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शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

कांग्रेस ने देश में हमेशा अराजकता फैलाई हैं।

आज फिर से एक रेल दुर्घटना हुई है।

पुल गिर रहे हैं। सड़कें धँस जा रही हैं। एयरपोर्ट टर्मिनल की कैनोपी गिर जा रही हैं। राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं के पेपर लीक हो जा रहे हैं। वर्षों से शांत कश्मीर मे अचानक आतंकी हमलों की झड़ी लग गयी है। और लगातार दस वर्षों तक रिकॉर्ड संरक्षा सुरक्षा के साथ चलती आई रेलगाड़ियाँ अब आये दिन पटरी से उतर जा रही हैं, आपस मे टकरा जा रही हैं, सैकड़ों हजारों का जीवन लील जा रही हैं।

और ये सब शुरू हुआ है 4 जून के बाद से, क्योंकि एक नरपिशाच है जो एड़ीचोटी का जोर लगाने के बावजूद महज 99 सीटों तक सिमट कर रह गया है, दुनिया भर का जोड़तोड़ गठजोड़ करने के बाद भी सरकार नही बना पाया, विपक्ष मे ही बैठने को मजबूर किया गया है।

थ्रेट-परसेप्शन एनालिसिस करनी है तो थोड़ा और आगे चलते हैं। जरा इस दृश्य की कल्पना करके देखिये, मॉनसून का समय है। प्रचुर वर्षा से देश के सभी प्रमुख बांध लबालब भरे हुए हैं। फिर एक दिन भाखड़ा, नागार्जुन सागर, टिहरी, हीराकुंड, या सरदार सरोवर डैम मे से कोई एक अचानक ही टूट जाता है। इसका परिणाम क्या होगा, सोचा है आपने? उस महाजलप्रलय मे कितने हजार या लाख लोग एक झटके मे काल के गाल मे समा जायेंगे, कुछ अनुमान है आपको?

सवाल यह है कि सरकार कब तक मूकदर्शक बनी नागरिकों को इस नरपिशाच की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ते देखती रहेगी? मै यह मानने को तैयार नही कि ये तमाम दुर्घटनायें स्वतः और संयोगवश हो रही हैं। शक्तिशाली देशों की खुफिया एजेंसीज अन्य देशों की सरकारों के खिलाफ असंतोष भड़का कर उनका तख्तापलट करवाने के लिये ऐसी डर्टी टैक्टिक्स का इस्तेमाल लंबे समय से करती आई हैं, यह कोई गुप्त रहस्य नही है। और इस समय वही अदृश्य मशीनरी भारत मे पूरी क्षमता के साथ सक्रिय प्रतीत हो रही है।

प्रधान जी, वे आपकी सरकार गिराना चाहते हैं तो आपकी जगह किसी न किसी को सत्ता मे बिठाना भी चाहते हैं। खुद से पूछ कर देखिये कि वे किसे बिठाना चाहते हैं, आपको उत्तर मिल जायेगा कि आपकी सरकार गिरने का डायरेक्ट बेनेफिशियरी यहाँ कौन है, भारत मे किस राजनेता के साथ उनकी दुरभिसंधि है जिसे सिंहासन दिलवाने को वे यह सब कुछ कर रहे हैं। मोटे तौर पर यह हमारी काउंटर इंटेलिजेंस मशीनरी का फेल्योर है जो इन एक्सटर्नल पॉवर्स को वो करने से रोक नही पा रहीं जो आज वे कर रही हैं। लेकिन फिलहाल इससे निपटने का एक और तरीका भी हो सकता है.

वे जिसे गद्दी पर बिठाने की जुगत मे यह सब कुछ कर रहे हैं, यदि वही न रहे, तो? मेरा मतलब कोई विमान दुर्घटना हो सकती है। किसी को हृदयाघात हो सकता है। सुरक्षा चूक से उसके काफिले की कोई भीषण सड़क दुर्घटना हो सकती है। वस्तुतः इंटेलिजेंस अपनी पर उतर आये तो किसी को भी कुछ भी हो सकता है। मुझे बड़ी गंभीरता से ऐसा लगता है कि अब यह होने का समय आ चुका है।

ऐसा होने से दो बातें होंगी:—

1)- भारत के भविष्य पर मंडराते इमीडियेट-थ्रेट से लंबे समय के लिये छुटकारा मिलेगा।

2)- इस इमीडियेट-थ्रेट के जो फॉरेन हैंडलर्स हैं, उन्हे भी सीधा मैसेज पहुँच जायेगा कि भारत तुम्हारी हरकतों से गाफिल नही है, और अपने दीर्घकालिक हितों की सुरक्षा के लिये वह तुम्हारे खड़े किये गये किसी भी खतरे को बेधड़क “न्यूट्रलाइज” करेगा, हर बार!

एक ऐसे समय, जब कुछ भी आपके बस मे न रह गया हो, तो एक बार यह भी कर-करवा के देख लीजिये... क्या मालूम कृपा यहीं अटकी पड़ी हो।


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