जब गाय का दूध देने वाला महिना होता है तब उस के मूत्र में लेक्टोजन रहता है, जो ह्दय और मस्तिष्क के विकारों के लिए फायदेमंद होता है। गाय के मूत्र का उपयोग विभिन्न रोगों में कैसे किया जा सकता है आपको बताते हैं |

 एक बात का विशेष ध्यान रखे की गौमूत्र भी उसी गाय का लाभकारी है जिसे शुद्ध प्राकृतिक भोजन दिया जाता है तथा जिसे दूध बढाने के लिए जहरीले इंजेक्शन नहीं दिए जाते)

 
गोमूत्र के लाभ.....

1. गौमूत्र में वात और कफ के सभी रोगों को पूरी तरह खत्म करने की शक्ति है। पित्त के रोगों को भी गौमूत्र खत्म करता है लेकिन कुछ औषधियों के साथ ।

2. वात, पित्त और कफ के कुल 148 रोग हैं। भारत में इन 148 रोगों को अकेले खत्म करने की क्षमता यदि किसी वस्तु में है तो वो है देशी गाय का गौमूत्र । गोमूत्र वात, पित्त, कफ तीनों की सम अवस्था में लाने के लिए सबसे ज्यादा मदद करता है ।

3. आधा कप गोमूत्र सुबह खाना खाने के एक घंटे पहले बवासीर/बादी और खूनी, फिस्टुला, भगन्दर, अर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द, उक्त रक्त दबाव, हृदयघात, कैंसर आदि ठीक करने के लिए लें ।

4. गौमूत्र में वही 18 सूक्ष्म पोषक तत्व हैं जो कि मिट्टी में होते हैं। ऐसा वैज्ञानिकों का परीक्षण कहता है। भारत में cDRI लखनऊ, वैज्ञानिकों की दवाओं पर काम करने वाली सबसे बड़ी संस्था है। शरीर की बीमारियों को ठीक करने के लिए शरीर को जितने घटक चाहिए तो सब गौमूत्र में उपलब्ध हैं जैसे-सल्फर की कमी से शरीर में त्वचा के रोग होते हैं।


5. गौमूत्र पीने से त्वचा के सभी रोग ठीक होते हैं, जैसे-सोराइसिस, एक्जिमा, खुजली, खाज, दाल जैसे सब तरह के त्वचा रोग ठीक होते हैं। गौमूत्र से हड्डियों के रोग भी ठीक होते हैं। गौमूत्र से खाँसी, सर्दी, जुकाम, दमा, टी.वी., अस्थमा जैसी सब बीमारियाँ ठीक होती हैं। गोमूत्र से ठीक हुई टी.वी. दुबारा उस शरीर में नहीं आती है। गोमूत्र से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति इतनी अधिक बढ़ जाती है कि इससे बीमारियाँ शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं।


6. टी.वी. की बीमारी में डाट्स की गोलियों का असर गौमूत्र के साथ 20 गुना बढ़ जाती है अर्थातृ सिर्फ गौमूत्र पीने से टी.वी. 3 से 6 महीने में ठीक होती है, सिर्फ डाट्स की गोलिशाँ खाने से टी.वी. 9 महीने में ठीक होती है और डाट्स की गोलियाँ और गौमूत्र साथ-साथ देने पर टी.वी. 2 से 3 महीने में ठीक हो जाती है।

7. गौमूत्र का असर गले के कैंसर पर आहार नली के कैंसर पर पेट के कैंसर पर बहुत ही अच्छा है। गौमूत्र के असर को कैंसर के केस में अध्ययन/प्रयोग के लिए बलसाड (गुजरात) में एक बहुत बड़ा अस्पताल बन रहा है। जिसे कुछ जैन समाज के लोगों ने बनवाया है।

8. शरीर में जब करक्यूमिन नाम के तत्व की कमी होती है। तभी शरीर में कैंसर का रोग आता है। गौमूत्र में यही करक्यूमिन भरपूर मात्रा में है और पीने के तुरन्त बाद पचने वाला है। जिससे कि तुरंत असरकारक हो जाता है।
 
दवा के प्रति अच्छी भावना नहीं होने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता उस दवा को पचाने में कम हो जाती है इसलिए दवाओं को हमेशा सकारात्मक भाव से ही ग्रहण करना चाहिए।

9. हरड़े पानी में घिस कर देने पर कम लाभ करती है और गौमूत्र में घिस कर देने पर अधिक लाभ करती है।

10. गौमूत्र हमेशा सुबह को ही लेना चाहिए। बहुत बीमार व्यक्ति को 100 ग्राम पीना चाहिए। इसे आधा-आधा करके भी ले सकते हैं। खाली पेट यानी सुबह-सुबह, कुछ भी खाने से 1 घंटे पहले जो बीमार हैं वह दिन में दो बार भी ले सकते हैं और स्वस्थ लोगों को सिर्फ सुबह ही लेना चाहिए। स्वस्थ लोगों को 50 ग्राम से ज्यादा नहीं पीना चाहिए। बँधी हुई गाय का मूत्र उतना उपयोगी नहीं है। जर्सी गाय के मूत्र में सिर्फ तीन पोषक तत्व होते हैं।

11. आँख के सभी रोग कफ के हैं और आँख के कोई रोग जैसे मोतियाबिंद (कैटरेक्टर), ग्लुकोमा, रैटिनल डिटैचमेन्ट (इसका दुनिया में कोई इलाज नहीं है यहाँ तक कि ऑपरेशन भी नहीं है) । इसके साथ ऑखों की सभी छोटी-छोटी बीमारियाँ जैसे आँखों का लाल होना, आँखों से पानी निकलना, आँखों में जलन होना, ये सभी छोटी-बड़ी बीमारियाँ गौमूत्र से ठीक होती हैं।

मतलब पूरी तरह से ठीक होती हैं। गौमूत्र(केवल ताजा अर्क नहीं)  सूती कपड़े के आठ परत से छानकर 1-1 बूंद आँखों में डालना है। आँखों के चश्मे 6 महीने में उतर जायेंगे। 

ग्लुकोमा बिना ऑपरेशन ठीक होता है-4 सवा चार महीने में, कैटरक्त-6 सा 6 महीने में ठीक हो जाता है। रेटिनल डिटैचमेन्ट को एक साल लगता है।

12. 1-1 बूंद रोज सुबह-सुबह डालना है और 3 से 4 दिनों में बीमारी ठीक हो जायेगी। बच्चे जिनकी पसलियाँ कफ की वजह से परेशान कतरी हैं, एक चम्मच गौमूत्र पीला दें तुरंत आराम मिलना शुरू हो जायेगा। ऐसा बड़े लोग भी कर सकते हैं मात्रा आधा कप बढ़ाकर ।

13. मूत्र पिण्ड के सभी रोग जैसे किडनी फेल होने के और किडनी के दूसरी तकलीफों के लिए गौमूत्र 1/2 कप रोज सुबह खाली पेट लें।

14. पेशाब से संबंधित किसी भी रोग (लगभग 22 से 28 रोग) में गौमूत्र 1/2 कप रोज सुबह खाली पेट लें।

15. कब्जीयत की बीमारी में 1/2 कप गौमूत्र 3 से 4 दिन सुबह-सुबह खाली पेट पियें, बिल्कुल ठीक हो जायेगी।

16. पित्त के सभी रोगों के लिए गौमूत्र जब भी पियें, उन समयों में घी (देशी गाय का) का सेवन खाने में अधिक करें। पित्त के रोगी गौमूत्र का इस्तेमाल पानी बराबर मात्रा में मिलाकर करें जैसे एसिडिटी, हाईपर एसिडिटी, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, पेट में घाव हो गया आदि के लिए।

17. गौमूत्र की मालिश करने से त्वचा के सफेद धब्बे सब चले जायेंगे। खाज, खुजली एग्जिमा थोड़ा गौमूत्र रोज मालिश करें सब ठीक हो जायेगा।

18. आँखों के नीचे काले धब्बे हैं। गौमूत्र रोज सुबह-सुबह लगाएं, काले धब्बे चले जायेंगे। गौमूत्र नहीं मिले तो गौमूत्र का अर्क ले सकते हैं। अर्क 1 चम्मच से अधिक नहीं लेना चाहिए। अर्क को ऑख में डालने के लिए प्रयोग न करें।

19. कैंसर ठीक करने वाला तत्व करक्युमिन हल्दी के साथ-साथ गौमूत्र में भी भरपूर मात्रा में होता है। गौमूत्र ताजा पीना चाहिए, 48 मिनट के अन्दर गौमूत्र बोतल में भरकर 4-5 दिन तक रख सकते हैं। बोतल काँच का होना चाहिए।

20. गाय जो साफ-सुथरे वातावरण में रहती हो, अच्छा चारा खाती हो और नियमितन रूप से घुमने के लिए जाती है, उसका मूत्र जरूर पियें वो सबसे ज्यादा लाभकारी होगा। यदि ऐसी गाय का अभाव हो तो बिना संकोच के किसी भी देशी गाय का गौमूत्र ले लें। ऐसा मूत्र नुकसान नहीं करेगा जब भी कुछ करेगा फायदा ही करेगा।

अब तक के सारे शोध यही बताते हैं कि देशी गाय के गौमूत्र का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। गौमूत्र अधिक पी लेने पर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है। अर्थात् किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचता है। इसमें सिर्फ इतनी बात ध्यान में रखनी है कि गाय देशी हो और गाय गर्भवती न हो, गाय बीमार न हो ।

21. गौमूत्र में गेंदे के फूल की चटनी बनाकर उबालकर थोड़ा हल्दी डालकर कैंसर के केस में बहुत ही तेजी से लाभ मिलता है।

22. हैपेटाइटिस परिवार (A, B, c, D, E, F) की बीमारियाँ जिसे ज्चाइन्डिस के नाम से या पीलिया के नाम से हम जानते हैं, ये सारी बीमारियाँ गौमूत्र से ठीक होती हैं।

 
23. वात और कफ के रोगी बिना कुछ मिलाये गौमूत्र का सेवन कर सकते हैं जैसे दमा, अस्थमा, सर्दी, खांसी आदि।

24. 18 वर्ष से अधिक की स्थिति में गौमूत्र की मात्रा 1/2 कप (50 ग्राम) और 18 वर्ष से कम की स्थिति में 25 ग्राम। गौमूत्र पीने का सर्वोत्तम समय सुबह-सुबह निराआहार अर्थात् खाली पेट, कुछ भी खाने के 1 घंटे पहले । जो बीमारी जितने समय में आती है, उतने समय में ही जाती है। अतः लंबी और गंभीर बीमारियों की स्थिति में गौमूत्र कम से कम 3 महीना लेना चाहिए और छोटी बीमारियों की स्थिति में 2 हफ्ते से 1 महीने तक गौमूत्र लेना चाहिए।

25. सर्दी, खाँसी, जुकाम, डायरिया डिसेन्ट्री, कान्स्टीपेशन जैसी बीमारियाँ 2-3 दिन में मिट जाती हैं। 8 महीने से अधिक लेने की स्थिति में हर 8 महीने के बाद 15 दिन से 20 दिन का अन्तर रखना आवश्यक है। ऐसा इसलिए करना चाहिए कि भविष्य में इसकी आदत न लगे ।

26. गोबर और गौमूत्र का उपयोग दोनों तरह से अच्छा होता है, आन्तरिक और बाहरी । बाहरी स्थिति में दाद, खाज, खुजली, दाग, धब्बे आदि की स्थिति में, गौमूत्र लगाने के बाद 10 से 15 मिनट सूर्य की रोशनी में छोड़ने के बाद धो देना चाहिए।

27. गाय का मूत्र जीवराशि रहित है इसलिए जैन लोग भी इसका सेवन कर सकते हैं। जैने लोग गौमूत्र के स्थान पर गौ अर्क का उपभोग कर सकते हैं। जैन लोग गोबर का इस्तेमाल न करें। गौमूत्र अर्क का सेवन 1 चम्मच से 2 चम्मच करें। चाहें तो 1/2 कप गुनगने पानी में मिलाकर भी ले सकते हैं। गौमूत्र यदि 2-3 दिन पुराना है तो उसमें जरूर पानी मिलायें।


मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

श्री हनुमानजी पूजन की प्राचीन वैदिक विधि

श्री हनुमानजी पूजन की प्राचीन वैदिक विधि

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सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री हनुमानजी पूजन का कलयुग मैं अत्यंत ही महत्त्व है। श्री हनुमानजी शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले एवं फल देने वाले भगवानो में से एक हैं | यदि कोई साधक सच्ची श्रद्धा से मंगलवार के दिन श्री हनुमानजी का पूजा विधि विधान पूर्वक करे तो निःसंदेह श्री हनुमानजी शीघ्र ही साधक के समस्त कष्ट व विघ्न हर कर साधक का जीवन सुख - समृद्धि धन - धान्य से भर देते हैं।
 
पूजन प्रारम्भ करने से पूर्व निम्नवत दी जा रही आवश्यक पूजन सामग्री का संग्रह सुनिश्चित कर लें :-

• लाल कपडा/लंगोट
• जल कलश
• गंगाजल
• अक्षत ( साबुत चावल )
• लाल पुष्प
• लाल पुष्पों का हार
• पंचामृत
• जनेऊ
• सिन्दूर
• चांदी का वर्क
• भुने चने
• गुड़
• बनारसी पान का बीड़ा
• तुलसी के पत्ते
• इत्र
• सरसो का तेल
• चमेली का तेल
• घी
• दीपक
• धूप
• अगरबत्ती
• कपूर
• नारियल
• केले
 
हनुमान जी की पूजन विधि 
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यूँ तो पूजन आरम्भ विधि लम्बी है व सामान्य साधक के लिए सरल नहीं है किन्तु यहां हम पूजन विधि का सरलतम रूप प्रस्तुत कर रहे हैं।

हनुमानजी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। एक घी का एवं एक सरसो के तेल का दीपक जलाये, अगरबत्ती एवं धूपबत्ती जलाये।
 
पवित्रीकरण 
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साधक बाएं हाथ में जल लेकर उसे दाहिने हाथ से ढक लें एवं मन्त्रोच्चारण के साथ जल को सिर तथा शरीर पर छिड़क लें। पवित्रता की भावना करें।

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः ॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।।
 
सकंल्प :
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पूजन प्रारम्भ करने से पूर्व सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों में जल, पुष्प एवं अक्षत ( साबुत चावल ) लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस स्थान और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें।
 
संकल्प का उदाहरण 
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जैसे 23/04/2024को श्री हनुमान का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें। मैं ( अपना नाम बोलें ) ( अपना गोत्र बोलें ) भारत देश के ( पूजन के स्थान का पूरा पता बोलें ) विक्रम संवत् 2081 को, ( हिंदी मास का नाम बोलें ) के ( तिथि का नाम बोलें ) को, ( दिवस का नाम बोलें ) को, ( नक्षत्र का नाम बोलें ) में, मैं (मनोकामना बोलें ) इस मनोकामना से श्री हनुमानजी का पूजन कर रहा हूं। अब हाथों में लिए गए जल, पुष्प एवं अक्षत को जमीन पर छोड़ दें।
सर्वप्रथम गणेश जी का स्मरण करें व धूप दीप दिखाएं । कलश जी का स्मरण करें व धूप दीप दिखाएं ।
 
ध्यान :
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तत्पश्चात अपने दाहिने हाथ में अक्षत ( साबुत चावल ) व लाल पुष्प लेकर इस मंत्र से हनुमानजी का ध्यान करें -
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
 
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।
इसके बाद हाथ में लिए हुए अक्षत एवं पुष्प श्री हनुमानजी को अर्पित कर दें।
 
आवाह्न :
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तत्पश्चात हाथ में कुछ पुष्प लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी का आवाह्न करें -
उद्यत्कोट्यर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारकम्।
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठं सुग्रीवप्रमुखार्चितम्।।
विन्नासयन्तं नादेन राक्षसान् मारुतिं भजेत्।।
ऊँ हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।
 
अब हाथ में लिए हुए पुष्प श्री हनुमानजी को अर्पित कर दें।
 
आसन :
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श्री हनुमानजी का आवाह्न करने के पश्चात उनको आसन अर्पित करने हेतु कमल अथवा गुलाब का लाल पुष्प अर्पित करें। आसन प्रदान करने के लिए अक्षत का भी उपयोग किया जा सकता हो | इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी को आसन अर्पित करें -

तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।।
 
आसन अर्पित करने के पश्चात इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी के सम्मुख किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें।

ऊँ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।।
 
स्नान एवं श्रृंगार :
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अब सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर मूर्ति पर लेप करे। लेप पाँव से शुरू कर सर तक ले जाएँ, चांदी का वर्क मूर्ति पर लगाए, अब हनुमान जी को लाल लंगोट पहनाये, इत्र छिड़के, हनुमानजी के सर पर अक्षत सहित तिलक लगाए, लाल गुलाब और माला हनुमान जी को चढ़ाये, भुने चने एवं गुड़ का नैवेद्य लगाए, नैवेद्य पर तुलसी पत्र अवश्य रखे, केले चढ़ाये, हनुमान जी को बनारसी पान का बीड़ा अर्पित करे, इसके बाद हनुमानजी को इत्र, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, पुष्प व पुष्प हार अर्पित करें।

श्री हनुमानजी के स्नान एवं श्रृंगार के समय "ऊँ ऐं हनुमते रामदूताय नमः" मंत्र का जप करते रहें। श्रृंगार के समय चोला चढ़ाने की विधि नीचे दी जा रही है।

हनुमान जी को चोला चढ़ाने की विधि और लाभ
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हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लाभ
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श्री हनुमान जी को चोला चढाने से साधक को श्री हनुमान जी कृपा प्राप्त होती हैं ! ऐसा करने से श्री हनुमान जी प्रसन्न होते हैं ! हनुमान जी को चोला चढ़ाने से जातक के उपाय चल रही शनि की साढ़े साती, ढैया, दशा या अंतरदशा या राहू या केतु की दशा या अंतरदशा में हो रहे कष्ट समाप्त हो जाते हैं। साथ ही साधक के संकट और रोग दूर हो जाते हैं ! जातक की दीर्घायु होती है।

यह तो आप सब जानते है की भगवान श्री हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार हैं ! हमारे हिन्दू धर्म में सिंदूर का महत्व बताया गया हैं ! ऐसे ही हमारे हिन्दू धर्म में की भी मान्यता हैं ! साधक श्री हनुमान जी को ख़ास कर सिंदूर का चोला चढाने से श्री राम जी की भी कृपा प्राप्त होती हैं यह आपको रामायण में वर्णित मिल जायेगा।

इस लेख को पढ़ने के बाद आप हनुमान जी चोला चढ़ाने में आगे से कोई भी गलती नही होगी। 

हनुमान जी को चोला चढ़ाने की सामग्री 
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हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लिए श्री हनुमान जी वाला सिंदूर, गाय का घी या चमेली का तेल, शुद्ध गंगाजल मिश्रित जल, चांदी या सोने का वर्क या माली पन्ना (चमकीला कागज), धुप व् दीप , श्री हनुमान चालीसा।

चोला चढ़ाने की विधि
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हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले पुराना चोला उतारकर साफ़ गंगाजल से मिश्रित जल से स्नान करना चाहिये। स्नान के बाद प्रतिमा को साफ कपड़े से पोछने के बाद सिंदूर में घी या चमेली का तेल मिलाकर गाढ़ा लेप बना ले इसके बाद सीधे हाथ से हनुमान जी के सर से आरम्भ करके सम्पूर्ण शरीर पर लेपन करें।

सावधानियां
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श्री हनुमान जी को चोला मंगलवार, शनिवार या विशेष पर्व जैसे की श्री हनुमान जंयती, रामनवमी, दीपवाली, व् होली के दिन चढ़ा सकते है ! इसके अलावा अन्य दिन चढ़ाना निषेध माना गया हैं !

श्री हनुमान जी के लिए लगाने वाला सिंदूर सवा के हिसाब से लगाना चाहिए ! जैसे की सवा पाव ,सवा किलो आदि ।

सिंदूर में मंगलवार के दिन देसी गाय का घी एवं शनिवार के दिन केवल चमेली के तेल का ही प्रयोग करना चाहिए। 

हनुमान जी को चोला चढ़ाने के समय साधक को पवित्र यानी साफ़ लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए !

श्री हनुमान जी चोला चढाते समय सिंदूर में गाय का घी या चमेली का तेल ही मिलाना चाहिए !

हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले पुराने छोले को उतारा जरुर चाहिए और उसके बाद उस चोले को बहते हुए जल में बहा देना चाहिए !

श्री हनुमान जी की प्रतिमा पर चोला का लेपन अच्‍छी तरह मलकर, रगड़कर चढ़ाना चाहिए उसके बाद चांदी या सोने का वर्क चढ़ाना चाहिए !

चोला चढ़ाते समय दिए गये मंत्र का जाप करते रहना चाहिए ! 

हनुमान जी को चोला चढ़ाने का मन्त्र 
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सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये । भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम ।।

श्री हनुमान जी को स्त्री द्वारा चोला नही चढ़ाना चाहिए और ना ही चोला चढ़ाते समय स्त्री मंदिर में होनी चाहिए !

हनुमान जी को चोला चढ़ाने के समय साधक की श्वास प्रतिमा पर नही लगनी चाहिए !

श्री हनुमान जी को चोला सृष्टि क्रम ( पैरों से मस्तक तक चढ़ाने में देवता सौम्य रहते हैं ) में चढ़ाना चाहिए ! संहार क्रम ( मस्तक से पैरों तक चढ़ाने में देवता उग्र हो जाते हैं ) ! यदि आपको कोई मनोकामना पूरी करनी है तो पहले उग्र क्रम से चढ़ाये मनोकामना पूरी होने के बाद सोम्य क्रम में चढ़ाये ! चोला चढ़ाने के बाद हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाकर नीचे दिए क्रम से धूप दीप के बाद क्षमा याचना करें।
 
धूप-दीप :
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अब इस मंत्र के साथ हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं -

साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।।
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।

ऊँ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।।
 
पूजन वंदन :
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इसके पश्चात एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर 11 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करे व अंत में श्री हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार पूजन करने से हनुमानजी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
 
क्षमा याचना :
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श्री हनुमानजी पूजन के पश्चात अज्ञानतावश पूजन में कुछ कमी रह जाने या गलतियों के लिए भगवान् श्री हनुमानजी के सामने हाथ जोड़कर निम्नलिखित मंत्र का जप करते हुए 
क्षमा याचना करे।

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं l यत पूजितं मया देव, परिपूर्ण तदस्त्वैमेव ल
आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनं l पूजा चैव न जानामि, क्षमस्व परमेश्वरं l
 
नोट👉 यदि साधक मंदिर में श्री हनुमानजी का पूजन कर रहे हों तब ऐसी स्थिति में संकल्प करने के पश्चात श्री हनुमानजी को स्नान करा उनका श्रृंगार करें। मंदिर में चूंकि समस्त देवी - देवताओं की मूर्ती उनका आवाह्न, पूर्ण प्राण प्रतिष्ठा एवं पूजन अर्चन कर ही स्थापित की जाती हैं, अतः बार बार इनका आवाह्न अथवा आसान अर्पित करने अथव प्राण प्रतिष्ठा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
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सोमवार, 22 अप्रैल 2024

यूँ ही आमों का राजा नहीं बना ‘लंगड़ा’, हर आम के पीछे है एक खास कहानी, जानिए कैसे पड़ा ये अनोखा नाम?

 यूँ ही आमों का राजा नहीं बना ‘लंगड़ा’, हर आम के पीछे है एक खास कहानी, जानिए कैसे पड़ा ये अनोखा नाम? 
फलों का राजा आम हर किसी के जुबान का राजा माना जाता है। अप्रैल महीने के दस्तक देते ही आम का सीजन भी करवट लेता है, जिसके बाद बाजारों में आम खास हो जाता है। बनारस का फेमस ‘लंगड़ा आम’ विदेशों में भी अब धूम मचाने को तैयार है। इस लंगड़े आम को GI टैगिंग मिल चुकी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंगड़ा आम, ‘लंगड़ा’ क्यों कहा जाता है?
लंगड़े आम की कहानी को समझने के लिए हमें 300 साल पीछे जाना पड़ेगा, तो आइए पलटते हैं 18वीं सदी के उन पन्नों को जिस वक्त काशी नरेश का राज हुआ करता था। कहा जाता है कि काशी नरेश के राज में एक शिव मंदिर में एक साधु महाराज दो पौधे लेकर पहुंचे। यहां उनकी मुलाकात मंदिर के पुजारी से हुई। साधु ने मंदिर परिसर में ही दोनों पौधों को लगाया। वक्त बीतने के साथ ही पौधे, पेड़ में बदल गए। उसमें आम भी लग आए। साधु ने आम को तोड़कर भगवान शिव के चरणों में काटकर चढ़ाया और गुठलियों को जला दिया।
भोलेनाथ ने चखा था पहला स्वाद
साधु 4 साल तक मंदिर में यही प्रक्रिया अपनाता रहा। आम काटकर भोलेनाथ को चढ़ाता, उसके बाद प्रसाद भक्तों में बांट देता। एक दिन अचानक साधु ने पुजारी को अपने पास बुलाया और कहा कि मंदिर में आने का उसका लक्ष्य पूरा हो चुका है। अब आगे से भोलेनाथ को आम का भोग लगाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है। ध्यान रहे इसकी गुठलियां या कलम किसी के हाथ न लगे।
पुजारी ने साधु की बात का पूरा ख्याल रखा। वो कई सालों तक आम को काटकर भगवान के सामने चढ़ाता रहा और मंदिर के भक्तों को भी प्रसाद के रूप में देता रहा। लेकिन जो भी प्रसाद में आम खाता वो इसके स्वाद का दीवाना हो जाता। धीरे-धीरे पूरे बनारस में मंदिर वाले आम की चर्चा होने लगी। कई लोगों ने पुजारी से आम की गुठली मांगी ताकि वे पेड़ लगा सकें। लेकिन पुजारी ने किसी को भी गुठलियां नहीं दी। पूरे काशी में इस स्वादिष्ट प्रसाद के चर्चे होने लगे। यह बात काशी नरेश महाराजा प्रभु नारायण सिंह बहादुर तक पहुंच गई।
एक दिन पुजारी से मिलने काशी नरेश खुद मंदिर पहुंच गए। यहां उन्होंने पहले भोलेनाथ के स्वादिष्ट प्रसाद आम का स्वाद लिया। काशी नरेश ने पुजारी से आग्रह किया कि वे आम की कलम राज्य के प्रधान माली को दे दें, ताकि वो महल के बगीचे में इन्हें लगा सकें। लेकिन पुजारी को साधु की बात याद आ गई। पुजारी ने कहा कि वो भगवान शिव से प्रार्थना करेंगे और उनके निर्देश पर महल आकर आम की कलम महल के माली को दे देंगे। रात को पुजारी के सपने में भगवान शिव आए और उन्होंने आम की कलम राजा को देने के लिए कहा।
दूसरे दिन पुजारी आम के प्रसाद को लेकर राजमहल पहुंचा। उन्होंने राजा को आम की कलम भी सौंप दी। काशी नरेश ने माली के साथ जाकर बगीचे में पेड़ों की कलमें लगाईं। कुछ ही सालों में ये पेड़ बन गए। धीरे-धीरे पूरे रामनगर में आम के कई पेड़ हो गए। इसके बाद बनारस से बाहर भी आम की फसल होने लगी और अब ये देशभर में सबसे पॉपुलर आम की वैरायटी है।
तो ऐसे पड़ा आम का नाम लंगड़ा
लंगड़ा आम की कहानी तो आपको पता चल गई , लेकिन अब सोच रहे होंगे कि इसका नाम कैसे पड़ा। दरअसल, साधु ने जिस पुजारी को आम के पेड़ों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी वो दिव्यांग था। उन्हें सब 'लंगड़ा पुजारी' के नाम से जानते थे। इसलिए आम की इस किस्म का नाम भी 'लंगड़ा आम' पड़ गया। आज भी इसे लंगड़ा आम या बनारसी लंगड़ा आम कहा जाता है।

मत इसलिए देना है ताकि हमारा देश हमारा ही रहे। अपना देश रहेगा तभी हम रहेंगे।

मत इसलिए देना है ताकि हमारा देश हमारा ही रहे, अपना देश रहेगा तभी हम रहेंगे।
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ईसा की पांचवी सदी में शाही राजा खिंगल ने अफगानिस्तान के गर्देज स्थान पर महाविनायक की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी।

समय के साथ सभ्यता के ऊपर धूल चढ़ती गई और महाविनायक की प्रतिमा मिट्टी में कहीं दब गई।

युगों बाद खुदाई में जब वह प्रतिमा मिली तो उसे काबुल में ‘दरगाह पीर रतन नाथ’ के पास स्थापित किया गया। दरगाह पीर रतन नाथ की कहानी किसी दूसरे दिन सुनाएंगे। आज कहानी महाविनायक की।

दो वर्ष पूर्व बिहार का एक युवक अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास में नौकरी करने पहुँचा। स्वयं को यायावर कहने वाले उस युवक को अफगानिस्तान के प्राचीन महाविनायक के सम्बंध में पता था, सो वे महाविनायक के चिन्ह खोजने निकले।

पर अफगानिस्तान में सनातन के चिह्न जितने ही सुलभ हैं, उन्हें खोज लेना उतना ही दुर्लभ। कई दिनों नहीं, कई महीनों के बाद उन्हें पीर रतन नाथ दरगाह का पता चला तो वे एक दिन पहुंचे।

पहुंचे तो एक ऐसा घर मिला जिसे भारत में मंदिर नहीं कह सकते। उस मंदिर में प्रतिमा स्थापित नहीं थी, बस रामायण महाभारत और गीता आदि पुस्तकें रखी हुई थीं।

युवक ने सेवादार से जब महाविनायक की प्रतिमा के बारे में पूछा तो बुजुर्ग सेवादार आश्चर्य में डूब गया। क्या कोई दूर देश से मात्र एक प्रतिमा के लिए आया है? कौन है यह?

भावुक हो चुके सेवादार ने एक बन्द कमरे में रखी महाविनायक की प्रतिमा दिखाई…

युगों बाद किसी ने श्रद्धा से महाविनायक को देखा, युगों बाद महाविनायक की प्रतिमा ने अपने किसी श्रद्धालु को वात्सल्य की दृष्टि से देखा। उस दिन, युगों बाद किसी ने अभिशप्त महाविनायक के चरणों में प्रणाम किया, प्रतिमा पोंछी और बीस रुपये वाले माला से उनका श्रृंगार किया।

जानते हैं, ढाई हज़ार वर्ष पूर्व अफगानिस्तान के हर कण्ठ से वेदमन्त्र उच्चारित होते थे, गलियों में यज्ञध्रूम की सुगन्ध पसरी रहती थी। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की अवधारणा को जन्म देने वाली उस पुण्य भूमि पर सौ वर्ष पूर्व तक सनातन धर्म पूरी प्रतिष्ठा के साथ खड़ा था।

पर आज का सत्य यह है कि अफगानिस्तान से महाविनायक पर लेख लिख कर जब उस युवक ने भारत भेजा तो पत्रिका के सम्पादक ने भय के मारे लेख में उनका नाम तक नहीं जोड़ा, कि कहीं उन्हें अफगानिस्तान में इसका दण्ड न भोगना पड़े।

सभ्यताओं के चिह्न कैसे मरते हैं देखेंगे?

काबुल में एक अत्यंत प्राचीन तीर्थस्थल है ‘आशा माई’। पश्तो प्रभाव के कारण वहां के लोग उस स्थान को ‘कोही आस्माई’ कहते थे, मतलब आशामाई की पहाड़ी। बीस वर्ष पूर्व सरकार ने उस पहाड़ी पर टेलीविज़न का टावर लगा दिया, लोग धीरे धीरे उस स्थान को “कोही टेलीविजन” कहने लगे। आशामाई का नाम मिट गया।

काबुल में ही एक सड़क थी, देवगनाना रोड। देवगनाना संस्कृत के ‘देवगणानाम’ का अपभ्रंश है। अब उस सड़क का नाम है, दे-अफ़ग़ान रोड। सभ्यता के चिह्न ऐसे मरते हैं।

   
देश में लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है। मत देना हमारा कर्तव्य भी है, और हमारी आवश्यकता भी। अपने घरों से निकलिए, और मत देते समय इतना अवश्य याद रखिए कि अब हमारे पास धरती का यही एक टुकड़ा है जहाँ हम अपनी परम्पराओं को निभा सकते हैं, महाविनायक की अर्चना कर सकते हैं।

ऐसा ना हो कि सौ-पचास वर्षों बाद किसी दूसरे ललित कुमार को इसी तरह दिल्ली, आगरा, मथुरा या कानपुर में अपने चिह्न खोजने आना पड़े। यकीन मानिए 200 वर्ष पहले काबुल के हिंदुओं ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा कि 200 वर्ष बाद हमारा कोई बच्चा जब काबुल आएगा तो उसे अपने पूर्वजों के चिह्न इस दशा में मिलेंगे। 1946 ईस्वी तक सिंध के लोगों ने यह नहीं सोचा होगा कि पचास वर्ष बाद ही उनसे उनकी संपत्ति, उनका धर्म, उनकी बेटियां, उनके बेटे सबकुछ छीन लिए जाएंगे।

हम सभ्यताओं के युद्ध में जी रहे हैं। हमको छोड़कर हर सभ्यता हमारी परम्पराओं को अपराध और हराम बताती है, और मूर्ति तथा मूर्तिपूजकों की समाप्ति को ही अपना परम् उद्देश्य मानती है। उनकी तलवार हमारी गर्दन पर है… यही है हमारा आज का सत्य।

मैं यह नहीं कह रहा कि आप फलाँ दल को वोट दीजिये। मैं क्यों कहूँ? मैं बस यह कह रहा हूँ कि मत देते समय ध्यान रखिये कि मत अपने देश के लिए देना है।


मत इसलिए देना है ताकि देश में फिर कोई हत्यारा गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबज़ादों को दीवाल में न चुनवा सके।

मत इसलिए देना है ताकि फिर किसी बिरसा मुंडा को अपनी संस्कृति के लिए प्राण न देना पड़े।

मत इसलिए देना है ताकि फिर किसी पद्मावती को अग्नि में न उतरना पड़े।

मत इसलिए देना है ताकि अयोध्या, मथुरा, काशी, कांची, पुरी, अवंतिका बनी रहे।

मत इसलिए देना है ताकि हज़ार वर्षों बाद भी जब हमारा कोई बेटा इस मिट्टी को सूँघे तो उसे इस मिट्टी में हमारी गन्ध मिल सके।

मत इसलिए देना है ताकि हमारा देश हमारा ही रहे। अपना देश रहेगा तभी हम रहेंगे।

एकता कपूर - भारतीय संस्कृति के लिए घातक, ऐसे लोग हमारे समाज के लिए कैंसर है।

एकता कपूर

यह हमेशा महिला प्रधान, सास ननद वाली , पुरुषों को कमतर दिखाने वाली तथा बेबुनियादी धार्मिक धारावाहिक बनाती है।

धार्मिक सीरियल में यह धर्म ग्रन्थ, पोशाक तथा संवाद के साथ छेड़ - छाड़ करने क़ी कोशिश करती है।

जहाँ ना भी जरूरी हो वहाँ भी नारीसशक्तिकरण घुसेड़ने क़ी जबरदस्ती कोशिश करती है।

अरे भई तुम सास ननद वाले धारावाहिकों में महिला सशक्तिकरण दिखाओ न। किसने मना किया है...?

परन्तु धर्म ग्रन्थ में जो है वही रहने दो...।

कभी महिलाओं को धार्मिक सीरियल में रोमन कपड़े पहना देती हो तो कभी शिव तथा कृष्ण को पार्वती तथा राधा के पैर दबाते दिखाती हो।

मर्दों को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती हो।

मैंने पूरा शिव पुराण, विष्णु पुराण, वाल्मीकि रामायण, गीता व महाभारत पढ़ा है..। कहीं भी शिव को पार्वती का, विष्णु को लक्ष्मी का या फिर कृष्ण को राधा का पैर दबाने का जिक्र नहीं है.....।

पहले के ज़माने में जब किसी महिला का पैर धोखे से भी पति को लग जाता तो वो महिला उसे पाप मानती थी।

मेरे घर में यही परम्परा आज भी है...।

फिर इसने सीरियल में आधुनिकता क्यों घुसाया?

इसने गंदी वेबसीरीज भी बनाई।

✍️ वेबसीरीज के अश्लीलता पर बवाल होने पर इसने कहा क़ी लोग ब्लू फ़िल्में देखते हैं कि नहीं?

अरे मुर्ख औरत! वेबसीरीज और पॉर्न में अंतर नहीं है।

वेबसीरीज खुले प्लेटफार्म पर मिलता है परन्तु पॉर्न नहीं।

वेबसीरीज बच्चे भी देख लेते हैं पर पॉर्न.....।

और वैसे भी यदि कोई अपनी पत्नी के साथ कमरे के भीतर संसर्ग कर रहा है तो क्या वह खुले सड़क पर भी कर लेगा...।

क्योंकि दोनों तो सम्भोग ही हुआ???

गलती इसकी नहीं गलती हमारी है जो हम इन जैसों को सिर पे चढ़ा लेते हैं।

और सबसे बड़ी गलती है सेंसर बोर्ड क़ी। और उससे बड़ी गलती हम इन अवांछित धारावाहिकों को देख कर करते हैं| यदि आज इसे लोग देखना बंद कर दे तो ये कल से बनना भी बंद हो जायेंगे |

ऐसे लोग हमारे समाज के लिए कैंसर है।



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