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शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

दबी नसों का आयुर्वेदिक उपचार..

.. आपने कभी सोचा है कि सिर्फ़ कपूर और नींबू के इस्तेमाल से आप सिर से लेकर पैर तक की सारी नसों को मुक्त कर सकते हैं? जी हां, एक साधारण सा उपाय करके आप इस अद्भुत अनुभव को महसूस कर सकते हैं।

अगर आपको पुराने घुटनों का दर्द है, कमर या गर्दन में कोई नस दबी है, या रीड की हड्डी में अकड़न है, तो यह उपाय आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। एड़ी का पुराना दर्द भी इससे ठीक हो सकता है।

इस उपाय से आपके पैर की फटी एड़ियां और डैड स्किन भी हट जाती हैं और पैर कोमल हो जाते हैं। इसमें छुपा विज्ञान और आयुर्वेद का मिश्रण आपके शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है।

इसके लिए आपको सिर्फ दो चीजों की जरूरत है: कपूर और नींबू। डेढ़ से दो लीटर गुनगुना पानी लें, जिसका तापमान आपके पैर को सहन हो सके। इसमें आधे नींबू का रस निचोड़ें और फिर नींबू को भी पानी में डाल दें। अब कपूर की तीन गोलियां बारीक पीसकर पाउडर बना लें और इसे भी पानी में मिला दें।

अब अपने पैरों को इस पानी में पांच से दस मिनट तक डुबोकर रखें। जैसे ही आप अपने पैरों को पानी में डालेंगे, आपको सिर से पैर तक करंट जैसा अनुभव होगा।

हमारे पैरों में 172 प्रकार के प्रेशर पॉइंट होते हैं, जो हमारे शरीर की नसों से जुड़े होते हैं। यह नींबू और कपूर वाला गुनगुना पानी इन प्रेशर पॉइंट्स को मुक्त कर देता है, जिससे सारी नसें फिर से सक्रिय हो जाती हैं।

इस उपाय से हाथ-पैर में होने वाली झनझनाहट तुरंत बंद हो जाती है। अगर कोई नस दबी या अकड़ गई है, तो वह भी खुल जाएगी। सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या भी इससे हल हो सकती है।

इस उपाय का कोई साइड इफेक्ट नहीं है और यह बहुत ही सरल तरीके से किया जा सकता है। इसे पांच दिन तक करना है और आपको इससे सिर्फ फायदा ही होगा।

तो, आज ही इस चमत्कारी उपाय को आजमाइए और अपने शरीर की नसों को मुक्त करें।

मैं ऐसा नहीं होने दूँगा... एक काम करूँगा... मैं मेरी शादी होते ही आप दोनों के लिए ओल्ड ऐज होम बुक करवा दूँगा जहाँ आप लोग रह सकोगे

 "मम्मा, ये बताओ, दादा-दादी आपको बहुत परेशान करते हैं, ना?" बेटे ने मासूमियत से पूछा।

"हाँ बेटा, पर क्या कर सकते हैं... अब हैं यहाँ, तो झेलना ही पड़ेगा," माँ ने थकी हुई आवाज़ में जवाब दिया।

"पर क्यों मम्मा, क्यों झेलना पड़ेगा?" बेटे ने जिज्ञासा से पूछा।

"तुम नहीं समझोगे, रहने दो," माँ ने बात टालने की कोशिश की।

"एक काम करते हैं मम्मा, इन दोनों को चाचा-चाची के घर भेज देते हैं।"

"वो वहाँ दो दिन भी नहीं रह पाएंगे बेटा। चाची तो दादी को देखते ही तुनक जाती है और चाचा तो तुम्हारे चाची के पल्ले से ऐसे बंधे हैं कि वो उतना ही सुनते हैं जितना चाची कहती है। वहाँ इनका कोई गुज़ारा नहीं होने वाला।"

"तो बुआ को बोल दो ना, ये उनके भी तो माँ-पापा हैं, वो ही ले जाएँ कुछ दिनों के लिए इन दोनों को।"

"तुम भी ना बड़े भोले हो बेटा। वहाँ नहीं जाएंगे दादा-दादी। ढकोसला करेंगे कि हम तो बेटी के घर का पानी भी नहीं पी सकते तो वहाँ जाकर रहेंगे कैसे और अगर रहने को तैयार हो भी गए तो तुम्हारी बुआ के पचासों बहाने निकल आएंगे। वो भी तो अपनी माँ पर ही गई है।"

"क्या मम्मा, मतलब कोई इन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहता। एक काम करो मम्मा, इन्हें वहाँ पहुँचा दो... वो मैंने टीवी पर देखा था, कुछ ओल्ड ऐज होम टाइप से है... अरे वो जो उस दिन मूवी में आ रहा था।"

"वृद्धाश्रम कहते हैं उसे। मैं भी थक जाती हूँ काम करके। सुबह उठने से सोने तक इनके नखरे झेलना... तौबा तौबा... कब तक आखिर। मैं भी कुछ दिन और देख रही हूँ, नहीं तो तुम्हारे पापा से बात करूँगी कि वो इन दोनों को वहीं छोड़ आए।"

"हाँ, यही ठीक रहेगा। दादी दिन भर टोकती रहती है... टीवी मत देखो, मोबाइल मत खेलो... मैं बच्चा थोड़े ना हूँ... बड़ा हो रहा हूँ मैं... समझदार हो रहा हूँ। ये भी कोई बात हुई भला... हुँ..."

"अरे मेरा राजा बेटा... इतना गुस्सा... दस साल के ही हो अभी... मेरी आँखों के तारे हो तुम... इतनी जल्दी बड़े हो जाओगे, कभी सोचा ही नहीं था। अब देखो तुम बड़े होते जाओगे और हम बूढ़े होते जाएँगे। फिर तुम्हारी शादी करेंगे, प्यारी सी दुल्हनियाँ लाएँगे।"

"नहीं मम्मा, प्लीज़... मैं तो बड़ा हो रहा हूँ, पर आप लोग प्लीज़ बूढ़े मत होना।"

"हा हा हा, क्यों बेटा... बूढ़ा तो सबको ही होना है एक दिन।"

"पर मम्मा, आप लोग बूढ़े हो जाओगे और मेरी वाइफ आएगी तो उसे भी ऐसे ही परेशान होना पड़ेगा ना... वो भी तरह-तरह के आईडिया सोचेगी कि कैसे आप लोगों को यहाँ से हटाया जाए। नो मम्मा, प्लीज़ नो... आप भी दादी की तरह हो जाओगी और मेरी वाइफ को परेशान करोगी... मैं ऐसा नहीं होने दूँगा... एक काम करूँगा... मैं मेरी शादी होते ही आप दोनों के लिए ओल्ड ऐज होम बुक करवा दूँगा जहाँ आप लोग रह सकोगे और मैं और मेरी वाइफ भी चैन से रह लेंगे।"

"हुँ... हमारा घर है हमारे पास... तुम रहना अपने घर में अपनी वाइफ को लेकर। यही करोगे तुम... पाल पोस कर बड़ा कर रहे हैं और तुम हमें वृद्धाश्रम भेजने की तैयारी कर रहे हो। वाह बेटा, वाह..."

"मम्मा, मैं कहाँ कुछ गलत कह रहा हूँ। दादा-दादी ने भी तो पापा-बुआ को पाला-पोसा ही होगा ना। सभी माँ-बाप पालते हैं अपने बच्चों को, उसमें क्या नया है। पर अब जब सब बड़े हो गए हैं, तो कोई बूढ़े लोगों को अपने पास नहीं रखना चाहता तो भला मैं क्यों रखूँगा। परेशानी बढ़ाते हैं ये बूढ़े लोग। मैं भी नहीं रखूँगा और साइंटिस्ट बन कर कोई ऐसी दवा बनाऊँगा जिससे कि मैं कभी बूढ़ा ही ना हो पाऊँ और मेरे बच्चों को कोई ओल्ड ऐज होम ना ढूँढना पड़े।"

अपने बेटे की बातें सुनकर माँ के शरीर में सिहरन सी दौड़ गई और जिन आँखों में कुछ देर पहले परेशानी, व्यथा, गुस्सा दिख रहा था, उन्हीं आँखों में अब शर्म पानी का रूप ले चुकी थी।🥹

अलग देश अलग रिक्शा : देखिए ऑटो रिक्शा के अलग अलग मॉडल

 अलग देश अलग रिक्शा : देखिए ऑटो रिक्शा के अलग अलग मॉडल

☝️ये वाला तो ऐसे ही किसी ने अपनी कल्पना को इस्तेमाल करके बना दिया है

पर असली लिस्ट यहां से शुरू होती है👇

इराक का रिक्शा

गाज़ा का ऑटो रिक्शा

इजिप्ट का ऑटो रिक्शा

मेडागास्कर का ऑटो रिक्शा

नाइजीरिया का ऑटो रिक्शा

साउथ अफ्रीका का ऑटो रिक्शा

सूडान का ऑटो रिक्शा

टांजानिया का ऑटो रिक्शा

उगांडा का ऑटो रिक्शा

जिंबावे का ऑटो रिक्शा

अफगानिस्तान का ऑटो रिक्शा

बांग्लादेश का ऑटो रिक्शा

और हमारा अपना लेजेंडरी भारतीय ऑटो रिक्शा बजाज

थाईलैंड का ऑटो रिक्शा

चीन का ऑटो रिक्शा

जापान का ऑटो रिक्शा

श्रीलंका का ऑटो रिक्शा

और ये गाड़ी तो आपको जरूर याद होगी इसे अपने मिस्टर बीन टीवी शो में देखा होगा

वैसे देखने में तो यह कार लगती है मगर फॉर्मेट तो रिक्शा की है

और ये कुछ और अजीब रिक्शा👇

बैक टू द फ्यूचर फिल्म से प्रेरित

ऑर्केस्ट्रा वालों के लिए

हेलमेट रिक्शा

फास्ट एंड फ्यूरियस के प्रशंसकों के लिए

बजाज की ओर से कॉलिन मैक्रे रैली वालों को टक्कर

सच्चे भक्तों को लिए

और फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोगों का कहना है की जल्द ही

रिक्शा के ऊपर एक नई फिल्म भी बनाई जाएगी जिसमे बजाज नाम के रिक्शा हीरो की भूमिका निभाएंगे जी हां एक रिक्शा कोई रिक्शा चलाने वाला नही और ऐश्वर्या हीरोइन होंगी

यह है उस फिल्म से एक छोटी सी क्लिप

फिल्म का नाम द लास्ट रिक्शा है

आजकल हमारे संस्कार पर सोशल मीडिया इंस्टा reels वाले संस्कार भारी पड़ रहे हैं

अपनी ही बेटी को मैने लड़के को चुंबन करते देख लिया था, एक तरफ मन में गुस्सा था l, दूसरी तरफ मन में ग्लानि की ये क्या देख लिया

मेरी बेटी पढ़ने में काफी होनहार थी, हमेशा क्लास में अव्वल आती थी

अच्छे नंबर आने के कारण उसने बोला पापा मुझे दिल्ली जाकर पढ़ाई करनी है

बेटी की बात पर भरोसा कर के मैने उसे दिल्ली पढ़ने के इजाजत देदी, लेकिन उसकी मां अभी भी कहती हम छोटे शहर से हैं पता नहीं हमारी बच्ची वहां जायेगी तो रह पाएगी नहीं

उसपर मैं उसे बोलता, जबतक जाएगी नहीं तो कैसे पता चलेगा

जब दिल्ली गई कॉलेज में दाखिला हुआ तो उसे कॉलेज की तरफ से हॉस्टल नहीं मिला, और वह एक प्राइवेट हॉस्टल में रहने लगी

उसने बताया कि वहां पढ़ाई का माहौल नहीं बन पा रहा है

तब मैने और पत्नी ने निर्णय लिया कि थोड़ा हाथ दबा कर चलेंगे बेटी को एक अपना कमरा दिला देते हैं

जैसे तैसे कर के मैने एक फ्लैट दिलाया, धीरे धीरे उसमें सभी चीजें जैसे गद्दे पंखे कूलर आदि लगवाए गर्मी पड़ने पर fridge लिया tv लिया, study table लिया

लगभग 6 महीने बाद मैं उससे मिलने उसके फ्लैट पर गया मुझे पता चला कि उसकी दोस्ती लड़कों से भी है और लड़कियों से भी

पर मुझे अपनी बच्ची पर भरोसा था, अकसर उसके दोस्त उसके पास पढ़ने आते थे, क्यों की वो काफी होनहार थी

लेकिन एक दिन उसका दोस्त आता है और वो दोनों कमरे में पढ़ने जाते हैं मैं किसी काम से नीचे गया था

ऊपर हाल में गया और मुझे लगा दोनों पढ़ रहे हैं एक गर्म काफी पिला देता हूं

और ये पूछने के लिए जैसे ही मैं कमरे ने घुसा देख दोनो एक दूसरे को गले लगाकर किस कर रहे थे

मुझे देखते ही वो लड़के को दूर कर दी

और लड़का घबरा कर खड़ा हो गया,

मैं आत्मग्लानि में चूर था ये सोचकर कि ये मैने क्या देख लिया

मैने सिर नीचे किया और सॉरी बोलते हुए बाहर आया

मेरे अंदर गुस्सा भी था और आत्म ग्लानि भी

समझ नहीं आया था जवान होती लड़की के निजीपल को इस तरह देखना सही था या नहीं

और मन में गुस्सा भी था कि जिस बेटी पर आंख बंद कर के भरोसा किया वो ऐसे कर रही ही ।

एक पल मन किया बेटी को डांटू और उस लड़के को मार कर भगाऊं

तभी गुस्से में लाल मेरी बेटी आती है, और बोलती है पापा ये क्या तरीका है, ?

मैं हैरान था, और बोला तरीका?

उसने कहा हां तरीका, किसी के कमरे में आने से पहले नॉक कर के आना चाहिए ये बेसिक बात है

मैने बोला हां आना तो चाहिए बेटा लेकिन मुझे ध्यान नहीं था, क्यों की हमने कभी अपने घर में ऐसा किया नहीं

उसने तुरंत बोला पापा आपने अपने घर में नहीं किया पर ये मेरा घर है मेरा स्पेस है, आखिर मेरी भी कोई प्राइवेसी है या नहीं

मैने बोला हां बेटा गलती हो गई आगे से ध्यान रखूंगा

और इसके बाद वो अपने कमरे में वापस चली गई उसका दोस्त अपने घर चला गया

और मैं सोफा पर बैठा था

तभी मेरी नजर पंखे पर गई दीवारों पर गई, घर में रखे fridge पर गई, कंप्यूटर पर गई,चूल्हे पर गई

और मैने सोचा मैने और पत्नी ने अपना पेट काट कर बेटी को दूसरी गृहस्ती बसाई।

देखा जाए तो एक एक समान मेरा है घर का किराया मै दे रहा हूं, फिर मेरी बेटी ये कैसे कह सकती है ये उसका घर है

खैर उसकी बात ने मुझे हिला के रख दिया और मैने अपना सामान बांध और जाने लगा,

बेटी ने समान देखा और बोली पापा कहा जा रहे हैं

मैने बोला अपने स्पेस में जा रहा हूं, जहां मुझे कहीं आने जाने के लिए नॉक नहीं करना पड़ता

वो समझ गई थी कि मुझे उसकी बात बुरी लगी

और मैं वापस आगया,

समय के साथ बच्चे बड़े होते हैं उन्हें उनको स्पेस देना चाहिए,

लेकिन वहीं बच्चे ये कैसे भूल सकते हैं कि हम मां बाप अपना पेट काटकर उन्हें सब कुछ देते हैं, और बदले में उसने सिर्फ थोड़ा सा समय और इज्जत चाहते हैं

मेरे संस्कारों में कोई कमी नहीं थी, फिर ऐसा क्यों

इसका जवाब मिला मुझे इंस्टा और फेसबुक के reels से ।आजकल हमारे संस्कार पर सोशल मीडिया इंस्टा reels वाले संस्कार भारी पड़ रहे हैं, जैसे मोबाइल।में आने वाली रील जिसमें हर वीडियो में सिर्फ स्वार्थ के बारे में बताया जाता है l

हर वेबसीरीज और reels में अर्धनग्न और बेहयाई और जिस्म की नुमाइश सिखाया जाता है और लिव इन रिलेशनशिप में रहना सिखाया जाता है।

ये हैं सोशल मीडिया वाले संस्कार जो हमारे संस्कार पर भारी पड़ रहे हैं

नोट :— ये सच्ची आपबीती सोशल मीडिया से लिया गया है

देशी पोर्न स्टार - हर साल कुछ #बेटीया ऐसे भी #मर जाती हैं

 

हर साल कुछ #बेटीया ऐसे भी #मर जाती हैं

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आज एक porn site पे 2.5 मी का एक clip मिला, उसमे एक लड़की बिना कपड़ो के dance कर रही थी...और हरियाणवी में एक अश्लील गाने का audio था...

तो इसमें कौन सी #बड़ी_बात हैं...

बड़ी बात ये की, उसके पीछे की दीवार पर mini drafter टगा था, और हैंगर पर कपड़े थे, जिसमे सफेद शर्ट के उपर blue/black टाई थी, आलमारी में books भरी थी, बगल की दीवार पर बड़ी सी खिड़की थी, इसके अलावा वो बिच बिच में कुछ बोल रही थी पर उसकी आवाज नही आ रही थी...

कुल मिलाके....वो एक अच्छे परिवार की civil/mech- diploma या b.tech 1st yr की student थी, उसका study table कोने पर था, उसी पर उसका फोन रखा था, जिस पर वो online video call पर थी... बस

होता क्या हैं न, की एक age के बाद लड़कियों को एक मानसिक बीमारी हो जाती है, फिर उनको एक गधा मिल जाता है, मानसिक संतुलन के लिए, let night call चलता है, अब voice call की जगह video call आ गया है, तो मानसिक संतुलन के लिए गधे को on demand या off demand, अपना पागलपन वाला night show ( नंगा नाच ) दिखाती हैं...

वैसे ये मनोरोग जरूरत से ज्यादा समझदार, कुल , स्मार्ट, और अभिव्यक्ति की आजादी टाइप की लडकियों में सामान्य तौर पर होता है...

क्युकी इनको सब पता होता है, ये कुछ भी कर सकती हैं,,बस इतनी

अक्ल नही होती...

जब voice call tape हो सकता है, और हमेशा सर्विलांस पर होता है, तो आपका video call क्यों नही, वो भी तो एक सर्वर से होकर जाता है, कितना समय लगेगा, बिच से video capture किया, शरू का hii/hello क्रॉप किया audio erase करके नया audio add किया कोने पर किसी porn site का logo चिपकाया, थोड़ा graphical/visual effect डाल कर किसी porn site पर upload कर दिया... इसमें ऐसा क्या नया है, जो लड़कियों को नही पता होता...

अब लड़की घर बैठे ही desi porn star बन गयी, अब सोचो यह बस 2.5 मिनट का clip था, पूरी रात वो क्या क्या की होगी और रोज कितना फ्री clip बनता होगा, और वही नही ऐसी अनगिनत लडकिया हैं तो किसी न किसी गधे को अपना talent online दिखाती होंगी...

बिना मेहनत किये ही porn production वाले बढिया कमाई करते हैं...

क्यकी हमारे यहा multiple talent से भरपूर pornstar है जो फ्री का वीडियो online देती हैं, बस video processing में जो खर्च होता हैं, बाकि कमाई कितनी होती हैं, आप सोच सकते हैं...

मतलब मनोरोग को प्यार समझकर एक गधे के लिए लड़किया बिना कुछ सोचे online night show करती हैं,,, एक पल के लिए भी इनके दिमाग में नही आता की घर में माता पिता के अलावा एक भाई भी है...ये सब देख के उनका क्या होगा... घरवाले तो वैसे ही मर जायेंगे...

बाद में होता क्या है, विडियो मार्केट में घूमते घूमते लडकी के घर पहुच जाता है,

फिर लडकी बड़ी आसानी से #आत्महत्या कर लेती हैं, और पूरा परिवार हाथ में मोमबत्ती लेकर सड़क पर...

अगर गलती से original video मिल गया या लडकी ने मुह खोला तो, video का first root उसके नम्बर से उस गधे के नम्बर का मिलेगा, अब hacker और porn site का तो कुछ कर नही सकते पुलिस सारी गर्मी गधे पर उतार देती हैं...

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#Conclusion

1. कभी भी video call पर night show न करे न देखे...

2. किसी को अगर night show करने की मानसिक बीमारी हो तो उससे अपने no. से direct contact में मत रखे या block कर दे...

3. लड़कियों को फेक फेमिनिष्टो से दूर रखे...

हर साल 2.5-3 हजार लडकिया video market में आने से आत्महत्या कर लेती हैं, अभी clips रोज बन रहे हैं,, मतलब लडकिया आगे भी मरेंगी...

जब अपना सिक्का खोटा हो तो इन्सान कुछ भी नही कर सकता, बेटियों का विशेष ध्यान दे, क्युकी खुद के बच्चो की बड़ी गलतिया, घर वालो को सबसे आखरी में पता चलती है...

मतलब आपको डराने से नही था, बस इस मानसिक और सामाजिक बीमारी का कुछ करिये....

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नही तो हाथ में #मोमबत्ती लेकर सड़क पर चक्कर मारने के लिए तैयार रहिये...

#_बेटी_बचाओ

ऊफ्फ्फ.... अपना ख्याल आप खुद से रखिये बाबू .... पापा की परियां है आप , भाई का मान है आप .

. माँ के अधूरे सपनो की उड़ान है आप ... किसी गधे के लिए उन्हें शर्मिंदा क्यू करना ..... ...

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कांग्रेस ने देश में हमेशा अराजकता फैलाई हैं।

आज फिर से एक रेल दुर्घटना हुई है।

पुल गिर रहे हैं। सड़कें धँस जा रही हैं। एयरपोर्ट टर्मिनल की कैनोपी गिर जा रही हैं। राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं के पेपर लीक हो जा रहे हैं। वर्षों से शांत कश्मीर मे अचानक आतंकी हमलों की झड़ी लग गयी है। और लगातार दस वर्षों तक रिकॉर्ड संरक्षा सुरक्षा के साथ चलती आई रेलगाड़ियाँ अब आये दिन पटरी से उतर जा रही हैं, आपस मे टकरा जा रही हैं, सैकड़ों हजारों का जीवन लील जा रही हैं।

और ये सब शुरू हुआ है 4 जून के बाद से, क्योंकि एक नरपिशाच है जो एड़ीचोटी का जोर लगाने के बावजूद महज 99 सीटों तक सिमट कर रह गया है, दुनिया भर का जोड़तोड़ गठजोड़ करने के बाद भी सरकार नही बना पाया, विपक्ष मे ही बैठने को मजबूर किया गया है।

थ्रेट-परसेप्शन एनालिसिस करनी है तो थोड़ा और आगे चलते हैं। जरा इस दृश्य की कल्पना करके देखिये, मॉनसून का समय है। प्रचुर वर्षा से देश के सभी प्रमुख बांध लबालब भरे हुए हैं। फिर एक दिन भाखड़ा, नागार्जुन सागर, टिहरी, हीराकुंड, या सरदार सरोवर डैम मे से कोई एक अचानक ही टूट जाता है। इसका परिणाम क्या होगा, सोचा है आपने? उस महाजलप्रलय मे कितने हजार या लाख लोग एक झटके मे काल के गाल मे समा जायेंगे, कुछ अनुमान है आपको?

सवाल यह है कि सरकार कब तक मूकदर्शक बनी नागरिकों को इस नरपिशाच की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ते देखती रहेगी? मै यह मानने को तैयार नही कि ये तमाम दुर्घटनायें स्वतः और संयोगवश हो रही हैं। शक्तिशाली देशों की खुफिया एजेंसीज अन्य देशों की सरकारों के खिलाफ असंतोष भड़का कर उनका तख्तापलट करवाने के लिये ऐसी डर्टी टैक्टिक्स का इस्तेमाल लंबे समय से करती आई हैं, यह कोई गुप्त रहस्य नही है। और इस समय वही अदृश्य मशीनरी भारत मे पूरी क्षमता के साथ सक्रिय प्रतीत हो रही है।

प्रधान जी, वे आपकी सरकार गिराना चाहते हैं तो आपकी जगह किसी न किसी को सत्ता मे बिठाना भी चाहते हैं। खुद से पूछ कर देखिये कि वे किसे बिठाना चाहते हैं, आपको उत्तर मिल जायेगा कि आपकी सरकार गिरने का डायरेक्ट बेनेफिशियरी यहाँ कौन है, भारत मे किस राजनेता के साथ उनकी दुरभिसंधि है जिसे सिंहासन दिलवाने को वे यह सब कुछ कर रहे हैं। मोटे तौर पर यह हमारी काउंटर इंटेलिजेंस मशीनरी का फेल्योर है जो इन एक्सटर्नल पॉवर्स को वो करने से रोक नही पा रहीं जो आज वे कर रही हैं। लेकिन फिलहाल इससे निपटने का एक और तरीका भी हो सकता है.

वे जिसे गद्दी पर बिठाने की जुगत मे यह सब कुछ कर रहे हैं, यदि वही न रहे, तो? मेरा मतलब कोई विमान दुर्घटना हो सकती है। किसी को हृदयाघात हो सकता है। सुरक्षा चूक से उसके काफिले की कोई भीषण सड़क दुर्घटना हो सकती है। वस्तुतः इंटेलिजेंस अपनी पर उतर आये तो किसी को भी कुछ भी हो सकता है। मुझे बड़ी गंभीरता से ऐसा लगता है कि अब यह होने का समय आ चुका है।

ऐसा होने से दो बातें होंगी:—

1)- भारत के भविष्य पर मंडराते इमीडियेट-थ्रेट से लंबे समय के लिये छुटकारा मिलेगा।

2)- इस इमीडियेट-थ्रेट के जो फॉरेन हैंडलर्स हैं, उन्हे भी सीधा मैसेज पहुँच जायेगा कि भारत तुम्हारी हरकतों से गाफिल नही है, और अपने दीर्घकालिक हितों की सुरक्षा के लिये वह तुम्हारे खड़े किये गये किसी भी खतरे को बेधड़क “न्यूट्रलाइज” करेगा, हर बार!

एक ऐसे समय, जब कुछ भी आपके बस मे न रह गया हो, तो एक बार यह भी कर-करवा के देख लीजिये... क्या मालूम कृपा यहीं अटकी पड़ी हो।


क्यों भजन और पूजा में समय नष्ट करें, वृथा क्यों परिश्रम उठाएं? ईश्वर हमें क्या दे देगा, हम जैसा करेंगे वैसा भोगेंगे।

 

भक्तों के भक्त श्री #जगन्नाथ

भाग्य और #भक्ति .....!!

एक समय महात्मा जगन्नाथ दास जी ने पूरी की यात्रा की।

उन दिनों आजकल की सी सवारियों का प्रबंध नहीं था, वह वृद्ध थे, किसी तरह गिरते-पड़ते, चलते-फिरते किसी तरह वह पूरी पहुंचे।

जलवायु बदला, भोजन का भी ठीक प्रबंध नहीं हो सका, अजीर्ण रोग ने आ घेरा।

जहाँ तक हो सका सावधानी करते रहे पर साधू का कौन ठौर ठिकाना, जो मिला उससे उदर पूर्ति कर ली।

जिसने आदर सहित बुलाया उसी की भिक्षा ग्रहण कर ली, कभी मंदिर से प्रसाद पा लिया।

कुछ दिन पीछे ही उनको दस्त लगने लगे, जब तक साधारण स्थिति रही सहन करते रहे, बाद में रोग बढ़ जाने पर समुद्र के किनारे चले गए और वहीँ एकांत में पड़े रहे।

दस्त में कमजोरी आती ही है, बूढ़े थे बेहोश हो गए, कपड़ों में ही मल-मूत्र करने लगे, मखियाँ भिनकने लगीं, जो आता दूर से ही देखकर लौट जाता।

कोई पूछने वाला नहीं था कि यह मरने वाला कौन है, कहाँ से आया है, इसको औषधि की भी आवश्यकता है या नहीं।

महात्मा जगन्नाथ दास जी की ऐसी दीन दशा देखकर प्रभु जगन्नाथ को दया आई।

भगवान जगन्नाथ दस वर्ष के बालक का रूप धारण कर अपने भक्त के समीप पहुंचे, उसके कपड़े बदले, उनको अपने कर-कमलों से शौच कराया।

मल मूत्र के वस्त्रों को ले जाकर समुद्र में धोया, धूप में सुखाया।

जब तक वह कपड़े भी खराब हो गए, अब इन्हें फिर बदला और धोया सुखाया।

कई दिन व्यतीत हो गए, जगन्नाथ दास को कुछ खबर नहीं कि मेरी सेवा कौन कर रहा है।

जगन्नाथ जी को कुछ होश आया, आँख खोली तो देखा, एक बालक सब तरह की सेवा कर रहा है।

उठने बोलने की सामर्थ्य नहीं थी, चुप रह गए और मन ही मन में उसकी प्रशंसा करने लगे और उसे धन्यवाद देने लगे।

दो तीन दिन और ऐसे ही कटे, अब शरीर में कुछ बल आया।

महात्मा जगन्नाथ दास जी उठे, सहारे से घिसटते जल तक पहुंचे स्नान किया।

शुद्ध धुले हुए वस्त्र, जो लड़के ने पहले से ही तैयार कर रखे थे, बदले।

भजन और नित्य कर्म की सामर्थ्य नहीं रही, एक शुद्ध स्थान पर सघन वृक्ष तले आकर लेट गए।

बच्चा कहीं से जलपान ले आया, वह खाया और आराम करने लगे, ऐसे ही कई और दिन बीते।

अब जगन्नाथ जी का स्वास्थ्य ठीक हो चला है, वह चलने फिरने लगे हैं।

दस्त बंद है, भूख भी लगने लगी है, कुछ खा भी लेते हैं, पर अभी पूरे निरोग नहीं हुए। निर्बलता बाकी है, लेकिन संध्या नियम उनका शुरू हो गया है।

प्रातः काल का समय था, भक्त जी स्नान कर पूजा करने बैठे थे, ध्यान में डूब गए, मस्ती छा गई, तन-बदन भूल गए, सुध-बुध जाती रही।

उस दशा में बालक के शरीर में उनको भगवान के रूप के दर्शन हुए।

महात्मा जगन्नाथ दास जी घबरा गए, आँख खोल दी, रोने लगे और जल्दी से उठकर अपने सेवक बालक के चरणों में लोट गए।

जगन्नाथ दास जी क्षमा याचना करने लगे, तरह-तरह की विनती करने लगे:-

प्रभु इस अधम के लिए आप ने इतना कष्ट उठाया, माता की तरह मल मूत्र साफ किये।

इस पापी को मर जाने देते, इस अपराधी को दुःख झेलने देते, यह दुष्ट इसी योग्य था कि इसे दंड मिलता।

आपने क्यों इतनी दया की, क्यों इसकी खबर ली, अब इसका प्रायश्चित मैं कैसे करूँ, इसका बदला मैं कैसे चुकाऊँ, किन शब्दों में आपकी विनती करूँ?

मैं कर्त्तव्यविमूढ़ हो रहा हूँ, क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा, हे जगतपति, क्षमा करो, क्षमा करो...!!!

का मुख ले विनती करूँ, लाज आवत है मोहि।

तुम देखत अवगुण किये, कैसे भाऊँ तोही॥

हे हरी, आप सर्वशक्तिमान हैं, सर्व सामर्थ्यवान हैं, सर्वोपरि हैं, आप चाहते तो दूर रहते हुए ही इस व्यथा को दूर कर सकते थे।

आप वैकुण्ठ में बैठे हुए ही एक दृष्टि से इस विपदा को काट सकते थे, यहाँ क्यों पधारे, क्यों इस दास के लिए इतनी चिंता की?

प्रभु बोले:- हम भक्तन के भक्त हमारे, प्यारे जगन्नाथ, मुझसे भक्तों के दुःख नहीं देखे जाते, मुझसे उनकी विपत्तियां नहीं सही जाती।

मैं भक्तों को सुख देने के लिए सर्वदा तैयार रहता हूँ, मैं उनके लिए सब कुछ कर सकता हूँ, इसमें मुझको आनंद आता है, ऐसा करते हुए मुझे खुशी होती है।

मैं भक्तों से दूर किसी और स्थान पर नहीं रहता, मैं सदा उनके समीप ही रहता हूँ, उनके स्थान में ही चक्कर लगाया करता हूँ।

तेरा कष्ट मुझसे सहन नहीं हो सका, मैंने प्रगट हो तुझे आराम पहुँचाने की कोशिश की, इसमें कोई बड़ा काम मैंने नहीं किया केवल अपने कर्त्तव्य का पालन किया है।

भगवान ने आगे कहा:- प्रेम सब कुछ करा लेता है, तू मुझे प्यारा है, इसलिए मैंने ऐसा किया है।

इसके लिए तू किसी प्रकार की चिंता मत कर, हृदय में क्षोभित मत हो।

हाँ, एक बात जो तूने कही कि वहाँ बैठे हुए ही इस रोग को दूर कर सकते थे, सो हे भ्राता, यह मेरे अधिकार से बाहर की बात है।

प्रारब्ध का भोग अवश्य भोगना पड़ता है, कर्म बिना भोगे नहीं कटता, यह प्रकृति का नियम है, मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता।

प्राणी जो कुछ सुख-दुःख उठाता है, कर्मानुसार ही उसे मिलता है, जगत में कर्म ही प्रधान है।

हाँ, जो भजन करने वाले हैं, जो निरंतर सच्चे हृदय से मेरी भक्ति में रत रहने वाले हैं, उनके कष्टों को मैं कुछ हल्का और सुलभ कर देता हूँ।

कठिन विपत्ति के समय अपने सेवकों की मैं सहायता कर देता हूँ, यही मेरी दया है।

कर्मों को बिना भोगे आत्मा शुद्ध नहीं होती, संस्कार आत्मा के ऊपर लिपटे रहते हैं और पर्दा बन के प्राणी को मुझसे दूर किये रहते हैं।

कर्मों को भोगने से यह आवरण हट जाते हैं और मैं उन्हें समीप ही दिखाई देने लगता हूँ।

फिर ऐसा निर्मल चित्त वाले भक्त में और मुझमें भेद नहीं रहता, वह मेरे हो जाते हैं और मैं उनका हो जाता हूँ।

ऐसा उपदेश देकर भगवान अंतर्ध्यान हो गए।

इसके बाद महात्मा जगन्नाथ जी का आगे का जीवन कैसे कटा, कहाँ रहे, इससे ना कोई संबंध है और ना हमको मालूम है, पर यह कथा तीन बातों का सबक हमें दे रही है।

पहली बात:-

कर्म के भोग को परमात्मा भी नहीं टाल सकता, वह भोगकर ही कट सकता है, उसका भोगना अपने लिए ही लाभदायक होता है।

बिना भोगे न तो आवरण हटते हैं, न संस्कार क्षय होते हैं, और न हृदय शुद्ध व निर्मल बनता है।

कठोर हृदय भजन के योग्य नहीं होता, नरम हृदय आदमी ही इस दौलत का हक़दार होता है।

अब दूसरी बात सुनो:-

मूर्ख और दुष्ट प्रकृति के मनुष्य विपत्ति के समय ईश्वर को कोसते हैं, उसे गलियां देते हैं, पर यह नहीं सोचते कि यह उन्हीं के किए हुए कर्मों का फल उन्हें मिल रहा है।

इसमें ईश्वर का क्या अपराध हुआ कि उसके सिर दोष मढते हो?

ईश्वर तो तुम्हें सुख में रखना चाहता था, परन्तु तुमने अपने आप अपने लिये कुआँ खोदा और उसमें गिर पड़े, इसमें दूसरे को दोष क्यों देते हो?

अपनी मूर्खता पर पछताओ, आगे उसे दूर करने का प्रयत्न करो, सदाचारी जीवन बनाओ, सत्कर्मी बनो, निषेध कर्मों को त्याग दो, राग-द्वेष को दूर हटाकर सबके साथ प्रेम का बर्ताव करो, फिर देखो, तुम सुखी रहते हो या नहीं।

अब तीसरी बात:-

ऐसी बातें कई तार्किक कहने लगते हैं कि जब कर्म का फल हमें भोगना ही है तो भजन से क्या लाभ?

क्यों भजन और पूजा में समय नष्ट करें, वृथा क्यों परिश्रम उठाएं? ईश्वर हमें क्या दे देगा, हम जैसा करेंगे वैसा भोगेंगे।

इसका समाधान भी इस कथा में हुआ है, वह यह है कि भोग तो आयेगा और वह भोगने से ही कटेगा, पर जो भजन करने वाले हैं, भगवान के सच्चे भक्तों में हैं, और साथ ही शुद्ध चरित्र और कोमल स्वभाव हैं, उन्हें कठिन विपत्ति के समय एक गुप्त सहायता ऐसी मिलती है जिससे वह कष्ट तीव्र और भारी न रहके सूक्ष्म और हल्का हो जाता है।

उस मनुष्य के अंदर एक ऐसी शक्ति का संचालन रहता है कि जो उसे शांत और प्रसन्न रखती है।

इस आनंद में कठिनाई आती है और चली जाती है, उसे कोई विशेष अनुभव भी नहीं होने पाता बस, इतना ही भजन का प्रताप है, और भजन करने वालों और साधारण लोगों में यही भेद है।

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