आज हम उस रस्म या कुप्रथा से रूबरू होंगे, जिसको शायद हमनें कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।
● सांसी जनजाति भारत की प्राचीनतम जनजातियों में से एक है। आज हम इस जनजाति में प्रचलित एक रस्म या कुप्रथा 'कूकड़ी' के बारे में जानेंगे।
• जनजातियों की भाँति हमारे समाज में भी अनेक कुप्रथाओं का प्रचलन आज भी हैं, जिन्हें रीति-रिवाज, परम्परा एवं संस्कारों का नाम देकर बढ़ावा दिया जाता है। जिससे कहीं-न-कहीं महिलाओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है। ऐसी ही एक रस्म है-'कूकड़ी प्रथा', जो सामान्यतः 'सांसी जनजाति' में प्रचलित है।
★ क्या है कूकड़ी रस्म ?
(प्रतीकात्मक चित्र- न्यूज इंडिया)
एक लड़की अपने परिवार को छोड़कर शादी करके ससुराल जाती है। वहाँ पर सुहागरात की रात उसका पति हाथों में सफेद धागों का गुच्छा लिए उसके कमरे में प्रवेश करता है। यह देखकर वह लड़की डर के मारे घबरा जाती है। उसके ज़हन में वे बातें सहसा याद आ जाती हैं, जो अपने घर व आस-पड़ोस की औरतों से हमेशा से सुनती आई है। पति यह जाँच करने वाला है कि उसकी पत्नी वर्जिन है या नहीं ?
• यह सोचकर उसके पूरे शरीर में शिहरन दौड़ जाती है, क्योंकि वो नहीं जानती है कि उसके साथ अब आगे क्या होने वाला है। यह सोचकर वह रोने लग जाती है। उस पलंग पर सफेद चादर बिछी हुई है एवं पति द्वारा लाई गई उस कुकड़ी को बिस्तर पर रखा जाता है। ततपश्चात पति उस लड़की के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाता है।
• सुबह उस बिस्तर पर बिछी चादर व कुकड़े को देखा जाता है। उसका पति वो गुच्छा लेकर कमरे से बाहर जाता है और वह चिल्ला-चिल्लाकर यह कहता है कि 'अरे! वो ख़राब है।'
• इतना सुनते ही लड़के के घर वाले अब उस नई दुल्हन से उसके मित्र का नाम पूछते हैं। लड़की रो-रोकर यही कहती जाती है कि उसने कभी ऐसा कुछ नहीं किया है। जब बिस्तर पर खून के निशान नहीं मिलते हैं, तब परिवार वाले उस लड़की के साथ मारपीट एवं पशुवत व्यवहार करते हैं।
• ससुराल वाले उसको खूब पीटते हैं और यह कहते हैं, कि पंचायत के सामने वो झूठा ही मान ले कि उसके जीजा के साथ शारीरिक सम्बन्ध थे।
• अगर उसकी पत्नी वर्जिन निकलती है, (बिस्तर पर खून के निशान मिलने पर भी) तब भी उसे झूठ बोलने पर मजबूर किया जाता है और पीहर पक्ष वालों से ज्यादा दहेज के लिए बाध्य किया जाता है।
Note:- (माफ कीजिएगा यह एक सत्य वर्णन है, जिसकी सत्यता के लिए मुझे थोड़े भद्दे शब्द लिखने पड़ रहे हैं, लेकिन यह सत्य है। मुझे यह लिखने के लिए मेरा कर्तव्य मजबूर कर रहा है, क्योंकि ऐसी कुप्रथाएँ महिलाओं की मान-मर्यादाओं एवं उनके आत्मसम्मान को तार-तार कर देती है। बहुत सारी महिलाओं को इसके लिए जान भी गंवानी पड़ती है।)
• यहीं उसकी चारित्रिक परीक्षा पूर्ण नहीं होती। आगे जाकर उसे इससे भी भयंकर अग्नि परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है।
• जिसके तहत उसे पानी में नाक पकड़कर 2–3 मिनट तक अंदर रहने को मजबूर किया जाता है। उसके बाद भी अगर लड़की के द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है, तो उसको हाथों में पीपल के पत्तों के ऊपर गर्म लौहे को जलते अंगारों पर रखकर खड़ा रहना होता है।
• हमारे इतना सोचने भर से ही हम पसीने से तरबतर हो जाते हैं, हमारी देह कम्पायमान हो जाती है, रूह में मानो जैसे लौहे की शूलें चुभो दी हो, तो सोचिए हमारे इतना सोचने भर से ही हम पिछले जन्म तक की बातें याद करने लग जाते हैं। तो जरा पल भर सोचिए, जिनको इन घिनौनी परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है, उनकी क्या दशा होती होगी, उन पर क्या गुजरती होगी, यह उनके कौनसे जन्म की सजा है ?
यह एक सोचनीय विषय है।
◆ मेरी राय में यह एक रस्म ना होकर महिलाओं के खिलाफ क्रूर एवं भयानक अत्याचार की एक घृणित कुप्रथा है।
° आप इसे किस नजरिए से देखते हैं ? यह आपके लिए एक सवाल है।
• ऐसी अनेकों कुप्रथाएँ आज भी हमारे समाज में प्रचलित है, जिनसे महिलाओं के प्रति क्रूर और आपराधिक कृत्य किया जाता है। समाज में महिलाओं की स्थिति इन प्रथाओं के कारण बहुत दयनीय हो गई है। उनके आत्मसम्मान का जरा सा भी खयाल नहीं रखा जाता है।
• वर्तमान समय में इन कुप्रथाओं को समाप्त करने की जरूरत है, जिसके लिए समाज एवं सरकार द्वारा सामूहिक रूप से आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। यही वह समय है जब मानव के अंदर छुपी हुई मानवीयता को जगाना होगा।
• कूकड़ी रस्म:- सांसी जनजाति की वह रस्म जिसमें विवाह के समय लड़की की चारित्रिक परीक्षा ली जाती है, उसे कूकड़ी रस्म कहा जाता है।
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