अतुल गुरूग्राम (गुड़गांव) में एक सरकारी अध्यापक था। वह शहर की ही राजीव कॉलोनी में एक किराए का मकान लेकर रहता था। उसकी पत्नी अपने 8 साल के बेटे व 5 साल की बेटी के साथ गांव में ही रहकर अपने सास-ससुर की सेवा करती थी।
अपने खाली समय में अतुल अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ता और अपने शौक के लिए लिखता। उसने इस रोमांच के विचार से अपने ड्राइंग रूम में एक सीसीटीवी कैमरा लगवा लिया था कि वह खुद को खुद के निरीक्षण में रख सके।
यह एक अच्छा विचार था। अतुल को हमेशा इस बात का संतोष रहता था कि वह सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग में खुद को एक बुरे रूप में नहीं देखेगा। यह विचार उसे अपने निजी जीवन में अच्छा करने के लिए प्रेरित करता था।
(छवि; गूगल भाई से उधार ली है)
कोमल कुछ दिन पहले ही उसके पड़ोस में रहने आई थी, अपनी मां के साथ। कुछ दिन बाद ही उसने किसी न किसी काम के बहाने से अतुल के पास आना शुरू कर दिया। अतुल को उसका यूं आना अजीब सा लगता था; लेकिन झिझक के कारण वह कोमल को मना न कर पाया।
एक दिन कोमल किताब लेने के बहाने अतुल के पास आई। उसने चाय की फरमाइश की और खुद ही बना लाई। चाय खत्म करने के कुछ देर बाद उसने अतुल से एक लाख रुपए मांगे।
अतुल के दिमाग को एक झटका सा लगा और उसने मना कर दिया। कोमल ने अपने कपड़े अस्त-व्यस्त कर लिए और उसे छेड़छाड़ के आरोप में बदनाम करने व पुलिस में रिपोर्ट लिखाने की धमकी देने लगी।
(छवि गूगल भाई की उधारी है)
अतुल एकदम से सकपका गया और भीतर ही भीतर कांप उठा। लेकिन तभी उसे कुछ ख्याल आया और राहत सी महसूस हुई।
उधर कोमल ने चिल्लाकर पड़ोस को इकट्ठा कर लिया ताकि बाद में समझौते का दबाव बनाकर अतुल से एक मोटी रकम ऐंठ सके।
पड़ोसी अतुल को बुरा भला कहने लगे।
तभी अतुल ने फोन करके पुलिस को बुला लिया और सभी पड़ोसियों के साथ पुलिस वालों को भी सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग दिखाई। सभी का माथा ठनक गया।
आज सीसीटीवी ने अतुल का सामाजिक व आर्थिक बलात्कार होने से बचा लिया था।
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