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शनिवार, 17 जून 2023

झूठ की खेतीझूठ को हज़ार बार बोलें तो झूठ सच लगने लगता है

झूठ की खेती
झूठ को हज़ार बार बोलें तो झूठ सच लगने लगता है।
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आर्यों का बाहर से आक्रमण, यहाँ के मूल निवासियों को युद्ध कर हराना, उनकी स्त्रियों से विवाह करना, उनके पुरुषों को गुलाम बनाना, उन्हें उत्तर भारत से हरा कर सुदूर दक्षिण की ओर खदेड़ देना, अपनी वेद आधारित पूजा पद्धति को उन पर थोंपना आदि अनेक भ्रामक, निराधार बातों का प्रचार जोर-शोर से किया जाता है। 
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वैदिक वांग्मय और इतिहास के विशेषज्ञ स्वामी दयानंद सरस्वती जी का कथन इस विषय में मार्ग दर्शक है। 
स्वामीजी के अनुसार किसी संस्कृत ग्रन्थ में वा इतिहास में नहीं लिखा कि आर्य लोग ईरान से आये और यहाँ के जंगलियों से लड़कर, जय पाकर, निकालकर इस देश के राजा हुए
(सन्दर्भ-सत्यार्थप्रकाश 8 सम्मुलास)
जो आर्य श्रेष्ठ और दस्यु दुष्ट मनुष्यों को कहते हैं वैसे ही मैं भी मानता हूँ, आर्यावर्त देश इस भूमि का नाम इसलिए है कि इसमें आदि सृष्टि से आर्य लोग निवास करते हैं इसकी अवधि उत्तर में हिमालय दक्षिण में विन्ध्याचल पश्चिम में अटक और पूर्व में ब्रहमपुत्र नदी है इन चारों के बीच में जितना प्रदेश है उसको आर्यावर्त कहते और जो इसमें सदा रहते हैं उनको आर्य कहते हैं। (सन्दर्भ-स्वमंतव्यामंतव्यप्रकाश-स्वामी दयानंद)।
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स्वयं वेद क्या कहता है 
अकर्मा दस्युरभि नो अमन्तुरन्यव्रतो अमानुष: ।
त्वं तस्यामित्रहन् वध: दासस्य दम्भय ।।
ऋग्वेद 10/22/8
ऋग्वेद कहता है -
(1)"अकर्मा दस्यु: "। जो कर्मशील नही है, जो निष्क्रिय है, उदासीन है, जो आनंद प्रमोद में मस्त है, वह अकर्मा है । जिसका अच्छा खाना-पीना और मौज करना ही लक्ष्य है, वह अकर्मा है । जो अन्य के लिए कुछ सोचता नहि, वह अकर्मा है । अच्छे कार्य क्या क्या है, वह जानते हुए भी उसमें जो प्रवृत नहीं होता, वह अकर्मा है । अकर्मा दस्यु है । जो मनुष्य करनेयोग्य कार्य करने मे समर्थ है, फिर भी वह कार्य में परिणित नही होता, वह दस्यु है । दस्यु रहना अपराध है, दंडनीय है । हम अकर्मा नही, सुकर्मा बने । सुकर्मा का जीवन ओजस्वी, दीर्घायु औऱ सभी के लिए अनुकरणीय होता है ।
जो मनुष्य वेदादि शास्त्र पढ़ता है, पढाता भी है, परंतु व्यवहार में शून्य है अथवा तो विपरीत है, वह दस्यु है अर्थात् पृथ्वी पर भार रूप है ।
(2) अमन्तु: दस्यु: - अर्थात् जो मंतव्यहीन है, जिसका जीवन मे कोई खास उद्देश्य नही, जो मर्यादाओ का उल्लंघन करनेवाला है,जो मनमानी करेवाला है, वह दस्यु है , राक्षस है ।
दुराचारी सदा अपनी मनमानी करता है । श्रेष्ठ एवम् शालीन आचरण नही करनेवाला दस्यु है । जिसकी शिष्टाचार, सत्य, न्याय, धर्म , पुनर्जन्म, कर्म , आत्मा, ईश्वर किसी में भी कोई श्रद्धा विश्वास नही, वह दस्यु है, पापी है । जिसमें मननशीलता और समझदारी का अभाव है, वह दस्यु है । बिना सोचे समजे काम करनेवाले अमन्तु है । जोश में होंश खोनेवाला, क्रोधादि के आवेग में संयम न रखनेेवाला दस्यु है । उद्वेगी, असहनशीलता, छिछोरापन, नासमझी दस्युपन है, हेय है, हानिकारक है ।
(3) अन्यव्रत: दस्यु: - अर्थात् जो अन्य व्रती है, विपरीत व्यवहार करनेवाला है , वह निंदनीय है । जो मनुष्य बाहर से तो धार्मिक है, अच्छे सात्विक वस्त्र धारण करते है, सभा सत्संग में सत्य और मधुर वाणी भी प्रगट करते है, किन्तु आचरण बिलकुल उसके विपरीत है, वह दस्यु है । जो अपने निहित स्वार्थ की सिद्धि की लिए सब के सामने व्रत भी ले लेते है, परंतु वर्तन सर्वथा उल्टा करते है, एसे पोंगा पंडितो से बचना चाहिए, क्योकि वह अंदर से दस्यु, दानव होते है ।
(4) अमानुष: दस्यु: - जिस मानव में मानवता नहि, वह अमानुष है, दस्यु है । जिस मनुष्य में मनुष्यता का अभाव है, उसे अमानुष कहते है । पशु और मनुष्य के बीच का अलगावपन धर्म के कारण है । पशु कभी पशुधर्म से च्युत होता नहि, परंतु मनुष्य एक चाय की प्याली के लिए अपना ईमान खो देता है, अपने धर्म से पतित हो जाता है । अपने विचार, आचार-व्यवहार से सभी जीवमात्र का हित करनेवाला मनुष्य है, देव है ।
जिसके विचार, वाणी तथा व्यवहार से मानवजाति में दुश्चरित्रता फैलती है, वह अमानुष दस्यु है, कठोर दंड के भागी है ।
असुरता, दस्युपन, अनार्यता, दानवता प्राणिमात्र के लिए दुःखदायक है, कलंकित है ।ज्यादातर मनुष्य आर्यत्व से दूर जा रहे है । महदअंश में सभी का लक्ष्य 'येन केन प्रकारेण' केवल धन हो गया है । कैसे भी हो, सभी को बहुत जल्दी , बहुत सारा धन चाहिए, पद- प्रतिष्ठा चाहिए, कंचन- कामिनी चाहिए । नेता लोग अपने कुछ स्वार्थ के लिए राष्ट्र को बेचने के तक तैयार हो जाते है । नेताओ को केवल वोट चाहिए । कैसे भी अपना काम होना ही चाहिए । कुछ भी हो जाए, कितनी भी मारपीट करनी पड़े, जरूर हो तो दंगल - फसाद भी किया जाए, किन्तु अपनी गद्दी सलामत रहनी चाहिए । सारा समाज, सभी क्षेत्र, सारे आश्रम, सारी वर्णव्यवस्था नष्ट - भ्रष्ट हो चुकी है । अच्छे व्यक्तिओ की कोई सुनता नही, सज्जन लोग निष्क्रिय हो गए है । थोड़े से गुंडे, थोड़े से देशद्रोही सारे राष्ट्र पर हामी हो गए है । राष्ट्र खतरे में है, मानवजाति खतरे में, हिंदु (आर्य) जाति सिकुड़ चुकी है । क्या होगा मानवजीति का ? क्या होगा धर्म का, वेद का, सत्य ज्ञानविज्ञान का ?
वेद उत्तर देता है (तस्य दासस्य दंभय) उस दस्यु का नाश करो ।
हे परमेश्वर ! आप ऐसे दस्युओं का विनाश करके विभिन्न नारकीय योनियों में डालते हो । हमें भी ऐसी शक्ति, साहस, ओजस्वीता, बल व उत्साह प्रदान करे, जिससे संगठित होकर उसे हम रोक सके और परिवार, समाज, राष्ट्र तथा विश्व की रक्षा कर सके ।
आवश्यकता है सभी सज्जन संगठित हो जाए, एक समान विचारवाले हो जाए, एक समान गतिवाले हो जाए, एक लक्ष्य तथा एक मान्यतावाले हो जाए । समाज तथा राष्ट्र में दस्युओं के विनाश के लिए सर्वस्व की आहुति देने हेतु सुकर्मा संत- महात्मा मानवसमाज को प्रेरित करे और धर्म का सुस्थापन हो ऐसा घोर पुरुषार्थ किया जाय । दुष्टो का हनन और सज्जन की रक्षा होनी चाहिए ।

कार्विका - सिकंदर को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी

कार्विका - सिकंदर को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी 
राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य  की राजकुमारी थी। राजकुमारी कार्विका बहुत ही कुशल योद्धा, रणनीतिकार और दुश्मनों के युद्ध चक्रव्यूह को तोड़ने में पारंगत थी। राजकुमारी कार्विका ने अपने बचपन की सहेलियों के साथ सेना बनाई थी।

जिस उम्र में लड़कियाँ गुड्डे गुड्डी का ब्याह रचाने वाले खेल खेलते थे उस उम्र में कार्विका को शत्रु सेना का दमन कर के देश को मुक्त करवाना, शिकार करना जैसे खेल खेलना पसंद थे। राजकुमारी धनुर्विद्या के सारे कलाओं में निपुण थी। दोनो हाथो से तलवारबाजी करते मां काली का रूप प्रतीत होती थीं।

जब भयंकर तबाही मचाते हुए सिकंदर की सेना नारियों के साथ दुष्कर्म करते हुए और हर राज्य को लूटते हुए कठगणराज्य की ओर आगे बढ़ रही थी तब अपनी महिला सेना जिसका नाम राजकुमारी कार्विका ने चंडी सेना रखी थी जो कि 8000 से 8500 विदुषी नारियों की सेना थी, के साथ युद्ध करने की ठानी।

335 इ.पूर्व में सिकन्दर द्वारा अचानक आक्रमण करने पर राजकुमारी कार्विका ने सिकंदर से युद्ध किया। सिकन्दर की सेना लगभग 150000 थी और कार्विका कि सेना मात्र 8500 वीरांगनाओं की सेना थी जिसमें कोई पुरुष नहीं था। यह तथ्य ऐतिहासिक है।

सिकंदर ने पहले सोचा "सिर्फ नारी की फ़ौज है, मुट्ठीभर सैनिक काफी होंगे”। पहले 25000 की सेना का दस्ता भेजा गया उनमे से एक भी ज़िन्दा वापस नहीं आ पाया।राजकुमारी की सेना में 50 से भी कम वीरांगनाएँ घायल हुई थी पर मृत्यु किसी को छू भी नहीं पायी थी।

दूसरी युद्धनीति के अनुसार सिकंदर ने 4000 का दूसरा दस्ता भेजा। उत्तर, पूर्व और पश्चिम तीनों और से घेराबन्दी कर दी गई परंतु राजकुमारी कार्विका सिकंदर की तरह कायर नहीं थी। वह स्वयं सैन्यसंचालन कर रही थी। उनके निर्देशानुसार सेना ने तीन भागो में बंट कर लड़ाई लदी और सिकंदर की सेना पस्त हो गई।

तीसरी और अंतिम 85000 दस्ताँ का मोर्चा लिए सिकंदर स्वयं आया। नंगी तलवार लिये राजकुमारी कार्विका ने अपनी सेना के साथ सिकंदर को अपनी सेना लेकर सिंध के पार भागने पर मजबूर कर दिया। इतनी भयंकर तवाही से पूरी तरह से डर कर सैन्य बलों के साथ पीछे हटने के लिए सिकंदर मजबूर हो गया।

सिकंदर की 150000 की सेना में से 25000 के लगभग सेना शेष बची थी। हार मान कर प्राणों की भीख मांगते हुए सिकंदर ने कठगणराज्य पर दोबारा आक्रमण नहीं करने का लिखित संधिपत्र पत्र सौंप दिया कार्विका को।

इस महाप्रलयंकारी अंतिम युद्ध में कठगणराज्य के 8500 में से 2750 साहसी वीरांगनाओं ने भारत माता को अपना रक्ताभिषेक चढ़ा कर वीरगति को प्राप्त कर लिया। जिसमे से इतिहास के दस्ताबेजों में गरिण्या, मृदुला, सौरायमिनि, जया यह कुछ नाम मिलते हैं।

नमन है ऐसी वीरांगनाओं को 🙏

गुरुवार, 15 जून 2023

वाहन चालकों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण... टोल की रसीद की कीमत को समझें और उसका उपयोग करें

वाहन चालकों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण... टोल की रसीद की कीमत को समझें और उसका उपयोग करें
  "टोल बूथ पर मिली इस रसीद में क्या छिपा है और इसे सुरक्षित क्यों रखा जाए?
  इसके अतिरिक्त लाभ क्या हैं?" आईए आज जानते हैं।
  1.  यदि टोल रोड पर यात्रा करते समय आपकी कार अचानक रुक जाती है तो आपकी कार को टो करने के लिए टोल कंपनी जिम्मेदार होती है।
  2.  अगर एक्सप्रेस हाईवे पर आपकी कार का पेट्रोल या बैटरी खत्म हो जाती है तो आपकी कार को बदलने और पेट्रोल और बाहरी चार्जिंग प्रदान करने के लिए टोल संग्रह कंपनी जिम्मेदार है। आपको फोन करना चाहिए। दस मिनट में मदद मिलेगी और 5 से 10 लीटर पेट्रोल फ्री मिलेगा। अगर कार पंचर हो जाए तो भी आप इस नंबर पर संपर्क कर मदद ले सकते हैं।
  3.  यहां तक कि अगर आपकी कार दुर्घटना में शामिल है तो आपको या आपके साथ आने वाले किसी व्यक्ति को पहले टोल रसीद पर दिए गए फोन नंबर पर संपर्क करना चाहिए।
  4.  यदि कार में यात्रा करते समय अचानक किसी की तबीयत खराब हो जाती है तो उस व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाने की आवश्यकता हो सकती है।  से समय में यह टोल कंपनियों की जिम्मेदारी है कि आप तक एंबुलेंस पहुंचाएं।
  जिन लोगों को यह जानकारी मिली है, वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
#टोल प्लाजा

बुधवार, 14 जून 2023

फिल्म: चेलवी -फिल्म का कोई ऐसा दृश्य है जिसे आप आज तक भुला नहीं पाए हैं?

 

फिल्म: चेलवी

आधा-पेड़, आधा-मनुष्य

चेलवी (नायक) के पास खुद को एक फूल वाले पेड़ में बदलने की अलौकिक शक्तियां थीं। वह इस रहस्य को अपनी बड़ी बहन के साथ साझा करती है और वे दोनों फूल बेचने लगते हैं।

जमींदार का बेटा कुमार फूलों की सुगंध से चकित था और उनकी उत्पत्ति के बारे में जानने के लिए बहुत गंभीर था। एक दिन उसने चेलवी का जंगल में पीछा किया और उसके रहस्य के बारे में जाना। फिर वह उससे शादी करने की जिद करने लगा।

शादी के बाद चेलुवी और कुमार दोनों ने फूलों के पेड़ के रहस्य को छिपाने की कोशिश की लेकिन एक दिन कुमार की बहन शामा ने चेलुवी के परिवर्तन को देखा और उसे जादू दिखाने के लिए मना लिया। चेलुवी ने शामा से कहा कि वह जितने चाहे फूल ले ले लेकिन पेड़ की शाखाओं को ज़रा भी नुकसान न पहुँचाए। लेकिन शामा के दोस्तों ने शाखाओं को तोड़ दिया और चेलुवी को आधा इंसान, आधा पेड़ के रूप में छोड़ दिया।

सबसे दिल तोड़ने वाला दृश्य था ...

जब कुमार उस हालत में चेलुवी से मिला और समाधान मांगा। चेलुवी ने उसे मूल रूप में बदलने में मदद करने के लिए जंगल से अपनी सभी टूटी हुई शाखाओं को इकट्ठा करने का सुझाव दिया।

लेकिन जब कुमार और चेलुवी जंगल में पहुँचे तो उन्होंने देखा कि कई पेड़ गिर चुके हैं और अब चेलवी की शाखाओं को ढूँढ़ना असंभव है।

सिनेमा ने कैसे हमे ब्रेनवाश किया

 

ये सब बॉलीवुड फिल्म से आया विचार है कुछेक साल पहले जब मैं लिब्रांडू हुआ करता तो ATM से निकले नोटों में देखता था कही मिल जाए 786 ,जब मिलता था तो खुश होता था । सेकुलर था

सिनेमा ने कैसे हमे ब्रेनवाश किया

ये अमिताभ बच्चन अपनी फिल्मों में मंदिर तो नही जाता लेकिन 786 का बिल्ला रखता है ।

ये अमिताभ बच्चन सूर्यवंशी में 786 की गाडी से घूमता

ये क्या असली सूरवंशी फिल्म में तो ऐसा नही था ।

ये फिल्म बुलंदी इसमें भी चुपके से 786

फिल्म कोई भी हो फ्रेम में चुपके से 786 फिट कर दिया जाता था और आहिस्ता आहिस्ता आप का अवचेतन मन प्रभावित हो चुका होता है ।

और आप भी 786 के नोट , नंबर प्लेट लेने लगते हो ।

अब लोगो की अक्ल खुल रही है तब समझ आ रहा है कैसे कैसे खेल खेले गए हमारे साथ ।

क्या है बर्बरीक कुंड की महिमा ?

क्या है बर्बरीक कुंड की महिमा ?

भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर..

भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है, दरअसल इस मंदिर में एक ऐसा कुंड है जो हमेशा ही पानी से भरा रहता है, और इस कुण्ड में नहाने के लिए साल भर लोगों का तांता लगा रहता है, जी हां हम बात कर रहे हैं बर्बरीक कुंड यानि श्याम कुंड के बारे में, जो भारत के राजस्थान(Rajasthan) के जयपुर(Jaipur) में स्थित एक मशहूर मंदिर खाटू श्याम बाबा के मंदिर का हिस्सा है, खाटू वाले बाबा के मंदिर में स्थित ये कुंड अपने अंदर बहुत से रहस्यों को दबाए हुए है।

बाबा श्याम के इस विख्यात मंदिर की कई मान्यताएं और कहानियां (Stories) है, बाबा के मंदिर में मौजूद ये कुंड अपनी उत्पत्ति को लेकर भी कई रहस्य छिपाए हुए है, कहा जाता है कि आज से हजारों साल पहले जब यहां केवल मिट्टी ही थी, तब यहां रोज गाय आया करती थी, और जानवर आया करते थे और इस स्थान पर पहुंचने के बाद गाय का अपने आप दूध देने लगती थी, रोज हो रहे इस घटनाक्रम को देखने के बाद आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों ने वहां खुदाई का काम शुरू कर दिया, और जब उन्होंने गड्ढा खोदना शुरू किया तो उनका सामना एक गजब रहस्य से हुआ, दरअसल, खुदाई करते हुए जब वो लगभग 30 फीट(Feet) तक नीचे पहुंचे तो उन्हें एक बक्सा मिला जिस पर लिखा था, बर्बरीक कथाओं की माने तो इस बक्से के अंदर महाभारत काल के बर्बरीक का असली सिर मौजूद था, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने इस बक्से को ले जाकर उस समय के राजा रतन सिंह को दिया, चौकाने वाली बात तो ये रही कि जिस स्थान से वो शीश प्रकट हुआ ठीक उसी स्थान से पानी का तेज प्रभाव शुरू हो गया जिसे आगे जाकर श्याम कुंड कहा गया, हर साल लगने वाले मेले में आने वाले भक्त पहले इसकुंड में आकर नहाते हैं, और फिर जाकर बाबा के दर्शन कर सके।

आखिर कौन थे बर्बरीक
बर्बरीक महाभारत(Mahabharat) के एक महान योद्धा (Warrior) थे, उनके पिता घटोत्कच और माता अहिलावती थे, बचपन से ही बर्बरीक को उनकी माँ ने सिखाया था, कि युद्ध हमेशा ही हारने वाले की तरफ से करना चाहिए, और बर्बरीक भी हमेशा इसी सिद्धांत को याद में रखकर युद्ध भूमि में जाया करते थे, कहा जाता है कि बर्बरीक ने भगवान शिव और माता आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी, जिसके बाद खुश होकर भगवान ने उन्हें कुछ सिद्धियां दी थी, जिन्हें पाने के बाद बर्बरीक और भी ज्यादा बलवान हो गए थे, जानकारी के मुताबिक इन शक्तियों का प्रभाव इतना ज्यादा था कि वो महाभारत जैसे विशाल युद्ध को भी पलक झपकते ही बंद करवा सकते थे, और युद्ध में भाग ले रहे सभी वीरों को मौत के घाट उतार सकते थे, लेकिन उनके अपनी माता को दिए हुए वचन के कारण भगवान श्रीकृष्ण की चिंता काफी ज्यादा बढ़ी हुई थी, जिसके चलते बर्बरीक के युद्ध में शामिल होने से पहले ही भगवान ने साधु का रूप धारण करके उनसे उनका सिर मांग लिया, जिसके बाद उनकी सारी शक्तियों को उन्होंने मां रणचंडी को बलि चढ़ा दिया, वहीं इतना बड़ा बलिदान देने के बाद उन्हें शीश का दानी कहा गया, वहीं अपना ये बलिदान (Sacrifice) देने के बाद उन्होंने महाभारत युद्ध की समाप्ति तक इस युद्ध को देखने की कामना करी, बलिदान से खुश होकर श्रीकृष्ण ने वरदान देकर उनके सिर को एक पहाड़ पर रख दिया, जिसके बाद बर्बरीक ने पूरा युद्ध देखा।

आखिर क्या है श्याम कुंड की मान्यताएं
श्याम कुंड को लेकर कई तरह की मान्यताएं जताई जाती है, कहा जाता है कि श्याम कुंड में नहाने से कई पाप दूर हो जाते हैं, और अगर कोई बाबा के दरबार पर पहुंचकर अच्छे और निश्चल मन से कुंड में स्नान करता है तो उसे एक नया शरीर मिल जाता है, इसके अलावा अगर कोई हारा हुआ हो उसका कोई काम न बन रहा हो और वो जाकर बाबा के कुंड में स्नान करे तो बाबा हारे का सहारा बनकर उसका साथ देते हैं, इसके अलावा इस कुंड में नहाने से शरीर और मन दोनों की ही अशुद्धियों का नाश हो जाता है, और अगर किसी स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति न हुई हो और वो जाकर बाबा के कुंड में नहा ले तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

अंत में, उन्होंने इसे मुफ़्त प्रवेश कर दिया और जल्द ही, चिड़ियाघर लोगों से भर गया।

 एक आदमी ने एक चिड़ियाघर की स्थापना की और प्रवेश शुल्क 300 कर दिया लेकिन कोई भी वहाँ नहीं गया।

उन्होंने इसे घटाकर 200 कर दिया लेकिन फिर भी कोई नहीं आया।फिर उन्होंने फीस घटाकर 50 कर दी, लेकिन फिर भी लोग नहीं आए।

अंत में, उन्होंने इसे मुफ़्त प्रवेश कर दिया और जल्द ही, चिड़ियाघर लोगों से भर गया।

फिर उसने चुपचाप चिड़ियाघर के गेट को बंद कर दिया, शेरों को आज़ाद कर दिया और बाहर निकलने का शुल्क 500 कर दिया।

शिक्षा -

मुफ्त कुछ नही होता। न गैस न स्वास्थ्य न बिजली। सिर्फ टोपी इधर से उधर होती है ।🙏

हर मंगलवार को आप मंदिर में पहुंचने की आदत डालें

आवश्यक
संदेश

भाइयों मंगलवार आ रहा है। हर मंगलवार को आप मंदिर में पहुंचने की आदत डालें जिस तरह ईसाई रविवार को चर्च जरूर जाता है। और मुसलमान शुक्रवार को मस्जिद जरूर जाता है। हमें भी मंगलवार का दिन तय करना पड़ेगा बल और बुद्धि का दिवस शक्ति का दिवस हनुमान जी का दिवस।
आप सभी को शिकायत होती है कि हिंदू कभी हिंदू के लिए खड़ा नहीं होता। कैसे होगा क्या आपने ऐसा कोई नियम बना रखा है जिसमें आप कम से कम सप्ताह में एक बार एक दूसरे से मिले।
आइए हम अपने वीरान पड़े मंदिरों को शक्ति और संगठन स्थल के रूप में विकसित करें।

               हर मंगलवार शाम को 7:00 से 7:30 के बीच आप चाहे कहीं भी है मंदिर अवश्य पहुंचे । हनुमान चालीसा एवं आरती का समय यही होता है।
आप अपने घर पर हैं तो घर के पास के मंदिर में ।दुकान पर है तो दुकान के पास के मंदिर में ऑफिस में है तो ऑफिस के पास किसी मंदिर में ।अगर आप यात्रा पर भी हैं तो आप जहां भी हैं वहां पर आसपास किसी भी मंदिर में हर मंगलवार 7:00 से 7:30 के बीच जरूर पहुंचे।
कल्पना कीजिए भारतवर्ष में लाखों लाखों मंदिर है अगर हर मंदिर में सिर्फ 50 से 100 लोग भी पहुंचेंगे और एक साथ उनके घंटों की शंख की और आरती की आवाजें गूंज आएगी तो एक मिश्रित संगीत जब पूरे भारतवर्ष में हर मंगलवार ठीक 7:00 से 7:30 के बीच में गूंजेगा तो यह आवाज पूरी दुनिया में जाएगी इसका असर बहुत ही दूरगामी होगा। विश्वास कीजिए आज की सभी समस्याएं कपूर की तरह उड़ जाएगी इतनी बड़ी संख्या में जब हिंदू अपने मंदिरों में पहुंचेगा वह भी हर सप्ताह तो किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं होगी कि हिंदू को छेड़ सके।
हो सके तो अपने साथ अपने बीवी बच्चों को भी लेकर मंदिर जाए जब आप इस तरह से नियमित रूप से हर मंगलवार मंदिर पहुंचेंगे तो वहां आपके आस पड़ोस में एक ही जो लोग हैं वह भी आपसे मिलेंगे आपकी जान पहचान बढ़ेगी आपस में संबंध बढ़ेंगे और फिर आप एक दूसरे के सुख दुख में भी शामिल होंगे इसी तरह से हम सभी एकता के सूत्र में बंध जाएंगे।
अगर संदेश पसंद आया है तो इसे सभी ग्रुपों में प्रसारित करें। और आज ही प्रण करें चाहे हम कुछ भी कर रहे हैं हर मंगलवार 7:00 से 7:30 के बीच हम मंदिर जरूर पहुंचेंगे अपने लिए नहीं अपने समाज और अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए। ध्यान रहे अब यह आवश्यक हो चुका है अगर आप इसे अभी भी डालते रहे तो बहुत बड़े खतरे में आप पढ़ने वाले हैं। जितना शीघ्र आप इसे शुरू करेंगे इतना जल्दी आप एक दूसरे से एकता के सूत्र में बंध जाएंगे।

               जय श्री राम

इस संदेश को कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे
  कुछ लोग नही भेजेंगे लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंगे

                 जय श्री राम

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