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मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

245 लाख करोड़ का घाटा वो भी एक साल में ।

245 लाख करोड़ का घाटा वो भी एक साल में ।

कया आप जानते हैं??

1947 में 1 रुपया 1डालर के बराबर था |
और 1 रुपया 1 पौंड के भी बराबर था |

जो आज 50 रुपये का हो गया हैं..
अब आप पूछो गये की इसमें परेशानी क्या हैं ???

कृपया अब धीरे-धीरे और आराम से पढ़े |

परेशानी ये है की 1947 में ज़ब 1 रुपया 1 डालर के बराबर था |
तब हम अमेरिका अन्य किसी देश से से 1 डालर का माल (ख़रीदते) थे तो हमे 1 रुपया ही देना पड़्ता था |

मान लीजिए । 1947 में अमेरिका आपको एक मोबाईल बेचे और कहे इसकी कीमत 1 डालर हैं । तो आपको अमेरिका को 1 रुपया ही देना पड़्ता था | क्यों कि 1 रुपया तो 1 डालर के बराबर था

लेकिन आज 2011 जब 1 डालर 50 रुपये हो गया है | और आज हम अमेरिका से एक डालर का माल (ख़रीदते) हैं तो हमे 50 रुपये देने पड़्ते हैं ।

मान लीजिए ।
2011 में अमेरिका आपको एक मोबाईल बेचे और कहे इसकी कीमत 1 डालर हैं । तो आपको अमेरिका को 50 रुपया ही देना पड़्ता था , क्योंक़ि आज 1 डालर 50 रुपये के बराबर हो गया हैं ।

मतलब क्या है, कि पैसा 50 गुना ज्यादा जा रहा है,लेकिन माल उतना ह आ रहा हैं |

अब इसके उलटा देखते हैं |1947 में ज़ब 1 रुपया 1 डालर के बराबर था तब हम अमेरीका को अगर 1 रुपये का माल
(बेचते) थे तो हमे 1 डालर मिलता था

अब मान लीजिए ।1947 में भारत अमेरिका को मोबाईल बेचे और कहे इसकी कीमत 1रुपया हैं ।
तो अमेरिका को 1 डालर ही देना पड़्ता था , क्योंकि 1 रुपया तो 1 डालर के बराबर था

और अब 2011 में 1 डालर 50 रुपये का हो गया हैं | अब हमे अमेरीका को 50 रुपये का माल देना पड़्ता हैं लेकिन डालर 1 मिलता हैं |

अब 2011 में भारत अमेरिका को (50) मोबाईल बेचने पड़ेगें तो अमेरिका हमको 1 डालर देगा ।क्यों क़ि
1 डालर 50 रुपये का हो गया हैं | अब 1 डालर कमाने के लिए 50 रुपये का माल देना पड़ेगा ।

मतलब क्या है ।
माल 50 गुना ज्यादा जा रहा है । लिकेन डालर 1 ही आ रहा है ।

एक और उदाहरण

पिछले साल भारत ने 5 लाख करोड़ रुपये का माल बेचा (निर्यात) किया .

वो तब है जब 1 डालर 50 रुपये का हैं. मतलब उस माल ke kimat 250 लाख करोड़ थी जिसको भारत सरकार ने
5 लाख करोड़ में बेच दिया.
मतलब पिछले साल माल बेचने (निर्यात) पर 245 लाख करोड़ का घाटा ।

और इसके उलटा बोले तो पिछले साल हमने 8 लाख करोड़ का माल (आयात किया) ख़रीदा |
और वो तब है जब 1 डालर 50 रुपये का है मतलब 16 हजार करोड़ का माल
हमे 8 लाख करोड़ में ख़रीदना पड़ा. मतलब पिछले साल माल (आयात पर)ख़रीदने पर 7 लाख 84 करोड़ का घाटा.

दोनो को मिला दिया जाये
245+7.86=252 लाख 86 हजार करोड़ का घाटा.

माल ख़रीदा तो घाटा माल बेचा तो घाटा.
यही पिछले 64 साल से हो रहा हैं.

नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

इन दो भगवान की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए, क्योंकि...


हमारे धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि देवी-देवताओं के दर्शन मात्र से हमारे सभी पाप अक्षय पुण्य में बदल जाते हैं। फिर भी श्री गणेश और विष्णु की पीठ के दर्शन वर्जित किए गए हैं।
गणेशजी और भगवान विष्णु दोनों ही सभी सुखों को देने वाले माने गए हैं। अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करते हैं और उनकी शत्रुओं से रक्षा करते हैं। इनके नित्य दर्शन से हमारा मन शांत रहता है और सभी कार्य सफल होते हैं।
गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि का दाता माना गया है। इनकी पीठ के दर्शन करना वर्जित किया गया है। गणेशजी के शरीर पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े अंग निवास करते हैं। गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है। ऐसा माना जाता है इनकी पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है। गणेशजी की पीठ के दर्शन करने वाला व्यक्ति यदि बहुत धनवान भी हो तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है। इसी वजह से इनकी पीठ नहीं देखना चाहिए। जाने-अनजाने पीठ देख ले तो श्री गणेश से क्षमा याचना कर उनका पूजन करें। तब बुरा प्रभाव नष्ट होगा।
वहीं भगवान विष्णु की पीठ पर अधर्म का वास माना जाता है। शास्त्रों में लिखा है जो व्यक्ति इनकी पीठ के दर्शन करता है उसके पुण्य खत्म होते जाते हैं और धर्म बढ़ता जाता है।
इन्हीं कारणों से श्री गणेश और विष्णु की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए।
 
- Aditya Mandowara


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ऐसे करें उपवास तो बीमारियां कभी नहीं आएंगी पास - by aditya mandovara

ऐसे करें उपवास तो बीमारियां कभी नहीं आएंगी पास

उपवास के अनगिनत फायदे हैं। इसलिए उपवास को हमारे धर्मों में अनिवार्य माना गया है क्योंकि उपवास सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक शुद्धि भी करता है। उपवास जितना लंबा होगा, शरीर की ऊर्जा उतनी ही अधिक बढ़ेगी। उपवास करने वाले की सांस लेने और छोडऩे की क्रिया विकार रहित हो जाती है। इससे स्वाद ग्रहण करने वाली ग्रंथियां पुन: सक्रिय होकर काम करने लगती हैं। उपवास आपके आत्मविश्वास को इतना बढ़ा सकता है कि आप अपने शरीर, जीवन और भुख पर अधिक नियंत्रण हासिल कर सकें। हमारा शरीर एक स्वनियंत्रित एवं खुद को ठीक करने वाली प्रजाति का हिस्सा है।

उपवास रखने वालों को ध्यान रखना चाहिए कि व्रत के प्रारंभ में भूख लगने पर नींबू पानी व शहद का उपयोग करें। इससे भूख को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। निर्जला उपवास की मनाही है क्योंकि पानी के अभाव में अपशिष्ट पदार्थ बाहर नहीं आ पाते हैं। ऐसा भी न हो कि एक साथ खूब पानी पी लें। इसके बदले दिन में बार-बार नींबू-पानी का सेवन उचित है। उपवास में साबूदाना व आलू के बजाय खीरा व रेशेदार फलों का उपयोग लाभप्रद होता है।

उपवास डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, मानसिक रोग जैसे रोगियों के लिए भी लाभदायक है।

उपवास को रखने से पहले इसकी पूर्व तैयारी अवश्य कर लेनी चाहिए। इसमें ताजे फल व सब्जियों के साथ पानी की भरपूर मात्रा हितकर होती है। उपवास के दिनों में बड़ी आंत के एक भाग की सफाई के लिए सादे पानी का एनीमा लेना भी हितकर होता है। इसके अलावा उपवास के दौरान ईसबगोल लेना भी अच्छा होता है। थ़ोडी मात्रा में फलों का रस पीने से भी शरीर से हानिकारक पदार्थ बाहर निकलते हैं।उपवास के दौरान इसके दौरान ध्यान लगाना, साधारण व्यायाम, शुद्ध वायु एवं सूर्य स्नान अत्यंत उपयोगी है। साधारण मसाज के बाद पूरे शरीर का भाप स्नान, सी सॉल्ट बाथ एवं साधारण प्राणायाम शरीर से बहुत ही जल्दी वैषैले पदार्थ को बाहर कर देते हैं।
 by aditya mandovara

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हनुमान जी के सिन्दूर क्यों लगाते हैं ???

बोलो बजरंग बली की जय.....!!!
एक कथा के अनुसार हनुमान जी के सिन्दूर क्यों लगाते हैं ???

हनुमान जी के मन में ये चिंता सदा बनी रहती थी कि, भगवान राम जितना प्यार सीता मैया से करते है, उतना मुझसे नहीं करते l हो न हो, कोई न कोई त्रुटी अवश्य है, मेरी सेवा और भक्ति में....!!! तभी तो भगवान जितना ध्यान सीता मैया का रखते है, उतना मेरा नहीं l हनुमान जी सोच में पड़ गए, कि आखिर सीता मैया भगवान राम को रिझाने के लिए क्या करती है ? हनुमान जी ने एक दिन छुपकर देखा - कि सीता मैया अपने मांग में सिन्दूर भर रही है l आप पहुँच गए मैया के पास, चरण-वंदन करके मैया से पूछा - मैया ये क्या लगा रही है, आप अपनी मांग में ? सीता मैया ने कहा - लाडले ये सिन्दूर है, इसे नित्य मांग में भरती हूँ, जानते हो क्यूँ ?? इस सिन्दूर को देखकर भगवन बहुत खुश होते हैं, बस, हनुमान जी तो उछल पड़े और कहा, जान गया हूँ मैया, यही भूल हुई है मुझसे.... मैने अपने बालों में कभी सिन्दूर नहीं भरा l सीता मैया ने कहा - नहीं रे भोले हनुमान, ये तो केवल स्त्रियों के लिए होता है, हनुमान जी बोले - ना माता, अब ना आऊंगा आपकी बातों में, अभी अपने सारे शरीर में सिन्दूर का फैलान करके राम जी को प्रसन्न कर लेता हूँ :-

सर से पाँव तक बजरंगी, पहन सिन्दूर का बाना,
पहुँच गए दरबार राम के, सबने अचरज माना,
राम ने पूछा हनुमान जी, ये क्या रूप बनाया,
लाल मेरे ये लाल लाल हो, कैसा खेल रचाया,
नैनों में जल भरकर लाये, हनुमान बलकारी,
हाथ जोड़कर बोले प्रभु जी, सुनिए विनय हमारी,
सीता जी तो चुटकी भर, सिन्दूर मांग में भरती,
चुटकी भर सिन्दूर से ही वो, खुश है आपको करती,
मैने अपने तन पर प्रभु जी, सवा सेर सिन्दूर लगाया,
आपको खुश करने कि खातिर, ये है स्वांग बनाया,
अब तो खुश हो भगवन मेरे, ये स्वीकार करोगे,
मुझे भी अपना दास मान, सीता सम प्यार करोगे,
ये सुनकर श्रीराम प्रभु के, नैनों में जल आया,
अपने भोले भग्त को, उठकर प्यार से गले लगाया,
वरदान दिया श्रीराम ने उनको, जो कोई तुम्हे सिन्दूर चढ़ावे,
उसको भक्ति मिले हमारी, मन वांछित फल पाये,

जय जय महावीर बजरंग बली.....!!!
जय जय महावीर बजरंग बली.....!!!
जय जय महावीर बजरंग बली.....!!!

बोलो बजरंग बली की जय.....!!!!!

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आखिर क्यूं है ब्रह्मा का सिर्फ 'एक मंदिर', यहां छुपा है 'रहस्य'



राजस्थान के पुष्कर में बना भगवान ब्रह्मा का मंदिर अपनी एक अनोखी विशेषता की वजह से न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र है. यह ब्रह्मा जी एकमात्र मंदिर है. भगवान ब्रह्मा को हिन्दू धर्म में संसार का रचनाकार माना जाता है.

क्या है इतिहास इस मंदिर का

ऐतिहासिक तौर पर यह माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था. लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार यह मंदिर लगभग 2000 वर्ष प्राचीन है.संगमरमर और पत्थर से बना यह मंदिर पुष्कर झील के पास स्थित है जिसका शिखर लाल रंग से रंग हुआ है. इस मंदिर के केंद्र में भगवान ब्रह्मा के साथ उनकी दूसरी पत्नी गायत्री कि प्रतिमा भी स्थापित है. इस मंदिर का यहाँ की स्थानीय गुर्जर समुदाय से विशेष लगाव है. मंदिर की देख-रेख में लगे पुरोहित वर्ग भी इसी समुदाय के लोग हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी गायत्री भीगुर्जर समुदाय से थीं.

कैसे नाम पड़ा 'पुष्कर'

हिन्दू धर्मग्रन्थ पद्म पुराण के मुताबिक धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था. ब्रह्मा जी ने जब उसका वध किया तो उनके हाथों से तीन जगहों पर पुष्प गिरा. इन तीनों जगहों पर तीन झीलें बनी. इसी घटना के बाद इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा. इस घटना के बाद ब्रह्मा ने यज्ञ करने का फैसला किया.

पूर्णाहुति के लिए उनके साथ उनकी पत्नी सरस्वती का साथ होना जरुरी था लेकिन उनके न मिलने की वजह से उन्होंने गुर्जर समुदाय की एक कन्या 'गायत्री' से विवाह कर इस यज्ञ को पूर्ण किया. लेकिन उसी दौरान देवी सरस्वती वहां पहुंची और ब्रह्मा के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो गईं. उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी. हालाँकि बाद में इस श्राप के असर को कम करने के लिए उन्होंने यह वरदान दिया कि एक मात्र पुष्कर में उनकी उपासना संभव होगी.

चूंकि विष्णु ने भी इस काम में ब्रह्मा जी की मदद की थी इसलिए देवी सरस्वती ने उन्हें यह श्राप दिया कि उन्हें अपनी पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा. इसी कारण उन्हें मानवरूप में राम का जन्म लेना पड़ा और 14 साल के वनबास के दौरान उन्हें पत्नी से अलग रहना पड़ा था.


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आपकी इस चीज को कोई चुरा नहीं सकता... by Aditya Mandowara


किसी भी व्यक्ति के लिए धन ही सबसे बड़ा सहायक सिद्ध हो सकता है। धन का काम केवल धन ही कर सकता है। इसी की मदद से व्यक्ति कई परेशानियों को दूर कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार शिक्षा को भी धन ही माना गया है। आचार्य चाणक्य कहते हैं-

बिन अवसरहू देत फल, कामधेनू सम नित्त।

माता सों परदेश में, विद्या संचित वित्त।।

किसी भी इंसान के लिए केवल विद्या ही सबसे बड़ा धन है। विद्या में कामधेनु के समान ही गुण होते हैं। सिर्फ यही बुरे समय में भी श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। घर से दूर होने पर शिक्षा ही माता के समान आपका ध्यान रखती है। इन कारणों से शिक्षा को ही सबसे बड़ा गुप्त धन माना जाता है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा गुप्त धन वही है जो बुरे समय में काम आता है। बुरे समय में जब सभी आपका साथ छोड़ देते हैं उस समय केवल शिक्षा, ज्ञान या विद्या ही आपका सबसे बड़ा गुप्त धन साबित हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार कामधेनु ऐसी गाय थी जो मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। इसी कामधेनु के समान ही शिक्षा भी होती है। यह ऐसा गुप्त धन है जिसे कोई चुरा नहीं सकता, यह बांटने से बढ़ता है। केवल विद्या के बल पर ही व्यक्ति समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। घर से दूर होने पर व्यक्ति का ज्ञान ही उसकी रक्षा करता है।
 by Aditya Mandowara

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इंजीनियर्स की पैदावार में भारतवर्ष ही अग्रणी है ! - Aditya Mandowara

जापान भले ही तकनीक में सबसे आगे हो लेकिन इंजीनियर्स की पैदावार में भारतवर्ष ही अग्रणी है ! प्रतिवर्ष यहाँ लाखों की संख्या में इंजिनीयर्स तैयार होते हैं! सड़क पर चलता हर दूसरा बंदा इंजिनियर ही है! फैशन के दौर में गारेंटी की उम्मीद ना करें ! जैसे मौसम आने पर बेर की झाड पर 'बेर' लद जाते हैं , वैसे ही मेरे इष्ट, मित्र, नाते रिश्तेदार और पडोसी सभी की संतानों में इंजीनियर्स की नयी खेप आ गयी है ! जो कल तक इंजिनीयर की सही स्पेलिंग भी नहीं जानते थे वे भी आज इंजिनियर बन गए हैं! जिससे भी हाल-चाल पूछो पता चलता है , बिटिया इंजीनियरिंग कर रही है , बेटा final ईयर में है! खुश होऊं या आश्चर्यचकित? बच्चे आजकल विद्वान् ज्यादा हो रहे हैं अथवा शिक्षा ही कुछ ज़रुरत से ज्यादा सुलभ हो गयी है? खैर मुझे तो प्रसन्नता से ज्यादा आश्चर्य हुआ इंजिनीयर्स की डिमांड और सप्लाई देखकर! कारण पता किया तो पता चला, हर गली नुक्कड़ पर इंजीनियरिंग कालेज खुल गए हैं! हर किसी को एडमिशन भी मिल रहा है! योग्यता का कोई भी मोहताज नहीं है अब ! चयन प्रक्रिया कुछ भी नहीं है ! दो-लाखवी पोजीशन वाला भी आराम से एडमिशन पा सकता है! अब तो UP सरकार ने एक यूनिवर्सिटी भी खोल रखी है जिसमें प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में 'श्रद्दालू' उर्फ़ इन्जियार्स भर्ती होते हैं ! अब किसी को निराश नहीं किया जाएगा! सर्वे भवन्तु सुखिनः पहले आरक्षण के कारण डाक्टर और इन्जियर्स की माशाल्लाह खेपें आ रही थीं जो मरीजों और पुलों को डूबा रही थीं ! अब तो 'झरबेरी' के पेड़ पर टँगी है काबिलियत ! तोडिये और टांक दीजिये कहीं पर भी! अब बात करते हैं IITans की ! हर माता-पिता अपने बच्चे को ' IIT ' में ही सेलेक्टेड देखना चाहता है, ६५ लाख सालाना पॅकेज से ही शुरुवात करना चाहता है! गला-काट कॉम्पिटिशन है , शायद इसीलिए आसमान की चाह में खजूर पर लटके गुच्छे बन जाते हैं सभी ! क्या फायदा है इससे ? नयी पढ़ी की इस नयी खेप को चिकित्सा और अभियांत्रिकी की डिग्री तो मिल जा रही है लेकिन नौकरी के लिए ये मारे-मारे फिर रहे हैं ! ४ से ५ हज़ार रूपए महिना पर नौकरी कर रहे हैं ! कुछ तो सब्जी की दूकान लगा रहे हैं ! depression (अवसाद) के शिकार हो रहे हैं ये बच्चे! frustation बढ़ रहा है इनमें ! १८ से २५ आयुवर्ग में आत्महत्याएं बढ़ रही हैं ! कृपया उपाय बताएं ! शिक्षा पद्धति में दोष कहाँ है ? क्या इन कालेजों की mushrooming स्वागत योग्य है? क्या ये गली-गली डाक्टर-इंजीनियर्स की खेप निकालने से बेहतर क्वालिटी पर ध्यान नहीं देना चाहिए?
 byAditya Mandowara

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मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

कृपया 1 मिनट का समय देकर इसे पढ़ें. अगर आपको लगता है कि बात में सच्चाई है तो यह सन्देश दूसरों को भी फॉरवर्ड करें .

कृपया 1 मिनट का समय देकर इसे पढ़ें. अगर आपको लगता है कि बात में सच्चाई है तो यह सन्देश दूसरों को भी फॉरवर्ड करें . 
अन्ना, स्वामी रामदेव या अन्य जो भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड रहे है उनसे कांग्रेस क्यों परेशान है, 
जानिए कारण: 
1- सरकार हर साल लोगों से 134 प्रकार के टैक्स से कितना पैसा जमा कराती है और ये पैसे कहा खर्च हो जाते है? ... 
2-मंदिरों का पैसा सरकार किस मद में खर्च कराती है जिसे सिर्फ हिन्दू दान देकर इकठ्ठा करता है, ये बहुत बड़ा प्रश्न है. 
3- काले धन का इतिहास क्या है, पहले कपिल सिब्बल ने कहा कोई भी नुकसान २ जी घोटाले में नहीं हुआ है, फिर अहलुवालिया ने कहा की हा वास्तव में कोई घोटाला नहीं हुआ है, फिर मनमोहन ने कहा इसकी जाँच चल रही है, विपक्ष को टालते रहे, राजा जैसा आदमी जिसके पास अपनी मोबाइल को टाप अप करने का पैसा नहीं हो, यदि वह अपनी पत्नी के नाम 3000 करोड़ रुपया मारीशाश में जमा कर दे, क्या यह सब बिना सोनिया की जानकारी के कर सकता है, उस पार्टी में जहा पर बिना सोनिया के पूछे कोई वक्तव्य तथाकथित प्रवक्ता नहीं दे सकते है, 
4- फिर आया महा घोटाला देवास-इसरो डील का जिसमे की 205000 करोड़ की बैंड विड्थ को मात्र 1200 करोड़ के 10 साल के उधार के पैसे में दे दिया गया, भला हो सुब्रमनियम स्वामी जी का जिन्हें इन चोरो को नंगा कर दिया, हमारी कांग्रेसी और विदेशी मिडिया सुब्रमनियम स्वामी की तस्वीर हमेशा से गलत पेश किया है जब की वास्तव में भारत देश को ऐसे ही इमानदार नेताओ की जरुरत है जिसने कभी भी चोरी के बारे में सोचा ही नहीं, 
5- फिर आया कामनवेल्थ खेल का 90000 करोड़ का घोटाला, फिर कोयला का घोटाला जिसमे ठेकेदारों द्वारा 10 पैसे प्रति किलो के भाव से कोयला खरीदा जाता है और उसे बाजार में 4 रुपये किलो तक बेचा जाता है, यह रकम अब तक 26 लाख करोड़ होती है, 
6- इटली के 8 बैंक और स्वीटजरलैंड के 4 बैंको को 2005 में भारत में क्यों खोला गया है और इसमे किसका पैसा जमा होता है, ये बैंक किसको लोन देते है और इनका ब्याज क्या है, इनकी जरुरत क्यों आ पड़ी भारत में जब की भारत के ही बैंकरों की बैंक खोलने की अर्जियाँ सरकार के पास धूल खा रही है, इन बैंको को चोरी छुपे क्यों खोला गया है, इन बैंको आवश्यकता क्यों है जब भारत में 80% लोग 20 रूपया प्रतिदिन से भी कम कमाते है. 
7-भारत के किसानो से कमीशन लेने वाले चोर कत्रोची के बेटे को अंदमान दीप समूह में तेल की खुदाई का ठेका क्यों दिया गया 2005 में, किसने दिया ठेका, किसके कहने पर दिया ठेका, क्या वहा पर पहले से ही तेल के कुऊ का पता लगाकर वह स्थान इसे दे दिया गया जैसे की बहुत बार खबरों में अन्य संदर्भो में आती है, यह खबर क्यों छुपाई गयी अब तक, इसे देश को क्यों नहीं बताया गया, मिडिया क्यों इसे छुपा गई, और विपक्ष ने इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया. 
8- सरकार ने पहले कहा की बाबा बकवास कर रहे है, काला धन नाम की कोई चीज नहीं है, फिर खबर आयी की काला धन है और सबसे ज्यादा भारतीयों का है, यह स्विस बैंको के आलावा 70 और दुसरे देसों में जमा है, 
9- सरकार ने कहा की टैक्स चोरी का मामला है, हम उन देशो से समझौते कर रहे है, जिससे की दोहरा कर न देना पड़े, यह टैक्स चोरी नहीं भारत देशको लूट डालने का मामला है 
10- फिर बात आई की यदि ये भ्रष्टाचारी और लुटेरे इसमे से 15% टैक्स सरकार को दे तो इसे भारत के बैंको में जमा करने दिया जायेगा और किसी को यह हक़ नहीं होगा की वह पूछे की या इतना पैसा कैसे कमाया या लूटा. सरकार इस पर एक कानून क्यो नही ला रही है, किसको बचाया जा रहा है? 
11- यूरिया घोटाला है और यूरिया किसान को दुगुने दाम बेचा जाता है, फिर गेहू सस्ते में खरीदा जाता है, हम अभी तक सुरक्षित अन्न भण्डारण की व्यवस्था क्यों नहीं बना पाए जब की हमारे पास धन की कमी ही नहीं है, क्योकि अन्न को सडा दिखाकर उसे कौड़ियो के भाव शराब माफिया को बचा जाता है जब की गरीब अन्न बिना मर रहा है। 
12-हमारे देश में क्यों अनुसन्धान के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दिया जाता है, यह कीसकी चाल है, जिसकी वजह से हम 5-10 गुना दाम में विदेशी चीजे खरीदते है, क्या कारण है की हमारे देश में एक भी सोलर ऊर्जा वैज्ञानिक नहीं है और दुनिया भर के परमाणु वैज्ञानिक है जो हमें हमेशा झूठा अश्वाव्हन देते है की यह परमाणु बिजली सस्ती और निरापद है भारत की परमाणु से सम्बंधित कुल बाजार 750 लाख करोड़ का होगा. जब की हम भारत में 400000 मेगावाट सोलर बिजली बना सकते है, 
13-ऐसे कौन से कारण है जिनके कारन हम नेहरू के द्वारा ट्रांसफर अफ पॉवर अग्रीमेंट 14 अगस्त 1947 को दस्तखत करने के बाद भी आज तक विक्सित नहीं बन पाए, जब की हमारी जनता हफ्ते में 90 घंटा काम करती है जबकि कामचोर अंग्रेज हफ्ते में सिर्फ 30 घंटा काम करते है, 
14-क्या कारण है की हमारे 5೦ रुपये में 1 डालर और 90 रुपये में 1 पौंड मिलाता है, जब की 1947 में 1 रुपये में 1 डालर मिलता था. 
15- मीडिया को निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, मिडिया , टीवी और पत्रिकाए सरकार को बिक जाती है और निराधार और झूठ को भी सच बताकर प्रस्तुत करती है। 
16- अगर देश में 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 100 लाख करोड़ रुपयों की होती है. और हमारे देश में रिजर्व बैंक अबतक लगभग 18 लाख करोड़ रुपयों के नोट छाप चुका है और कमसे कम 10 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन में है. इस हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था करीब 400 से 500 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए लेकिन अभी हमारी अर्थव्यवस्था केवल 60 लाख करोड़ की है. जबकि इतनी अर्थव्यवस्था के लिए दो लाख करोड़ से भी कम सर्कुलेशन मनी की जरूरत है. 
17- अगर 400 लाख करोड़ रूपये का काला धन देश में वापिस आ जाता है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 20,000 लाख करोड़ रुपये होगी ... क्या आप जानते हैं कि इस समय अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश है और उसकी अर्थव्यवस्था करीब 650 लाख करोड़ की है... मतलब 400 लाख करोड़ रुपये वापिस मिलने पर हम अमरीका से भी 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली बन सकते है......

नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

रविवार, 11 दिसंबर 2011

हमारे देश भारत के संविधान में सभी को समानता का अधिकार है। तो फिर भारत में आरक्षण क्यों ?

आरक्षण क्यों ?
हमारे देश भारत के संविधान में सभी को समानता का अधिकार है। तो फिर भारत में आरक्षण क्यों ?
जाति के आधार पर समाज को विघटित करना कहाँ की समझदारी है। मेरे विचार से किसी जाति विशेष को आरक्षण मिलने का मतलब ये है की वो हीन है कमज़ोर है इसीलिए उसे आरक्षण दे दिया जाए,इसीलिए उन्हें दलित भी कहा जाता है।
किसी भी जाति,वर्ग या सम्प्रदाय को आरक्षण देने का मतलब है की उन्हें समाज में समानता के साथ जीने का कोई हक़ नहीं है और वो सवर्ण जातियों के समान नहीं हैं,दीन हैं।
लेकिन जब सवर्ण जातियां उन से जातीय विभेद दिखाती हैं उन्हें नीच समझती हैं तो फिर हमारे दलित समाज के लोग पुलिस के पास जाते हैं, कोर्ट में जाते हैं की साहब हमारे साथ ये विभेद क्यों ?
एक सवाल हमारे दलित भाइयों से की जब आप जातीय विभेद के खिलाफ हैं तो फिर आप आरक्षण के खिलाफ क्यों नहीं हैं क्यों आप अपने आप को हीन कहलवाना चाहते हैं,क्या आप नहीं चाहेंगे की लोग आप को हीन न कहें, क्या आप को समानता का हक नहीं है और अगर है तो फिर आरक्षण क्यों ?
जब यही आरक्षण प्रतिभाशाली छात्रों के कैरियर या आजीविका के मध्य आड़े आने लगे, जब प्रतिभाशाली लोग आरक्षण की वजह से किसी कालेज में दाखिले या किसी नौकरी से वंचित रह जाए,उन का चयन उस में न हो तो वो आत्महत्या जैसे प्रयास भी करतें हैं तो फिर एक सवाल उठता है की आरक्षण क्यों ?
एक आरक्षण और है वो है महिलाओं को आरक्षण क्यों भैया महिलाये कहाँ से कमज़ोर दिखती है,कहाँ से वो अशक्त हैं,कहाँ से वो दीन-हीन हैं। हमारी सरकारें ये भूल जाती है की ----
“आज की शक्ति नारी है,
दुर्गा शक्ति नारी है,
सावित्री शक्ति नारी है,
संसार की शक्ति नारी है।
हमारी भारतीय संस्कृति में भी कहा जाता है की व्यक्ति अपन कर्मों से,संस्कारों से महान बनता है,जाति से नहीं।
“जन्मना जायते शूद्रं, संस्कारादि द्विज उच्यते।“
आरक्षण हमारे भारतीय समाज पर एक ऐसा बदनुमा दाग जिसे धोने का प्रयास हर हाल में हर भारतीय को करना चाहिए। और एक ऐसी व्यवस्था हमारे समाज में होनी चाहिए की सब को समानता दी जाय, सभी को समान माना जाय। कालेज में प्रवेश या नौकरी सभी में व्यक्ति की प्रतिभा को ही प्राथमिकता दी जाय।
और सब से ज्यादा अहम राजनीतिज्ञों को भी हम भारतीयों को बांटने से बाज़ आना चाहिए,अपनी रोटियां सेकनी बंद करनी चाहिए। ऐसा कैसे हो सकता है की एक भाई अछूत हो और दूसरा छूत।
बंद कीजिये हम सभी को बांटने का खेल।
और अंत में बस एक बात और की --------
“ एक प्रतिभाशाली व्यक्ति चाहे वो किसी भी जाति या सम्प्रदाय का क्यों ना हो,कभी भी आरक्षण का पक्षधर नहीं हो सकता।“
आरक्षण को मानने का मतलब है की आप संविधान के समानता के अधिकार को नहीं मानते और अगर आप संविधान को मानते है तब आप आरक्षण के खिलाफ अपनी आवाज़ क्यों नहीं उठाते।


Vishal Saxena (विशाल सक्सेना)




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किसी बड़े के पैर क्यों छूना चाहिए ? - Shyam Sunder Chandak

जब भी कोई आपके पैर छुवे...................

हिंदू परंपराओं में से एक परंपरा है सभी उम्र में बड़े लोगों के पैर छुए जाते हैं। इसे बड़े लोगों का सम्मान करना समझा जाता है। जिन लोगों के पैर छुए जाते हैं उनके लिए शास्त्रों में कई नियम भी बनाए हैं। यदि कोई आपके पैर छुता है तो आपको क्या करना चाहिए, जानिए....

उम्र में बड़े लोगों के पैर छुने की परंपरा काफी प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इससे आदर-सम्मान और प्रेम के भाव उत्पन्न होते हैं। साथ ही रिश्तों में प्रेम और विश्वास भी बढ़ता है। पैर छुने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही मौजूद हैं। जब भी कोई आपके पैर छुए तो सामान्यत: आशीर्वाद और शुभकामनाएं तो देना ही चाहिए, साथ भगवान का नाम भी लेना चाहिए।

जब भी कोई आपके पैर छुता है तो इससे आपको दोष भी लगता है। इस दोष से मुक्ति के लिए भगवान का नाम लेना चाहिए। भगवान का नाम लेने से पैर छुने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और आपके पुण्यों में बढ़ोतरी होती है। आशीर्वाद देने से पैर छुने वाले व्यक्ति की समस्याएं समाप्त होती है, उम्र बढ़ती है।

किसी बड़े के पैर क्यों छूना चाहिए ?

पैर छुना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छुने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छुने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छुए जाते हैं। पहले झुककर पैर छुना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छुने से कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले स्ट्रेस से राहत मिलती है, तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छुना यानी उसके प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म होता है। इसलिए बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया।


by Shyam Sunder Chandak


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