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शनिवार, 12 सितंबर 2020

कैसे बनाएं जैविक खाद

 

कैसे बनाएं जैविक खाद

मटका खाद

देशी गाय का 10 लीटर गौमूत्र , 10 किलोग्राम ताजा गोबर, आधा किलोग्राम गुड , आधा किलो चने का बेसन सभी को मिलाकर 1 बड़े मटके में भरकर 5-7 दिन तक सडाएं इससे उत्तम जीवाणु कल्चर तैयार होता है. मटका खाद को 200 लीटर पानी में घोलकर किसी भी फसल में गीली या नमीयुक्त जमीन में फसलों की कतारों के बीच में अच्छी तरह से प्रति एकड़ छिडकाव करें . हर 15 दिन बाद इस क्रिया को दोहराएं . इस तरह फसल भी अच्छी होगी , पैदावार भी बढ़ेगी , जमीन भी सुधरेगी और किसी भी तरह के खाद की आवश्यकता नहीं पड़ेगी . इस तरह से किसान आत्मनिर्भर होकर बाजार मुक्त खेती कर सकता है और जहरमुक्त , रसायन मुक्त स्वादिष्ट और पौष्टिक फसल तैयार कर सकता है .

इस मटका खाद को सिंचाई जल के साथ सीधे भूमि उप अथवा टपक (ड्रिप) सिंचाई से भी दिया जा सकता है (1 मटका प्रति एकड़) एक मटका खाद को 400 लीटर पानी में अच्छे से घोलकर इस विलयन को पौधे के पास जमीन पर देने से अच्छे परिणाम मिलते है. यदि इसी विलयन को सूती कपड़े से छानकर फसलों पर छिड़कते है तो अधिक फूल व् फल लगते है

जीवामृत

() घन जीवामृत (एक एकड़ खेत के लिए)

सामग्री :-

1. 100 किलोग्राम गाय का गोबर

2. 1 किलोग्राम गुड/फलों का गुदा की चटनी

3. 2 किलोग्राम बेसन (चना, उड़द, अरहर, मूंग)

4. 50 ग्राम मेड़ या जंगल की मिट्टी

5. 1 लीटर गौमूत्र

बनाने की विधि :-

सर्वप्रथम 100 किलोग्राम गाय के गोबर को किसी पक्के फर्श पोलीथीन पर फैलाएं फिर इसके बाद 1 किलोग्राम गुड या फलों गुदों की चटनी 1 किलोग्राम बेसन को डाले इसके बाद 50 मेड़ या जंगल की मिट्टी डालकर तथा 1 लीटर गौमूत्र सभी सामग्री को फॉवड़ा से मिलाएं फिर 48 घंटे छायादार स्थान पर एकत्र कर या थापीया बनाकर जूट के बोरे से ढक दें। 48 घंटे बाद उसको छाए पर सुखाकर चूर्ण बनाकर भंडारण करें।

अवधि प्रयोग :- इस घन जीवामृत का प्रयोग छः माह तक कर सकते हैं।

सावधानियां :-

सात दिन का छाए में रखा हुआ गोबर का प्रयोग करें।

गोमूत्र किसी धातु के बर्तन में ले या रखें।

छिड़काव :- एक बार खेत जुताई के बाद घन जीवामृत का छिड़काव कर खेत तैयार करें।

() जीवामृत : (एक एकड़ हेतु)

सामग्री :-

1. 10 किलोग्राम देशी गाय का गोबर

2. 5 से 10 लीटर गोमूत्र

3. 2 किलोग्राम गुड या फलों के गुदों की चटनी

4. 2 किलोग्राम बेसन (चना, उड़द, मूंग)

5. 200 लीटर पानी

6. 50 ग्राम मिट्टी

बनाने की विधि:-

सर्वप्रथम कोई प्लास्टिक की टंकी या सीमेंट की टंकी लें फिर उस पर 200 ली. पानी डाले। पानी में 10 किलोग्राम गाय का गोबर 5 से 10 लीटर गोमूत्र एवं 2 किलोग्राम गुड़ या फलों के गुदों की चटनी मिलाएं। इसके बाद 2 किलोग्राम बेसन, 50 ग्राम मेड़ की मिट्टी या जंगल की मिट्टी डालें और सभी को डंडे से मिलाएं। इसके बाद प्लास्टिक की टंकी या सीमेंट की टंकी को जालीदार कपड़े से बंद कर दे। 48 घंटे में चार बार डंडे से चलाएं और यह 48 घंटे बाद तैयार हो जाएगा।

अवधि प्रयोग : इस जीवामृत का प्रयोग केवल सात दिनों तक कर सकते हैं।

सावधानियां :-

प्लास्टिक सीमेंट की टंकी को छाए में रखे जहां पर धूप लगे।

गोमूत्र को धातु के बर्तन में रखें।

छाए में रखा हुआ गोबर का ही प्रयोग करें।

छिड़काव:-

जीवामृत को जब पानी सिंचाई करते है तो पानी के साथ छिड़काव करें अगर पानी के साथ छिड़काव नहीं करते तो स्प्रे मशीन द्वारा छिड़काव करें।

पहला छिड़काव बोआई के 15 से 21 दिन बाद 5 ली. छना जीवामृत 100 ली. पानी में घोल कर।

दूसरा छिड़काव बोआई के 30 से 45 दिन बाद 5 ली. छना जीवामृत 100 ली. पानी में घोल कर।

तीसरा छिड़काव बोआई के 45 से 60 दिन बाद 10 ली. छना जीवामृत 150 ली. पानी में घोल कर।

60 से 90 दिन की फसलों में :-

चौथा छिड़काव बोआई के 60 से 75 दिन बाद 20 ली. छना जीवामृत 200 ली. पानी में घोल कर

90 से 180 दिन की फसलों में:-

चौथा छिड़काव बोआई के 60 से 75 दिन बाद 10-15 ली. छना जीवामृत 150 ली. पानी में घोल कर। पांचवा छिड़काव बोआई के 75 से 0 दिन बाद 20 ली. छना जवामृत 200 ली. पानी में घोल कर।

छठा छिड़काव बोआई के 90 से 120 दिन बाद 20 ली. छना जीवामृत 200 ली. पानी में घोल कर।

सातवां छिड़काव बोआई के 105 से 150 दिन बाद 25 ली. छना जीवामृत 200 ली. पानी में घोल कर।

आठवां छिड़काव बोआई के 120 से 165 दिन बाद 25 ली. छना जीवामृत 200 ली. पानी में घोल कर। नौवां छिड़काव बोआई के 135 से 180 दिन बाद 25 ली. छना जीवामृत 200 ली. पानी में घोल कर।

दसवां छिड़काव बोआई के 150 से 200 दिन बाद 30 ली. छना जीवामृत 200 ली. पानी में घोल कर।

 

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घन जीवामृत

घन जीवामृत, जीवाणुयुक्त सूखी खाद है जिसे बुवाई के समय या पानी के तीन दिन बाद भी दे सकते हैं। बनाने की विधि इस प्रकार है - गोबर 100 किलो, गुड़ 1 किलो, आटा दलहन 1 किलो, मिट्टी जीवाणुयुक्त 100 ग्राम उपर्युक्त सामग्री में इतना गौमूत्र (लगभग 5 ली0) मिलायें जिससे हलवा/पेस्ट जैसा बन जाये, इसे 48 घंटे छाया में बोरी से ढ़ककर रखें। इसके बाद छाया में ही फैलाकर सुखा लें फिर बारीक करके बोरी में भरें। इसका 6 माह तक प्रयोग कर सकते हैं। एक एकड़ खेत में 1 कुन्तल तैयार घन जीवामृत देना चाहिए।

घन जीवामृत (एक एकड़ खेत के लिए)

सामग्री :-

1. 100 किलोग्राम गाय का गोबर

2. 1 किलोग्राम गुड/फलों का गुदा की चटनी

3. 2 किलोग्राम बेसन (चना, उड़द, अरहर, मूंग)

4. 50 ग्राम मेड़ या जंगल की मिट्टी

5. 1 लीटर गौमूत्र

बनाने की विधि :-

सर्वप्रथम 100 किलोग्राम गाय के गोबर को किसी पक्के फर्श पोलीथीन पर फैलाएं फिर इसके बाद 1 किलोग्राम गुड या फलों गुदों की चटनी 1 किलोग्राम बेसन को डाले इसके बाद 50 मेड़ या जंगल की मिट्टी डालकर तथा 1 लीटर गौमूत्र सभी सामग्री को फॉवड़ा से मिलाएं फिर 48 घंटे छायादार स्थान पर एकत्र कर या थापीया बनाकर जूट के बोरे से ढक दें। 48 घंटे बाद उसको छाए पर सुखाकर चूर्ण बनाकर भंडारण करें।

अवधि प्रयोग :- इस घन जीवामृत का प्रयोग छः माह तक कर सकते हैं।

सावधानियां :-

सात दिन का छाए में रखा हुआ गोबर का प्रयोग करें।

गोमूत्र किसी धातु के बर्तन में ले या रखें।

छिड़काव :- एक बार खेत जुताई के बाद घन जीवामृत का छिड़काव कर खेत तैयार करें।

 पंचगव्य

प्राचीन काल से ही भारत जैविक आधारित कृषि प्रधान देश रहा है। हमारे ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख किया गया है। पंचगव्य का अर्थ है पंच+गव्य (गाय से प्राप्त पाँच पदार्थों का घोल) अर्थात गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, और घी के मिश्रण से बनाये जाने वाले पदार्थ को पंचगव्य कहते हैं। प्राचीन समय में इसका उपयोग खेती की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने के साथ पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता था।

विशेषतायें

i. भूमि में जीवांशों (सूक्ष्म जीवाणुओं) की संख्या में वृद्धि

ii. भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि

iii. फसल उत्पादन एवं उसकी गुणवत्ता में वृद्धि

iv. भूमि में हवा नमी को बनाये रखना

v. फसल में रोग कीट का प्रभाव कम करना

vi. स्थानीय संसाधनों पर आधारित

vii. सरल एवं सस्ती तकनीक पर आधारित

पंचगव्य बनाने की विधि

प्रथम दिन 2.5 कि.ग्रा. गोबर 1.5 लीटर गोमूत्र में 250 ग्राम देशी घी अच्छी तरह मिलाकर मटके में डाल दें ढक्कन अच्छी तरह से बंद कर दें। अगले तीन दिन तक इसे रोज हाथ से हिलायें। अब चौथे दिन सारी सामग्री को आपस में मिलाकर मटके में डाल दें फिर से ढक्कन बंद कर दें। अगले दिन इसे लकड़ी से हिलाने की प्रक्रिया शुरू करें और सात दिन तक प्रतिदिन दोहराएँ। इसके बाद जब इसका खमीर बन जाय और खुशबू आने लगे तो समझ लें कि पंचगव्य तैयार है। इसके विपरीत अगर खटास भरी बदबू आए तो हिलाने की प्रक्रिया एक सप्ताह और बढ़ा दें। इस तरह पंचगव्य तैयार होता है अब इसे 10 ली. पानी में 250 ग्रा. पंचगव्य मिलाकर किसी भी फसल में किसी भी समय उपयोग कर सकते हैं। अब इसे खाद, बीमारियों से रोकथाम, कीटनाशक के रूप में वृद्धिकारक उत्प्रेरक के रूप में उपयोग कर सकते हैं। इसे एक बार बना कर 6 माह तक उपयोग कर सकते हैं। इसको बनाने की लागत 70 रु. प्रति लीटर आती है।

उपयोग विधि

i. पंचगव्य का उपयोग अनाज दालों (धान, गेहूँ, मंड़ुवा, राजमा आदि) तथा सब्जियों (शिमला मिर्च, टमाटर, गोभी वर्गीय कन्द वाली) में किया जाता है।

ii. छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है।

iii. बीज उपचार से लेकर फसल कटाई के 25 दिन पहले तक 25 से 30 दिन के अन्तराल में इसका उपयोग किया जा सकता है।

iv. प्रति बीघा 5 ली. पंचगव्य 200 ली. पानी में मिलाकर पौधों के तनों के पास छिड़काव करें।

बीज उपचार

i. 1 लीटर पंचगव्य के घोल में 500 ग्राम वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर बीजों पर छिड़काव करें और उसकी हल्की परत बीज पर चढ़ायें 30 मिनट पर छाया में सुखाकर बुआई करें।

पौध के लिए

i. पौधशाला से पौध निकाल कर घोल में डुबायें और रोपाई करें।

ii. पौधा रोपण या बुआई के पश्चात 15-25 दिन के अन्तराल पर 3 बार लगातार छिड़काव करें।

सावधानियाँ

i. पंचगव्य का उपयोग करते समय खेत में नमी का होना आवश्यक है।

ii. एक खेत का पानी दूसरे खेतों में नहीं जाना चाहिए।

iii. इसका छिड़काव सुबह 10 बजे से पहले तथा शाम 3 बजे के बाद करना चाहिए।

iv. पंचगव्य मिश्रण को हमेशा छायादार ठण्डे स्थान पर रखना चाहिए।

v. इसको बनाने के 6 माह तक इसका प्रयोग अधिक प्रभावशाली रहता है।

vi. टीन, स्टील ताम्बा के बर्तन में इस मिश्रण को नहीं रखना चाहिए। इसके साथ रासायनिक कीटनाशक खाद का उपयोग नहीं करना चाहिए।

 

 

जैव उर्वरक

जैव उवर्रकों का फसलों/सब्जियों में उपयोग एवं लाभ

आज कृषि उत्पादन को लगातार बढ़ाना कृषि वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। सघन खेती से मृदा में पोषक तत्व धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। इस कमी को रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से पूरा किया जाता है। अधिकांश किसान संतृप्त मात्रा में रासायनिक खाद के उपयोग के बावजूद इष्टतम उत्पादन लेने से वंचित हैं। अतः रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से होने वाला लाभ घटता जा रहा है। साथ ही मृदा स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर दिखाई पड़ रहा है, जिससे देश में स्थाई खेती हेतु खतरा पैदा हो रहा है। फसलों द्वारा भूमि से लिये जाने वाले प्राथमिक मुख्य पंोषक तत्वों- नत्रजन, सुपर फास्फेट एवं पोटाश में से नत्रजन का सर्वाधिक अवशोषण होता है क्योंकि इस तत्व की सबसे अधिक आवश्यकता होती है और शेष 55-60 प्रतिशत भाग या तो पानी के साथ बह जाता है या वायुमण्डल में डिनाइट्रीफिकेशन से मिल जाता है या जमीन में ही अस्थायी बन्धक हो जाते ंै है! वर्तमान परिस्थितियों में नत्रजनधारी उर्वरकों के साथ-साथ नत्रजन के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि मृदा की उर्वरा शक्ति को टिकाऊ रखने के लिये भी आवश्यक है। ऐसी स्थिति में जैव उर्वरकों का प्रयोग करना एकमात्र विकल्प के रूप में उभर कर सामने रहा है। जैव उर्वरकों को बीजोत्पादन कार्यक्रम मे लेने पर 20 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि पाई गई है।

जैव उर्वरक क्या है ?

जैव उर्वरक विशिष्ट प्रकार के जीवाणुओं का एक विशेष प्रकार के माध्यम, चारकोल, मिट्टी या गोबर की खाद में ऐसा मिश्रण है, जो वायुमण्डलीय नत्रजन को साइकल द्वारा पौधों को उपलब्ध कराती है या मिट्टी में उपलब्ध अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील अवस्था मे परिवर्तित करके पौधों को उपलब्ध कराता है। इनके प्रयोग से रासायनिक उर्वरकों की 1/3 मात्रा तक की बचत हो जाती है।

जैव उर्वरकों का वर्गीकरण:

नाइट्रोजन पूर्ति करने वाले जैव उर्वरक यह जीवाणु सभी दलहनी फसलों तिलहनी फसलों जैसे- सोयाबीन और मूँगफली की जड़ों में छोटी-छोटी ग्रन्थियों में पाया जाता है, जो सह जीवन के रूप में कार्य करते हुए वायुमण्डल में उपलब्ध नाइट्रोजन को पौधों को उपलब्ध कराता है। राइजोबियम जीवाणु अलग-अलग फसलों के लिये अलग-अलग होता है इसलिये बीज उपचार हेतु उसी फसल का कल्चर प्रयोग करना चाहिये।

जैव उर्वरकों से बीज उपचार करने की विधि:

जैव उर्वरकों के प्रयोग की यह सर्वोत्तम विधि है। 1 लीटर पानी में लगभग 100 ग्राम गुड़ डालकर उबालकर अच्छी तरह मिलाकर घोल बना लेते हैं। इस घोल को बीजों पर छिड़क कर मिला देते हैं जिससे प्रत्येक बीज पर इसकी परत चढ़ जाये !इसके उपरान्त बीजो को छायादार जगह में सुखा लेते हैं। उपचारित बीजों की बुवाई सूखने के तुरन्त बाद कर देनी चाहिये।

पौध जड़ उपचार विधि:

धान तथा सब्जी वाली फसलें, जिनके पौधों की जड़ों को जैव उर्वरकों द्वारा उपचारित किया जाता है। इसके लिये बर्तन में 5-7 लीटर पानी में एक किलोग्राम जैव उर्वरक मिला लेते हैं। इसके उपरान्त नर्सरी से पौधों को उखाड़कर तथा जड़ों से मिट्टी साफ करने के पश्चात 50-100 पौधों को बण्डल में बाँधकर जीवाणु खाद के घोल में 10 मिनट तक डुबो देते हैं। इसके बाद तुरन्त रोपाई कर देते हैं।

कन्द उपचार विधि: गन्ना, आलू, अदरक, घुइयाँ जैसी फसलों में जैव उर्वरकों के प्रयोग हेतु कन्दों को

उपचारित किया जाता है। एक किलोग्राम जैव उर्वरक को 20-30 लीटर घोलकर मिला देते हैं। इसके उपरान्त कन्दों को 10 मिनट तक घोल में डुबोकर रखने के पश्चात बुवाई कर देते हैं।

मृदा उपचार विधि: 4-5 किलोग्राम जैव उर्वरक 50-60 कि.ग्रा. मिट्टी या कम्पोस्ट का मिश्रण तैयार करके प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की अन्तिम जुताई पर खेत में मिला देते हैं।

जैव उर्वरकों के प्रयोग में सावधानियाँ:

जैव उर्वरक को हमेशा धूप या गर्मी से बचा कर रखना चाहिये। कल्चर पैकेट उपयोग के समय ही खोलना चाहिये। कल्चर द्वारा उपचारित बीज, पौध, मिट्टी या कम्पोस्ट का मिश्रण छाया में ही रखना चाहिये। कल्चर प्रयोग करते समय उस पर उत्पादन तिथि, उपयोग की अन्तिम तिथि, फसल का नाम आदि अवश्य लिखा देख लेना चाहिये। निश्चित फसल के लिये अनुमोदित कल्चर का उपयोग करना चाहिये।

जैव उर्वरकों के प्रकार:

जैव उर्वरक निम्न प्रकार के उपलब्ध हैं:-

राइजोबियम कल्चर

एजोटोबैक्टर कल्चर

एजोस्पाइरिलम कल्चर

नीलहरित शैवाल

फास्फेटिक कल्चर

1.राइजोबियम कल्चर: यह एक सहजीवी जीवाणु है जो पौधो की जडों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके उसे पौधों के लिए उपलब्ध कराती है! यह खाद दलहनी फसलों में प्रयोग की जा सकती है तथा यह फसल विशिष्ट होती है, अर्थातअलग-अलग फसल के लिये अलग-अलग प्रकार का राइजोबियम जीवाणु खाद का प्रयोग होता है। राइजोबियम जीवाणु खाद से बीज उपचार करने पर ये जीवाणु खाद से बीज पर चिपक जाते हैं। बीज अंकुरण पर ये जीवाणु जड़ के मूलरोम द्वारा पौधों की जड़ों में प्रवेश कर जड़ों पर ग्रन्थियों का निर्माण करते हैं।

फसल विशिष्ट पर प्रयोग की जाने वाली राइजोबियम कल्चर:

दलहनी फसलें:मूँग, उर्द, अरहर, चना, मटर, मसूर; मटर; लोबिया; राजमा; मेथी इत्यादि।

तिलहनी फसलें: मूँगफली, सोयाबीन। अन्य फसलें: बरसीम, ग्वार आदि।

2. एजोटोबैक्टर कल्चर: यह जीवाणु खाद में पौधों के जड़ क्षेत्र में स्वतन्त्र रूप से रहने वाले जीवाणुओं

का एक नम चूर्ण रूप उत्पाद है, जो वायुमण्डल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। यह जीवाणु खाद दलहनी फसलों को छोड क़र सभी फसलों पर उपयोग में लायी जा सकती है। इसका प्रयोग सब्जियों जैसे- टमाटर; बैंगन; मिर्च; आलू; गोभीवर्गीय सब्जियों मे किया जाता है!

3. एजोस्पाइरिलम कल्चर: यह जीवाणु खाद भी मृदा में पौधों के जड़ क्षेत्र में स्वतन्त्र रूप से रहने

वाले जीवाणुओं का एक नम चूर्ण रूप उत्पाद है, जो वायुमण्डल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। यह जीवाणु खाद धान, गन्ने;मिर्च; प्याज आदि फसल हेतु विशेष उपयोगी है।

4. नील हरित शैवाल खाद: एक कोशिकीय सूक्ष्म नील हरित शैवाल नम मिट्टी तथा स्थिर पानी में स्वतन्त्र रूप से रहते हैं। धान के खेत का वातावरण नील हरित शैवाल के लिये सर्वथा उपयुक्त होता है। इसकी वृद्धि के लिये आवश्यक ताप, प्रकाश, नमी और पोषक तत्वों की मात्रा धान के खेत में विद्य़मान रहती है।

प्रयोगविधि: धान की रोपाई के 3-4 दिन बाद स्थिर पानी में 12.5 कि.ग्रा. प्रति हे. की दर से सूखे जैव उर्वरक का प्रयोग करें। इसे प्रयोग करने के पश्चात 4-5 दिन तक खेत में लगातार पानी भरा रहने दें। इसका प्रयोग कम से कम तीन वर्ष तक लगातार खेत में करें। इसके बाद इसे पुनः डालने की आवश्यकता नहीं होती। यदि धान में किसी खरपतवारनाशी का प्रयोग किया है तो इसका प्रयोग खरपतवारनाशी के प्रयोग के 3-4 दिन बाद ही करें।

5. फास्फेटिक कल्चर: फास्फेटिक जीवाणु खाद भी स्वतन्त्रजीवी जीवाणुओं का एक नम चूर्ण रूप में उत्पाद है। नत्रजन के बाद दूसरा महत्वपूर्ण पोषक तत्व फास्फोरस है, जिसे पौधे सर्वाधिक उपयोग में लाते हैं। फास्फेटिक उर्वरकों का लगभग एक-तिहाई भाग पाध्ै अपने उपयोग मे ला पाते ह।ंै शेष घुलनशील अवस्था में ही जमीन में ही पड़ा रह जाता है, जिसे पौधे स्वयं घुलनशील फास्फोरस को जीवाणुओं द्वारा घुलनशील अवस्था में बदल दिया जाता है तथा इसका प्रयोग सभी फसलों में किया जा सकता है।

फास्फेटिक कल्चर की प्रयोग विधि: फास्फेटिक कल्चर या पी.एस.बी. कल्चर का प्रयोग रोपा लगाने के पूर्व धान पौध की जड़ों या बीज को बोने के पहले उपचारित किया जाता है। बीज उपचार हेतु 5-10 ग्राम कल्चर/किलोग्राम बीज दर से उपचारित करें। रोपा पद्धति में धान की जड़ों को धोने के बाद 300-400 ग्राम कल्चर के घोल में डुबाकर निथार लें, बाद में रोपाई करें। पी.एस.बी. कल्चर का भूमि में सीधे उपयोग की अपेक्षा बीजोपचार या जड़ों का उपचार अधिक लाभकारी होता है।

जैव उर्वरकों के उपयोग से लाभ:

इसके प्रयोग सं फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है।

रासायनिक उवर्रक एवं विदशी मुद्रा की बचत होती है।

ये हानिकारक या विषैले नही होते !

मृदा को लगभग 25-30 कि.ग्रा./हे. नाइट्रोजन एवं 15-20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर फास्फोरस उपलब्ध कराना तथा मृदा की भौतिक एवं रासायनिक दशाओं में सुधार लाना।

इनके प्रयोग से उपज में वृद्धि के अतिरिक्त गन्ने में शर्करा की, तिलहनी फसलों में तेल की तथा मक्का एवं आलू में स्टार्च की मात्रा में बढ़ोतरी होती है।

विभिन्न फसलों में बीज उत्पादन कार्यक्रम द्वारा 15-20 प्रतिशत उपज में वृद्धि करना।

किसानों को आर्थिक लाभ होता है।

इनसे बीज उपचार करने से अंकुरण शीघ्र होता है तथा कल्लों की संख्या में वृद्धि होती है।

जैविक खाद से सम्बंधित सभी जानकारी को शोर्ट url करके एक पोस्ट बनाई गयी है , आशा करते है आप सभी के लिए उपयोगी होगी....

कम्पोस्ट खाद : - http://goo.gl/suJa8R

कम्पोस्ट खाद : - http://goo.gl/z64fOL

मटका खाद : - http://goo.gl/RH3Cjq

जीवामृत: - http://goo.gl/PeBSZq

जीवामृत: - http://goo.gl/rCG7My

घन जीवामृत :- http://goo.gl/AmlUQt

पंचगव्य : - http://goo.gl/XrKIQm

केंचुआ खाद:- http://goo.gl/fjHvww

केंचुआ खाद:- http://goo.gl/3S3Q18

केंचुआ खाद:- http://goo.gl/VXdBG8

वर्मी वाश : - http://goo.gl/S2z7MZ

वर्मी वाश : - http://goo.gl/zpaJZU

हरी खाद:- http://goo.gl/0D7BnV

हरी खाद:- http://goo.gl/NLaIk8

हरी खाद:- http://goo.gl/uV3UXA

नाडेप विधि:- http://goo.gl/Oqhavo

सींग खाद (बी.डी500) :- http://goo.gl/j3CTS5

सींग खाद (बी.डी500) :- http://goo.gl/bsbqup

सी.पी.पी :- http://goo.gl/cf6ZdS

सी.पी.पी :- http://goo.gl/ZMQ71Y

गोबर गैस स्लरी खाद :- http://goo.gl/PRGCvJ

गोबर गैस स्लरी खाद :- http://goo.gl/4ZWoYB

जैव उर्वरक :- http://goo.gl/oDUV3U

जैव उर्वरक :- http://goo.gl/tdn9YC

जैव उर्वरक :- http://goo.gl/MXGwKe

पौध बढवार टॉनिक :- http://goo.gl/AYvWIJ

 

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

आयकर में लोन लेने ब्याज य़ा किश्त चुकाने पर भी मिलती है टेक्स में छूट जानिये क्या है प्रावधान

आयकर में लोन लेने ब्याज य़ा किश्त चुकाने पर भी मिलती है टेक्स में छूट जानिये क्या है प्रावधान

घर खरीदना हर किसी का सपना होता है. पाई -पाई जोड़कर लोग पैसा बचाते हैं ताकि परिवार के लिए एक आशियाना ले सकें. सरकार भी चाहती है कि आप घर खरीदें, इसीलिए वो होम लोन पर कई तरह की टैक्स छूट भी देती है. यानि होम लोन लेकर घर खरीदने से अगर एक तरफ आपका घर लेने का सपना पूरा होता है तो दूसरी तरफ आप बहुत सारा टैक्स भी बचाते हैं. हम यहां पर यही बताने जा रहे हैं. घर खरीदने से पहले आप इनके बार में जाने लेंगे तो सालाना 5 लाख रुपये तक टैक्स बचा सकते हैं.

1. प्रिंसिपल अमाउंट पर टैक्स छूट
जो भी EMI आप होम लोन पर चुकाते हैं, उसके प्रिंसिपल पार्ट पर 80C के तहत टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं.

80C की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है, यानि हर साल आप 1.5 लाख रुपये तक की रकम 80C के तहत टैक्स के रूप में बचा सकते हैं. लेकिन इसके पहले शर्त ये है कि पजेशन मिलने के 5 साल तक आप इस प्रॉपर्टी को बेच नहीं सकते, नहीं तो जो भी डिडक्शन या छूट आपने इसके पहले ली है, वो सारी आपकी इनकम में जोड़ दी जाएगी.

2. हाउसिंग लोन के ब्याज पर टैक्स छूट
अगर आप किसी होम लोन की EMI चुका रहे हैं तो उसके दो हिस्से होते हैं, पहला इंटरेस्ट पेमेंट (interest payment) और दूसरा प्रिंसिपल रीपेमेंट (principal repayment)
इसमें इंटरेस्ट के हिस्से पर इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत छूट ले सकते हैं. इस पर सालाना 2 लाख रुपये तक की छूट मिलती है.
मजे की बात ये है कि अगर आप उस घर में रह रहे हैं तो 2 लाख तक ही क्लेम कर सकते हैं, लेकिन अगर आपने उसे किराए पर दिया है तो जितना चाहें इंटरेस्ट पर छूट ले सकते हैं, इसकी कोई ऊपरी लिमिट नहीं है. मगर ये ध्यान रहे कि जो आपको किराया मिल रहा है वो इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी के दायेर में आएगा, जिस पर आपको टैक्स देना होगा. ये छूट आपको उस साल से मिलना शुरू होती है, जिस साल से कंस्ट्रक्शन खत्म हुआ हो.

3. कंस्ट्रक्शन के पहले ब्याज पर टैक्स छूट
ये सवाल कई लोगों के मन में आता है कि मान लीजिए आज हमने होम लोन लिया, लेकिन प्रॉपर्टी का कंस्ट्रक्शन आज से 3 या 4 साल बाद पूरा हुआ, तो क्या इस बीच हमने लोन पर जो ब्याज चुकाया उस पर डिडक्शन नहीं मिलेगा. क्योंकि सेक्शन 24 के तहत डिडक्शन उसी साल से मिलेगा जिस साल कंस्ट्रक्शन पूरा हुआ हो. तो इसका जवाब है कि आपको प्री कंस्ट्रक्शन के दौर में चुकाए गए ब्याज पर भी टैक्स छूट मिलेगी, इसे प्री कंस्ट्रक्शन इंटरेस्ट कहा जाता है. इस दौरान आपने जो भी इंटरेस्ट चुकाया है आप उसे पांच बराबर हिस्सों में क्लेम कर सकते हैं. यानि हर साल 20 परसेंट क्लेम कर सकते हैं. लेकिन ये रकम भी 2 लाख रुपये सालाना से ज्यादा नहीं हो सकती, भले ही उसमें मौजूदा इंटरेस्ट जोड़ दिया जाए.

4. स्टैंप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन पर टैक्स छूट
घर खरीदने के हर मोड़ पर आपको टैक्स छूट का मौका मिलता है. घर की रजिस्ट्री और चुकाई गई स्टैंप ड्यूट को भी आप सेक्शन 80C के तहत क्लेम कर सकते हैं, इस पर आप 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पा सकते हैं. लेकिन ये उसी साल क्लेम की जा सकती है, जिस साल ये दोनों खर्चे किए गए हों, इसके बाद आप इसको क्लेम नहीं कर सकते हैं.

5. सेक्शन 80EE के तहत अतिरिक्त छूट
इसके अलावा आप इनकम टैक्स के सेक्शन 80EE के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट भी ले सकते हैं. लेकिन इसकी कुछ शर्तें हैं. पहली शर्त ये कि प्रॉपर्टी पर अधिकतम लोन 35 लाख या इससे कम होना चाहिए, और प्रॉपर्टी की कुल वैल्यू 50 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. ये लोन 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच मंजूर किया गया हो. ये आपका पहला घर होना चाहिए, इसके पहले आपके पास कोई दूसरा घर नहीं होना चाहिए. 80EE को सरकार ने दोबारा लॉन्च किया है, इसके पहले ये दो सला के लिए वित्त वर्ष 2013-14 और वित्त वर्ष 2014-15 में लाया गया था.

6. सेक्शन 80EEA के तहत अतिरिक्त टैक्स छूट
2019 के बजट में सेक्शन 80EE के तहत होम लोन पर अतिरिक्त छूट का ऐलान किया गया था. इसमें घर खरीदारों को 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल सकती है. लेकिन इसके लिए भी कुछ शर्ते हैं. पहली शर्त ये कि प्रॉपर्टी की कीमत 45 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए. दूसरी शर्त ये कि, होम लोन 1 अप्रैल 2019 से लेकर 31 मार्च 2020 के बीच मंजूर किया गया हो. तीसरी शर्त, ये घर खरीदार की पहली प्रॉपर्टी होनी चाहिए. साथ ही 80EE के तहत घर खरीदार को छूट नहीं मिल रही हो.

इसके अलावा आपको ओर किस तरह के लोन पर इनकम टैक्स कानून के तहत छूट मिल सकती है।

एजुकेशन लोन पर कर छूट का लाभ

एक साल के दौरान एजुकेशन लोन के ब्याज के भुगतान पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है और इसकी कोई सीमा तय नहीं है। हालांकि, मूलधन के भुगतान पर टैक्स में छूट का लाभ नहीं मिलता है। ब्याज के भुगतान के पहले साल से लेकर लगातार आठ साल तक टैक्स छूट का लाभ हासिल किया जा सकता है। अगर आपने स्वयं, अपने स्पाउस या बच्चे की सीनियर सेकेंडरी के बाद की शिक्षा के लोन लिया हुआ है तो आपको टैक्स में छूट का लाभ मिलेगा। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकारी मान्यता वाले कोर्स के लिए ही आपको यह लाभ हासिल होगा। हालांकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोर्स पार्ट टाइम है या फुल टाइम है। अगर आपने किसी वित्तीय संस्थान या स्वीकृत चैरिटेबल संस्था से लोन लिया है तो ही आपको टैक्स में छूट का लाभ मिलेगा। रिश्तेदारों या दोस्तों से लिए गए लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर आपको यह छूट नहीं मिलेगी। ज्वाइंट बॉरोअर होने पर पैरेंट्स को भी इसका लाभ मिल सकता है।

कार लोन

वेतनभोगी व्यक्ति को कार लोन के ब्याज पर किसी तरह के टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है। हालांकि, वाहन का इस्तेमाल अगर आपके बिजनेस या पेशे के लिए हो रहा है तो आप ब्याज के साथ व्यवसाय के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले मोटर कार के मूल्य में ह्रास को भी क्लेम कर सकते हैं।

पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड पर लोन इत्यादि

टैक्स नियमों के मुताबिक आपको पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड पर लोन पर टैक्स में किसी तरह की छूट नहीं मिलती है। हालांकि, अगर पर्सनल लोन का इस्तेमाल मकान के मार्जिन मनी के भुगतान या फिर बिजनेस से जुड़ी संपत्ति खरीदने के लिए किया जाता है और अगर आप इसे साबित कर पाते हैं तो इस पर किए जाने वाले भुगतान पर टैक्स छूट का लाभ आप हासिल कर सकते हैं। हालांकि, मेरी राय में इस तरह के पर्सनल लोन के भुगतान पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत लाभ नहीं लिया जा सकता है।

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

मा-बाप (Mass Awakener - Block Adoption & Adaptation Programmer) - आत्मनिर्भर मेवाड़ संकल्प

सभी स्वजनो को सादर वंदन !
जैसा की हम सभी जानते और मानते भी है की आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी कृषि प्रधान भारत देश का मुख्य आधार किसान आज भी सम्मानजनक जीवनयापन हेतु संघर्षरत है, देश की जीडीपी में कृषि का योगदान मात्र १७ प्रतिशत हो पा रहा है | किसानो की आय दुगुना करने के वादों के साथ हर बार सरकारे बनी है और बदलती भी गयी लेकिन आज भी ग्रामीण युवाओं को आजीविका हेतु शहरों, महानगरो का रुख ही करना पड़ रहा है | 
ऐसा नहीं है की सभी सरकारों ने इस विषय पर ध्यान नहीं दिया अथवा कोई कार्य नहीं किया | विविध सरकारों ने हजारों बेहतरीन योजनाये बनाई, उनके क्रियान्वयन की भरपूर कोशिश भी की लेकिन आज भी धरातल पर देश के कर्णधार, अन्नदाता किसानो की स्थिति में बहुत अच्छा परिवर्तन नहीं हुवा है | क्या कारण रहा होगा की हजारो योजनाये बनने के बावजूद धरातल पर परिणाम नगण्य रहा ? 
क्या कारण है की *जिस कृषि कार्य को शास्त्रों में सर्वोत्तम कर्म माना गया, व्यवसाय को उसके बाद, और नौकरी को सबसे निम्न स्तर का कार्य माना जाता था, आज उलटा हो गया है |* स्वाभीमान तो जैसे ख़त्म ही होता जा रहा है | हर आम आदमी जीविकोपर्जन के लिए *स्वयं को लाचार मानकर सरकार की और आशा भरी दृष्टी से देख रहा है | किसी को बेरोजगारी भत्ता चाहिए तो किसी को पेंशन, किसी को सरकारी सब्सीडी चाहिए तो किसी को हजम कर जाने हेतु अनेकानेक योजनाओं के तहत सरकारी ऋण, किसी को आम जनता के ही पैसों से कर्ज माफी, बिल माफी चाहिए, तो किसी को मुफ्त अनाज !*  
*कहां गया भारत भूमी का स्वाभीमान, कहां गयी आत्मनिर्भरता जिसे हमने सिर्फ किताबो में ही पढ़ा है ?* 
*किस स्वाभीमान को दर्शाने के लिए हम आज भी महाराणा प्रताप या झांसी की रानी को याद करते है |* 
क्या कारण है की जिस देशी गाय की महिमा हमारे संत महात्मा गाते गाते नहीं थकते, जो समस्त मानव जाति की माता मानी जाती रही है और शास्त्रों के अनुसार जो समस्त विश्व का पालन-पोषण करने में सक्षम है, आज उस गौ माता को लोग सड़को पर ही मरने के लिए छोड़ रहे है | 
सरकारे सहस्त्रो योजनाये बना बना कर थक चुकी है पर दशा बदल नहीं रही है | *कही न कही तो कुछ गलत हो ही रहा है |* 

हाल ही में आये कोरोना संकट ने वैश्विक स्तर पर बहुत से विषयों को स्पष्ट भी किया है और समाधान की राह भी दिखाई है | 
मुख्य रूप से बड़े महानगरो, विकसित देशो में जो स्थितिया उत्पन्न हुयी है उसके कारण पूरा विश्व एक बार फिर भारत की और आशा भरी नजरो से देख रहा है | भारत में स्वास्थ्य सम्बन्धी आधुनिक सुविधाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होते हुवे भी बेहतर रिकवरी रेट और वर्तमान परिस्थितियों के ग्रामीण भारत पर कोरोना के बहुत कम असर को देखकर एक बार फिर से हर आदमी आधूनिकता की चकाचौंध की और बढ़ते कदमो को रोककर सोचने पर मजबूर हुवा है | *एक छोटे से वायरस के कारण तहस नहस होती अर्थव्यवस्था के कारण एक बार फिर से मानव जीवन की सीमित आवश्यकताओ, व्यक्तिगत इम्युनिटी, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु जैविक खेती, देशी गौवंश, ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था, गुरुकुल शिक्षा आदि की चर्चाओं ने एक बार फिर से जोर पकड़ा है |* देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन ऐसे विषयों को लेकर लगातार विषय विशेषज्ञ ऑनलाइन माध्यमों से अर्थव्यवस्था के बेहतरीन मॉडल हेतु चिंतन कर रहे है | अधिकाँश चिन्तनो में यह बात तो स्पष्ट हुयी ही है की *भारत के लिए ग्राम आधारित, पर्यावरण पूरक, स्वाभिमानी (मुफ्त से मुक्त), स्वावलंबी अर्थव्यवस्था ही बेहतर विकल्प हो सकता है* | इनमे कृषि, पशुपालन आधारित ग्राम स्वरोजगार, रसायन मुक्त जैविक खेती, गौवंश, सौर ऊर्जा, बायो इंधन आदि आधारित अर्थव्यवस्था अत्यधिक महत्त्व के बिंदु बनकर उभरे है | 
कोरोना संकट के चलते अधिकांश महानगरो से युवा अपने अपने गावो की और लौट गये है तथा वही पर रोजगार की तलाश में भी है | ऐसे में व्यवस्था परिवर्तन हेतु समय अत्यधिक अनुकूल हो गया है | बस आवश्यकता केवल जनजागरण और सामूहिक प्रयास की है | 
विगत ३ माह में लॉक डाउन के चलते भारत सरकार से सेवानिवृत पूर्व शासन सचिव डॉक्टर कमल टावरी जी के प्रयासों से ऐसे कई सफल प्रयोगधर्मियो को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया जिसके माध्यम से समग्र ग्राम विकास के विभिन्न छोटे छोटे सफल प्रयासों को सम्पूर्ण भारतभर में फैलाने हेतु *मा-बाप (Mass Awakener - Block Adoption & Adaptation Programmer)*  नाम से योजना बनाकर *स्थानीय भागीदारी व जिम्मेदारी के साथ अ-सरकारी व असरकारी, स्वाभीमानी तरीके से वर्तमान में कार्य कर रहे विविध संगठनो, जन प्रतिनिधियों, किसानो, पशुपालको, युवा कार्यकर्ताओं के माध्यम से देशभर के 6500 विकास खंडो (Blocks) में इन सभी प्रयोगों को धरातल पर उतारने का संकल्प किया गया है |* 
इसी क्रम में स्वाभीमान की पहचान मेवाड़ धरा को आत्मनिर्भर बनाकर पुनः गौरवशाली बनाने का एक संकल्प लिया है मेवाड़ के ही कुछ युवाओं ने, जिसे नाम दिया गया है - *आत्मनिर्भर मेवाड़ संकल्प* 

आप *यदि किसान है* तो इस संकल्प से जुड़ कर अपने पास उपलब्ध भूमी पर ही गौ आधारित जैविक खेती प्रकल्प से जुड़कर अपनी आय में वृद्धि कर स्वयं आत्मनिर्भर बन औरो को रोजगार भी दे सकते है |
यदि *आप गौपालक है* तो इस संकल्प से जुड़ कर जैविक खेती हेतु प्रयुक्त जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, पंचगव्य, त्रीसगव्य आदि के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर स्वयं आत्मनिर्भर बन औरो को रोजगार भी दे सकते है |


यदि *आप जन प्रतिनिधि है* अपने क्षेत्र के किसानो, पशुपालको, युवाओं को ग्राम आधारित रोजगार, जैविक खेती, गौपालन आदि हेतु प्रेरित कर, किसानो के समूह बनाकर, सरकारी योजनाओं के लाभ किसानो तक पहुंचाकर, उनकी हर संभव सहयोग के माध्यम से अपने क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के पथ पर अग्रसर कर सकते है जिसका प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष लाभ आप स्वयं को भी होना ही है और एक जन प्रतिनिधि होने के नाते यह आपका परम कर्तव्य भी है |  *आप युवा है अथवा बेरोजगार है* तो यकीन मानिये, इस संकल्प के साथ जुड़कर स्वयं के स्वाभीमानी बेहतर श्रेष्ठतम जीवनयापन के लिए हेतु वांछित आय के साथ मानव जाति की इससे बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती | 

यदि *आप शिक्षक है* तो इस संकल्प से जुड़कर अपने छात्रो को शिक्षित बेरोजगारों की प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बनाने की बजाय सदैव आत्मनिर्भर बनने, सरकारों से रोजगार माँगने की बजाय अधिकाधिक रोजगार देने वाला कार्य करने हेतु प्रेरित करे |

*याद रखिये !* 
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जब की देश का किसान, और युवा आत्मनिर्भर बनेगा !*
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जब की देश का किसान, और युवा स्वयं इसका संकल्प करेगा !!* 
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जबकी आत्मनिर्भर भारत एक सरकारी योजना की बजाय एक जनांदोलन बनेगा !!* 
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जब की देश का किसान, और युवा स्वाभीमानी बनेगा, सरकारों से अपेक्षाए रखना बंद करेगा !!* 
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जब की देश का किसान, और युवा सरकारों को सुझाव देने की बजाय खुद अपनी योजना बनाकर इस पर कार्य प्रारंभ करेगा !!* 
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जबकी केंद्र या राज्य सरकारों की योजनाओं अथवा नौकरियों पर आश्रित रहने की बजाय, धरातल पर कार्य कर रहा किसान और युवा स्वयं रोजगार देने के अवसर उत्पन्न करेगा !!* 

यदि आप उक्त विचारों से सहमत है और राष्ट्र के प्रति स्वयं कुछ जिम्मेदारी का भाव रखते है तो *आइये, कदम से कदम मिलाये, स्वयं संकल्प लेकर इस संकल्प को एक अभियान और जनांदोलन बनाये |*
 
यदि आप वाकई सकारात्मक विचारो के साथ देश की दशा और दिशा बदलने के लिए सर्वप्रथम स्वयं मेवाड़ को आत्मनिर्भर बनाने के महत्ती संकल्प के साथ खडा करना चाहते है तो *नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करके अपनी जानकारी भरकर सबमिट करिए* ताकि आपके साथ मिलकर संकल्प को और दृढ़ किया जा सके |

https://forms.gle/DYQ1SuiesmMVUBxW7

निश्चिंत रहियेगा, इस संकल्प से जुड़ने के लिए *आपको ना तो बहुत अधिक समय देना है, ना ही कोई धन खर्च करना है, ना ही आपको कोई समाज सेवा करनी है, ना हमारी कोई नया संगठन बनाने की भावना है | आपको सिर्फ अपने ही स्थान पर भारतीय वैदिक चिंतन को आधार बनाकर, पर्यावरण पूरक व शुभलाभ हेतु स्वाभीमानी निजी व्यवसाय करते हुवे इस संकल्प में मानसिक समर्थन के साथ जुड़ना है | हम स्वाभीमानी, आत्मनिर्भर भारत के एक आदर्श स्वरुप के दर्शन मेवाड़ में करवाना चाहते है | जिसमे कोई एक योजना कार्य नहीं करेगी अपितु मेवाड़ का युवा, किसान अपने अपने तरीके से कार्य करते हुवे आत्मनिर्भर भारत के नए नए आदर्श प्रस्तुत करेगा | हम इस मंच के माध्यम से विशेषज्ञों को किसानों तक पहुँचाने का, किसानो के उत्पादन को सीधे आमजन तक पहुँचाने, युवाओं को स्वाभिमानी रोजगार हेतु प्रेरित करने आदि का कार्य करना चाहते है |*


हो गई है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए 
इस हिमालय से अब कोई गंगा निकलनी चाहिए ।

*कई बार जोखिम नहीं लेना ही , सबसे बड़ा जोखिम होता है।*

link for joining hands with us -
https://forms.gle/DYQ1SuiesmMVUBxW7

आप सब के सहयोग से आत्मनिर्भर संकल्प मुहिम बहुत ही कारगर साबित हो रही है । प्रतिदिन मेवाड़ क्षेत्र से कई बंधु इस मुहिम से जुड़ने हेतु दिए गए लिंक पर अपना रजिस्ट्रेशन स्वयं आगे आकर कर रहे है। 
निश्चित रूप से इस विषय पर हर व्यक्ति कार्य व परिणाम चाहता है।

एक बार फिर सभी से आग्रह है कि उक्त संदेश को अपने संपर्क के अधिकाधिक किसानों, पशुपालकों, जनप्रतिनिधियों, युवा कार्यकर्ताओं, ग्रामीणों तक पहुंचाकर उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर बात कर विषय स्पष्ट करते हुवे इस आत्मनिर्भर मेवाड़ संकल्प से जोड़े, या तो अपने स्तर पर चयनित बंधुओ का अपना ग्रुप स्वयं बना ले और स्वयं आवश्यक प्रशिक्षण लेते हुवे उन्हें प्रशिक्षित करें अथवा उन्हें इस ग्रुप में जोड़ने हेतु दिए गए लिंक पर फार्म भरवा दे। ताकि उन्हें समय समय पर शुभ लाभ आधारित ग्राम विकास के विविध विषय विशेषज्ञों से  प्रशिक्षण व चर्चा हेतु ऑनलाइन वेबिनार्स से जोड़ा जा सके।

ध्यान रहें, हमारे संकल्प का मुख्य आधार है -
अ सरकारी और असर कारी, स्वावलंबी, स्वाभिमानी, समग्र ग्राम विकास आधारित पर्यावरण पूरक, स्वरोजगारोंमुखी धंधे जिनसे शुभ लाभ जुड़ा हो, जिसमें हमें किसी सरकार या प्रशासन से कोई अपेक्षा ना रखकर स्वयं ही, स्वयं के लिए ही जिम्मेदारी लेनी है।

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बुधवार, 9 सितंबर 2020

मोदी जी साम दाम दंड भेद सब नीतियों में निपुण है

इस बार का झगड़ा ठाकरे परिवार के लिए सामान्य झगड़ा नहीं है... 
राजनीतिक गोटियाँ बिछ चुकी हैं... 
राजनीतिक, कूटनीतिक चालें दोनों पक्षों से चलना शुरू हो चुकी हैं...

जो लोग बीजेपी को जानते हैं वे यह भी जानते होंगे कि वे बहुत दिनों बाद भी बहुत छोटे-छोटे घावों तक के बदले लेते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ न जाकर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी और मोदी-शाह की जो बेइज्जती की थी मोदी-शाह उसके गहरे घाव लिए बैठे हैं।

वे झुक सकते थे, संघ के बीच-बचाव करने से सरकार बन भी सकती थी लेकिन इस बार मोदी-शाह ने शिवसेना से ख़ुद को दूर करना ही ज़रूरी समझा।

आने वाले दिनों में ठाकरे परिवार की कमर टूटने वाली है, यह तय है... लिखकर रख लीजिए...
उद्धव जानते हैं कि उन्होंने आग में हाथ दे दिया है इसलिए अब वे विकल्प की तरफ़ तेज़ी से ख़ुद को फ्रेम्ड कर रहे हैं।

जिन्हें लग रहा है कि हिंदुत्ववादी शिवसेना, अचानक सेक्युलर क्यों होना चाहती है तो इसकी वज़ह यही है कि वे लोग मोदी-शाह के इरादे भाँप गए हैं। 

इस देश के पिछले 30-40 सालों की राजनीति का ट्रैक रिकॉर्ड उठाकर देख लें, मोदी-शाह से भिड़ने वालों के करियर ख़त्म हो गए हैं। 
यह दोनों अज़ीब तरह से राजनीति करते हैं, एकदम ग़ैर पारंपरिक। 
निर्मम, क्रूर।

आप विपक्ष की बात कर रहे हैं , गुजरात में केशुभाई पटेल की तूती बोलती थी, 
बीजेपी में आडवाणी सर्वेसर्वा थे, सञ्जय जोशी बड़े नाम थे, सुषमा दिल्ली लॉबी की मज़बूत नेत्री थीं, 
गड़करी संघ में मज़बूत थे , राजनाथ अटल के बाद महत्त्वपूर्ण नेता माने जाते थे...

सोचिए, इतने बड़े बड़े धुरंधरों को साइड करना, मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है... कोई भी आम राजनेता ऐसा नहीं कर पायेगा... 
यह सब ईश्वरीय कारनामें हैं... ईश्वरीय सत्ता चाहती है कि 21 वीं सदी भारत की हो, 
भारत विश्व गुरु बन सनातन संस्कृति का लोहा मनवाए... इसलिए यह सब दिव्य कारनामे होते चले जा रहे हैं... 
यही कारण है कि प्रभु श्री राम के शुभाशीर्वाद से विश्व के सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक व्यक्तित्व मोदी-शाह की इस दिव्य जोड़ी ने सबको ठिकाने लगा दिया... 

अटल बिहारी मोदी को पनिशमेंट देने गए थे, ख़ुद अलग-थलग पड़ गए। 
चुनाव भी हार गए। 
6 साल के पीएम 120 सांसदों पर सिमट गए... 
अटल जी की हार... यह बेहद आश्चर्यचकित करने वाला था... पूरे भारत में भाजपा का साइनिंग इंडिया चला... 
लेकिन परिणाम हार के रूप में मिला... 
शायद ईश्वरीय सत्ता भी अटल जी की नरम कार्यशैली को पसंद नहीं कर रही थी... 
क्योंकि राष्ट्रहित के लिए कुछ कार्य सिद्धांत व नीतियों से अलग हटकर किये जाते हैं... 
वह अटल जी जैसा सरल व सीधा व्यक्तित्व नहीं कर सकता था... 
उसके लिए कुटिल चालें आवश्यक थीं... 
मोदी व शाह की यह जोड़ी इन चालों में कुशल है.... 
सनातन संस्कृति व हिंदुत्व इन दोनों की नस नस में कूट कूट कर भरा है... 
इसलिए ईश्वरीय सत्ता ने इन दोनों महारथियों पर अपनी अनुकम्पा व दिव्य आशीष दे, भारत वर्ष की राजनीति में इन्हें विधर्मियों व सेक्युलर गैंग के सामने उतार दिया...

न जाने कैसी राजनीतिक समझ है इनकी, 
न जाने कैसी वैचारिक तैयारी है इनकी, 
इनका रोडमैप और घेरने के सारे शस्त्र सदैव इनके पास रहते हैं।

सॉनियाँ, राहुल, प्रियंका, अखिलेश, लालू, ममता, केजरीवाल, मुलायम, मायावती, देवेगौड़ा, शरद पवार जैसे राजनीति के कुशल खिलाड़ी भी इन दोनों की चालों से न बच सके... 
गत लोकसभा चुनाव में इनके चक्रव्यूह को इस जोड़ी ने तार तार कर दिया, 
पूरा चक्रव्यूह बुरी तरह से ध्वस्त कर दिया... 
आज के समय में उपर्युक्त नेताओं में कई अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं... 
कई राजनीतिक दल समाप्ति की ओर हैं... 
राजनीतिक वजूद खत्म होता चला जा रहा है... 
इन जातिवादियों व परिवारवादियों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है...
सबसे आश्चर्यजनक यह था कि सपा बसपा के मजबूत गठबन्धन के किले को यूपी से बुरी तरह ध्वस्त कर रौंद दिया था... 

आप देखिए कश्मीर, तीन तलाक़, एनआरसी, राममंदिर –  आप ठीक से सोचिए सारे के सारे असम्भव मुद्दे थे, 
इनलोगों ने सारे मनचाहे तरीक़े से हल कर लिए... 
राम मन्दिर की पूरी जमीन हिंदुओं को दिलवा दी... 
सुई की नोंक के बराबर भी भूमि मुस्लिम न ले पाए... 
धारा 370 व 35 A जड़ से ही उखाड़ फेंकी...

तमाम राजनीतिक घृणाओं के बावज़ूद आपको इन दोनों से सीखना तो चाहिए कि देखते ही देखते आख़िर कैसे पूरे सिस्टम को अपनी तरफ़ झुका लिया है...
इसलिए मैं कहता हूँ मोदी जी साम दाम दंड भेद सब नीतियों में निपुण हैं,, 
और वर्तमान में इसके बगैर हिंदू राष्ट्र निर्माण कि कल्पना भी नहीं की जा सकती।

कोई माने या न माने... 
यह मोदी व शाह की जोड़ी दिव्य है व इनपर ईश्वरीय अनुकम्पा है... 
प्रभु श्री राम ने इनको भारत वर्ष में विलुप्त होती जा रही सनातन संस्कृति को पुनर्स्थापन हेतु अवतरित किया है...

दोनों में कुछ बात तो है। 
क्या आप नहीं मानते ??
                                      
                                                                                                      #जय_हिंदू_राष्ट्र 🚩

इन सॉफ्टवेयर की मदद से आप बना सकते हैं बेहतर घर

इन सॉफ्टवेयर की मदद से आप बना सकते हैं बेहतर घर

हर कोई चाहता है की उसके घर का डिज़ाइन सबसे हटकर और यूनिक हो. इसके लिए आप बड़े से बड़े आर्किटेक्ट से अपने घर का नक्शा बनवाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जिनकी मदद से आप अपने घर का थ्रीडी मॉडल तैयार कर सकते हैं और निर्माण से पूर्व अपने घर की खूबसूरती को निखर सकते हैं.
 
आज इन सॉफ्टवेयर की मदद से हाउस डिज़ाइन करना बहुत ही आसान हो गया है.

घर का नक्शा तैयार करने के लिए कई फ्री और पेड थ्रीडी ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं. इनमें से कुछ सॉफ्टवेयर आपको मुफ्त में उपलब्ध हो जाते हैं परन्तु कुछ पेड सॉफ्टवेयर हैं जिन्हें आप खरीद भी सकते हैं.

इन सॉफ्टवेयर से बना सकते हैं घर का मॉडल

घर डिज़ाइन करने के लिए बहुत से विकल्प आपको उपलब्ध हो जाते हैं. यदि आप घर का थ्रीडी मॉडल तैयार करने के लिए पेड सॉफ्टवेयर का उपयोग करना चाहते हैं तो होम प्लान प्रो और फ्लोर प्लान सॉफ्टवेयर बेहतर विकल्प है वहीँ फ्री सॉफ्टवेयर में आर्किटेक्चर थ्रीडी 1.5 आपके लिए अच्छा चुनाव हो सकता है. हम आपको कुछ अन्य सॉफ्टवेयर और उनके बारे में आपको पूर्ण जानकारी दे रहें हैं जो घर निर्माण में आपकी मदद करेगा.

ऑर्किटेक्चर थ्रीडी

आर्किटेक्चर थ्रीडी 1.5 केवल डेमो वर्जन है. इसका उपयोग आप केवल दो घर के डिज़ाइन बनाने के लिए मुफ्त सेवा प्रदान करता है. इसका उपयोग करना बहुत ही सरल है और आप अपने घर के लिए मनचाहा डिज़ाइन बना सकते हैं.

स्वीट होम थ्रीडी

इस सॉफ्टवेयर की मदद से आप घर के बनाये गए डिज़ाइन के किसी भी हिस्से में बिना किसी फर्नीचर को हटाए देख सकते हैं. इसमें आप पूरे घर की डिज़ाइन करने के बाद उसमें सभी चीजों को रखने के बाद अपने घर की डिज़ाइन और खाली स्पेस को देख सकते हैं. इसकी मदद से आप स्क्रीन पर अपनी घर की कल्पना को देख सकते हैं.

गूगल स्केचअप

गूगल स्केचअप एक थ्रीडी मॉडलिंग प्रोग्राम है जिसे गूगल अर्थ पर इस्तेमाल किया जा सकता है. ये आपको गूगल अर्थ पर थ्रीडी हाउस मॉडल या दूसरी बिल्डिंग के मॉडल को इन्सर्ट करने की सुविधा देता है.

ऑटोडेस्क होमस्टाइल

इस फ्री ऑनलाइन डिजाइन वाले सॉफ्टवेयर से आप अपने थ्रीडी घर को डिजाइन कर सकते हैं और घर को डेकोरेट करने के लिए आपको कई विकल्प भी देता है.

होम प्लान प्रो

आपको आउटलाइन या रूपरेखा और इंटीरियर तैयार करने की सुविधा देता है. साथ ही, ये सैंकड़ों की संख्या में मौजूद प्लान तक आपकी पहुंच बनाता है. इससे आप दूसरे डिज़ाइन से अपनी डिज़ाइन को कम्पेयर करके उसमें बदलाव कर सकते हैं.

फ्लोर प्लान थ्री डी

एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो पूरी तरह से घर की सजावट के लिए तैयार किया गया है. इसमें आप अपने घर के इंटीरियर को इच्छानुसार डिज़ाइन कर सकते हैं.

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बाढ़ से ऐसे बचाए अपनी कार पानी भी भर गया तो ऐसे करें तैयार

बाढ़ से ऐसे बचाए अपनी कार पानी भी भर गया तो ऐसे करें तैयार

मानसून के मौसम में कई राज्यों में बाढ़ आती है और पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंच जाता है जिससे कारें पानी में डूब जाती है. कई बार तेज बारिश के बाद जलभराव हो जाता है और इससे भी कारों में पानी भर जाता है. अगर बारिश के टाइम पानी की सही निकासी ना हो तो लोगों के घरों के आसपास पानी जमा होता है और वहां खड़ी कारों में पानी भर जाता है. अगर आपकी कार में भी पानी भर जाये या वो पूरी तरह डूब जाये तो क्या करना चाहिये. जानिये ऐसे हालात में किन बातों का ध्यान रखना चाहिये..

कार पानी में डूबने पर क्या करें

1-अगर आपकी कार का इंजन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस हैं और गाड़ी डूब गई है, तो टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है. बस गाड़ी में चाबी न लगाएं न ही उसे स्टार्ट करने की कोशिश करें. अगर आपने इग्निशन ऑन किया तो कचड़ा इंजन के अंदर जा सकता है और इस सिचुएशन में क्लेम में परेशानी आ सकती है. इंजन में एक प्रकार की सीलिंग होती है, जिससे पानी इंजन के अंदर नहीं जाता या चले भी जाता है तो सर्विसिंग के दौरान इसे बाहर निकाला जा सकता है और ज्यादा नुकसान नहीं होगा लेकिन इग्निशन ऑन करने पर एयर फिल्टर या साइलेंसर के जरिए इंजन में पानी चला जाता है जिससे पिस्टन में गैप आ सकता है

2-अगर पॉसिबल हो तो कार की बैटरी निकाल दें इससे बंद गाड़ी में इंजन को नुकसान पहुंचने के कम चांस होंगे. बैटरी निकालने से इलेक्ट्रिकल्स शॉर्ट सर्किट होने का चांस भी कम हो जाएगा

3-अगर कार में पानी भर जाये तो सर्विस सेंटर वालों को इंफॉर्म करें और उनको कार ले जाने के लिये कहें. या फिर रिकवरी व्हीकल या टोइंग व्हीकल से सीधे सर्विस सेंटर लेकर जायें

4- बाढ़ग्रत इलाके में अगर कार पूरी तरह डूब गयी है तो उसके नजदीक ना जायें. पानी का बहाव आपको बहा सकता है. अगर कार में पानी भरा है तो भी खुद कार को ड्राइव न करें ना उसमें टोइंग व्हीकल के साथ बैठकर जायें.

5- अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं जहां कार में पानी भरने की संभावना है तो सबसे पहले कार इंश्योरेंस में वाटर डैमेज या इंजन प्रोटेक्शन जरूर लें.

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बने आत्मनिर्भर लगाये अपना व्यवसाय सरकार दे रही मदद शुरू करें अगरबत्ती कारोबार

बने आत्मनिर्भर लगाये अपना व्यवसाय सरकार दे रही मदद शुरू करें अगरबत्ती कारोबार

अगर आप भी बिजनेस करने की सोच रहे हैं तो यह आपके लिए अच्छा मौका हो सकता है. क्योंकि कोविड-19 महामारी के बीच अगरबत्ती और धूप का घरेलू बाजार सालना 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. गरबत्ती और धूप का घरेलू बाजार 15,000 करोड़ रुपये का है. देश में अगरबत्तियों की मौजूदा मांग तीन हजार टन की है जबकि आपूर्ति इसकी आधी है. बाकी माल चीन और वियमतनाम जैसे देशों से आता रहा है. केंद्र सरकार अगरबत्ती की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अगरबत्ती एवं धूप उद्योग को सब्सिडी भी प्रदान कर रही है. आइए आपको बताते हैं कि अगरबती का बिज़नेस आप कैसे शुरू कर सकते हैं और इसको करने से आपको कितना फायदा होगा.

*अगरबत्ती उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम*

इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने इस साल की शुरुआत में बैम्बू स्टीक पर आयात शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया था. केवीसी ने कहा था कि इस कदम से अगरबत्ती उद्योग में 8 से 10 महीनों में कम से कम 1 लाख रोजगार पैदा होंगे. आत्मनिर्भर भारत के लिए घरेलू बैम्बू को बढ़ावा देने के यह बढ़ोतरी की गई थी और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट कर इस बढ़ोतरी की घोषणा की थी.

*मशीन की कीमत*
भारत में अगरबत्ती बनाने की मशीन की कीमत 35 हजार से 1.75 लाख रुपये तक है. कम दाम वाली मशीन में प्रोडक्शन कम होती है और आपको इससे ज्यादा मुनाफा नहीं होगा. मेरा ये सुझाव है कि आप अगरबत्ती बनाने वाली आटोमेटिक मशीन से काम स्टार्ट करें क्यूंकि ये बहुत तेजी से अगरबत्ती बनता है. ऑटोमेटिक मशीन की कीमत 90 हजार से 1.75 लाख रुपये तक है. एक ऑटोमेटिक मशीन एक दिन में 100 किलोग्राम अगरबत्ती बन जाती है.

*अगरबत्ती बनाने की मशीन*
अगरबत्ती बनाने में कई तरह की मशीनें काम में लाई जाती हैं. इनमें मिक्सचर मशीन, ड्रायर मशीन और मेन प्रोडक्शन मशीन शामिल है. मिक्सचर मशीन कच्चे माल का पेस्ट बनाने के काम आता है और मेन प्रोडक्शन मशीन पेस्ट को बांस पर लपेटने का काम करता है. अगरबत्ती बनाने के मशीन सेमी और पूरी ऑटोमेटिक भी होती है. मशीन का चुनाव करने के बाद इंस्टॉलेशन के बजट के हिसाब से मशीनों के सप्लायर से डील करें और इंस्टॉलेशन करवाएं. मशीनों पर काम करने की ट्रेनिंग लेना भी आवश्यक है.

*कच्चे माल की सप्लाई*
मशीन इंस्टॉलेशन के बाद कच्चे माल की सप्लाई के लिए मार्केट के अच्छे सप्लायरों से संपर्क करें. अच्छे सप्लायरों की लिस्ट निकालने के लिए आप किसी अगरबत्ती उद्योग में पहले से बिजनेस करने वाले लोगों से मदद ले सकते हैं. कच्चा माल हमेशा जरूरत से थोड़ा ज्यादा मंगाए क्योंकि इसका कुछ हिस्सा वेस्टेज में भी जाता है. अगरबत्ती बनाने के लिए सामग्री में गम पाउडर, चारकोल पाउडर, बांस, नर्गिस पाउडर, खुशबूदार तेल, पानी, सेंट, फूलों की पंखुड़ियां, चंदन की लड़की, जेलेटिन पेपर, शॉ डस्ट, पैकिंग मटीरियल आदि शामिल हैं.

*पैकेजिंग और मार्केटिंग*
आपका प्रोडक्ट आकर्षक डिजाइन पैकिंग पर बिकता है. पैकिंग के लिए किसी पैकेजिंग एक्सपर्ट से सलाह लें और अपनी पैकेजिंग को आकर्षक बनाएं. पैकेजिंग के द्वारा लोगों के धार्मिक मनोस्थिति को छूने की कोशिश करें. अगरबत्तियों की मार्केटिंग करने के लिए अखबारों, टीवी में एड दे सकते हैं. इसके अलावा अगर आपका बजट इजाजत देता हो तो कंपनी की ऑनलाइन वेबसाइट बनाएं.

*इतने रुपये में शुरू कर सकते हैं बिजनेस*
इस बिजनेस को आप 13,000 रूपये की लागत के साथ घरेलू तौर पर भी हाथों से निर्माण कर शुरू कर सकते है, लेकिन अगर आप अगरबत्ती के बिजनेस को मशीन बैठाकर शुरू करने की सोच रहे है तो इसको शुरू करने में लगभग 5 लाख रूपये तक की लागत लग सकती है. अपने प्रोडक्ट को बाजार में अच्छा भाव मिले, इसलिए प्रोडक्ट में यूनिकनेस लाने की कोशिश करें. अगर आप इस बिजनेस में कुछ नया करते हैं तो इसे एक ब्रांड बनने में देर नहीं लगेगा.

मोदी सरकार द्वारा 'ग्रामोदय विकास योजना' (Gramodyog Vikas Yojana) के तहत अगरबत्ती निर्माण (Agarbatti Manufacturing) में कारीगरों को लाभान्वित करने के लिए एक कार्यक्रम को मंजूरी देने के एक महीने के बाद, इसके आकार और लाभार्थियों की लक्ष्य संख्या को बढ़ाया गया है. कार्यक्रम के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, इसका कुल आकार 2.66 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 55 करोड़ रुपये कर दिया गया है और संभवतः इससे 6,500 कारीगरों को फायदा होगा. एमएसएमई मंत्रालय के तहत खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) कार्यक्रम को लागू करेगा और मंत्रालय के अनुसार आवश्यक सहायता के साथ पिछड़े और आगे के संपर्कों के साथ कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों (SHG) को संभालेगा.

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एकपाद उत्तानासन: अस्थमा रोगियो को फायदों के साथ जानिये योग के अन्य लाभ और योग विधि

योग से बने जीवन सुंदर :एकपाद उत्तानासन: अस्थमा रोगियो को फायदों के साथ जानिये योग के अन्य लाभ और योग विधि

एकपाद उत्तानासन को एक पैर पर खड़ी मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है जो कि पेट तथा जंघा की मांसपेशियों को दुरूस्त रखने के लिये किया जाता है। इसके अलावा यह अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिये भी अच्छा आसन है। इससे वक्ष खुल जाता है और पूरा श्वसन तन्त्र जीवन्त हो जाता है जिससे कि शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा पहुँच जाती है। यह आसन शरीर में लचीलापन भी लाता है और आपके कूल्हे की मांसपेशियों को लचीला बनाने के साथ-साथ शरीर के निचले हिस्से को मजबूत भी बनाता है । यह इस बात पर निर्भर करता है कि आसन को कैसे किया जा रहा है क्योंकि एकपाद उत्तानासन पाचन को सुधारने के साथ-साथ सेक्स से सम्बन्धी अंगों की भी मालिश करता है जिससे वे स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा अगर आप माहवारी की समस्याओं से ग्रस्त हैं तो यह आसन बिल्कुल सटीक होता है ।

*एकपाद उत्तानासन करने की लाभ*

अस्थमा से ग्रस्‍त लोगों के लिए एकदम सही है क्योंकि यह 

फेफड़ों को खोलने में मदद करता है और पूरे श्वसन प्रणाली को ऑक्‍सीजन से भर देता है।

यह आसन कूल्हों को अधिक लचीला बनाने में सहायक है 

पाचन में सुधार कर अपच में लाभ देता है। पाचन को बेहतर तथा पेट को सही रखने व पेट की समस्यायों में लाभकारी। 

वायु को नियंत्रित करता है। 

कामेच्छा से संबंधित ग्रंथियों की कार्यप्रणाली को बढ़ाने में मदद करता है।

आँतो लिवर व गुर्दों में भी लाभप्रद ।

पेट के आसपास की मांसपेशियों को टोन कर पेट के निचले हिस्से की चर्बी कम करता है।

इस आसन से उदर के काफ़ी रोग ठीक होते हैं  । 

*एकपाद उत्तानासन करने का सही तरीका*

सीधे पीठ के बल लेट जाएं। 

हाथों को बिल्कुल शरीर के बराबर रखें। 

ध्यान रखें कि आपका शरीर बिल्कुल शान्त रहे।

अब धीरे से सांस लेते हुए दाएं पैर को (घुटने से सीधा रखते हुए) 60 डिग्री का कोण बनाते हुए उठाएं ऐसा तेजी से न करें क्योकि पीठ को क्षति हो सकती है।

पैर को 5-7 सेकंड ऊपर उठाए ही स्थिर रखे और सांस निकालते हुए वापस लेकर आएं। 

ऐसे ही इस प्रक्रिया को बाएं पैर से दोहराएं।

*एकपाद उत्तानासन  में सावधानियां*

यह आसन तीव्र गति से ना करें अन्यथा लाभ क़ी जगह नुकसान हो सकता है साथ ही नवसिखिये इस आसन को विशेषज्ञ क़ी सलाह और डेखरेक में ही करें ।

मुंह के छालों के कारण और निवारण

मुंह के छाले मुंह ना लगेंगे, कारण जान अगर उपाय करेंगे, जानिये मुंह के छालों के कारण और निवारण_*

 *मुंह में छाले कैसे आते हैं?*
*मुंह में छाले (Mouth ulcer) होने का कारण क्या है?*

मुंह में छाले होने के कई कारण हो सकते हैं।  

*कारण :*

1. खट्टे फल

खट्टे और रसीले फल जैसे टमाटर, नींबू , संतरा और स्ट्रॉबेरी मुंह के छाले का कारण हो सकता है। इसके अलावा चॉकलेट भी छालों को बढ़ाने का काम करती है। अगर आपके मुंह में छाले हैं तो इन चीजों को न खाएं आपको जल्दी आराम मिलेगा।

2. कब्ज

पेट का पुराना कब्ज भी मुंह के छाले का कारण होता है। जब पेट ठीक से साफ नहीं होता तो पेट में गर्मी के कारण मुंह में छाले हो जाते हैं। इसलिए इस बात का खास ख्याल रखें कि पेट ठीक से साफ हो रहा है या नहीं।

3. धूम्रपान छोड़ना

वैसे तो धूम्रपान बहुत बुरी लत है और इसे जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी छोड़ देना चाहिए लेकिन, कभी-कभी ऐसा देखा गया है कि धूम्रपान छोड़ने पर कुछ लोगों के मुंह में छालों की शिकायत हो जाती है।

4. तनाव और चिंता

चिंता और तनाव भी मुंह के छाले का कारण बनते हैं इसलिए जो लोग ज्यादा चिंताग्रस्त रहते हैं उन्हें अक्सर माउथ अल्सर की दिक्क्त होती है।

5. जीभ या गाल का कट जाना

बहुत बार ऐसा होता है की कुछ खाते या बोलते समय जीभ या गाल दांत से कट जाता है और फिर यह घाव की शक्ल ले लेता है या फिर छाले जैसा बन जाता है।

6. विटामिन्स की कमी

विटामिन बी-12, जिंक, फॉलेट और आयरन की कमी से भी छाले होते हैं।

7. दवाइयों का सेवन भी हो सकता है मुंह के छाले का कारण

एलोपेथिक ट्रीटमेंट जब लॉन्ग टर्म चलता है तो भी मुंह में छाले होने की संभावना रहती है। एलोपेथिक दवाइयां गर्म होती हैं जो कि पेट में गर्मी करती है जिससे माउथ अल्सर की परेशानी हो जाती है।

*मुंह में छाले होने पर क्या खाएं?*

मुंह में छाले होने पर आप क्रीम, सूप, चीज, दही, मिल्कशेक, हलवा, आइसक्रीम, तरल प्रोटीन सप्लिमेंट आप खा सकते हैं। ये आपको मुंह के छालों में आराम देने में मदद करेंगे।

*खाएं हाई प्रोटीन चीजें :*

इसके अलावा, कैलोरी और हाई प्रोटीन से युक्त नरम मलाईदार खाद्य पदार्थ खाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। उच्च-कैलोरी खाद्य पदार्थ खाने से आपके शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलेगी और छालों के दौरान इन्हें खाने से जलन और दर्द भी कम होगा। आप एक चम्मच ठंडी क्रीम वेनिला एक्सट्रेक्ट और थोड़ी-सी शक्कर के साथ मिलाकर खाएं।

अपना भोजन भिगोएं। 

ठंडे अनाज को दूध में भिगोएं, ताकि जब आप इसे खाएं, तो यह बहुत ही गाढ़ा हो। चावल और पास्ता को सब्जी के रस में भिगोएं, ताकि वे मुलायम हो जाएं। 

पकी हुई सब्जियां और नरम फल खाएं। कच्चे फलों से आपके मुंह में घाव हो सकते हैं। आप एक ब्लेंडर के माध्यम से फल और सब्जियां भी डालकर उन्हें छोटे टुकड़ों में कट कर सकते हैं।

ठंडे खाद्य पदार्थ जैसे आइसक्रीम, कैंडी खाएं। इनकी ठंडक से मुंह के छालों में राहत प्रदान करती है।

*मुंह में छाले हो जाने पर आप इन चीजों के सेवन से बचें :*

तीखा, अम्लीय, या नमकीन खाद्य पदार्थों से बचें, जैसे गरम मसालों बनी सब्जी, तीखे चिप्स, नमकीन या कोई भी मसालेदार भोजन।

खट्टे और टमाटर वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें। खट्टी चीजें छाले या घाव को बढ़ा सकती हैं।

सूखे टोस्ट और ग्रेनोला जैसे मोटे खाद्य पदार्थों से बचें। इनसे मुंह में जलन हो सकती है।

ऐसे मसालों से बचें, जो मुंह में जलन पैदा कर सकते हैं जैसे कि मिर्च पाउडर, करी और गर्म सॉस।

खैनी, तंबाकू आदि से भी दूर रहें।

अगर आप बार-बार मुंह में छालों की समस्या हो रही है, तो इसे अनदेखा न करें। डॉक्टरी सलाह और दवाओं से आप बहुत जल्दी छालों की समस्या से बच सकते हैं। मुंह में छाले हो जाने पर रात में सोने से पहले कुल्ला करें। ये छोटे-छोटे कदम से मुंह के छालों से बचा जा सकता है। 

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