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बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

मार्च 1679 ई0 की बात है, ठाकुर सुजान सिंह अपनी शादी की बारात लेकर जा रहे थे

#रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना "" 
7 मार्च 1679 ई0 की बात है, ठाकुर सुजान सिंह अपनी शादी की बारात लेकर जा रहे थे, 22 वर्ष के सुजान सिंह किसी देवता की तरह लग रहे थे, 
ऐसा लग रहा था मानो देवता अपनी बारात लेकर जा रहे हों 

उन्होंने अपने दुल्हन का मुख भी नहीं देखा था, शाम हो चुकी थी इसलिए रात्रि विश्राम के लिए "छापोली" में पड़ाव डाल दिये । कुछ ही क्षणों में उन्हें गायों में लगे घुंघरुओं की आवाजें सुनाई देने लगी, आवाजें स्पष्ट नहीं थीं, फिर भी वे सुनने का प्रयास कर रहे थे, मानो वो आवाजें उनसे कुछ कह रही थी । 

सुजान सिंह ने अपने लोगों से कहा, शायद ये चरवाहों की आवाज है जरा सुनो वे क्या कहना चाहते हैं । 
गुप्तचरों ने सूचना दी कि युवराज ये लोग कह रहे है कि कोई फौज "देवड़े" पर आई है। वे चौंक पड़े । कैसी फौज, किसकी फौज, किस मंदिर पे आयी है ? 

जवाब आया "युवराज ये औरंगजेब की बहुत ही विशाल सेना है, जिसका सेनापति दराबखान है, जो खंडेला के बाहर पड़ाव डाल रखी है । 
कल खंडेला स्थित श्रीकृष्ण मंदिर को तोड़ दिया जाएगा । निर्णय हो चुका था,

 एक ही पल में सब कुछ बदल गया । शादी के खुशनुमा चहरे अचानक सख्त हो चुके थे, कोमल शरीर वज्र के समान कठोर हो चुका था । 
जो बाराती थे, वे सेना में तब्दील हो चुके थे, वे अपने सेना के लोगों से विचार विमर्श करने लगे । तब उनको पता चला कि उनके साथ सिर्फ 70 सेना थी ।
 तब वे रात्रि के समय में बिना एक पल गंवाए उन्होंने पास के गांव से कुछ आदमी इकठ्ठे कर लिए । 
करीब 500 घुड़सवार अब उनके पास हो चुके थे, 

अचानक उन्हें अपनी पत्नी की याद आयी, जिसका मुख भी वे नहीं देख पाए थे, जो डोली में बैठी हुई थी । क्या बीतेगी उसपे, जिसने अपनी लाल जोड़े भी ठीक से नहीं देखी हो । 

वे तरह तरह के विचारों में खोए हुए थे, तभी उनके कानों में अपनी माँ को दिए वचन याद आये, जिसमें उन्होंने राजपूती धर्म को ना छोड़ने का वचन दिया था, उनकी पत्नी भी सारी बातों को समझ चुकी थी, डोली के तरफ उनकी नजर गयी, उनकी पत्नी महँदी वाली हाथों को निकालकर इशारा कर रही थी । मुख पे प्रसन्नता के भाव थे, वो एक सच्ची क्षत्राणी के कर्तब्य निभा रही थी, मानो वो खुद तलवार लेकर दुश्मन पे टूट पड़ना चाहती थी, परंतु ऐसा नहीं हो सकता था । 
सुजान सिंह ने डोली के पास जाकर डोली को और अपनी पत्नी को प्रणाम किये और कहारों और नाई को डोली सुरक्षित अपने राज्य भेज देने का आदेश दे दिया और खुद खंडेला को घेरकर उसकी चौकसी करने लगे । 

लोग कहते हैं कि मानो खुद कृष्ण उस मंदिर की चौकसी कर रहे थे, उनका मुखड़ा भी श्रीकृष्ण की ही तरह चमक रहा था।
8 मार्च 1679 को दराबखान की सेना आमने सामने आ चुकी थी, महाकाल भक्त सुजान सिंह ने अपने इष्टदेव को याद किये और हर हर महादेव के जयघोष के साथ 10 हजार की मुगल सेना के साथ सुजान सिंह के 500 लोगो के बीच घनघोर युद्ध आरम्भ हो गया । 

सुजान सिंह ने दराबखान को मारने के लिए उसकी ओर लपके और 40 मुगल सेना को मौत के घाट उतार दिए । ऐसे पराक्रम को देखकर दराबखान पीछे हटने में ही भलाई समझी, लेकिन ठाकुर सुजान सिंह रुकनेवाले नहीं थे ।
 जो भी उनके सामने आ रहा था वो मारा जा रहा था । सुजान सिंह साक्षात मृत्यु का रूप धारण करके युद्ध कर रहे थे । ऐसा लग रहा था मानो खुद महाकाल ही युद्ध कर रहे हों । 
इस बीच कुछ लोगों की नजर सुजान सिंह पे पड़ी, 
लेकिन ये क्या सुजान सिंह के शरीर में सिर तो है ही नहीं... 
😭😭😭😭😭😭
लोगों को घोर आश्चर्य हुआ, लेकिन उनके अपने लोगों को ये समझते देर नहीं लगी कि सुजान सिंह तो कब के मोक्ष को प्राप्त कर चुके हैं । 
ये जो युद्ध कर रहे हैं, वे सुजान सिंह के इष्टदेव हैं । सबों ने मन ही मन अपना शीश झुककर इष्टदेव को प्रणाम किये । 

अब दराबखान मारा जा चुका था, मुगल सेना भाग रही थी, लेकिन ये क्या, सुजान सिंह घोड़े पे सवार बिना सिर के ही मुगलों का संहार कर रहे थे । 
उस युद्धभूमि में मृत्यु का ऐसा तांडव हुआ, जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुगलों की 7 हजार सेना अकेले सुजान सिंह के हाथों मारी जा चुकी थी । जब मुगल की बची खुची सेना पूर्ण रूप से भाग गई, तब सुजान सिंह जो सिर्फ शरीर मात्र थे, मंदिर का रुख किये । 

इतिहासकार कहते हैं कि देखनेवालों को सुजान के शरीर से दिव्य प्रकाश का तेज निकल रहा था, एक अजीब विश्मित करनेवाला प्रकाश निकल रहा था, जिसमें सूर्य की रोशनी भी मन्द पड़ रही थी ।

 ये देखकर उनके अपने लोग भी घबरा गए थे और सबों ने एक साथ श्रीकृष्ण की स्तुति करने लगे, घोड़े से नीचे उतरने के बाद सुजान सिंह का शरीर मंदिर के प्रतिमा के सामने जाकर लुढ़क गया और एक शूरवीर योद्धा का अंत हो गया ।

🚩🚩🙏🙏माँ भारती के इस शूरवीर योद्धा को कोटि-कोटि नमन 🚩🚩🙏🙏

शनिवार, 24 अक्टूबर 2020

तिथि विशेष : दुर्गाअष्टमी, महाअष्टमी | माता पूजन (कुलदेवी पूजन) :-अष्टम महागौरी पूजन (आठवां दिवस) :-महागौरी : मां दुर्गा का अष्टम स्वरूप

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     🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
 📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द...........................5122
विक्रम संवत्..........................2077
शक संवत्.............................1942
मास.....................................अश्विन
पक्ष......................................शुक्ल
तिथी....................................अष्टमी
प्रातः 06.59 पर्यंत पश्चात नवमी
रवि..............................दक्षिणायन
सूर्योदय............प्रातः 06.27.37 पर
सूर्यास्त............संध्या 05.54.11 पर
सूर्य राशि...............................तुला
चन्द्र राशि.............................मकर
गुरु राशी................................धनु
नक्षत्र.................................श्रवण
रात्रि 02.31 पर्यंत पश्चात धनिष्ठा
योग.....................................शूल
रात्रि 12.39 पर्यंत पश्चात गंड
करण.....................................बव
प्रातः 06.59 पर्यंत पश्चात बालव
ऋतु.....................................शरद
*दिन...........................शनिवार*

*🌺 🙏 🌺 🇮🇳 राष्ट्रीय सौर दिनांक*
*०२ अश्विन !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*२४ अक्टूबर सन २०२० ईस्वी !‌*

⚜ *तिथि विशेष :*
*दुर्गाअष्टमी, महाअष्टमी |*

🔱 *माता पूजन (कुलदेवी पूजन) :-*
अष्टम महागौरी पूजन (आठवां दिवस) :-
महागौरी : मां दुर्गा का अष्टम स्वरूप :-

शंख और चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी "माँ महागौरी" माँ दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं। भगवान शिव को पाने के लिए किये गए अपने कठोर तप के कारण माँ पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने माँ पार्वती का शरीर गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया। इसी कारण माँ को "महागौरी" के नाम से पूजते हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं जिनमें से दो अभयमुद्रा और वरमुद्रा में हैं तथा दो में त्रिशूल और डमरू धारण किया हुआ है। अपने सभी रूपों में से महागौरी, माँ दुर्गा का सबसे शांत रूप है। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विधान है।

☸ शुभ अंक...........................6
🔯 शुभ रंग...........................हरा

⚜ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 11.48 से 12.33 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 09.20 से 10.45  तक । 

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त -*
*तुला*
05:58:42 08:18:35
*वृश्चिक*
08:18:35 10:37:32
*धनु*
10:37:32 12:41:54
*मकर*
12:41:54 14:24:30
*कुम्भ*
14:24:30 15:52:12
*मीन*
15:52:12 17:17:23
*मेष*
17:17:23 18:52:51
*वृषभ*
18:52:51 20:48:42
*मिथुन*
20:48:42 23:03:40
*कर्क*
23:03:40 25:24:22
*सिंह*
25:24:22 27:42:03
*कन्या*
27:42:03 29:58:42

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्वदिशा - यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें । 

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.53 से 09.19 तक शुभ
दोप. 12.11 से 01.37 तक चर
दोप. 01.37 से 03.03 तक लाभ
दोप. 03.03 से 04.29 तक अमृत
संध्या 05.55 से 07.29 तक लाभ
रात्रि 09.03 से 10.37 तक शुभ ।

📿 *आज का मंत्र :-*
॥ ॐ महागौर्ये नम: ॥

*॥  ध्यान मंत्र  ॥*
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

📢 *संस्कृत सुभाषितानि -*
स्त्रीणां हि साहचर्याध्द्ववति चेतांसि भर्तृसदृशानि ।
मधुरापि हि मूर्च्छयेत् विपविटपिसमाश्रिता वल्ली ॥ 
अर्थात :-
साहचर्य के कारण स्त्री का अन्तःकरण पति के जैसा बनता है; जिस प्रकार लता मधुर होते हुए भी विषवृक्ष को लिपटे रहने से विषैली बन जाती है ।

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*अष्टम महागौरी (तुलसी) -*
दुर्गा का अष्टम रूप *महागौरी* है। जिसे प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है क्योंकि इसका औषधि नाम तुलसी है जो प्रत्येक घर में लगाई जाती है। तुलसी सात प्रकार की होती है। सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक, षटपत्र। ये सभी प्रकार की तुलसी रक्त को साफ करती है। रक्त शोधक है एवं हृदय रोग का नाश करती है। 

तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।
अपेतराक्षसी महागौरी शूलघ्नी देवदुन्दुभि: 
तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् । 
मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।

इस देवी की आराधना हर सामान्य एवं रोगी व्यक्ति को करना चाहिए। 

*तुलसी के गुणकारी घरेलू नुस्खे :-*

- जुकाम, हरारत, फ्लू व मौसमी बुखार में तुलसी, काली मिर्च व मिश्री मिलाकर पानी में पकाकर, अथवा तीनों को पीसकर गोलियाँ बना दिन में तीन-चार बार लेने से लाभ होता है।

- खाँसी में तुलसी की पत्तियों व अदरक को पीसकर शहद के साथ चाटने से लाभ पहुँचता है।

- दस्त लगने पर तुलसी के 10 पत्तों को एक माशा जीरे में पीसकर दिन में 3-4 बार चाटने से दस्त बंद हो जाते हैं।

- मुख की दुर्गंध दूर करने के लिए दिन में दो बार तुलसी के 4-5 पत्ते चबाएँ।

- घाव शीघ्र ठीक करने के लिए तुलसी पत्र व फिटकरी खूब बारीक पीसकर घाव पर छिड़कें।

                    ⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
कारोबार कामकाज अनुकूल लाभ देंगे । शारीरिक कष्ट संभव है । किसी अनहोनी की आशंका बनी रहेगी । व्यवसायिक यात्रा सफल रहेगी । लाभ के अवसर हाथ आ सकते हैं । बकाया वसूली के प्रयास सफल होंगे । सेहत का ध्यान रखें । आराम के साधन प्राप्त हो सकते हैं ।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
नई योजनाओं पर कार्य कर सकेंगे । कार्यप्रणाली में सुधार होगा । समाज कार्यों में कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी । मान सम्मान बढ़ेगा । कारोबार को लेकर नए अनुबंध हो सकते हैं । मान सम्मान मिलेगा । दुष्ट जनों से दूरी बनाए रखें । निवेश में विवेक का उपयोग करें । नौकरी में भी नए कार्य कर पाएंगे । कोई पुराना रोग परेशान करेगा ।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
शारीरिक थकान हो सकती है । धर्म-कर्म के कार्यों में रुचि बढ़ेगी । किसी धार्मिक आयोजन में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है । सफलता प्राप्त हो सकती है । व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेंगे । लेन-देन में सावधानी बरतने की आवश्यकता है । नौकरी में जिम्मेदारी बढ़ सकती है ।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
किसी अपने ही व्यक्ति से विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है । अपनी कीमती वस्तुओं को संभाल कर रखें । व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा परंतु प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी । आय बनी रहेगी । शारीरिक हानि एवं कष्ट की संभावनाएं हैं । पुरानी व्याधि पर खर्च करना पड़ेगा ।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
किसी शारीरिक समस्या से परेशान हो सकते हैं । कचहरी के कार्यों में अनुकूलता आएगी । वैवाहिक प्रस्ताव आ सकते हैं । लाभ के अवसर भी बढ़ेंगे । प्रमाद ना करें तो धन प्राप्ति सुगम होगी । शत्रुता बढ़ सकती है अतः वाणी में नियंत्रण रखें ।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
रोजगार प्राप्ति के प्रयासों में सफलता मिलेगी । शेयर मार्केट से अनुकूल लाभ प्राप्त हो सकता है परंतु जल्दी बाजी ना करें । स्थाई संपत्ति में अभिवृद्धि के योग हैं । नए कारोबार या बड़ा सौदा बड़ा लाभ देगा । परिवार के किसी छोटे सदस्य के अध्ययन के संबंध में चिंता रह सकती है ।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
लेखन व पठन-पाठन में समय व्यतीत करें । शारीरिक कष्ट की संभावनाएं हैं । चोट व रोग से बचे । किसी मनोरंजक यात्रा का भी योग है । किसी प्रभावशाली व्यक्ति से सहयोग मिल सकता है । आराम के साधनों पर खर्च हो सकता है । स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा । सफलता प्राप्त करेंगे ।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
किसी व्यक्ति से विवाद संभव है अतः वाणी पर नियंत्रण रखें । दुखद समाचार प्राप्त हो सकता है । चिंता व तनाव रहेगा । कोई पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है जिससे क्लेश रहेगा । मन में दुविधा रहेगी । जल्दबाजी में निर्णय ना ले । कोई आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है ।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
मित्रों का सहयोग कर पाएंगे । सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । व्यापार-व्यवसाय अनुकूल चलेगा । धन अर्जन होगा । दांपत्य जीवन सुखमय व्यतीत होगा जिससे प्रसन्नता में अभिवृद्धि होगी । कोई बड़ा कार्य अथवा लंबे प्रवास का मन बनेगा । किसी विवाद में ना पड़े ।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी एवं निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ेगी । निवेश से लाभ हो सकता है । धन प्राप्ति सुगमता के भी योग हैं परंतु वाणी पर संयम रखें । शुभ समाचार प्राप्त होंगे । घर में अतिथि का आगमन होगा । किसी कानूनी फेर में ना पड़े । मस्तिष्क में पीड़ा रह सकती है ।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
बेरोजगारी दूर होकर रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे । कारोबार में वृद्धि के योग हैं । लेन-देन में जल्दी बाजी ना करें । शेयर मार्केट में विवेक से निर्णय लेकर ही निवेश आदि करें । व्यावसायिक यात्रा लाभप्रद रहेगी जिससे अप्रत्याशित लाभ हो सकता है । परीक्षा साक्षात्कार आदि में सफलता के भी योग हैं ।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
अपने मन की बात को किसी को ना बताएं एवं अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखें । किसी व्यक्ति से व्यर्थ विवाद हो सकता है । लाभ होने के योग हैं परंतु जमानत और जोखिम के कार्यों को टालना पड़ेगा । अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे जिनसे चिंता एवं तनाव रहेगा ।

*🚩🎪 ‼️ 🕉 शं शनैश्चराय नमः ‼️ 🎪🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

                      *‼️ शुभम भवतु ‼️*

  🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩

विवाह के मौके पर तोरण क्यों मारा जाता है और इसे सही से कैसे निभाए

🙏🙏 प्राचीनतम रिती- रिवाज 🙏🙏
 ❇️ कथा के अनुसार कहा जाता है कि तोरण नाम का एक राक्षस था, जो शादी के समय दुल्हन के घर के द्वार पर तोते का रूप धारण कर बैठ जाता था।
 जब दूल्हा द्वार पर आता तो वह उसके शरीर में प्रवेश कर दुल्हन से स्वयं शादी रचाकर उसे परेशान करता था। 

एक बार एक साहसी और चतुर राजकुमार की शादी के वक्त जब दुल्हन के घर में प्रवेश कर रहा था अचानक उसकी नजर उस राक्षसी तोते पर पड़ी और उसने तुरंत तलवार से उसे मार गिराया और शादी संपन्न की। बताया जाता है कि उसी दिन से ही तोरण मारने की परंपरा शुरू हुई। 

आपने कभी गौर किया हो तो आपको पता लगेगा कि इस रस्म में दुल्हन के घर के दरवाजे पर लकड़ी का तोरण लगाया जाता है, जिस पर एक तोता (राक्षस का प्रतीक) होता है। बगल में दोनों तरफ छोटे तोते होते हैं। दूल्हा शादी के समय तलवार से उस लकड़ी के बने राक्षस रूपी तोते को मारने की रस्म पूर्ण करता है।

गांवों में तोरण का निर्माण खाती करता है, लेकिन आजकल बाजार में बने बनाए सुंदर तोरण मिलते हैं, जिन पर गणेशजी व स्वास्तिक जैसे धार्मिक चिह्न अंकित होते हैं और दूल्हा उन पर तलवार से वार कर तोरण (राक्षस) मारने की रस्म पूर्ण करता है।

इसे रखें ध्यान 
शास्त्रों के अनुसार तोरण पर तोते का स्वरूप ही होना चाहिए।
 लेकिन इन दिनों तोते की जगह गणेशजी या धार्मिक चिन्हों को बना दिया जाता है। दूल्हा भी तोरण की जगह उन पर ही बार करता है। कहते हैं भारतीय समाज में पति पत्नी के मध्य अनेक प्रकार के विवाद व तलाक के मामले बढने के पीछे भी यही कारण है। विद्वानों को इस बात को समझकर प्रचारित-प्रसारित करना चाहिए। एक तरफ हम शादी में गणेश पूजन कर उनको रिद्धि-सिद्धि सहित शादी में पधारने का निमंत्रण देते हैं और दूसरी तरफ तलवार से वार कर उनका अपमान करते हैं, यह उचित नहीं है। तोरण की रस्म पर ध्यान रखकर परंपरागत तोरण ही लाकर रस्म निभाएं। 

*आप सभी से निवेदन है कि इस परंपरा को विधिवत करावे।*
     🙏🙏 जय श्री राधे कृष्णा 🙏🙏

रविवार, 18 अक्टूबर 2020

एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि

*🌹दिनांक 17.10.2020 दिन शनिवार तदनुसार संवत् २०७७ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरम्भ हो रहे हैं :-🌹🙏🏻*
*💐💐"शारदीय नवरात्रि" 💐💐*

          नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति- देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि पर्व वर्ष में दो बार मनाते है। चैत्र और अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ दिनों के दौरान, शक्ति-देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है।

*💐💐"देवी के नौ रूप" 💐💐*

शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वाली।
महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।

                              1. शैलपुत्री

          शैल का अर्थ है शिखर, दुर्गा को शैल पुत्री क्यों कहा जाता है, यह बहुत दिलचस्प बात है। जब ऊर्जा अपने शिखर पर होती है, केवल तभी आप शुद्ध चेतना या देवी रूप को देख, पहचान और समझ सकते हैं। उससे पहले, आप नहीं समझ सकते, क्योंकि इसकी उत्त्पति शिखर से ही होती है। किसी भी अनुभव के शिखर से यदि आप 100% क्रोधित हैं, तो आप देखें कि किस प्रकार क्रोध आपके सारे शरीर को जला देता है। किसी भी चीज़ का 100% आपके सम्पूर्ण अस्तित्त्व को घेर लेता है, तब ही वास्तव में दुर्गा की उत्पत्ति होती है। मां शैलपुत्री को सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है, और अगर यह गाय के घी में बनी हों तो व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है, और हर तरह की बीमारी दूर होती हैं।

                            2. ब्रह्मचारिणी

         ब्रह्मचारिणी का अर्थ है अनंत में व्याप्त, अनंत में गतिमान-असीम, ब्रह्मा असीम है, जिसमें सबकुछ समाहित है। आप यह नहीं कह सकते कि, ‘मैं इसे जानता हूँ’, क्योंकि यह असीम है। जिस क्षण ‘आप जान जाते हैं’, यह सीमित बन जाता है, और अब आप यह नहीं कह सकते, कि “मैं इसे नहीं जानता”, क्योंकि यह वहां है, तो आप कैसे नहीं जानते ? क्या आप कह सकते हैं, कि ”मैं अपने हाथ को नहीं जानता। आपका हाथ तो वहां है न ? इसलिये, आप इसे जानते हैं। ब्रह्म असीम है, इसलिये आप इसे नहीं जानते, आप इसे जानते हैं, और फिर भी आप इसे नहीं जानते। दोनों ! इसीलिये, यदि कोई आप से पूछता है, तो आपको चुप रहना पड़ता है। जो लोग इसे जानते हैं, वे बस चुप रहते हैं, क्योंकि यदि मैं कहता हूँ, कि “मैं नहीं जानता” , मैं पूर्णत: गलत हूँ, और यदि मैं कहता हूँ, कि “मैं जानता हूँ”, तो मैं उस जानने को शब्दों द्वारा, बुद्धि द्वारा सीमित कर रहा हूँ। इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी वो है, जोकि असीम में विद्यमान है, असीम में गतिमान है। गतिहीन नहीं, बल्कि अनंत में गतिमान। ये बहुत ही रोचक है, एक गतिमान होना, दूसरा विद्यमान होना। ब्रह्मचर्य का अर्थ है, तुच्छता में न रहना, आंशिकता से नहीं पूर्णता से रहना। इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी चेतना है, जोकि सर्व-व्यापक है। मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।

                             3. चन्द्रघंटा

           प्राय:, हम अपने मन से ही उलझते रहते हैं। सभी नकारात्मक विचार हमारे मन में आते हैं, ईर्ष्या आती है, घृणा आती है, और आप उनसे छुटकारा पाने के लिये और अपने मन को साफ़ करने के लिये संघर्ष करते हैं। मैं कहता हूँ कि ऐसा नहीं होने वाला। आप अपने मन से छुटकारा नहीं पा सकते। आप कहीं भी भाग जायें, चाहे हिमालय पर ही क्यों न भाग जायें, आपका मन आपके साथ ही भागेगा। यह आपकी छाया के समान है। हाँ, प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया बहुत सहायक हो सकते हैं, पर फिर भी मन सामने आ ही जाता है। मन को घंटे की ध्वनि के समान स्वीकार करें। घंटे की ध्वनि एक होती है, यह कई नहीं हो सकती, यह केवल एक ही ध्वनि उत्पन्न कर सकता है। सभी छायाओं के बीच मन में एक ही ध्वनि ! सारी अस्तव्यस्तता दैवीय शक्ति का उद्भव करती है। वो है चन्द्रघंटा अर्थात् चन्द्र और घंटा। मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और और इसी का दान भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं।

                            4. कूष्माण्डा

          ‘कू’ का अर्थ है छोटा, ‘इश’ का अर्थ है, ऊर्जा और ‘अंडा’ का अर्थ है ब्रह्मांडीय गोला। सृष्टि या ऊर्जा का छोटे से वृहद ब्रह्मांडीय गोला। यह बड़े से छोटा होता है, और छोटे से बड़ा। यह बीज से बढ़ कर फल बनता है, और फिर फल से दोबारा बीज हो जाता है। इसी प्रकार, ऊर्जा या चेतना में सूक्ष्म से सूक्ष्मतम होने की, और विशाल से विशालतम होने का विशेष गुण है, जिसकी व्याख्या कूष्मांडा करती हैं। मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान कर दें, और खुद भी खाएं। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी।

                             5. स्कंदमाता

          स्कन्दमाता वो दैवीय शक्ति है जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती है। वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं। मां स्कंदमाता पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए, और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।

                              6. कात्यायनी

           कात्यायनी अज्ञात की वो शक्ति है, जोकि अच्छाई के क्रोध से उत्पन्न होती है। क्रोध अच्छा भी होता है, और बुरा भी। अच्छा क्रोध ज्ञान के साथ किया जाता है, और बुरा क्रोध भावनाओं और स्वार्थ के साथ किया जाता है। ज्ञानी का क्रोध भी हितकर और उपयोगी होता है। जबकि अज्ञानी का प्रेम भी हानिप्रद हो सकता है। इस प्रकार, कात्यायनी क्रोध का वो रूप है, जो सब प्रकार की नकरात्मकता को समाप्त कर सकता है। मां कात्यायनी षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।

                             7. कालरात्रि

           कालरात्रि देवी माँ के सबसे क्रूर, सबसे भयंकर रूप का नाम है। दुर्गा का यह रूप ही प्रकृति के प्रकोप का कारण है। प्रकृति के प्रकोप से कहीं भूकंप, कहीं बाढ़ और कहीं सुनामी आती हैं। ये सब माँ कालरात्रि की शक्ति से होता है। इसलिये, जब भी लोग ऐसे प्रकोप को देखते हैं, तो वो देवी के सभी नौ रूपों से प्रार्थना करते हैं। मां कालरात्रि सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति शोकमुक्त होता है।

                               8. महागौरी

          महागौरी, माँ का आठवां रूप, अति सुंदर है, सबसे सुंदर ! सबसे अधिक कोमल, पूर्णत: करुणामयी, सबको आशीर्वाद देती हुईं, यह वो रूप है, जो सब मनोकामनाओं को पूरा करता है।  मां महागौरी अष्टमी के दिन मां को नारियल का भोग लगाएं। नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

                            9. सिद्धिदात्री

           नवां रूप, सिद्धिदात्री, सिद्धियाँ या जीवन में सम्पूर्णता प्रदान करने वाला है। सम्पूर्णता का अर्थ है, विचार आने से पूर्व ही काम का हो जाना, यही सम्पूर्णता है। आप कुछ चाहो और वो पहले से ही वहां आ जाये। आपकी कामना उठे, इस से पहले ही सबकुछ आ जाये, यही सिद्धिदात्री है। मां सिद्धिदात्री नवमी तिथि पर मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं जैसे:- हलवा, चना-पूरी, खीर और पुए और फिर उसे गरीबों को दान करें। इससे जीवन में हर सुख-शांति मिलती है।

                           'कलश स्थापना'

          नवरात्री में घट स्थापना का बहुत महत्त्व होता है। नवरात्री की शुरुआत घट स्थापना से की जाती है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है। घट स्थापना प्रतिपदा तिथि के पहले एक तिहाई हिस्से में कर लेनी चाहिए। इसे कलश स्थापना भी कहते है। कलश को सुख समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रूद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं, तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।

                        'कलश स्थापना सामग्री'

१. जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।
२.  जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।
३.  पात्र में बोने के लिए जौ (गेहूं भी ले सकते हैं।)
४.  घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश  (सोने, चांदी या तांबे  का कलश भी ले सकते हैं।)
५.   कलश में भरने के लिए शुद्ध जल
६.  गंगाजल
७.  रोली , मौली
८.  इत्र
९.  पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी
१०.  दूर्वा (घास)
११.  कलश में रखने के लिए सिक्का (किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का   भी रखते हैं।)
१२.  पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )
१३.  पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते  (सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते हैं।)
१४.  कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )
१५.  ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल
१६.  नारियल
१७.  लाल कपडा
१८.  फूल माला
१९.  फल तथा मिठाई
२०.  दीपक, धूप, अगरबत्ती

                       'कलश स्थापना की विधि'

          सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें, जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए। पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिटटी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनायें। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें। कलश में साबुत सुपारी , फूल और दूर्वा डालें। कलश में इत्र, पंचरत्न तथा सिक्का डालें। अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें। कुछ पत्ते थोड़े बाहर दिखाई दें, इस प्रकार लगाएँ। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें। इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें। नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते हैं, पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते हैं। नारियल का मुंह वह होता है, जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है। अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें। अब देवी देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें, कि ”हे समस्त देवी देवता आप सभी नौ दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।“ आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवता गण कलश में विराजमान हैं। कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूल माला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानि फल, मिठाई आदि अर्पित करें। घट स्थापना या कलश स्थापना के बाद देवी माँ की चौकी स्थापित करें।

                          'चौकी की स्थापना'

         लकड़ी  की एक चौकी को गंगाजल और शुद्ध जल से धोकर पवित्र करें। साफ कपड़े से पोंछ कर उस पर लाल कपड़ा बिछा दें। इसे कलश के दायी तरफ रखें। चौकी पर माँ दुर्गा की मूर्ति अथवा फ्रेम युक्त फोटो रखें। माँ को चुनरी ओढ़ाएँ। धूप, दीपक आदि जलाएँ। नौ दिन तक जलने वाली माता की अखंड ज्योत जलाएँ। देवी मां को तिलक लगाए। माँ दुर्गा को वस्त्र, चंदन, सुहाग के सामान यानि हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, अष्टगंध आदि अर्पित करें। काजल लगाएँ। मंगलसूत्र, हरी चूडियां, फूल माला, इत्र, फल, मिठाई आदि अर्पित करें। श्रद्धानुसार दुर्गा सप्तशती के पाठ, देवी माँ  के स्रोत, सहस्रनाम आदि का पाठ करें। देवी माँ की आरती करें। पूजन के उपरांत वेदी पर बोए अनाज पर जल छिड़कें। रोजाना देवी माँ का पूजन करें तथा जौ वाले पात्र में, जल का हल्का छिड़काव करें। जल बहुत अधिक या कम ना छिड़के। जल इतना हो, कि जौ अंकुरित हो सकें। ये अंकुरित जौ शुभ माने जाते हैं। यदि इनमे से  किसी अंकुर का रंग सफ़ेद हो तो उसे बहुत अच्छा माना जाता है। यह दुर्लभ होता है।

                              'नवरात्री व्रत'

            नवरात्री में लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार देवी माँ की भक्ति करते हैं। कुछ लोग पलंग के ऊपर नहीं सोते। कुछ लोग शेव नहीं करते, कुछ नाखुन नहीं काटते। इस समय नौ दिन तक व्रत, उपवास रखने का बहुत महत्त्व है। अपनी श्रद्धानुसार एक समय भोजन और एक समय फलाहार करके या दोनों समय फलाहार करके उपवास किया जाता है। इससे सिर्फ आध्यात्मिक बल ही प्राप्त नहीं होता, पाचन तंत्र भी मजबूत होता है, तथा मेटाबोलिज्म में जबरदस्त सुधार आता है। व्रत के समय अंडा, मांस, शराब, प्याज, लहसुन, मसूर दाल, हींग, राई, मेथी दाना आदि वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा  सादा नमक के बजाय सेंधा नमक काम में लेना चाहिए।

                              'कन्या पूजन'

          महाअष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। कुछ लोग अष्टमी के दिन और कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते है। परिवार की रीति के अनुसार किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है। तीन साल से नौ साल तक आयु की कन्याओं को तथा साथ ही एक लांगुरिया (छोटा लड़का) को खीर, पूरी, हलवा, चने की सब्जी आदि खिलाये जाते हैं। कन्याओं को तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर, गिफ्ट दक्षिणा आदि देकर आशीर्वाद लिया जाता है, फिर उन्हें विदा किया जाता है।

                                 'विसर्जन'

          महानवमी के दिन माँ का विशेष पूजन करके पुन: पधारने का आवाहन कर, स्वस्थान विदा होने के लिए प्रार्थना की जाती है। कलश के जल का छिड़काव परिवार के सदस्यों पर और पूरे घर में किया जाता है। ताकि घर का प्रत्येक स्थान पवित्र हो जाये। अनाज के कुछ अंकुर माँ के पूजन के समय चढ़ाये जाते हैं। कुछ अंकुर दैनिक पूजा स्थल पर रखे जाते हैं, शेष अंकुरों को बहते पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है। कुछ लोग इन अंकुर को शमीपूजन के समय शमी वृक्ष को अर्पित करते हैं, और लौटते समय इनमें से कुछ अंकुर केश में धारण करते हैं।

                             "जय माता दी

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कैलाश चंद्र लड्ढा
सांवरिया
police public press
Jodhpur

शनिवार, 17 अक्टूबर 2020

सौ में से पचास बीमारियां मानसिक है

 सौ में से पचास बीमारियां मानसिक है

यह हो सकता है, जीसस ने किसी के हाथ पर हाथ रखा हो और आँख ठीक हो गयी हो, लेकिन फिर भी चमत्‍कार नहीं है। क्‍योंकि पूरी बात अब पता चल गयी है। अब पता चल गयी है कि कुछ अंधे तो सिर्फ मानसिक रूप से अंधे होते है। वे अंधे होते है ही नहीं सिर्फ मेंटल बलांइडनेस होती है। उनको सिर्फ ख्‍याल होता है अंधे होने का और यह ख्‍याल इतना मजबूत हो जाता है कि आँख काम करना बंद कर देती है। अगर कोई आदमी उनको भरोसा दिला दे तो उनकी आंखे ठीक हो सकती है। तो उनका मन तत्‍काल वापस लौट आयेगा और आँख ठीक हो गयी, तो वह तत्‍काल उनका मन वापस लौट आयेगा और आँख के तल पर काम करना शुरू कर देगा।

आज तो यह बात जगत जाहिर हो गयी है। कि सौ में से पचास बीमारियां मानसिक है, इसलिए पचास बीमारियां तो ठीक की ही जा सकती है। बिना किसी दवा के और सौ बीमारियों में से भी जो बीमारियां असली है, उनमें भी पचास प्रतिशत हमारी कल्‍पना से बढ़ोतरी हो जाती है। यह पचास प्रतिशत कल्‍पना भी काटी जा सकती है। सौ सांप में से केवल तीन सांप में जहर होता है। तीन प्रतिशत साँपों में। सतान्‍नबे प्रतिशत सांप बिना जहर के होते है। लेकिन सतान्‍नबे प्रतिशत साँपों के काटने से आदमी मर जाता है। इसलिए नहीं की उन में जहर है। इस लिए की उसे सांप ने काटा है। सांप के काटने से कम मरता है, सांप ने कांटा मुझे, इसलिए ज्‍यादा मरता है।

तो जिस सांप में बिलकुल जहर नहीं है, उससे आपको कटवाँ कर भी मारा जा सकता है। तब एक चमत्‍कार तो हो गया। क्‍योंकि जहर था ही नहीं। कोई कारण नहीं मरने का। जब सांप ने काटा यह भाव इतना गहरा है। यह मृत्‍यु बन सकती है। तब मंत्र से फिर आपको बचाया भी जा सकता है। झूठा सांप मार रहा है। झूठा मंत्र बचा लेता है। झूठी बीमारी को झूठी तरकीब बचा जाती है।

मेरे पड़ोस में एक आदमी रहते थे। सांप झाड़ने का काम करते थे। उन्‍होंने सांप पाल रखे थे। तो जब भी किसी सांप का झड़वाने वाला आता, तब वह बहुत शोर-गुल मचाते। ड्रम पीटते और पुंगी बजाते और बहुत शोर गुल मचाते, धुंआ फैलाते, फिर उनका ही पला हुआ सांप आकर एकदम सर पटकनें लग जाता। जब वह सांप, जिसको काटे,वह आदमी देखता रहे कि सांप आ गया। वह सांप को बुल देता है। वह कहता है, पहले सांप से मैं पूछेगा की क्‍यों काटा? मैं उसे डांटुगा, समझाऊंगा, बुझाऊंगा, उसी के द्वारा जहर वापस करवा दूँगा। तो वह डाँटते, डपटते, वह सांप क्षमा मांगने लगता,वह गिरने लगता, लौटने लगता। फिर वह सांप, जिस जगह काटा होता आदमी को, उसी जगह मुंह को रखवाते। सब वह आदमी ठीक हो जाता।

कोई छह या सात साल पहले उनके लड़के को सांप ने काट लिया। तब बड़ी मुश्‍किल में पड़े, क्‍योंकि वह लड़का बस जानता है। वह लड़का कहता है, इससे मैं न बचूंगा, क्‍योंकि मुझे तो सब पता है। सांप घर का ही है। वह भागकर मेरे पास आये कुछ करिये, नहीं तो लड़का मर जायेगा। मैंने कहां आपका लड़का और सांप के काटने से मरे, तो चमत्‍कार हो गया। आप तो कितने ही लोगो को सांप के काटने से बचा चुके हो। उसने कहा कि मेरे लड़के को न चलेगा। क्‍योंकि उसको सब पता है कि सांप अपने ही घर का है। वह कहता है, यह तो घर का सांप है। वह बूलाइये, जिसने काटा है। तो आप चलिए, कुछ करिये,नहीं तो मेरा लड़का जाता है। सांप के जहर से कम लोग मरते है। सांप के काटने से ज्‍यादा लोग मरते है। वह काटा हुआ दिक्‍कत दे जाता है। वह इतनी दिक्‍कत दे जाता है कि जिसका हिसाब नहीं।

मैंने सुना है कि एक गांव के बहार एक फकीर रहता था। एक रात उसने देखा की एक काली छाया गांव में प्रवेश कर रही हे। उसने पूछा कि तुम कौन हो। उसने कहां, मैं मोत हुं ओर शहर में महामारी फैलने वाली है। इसी लिये में जा रही हूं। एक हजार आदमी मरने है, बहुत काम है। मैं रूक न सकूँगा। महीने भर में शहर में दस हजार आदमी मर गये। फकीर ने सोचा हद हो गई झूठ की मोत खुद ही झूठ बोल रही है। हम तो सोचते थे कि आदमी ही बेईमान है ये तो देखो मौत भी बेईमान हो गई। कहां एक हजार ओर मार दिये दस हजार। मोत जब एक महीने बाद आई तो फकीर ने पूछा की तुम तो कहती थी एक हजार आदमी ही मारने है। दस हजार आदमी मर चुके और अभी मरने ही जा रहे है।

उस मौत ने कहां, मैंने तो एक हजार ही मारे है। नौ हजार तो घबराकर मर गये हे। मैं तो आज जा रही हूं, और पीछे से जो लोग मरेंगे उन से मेरा कोई संबंध नहीं होगा और देखना अभी भी शायद इतनी ही मेरे जाने के बाद मर जाए। वह खुद मर रहे है। यह आत्‍म हत्या है। जो आदमी भरोसा करके मर जाता है। यदि मर गया वह भी आत्‍म हत्या हो गयी। ऐसी आत्‍मा हत्‍याओं पर मंत्र काम कर सकते है ताबीज काम कर सकते है, राख काम कर सकती है। उसमें संत-वंत को कोई लेना-देना नहीं है। अब हमें पता चल गया है कि उसकी मानसिक तरकीबें है, तो ऐसे अंधे है।

एक अंधी लड़की मुझे भी देखने को मिली,जो मानसिक रूप से अंधी है। जिसको डॉक्टरों ने कहा कि उसको कोई बीमारी नहीं है। जितने लोग लक़वे से परेशान है, उनमें से कोई सत्‍तर प्रतिशत लो लगवा पा जाते है। पैरालिसिस पैरों में नहीं होता। पैरालिसिस दिमाग में होता है। सतर प्रतिशत।

सुना है मैंने एक घर में दो वर्ष से एक आदमी लक़वे से परेशान है—उठ नहीं सकता है, न हिल ही सकता है। सवाल ही नहीं है उठने का—सूख गया है। एक रात—आधी रात, घर में आग लग गयी हे। सारे लोग घर के बाहर पहुंच गये पर प्रमुख तो घर के भीतर ही रह गया। पर उन्‍होंने क्‍या देखा की प्रमुख तो भागे चले आ रहे है। यह तो बिलकुल चमत्‍कार हो गया। आग की बात तो भूल ही गये। देखा ये तो गजब हो गया। लकवा जिसको दो साल से लगा हुआ था। वह भागा चला आ रहा है। अरे आप चल कैसे सकते है। और वह वहीं वापस गिर गया। मैं चल ही नहीं सकता।

अभी लक़वे के मरीजों पर सैकड़ों प्रयोग किये गये। लक़वे के मरीज को हिप्रोटाइज करके, बेहोश करके चलवाया जा सकता है। और वह चलता है, तो उसका शरीर तो कोई गड़बड़ नहीं करता। बेहोशी में चलता है। और होश में नहीं चल पाता। चलता है, चाहे बेहोशी में ही क्‍यों न चलता हो एक बात का तो सबूत है कि उसके अंगों में कोई खराबी नहीं है। क्‍योंकि बेहोशी में अंग कैसे काम कर रहे है। अगर खराब हो। लेकिन होश में आकर वह गिर जाता है। तो इसका मतलब साफ है।

बहुत से बहरे है, जो झूठे बहरे है। इसका मतलब यह नहीं है कि उनको पता नहीं है क्‍योंकि अचेतन मन ने उनको बहरा बना दिया है। बेहोशी में सुनते है। होश में बहरे हो जाते है। ये सब बीमारियाँ ठीक हो सकती है। लेकिन इसमें चमत्कार कुछ भी नहीं है। चमत्‍कार नहीं है, विज्ञान जो भीतर काम कर रहा है। साइकोलाजी, वह भी पूरी तरह स्‍पष्‍ट नहीं है। आज नहीं कल, पूरी तरह स्‍पष्‍ट हो जायेगा और तब ठीक ही बातें हो जायें।

आप एक साधु के पास गये। उसने आपको देखकर कह दिया,आपका फलां नाम है? आप फलां गांव से आ रहे है। बस आप चमत्‍कृत हो गये। हद हो गयी। कैसे पता चला मेरा गांव, मेरा नाम, मेरा घर? क्‍योंकि टेलीपैथी अभी अविकसित विज्ञान है। बुनियादी सुत्र प्रगट हो चुके है। अभी दूसरे के मन के विचार को पढ़ने कि साइंस धीरे-धीरे विकसित हो रही है। और साफ हुई जा रही है। उसका सबूत है, कुछ लेना देना नहीं है। कोई भी पढ़ सकेगा,कल जब साइंस हो जायेगी, कोई भी पढ़ सकेगा। अभी भी काम हुआ है। और दूसरे के विचार को पढ़ने में बड़ी आसानी हो गयी हे। छोटी सी तरकीब आपको बता दूँ, आप भी पढ़ सकते है। एक दो चार दिन प्रयोग करें। तो आपको पता चल जायेगा, और आप पढ सकते है। लेकिन जब आप खेल देखेंगे तो आप समझेंगे की भारी चमत्‍कार हो रहा है।

एक छोटे बच्‍चे को लेकर बैठ जायें। रात अँधेरा कर लें। कमरे में। उसको दूर कोने में बैठा लें। आप यहां बैठ जायें और उस बच्‍चे से कह दे कि हमारी तरफ ध्‍यान रख। और सुनने की कोशिश कर, हम कुछ ने कुछ कहने की कोशिश कर रहे है। और अपने मन में एक ही शब्‍द ले लें और उसको जोर से दोहरायें। अंदर ही दोहरायें, गुलाब, गुलाब, को जोर से दोहरायें, गुलाब, गुलाब, गुलाब…….दोहरायें आवाज में नहीं मन में जोर से। आप देखेंगे की तीन दिन में बच्‍चे ने पकड़ना शुरू कर दिया। वह वहां से कहेगा। क्‍या आप गुलाब कह रहे है। तब आपको पता चलेगा की बात क्‍या हो गयी।

जब आप भीतर जोर से गुलाब दोहराते है। तो दूसरे तक उसकी विचार तरंगें पहुंचनी शुरू हो जाती है। बस वह जरा सा रिसेप्‍टिव होने की कला सीखने की बात है। बच्‍चे रिसेप्‍टिव है। फिर इससे उलट भी किया जा सकता है। बच्‍चे को कहे कि वह एक शब्‍द मन में दोहरायें और आप उसे तरफ ध्‍यान रखकर, बैठकर पकड़ने की कोशिश करेंगें। बच्‍चा तीन दिन में पकड़ा है तो आप छह दिन में पकड़ सकते है। कि वह क्‍या दोहरा रहा है। और जब एक शब्‍द पकड़ा जा सकता है। तो फिर कुछ भी पकड़ा जा सकता है।

हर आदमी के अंदर विचार कि तरंगें मौजूद है, वह पकड़ी जा रही है। लेकिन इसका विज्ञान अभी बहुत साफ न होने की वजह से कुछ मदारी इसका उपयोग कर रह है। जिनको यह तरकीब पता है वह कुछ उपयोग कर रहे है। फिर वह आपको दिक्‍कत में डाल देते है।
यह सारी की सारी बातों में कोई चमत्‍कार नहीं है। न चमत्‍कार कभी पृथ्‍वी पर हुआ नहीं। न कभी होगा। चमत्‍कार सिर्फ एक है कि अज्ञान है, बस और कोई चमत्‍कार नहीं है। इग्‍नोरेंस हे, एक मात्र मिरेकल है। और अज्ञान में सब चमत्‍कार हिप्‍नोटिक होते रहते हे। जगत में विज्ञान है, चमत्‍कार नहीं। प्रत्‍येक चीज का कार्य है, कारण है, व्‍यवस्‍था है। जानने में देर लग सकती है। जिस दिन जान जी जायेगी उस दिन हल हो जायेगी उस दिन कोई कठिनाई नहीं रह जायेगी।

गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020

आने वाले 20 वर्षो में मारवाड़ीयों के घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे

 मरणासन्न परिस्थिती 🙏
             *#विडंबना*
❇️ आने वाले 20 वर्षो में मारवाड़ीयों के घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे। भाई, भाभी, देवर, देवरानी, जेठ, जेठानी, काका, काकी सहित अनेक रिश्ते मारवाड़ीयों के घरों से समाप्त हो जाएंगे।
❇️बस ढाई तीन लोगों के परिवार बचेंगे, न हिम्मत देने वाला बड़ा भाई होगा, न तेज तर्राट छोटा भाई होगा,न घर मे भाभी होगी, न कोई छोटा देवर होगा, बहु भी अकेली होगी, न उसकी कोई देवरानी होगी न जेठानी। कुल मिलाकर इस एक बच्चा फैशन और सिर्फ मैं - मैं की मूर्खता के कारण ...

❇️ मारवाड़ी परिवार खत्म होते जा रहे हैं, दो भाई वाले परिवार भी अब आखरी स्टेज पर हैं । अब राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न सीता उर्मिला मांडवी जैसे भरे पूरे परिवार असम्भव हो चले हैं । पहले कच्चे घरो में भी बड़े परिवार रह लेते थे अब बड़े बंगलो में भी ढाई तीन लोग रहने का फैशन चल पड़ा है। मन दुखी होता है सोचकर, हम मारवाड़ीयों को ईमानदारी से इस दिशा में सोचना चाहिए।  इस चुनौती पूर्ण सदी में हम एक बच्चें को कहा कहा अड़ा पाएंगे और उसमें हिम्मत कौन भरेगा बिना भाइयों के कंधे पर हाथ रखे। मारवाड़ीयों की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है!
❇️ मारवाड़ीयों को अपना ट्रेंड परिवर्तन करना होगा बच्चों की शादी की उम्र 20 से 24 तक निश्चित करें कामयाब बनाने के चक्कर में 30 से 35 तक खींच रहे हैं इतने में एक पीढ़ी का अंतर हो जाता है आपकी कामयाबी के समय में सामने वाला बीस का आंकड़ा पार कर देता है....!
❇️ आप अपने मैं-मैं(अहंकार) एवं अपने विशेष सुख के कारणों से आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में डाल रहे हैं। आज की दौड़ में किसी को किसी से मतलब नहीं है। दुःख एवं सुख में जब अपने इकट्ठे होते हैं। इसका स्वाद ही अलग होता है।
❇️ आप अपने बच्चों को संस्कार की मात्रा बढायें एवं हमारी संस्कृति पर जोरदार असर बनायें। यदि हमारा पुरा भरा परिवार हो तो  इसके बहुत सारे लाभ हैं।  हमारा मकसद हमारी एकता एवं अखंडता को कोई बाहरी लोग तोड़ नहीं सकें।
❇️ हमारे समाज से निवेदन है कि अपने बच्चों को जितनी भाषा सिखाएं। लेकिन अपने घर के हर सदस्य आपस में माड़वाड़ी भाषा  का उपयोग करें। 
❇️ आज हमारे परिवार छोटा होने का मुख्य कारण है कि माता पिता में संस्कार एवं संस्कृति की कमी होना। दुसरी बड़ा कारण है मैं (अहंकार)। आप जो भी बोयेंगे। वहीं फल के रूप में वापस मिलेगा।
🙏🙏सोचनीय विषय है..🙏🙏🏻
❤️🙏 जय श्री राधे कृष्णा 🙏❤️

बुधवार, 14 अक्टूबर 2020

अगर पुलिस किसी मामले में पूछताछ के लिए किसी को बुलाए तो कौन सी बातें याद रखना जरूरी है?

अगर पुलिस किसी मामले में सामान्य पूछताछ के लिए किसी को बुलाए तो कौनसी बातें याद रखना जरूरी है?

भारतीयों को अपने अधिकारों के बारे में, खास कर के न्यायिक और मौलिक अधिकारों के बारे में ना ही सही जानकारी रहती है, और न ही उन्हें उसे जानने की इच्छा रहती है। इसको लेकर कोई जागरूकता भी फैलाया भी नहीं जाता। हमारे देश में इसलिए पुलिस का डर सबको बहुत रहता है। इसमें लोगों की पूरी गलती नहीं है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि पुलिस सामान्य पूछताछ पर लोगों को बहुत परेशान करता है। साक्ष्य या पूछताछ के लिए इसलिए आम नागरिक राज़ी नहीं होते।

भारतीय पुलिस( हर कोई नहीं), लेकिन बहुत स्थानों पर अपने क्रूरता और अधिकारों के उल्लंघन हेतु प्रसिद्ध है।

इस तस्वीर को तीन साल पहले हरभजन सिंह जी ने ट्वीट किया था जनता और भारत के शासक वर्गों को पुलिस का यह रूप दिखाने हेतु। इस तस्वीर में एक साथ कितने अधिकार और नियम हनन हो रहे हैं, देखिए -

  • महिला पर पुरुष पुलिस हाथ नहीं उठा सकता।
  • सरेआम पुलिस ऐसे मार नहीं सकता, चाहे वो महिला हो या पुरुष, जब तक देश में ज़रूरी कालीन परिस्थिति न हो या फिर धारा 144 न लगा हो।

लेकिन हर वक्त ऐसा नहीं होता। कुछ सामान्य बातों में पुलिस अगर पूछताछ के लिए बुलाए तो फिर लोगों को अपने अधिकारों और दायित्व के बारे में संपूर्ण जानकारी रखते हुए ही जाना चहिए।

  1. जब तक एक लिखित समन नहीं आता आपको पुलिस थाने जाने पर मजबूर नहीं कर सकतीं।
  2. पुलिस के पास जाने से पहले आप अपने साथ अपने वकील को ले जा सकते हैं। पूरी पूछताछ के समय आप के वकील आपके सहायता कर सकते हैं। पुलिसकर्मी उन्हें मना नहीं कर सकतें।
  3. आपको कोई साक्ष्य या प्रमाण देने के पुलिस मजबूर नहीं कर सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ आप केस दर्ज़ कर सकतेंं हैं।
  4. अगर आप एक महिला हैं तो सिर्फ एक महिला पुलिस अधिकारी ही आपको हात लगा सकतीं हैं। और आपको शाम ६ से सुबह ६ के बीच थाने पर बुलाया नहीं जा सकता। अगर बात कुछ गंभीर हो तो फिर वो लिखित वारंट के साथ मजिस्ट्रेट द्वारा लिखित पर्ची देकर ही ऐसा किया जा सकता है।
  5. वहां साधारण बात के लिए जाने पर भी दो चीज़ों की मांग की जाएं।इंस्पेक्शन मेमो (जिसमें यह प्रमाण रहता है कि आप थाने जाने से पहले कैसे दिख रहे थे।) और अगर आपको अरेस्ट किया जाता है तो फिर अरेस्ट मेमो की डिमांड कीजिए। इसमें सब रहेगा क्यों से लेकर कौन साक्ष्य तक।
  6. आप थाने से घर या किसी को फोन ज़रूर कर सकते हैं। आपके पास फोन न हो तो भी आपको पुलिस स्टेशन में फोन की सुविधा दिया जाना अनिवार्य है।
  7. अगर आप एक एफआईआर दर्ज़ करना चाहते हैं और पुलिस ऐसा करने से मना कर देतीं है, तो यह एक अपराध है। इसमें पुलिस को जेल भी हो सकतीं है।
  8. पुलिस आपको कुछ भी कार्य अपने मर्ज़ी के खिलाफ करने मजबूर नहीं कर सकतीं। बेहतर है आप अपने साथ अपने परिवार या दोस्त से किसी को लेकर जाए।

अभी बस इतना याद आ रहा है, बाकी और याद आने पर इसमें जोड़ते जाएंगे।

यहां पर कोई धारा, आर्टिकल आदि नाम नहीं लिखे क्योंकि यह सब संविधान और आईपीसी से ही आया है।

कोई भ्रष्टाचारी पुलिस वाला अगर फ़ालतू में परेशां करे तो हमें क्या करना चाहिए?

मैं मीडिया में सक्रिय रहा हूं इसलिए कुछ बाते बताना चाहूंगा जो मैंने देखी।

व्यवहारिक उपाय:

 

फालतू में पुलिसवाला कभी तंग नहीं करता आम तौर पर पुलिस वाले शरीफ आदमी पर कभी हाथ नहीं डालते। हाँ ये हो सकता है कि कोई पीड़ित आदमी किसी मामले में फंसकर पुलिस के चक्कर में आता है तब बात सिर्फ 'फालतू' नहीं रहती। यहां अवश्य 'भ्रष्टाचारी पुलिस वाला' पीड़ित को तंग करता है। तो उससे निपटना वाकई टेढी खीर है क्योंकि आपको इस संबंध में आवश्यक मदद किस स्तर पर जाकर मिलेगी इसका कोई निश्चित नहीं है। हो सकता है कि उसके बिल्कुल ऊपर वाले अधिकारी से मिले या complaint को होम मिनिस्ट्री तक ले जाना पड़े।

पुलिस हमेशा कमजोर को तंग करती है और यही संसार का नियम है कि हर कोई कमजोर पर हावी होना चाहता है। पंजाबी में एक कहावत का अर्थ है कि कमजोर इंसान की पत्नी सबकी भाभी होती है। भीड़ में भी जो सीधा , या कमजोर या अच्छे कपड़े वाला नहीं हो पुलिस सबसे पहले उसी की पिटाई चालू करती है ताकि अच्छे प्रोफ़ाइल दिखने वाले लोग दूर रहे और पुलिस को सबक ना सीखा पाए। ज्यादातर अनपढ़, काम चलाऊ पोशाक पहने हुए, डरपोक दिखने वाले लोग , बेहद कमजोर युवा लोग पुलिस के निशाने पर आते हैं। तेज तर्रार बोलने वाली महिला से भी पुलिस वाले नहीं उलझते।

अब बात आती है कि हर कोई तुरंत शक्तिशाली कैसे बने? बहुत समय लगता है। शक्ति के अर्थ में तो सभी निर्बल हैं।

शहर में या ग्राम में शक्ति के कुछ केंद्र होते हैं जिनसे आप अपना काम निकाल सकते हैं। ये हैं:

राजनीति से जुड़े हर तरह के लोग चाहे वह कार्यकर्ता ही हो।

पत्रकार चाहे कितना ही छोटे अखबार का हो, पुलिस उससे नहीं उलझती है।

वकील पुलिस को भी कानून सीखा सकता है इसलिए दोनों एक दूसरे से नहीं उलझते।

कोई भी संस्था, संगठन हो इनको पुलिस इज्जत देती है।

पांच आदमी साथ मिलकर थाने चले जाओ, आपकी बात सुनी जाएगी। मगर एक आदमी प्रभाव वाला हो।

आजकल सोशल मीडिया भी एक ताकत बन कर उभरा है। ऐसी घटना को रिकॉर्ड करके पुलिस थाने और पुलिस कप्तान तक पहुंचा दो, आपको हल मिल जाएगा। ।

इनमें से किसी से मिलकर अपनी समस्या बता दीजिए। कोई न कोई आपकी समस्या हल कर देगा।

मैंने पत्रकारिता के दौरान बहुत से लोगों की निस्वार्थ मदद की थी। हमारी कालोनी में एक परिवार रहता था। उनका लड़का मेरा मित्र था। एक दिन उसने मुझे बताया कि कई साल हो गए। उसकी शादी का पलंग व अलमारी आदि एक फर्नीचर वाला दे नहीं रहा और दाम दुगुने तिगुने लगाए बैठा है।

हर कोशिश कर ली जो मेरा दोस्त कर सकता था। पुलिस भी सुनवाई नहीं कर रही थी। मैंने उसे एक कागज पर थानाधिकारी के नाम छोटा सा संदेश लिख कर दिया। नीचे मेरे हस्ताक्षर और मोहर लगा दी। याद आया उन दिनों मैं एक पार्टी का छात्र नेता भी था।

मैं बात को भूल गया। कुछ दिन बाद मेरा दोस्त मिला। वह खुश था । उसका सामान आसानी से पुलिस वाले ने दिला दिया।

दरअसल पुलिस आजकल मनी और पॉवर की बात ही समझती है। अगर दो विरोधी पक्ष एक धन लेकर और दूसरी पॉवर लेकर पुलिस के सामने आ जाए तो यहां थोड़ा संशय आ जाता है। पुलिस इस स्थिति में भी बीच का रास्ता निकाल लेती है। सबसे पहले नौकरी की रक्षा करेगी, फिर अपना पैसा पक्का करने की पूरी कोशिश करेगी और फिर बीच का रास्ता निकलेगी और दोनों पक्षों को संतुष्ट कर देगी। अगर फिर भी एक पक्ष नहीं मानता तो प्रभावशाली लोगों से बैठकें चलेंगी और विरोधी को संतुष्ट करने का पूरा प्रयास चलेगा। ऐसे में अगर पीड़ित कोई कमजोर व्यक्ति है तो उसको फेवर में लेकर सब लोग अपना लाभ उठाएंगे। रिपोर्ट दर्ज भी हो जाती है तो भी कार्रवाई ना के बराबर चलेगी। जैसे निर्भया मामले में हो रहा है जिस पर कई प्रभावशाली धडों की राजनीति चल रही है और यह मामला कुछ लोगों की नाक का सवाल बना हुआ है और फुटबाल का खेल जैसा हो रहा है। युक्तियां ढूंढी जा रही है। वकील लाभ उठा रहे हैं और कई अदृश्य पक्ष मैदान में डटे हैं। खैर, यह तो एक राजनीतिक मामला बन गया है। छोटे लेवल पर बात करें तो निर्बल इंसान की अधिकतर कोई सुनवाई नहीं होती। मनी या किसी की पॉवर का साथ लेना पड़ता है।

कहने का सार यह है कि परेशान होने की बजाय इसे टाले नहीं। उचित माध्यम से इसका हल करें। माध्यम मैंने ऊपर बता दिए हैं।

पुलिस द्वारा पुलिस पॉवर का गलत इस्तेमाल का रिपोर्ट कहा करे?

 

पुलिस द्वारा पुलिस पॉवर का गलत इस्तेमाल का रिपोर्ट कहा करे ?

हम अक्सर ये सुनते है की पुलिस अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल कर के किसी को किसी केस में फसा दिया तो किसी को पैसे ले कर छोड़ दिया !

ऐसे किस्से हम बहुत सुनते है और बहुत से लोग है जो की जानते नहीं है की ऐसे पारिस्थिति में क्या करे और किसको रिपोर्ट करे!

पुलिस द्वारा अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए भारतीय सर्वोच्य नायालय ने प्रकाश सिंह और दुसरे वर्सेज भारत सरकार AIR 2006 SCC1 केस में यह आदेश दिया की सभी राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण(Police Complaint Authority) का गठन करे !

पुलिस शिकायत प्राधिकरण पुलिस के द्वारा शक्ति के गलत इस्तेमाल से संबधित जो  शिकायते  मिलता है उसकी सुनवाई करेगा और प्रथम दृश्य अगर कोई शक्ष्य मिलता  है  तो उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ जाँच करके प्रशासन को उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ :

  • फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट (FIR)  करने या 
  • विभागीय अनुशाश्निक  करवाई  करने का अनुशंसा कर सकता है 
जिसे पुलिस प्रशासन को मानना पड़ेगा  अगर पुलिस प्रशासन पुलिस शिकायत प्राधिकरण के अनुसंसा को नहीं मानता है तो उसे लिखित में उसका कारण बताना पड़ेगा की क्यों वह अनुसंसा को नहीं मान  रहा है !

इस लिए यह आम जनता के लिए सरकार द्वारा दिया गया एक बहुत ही कारगर रास्ता है जीके द्वारा आम जनता एक पुलिस अधिकारी के द्वारा पुलिस पॉवर का गलत इस्तेमाल जैसे :
  • किसी व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत 
  • किसी व्यक्ति को पुलिस कर्मी द्वारा IPC की धरा 320 में परिभाषित कोई गंभीर चोट 
  • पुलिस कर्मी द्वारा बलात्कार या बलात्कार की कोशिश करना 
  • पुलिस कर्मी द्वारा अपने संज्ञान में आये अपराध का FIR नहीं करना 
  • पुलिस कर्मी द्वारा अपने अधिकारों का किया गया गंभीर दुरूपयोग 
  • पुलिस कर्मी द्वारा विधि स्थापित प्रक्रिया की बिना किसी ब्यक्ति की गिरफ्तारी या कैद 
  • पुलिस कर्मी द्वारा जबरन पैसे की वसूली 
  • पुलिस कर्मी द्वारा किसी की जमीन या घर हथिया लेना 
उपरोक्त या कोई ऐसी करवाई जिसमे जनता को लगता है की पुलिस उसके साथ विधि विरुद्ध करवाई कर रही है तो वह अपना शिकायत पुलिस शिकायत प्राधिकरण में कर सकता है !

पुलिस शिकायत प्राधिकरण(PCA) का मुखिया कोई पुलिस अधिकारी नहीं होता है बल्कि वह कोई इमिनेंट पर्सनालिटी जैसे रिटायर जज या सिविल अधिकारी या वकील होते है इसलिए वह डरने की कोई बात नहीं होता है !

आप पुलिस शिकायत प्राधिकरण में अपना शिकायत लिखितं मे डाक , फैक्स या ईमेल के द्वार भेज सकते है ! सभी राज्यों के पुलिस शिकायत प्राधिकरण का पूरा पता आप उस राज्य के पुलिस के वेबसाइट पे प् सकते है ! 

इस प्रकार से पुलिस के गलत शक्ति के इस्तेमाल का रिपोर्ट कहा करे से सम्बंधित एक संक्षिप्त पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है की पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट में तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे ! 

किसी भी झूठी एफआईआर से बचने के लिए धारा 482 के तहत आपके ये अधिकार हैं #falseFIR


  Say two words to police, all will be done

#Section482 #Saytwowordstopolice #falseFIR #highcourt #lawyer

धारा 482 के तहत हैं आपके ये अधिकार इस धारा का आप इस्तेमाल करके किसी भी झूठी एफआईआर से बचने के लिए कर सकते हैं। इसके लिए आपको वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र भेजना होगा। इसके साथ आप ये बात बता सकते हैं कि आपके खिलाफ जो FIR लिखवाई गई है वो गलत है इसके साथ आप अपनी बेगुनाही के सबूत भी दे सकते हैं। प्रार्थना पत्र के साथ वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ्स, डॉक्युमेंट्स जैसे दस्तावेज कोर्ट को भेजें।

अमूमन देखा जाता है कि लोगों को चोरी, मारपीट, बलात्कार या किसी दूसरे मामले में झूठा फंसाया जाता है। इस तरह के झूठे FIR से बचने के लिए आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। आपको बता दें कि हाईकोर्ट में जब तक केस का फैसला नहीं आ जाता पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती। इसके अलावा, आपको गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता है। इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति जो बेगूनाह है बच सकता है। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद आपको अपनी बेगूनाही के जरुरी दस्तावेज भी जमा करने होंगे। यह धारा ऐसे लोगों को FIR और इसके बाद होने वाली कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए ही बनाया गया है।

Section 482 You can use this section to avoid any false FIR. For this, you have to send a petition in the High Court through a lawyer. With this you can tell you this that the FIR that has been written against you is wrong and you can also give evidence of your innocence. Send documents like video recordings, audio recordings, photographs, documents along with the request letter to the court.
 

It is commonly seen that people are falsely implicated in theft, assault, rape or any other case. You can appeal in the High Court to avoid such a false FIR. Tell you that the police can not take any legal action against you unless the decision of the case is not reached in the High Court. Apart from this, you can not even be arrested. Under this section any person who is absent is able to escape. After filing petition in the High Court, you will also need to submit the necessary documents of your absconding. This section is designed to prevent such people from avoiding FIR and subsequent legal proceedings.

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