245 लाख करोड़ का घाटा वो भी एक साल में ।
कया आप जानते हैं??
1947 में 1 रुपया 1डालर के बराबर था |
और 1 रुपया 1 पौंड के भी बराबर था |
जो आज 50 रुपये का हो गया हैं..
अब आप पूछो गये की इसमें परेशानी क्या हैं ???
कृपया अब धीरे-धीरे और आराम से पढ़े |
परेशानी ये है की 1947 में ज़ब 1 रुपया 1 डालर के बराबर था |
तब हम अमेरिका अन्य किसी देश से से 1 डालर का माल (ख़रीदते) थे तो हमे 1 रुपया ही देना पड़्ता था |
मान लीजिए । 1947 में अमेरिका आपको एक मोबाईल बेचे और कहे इसकी कीमत 1
डालर हैं । तो आपको अमेरिका को 1 रुपया ही देना पड़्ता था | क्यों कि 1
रुपया तो 1 डालर के बराबर था
लेकिन आज 2011 जब 1 डालर 50 रुपये हो गया है | और आज हम अमेरिका से एक डालर का माल (ख़रीदते) हैं तो हमे 50 रुपये देने पड़्ते हैं ।
मान लीजिए ।
2011 में अमेरिका आपको एक मोबाईल बेचे और कहे इसकी कीमत 1 डालर हैं । तो
आपको अमेरिका को 50 रुपया ही देना पड़्ता था , क्योंक़ि आज 1 डालर 50 रुपये
के बराबर हो गया हैं ।
मतलब क्या है, कि पैसा 50 गुना ज्यादा जा रहा है,लेकिन माल उतना ह आ रहा हैं |
अब इसके उलटा देखते हैं |1947 में ज़ब 1 रुपया 1 डालर के बराबर था तब हम अमेरीका को अगर 1 रुपये का माल
(बेचते) थे तो हमे 1 डालर मिलता था
अब मान लीजिए ।1947 में भारत अमेरिका को मोबाईल बेचे और कहे इसकी कीमत 1रुपया हैं ।
तो अमेरिका को 1 डालर ही देना पड़्ता था , क्योंकि 1 रुपया तो 1 डालर के बराबर था
और अब 2011 में 1 डालर 50 रुपये का हो गया हैं | अब हमे अमेरीका को 50 रुपये का माल देना पड़्ता हैं लेकिन डालर 1 मिलता हैं |
अब 2011 में भारत अमेरिका को (50) मोबाईल बेचने पड़ेगें तो अमेरिका हमको 1 डालर देगा ।क्यों क़ि
1 डालर 50 रुपये का हो गया हैं | अब 1 डालर कमाने के लिए 50 रुपये का माल देना पड़ेगा ।
मतलब क्या है ।
माल 50 गुना ज्यादा जा रहा है । लिकेन डालर 1 ही आ रहा है ।
एक और उदाहरण
पिछले साल भारत ने 5 लाख करोड़ रुपये का माल बेचा (निर्यात) किया .
वो तब है जब 1 डालर 50 रुपये का हैं. मतलब उस माल ke kimat 250 लाख करोड़ थी जिसको भारत सरकार ने
5 लाख करोड़ में बेच दिया.
मतलब पिछले साल माल बेचने (निर्यात) पर 245 लाख करोड़ का घाटा ।
और इसके उलटा बोले तो पिछले साल हमने 8 लाख करोड़ का माल (आयात किया) ख़रीदा |
और वो तब है जब 1 डालर 50 रुपये का है मतलब 16 हजार करोड़ का माल
हमे 8 लाख करोड़ में ख़रीदना पड़ा. मतलब पिछले साल माल (आयात पर)ख़रीदने पर 7 लाख 84 करोड़ का घाटा.
दोनो को मिला दिया जाये
245+7.86=252 लाख 86 हजार करोड़ का घाटा.
माल ख़रीदा तो घाटा माल बेचा तो घाटा.
यही पिछले 64 साल से हो रहा हैं.
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