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सोमवार, 1 जुलाई 2024

अपना आयकर रिटर्न भरने के लिए करे सही फार्म का चुनाव

 अपना आयकर रिटर्न भरने के लिए करे सही फार्म का चुनाव


वैयक्तिक करदाता को अपनी आय के प्रकार और आवासीय स्थिति के आधार पर ITR फॉर्म (इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म) चुनना जरूरी है। ITR फॉर्म एक ऐसा दस्तावेज है जो इनकम टैक्स विभाग को आय की रिपोर्ट करने और टैक्स दाखिल करने की सुविधा प्रदान करता है।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ITR दाखिल करने के लिए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस साल अप्रैल में सात फॉर्म जारी किए हैं। ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6 और ITR-7 जिनके जरिये टैक्सपेयर्स आईटीआर फाइल कर सकते हैं। टैक्सपेयर्स को नियत तारीख पर या उससे पहले उनके लिए लागू ITR फॉर्म के जरिये टैक्स रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। विभिन्न ITR फॉर्म व्यक्तियों के आय स्रोतों, टैक्स योग्य आय और टैक्सपेयर्स की श्रेणी, जैसे व्यक्ति, HUF, कंपनियां, आदि द्वारा तय की जाती है।

आपको कौन सा ITR फॉर्म भरना चाहिए?

इनकम टैक्स विभाग ने 7 ITR फॉर्म अधिसूचित किए हैं और अक्सर टैक्सपेयर्स भ्रमित हो जाते हैं कि उनके लिए कौन सा ITR फॉर्म उपयुक्त है। यहां हम ITR फॉर्म 1 से फॉर्म 4 पर बात करेंगे। जो आम लोगों द्वारा फाइल किया जाता है। कौन इसके लिए पात्र हैं।
ITR-1 (सहज):
पात्रता : ITR-1 ऐसे निवासी और सामान्य निवासी द्वारा दाखिल किया जा सकता है, जिनकी निम्नलिखित स्रोतों से कुल आय 50 लाख रुपए तक है। इसमें वेतन या पेंशन से आय, एक घर की संपत्ति से आय और अन्य स्रोतों से आय।

ITR-1 (सहज): कौन नहीं है पात्र
आईटीआर-1 का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है, जिसके पास भारत के बाहर स्थित कोई संपत्ति (किसी इकाई में वित्तीय हित सहित) है,भारत के बाहर किसी स्रोत से आय है, जिसके पास किसी भी आय शीर्षक के तहत कोई आगे लाया गया घाटा या आगे ले जाने योग्य घाटा है, व्यवसाय और पेशे से आय और पूंजीगत लाभ है।

ITR-2:

पात्रता ITR-2 ऐसे व्यक्तियों या HUF द्वारा दाखिल किया जा सकता है जो व्यवसाय या पेशे के लाभ और प्राप्ति के अंतर्गत आय नहीं रखते हैं।

ITR-2: कौन पात्र नहीं है
आईटीआर-1 का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है, जिसकी आय ब्याज, वेतन, बोनस कमीशन या पारिश्रमिक के रूप में हो, चाहे वह किसी भी नाम से पुकारा जाता हो, किसी साझेदारी फर्म से देय हो या उससे प्राप्त हुई हो।

ITR-3

पात्रता ITR-3 उन व्यक्तियों या HUF द्वारा दाखिल किया जा सकता है, जो व्यवसाय या पेशे के लाभ और प्राप्ति शीर्षक के अंतर्गत आय रखते हैं। साझेदारी फर्म से प्राप्त ब्याज, वेतन, बोनस कमीशन या पारिश्रमिक के रूप में आय प्राप्त करते हैं।

ITR-3: कौन पात्र नहीं है
आईटीआर-3 का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है जिसके पास बिजनेस या पेशे के लाभ के अंतर्गत आय नहीं है।

ITR-4
पात्रता ITR-4 उन निवासियों और सामान्य निवासियों के लिए लागू है जिनकी पेशे से कुल आय 50 लाख (निर्दिष्ट मामलों में 75 लाख रुपये) या व्यवसाय से आय 2 करोड़ (निर्दिष्ट मामलों में 3 करोड़ रुपये) तक है, जो इस प्रकार है:-
व्यवसाय से आय जहां ऐसी आय की गणना इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44AD/44AE के अंतर्गत अनुमानित आधार पर की जाती है। पेशे से आय जहां ऐसी आय की गणना इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44ADA के अंतर्गत अनुमानित आधार पर की जाती है। इसमें वेतन या पेंशन से आय, एक घर की संपत्ति से आय, अन्य स्रोतों से आय शामिल है।

ITR-4: कौन पात्र नहीं है
ITR-4 का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है, जिसके पास भारत के बाहर स्थित कोई संपत्ति (किसी इकाई में वित्तीय हित सहित) है। भारत के बाहर किसी स्रोत से आय है। लॉटरी से जीत के रूप में अन्य स्रोतों से आय है। किसी अन्य व्यक्ति के हाथों में स्रोत पर कर कटौती के क्रेडिट का कोई दावा है।

आईटीआर-4 (सुगम) अनिवार्य नहीं है लेकिन टैक्सपेयर द्वारा अनुमानित टैक्स का विकल्प चुनने की स्थिति में इसे दाखिल करना जरूरी है।


खुद भरना चाहे अपना आयकर रिटर्न तो पूरा करे ऐसे प्रोसेस

खुद भरना चाहे अपना आयकर रिटर्न तो पूरा करे ऐसे प्रोसेस


रिटर्न की अनिवार्यता
यदि आप किसी वित्त वर्ष में एक निश्चित राशि से अधिक कमाते हैं, तो उस व्यक्ति को एक तय समय सीमा के भीतर अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है। अगर आपको जितना टैक्स चुकाना चाहिए था, उससे अधिक का भुगतान कर दिया है, तो आईटीआर फाइल करने से आपको टैक्स रिफंड प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।

वेरिफिकेशन जरूरी
आईटीआर इनकम वेरिफिकेशन का एक यूजफुल टूल भी है, जो वीजा, लोन्स और कई सरकारी काम के लिये आवेदन करते समय यूज आता है। रिटर्न फाइल करने के बाद ई वेरिफिकेशन जरूरी है बिना इसके किये आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं होगा

ई-फाइलिंग साइट पर करना होगा रजिस्टर
इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन भरने के लिये सबसे पहले फर्स्ट टाइम टैक्सपेयर्स को ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। आपको ई-फाइलिंग साइट पर रजिस्टर करना होगा। इससे आप पोर्टल की कई टैक्स से जुड़ी सर्विसेस का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिये आपके पास एक वैलिड और एक्टिव पैन, वैलिड मोबाइल नंबर और वैलिड ई-मेल आईडी होनी चाहिए।

इनकम टैक्स पोर्टल पर ई-फाइलिंग के लिये कैसे रजिस्टर करें
स्टेप 1: ई-फाइलिंग पोर्टल होमपेज (https://www.incometax.gov.in/) पर जाएं,

स्टेप 2: रजिस्टर पर "एक करदाता के रूप में पंजीकरण करें" विकल्प के अंतर्गत अपना पैन दर्ज करें और वैलिडेट पर यदि पैन पहले से पंजीकृत है या अमान्य है, तो एक त्रुटि संदेश दिखाई देगा।

स्टेप 3: बेसिक डिटेल पेज पर अपना नाम, जन्म तिथि, लिंग (यदि लागू हो) और आवासीय स्थिति जैसी सभी आवश्यक जानकारी दर्ज करें और फिर जारी रखें

स्टेप 4: एक बार आपके पैन को वैलिडेट कर लेने के बाद व्यक्तिगत करदाताओं को कॉन्टैक्ट डिटेल पेज दिखाई देगा। यहां अपना प्राइमरी मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और पता दर्ज करें।

स्टेप 5: बताए गए प्राइमरी मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर दो अलग-अलग ओटीपी भेजे जाते हैं। मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर प्राप्त अलग-अलग 6 अंकों के ओटीपी दर्ज करें।

स्टेप 6: यदि आवश्यक हो तो पेज में डिटेल एडिट करें और कंफर्म हो जाने पर आगे बढ़े।

स्टेप 7: पासवर्ड सेट करें पेज पर अपने पासवर्ड को सेट करें और कंफर्म करें।

स्टेप 8: जब आप सफलतापूर्वक रजिस्टर हो जाते हैं, तो लॉगिन प्रक्रिया शुरू करने के लिए लॉगिन के लिए आगे बढ़ें।

ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करें और सभी उपलब्ध सेवाओं का उपयोग करने के लिए अपनी प्रोफ़ाइल अपडेट करें। अब आप अपना कर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं या अन्य टैक्स संबंधी सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।

इनकम टैक्स की वेबसाइट पर आपको रिटर्न फाइल करने के लिए मुख्यतः दो प्रकार की प्रक्रिया दे रखी है
Offline
online

दोनों प्रक्रिया में से एक प्रक्रिया चुने

ऑनलाइन फाइल करने पर आपको आपके सारे डेटा पहले से ही भरे हुए मिल जाएंगे और उसको कंफर्म करते हुए आप आगे बढ़कर रिटर्न फाइल कर सकते हैं

ऑफलाइन की स्थिति में इनकम टैक्स वेबसाइट से उस रिटर्न से संबंधित यूटिलिटी डाउनलोड कर उसमें अपना रिटर्न कंप्लीट करें और फिर अपलोड करें

शुक्रवार, 28 जून 2024

आयकर रिटर्न के लिए नई टैक्स प्रणाली श्रेष्ठ या पुरानी.. जानिए

आयकर रिटर्न के लिए नई टैक्स प्रणाली श्रेष्ठ या पुरानी.. जानिए
आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय करदाता के पास दो विकल्‍प होते हैं। इन दो विकल्‍पों को लेकर कई करदाता काफी परेशान होते हैं कि आखिर किस ऑप्शन के जरिये वह ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं।

हम आज आयकर कर व्यवस्था (Tax Regime) के बारे में बात कर रहे हैं। वर्तमान में करदाता के सामने पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) और नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के विकल्प मौजूद हैं। इन दोनों विकल्पों के टैक्स स्लैब में भी काफी अंतर होता है। 

ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री होती है। वहीं, न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इन दोनों रिजीम में टैक्सपेयर आयकर अधिनियम 87A के तहत टैक्स बचा सकते हैं। आइए, जानते हैं कि आपके लिए इन दोनों ऑप्शन में से कौन-सा बेस्ट रहेगा।

*पुरानी कर व्यवस्था में कब देना होता है टैक्स*

अगर किसी करदाता की सालाना इनकम 5 लाख रुपये है तो उसे 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा। दरअसल, पुरानी कर व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। यानी बचे हुए 2.5 लाख रुपये का पर 5 फीसदी की दर से टैक्‍स लगेगा जो कि 12,500 रुपये होता है। हालांकि, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत सरकार इसे माफ कर देती है। 

आयकर अधिनियम के 87A के तहत करदाता 5 लाख तक की इनकम पर टैक्स बचा सकते हैं। अब इसमें भी एक ट्विस्ट है। अगर सालाना इनकम 5 लाख रुपये से 1 रुपये भी ज्यादा होती है तब करदाता को पूरे 2.5 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा और 1 रुपये पर 20 फीसदी का टैक्स देना होगा।

*नई कर व्यवस्था में कब देना होता है टैक्स*

अब न्यू टैक्स रिजीम की बात करें तो इसमें 3 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। ऐसे में अगर करदाता की सालाना इनकम 5 लाख रुपये है तब 3 लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं लगता है और बाकी 2 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा।

इस रिजीम में भी आयकर अधिनियम के 87A धारा के तहत 7.0 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। 

अब अगर टैक्सपेयर की सैलरी 7.5 लाख रुपये से ज्यादा है तब उसे 3 लाख रुपये के बाद की इनकम पर टैक्स देना होगा। इसे ऐसे समझिए कि अगर सालाना इनकम 4,50,001 रुपये है तो 3 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा। बाकी बचे 1,50,001 रुपये पर 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा यानी 15,000 रुपये का कर देना होगा।

*सैलरीड टैक्सपेयर को दोनों ही टैक्स रिजीम में 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी फायदा मिलता है।*

*कितनी अलग है दोनों टैक्स रिजीम*

इनकम के दायरे: 1 अप्रैल 2020 को न्यू टैक्स रिजीम का ऑप्शन सामने आया था। न्यू टैक्स रिजीम में भले ही टैक्स फ्री इनकम का दायरा बढ़ा दिया गया था   पर इसमें निवेश के जरिए टैक्स सेविंग के विकल्‍प नहीं हैं। वहीं पुरानी कर व्यवस्था में टैक्स फ्री इनकम का दायरा कम है, लेकिन कई अन्‍य टैक्स बेनिफिट मिलते हैं।

*टैक्स डिडक्शन:*
 ओल्ड टैक्स रिजीम में आयकर अधिनियम के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है। इसके अलावा भी कई तरह टैक्स बेनिफिट मिलते हैं। यह टैक्स बेनिफिट न्यू टैक्स रिजीम में नहीं मिलते।

*टैक्स रिबेट लिमिट:*
दोनों टैक्स रिजीम में सबसे बड़ा अंतर टैक्स रिबेट का है। पुरानी कर व्यवस्था में 5 लाख रुपये तक टैक्स फ्री होता है, जबकि नई कर व्यवस्था में इसकी लिमिट 7.0 लाख रुपये है। 

*कौन-सी रिजीम है आपके लिए श्रेष्ठ*

हमने यह तो समझ लिया कि इन दोनों रिजीम में कैसे टैक्स का भुगतान होता है और इसमें अंतर क्या है। अब बात आती है कि कौन-सा ऑप्शन बेस्ट है। अगर आपकी सैलरी 7.5 लाख रुपये है तो आप न्यू रिजीम को चुन सकते हैं। वहीं, अगर 7.5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम है और आपने निवेश भी किया हुआ है तब आपको ओल्ड टैक्स रिजीम सेलेक्ट करनी चाहिए।

आपको कितना टैक्स देना है इसको लेकर कन्फ्यूज हैं तब आप आयकर विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद टैक्स कैलकुलेटर (Tax Calculator) का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें आप जान पाएंगे कि आपको किस रिजीम में कितना टैक्स देना होगा। आप चाहें तो इसके लिए CA की मदद भी ले सकते हैं।

बुधवार, 26 जून 2024

आमदनी कर योग्य नही है या टैक्स नही कटा तो भी आयकर रिटर्न भरना है फायदेमंद

📌 *आमदनी कर योग्य नही है या टैक्स नही कटा तो भी आयकर रिटर्न भरना है फायदेमंद*


यदि आपकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से कम है और उम्र 60 साल से कम, तो आपको देश के आयकर कानून के तहत कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। ऐसे लोगों के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना भी जरूरी नहीं है।

ऐसा इसलिए क्योंकि 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए बेसिक एग्जम्पशन लिमिट 2.5 लाख रुपये सालाना है। 

दरअसल, भारत में आपके या किसी भी व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स भरना जरूरी है या नहीं, यह बेसिक एग्जम्पशन लिमिट के आधार पर तय होता है, जो आपकी उम्र और सालाना आमदनी के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। 

आमतौर पर बेसिक एग्जम्पशन लिमिट से कम आमदनी होने पर आईटीआर भरना जरूरी नहीं होता है। 

नई और ओल्ड टैक्स रिजीम में यह लिमिट अलग-अलग है।

*ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट*

अगर आपने ओल्ड टैक्स रिजीम को चुना है, तो उम्र के हिसाब से बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट इस तरह होगी:

60 साल से कम उम्र के व्यक्ति : 2.5 लाख रुपये
वरिष्ठ नागरिक (60 से 80 साल की उम्र) : 3 लाख रुपये
सुपर सीनियर सिटीजन (80 साल से अधिक) : 5 लाख रुपये
पुरानी टैक्स रिजीम से अलग न्यू टैक्स रिजीम में कंपनियों और फर्मों को छोड़कर बाकी सभी लोगों के लिए 3 लाख रुपये की एक जैसी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट तय है।।

*इन मामलों में भी जरूरी है ITR भरना*

आमतौर पर आपके लिए आईटीआर दाखिल करना तभी अनिवार्य होता है, जब आपकी कुल सालाना आय बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से ज्यादा हो। लेकिन सालाना आय इस लिमिट से कम होने पर भी जिन लोगों की आमदनी का जरिया कैपिटल गेन यानी पूंजीगत लाभ है या उन्हें विदेशी संपत्तियों से आय होती है, उनके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी हो सकता है।

*नील टैक्स रिटर्न फाइल करने के फायदे*

जिन लोगों के लिए किसी भी टैक्स रिजीम के तहत आयकर रिटर्न भरना जरूरी नहीं है, वे भी अगर चाहें, तो अपनी मर्जी से आयकर रिटर्न भर सकते हैं। इस तरह के आयकर रिटर्न को “जीरो रिटर्न” (Zero ITR) या 'निल रिटर्न' (Nil ITR) कहा जाता है। दरअसर जीरो रिटर्न आयकर विभाग को यह बताने का एक तरीका है कि उस वित्तीय वर्ष के दौरान आपकी आमदनी टैक्सेबल नहीं रही है। लेकिन आपको जीरो रिटर्न क्यों दाखिल करना चाहिए? 
क्या इस तरह का जीरो रिटर्न दाखिल करने का कोई फायदा है?।
 दरअसल, आपके लिए ऐसा करना भले ही जरूरी नहीं हो, लेकिन जीरो रिटर्न दाखिल करने के कई फायदे हैं:

1. लोन एप्लीकेशन में एलिजिबिलिटी तय करने के लिए भी आईटीआर की जरूरत पड़ती है। हो सकता है आपको अभी लोन की जरूरत नहीं लग रही हो, लेकिन अगर आगे चलकर आपको कर्ज लेना पड़ा, तो पिछले आयकर रिटर्न के डॉक्युमेंट आपके काफी काम आएंगे।
2. वाहन दुर्घटना के क्लेम को सेटल करने में- यदि किसी आयकर दाता के साथ सड़क दुर्घटना हो जाती है तो उसके फाइनेंशियल लॉस को दावे के रूप में स्वीकार किया जाता है अर्थात वह भविष्य में कितना कमाएगा इसका फैसला उसके पूर्ववर्ती आयकर रिटर्न के आधार पर किया जाता है
3. वीज़ा के लिए आवेदन करते समय आयकर रिटर्न मांगा जा सकता है। ऐसे में अगर आपने जीरो रिटर्न फाइल किया है, तो आपके काम आ सकता है।
4. पासपोर्ट एप्लीकेशन में भी आईटीआर/असेसमेंट ऑर्डर को एड्रेस के वैध प्रमाण के रूप में भी स्वीकार किया जाता है।
5. बैंक आपके डिपॉजिट पर टीडीएस (TDS) काट सकते हैं। अगर आपकी आय टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो भी आपको काटे गए टीडीएस का रिफंड क्लेम करने के लिए आईटीआर दाखिल करना होगा।
6. अगर आपने एडवाइजर या फ्रीलांसर के रूप में काम करते हैं, तो पेमेंट करने वाले भी टीसीएस काट सकते हैं। ऐसे मामलों में भी रिफंड क्लेम करने के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है
7. अगर किसी पिछले साल में आपकी आमदनी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से ज्यादा थी और मौजूदा साल में नहीं है, तो भी आपको इनकम टैक्स विभाग की नजर में अपना स्टेटस क्लियर रखने के लिए रिटर्न फाइल कर देने चाहिए। आयकर विभाग से बाद में रिटर्न फाइल नहीं करने का नोटिस मिलने और उसका जवाब भेजने से जीरो रिटर्न भरना बेहतर है।
8. अगर आपके पास विदेश में कोई संपत्ति, कारोबार या बैंक अकाउंट है, तो भी आपके लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है, भले ही आपकी सालाना आमदनी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से कम हो।
9. अगर आप एक वित्त वर्ष के दौरान हुए कैपिटल लॉस को अगले वित्त वर्ष में कैरी-फॉरवर्ड करना चाहते हैं, ताकि आगे चलकर होने वाले कैपिटल गेन में उसे एडजस्ट कर सकें, तो इसके लिए नियमित रूप से आईटीआर फाइल करना जरूरी है।


मंगलवार, 25 जून 2024

चुना खाने के फायदे.....चूने के गुणों और सेवन के लाभ ....

चूना....
चुना खाने के फायदे.....

चूने के गुणों और सेवन के लाभ .....

- चूना जो पान में लगा के खाया जाता है , उसकी एक डिब्बी ला कर घर में रखे!

- चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है - अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे , जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उन्हें भी इस चूने का सेवन करना चाहिए!

- विद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत अच्छा है जो लम्बाई बढाता है - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के या पानी में मिला के लिया जा सकता है - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छी होती है।

- जिन बच्चों की बुद्धि कम है ऐसे मतिमंद बच्चों के लिए सबसे अच्छी दवा है चूना . जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करता है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे।

- बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । मेनोपौज़ की सभी समस्याओं के लिए गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना चाहिए ।इससे ओस्टीओपोरोसिस होने की संभावना भी नहीं रहती।



◼️गिल्टी (ट्यूमर) .....

चूना और शहद को एक साथ मिलाकर गिल्टी (टयूमर) पर बांधने से गिल्टी (टयूमर) में आराम मिलता है।

◼️चूना और अण्डे की सफेदी मिलाकर कपड़े में रखकर गिल्टी (टयूमर) पर बांधने से लाभ मिलता है।

◼️टीके से होने वाले दोष ....

 चूने को हल्दी में मिलाकर टीका लगी हुई जगह पर लेप करने से टीके का घाव ठीक हो जाता है।

◼️गुल्म (वायु गोला) ....

3 ग्राम कलई चूना की छोटी गोली बनाकर गुड़ में रखकर खाने से गैस का गोला खत्म हो जाता है।

◼️नकसीर (नाक से खून आना) ....

रात को सोने से पहले 400 मिलीलीटर पानी के अन्दर 50 ग्राम चूने को डालकर रख दें। सुबह उठकर इस पानी को छान लें। इस छने हुए पानी को लगभग 25 मिलीलीटर तक रोगी को पिलाने से नकसीर (नाक से खून बहना) बन्द हो जाता है।

◼️उपदंश (सिफलिस) ....

 लगभग 300 मिलीलीटर चूने के पानी में 1.80 मिलीलीटर कपूर का रस मिलाकर उपन्दश की फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।

◼️पेट में दर्द ....

 1 गिलास चूने के पानी में 1 चम्मच सोड़ा बाई-कार्ब डालकर पीने से पेट का दर्द शांत हो जाता है।

◼️गठिया रोग ...

हल्दी, चूना और गुड़ का लेप बनाकर लगातार कई दिन तक मालिश करने से कलाई और जोड़ों का दर्द मिट जाता है।

◼️फोड़े-फुंसियां ...

तेल या घी में पुराने चूने को मिलाकर लेप करने से फोड़े-फुंसीकी सूजन खत्म हो जाती है।

◼️फोड़ों पर चूने के पानी में भिगा हुआ कपड़ा रखने से फोड़े ठीक हो जाते हैं।

◼️दाद ...

पुराना चूना और तिल्ली के तेल को मिलाकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

◼️सफेद दाग होने पर ....

1 चम्मच चूना और 5 ग्राम हरताल को एक साथ पीसकर नींबू के रस में मिलाकर लगभग 2 महीने तक सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।

◼️सिर का दर्द ....

चूना और नौसादर को बारीक करके शीशी में भरकर उसकी डॉट को लगाकर रख दें। सिर में दर्द होने पर इस शीशी की डॉट को खोलकर मिश्रण को सूंघें और सुंघाने के तुरन्त ही रोगी की नाक के पास से इस शीशी को दूर हटा लें। ऐसा करने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।

◼️शुद्ध घी में खाने का चूना मिलाकर सिर पर लेप करने से गर्मी के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

◼️मस्सा और तिल ....

पान के डण्ठल पर चूना लगाकर मस्से की जड़ पर लगाने से सिर्फ 1 ही हफ्ते में मस्सा बिल्कुल साफ हो जाता है।

◼️आग से जलने पर ...

चूने का छना हुआ पानी और उसी के बराबर अलसी का तेल मिलाकर अच्छी तरह साफ कपड़े पर लगा लें। कपड़े को जले हुए भाग पर रखकर बांध दें। इससे जलन कम हो जाती है और जख्म भी ठीक हो जाते हैं।

◼️चूने के पानी और तिल्ली के तेल को कांसे की थाली में फेंटकर रूई से हर 4-4 घंटे के बाद शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से बहुत ज्यादा जला हुआ व्यक्ति भी ठीक हो जाता है और उसके शरीर में जले हुए के सफेद दाग भी नहीं पड़ते हैं।

◼️इस औषधि को अमृत व कैल्शियम की माँ कहा है सिर्फ एक ही इंसान इसका सेवन नही कर सकता जिसे पथरी हो या पथरी होती रहती है

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आइये जाने कैसे जीरा घटाता है वजन....



आइये जाने कैसे जीरा घटाता है वजन....
 
◼️1. दो बड़े चम्मच जीरा रात को एक गिलास पानी में गला दे और सुबह इसे उबालकर चाय की तरह पीये और बचे हुए जीरे को भी चबाले इसका रोजाना सेवन हमारा वजन कम करने में सहायक होता है ।
 

◼️ 2. एक बड़ा चम्म्च दही में यदि हम एक चम्म्च जीरा पाउडर डाल इसका रोजाना सेवन करने से भी हम वजन कम कर सकते है।
 

 ◼️3. 3 ग्राम जीरा पानी में डाल कर मिलाये और थोड़ा शहद डालकर पीयेंं यह दिन में दो बार प्रयोग करना चाहिए। 
 
◼️4. 200 ग्राम मेथी, 100 ग्राम अजवायन, 50 ग्राम काला जीरा गैस पर हल्का सा भून लेंं और पीसकर चूर्ण बनालेंं और रात को सोते समय गरम पानी से ले यह प्रयोग भी वजन कम करने में बहुत सहायक होता है।
 

 ◼️5. जीरा वजन घटाने के साथ-साथ कई प्रकार की बीमारियों से भी बचाता है जैसे कोलेस्ट्रोल (Cholesterol) को रोकता है साथ ही पेट की भी कई समस्योंं को काम करता है जैसे गैस बनना व पेट फूलना आदि।


पुरुषों की हर तरह कमजोरी को जड़ से मिटाने के घरेलु नुस्खे...

पुरुषों की हर तरह कमजोरी को जड़ से मिटाने के घरेलु नुस्खे....


अगर बचपन में की हुयी गलतियों से या अत्यधिक मैथुन से आपका शरीर बहुत कमज़ोर हो गया हैं और आपका वैवाहिक जीवन सही नहीं चल रहा हैं तो कुछ दिन ये घरेलु नुस्खे ज़रूर अपनाये और फर्क देखे। इनसे आपका दुबला पतला शरीर भी शक्तिशाली बनेगा। और ना सिर्फ आपका शरीर सुदृढ़ बनेगा अपितु आपकी वीर्य सम्बंधित सभी समस्याए भी हल होंगी।

◼️◼️उड़द.....

अगर आपकी पाचन क्रिया अच्छी हैं तो उड़द आपके लिए रामबाण हैं। उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है और संभोग शक्ति बढ़ती है।


◼️◼️तालमखाना.....

तालमखाना ज्यादातर धान के खेतों में पाया जाता है इसे लेटिन भाषा में एस्टरकैन्था-लोंगिफोलिया कहते हैं। वीर्य के पतले होने पर, शीघ्रपतन रोग में, स्वप्नदोष होने पर, शुक्राणुओं की कमी होने पर रोजाना सुबह और शाम लगभग 3-3 ग्राम तालमखाना के बीज दूध के साथ लेने से लाभ होता है। इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।


◼️◼️गोखरू.....

गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है।


◼️◼️मूसली.....

मूसली पूरे भारत में पाई जाती है। यह सफेद और काली दो प्रकार की होती है। काली मूसली से ज्यादा गुणकारी सफेद मूसली होती है। यह वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है।

मूसली के चूर्ण को लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम दूध के साथ लेने से वीर्य की बढ़ोत्तरी होती है और शरीर में कामउत्तेजना की वृद्धि होती है।

▪️▪️वीर्य वृद्धि और शुक्राणुओं को बढ़ाने के 4 विशेष प्रयोग....


◼️◼️विशेष प्रयोग – 1....

100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है।


◼️◼️विशेष प्रयोग – 2.....

पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा संभोग करने की ताकत में वृद्धि होती है।


◼️◼️विशेष प्रयोग – 3....

बच्चा पैदा करने के लिए सिर्फ एक बलशाली शुक्राणु की जरूरत होती है, जो स्त्री के अंडाणु से संयोग कर गर्भ में परिवर्तित होता है। वीर्य में शुक्राणुओं की कमी होने या शुक्राणु कमजोर होने पर बच्चे पैदा करने में परेशानी होती है।


◼️◼️विशेष प्रयोग – 4....

इसके लिए शतावरी, गोखरू, बड़ा बीजबंद, बंशलोचन, कबाब चीनी, कौंच के छिलकारहित बीज, सेमल की छाल, सफेद मुसली, काली मुसली, सालम मिश्री, कमल गट्टा, विदारीकंद, असगन्ध सब 50-50 ग्राम और शक्कर 300 ग्राम, सभी द्रव्यों को अलग-अलग कूट-पीसकर कपड़छान कर लें। शक्कर को भी पीसकर महीन कर लें और सभी को मिला लें व तीन बार छान लें, ताकि एक जान हो जाएं। सुबह-शाम एक-एक चम्मच चूर्ण मीठे दूध के साथ 60 दिन तक सेवन करें और इसके बाद वीर्य की जाँच करवाकर देख लें कि शुक्राणुओं में क्या वृद्धि हुई है।

पर्याप्त परिणाम न मिलने तक प्रयोग जारी रखें।

यह नुस्खा शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, नपुंसकता आदि बीमारियों में भी लाभ करता है।

 परंतु चिकित्सक की देख रेख में ही कोई प्रयोग करें....


विटामिन-डी की कमी ये 5 ड्राई फ्रूट्स बेहतर हो सकते...


विटामिन-डी की कमी  ये 5 ड्राई फ्रूट्स बेहतर हो सकते....

विटामिन-डी हड्डियां, बच्चों को दांत के पीसना, इम्यूनिटी और मेंटल हेल्थ के लिए आवश्यक है।

इसकी कमी को दूर करने में ड्राई फ्रूट्स फायदेमंद होते हैं।

बादाम, अंजीर, काजू आदि इसकी कमी को पूरा करने में मददगार हो सकते हैं।

हमारी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए विटामिन-डी काफी आवश्यक होता है। शरीर में इसकी कमी होने की वजह से, कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ये परेशानियां शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक भी हो सकती हैं। विटामिन-डी हमारे शरीर में कैल्शियम के अब्जॉर्प्शन में मदद करता है, जिस कारण से हड्डियों के बनने और उन्हें मजबूत रखने में मदद मिलती है। बच्चों का दांत पीसना दांत किटकिटाना खत्म कर देता है यह हमारी डिप्रेशन, सीजनल अफेक्टिव डिस्ऑर्डर जैसी मानसिक समस्याओं से बचाव में भी मददगार होता है। विटामिन-डी इतना ही नहीं, बल्कि इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में भी हमारी सहायता करता है। इसलिए शरीर में इसकी भरपूर मात्रा उपलब्ध होना बेहद जरूरी है।


आमतौर पर, विटामिन-डी हमें सूरज की रोशनी से मिलता है। जब हमारी त्वचा सूरज की रोशनी में एक्सपोज होती है, तब हमारी त्वचा विटामिन-डी बनाती है। विटामिन-डी का मुख्य स्त्रोत सूरज की रोशनी ही है, लेकिन कई फूड आइटम्स भी हैं, जिन्हें खाने से विटामिन-डी की कमी को दूर किया जा सकता है। इन फूड आइटम्स में नट्स यानी ड्राई फ्रूट्स सबसे अधिक असरदार हो सकते हैं। विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिए इन्हें अपनी डाइट में शामिल करना आपके लिए लाभदायक हो सकता है। इनमें विटामिन-डी के अलावा, और भी कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।

◼️◼️प्रून्स....

प्रून्स विटामिन-डी की कमी को दूर करने के अलावा और भी कई हेल्थ से जुड़े फायदे दे सकता है। इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिस वजह से यह पाचन के लिए काफी लाभदायक होता है। साथ ही, यह कब्ज से राहत दिलाने और ओवर इटिंग की समस्या को भी कम करने में मदद करता है।


◼️◼️बादाम....

बादाम विटामिन-डी के साथ-साथ विटामिन-ई की कमी दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा, ये कोलेस्ट्रोल कम करने और ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने में भी आपकी मदद कर सकता है।

◼️◼️काजू....

काजू में विटामिन-डी काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा, इसमें हेल्दी फैट्स और फाइबर पाए जाते हैं, जो इसे सेहत के लिए काफी फायदेमंद बनाता है। यह वजन कम करने, ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।


◼️◼️किशमिश....

किशमिश में विटामिन-डी के अलावा, भरपूर मात्रा में पोटेशियम और आयरन भी पाए जाते हैं। इस कारण से, किशमिश को सेहत के लिए गुणकारी माना जाता है। इसे खाने से एनिमिया और कब्ज से छुटकारा मिल सकता है।


◼️◼️अंजीर....

अंजीर में विटामिन-डी के साथ ही और भी कई जरूरी विटामिन पाए जाते हैं। सूखे हुए अंजीर, ताजा अंजीर की तुलना में अधिक पौष्टिक होते हैं। कैल्शियम और फॉस्फोरस मौजूद होने की वजह से यह आपकी हड्डियों के लिए काफी जरूरी है। यह हड्डियों के साथ-साथ मेंसुरल हेल्थ और पाचन के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।

घुटनों के दर्द का ईलाज....विजयसार की चाय....

घुटनों के दर्द का ईलाज....

विजयसार की चाय....

विजयसार एक वृक्ष है जो के जोड़ों के दर्द कैल्शियम की कमी, और मधुमेह के लिए बहुत उपयोगी है। 

इसकी लकड़ी या इसकी लकड़ी का चूर्ण आपको पंसारी से मिल जाएगा, खाडी ग्रामोद्योग में इसके बने गिलास भी मिलते हैं। जिसमें रात्रि में रखा हुआ पानी सुबह पीने से भी लाभ मिलता है। 

आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके उपयोग से घुटनों के दर्द को कैसे सही करे। 

एक बार ये प्रयोग जरुर आजमाए।

▪️▪️कैसे करें इसका उपयोग....

रात्रि को सोते समय 6 ग्राम विजयसार की लकड़ी, 250 ग्राम दूध, डेढ़ गिलास पानी 375 ml, 2 चम्मच चीनी डालकर धीमी आंच पर पकाएं।

 जब पक कर दूध एक कप 200 ml रह जाए तब छान कर पी जाए। 

इससे घुटनों का दर्द सही हो जाता है।

घुटनों की हड्डियों का कैल्शियम खुस्क होने की शिकायत दूर होती है क्योंकि विजयसार हड्डियों के कैल्शियम को तर रखती है। पुरानी चोट के दर्द को भी ठीक करती है। इसके प्रयोग से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है, हड्डी को पहले सेट करवा कर प्लास्टर करवा लें। इससे कमर का दर्द भी दूर होता है इसके सेवन करने वाले मनुष्य की वृद्धावस्था में कभी गर्दन नहीं कापेगी, हाथ नहीं कापंगे और हाथ पैरों व शरीर की हड्डियां चोट लगने पर सहज नहीं टूटेंगी। 

और हड्डियों में प्राय होने वाली कड़ कड़ भी बंद हो जाएगी।

मगर ये प्रयोग ज्यादा गर्मी के मौसम में नहीं करना चाहिए और गर्भवती औरतों को भी नहीं करना चाहिए।


▪️▪️गर्मियों में विजयसार का पानी...

विजयसार का पानी बनाने के लिए 6 ग्राम विजयसार की लकड़ी का बुरादा कर लें और रात को 250 ml पानी में भीगो कर रख दें और सुबह छान कर पी लें और इस तरह सुबह का भिगोया पानी रात को पी लें ।

 हर बार विजयसार की नई लकड़ी लें ।

हनुमानजी की अद्भुत पराक्रम कथा

हनुमानजी की अद्भुत पराक्रम कथा

राम रावण युद्ध के समय जब रावण ने देखा कि हमारी पराजय निश्चित है तो उसने अपने 60 हजार अमर राक्षसों को बुलाकर रणभूमि में भेजने का आदेश दिया ! ये ऐसे थे जिनको काल भी नहीं खा सका था! विभीषण के गुप्तचरों से समाचार मिलने पर श्रीराम को चिंता हुई कि हम लोग इनसे कब तक लड़ेंगे ? सीता का उद्धार और विभीषण का राज तिलक कैसे होगा? क्योंकि युद्ध कि समाप्ति असंभव है !

श्रीराम कि इस स्थिति से वानरवाहिनी के साथ कपिराज सुग्रीव भी विचलित हो गए कि अब क्या होगा ? हम अनंत काल तक युद्ध तो कर सकते हैं पर विजयश्री का वरण नहीं ! पूर्वोक्त दोनों कार्य असंभव हैं ! अंजनानंदन हनुमान जी आकर वानर वाहिनी के साथ श्रीराम को चिंतित देखकर बोले –प्रभु क्या बात है ? ……श्रीराम के संकेत से विभीषण जी ने सारी बात बतलाई ! अब विजय असंभव है !

पवन पुत्र ने कहा –असम्भव को संभव और संभव को असम्भव कर देने का नाम ही तो हनुमान है ! प्रभु आप केवल मुझे आज्ञा दीजिए मैं अकेले ही जाकर रावण की अमर सेना को नष्ट कर दूँगा ! कैसे हनुमान ? वे तो अमर हैं !

प्रभु ! इसकी चिंता आप न करें सेवक पर विश्वास करें ! उधर रावण ने चलते समय राक्षसों से कहा था कि वहां हनुमान नाम का एक वानर है उससे जरा सावधान रहना ! एकाकी हनुमानजी को रणभूमि में देखकर राक्षसों ने पूछा तुम कौन हो क्या हम लोगों को देखकर भय नहीं लगता जो अकेले रणभूमि में चले आये !

मारुति –क्यों आते समय राक्षस राज रावण ने तुम लोगों को कुछ संकेत नहीं किया था जो मेरे समक्ष निर्भय खड़े हो ! निशाचरों को समझते देर न लगी कि ये महाबली हनुमान हैं ! तो भी क्या ? हम अमर हैं हमारा ये क्या बिगाड़ लेंगे !भयंक र युद्ध आरम्भ हुआ पवनपुत्र कि मार से राक्षस रणभूमि में ढेर होने लगे चौथाई सेना बची थी कि पीछे से आवाज आई हनुमान हम लोग अमर हैं हमें जीतना असंभव है ! अतः अपने स्वामी के साथ लंका से लौट जावो इसी में तुम सबका कल्याण है !

आंजनेय ने कहा लौटूंगा अवश्य पर तुम्हारे कहने से नहीं ! अपितु अपनी इच्छा से ! हाँ तुम सब मिलकर आक्रमण करो फिर मेरा बल देखो और रावण को जाकर बताना ! राक्षसों ने जैसे ही एक साथ मिलकर हनुमानजी पर आक्रमण करना चाहां वैसे ही पवनपुत्र ने उन सबको अपनी पूंछ में लपेटकर ऊपर आकाश में फेंक दिया ! वे सब पृथ्वी कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति जहाँ तक है वहां से भी ऊपर चले गए ! चले ही जा रहे हैं ………चले मग जात सूखि गए गात गोस्वामी तुलसीदास !  उनका शरीर सूख गया अमर होने के कारण मर सकते नहीं !

अतः रावण को गाली देते हुए और कष्ट के कारण अपनी अमरता को कोसते हुए अभी भी जी रहे हैं ! इधर हनुमान जी ने आकर प्रभु के चरणों में शीश झुकाया !श्रीराम बोले –क्या हुआ हनुमान ! प्रभो ! उन्हें ऊपर भेजकर आ रहा हूँ !

राघव –पर वे अमर थे हनुमान! हाँ स्वामी इसलिए उन्हें जीवित ही ऊपर भेज आया हूँ अब वे कभी भी नीचे नहीं आ सकते ? रावण को अब आप शीघ्रातिशीघ्र ऊपर भेजने की कृपा करें जिससे माता जानकी का आपसे मिलन और महाराज विभीषण का राजसिंहासन हो सके !

पवन पुत्र को प्रभु ने उठाकर गले लगा लिया ! वे धन्य हो गए अविरल भक्ति का वर पाकर ! श्रीराम उनके ऋणी बन गए ! और बोले –हनुमानजी—आपने जो उपकार किया है वह मेरे अंग अंग में ही जीर्ण शीर्ण हो जाय मैं उसका बदला न चुका सकूँ ,क्योकि उपकार का बदला विपत्तिकाल में ही चुकाया जाता है !

पुत्र ! तुम पर कभी कोई विपत्ति न आये !निहाल हो गए आंजनेय !

हनुमानजी की वीरता के समान साक्षात काल देवराज इन्द्र महाराज कुबेर तथा भगवान विष्णु की भी वीरता नहीं सुनी गयी –ऐसा कथन श्रीराम का है –

न कालस्य न शक्रस्य न विष्णर्वित्तपस्य च !

कर्माणि तानि श्रूयन्ते यानि युद्धे हनूमतः !

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जय श्रीराम


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