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बुधवार, 26 जून 2013

मक्का के फायदे

मक्का के फायदे
भुट्टा या मक्का सेहत का खजाना है। भुट्टे को पोषण के
हिसाब से बेहतरीन माना जाता है। इसकी खासियत यह है
कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता बढ जाती है। पके
हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए
का अच्छा स्रोत होता है। भुट्टे को पकाने के बाद उसके 50
प्रतिशत एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं। पके हुए भुट्टे में फेरूलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में
लड़ने में बहुत मददगार होता है। मक्के में कैरोटीन होता है
जिसके कारण इसका रंग पीला होता है। इसके अलावा भुट्टे
में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
कार्न को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है,
जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है। आइए हम आपको भुट्टे के फायदे के बारे में जानकारी देते हैं।


भुट्टे के लाभ – खांसी के मरीजों के लिए भुट्टा बहुत फायदेमंद होता है।
भुट्टा जलाकर उसकी राख पीस लीजिए। इसमें
स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लीजिए। हर रोज कम से
कम चार बार एक चौथाई चम्मच हल्का गरम पानी के साथ
फांक लीजिए। खांसी समाप्त हो जाती है। बच्चों के विकास के लिए भुट्टा बहुत फायदेमंद
माना जाता है। ताजे दूधिया (जो कि पूरी तरह से पका न
हो) मक्का के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर उसे
धूप में रखिए। जब उसका दूध सूख कर उड़ जाए और
शीशी में केवल तेल रह जाए तो उसे छान लीजिए। इस तेल
को बच्चों के पैरों में मालिश कीजिए। इससे बच्चों का पैर ज्यादा मजबूत होगा और बच्चा जल्दी चलने
लगेगा।


इस तेल को पीने से शरीर शक्तिशाली होता है। हर रोज
एक चम्मच तेल को चीनी के बने शर्बत में मिलाकर पीने
से बल बढ़ता है। ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस
पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब
की जलन व गुर्दों की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
पथरी निकालने के लिए भी मक्का फायदेमंद है। भुट्टे
और जौ को जलाकर राख कर लीजिए। दोनों को अलग-
अलग पीस कर अलग-अलग शीशियों में भर लीजिए। एक कप पानी में एक-एक चम्मच मक्का और जौ की राख घोलें
फिर छानकर इस पानी को पी लीजिए। इससे पथरी गल
जाएगी और पेशाब में जलन नहीं होगी।
टीबी के मरीजों के लिए मक्का बहुत फायदेमंद है।
टीबी के मरीजों को हर रोज मक्के
की रोटी खाना चाहिए। इससे टीबी के इलाज में फायदा होगा।

नकसीर के घरेलू इलाज.....

क्या करें जब नाक से खून बहे
नकसीर के घरेलू इलाज.....

नकसीर फूटने पर एक चम्मच घास का रस और एक चम्मच
शहद रोगी को चाटना चाहिए।

घास का रस नाक में
डालना भी फायदेमंद रहता है।

रोग की दशा में नाक में अनार के फूल का रस, आम
की गुठली का रस, प्याज का रस डालने से भी रोग में फायदा
पहुँचता है।

रोगी को आराम से लिटाने के पश्चात् उसे
पीली गीली मिट्टी सूँघने को दें। ऐसा करने से नकसीर
आनी बंद हो जाती है।

थोड़े से पानी में फिटकरी का पाउडर घोलकर नाक में
टपकाने से रोग में फायदा होता है।

अंगूर के रस की पाँच बूँदें नाक में टपकाने से नकसीर रोग में
फायदा होता है।

गर्मियों में अगर नकसीर फूटती है तो संभव होने पर
सिर को मुंडवा कर उस पर गाय के घी की मालिश
करनी चाहिए।

माथे पर लाल या पीला चंदन, मुल्तानी मिट्टी का लेप
लगाने से गर्मी से फूटने वाली नकसीर ठीक होती है।

पुराने जुकाम या नजले की वजह से अगर नकसीर फूटती है
तो सबसे पहले इनका उपचार करना चाहिए। घिसे हुए लाल चंदन में मिश्री मिलाकर पीने से भी रोग
में फायदा होता है।

यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है

बारिश की फुहारों से मिटटी के भीगते ही , गमलों में क्यारियों में एक पौधा अपनी आप उग आता है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है.
- कई बाज़ीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं .

- लीवर या यकृत की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर , उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी .
- अगर वर्ष में एक महीने भी इसका काढ़ा ले लिया जाए तो पूरे वर्ष लीवर की कोई समस्या ही नहीं होगी.
- हीपेटाईटिस -B और C के लिए यह रामबाण है . भुई आंवला +श्योनाक +पुनर्नवा ; इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें . ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी बिलकुल ठीक हो जाती है .
- इसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है .
- मुंह में छाले हों तो इनके पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें .
- यह मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है और मुंह पकने पर भी लाभ करता है .
- स्तन में सूजन या गाँठ हो तो इसके पत्तों का पेस्ट लगा लें पूरा आराम होगा .
- जलोदर या असाईटिस में लीवर की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए 5 ग्राम भुई आंवला +1/2 ग्राम कुटकी +1 ग्राम सौंठ का काढ़ा सवेरे शाम लें .
- खांसी में इसके साथ तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर लें .
- यह किडनी के इन्फेक्शन को भी खत्म करती है . इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है . प्रदर या प्रमेह की बीमारी भी इससे ठीक होती है .
- पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें . पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा . ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है .
- शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो इसका पेस्ट पीसकर लगा दें . इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है .
- पस सेल्स बढने पर भी इसे लिया जा सकता है .
- खुजली होने पर इसके पत्तों का रस मलने से लाभ होता है . - पुराना बुखार हो और भूख कम लगती हो तो , इसके साथ मुलेठी और गिलोय मिलाकर ; काढ़ा बनाकर , लें .
- रक्त प्रदर की बीमारी होने पर इसके साथ दूब का रस मिलाकर 2-3 चम्मच प्रात: सायं लें. आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर इसके साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा .
- इसका उपयोग घरेलू औषधीय के रूप में जैसे ऐपेटाइट, कब्ज. टाइफाइट, बुखार, ज्वर एवं सर्दी किया जाता है।
- पीलिया में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है।
- वैकल्पिक रूप से इसके पेस्ट को बकरी के दूध के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। पीलिया के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर भी इसकी पत्तियों को सीधे खाया जाता है।
- इसे मूत्र तथा जननांग विकारों के लिये उपयोग किया जाता है।
- प्लीहा एवं यकृत विकार के लिये इसकी जडों के रस को चावल के पानी के साथ लिया जाता है।
- इसे अम्लीयता, अल्सर, अपच, एवं दस्त में भी उपयोग किया जाता है।
- मलेरिया के बुखार में इसके संपूर्ण पौधे का पेस्ट तैयार करके छाछ के साथ देने पर आराम मिलता है।
- इसे बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर देने से लाभ पहुँचाता है।
- इसकी पत्तियाँ शीतल होती है.
- इसकी पत्तियाँ गर्भाधान को प्रोत्सहित करती है।
- इसकी जड़ो एवं बीजों का पेस्ट तैयार करके चांवल के पानी के साथ देने पर महिलाओ में रजोनिवृत्ति के समय लाभ मिलता है।
- इसकी जडों का पेस्ट बच्चों में नींद लाने हेतु किया जाता है।
- इसकी पत्तियों का पेस्ट आंतरिक घावों सुजन एवं टूटी हड्डियो पर बाहरी रूप से लगाने में किया जाता है।
- एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पिलिया एवं पेट में ट्यूमर होने की दशा में उपयोग किया जा सकता है।

गुणों की खान गर्म पानी

गुणों की खान गर्म पानी
पानी स्वास्थ्य  के लिए लाभाकारी होता है और गर्म पानी स्वास्थ्य  के लिए एक गुणकारी दवा के रूप में काम करता है। स्वास्थ्य  से लेकर सौंदर्य तक को निखारने में गर्म पानी लाभदायक है।

गर्म पानी औषधीय गुणों की खान है। पानी को अगर थोड़ा गर्म करके लें तो कब्ज को दूर करने में भी मदद मिलती है। यदि आपको मोटापे से पाना है छुटकारा तो आपको गर्म पानी का सेवन करना चाहिए। आइए जानें गुणों की खान गर्म पानी के बारे में।

सामान्य पानी जहां स्वास्थ्य  लाभ के लिए आवश्यक है वहीं गर्म पानी सेहत के लिए एक गुणकारी दवा का काम करता है।

गर्म पानी से स्नान जहां थकान मिटाने का सबसे अच्छा साधन है, वहीं त्वचा को निखारने और त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी गर्म पानी से स्नान करना अच्छा है।

जैसा की सभी जानते हैं कि गर्म पानी सौंदर्य और स्वास्थ्य दोनों ही दृष्टि से अचूक दवा है और यदि इसी में गुलाब जल डाल लिया जाए तो इसे धीरे-धीरे शरीर पर डालकर बहुत आराम मिलता है और शरीर में होने वाला दर्द भी चुटकियों में गायब हो जाता है।

यदि आप बहुत मेहनत करते हैं तो दिनभर ज्यादा थकान हो जाती है, ऐसे में हल्कापन महसूस करने और थकान मिटाने के लिए गर्म पानी बहुत लाभदायक है।

यदि आप गुनगुने पानी का सेवन प्रतिदिन करते हैं तो आप अधिक तरोताजा महसूस करेंगे।
गर्म पानी का इस्तेमाल वजन कम करने, रक्त प्रवाह को संतुलित बनाने और रक्त प्रवाह का संचार ठीक से करने में भी लाभकारी है।

गर्म पानी के साथ नींबू और शहद का मिश्रण बनाकर सेवन करने से आपकी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और वजन कम करने में भी ये नुस्खा लाभदायक है।

ठंडे पानी को जहां गुर्दों के लिए हानिकारक माना जाता है वही गुर्दों की सेहत अच्छी बनाए रखने के लिए दिन में कम से कम दो बार यानी सुबह-शाम गुनगुना पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में मौजूद गंदगी का जमाव नहीं हो पाता।

गुनगुने पानी को हड्डियों और जोड़ों की सेहत के लिए भी जरूरी माना जाता है। गुनगुना पानी जोड़ों के बीच के घर्षण को कम करने में मदद करता है, जिससे भविष्य में गठिया जैसी गंभीर बीमारियों के होने की आशंका कम हो जाती है। इसे सिर्फ एक भ्रम माना जाता है कि गर्म पानी शरीर के सभी तंत्रों की जरूरत को उस तरह नहीं पूरा कर पाता, जिस तरह ठंडा पानी करता है।

दरअसल, श्वास और गुर्दे संबंधी रोगों में ठंडा पानी बिल्कुकल नहीं पीना चाहिए क्योंकि यह फेफड़ों और गुर्दो की क्रियाविधि को उत्तेजित कर देता है जो कि फेफड़ों और गुर्दों के लिए हानिकारक स्थिति है।

इसके अलावा भी गर्म पानी के बहुत से लाभ है, यदि आप नियमित रूप से चाहे थोड़ी मात्रा में ही गुनगुने पानी का सेवन करेंगे तो आप भविष्य में होने वाली कई आशंकित बीमारियों के होने से बच जाएंगे।

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