कार्विका - सिकंदर को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी
राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य की राजकुमारी थी। राजकुमारी कार्विका बहुत ही कुशल योद्धा, रणनीतिकार और दुश्मनों के युद्ध चक्रव्यूह को तोड़ने में पारंगत थी। राजकुमारी कार्विका ने अपने बचपन की सहेलियों के साथ सेना बनाई थी।
जिस उम्र में लड़कियाँ गुड्डे गुड्डी का ब्याह रचाने वाले खेल खेलते थे उस उम्र में कार्विका को शत्रु सेना का दमन कर के देश को मुक्त करवाना, शिकार करना जैसे खेल खेलना पसंद थे। राजकुमारी धनुर्विद्या के सारे कलाओं में निपुण थी। दोनो हाथो से तलवारबाजी करते मां काली का रूप प्रतीत होती थीं।
जब भयंकर तबाही मचाते हुए सिकंदर की सेना नारियों के साथ दुष्कर्म करते हुए और हर राज्य को लूटते हुए कठगणराज्य की ओर आगे बढ़ रही थी तब अपनी महिला सेना जिसका नाम राजकुमारी कार्विका ने चंडी सेना रखी थी जो कि 8000 से 8500 विदुषी नारियों की सेना थी, के साथ युद्ध करने की ठानी।
335 इ.पूर्व में सिकन्दर द्वारा अचानक आक्रमण करने पर राजकुमारी कार्विका ने सिकंदर से युद्ध किया। सिकन्दर की सेना लगभग 150000 थी और कार्विका कि सेना मात्र 8500 वीरांगनाओं की सेना थी जिसमें कोई पुरुष नहीं था। यह तथ्य ऐतिहासिक है।
सिकंदर ने पहले सोचा "सिर्फ नारी की फ़ौज है, मुट्ठीभर सैनिक काफी होंगे”। पहले 25000 की सेना का दस्ता भेजा गया उनमे से एक भी ज़िन्दा वापस नहीं आ पाया।राजकुमारी की सेना में 50 से भी कम वीरांगनाएँ घायल हुई थी पर मृत्यु किसी को छू भी नहीं पायी थी।
दूसरी युद्धनीति के अनुसार सिकंदर ने 4000 का दूसरा दस्ता भेजा। उत्तर, पूर्व और पश्चिम तीनों और से घेराबन्दी कर दी गई परंतु राजकुमारी कार्विका सिकंदर की तरह कायर नहीं थी। वह स्वयं सैन्यसंचालन कर रही थी। उनके निर्देशानुसार सेना ने तीन भागो में बंट कर लड़ाई लदी और सिकंदर की सेना पस्त हो गई।
तीसरी और अंतिम 85000 दस्ताँ का मोर्चा लिए सिकंदर स्वयं आया। नंगी तलवार लिये राजकुमारी कार्विका ने अपनी सेना के साथ सिकंदर को अपनी सेना लेकर सिंध के पार भागने पर मजबूर कर दिया। इतनी भयंकर तवाही से पूरी तरह से डर कर सैन्य बलों के साथ पीछे हटने के लिए सिकंदर मजबूर हो गया।
सिकंदर की 150000 की सेना में से 25000 के लगभग सेना शेष बची थी। हार मान कर प्राणों की भीख मांगते हुए सिकंदर ने कठगणराज्य पर दोबारा आक्रमण नहीं करने का लिखित संधिपत्र पत्र सौंप दिया कार्विका को।
इस महाप्रलयंकारी अंतिम युद्ध में कठगणराज्य के 8500 में से 2750 साहसी वीरांगनाओं ने भारत माता को अपना रक्ताभिषेक चढ़ा कर वीरगति को प्राप्त कर लिया। जिसमे से इतिहास के दस्ताबेजों में गरिण्या, मृदुला, सौरायमिनि, जया यह कुछ नाम मिलते हैं।
नमन है ऐसी वीरांगनाओं को 🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.