बूरा शकर के लाभ - -
इतिहास में एक समय ऐसा भी रहा है जब याचक के पानी मांगने पर उसे मिश्री मिश्रित दूध दिया जाता था। किसी के पानी मांगने पर उसे पहले गुड़ की डली भेंट की जाती थी और बाद में पानी। हमारा कोई पर्व या उत्सव ऐसा नहीं होता जिस पर हम अपने बंधु-बांधवों और इष्ट-मित्रों का मुंह मीठा नहीं कराते। मांगलिक अवसरों पर लड्डू, बताशे, गुड़ आदि बांटकर अपनी प्रसन्नता को मिल-बांट लेने की परम्परा तो हमारे देश में लम्बे समय से रही है। सच तो यह है कि मीठे की सबसे अधिक खपत हमारे देश में ही है। आयुर्वेद के ग्रन्थों में मधुर रस के पदार्थों से भोजन का श्रीगणेश करने का परामर्श दिया गया है। "ब्रह्मांड पुराण" में भोजन का समापन भी मीठे पदार्थों से ही करने का सुझाव है। एक ग्रन्थ में तो भोजन में मूंग की दाल, शहद, घी और शक्कर का शामिल रहना अनिवार्य कहा गया है।
मेगास्थनीज़ ने लिखा है कि भारतीय लोग मधुमक्खियों के बिना ही डंडों के पौधों पर शहद उगाते हैं। स्पष्ट है कि यहाँ पर लेखक गन्ने की बात कर रहा है। चूंकि उसके उन्नत देश को मीठे के लिए शहद से बेहतर किसी पदार्थ का ज्ञान नहीं था, शक्कर को शहद समझने में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कहते हैं कि यह शक्कर सिकंदर के सैनिकों के साथ ही भारत से बाहर गयी।
हिन्दी/फारसी/उर्दू का शक्कर बना है संस्कृत के मूल शब्द शर्करा से। मराठी का साखर और अन्य भारतीय भाषाओं के मिलते-जुलते शब्दों का मूल भी समान ही है। इरान से आगे पहुँचकर हमारी मिठास अरब में सुक्कर और यूरोप में सक्कैरम हो गयी। इस प्रकार अंग्रेजी के शब्द शुगर व सैकरीन दोनों ही संस्कृत शर्करा से जन्मे।
बनाई हुई शर्करा के टुकडों को खंड (टुकड़े - pieces) कहा जाता था जिससे खांड और अन्य सम्बंधित शब्द जैसे खंडसाल आदि बने हैं। फारसी में पहुँचते-पहुँचते खंड बदल गया कन्द में और यूरोप तक जाते-जाते यह कैंडी में तब्दील हो गया।
दीपावली पर मुख्य रूप से धान और उससे बने पदार्थ खील आदि नये गन्ने क़े रस से बने गुड खांड ,शक्कर आदि क़े बने बताशे -खिलौने आदि हवन में शामिल करने का विधान था .इनके सेवन से आगे सर्दियों में कफ़ आदि से बचाव हो जाता है .
जिस देश में शकर बनी आज उसी देश को मधुमेह का गढ़ कहा जाता है और शकर खाना बंद कर दिया जाता है।इसके पीछे यूरोप में तैयार , रसायनों के प्रयोग से अति रिफाइंड सफ़ेद चीनी है।दुसरा कारण है शुद्ध तेल और घी का प्रयोग ना करना है। जिन्हें खुजली हो चीनी व चीनी से बनी चीजें जैसे टॉफी, मिठाइयाँ नहीं खाएँ। खुजली ठीक हो जाएगी। दानेदार चीनी को प्राकृतिक चिकित्सा में सफेद विष कहा गया है। इसे खाने से क्षय, गठिया, रक्तचाप और मदिरा सेवन की इच्छा होती है। इसके स्थान पर मीठे फल, गुड़, गुड़िया शकर, देशी बूरा,खांड , मिश्री उपयोगी हैं। चीनी खाने से व्यवहार में अपराधवृत्ति आती है। चिड़चिड़ापन और क्रोध अधिक आता है। इसके सेवन से शरीर में विद्यमान विटामिन और कैल्शियम नष्ट हो जाते हैं। अति हर जगह वर्जित है अत: शकर का उपयोग अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए।
गन्ने के रस को उबालने से राब मिलता है। इसे और उबालनेऔर गुमाने वाले यंत्र से साफ़ करने से से खांड शकर या खांडसारी मिलती है। इसे और उबालने से बुरा शकर मिलती है।आज खांडसारी उद्योग करीब करीब मृतप्राय है। इसलिए बुरा शकर सफ़ेद चीनी से ही बना लेते है।
देशी बूरा बनाने के लिए चीनी की तीन तार की चाशनी बना कर उसे ठंडा कर लें फिर उसे पीस लें ।यह चीनी से कम नुकसान करती है।
- चक्कर आना -दो चम्मच शकर और दो चम्मच सूखा धनिया मिलाकर चबाने से लाभ होता है।
- जलना - जले हुए अंगों पर चीनी को पानी में घोल कर लेप करें। पानी कम मात्रा में मिलाएँ जिससे घोल गाढ़ा तैयार हो। इससे जलन बंद हो जाती है।
- गर्मी के मौसम के रोग - दही में चीनी डाल कर गर्मी के मौसम में नित्य खाएँ। इससे अधिक प्यास लगना, लू लगना और दाह दूर हो जाता है। सर्दी-जुकाम ठीक होता है। वीर्य की वृद्धि होती है।
- शक्तिवर्धक - दो चम्मच चीनी और दो चम्मच घी में दस पिसी हुई काली मिर्च मिलाकर नित्य भूखे पेट चाटें। इससे मस्तिष्क में तरावट आती है, कमजोरी का सिर दर्द ठीक हो जाता है।
- आँखें दुखने पर- आँखें दुखने पर देशी शकर (बूरा) या बताशे के साथ रोटी खाने से लाभ होता है।
- खाँसी - खाँसी बार-बार चलती हो तो मिश्री का टुकड़ा मुँह में रखें।
- पथरी- 15 दाने बड़ी इलायची के, एक चम्मच खरबूजे के बीजों की मींगी, दो चम्मच मिश्री इन सबको पीस कर एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य पीते रहें। इससे गुर्दे की पथरी गल जाती है। कोलेस्ट्रोल चीनी खाने से बढ़ता है।
- रुका हुआ जुकाम- जलते हुए कोयलों पर शकर डालकर नाक में धुआँ अंदर खींचने से रुका हुआ जुकाम ठीक हो जाता है।
- शीघ्रता से प्रसव- प्रसवकाल के अंतिम भाग में जबकि कोई यांत्रिक अवरोध न रहे, जरायु की क्रियाहीनता के कारण विलम्ब होता हो, उस हालत में शीघ्रता से प्रसव कराने के लिए चीनी का प्रयोग उपयुक्त होता है। 25 ग्राम चीनी जल में गलाकर आधा घंटे के अंतर से कई बार देना चाहिए।
- दस्त- दस्त होने पर शीघ्रता से शरीर में पानी, नमक व शक्ति की कमी अनुभव होती है। दस्तों के उपचार के लिए रोगी को पानी एवं नमक का सेवन कराइए। पानी को उबालकर ठंडा करके एक गिलास भर लें। इसमें जरा सा नमक और स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर घोल लें। इसे बार-बार पिलाएँ। रोगी को कुछ न कुछ पिलाते रहें तथा नियमित भोजन करने को कहें, जिससे कि शारीरिक कमजोरी न होने पाए।
- आधे सिर में दर्द - यदि सिर दर्द सूर्य उदय होने के साथ बढ़े और सूर्य ढलने के साथ कम होता जाए तो ऐसे सिर दर्द में सूर्य उदय होते समय सूर्य के सामने खड़े हो जाएँ और 150 ग्राम पानी में 60 ग्राम शकर मिलाकर धीरे-धीरे पिएँ। आधे सिर का दर्द ठीक हो जाएगा।
- अरुचि - खाने-पीने की इच्छा न होने पर एक कप पानी में स्वादानुसार शकर, इमली तथा बारीक पिसी हुई चौथाई चम्मच काली मिर्च मिलाकर छानकर नित्य चार बार पिलाने से खान-पान के प्रति रुचि उत्पन्न हो जाती है।
- सौंफ में लौंग डालकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए इसे छानकर देशी बूरा या खांड मिलकर पीने से जुकाम शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
- सेंधानमक और बूरा को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से मोच में लाभ मिलता है।
इतिहास में एक समय ऐसा भी रहा है जब याचक के पानी मांगने पर उसे मिश्री मिश्रित दूध दिया जाता था। किसी के पानी मांगने पर उसे पहले गुड़ की डली भेंट की जाती थी और बाद में पानी। हमारा कोई पर्व या उत्सव ऐसा नहीं होता जिस पर हम अपने बंधु-बांधवों और इष्ट-मित्रों का मुंह मीठा नहीं कराते। मांगलिक अवसरों पर लड्डू, बताशे, गुड़ आदि बांटकर अपनी प्रसन्नता को मिल-बांट लेने की परम्परा तो हमारे देश में लम्बे समय से रही है। सच तो यह है कि मीठे की सबसे अधिक खपत हमारे देश में ही है। आयुर्वेद के ग्रन्थों में मधुर रस के पदार्थों से भोजन का श्रीगणेश करने का परामर्श दिया गया है। "ब्रह्मांड पुराण" में भोजन का समापन भी मीठे पदार्थों से ही करने का सुझाव है। एक ग्रन्थ में तो भोजन में मूंग की दाल, शहद, घी और शक्कर का शामिल रहना अनिवार्य कहा गया है।
मेगास्थनीज़ ने लिखा है कि भारतीय लोग मधुमक्खियों के बिना ही डंडों के पौधों पर शहद उगाते हैं। स्पष्ट है कि यहाँ पर लेखक गन्ने की बात कर रहा है। चूंकि उसके उन्नत देश को मीठे के लिए शहद से बेहतर किसी पदार्थ का ज्ञान नहीं था, शक्कर को शहद समझने में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कहते हैं कि यह शक्कर सिकंदर के सैनिकों के साथ ही भारत से बाहर गयी।
हिन्दी/फारसी/उर्दू का शक्कर बना है संस्कृत के मूल शब्द शर्करा से। मराठी का साखर और अन्य भारतीय भाषाओं के मिलते-जुलते शब्दों का मूल भी समान ही है। इरान से आगे पहुँचकर हमारी मिठास अरब में सुक्कर और यूरोप में सक्कैरम हो गयी। इस प्रकार अंग्रेजी के शब्द शुगर व सैकरीन दोनों ही संस्कृत शर्करा से जन्मे।
बनाई हुई शर्करा के टुकडों को खंड (टुकड़े - pieces) कहा जाता था जिससे खांड और अन्य सम्बंधित शब्द जैसे खंडसाल आदि बने हैं। फारसी में पहुँचते-पहुँचते खंड बदल गया कन्द में और यूरोप तक जाते-जाते यह कैंडी में तब्दील हो गया।
दीपावली पर मुख्य रूप से धान और उससे बने पदार्थ खील आदि नये गन्ने क़े रस से बने गुड खांड ,शक्कर आदि क़े बने बताशे -खिलौने आदि हवन में शामिल करने का विधान था .इनके सेवन से आगे सर्दियों में कफ़ आदि से बचाव हो जाता है .
जिस देश में शकर बनी आज उसी देश को मधुमेह का गढ़ कहा जाता है और शकर खाना बंद कर दिया जाता है।इसके पीछे यूरोप में तैयार , रसायनों के प्रयोग से अति रिफाइंड सफ़ेद चीनी है।दुसरा कारण है शुद्ध तेल और घी का प्रयोग ना करना है। जिन्हें खुजली हो चीनी व चीनी से बनी चीजें जैसे टॉफी, मिठाइयाँ नहीं खाएँ। खुजली ठीक हो जाएगी। दानेदार चीनी को प्राकृतिक चिकित्सा में सफेद विष कहा गया है। इसे खाने से क्षय, गठिया, रक्तचाप और मदिरा सेवन की इच्छा होती है। इसके स्थान पर मीठे फल, गुड़, गुड़िया शकर, देशी बूरा,खांड , मिश्री उपयोगी हैं। चीनी खाने से व्यवहार में अपराधवृत्ति आती है। चिड़चिड़ापन और क्रोध अधिक आता है। इसके सेवन से शरीर में विद्यमान विटामिन और कैल्शियम नष्ट हो जाते हैं। अति हर जगह वर्जित है अत: शकर का उपयोग अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए।
गन्ने के रस को उबालने से राब मिलता है। इसे और उबालनेऔर गुमाने वाले यंत्र से साफ़ करने से से खांड शकर या खांडसारी मिलती है। इसे और उबालने से बुरा शकर मिलती है।आज खांडसारी उद्योग करीब करीब मृतप्राय है। इसलिए बुरा शकर सफ़ेद चीनी से ही बना लेते है।
देशी बूरा बनाने के लिए चीनी की तीन तार की चाशनी बना कर उसे ठंडा कर लें फिर उसे पीस लें ।यह चीनी से कम नुकसान करती है।
- चक्कर आना -दो चम्मच शकर और दो चम्मच सूखा धनिया मिलाकर चबाने से लाभ होता है।
- जलना - जले हुए अंगों पर चीनी को पानी में घोल कर लेप करें। पानी कम मात्रा में मिलाएँ जिससे घोल गाढ़ा तैयार हो। इससे जलन बंद हो जाती है।
- गर्मी के मौसम के रोग - दही में चीनी डाल कर गर्मी के मौसम में नित्य खाएँ। इससे अधिक प्यास लगना, लू लगना और दाह दूर हो जाता है। सर्दी-जुकाम ठीक होता है। वीर्य की वृद्धि होती है।
- शक्तिवर्धक - दो चम्मच चीनी और दो चम्मच घी में दस पिसी हुई काली मिर्च मिलाकर नित्य भूखे पेट चाटें। इससे मस्तिष्क में तरावट आती है, कमजोरी का सिर दर्द ठीक हो जाता है।
- आँखें दुखने पर- आँखें दुखने पर देशी शकर (बूरा) या बताशे के साथ रोटी खाने से लाभ होता है।
- खाँसी - खाँसी बार-बार चलती हो तो मिश्री का टुकड़ा मुँह में रखें।
- पथरी- 15 दाने बड़ी इलायची के, एक चम्मच खरबूजे के बीजों की मींगी, दो चम्मच मिश्री इन सबको पीस कर एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य पीते रहें। इससे गुर्दे की पथरी गल जाती है। कोलेस्ट्रोल चीनी खाने से बढ़ता है।
- रुका हुआ जुकाम- जलते हुए कोयलों पर शकर डालकर नाक में धुआँ अंदर खींचने से रुका हुआ जुकाम ठीक हो जाता है।
- शीघ्रता से प्रसव- प्रसवकाल के अंतिम भाग में जबकि कोई यांत्रिक अवरोध न रहे, जरायु की क्रियाहीनता के कारण विलम्ब होता हो, उस हालत में शीघ्रता से प्रसव कराने के लिए चीनी का प्रयोग उपयुक्त होता है। 25 ग्राम चीनी जल में गलाकर आधा घंटे के अंतर से कई बार देना चाहिए।
- दस्त- दस्त होने पर शीघ्रता से शरीर में पानी, नमक व शक्ति की कमी अनुभव होती है। दस्तों के उपचार के लिए रोगी को पानी एवं नमक का सेवन कराइए। पानी को उबालकर ठंडा करके एक गिलास भर लें। इसमें जरा सा नमक और स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर घोल लें। इसे बार-बार पिलाएँ। रोगी को कुछ न कुछ पिलाते रहें तथा नियमित भोजन करने को कहें, जिससे कि शारीरिक कमजोरी न होने पाए।
- आधे सिर में दर्द - यदि सिर दर्द सूर्य उदय होने के साथ बढ़े और सूर्य ढलने के साथ कम होता जाए तो ऐसे सिर दर्द में सूर्य उदय होते समय सूर्य के सामने खड़े हो जाएँ और 150 ग्राम पानी में 60 ग्राम शकर मिलाकर धीरे-धीरे पिएँ। आधे सिर का दर्द ठीक हो जाएगा।
- अरुचि - खाने-पीने की इच्छा न होने पर एक कप पानी में स्वादानुसार शकर, इमली तथा बारीक पिसी हुई चौथाई चम्मच काली मिर्च मिलाकर छानकर नित्य चार बार पिलाने से खान-पान के प्रति रुचि उत्पन्न हो जाती है।
- सौंफ में लौंग डालकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए इसे छानकर देशी बूरा या खांड मिलकर पीने से जुकाम शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
- सेंधानमक और बूरा को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से मोच में लाभ मिलता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.