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रविवार, 20 नवंबर 2022

जिनकी शादी कॉन्ट्रैक्ट भर है, वो कॉन्ट्रैक्ट टूटने की खुशियाँ मनाएं। इसे “विवाह-विच्छेद” का उत्सव क्यों बनाना? शादी टूटने का, मैरिज टूटने, तलाक का डाइवोर्स का बनाओ उत्सव

ये पहले ही तय है कि हिन्दुओं के महाकाव्यों के लक्षण क्या होंगे | उसमें चारों पुरुषार्थों का जिक्र होना चाहिए | सिर्फ धर्म की बात नहीं होगी, सिर्फ़ मोक्ष का जिक्र नहीं होगा | वहां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों होंगे | इसलिए जब आप रामायण या महाभारत पढ़ रहे हैं, सुन रहे हैं और सिर्फ़ आह-वाह करके भावविभोर हो रहे हैं तो आपने आधा ही पढ़ा है | ये भी एक वजह है कि आपको ऐसे ग्रन्थ बार बार पढ़ने पड़ते हैं | अगर आप महाभारत का आखरी हिस्सा यानि स्वर्गारोहण वाला हिस्सा देखेंगे तो धर्म-मोक्ष से अलग एक ऐसा ही सवाल आपके मन में उठेगा |

यहाँ जब पांचो पांडव और द्रौपदी हस्तिनापुर छोड़कर निकलते हैं तो एक रेगिस्तान जैसे इलाके में से गुजर रहे होते हैं | यहाँ ना कोई पेड़ पौधा है ना कोई जीव जन्तु | एक एक कर के सभी गिरने लगते हैं और अकेले युधिष्ठिर ही आगे एक कुत्ते के साथ बढ़ते रह जाते हैं | सबसे पहले द्रौपदी गिरती है | उसके गिरने पर भी जब सभी आगे बढ़ते रहते हैं तो भीम पूछते हैं कि द्रौपदी क्यों गिरी ? युधिष्ठिर बताते हैं कि द्रौपदी पाँचों भाइयों में अर्जुन से ज्यादा प्रेम करती थी, बाकी सब से कम | इसलिए वो सबसे पहले गिरी |

द्रौपदी गिरी थी, मृत नहीं थी | युधिष्ठिर का जवाब उसने भी सुना होगा | सवाल है कि ये सुनने के बाद द्रौपदी ने क्या सोचा होगा ?

स्वयंवर में उसकी शर्तों को सिर्फ अर्जुन ने पूरा किया था | ऐसे में उसके मन में केवल अर्जुन के लिए ही भाव जागे थे तो गलत क्या था ? आगे जब स्वयंवर के बाद का महाभारत भी देखते हैं तो एक और चीज़ पर ध्यान जाएगा | एक प्रेमिका, एक पत्नी की तरह द्रौपदी को सिर्फ भीम स्थान देते हैं | कभी उसके पसंद के फूल लाने गए भीम राक्षसों और मुश्किलों का सामना कर के फूल लाते हैं | कभी जुए में द्रौपदी को दाँव पर लगाने वाले युधिष्ठिर पर चढ़ बैठते हैं | युधिष्ठिर को कह देते हैं कि ये पासे फेंकने वाले तुम्हारे हाथ जल क्यों नहीं जाते ? बड़ी मुश्किल से अर्जुन पकड़ कर सभा में, भीम को रोकते हैं |

महाभारत में द्रौपदी की स्थिति को पांच पतियों वाली विधवा जैसा दर्शाया गया है | पांच पतियों के होते हुए भी जुए वाली सभा में उसे बचाने उसके पति नहीं आये थे | सिर्फ भीम लड़ने को तैयार थे, जिन्हें बाकी भाइयों ने रोका | आगे वनवास में द्रौपदी पर नजर जमाये जयद्रथ को भी भीम का सामना करना पड़ता है | अज्ञातवास के दौरान जब कीचक की कुदृष्टि द्रौपदी पर थी तब भी उसे भीम ने ही मारा | कैसे देखें इसे, एकतरफा प्रेम जैसा ?

प्रश्न है कि प्रेम या विवाह किया कैसे जाना चाहिए ? जिसे आप पसंद करते हैं उस से, या जो आपको पसंद करता है उस से ? जैसे द्रौपदी को अर्जुन पसंद था वैसे, जैसे भीम को द्रौपदी पसंद थी वैसे, या फिर जैसे अर्जुन ने किया था ? उसने सुभद्रा से शादी की थी, जो उसका हरण कर के ले गई थी | अर्जुन ने उलूपी से शादी की थी वो भी अर्जुन का हरण कर के ले गई थी | अर्जुन ने चित्रांगदा से भी शादी की थी, जिसने उसे अपने घर में ही रख लिया था | संबंधों के मामले में अर्जुन शायद द्रौपदी से ज्यादा सुखी रहा |

हिन्दुओं के महाकाव्यों में प्रश्न अपने आप आते हैं | उत्तर आपको खुद भी पता है, किसी और से सुनने की जरूरत भी नहीं | ज्यादातर बार उत्तर, प्रश्न से पहले ही बता दिए गए होते हैं | बिलकुल आपके स्कूल की किताबों जैसा है | पहले चैप्टर ख़त्म होता है, फिर अंत में एक्सरसाइज और क्वेश्चन होते हैं | प्रश्नों के उत्तर पीछे के अध्याय में ही कहीं हैं, आपको पीछे जाकर ढूंढना होता है |

बाकी ये सूचना क्रांति का युग है | आपकी जानकारी जितनी ज्यादा है आप उतने ज्यादा शक्तिशाली होते हैं | ऐसे में अगर आपका विरोधी आपको किसी किताब की बुराई गिना रहा हो तो याद रखिये कि उसमें ऐसी कोई ना कोई जानकारी है जो आपको विरोधी से ज्यादा जानकार, ज्यादा शक्तिशाली बनाती होगी | आह-वाह करने के बदले ग्रन्थ उठा कर पढ़ लीजिये |

ये कथा है ऋषि शमीक की, जो कहीं से अपने आश्रम की ओर लौटते हुए कुरुक्षेत्र के मार्ग से अपने आश्रम की ओर लौट रहे थे। ये तब की घटना थी जब महाभारत का युद्ध बीते कुछ ही समय हुआ था। ऋषि को वहीँ कहीं से पक्षियों के चहकने की ध्वनि सुनाई दी। उन्होंने इधर उधर देखा, क्योंकि आस पास कोई पेड़ या ऐसा कुछ नहीं था जिसपर घोंसला होने और छोटे पक्षियों के होने की संभावना होती। सामने एक हाथी के गले में टांगने वाला बड़ा सा घंटा धरती में धंसा सा पड़ा था। ऋषि शमीक ने उसे उखाड़ा तो पाया कि उसके अन्दर चार छोटे-छोटे पक्षी के बच्चे हैं और वही चहचहा रहे थे!

वो घंटे के अन्दर कैसे पहुंचे? महाभारत के युद्ध में अर्जुन जब भगदत्त से लड़ रहे थे उसी वक्त एक चिड़िया उधर से उड़कर जा रही थी। अर्जुन का एक बाण चिड़िया का पेट चीरता हुआ निकल गया। चिड़िया तो मारी गयी किन्तु उसके अंडे जमीन पर आ गिरे। हाथियों-रथों से अंडे कुचले जाते, मगर भाग्य से एक हाथी का घंटा किसी प्रहार से टूटा और जब वो गिरा तो अण्डों को ढकता हुआ भूमि में थोड़ा धंस गया। धातु धूप से गर्म होती तो अण्डों को भी गर्मी मिल जाती, इस तरह अंडे फूटे और उसमें से चिड़िया के बच्चे निकल आये थे! ऋषि पक्षी शावकों को साथ ले गए और अपने शिष्यों से उनकी देखभाल करने कहा क्योंकि उनका मानना था कि संसार में दैव का ऐसा अनुकूल होना भी पूर्व जन्म के पुण्यों का फल होगा।

इन पक्षियों के पूर्व जन्म की कथा भी उतनी ही विचित्र है। ये किसी तपस्वी की संतान थे जिनकी परीक्षा लेने इंद्र एक वृद्ध पक्षी का रूप धारण करके आये। उन्होंने तपस्वी से कहा कि उन्हें भूख लगी है। जब तपस्वी ने उन्हें भोजन देना स्वीकार लिया, तब पक्षी ने कहा कि उसे तो मानव मांस प्रिय है! अब तपस्वी ने अपने चारों पुत्रों को बुलाकर अपने मांस से पक्षी को तृप्त करने कहा। जब चारों ऐसे कठिन कार्य के लिए तैयार नहीं हुए तो तपस्वी ने अपने पुत्रों को अगले जन्म में पक्षी होने का शाप दिया और स्वयं अपना मांस देने प्रस्तुत हुआ। तपस्वी के वो चारों पुत्र ही ये पक्षी थे! थोड़े बड़े होते ही पक्षी मनुष्यों की भांति बात करने लगे फिर ऋषि शमीक से आज्ञा लेकर विन्ध्यगिरी पर्वत पर निवास करने चले गए।

ये वो कथा है जिससे मार्कंडेय पुराण की करीब-करीब शुरुआत होती है। करीब-करीब शुरुआत इसलिए क्योंकि इन पक्षियों की कथा मार्कंडेय जी महर्षि जैमिनी को सुना रहे होते हैं। महाभारत से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर लेने के लिए मार्कंडेय जी ने महर्षि जैमिनी को इन्हीं पक्षियों के पास भेजा था। मार्कंडेय पुराण की बात क्यों? ऐसा सोच सकते हैं कि शायद दुर्गा पूजा नजदीक ही है। उस दौरान जिस दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है, वो मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है, शायद इसलिए। ये पूरा सच नहीं होगा। ये पुराण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ऋतध्वज और उनकी पत्नी मदालसा का आख्यान आता है। मदालसा ने अपने चौथे पुत्र अलर्क को राजनीति, धर्म और अध्यात्म का जो उपदेश दिया था वो अलर्कोपख्यान के नाम से प्रसिद्ध है।

जो पहली लोरी थी, वो भी संभवतः संस्कृत की ही रही होगी। मदालसा का ये भाग “स्त्री को देवी मत बनाओ”, “स्त्री को स्त्री ही रहने दो”, वाले तथाकथित नैरेटिव को भी तोड़ देता है। सामान्य स्थिति में वो कैसे गुरु भी होती है, या कहिये कि पहली गुरु स्त्री ही होगी, इस हिन्दू सत्य को स्थापित करने में ये काम आ सकता है। दुर्गा सप्तशती मार्कंडेय पुराण के सावर्णिक मन्वंतर की कथा के अंतर्गत आती है। यानि मन्वंतरों और 14 मनुओं की बात इस पुराण में होगी, इतना तो समझ में आता है। जब दूसरे मनु औत्तम की बात हो रही होती है तब ये बात होती है पत्नी-त्याग अपराध है। जिस प्रकार पत्नी अपने पति का त्याग नहीं कर सकती उसी प्रकार पति भी पत्नी का त्याग नहीं कर सकता।

आज एक “विवाह-विच्छेद” के आयोजन के पोस्टर पर हंगामा रहा। शुरू में कुछ लोग समर्थन में दिखे, उसके बाद कुछ लोगों ने कहा कि जिनकी शादी कॉन्ट्रैक्ट भर है, वो कॉन्ट्रैक्ट टूटने की खुशियाँ मनाएं। इसे “विवाह-विच्छेद” का उत्सव क्यों बनाना? शादी टूटने का, मैरिज टूटने, तलाक का डाइवोर्स का बनाओ उत्सव। फिर पता चला आयोजक समुदाय विशेष के हैं। अब हो सकता है कि कुछ लोग सवाल करें। कोई धूप में बाल पकाए बैठे कूढ़मगज चीर-युवा जबरन सवाल करे, या कुछ सचमुच के युवा अपनी जिज्ञासा में पूछें कि बताओ कहाँ लिखा है कि हिन्दुओं को पति का या पत्नी का त्याग नहीं करना चाहिए? ऐसी स्थितियों के लिए याद रखियेगा।

जैसे मार्कंडेय पुराण में सावर्णि नाम के मनु की कथा में दुर्गा सप्तशती आती है, वैसे ही औत्तम नाम के मनु की कथा में पति-पत्नी के त्याग को अपराध बताया गया है।
✍🏻आनन्द कुमार जी की पोस्टों से संग्रहित

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