ऑटो वाले ने मुंह मांगी कीमत मांगी और ब्लैक मेल कर बाध्य किया ओला-उबर के लिए
BSNL कस्टमर केयर वालों ने 2 -2 घण्टे होल्ड पर रखकर मजबूर किया एयरटेल,वोडाफोन के लिए
कुछ दुकानदारों ने दो गुना तीन गुना कीमत वसूली और नकली माल देकर मजबूर किया ऑनलाइन शॉपिंग के लिए
सरकारी अस्पताल के लापरवाही और ग़ैरजिम्मेदाराना व्यवहार ने मजबूर किया प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए,रोडवेज के धीमे,असुविधाजनक सफर ने मजबूर किया प्राइवेट बसों में डीलक्स कोच के लिए
सरकारी स्कूल में रिक्त पद, लचर पढ़ाई, अव्यवस्थित प्रबंध और दायित्वबोध की कमी ने मजबूर किया प्राइवेट स्कूल के लिए
सरकारी बैंक की दादागिरी,ने मजबूर किया प्राइवेट बैंक में खाता खोलने को
अब रो रहे BSNL बिक जाएगा,
एयर इंडिया बन्द हो जाएगी
तो होने दो
प्रकृति योग्य का वरण कर नालायकों का मरण स्वयं कर देती है...
प्रशन -कितने लोगों को भारत संचार निगम लिमिटेड की चिंता है?
उत्तर- सभी को ।
कितने लोग भारत संचार निगम लिमिटेड की सिम का प्रयोग करते हैं?
उत्तर- कोई नहीं।
प्रशन - सरकारी स्कूल की चिंता कितने लोग करते हैं?
उत्तर- सभी।
प्रशन - सरकारी स्कूल में कितने लोगो के बच्चे पढ़ते हैं?
उत्तर- किसी के नहीं।
प्रशन - कितने लोग पालीथीन मुक्त वातावरण चाहते हैं?
उत्तर - सभी।
प्रशन - पालीथीन का प्रयोग कौन नहीं करता?
उत्तर- सभी करते हैं।
प्रशन -भ्रष्टाचार मुक्त भारत कौन कौन चाहते हैं?
उत्तर-सभी।
प्रशन - अपने व्यक्तिगत काम के लिए कितने लोगों ने रिश्वत नहीं दी?
उत्तर - सभी ने अपने व्यक्तिगत काम के लिए किसी न किसी को किसी न किसी रूप में रिश्वत जरूर दी है।
प्रश्न- गिरते रुपये की चिंता कितने लोग करते हैं?
उत्तर- सभी करते हैं ।
प्रश्न- कितने लोग सिर्फ स्वदेशी सामान खरीदते हैं?
उत्तर- कोई नहीं ।
प्रश्न- यातायात की बिगड़ी हालात से कौन कौन दुखी है?
उत्तर - सभी ।
प्रश्न- यातायात के नियमों को 100% पालन कौन कौन करता है?
उत्तर- कोई नहीं ।
प्रश्न- बदलाव कौन कौन चाहते हैं?
उत्तर- सभी।
प्रश्न- खुद कितने लोग बदलना चाहते हैं?
उत्तर - कोई नहीं ।
संभलने की जरूरत है !!
1. चोटियां छोड़ी ,
2. टोपी, पगड़ी छोड़ी ,
3. तिलक, चंदन छोड़ा
4. कुर्ता छोड़ा ,धोती छोड़ी ,
5. यज्ञोपवीत छोड़ा ,
6. संध्या वंदन छोड़ा ।
7. रामायण पाठ, गीता पाठ छोड़ा ,
8. महिलाओं, लड़कियों ने साड़ी छोड़ी, बिछिया छोड़े, चूड़ी छोड़ी , दुपट्टा, चुनरी छोड़ी, मांग बिन्दी छोड़ी।
9. पैसे के लिये, बच्चे छोड़े (आया पालती है)
10. संस्कृत छोड़ी, हिन्दी छोड़ी,
11. श्लोक छोड़े, लोरी छोड़ी ।
12. बच्चों के सारे संस्कार (बचपन के) छोड़े ,
13. सुबह शाम मिलने पर राम राम छोड़ी ,
14. पांव लागूं, चरण स्पर्श, पैर छूना छोड़े ,
15. घर परिवार छोड़े (अकेले सुख की चाह में संयुक्त परिवार)।
अब कोई रीति या परंपरा बची है? ऊपर से नीचे तक गौर करो, तुम कहां पर हिन्दू हो, भारतीय हो, सनातनी हो, ब्राह्मण हो, क्षत्रिय हो, वैश्य होया कुछ और हो
कहीं पर भी उंगली रखकर बता दो कि हमारी परंपरा को मैंने ऐसे जीवित रखा है।
जिस तरह से हम धीरे धीरे बदल रहे हैं- जल्द ही समाप्त भी हो जाएंगे।
बौद्धों ने कभी सर मुंड़ाना नहीं छोड़ा!
सिक्खों ने भी सदैव पगड़ी का पालन किया!
मुसलमानों ने न दाढ़ी छोड़ी और न ही 5 बार नमाज पढ़ना!
ईसाई भी संडे को चर्च जरूर जाता है!
फिर हिन्दू अपनी पहचान-संस्कारों से क्यों दूर हुआ?
कहाँ लुप्त हो गयी- गुरुकुल की शिखा, यज्ञ, शस्त्र-शास्त्र, नित्य मंदिर जाने का संस्कार ?
हम अपने संस्कारों से विमुख हुए, इसी कारण हम विलुप्त हो रहे हैं।
अपनी पहचान बनाओ!
अपने मूल-संस्कारों को अपनाओ!!!
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