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फिल्म: चेलवी -फिल्म का कोई ऐसा दृश्य है जिसे आप आज तक भुला नहीं पाए हैं?
फिल्म: चेलवी
आधा-पेड़, आधा-मनुष्य
चेलवी (नायक) के पास खुद को एक फूल वाले पेड़ में बदलने की अलौकिक शक्तियां थीं। वह इस रहस्य को अपनी बड़ी बहन के साथ साझा करती है और वे दोनों फूल बेचने लगते हैं।
जमींदार का बेटा कुमार फूलों की सुगंध से चकित था और उनकी उत्पत्ति के बारे में जानने के लिए बहुत गंभीर था। एक दिन उसने चेलवी का जंगल में पीछा किया और उसके रहस्य के बारे में जाना। फिर वह उससे शादी करने की जिद करने लगा।
शादी के बाद चेलुवी और कुमार दोनों ने फूलों के पेड़ के रहस्य को छिपाने की कोशिश की लेकिन एक दिन कुमार की बहन शामा ने चेलुवी के परिवर्तन को देखा और उसे जादू दिखाने के लिए मना लिया। चेलुवी ने शामा से कहा कि वह जितने चाहे फूल ले ले लेकिन पेड़ की शाखाओं को ज़रा भी नुकसान न पहुँचाए। लेकिन शामा के दोस्तों ने शाखाओं को तोड़ दिया और चेलुवी को आधा इंसान, आधा पेड़ के रूप में छोड़ दिया।
सबसे दिल तोड़ने वाला दृश्य था ...
जब कुमार उस हालत में चेलुवी से मिला और समाधान मांगा। चेलुवी ने उसे मूल रूप में बदलने में मदद करने के लिए जंगल से अपनी सभी टूटी हुई शाखाओं को इकट्ठा करने का सुझाव दिया।
लेकिन जब कुमार और चेलुवी जंगल में पहुँचे तो उन्होंने देखा कि कई पेड़ गिर चुके हैं और अब चेलवी की शाखाओं को ढूँढ़ना असंभव है।
सिनेमा ने कैसे हमे ब्रेनवाश किया
ये सब बॉलीवुड फिल्म से आया विचार है कुछेक साल पहले जब मैं लिब्रांडू हुआ करता तो ATM से निकले नोटों में देखता था कही मिल जाए 786 ,जब मिलता था तो खुश होता था । सेकुलर था
सिनेमा ने कैसे हमे ब्रेनवाश किया
ये अमिताभ बच्चन अपनी फिल्मों में मंदिर तो नही जाता लेकिन 786 का बिल्ला रखता है ।
ये अमिताभ बच्चन सूर्यवंशी में 786 की गाडी से घूमता
ये क्या असली सूरवंशी फिल्म में तो ऐसा नही था ।
ये फिल्म बुलंदी इसमें भी चुपके से 786
फिल्म कोई भी हो फ्रेम में चुपके से 786 फिट कर दिया जाता था और आहिस्ता आहिस्ता आप का अवचेतन मन प्रभावित हो चुका होता है ।
और आप भी 786 के नोट , नंबर प्लेट लेने लगते हो ।
अब लोगो की अक्ल खुल रही है तब समझ आ रहा है कैसे कैसे खेल खेले गए हमारे साथ ।
क्या है बर्बरीक कुंड की महिमा ?
क्या है बर्बरीक कुंड की महिमा ?
भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर..
भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है, दरअसल इस मंदिर में एक ऐसा कुंड है जो हमेशा ही पानी से भरा रहता है, और इस कुण्ड में नहाने के लिए साल भर लोगों का तांता लगा रहता है, जी हां हम बात कर रहे हैं बर्बरीक कुंड यानि श्याम कुंड के बारे में, जो भारत के राजस्थान(Rajasthan) के जयपुर(Jaipur) में स्थित एक मशहूर मंदिर खाटू श्याम बाबा के मंदिर का हिस्सा है, खाटू वाले बाबा के मंदिर में स्थित ये कुंड अपने अंदर बहुत से रहस्यों को दबाए हुए है।
बाबा श्याम के इस विख्यात मंदिर की कई मान्यताएं और कहानियां (Stories) है, बाबा के मंदिर में मौजूद ये कुंड अपनी उत्पत्ति को लेकर भी कई रहस्य छिपाए हुए है, कहा जाता है कि आज से हजारों साल पहले जब यहां केवल मिट्टी ही थी, तब यहां रोज गाय आया करती थी, और जानवर आया करते थे और इस स्थान पर पहुंचने के बाद गाय का अपने आप दूध देने लगती थी, रोज हो रहे इस घटनाक्रम को देखने के बाद आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों ने वहां खुदाई का काम शुरू कर दिया, और जब उन्होंने गड्ढा खोदना शुरू किया तो उनका सामना एक गजब रहस्य से हुआ, दरअसल, खुदाई करते हुए जब वो लगभग 30 फीट(Feet) तक नीचे पहुंचे तो उन्हें एक बक्सा मिला जिस पर लिखा था, बर्बरीक कथाओं की माने तो इस बक्से के अंदर महाभारत काल के बर्बरीक का असली सिर मौजूद था, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने इस बक्से को ले जाकर उस समय के राजा रतन सिंह को दिया, चौकाने वाली बात तो ये रही कि जिस स्थान से वो शीश प्रकट हुआ ठीक उसी स्थान से पानी का तेज प्रभाव शुरू हो गया जिसे आगे जाकर श्याम कुंड कहा गया, हर साल लगने वाले मेले में आने वाले भक्त पहले इसकुंड में आकर नहाते हैं, और फिर जाकर बाबा के दर्शन कर सके।
आखिर कौन थे बर्बरीक
बर्बरीक
महाभारत(Mahabharat) के एक महान योद्धा (Warrior) थे, उनके पिता घटोत्कच
और माता अहिलावती थे, बचपन से ही बर्बरीक को उनकी माँ ने सिखाया था, कि
युद्ध हमेशा ही हारने वाले की तरफ से करना चाहिए, और बर्बरीक भी हमेशा इसी
सिद्धांत को याद में रखकर युद्ध भूमि में जाया करते थे, कहा जाता है कि
बर्बरीक ने भगवान शिव और माता आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी, जिसके बाद खुश
होकर भगवान ने उन्हें कुछ सिद्धियां दी थी, जिन्हें पाने के बाद बर्बरीक
और भी ज्यादा बलवान हो गए थे, जानकारी के मुताबिक इन शक्तियों का प्रभाव
इतना ज्यादा था कि वो महाभारत जैसे विशाल युद्ध को भी पलक झपकते ही बंद
करवा सकते थे, और युद्ध में भाग ले रहे सभी वीरों को मौत के घाट उतार सकते
थे, लेकिन उनके अपनी माता को दिए हुए वचन के कारण भगवान श्रीकृष्ण की चिंता
काफी ज्यादा बढ़ी हुई थी, जिसके चलते बर्बरीक के युद्ध में शामिल होने से
पहले ही भगवान ने साधु का रूप धारण करके उनसे उनका सिर मांग लिया, जिसके
बाद उनकी सारी शक्तियों को उन्होंने मां रणचंडी को बलि चढ़ा दिया, वहीं
इतना बड़ा बलिदान देने के बाद उन्हें शीश का दानी कहा गया, वहीं अपना ये
बलिदान (Sacrifice) देने के बाद उन्होंने महाभारत युद्ध की समाप्ति तक इस
युद्ध को देखने की कामना करी, बलिदान से खुश होकर श्रीकृष्ण ने वरदान देकर
उनके सिर को एक पहाड़ पर रख दिया, जिसके बाद बर्बरीक ने पूरा युद्ध देखा।
आखिर क्या है श्याम कुंड की मान्यताएं
श्याम
कुंड को लेकर कई तरह की मान्यताएं जताई जाती है, कहा जाता है कि श्याम
कुंड में नहाने से कई पाप दूर हो जाते हैं, और अगर कोई बाबा के दरबार पर
पहुंचकर अच्छे और निश्चल मन से कुंड में स्नान करता है तो उसे एक नया शरीर
मिल जाता है, इसके अलावा अगर कोई हारा हुआ हो उसका कोई काम न बन रहा हो और
वो जाकर बाबा के कुंड में स्नान करे तो बाबा हारे का सहारा बनकर उसका साथ
देते हैं, इसके अलावा इस कुंड में नहाने से शरीर और मन दोनों की ही
अशुद्धियों का नाश हो जाता है, और अगर किसी स्त्री को पुत्र रत्न की
प्राप्ति न हुई हो और वो जाकर बाबा के कुंड में नहा ले तो उसे पुत्र रत्न
की प्राप्ति होती है।
अंत में, उन्होंने इसे मुफ़्त प्रवेश कर दिया और जल्द ही, चिड़ियाघर लोगों से भर गया।
एक आदमी ने एक चिड़ियाघर की स्थापना की और प्रवेश शुल्क 300 कर दिया लेकिन कोई भी वहाँ नहीं गया।
उन्होंने इसे घटाकर 200 कर दिया लेकिन फिर भी कोई नहीं आया।फिर उन्होंने फीस घटाकर 50 कर दी, लेकिन फिर भी लोग नहीं आए।
अंत में, उन्होंने इसे मुफ़्त प्रवेश कर दिया और जल्द ही, चिड़ियाघर लोगों से भर गया।
फिर उसने चुपचाप चिड़ियाघर के गेट को बंद कर दिया, शेरों को आज़ाद कर दिया और बाहर निकलने का शुल्क 500 कर दिया।
शिक्षा -
मुफ्त कुछ नही होता। न गैस न स्वास्थ्य न बिजली। सिर्फ टोपी इधर से उधर होती है ।🙏
हर मंगलवार को आप मंदिर में पहुंचने की आदत डालें
संदेश
भाइयों मंगलवार आ रहा है। हर मंगलवार को आप मंदिर में पहुंचने की आदत डालें जिस तरह ईसाई रविवार को चर्च जरूर जाता है। और मुसलमान शुक्रवार को मस्जिद जरूर जाता है। हमें भी मंगलवार का दिन तय करना पड़ेगा बल और बुद्धि का दिवस शक्ति का दिवस हनुमान जी का दिवस।
आइए हम अपने वीरान पड़े मंदिरों को शक्ति और संगठन स्थल के रूप में विकसित करें।
हर मंगलवार शाम को 7:00 से 7:30 के बीच आप चाहे कहीं भी है मंदिर अवश्य पहुंचे । हनुमान चालीसा एवं आरती का समय यही होता है।
कल्पना कीजिए भारतवर्ष में लाखों लाखों मंदिर है अगर हर मंदिर में सिर्फ 50 से 100 लोग भी पहुंचेंगे और एक साथ उनके घंटों की शंख की और आरती की आवाजें गूंज आएगी तो एक मिश्रित संगीत जब पूरे भारतवर्ष में हर मंगलवार ठीक 7:00 से 7:30 के बीच में गूंजेगा तो यह आवाज पूरी दुनिया में जाएगी इसका असर बहुत ही दूरगामी होगा। विश्वास कीजिए आज की सभी समस्याएं कपूर की तरह उड़ जाएगी इतनी बड़ी संख्या में जब हिंदू अपने मंदिरों में पहुंचेगा वह भी हर सप्ताह तो किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं होगी कि हिंदू को छेड़ सके।
अगर संदेश पसंद आया है तो इसे सभी ग्रुपों में प्रसारित करें। और आज ही प्रण करें चाहे हम कुछ भी कर रहे हैं हर मंगलवार 7:00 से 7:30 के बीच हम मंदिर जरूर पहुंचेंगे अपने लिए नहीं अपने समाज और अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए। ध्यान रहे अब यह आवश्यक हो चुका है अगर आप इसे अभी भी डालते रहे तो बहुत बड़े खतरे में आप पढ़ने वाले हैं। जितना शीघ्र आप इसे शुरू करेंगे इतना जल्दी आप एक दूसरे से एकता के सूत्र में बंध जाएंगे।
जय श्री राम
इस संदेश को कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे
कुछ लोग नही भेजेंगे लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंगे
जय श्री राम
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