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सोमवार, 5 जुलाई 2021

करे उपवास पाए ये फायदे खास, जानिए एक दिन भूखे रहने पर शरीर को क्या मिलता है चमत्कारी लाभ


करे उपवास पाए ये फायदे खास, जानिए एक दिन भूखे रहने पर शरीर को क्या मिलता है चमत्कारी लाभ

 क्या आपको पता हैं एक दिन भूखे रहने से होते है ये 7सेहत लाभ, जरूर जानें
 
आइए जानते है हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से क्या फायदे होते है।

1 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से शरीर का आंतरिक शुद्ध‍िकरण होता है। इससे शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और शरीर स्वस्थ होता है।

2 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से अपच, गैस, कब्ज, डायरिया, एसिडिटी, जलन आदि में फायदेमंद है। इस दौरान आप फलों का सेवन जरूर कर सकते हैं।

3 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से शरीर में ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है, जिससे इनसे जुड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स में लाभ होता है।

4 हफ्ते में एक दिन भूखे रहना दिल के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि इससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है जो हार्ट संबंधी परेशानियों का प्रमुख कारण है।

5 आपका पाचन तंत्र बेहतर काम करे इसलिए भी आपको एक दिन का भोजन छोड़ देना चाहिए। सप्ताह में कम से कम 1 दिन भोजन से दूरी बनाने से
पाचन तंत्र को राहत मिलती है और वह बेहतर कार्य करने के लिए तैयार होता है। 

6 रिसर्च बताती है कि कैंसर के कीटाणु परजीवी होते है और अगर उनको 8 घंटे से ज्यादा समय तक भोजन नहीं मिले तो नष्ट होना शुरू हो जाते है अर्थात यदि आप उपवास करेंगे तो कैंसर को भी खत्म करेंगे

7 आपके 1दिन का उपवास करेगा परोपकार और 1व्यक्ति को खाना देगा उसे भूखा नहीं सोने देगा 

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

बवासीर, भगंदर से है परेशान तो ये उपाय अवश्य आजमाएं बीमारी होगी दूर


बवासीर, भगंदर से है परेशान तो ये उपाय अवश्य आजमाएं बीमारी होगी दूर

बवासीर के घरेलू इलाज

पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें

20ग्राम कालीमिर्च 10ग्राम जीरा 15ग्राम शर्करा या मिश्री को पीसकर चूर्ण बना लें और सुबह v रात को सोते समय पानी के साथ सेवन करे

10ग्राम अनार के छिलकों को पीसकर पाउडर बना कर 100 ग्राम दही के साथ सेवन करे

मुनक्का के १५ दाने साफ पानी में रात भर भिगोकर रखे और सुबह उनके बीज निकाल कर खूब चबाचबा कर खाए

आवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।

बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।

सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छा
न लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।

सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।

आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।

आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।

सब्जी - पत्ता गोबी सुरण चिरायता

लेप लगाए - हिंग का लेप

जूस पिए - मुली का रस, अदरक का रस घी डालकर, नागर मोथा, नारियल पानी।

दूध में उबालकर छुवारो का प्रतिदिन सेवन करे

खाली पेट पपीता सेवन बवासीर दूर करता है

तुलसी अर्क का सेवन बवासीर में लाभप्रद है

त्रिफला कुटक और ढाक का प्रयोग बवासीर में लाभ प्रदान करता है 

रटिंहया व नाइट्रिक एसिड का भी उपयोग बवासीर में फायदेमंद होता है

*मस्से वाली बवासीर ( पाइल्स ) - होम्योपैथिक दवा*

1) Calcarea Flour 6X
   4-4 गोली चूसना है, दिन में तीन बार, खाने से आधा घंटा पहले लें ।

2) Acid Nitricum 30
   2-2 बूंद जीभ पर, दिन में तीन बार, खाने से आधा घंटा पहले लें ।

- दोनों दवा के बीच में कम से कम 10 मिनट का अंतर रखें ।

*बवासीर ( Piles ) - होम्योपैथिक दवा*

1) Hamamelis Virginica Q
2) Paeonia Officinalis Q
3) Aesculus Hippocastanum Q
    
तीनों दवा 30ml का सील पैक लें, 100ml के खाली बोतल में तीनों दवा को अच्छे से मिलाकर रख लें ।
20 बूंद आधा कप पानी में मिलाकर पिए, दिन में तीन बार, खाने से आधा घंटा पहले ।

4) Bio Combination 17
 4-4 गोली चूसना है, दिन में तीन बार, खाने से आधा घंटा पहले ।
  
 - दोनों दवा के बीच में कम से कम 10 मिनट का अंतर रखें ।

- दवा और 100ml का खाली बोतल होम्योपैथिक दुकान पर मिलेगा ।

*भगन्दर : पस्त होने की जरूरत नहीं क्षार चिकित्सा पद्धति द्वारा भगन्दर का इलाज*

भगन्दर गुदा क्षेत्र में होने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसमें गुदा द्वार के आस पास एक फुंसी या फोड़ा जैसा बन जाता है जो एक पाइपनुमा रास्ता बनाता हुआ गुदामार्ग या मलाशय में खुलता है। शल्य चिकित्सा के प्राचीन भारत के आचार्य सुश्रुत ने भगन्दर रोग की गणना आठ ऐसे रोगों में की है जिन्हें कठिनाई से ठीक किया जा सकता है। इन आठ रोगों को उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ सुश्रुत संहिता में 'अष्ठ महागदÓ कहा है।

*भगन्दर कैसे बनता है?*
गुदा-नलिका जो कि एक व्यस्क मानव में लगभग 4 से.मी. लम्बी होती है, के अन्दर कुछ ग्रंथियां होती हैं व इन्ही के पास कुछ सूक्ष्म गड्ढे जैसे होते है जिन्हें एनल क्रिप्ट कहते हैं; ऐसा माना जाता है कि इन क्रिप्ट में स्थानीय संक्रमण के कारण स्थानिक शोथ हो जाता है जो धीरे धीरे बढ़कर एक फुंसी या फोड़े के रूप में गुदा द्वार के आस पास किसी भी जगह दिखाई देता है। यह अपने आप फूट जाता है। गुदा के पास की त्वचा के जिस बिंदु पर यह फूटता है, उसे भगन्दर की बाहरी ओपनिंग कहते हैं।

भगन्दर के बारे में विशेष बात यह है कि अधिकाँश लोग इसे एक साधारण फोड़ा या बालतोड़ समझकर टालते रहते हैं, परन्तु वास्तविकता यह है कि जहाँ साधारण फुंसी या बालतोड़ पसीने की ग्रंथियों के इन्फेक्शन के कारण होता है, जो कि त्वचा में स्थित होती हैं; वहीँ भगन्दर की शुरुआत गुदा के अन्दर से होती है तथा इसका इन्फेक्शन एक पाइपनुमा रास्ता बनाता हुआ बाहर की ओर खुलता है। कभी कभी भगन्दर का फोड़ा तो बनता है, परन्तु वो बाहर अपने आप नहीं फूटता है। ऐसी अवस्था में सूजन काफी होती है और दर्द भी काफी होता है।

*भगन्दर के लक्षण*
गुदा के आस पास एक फुंसी या फोड़े का निकलना जिससे रुक-रुक कर मवाद (पस) निकलता है

कभी कभी इस फुंसी/फोड़े से गैस या मल भी निकलता है।

प्रभावित क्षेत्र में दर्द का होना

प्रभावित क्षेत्र में व आस पास खुजली होना

पीडि़त रोगी के मवाद के कारण कपडे अक्सर गंदे हो जाते हैं।

*भगन्दर प्रकार*
आचार्य सुश्रुत ने भगन्दर पीडिका और रास्ते की आकृति व वात पित्त कफ़ दोषों के अनुसार भगन्दर के निम्न 5 भेद बताएं हैं;

शतपोनक
उष्ट्रग्रीव
परिस्रावी
शम्बुकावृत्त
उन्मार्गी

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार भी फिश्चुला का कई प्रकार से वर्गीकरण किया गया है परन्तु चिकित्सा की दृष्टि से दो प्रकार का वर्गीकरण उपयोगी है;

लो-एनल : चिकित्सा की द्रष्टि से सरल माना जाता है।
हाई-एनल : चिकित्सा की दृष्टि से कठिन माना जाता है।

*भगन्दर का निदान*
चिकित्सक स्थानिक परीक्षण द्वारा भगन्दर का चेक-अप करते हैं तथा एक विशेष यन्त्र एषनी के द्वारा भगन्दर के रास्ते का पता किया जाता है।

आजकल एक विशेष एक्स रे जिसे फिस्टुलोग्राम कहते है, की सहायता से भगन्दर के ट्रैक का पता किया जाता है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी एमआरआइ की सलाह भी चिकित्सक देते हैं।

*आयुर्वेद क्षार सूत्र चिकित्सा*
आयुर्वेद में एक विशेष शल्य प्रक्रिया जिसे क्षार सूत्र चिकित्सा कहते हैं, के द्वारा भगन्दर पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है। इस विधि में एक औषधियुक्त सूत्र (धागे) को भगन्दर के ट्रैक में चिकित्सक द्वारा एक विशेष तकनीक से स्थापित कर दिया जाता है। क्षार सूत्र पर लगी औषधियां भगन्दर के ट्रैक को साफ़ करती हैं व एक नियंत्रित गति से इसे धीरे धीरे काटती हैं। इस विधि में चिकित्सक को प्रति सप्ताह पुराने सूत्र के स्थान पर नया सूत्र रखते है।

*कारण*
भगंदर होने के कई कारण हो सकते है। कुछ प्रमुख कारण निम्न प्रकार है-

गुदामार्ग की अस्वच्छता

लगातार लम्बे समय तक कब्ज बने रहना।

अत्यधिक साइकिल या घोड़े की सवारी करना।

बहुत अधिक समय तक कठोर, ठंडे गीले स्थान पर बैठना।

गुदामैथुन की प्रवृत्ति।

मलद्वार के पास उपस्थित कृमियों के उपद्रव के कारण।

गुदा में खुजली होने पर उसे नाखून आदि से खुरच देने के कारण बने घाव के फलस्वरूप।

गुदा में आघात लगने या कट - फट जाने पर।

गुदा मार्ग पर फोड़ा-फुंसी हों जाने पर।

गुदा मार्ग से किसी नुकीले वस्तु के प्रवेश कराने के उपरांत बने घाव से।

आयुर्वेदानुसार जब किसी भी कारण से वात और कफ प्रकुपित हो जाता है तो इस रोग के उत्पत्ति होती है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

छाछ : अत्यधिक तनाव कम कर दिमाग को ठंडा रखती है और इसे पीने के फायदे और नुस्खे

छाछ :अत्यधिक तनाव कम कर दिमाग को ठंडा रखती है और भी जानिए इसे पीने के फायदे और नुस्खे

 
1 छाछ का सेवन भुने जीरे के साथ किया जाए, तो पाचन अच्छे से होता है और पेट की गर्मी व अन्य समस्याओं से बचा जा सकता है। यह तरलता बनाए रखने में भी मददगार है।

 2 मोटापा अधिक होने पर छाछ को छौंककर सेंधा नमक डालकर पीने से फायदा होता है। उच्च रक्तचाप होने पर गिलोय का चूर्ण मट्ठे के साथ लेना चाहिए। वहीं सुबह-शाम मट्ठा या दही की पतली लस्सी पीने से स्मरण शक्ति तेज होती है।

 3 बार-बार हिचकी आने की समस्या हो, तो छाछ में एक चम्मच सौंठ डालकर सेवन करना लाभदायक होगा। ऊल्टी आने या जी मचलाने पर छाछ में जायफल घिसकर इसके मिश्रण को पीने से लाभ मिलता है।

 4 सौंदर्य समस्याओं के लिए भी छाछ बेहद फायदेमंद चीज है। छाछ में आटा मिलाकर बनाए गए लेप को लगाने से त्वचा की झुर्रियां कम होती हैं। इसके अलावा गुलाब की जड़ को छाछ में पीसकर चेहरे पर लगाने से मुहांसे खत्म हो जाते हैं।

 5 अगर आप अत्यधिक तनाव से गुजर रहे हैं, तो नियमित छाछ का सेवन आपके लिए लाभदायक होगा। वहीं शरीर के साथ-साथ दिमाग की गर्मी को कम करने में भी छाछ का सेवन लाभप्रद है।

 6 शरीर के किसी भाग में जल जाने पर तुरंत छाछ लगाने से लाभ होता है। खुजली की समस्या होने पर अमलतास के पत्ते छाछ में पीस लें और शरीर पर मलें। कुछ देर बाद स्नान करें। शरीर की खुजली नष्ट हो जाती है।

 7 बाल झड़ने पर भी छाछ असरकारी है। इसके लिए बासी छाछ से सप्ताह में दो दिन बालों को धोना लाभप्रद होता है।


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः


पुराने स्टाम्प का उपयोग कब तक करना वैध है, और जानिए क्या स्टाम्प का धन रिफंड भी होता है?


पुराने स्टाम्प का उपयोग कब तक करना वैध है, और जानिए क्या स्टाम्प का धन रिफंड भी होता है?


स्टांप पेपर का इस्तेमाल कई काम में होता है. खासकर कानूनी कार्यों में इसका महत्व और बढ़ जाता है. प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री या व्यावसायिक कागजात बनवाने के लिए सरकार को कुछ शुल्क देना होता है जिसे स्टांप ड्यूटी के रूप में चुकाते हैं. यह स्टांप ड्यूटी स्टांप पेपर के रूप में दिया जाता है. केंद्र सरकार की तरफ से इंडियन स्टांप एक्ट, 1899 बनाया गया है जिसके तहत स्टांप ड्यूटी की अदायगी होती है. लेकिन राज्यों का भी अपना अलग नियम होता है जिसके मुताबिक अलग-अलग राज्यों में स्टांप ड्यूटी भिन्न हो सकती है.

सेल डीड, लीज डीड, सिक्योरिटी या जुर्माना चुकाने की नौबत आए तो उसमें स्टांप पेपर का बड़ा रोल होता है. कई बार ऐसा होता है कि लोग स्टांप पेपर खरीद कर रख लेते हैं कि आगे काम आएगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है. कई बार स्टांप पेपर बेकार भी हो जाता है. कुछ नियमों में ऐसे बेकार हुए या पुराने पड़े स्टांप पेपर पर अलाउंस मिलता है या रिफंड मिलता है. लेकिन इसमें यह देखा जाता है कि स्टांप पेपर कितना पुराना है. ऐसे में यह सवाल अहम हो जाता है कि स्टांप पेपर कितने महीने या कितने साल पुराना चल सकता है.

*कितनी अवधि के लिए स्टांप पेपर*
बिजनेस के लिहाज में यह सवाल और भी अहम होता है कि भारत में किसी स्टांप पेपर की मियाद कितने दिनों की होती है. क्या जितने रुपये का ट्रांसजेक्शन करना है, हमें उसी हिसाब से स्टांप पेपर खरीदना चाहिए? क्या स्टांप पेपर की भी एक्पायरी होती है? क्या जिस स्टांप पेपर का इस्तेमाल नहीं हो सका, उसे रिफंड किया जाता है? ये ऐसे सवाल हैं जो अकसर उठाए जाते हैं.

*क्या कोई एक्सपायरी डेट होती है*
नियम की बात करें तो इंडियन स्टांप एक्ट किसी भी एक्सायरी डेट के बारे में जिक्र नहीं करता. यानी कि स्टांप पेपर कभी एक्सपायर नहीं होता. हालांकि इंडियन स्टांप एक्ट की धारा 54 में इसकी कुछ लिमिटेशन के बारे में जरूर बताया गया है.

*क्या अनयूज्ड स्टाम्प पेपर का रिफंड मिलता है*
धारा 54 बताती है कि अगर कोई स्टांप पेपर खरीदार के इस्तेमाल में नहीं आता है तो उस पर अलाउंस या रिफंड मिल सकता है. लेकिन यह तभी होगा जब कटा-फटा न हो. नियम के मुताबिक अगर स्टांप पेपर खरीदार के इस्तेमाल नहीं आ रहा हो तो वह उसके खरीदने के बाद 6 महीने तक रिफंड ले सकता है.

*सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है*
इस बात को स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तिरुवेंगडा पिल्लई बनाम नवनीतमाल, (2008) 4 एससीसी 530 में कहा है कि “धारा 54 में निर्धारित छह महीने की अवधि केवल स्टांप पेपर के रिफंड को पाने के लिए है न कि स्टांप पेपर के उपयोग के लिए”. कोर्ट ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि एक स्टांप पेपर का उपयोग करने में कोई दिक्कत नहीं है जिसे दस्तावेज़ में उपयोग करने से छह महीने पहले खरीदा गया हो.

*क्या है नियम*
IndiaCorpLaw के एक विश्लेषण में कहा गया है, जैसा कि ऊपर कहा गया है, एक स्टांप पेपर की कोई समाप्ति तिथि या एक्सपायरी नहीं होती है और किसी भी समय किसी दस्तावेज़ के लिए उपयोग किया जा सकता है. हालांकि, यदि लेन-देन या उसके इस्तेमाल नहीं होने की संभावना है, तो बिना उपयोग किए गए स्टांप पेपर को वापसी के लिए खरीद के छह महीने के भीतर स्टांप कलेक्टर को वापस कर दिया जाना चाहिए. यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि धारा 54 में निर्धारित सीमा अवधि में कोई छूट नहीं है.

🇮🇳 वन्दे मातरम

रविवार, 4 जुलाई 2021

परंपरा कैसे जन्म लेती है...?


परंपरा कैसे जन्म लेती है...? 😄😄

एक कैम्प में नए कमांडर की पोस्टिंग हुई....
इंस्पेक्शन के दौरान उन्होंने देखा कि कैम्प एरिया के मैदान में दो सिपाही एक बैंच की पहरेदारी कर रहे हैं.....😄

कमांडर ने सिपाहियों से पूछा कि वे इस बैंच की पहरेदारी क्यों कर रहे हैं ? 

सिपाही बोले:- हमें पता नहीं सर, लेकिन आपसे पहले वाले कमांडर साहब ने इस बैंच की पहरेदारी करने को कहा था.....😄
शायद ये इस कैम्प की परंपरा है क्योंकि......
शिफ्ट के हिसाब से चौबीसों घंटे इस बैंच की पहरेदारी की जाती है.... 😄

वर्तमान कमांडर ने पिछले कमांडर को फोन किया और उस विशेष बैंच की पहरेदारी की वजह पूछी.....? 😎

पिछले कमांडर ने बताया:- मुझे नहीं पता, लेकिन मुझसे पिछले कमांडर उस बैंच की पहरेदारी करवाते थे.......
अतः मैंने भी परंपरा को कायम रखा..... 😄

नए कमांडर बहुत हैरान हुए....😎
उन्होंने पिछले के और पिछले-पिछले 3 कमांडरों से बात की......😎
सबने उपरोक्त कमांडर जैसा ही जवाब दिया....😎
यूं ही पीछे के इतिहास में जाते नए कमांडर की बात फाइनली एक रिटायर्ड जनरल से हुई जिनकी उम्र 100 साल थी.....😎 

नए कमांडर उनसे फोन पर बोले:-
आपको डिस्टर्ब करने के लिए क्षमा चाहता हूं सर.....
मैं उस कैम्प का नया कमांडर हूं......
जिसके आप, 60 साल पहले कमांडर हुआ करते थे...😄
मैंने यहां दो सिपाहियों को एक बैंच की पहरेदारी करते देखा है.....😄
क्या आप मुझे इस बैंच के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं....?ताकि मैं समझ सकूं कि, इसकी पहरेदारी क्यों आवश्यक है....? 😄😄

सामने वाला फोन पर आश्चर्यजनक स्वर में बोला:-
क्या ? उस बैंच का "ऑइल पेंट" अभी तक नहीं सूखा........?
😄😄😄

ट्रकों पर कोरोना शायरी


*ट्रक के पीछे जब हमारी गाडी होती है, तब कई बार पीछे लिखी रोचक शायरी पढने को मिलती है ।  किसी ने 'ट्रकों पर कोरोना शायरी’’ की अनूठी पहल की है और यह कोरोना शायरी भी उसी रोचक और मौजी अंदाज में लिखी हैं । इसमें अनेक भावों के साथ वैक्सीन लगवाने और मास्क का निरंतर उपयोग करने के संदेश हैं।* 

*"देखो मगर प्यार से….*
*कोरोना डरता है वैक्सीन की मार से"*
—-
*"मैं खूबसूरत हूं मुझे नजर न लगाना*
*जिंदगी भर साथ दूंगी, वैक्सीन जरूर लगवाना"*
—-
*"हंस मत पगली, प्यार हो जाएगा*
*टीका लगवा ले, कोरोना हार जाएगा"*
—-
*"टीका लगवाओगे तो बार-बार मिलेंगे*
*लापरवाही करोगे तो हरिद्वार मिलेंगे"*
—-
*"यदि करते रहना है सौंदर्य दर्शन रोज-रोज*
*तो पहले लगवा लो वैक्सीन के दोनों डोज"*
—-
*"टीका नहीं लगवाने से*
*यमराज बहुत खुश होता है।"*
*"चलती है गाड़ी, उड़ती है धूल*
*वैक्सीन लगवा लो वरना होगी बड़ी भूल"*
—-
*"बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला*
*अच्छा होता है वैक्सीन लगवाने वाला"*
—-
*"कोरोना से सावधानी हटी,*
*तो समझो सब्जी-पूड़ी बंटी"*
—-
*"मालिक तो महान है, चमचो से परेशान है।*
*कोरोना से बचने का, टीका ही समाधान है।*

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए 200 काले ओर घटिया कानूनों को बदलने ओर हटाने के लिए आंदोलन 8 अगस्त 2021


पहली बार कोई सकारात्मक आन्दोलन आजाद भारत में शुरु होने की आहट हुई है। इससे नेहरु और गान्धी की कुछ नई तस्वीर सामने आयेगी जो आज तक मिडिया ने छुपाकर रक्खी गई है। में पूरी तरह से तन, मैन, धन और अपनी जानकारी के साथ इस उद्देश्य मे समरपित हुँ।       
 
मित्रों ! जानिए - मानिए - करिए सहयोग*

प्रथम बार देश के पुराने कानूनों को हटाकर, नए, न्यायपूर्ण, राष्ट्रीय कानूनों को बंधारण में लाने हेतु, 
राष्ट्रवादी - बुद्धिजीवी - संस्कृतिप्रेमीओ द्वारा संचालित एक देशव्यापी आंदोलन को जानने हेतु आपका अमूल्य समय निकालिए। 

 =🇮🇳 *राष्ट्रीय पहल* 🇮🇳==
सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रवादी, हिन्दूवादी वरिष्ठ वकील श्री अश्वीनी उपाध्याय 8 अगस्त 2021 को दिल्ली मे पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ की टीम के साथ उन पुराने ओर अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए 200 काले ओर घटिया कानूनों को बदलने ओर हटाने के लिए आंदोलन करने जा रहे है जिनको बनाकर अंग्रेजो ने इस देश को लुटा था, इस देश की सनातन संस्कृति,शिक्षा पद्धति (गूरुकुल)को नष्ट किया था ओर अंग्रेजो के बाद इन घटिया कानूनों के द्वारा कांग्रेसी, वामपंथी, कम्युनिस्ट और अलगाववादी जैसी राष्ट्रविरोधी सरकारों ने इस देश को लूटा, देश का इतिहास बदला ओर इन कमजोर कानूनों की मदद से ही ये सारे राष्ट्रविरोधी राजनीतिक दल अब तक देश के खिलाफ षडयंत्र कर रहे है हिन्दूओ का धर्मांतरण कर रहे है इन कानूनों की वजह से ही देश का हिंदू देश मे ही केरल, कश्मीर, बंगाल जेसे राज्यों से पलायन करने को मजबूर हुआ ओर इन राज्यो मे हिंदु ओर हिन्दू संस्कृति कमजोर हो गई या नष्ट हो गई इस आंदोलन मे अश्वीनी उपाध्याय जी के साथ देश के उच्च शिक्षित ओर उच्च पदो पर सेवा दे चुके लोग शामिल है जो राष्ट्र को बचाना चाहते है, घुसपैठियो को भगाना चाहते है, हिन्दू सनातन संस्कृति की रक्षा करना चाहते है, जिहाद, आतंकवाद की समस्या को जड़ से खत्म करना चाहते है 
1.जनरल GD बक्क्षी (पुर्व आर्मी आफिसर)
2.कर्नल RSN सिंह (पुर्व RAW आफिसर)
3.सूशील पंडित(1990 के पीड़ित कश्मीरी पंडितों के नेता)
4.विष्णु शंकर जैन(सुप्रीम कोर्ट मे राम मंदिर के पक्षकार)
5.देवदत्त मांझी (बंगाल के राष्ट्रवादी हिन्दूवादी नेता)
6.अंकुर शर्मा (जमु कश्मीर के राष्ट्रवादी नेता)
7.आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा
8.प्रोफेसर कपिल कूमार (दिल्ली मे सुभाषचंद्र बोस का म्यूजियम बनाने वाले)
9.ललित अम्बरदार (1990 के पीड़ित कश्मीरी पीड़ित)
10.नीरज अत्री (देश मे कांग्रेस ओर कम्युनिस्टों के बनाए गए  education system को उजागर करने वाले)
11.विक्रम सिंह(उ.प्र के पुर्व DGP)
12.RVS मणि(केंद्र सरकार मे पुर्व officer)
13.यति नरसिंहानंद सरस्वती जी (डासना मंदिर विवाद मे जिहादियों का विरोध करने वाले)
14.कालीचरण महाराज
15.captain सिकंदर रिजवी(पाक अधिकार वाले कश्मीर प्रांत गिलगित बाल्टिस्तान के नेता)
16.अभिनेता पूनीत  इस्सर (महाभारत के दूर्योधन)
17.वसीम रिजवी(कुरान की 26 आयतो के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाले) 
18. एन.के सूद (पुर्वRAW officer) 
19.मेजर गौरव आर्य(पुर्व indian army officer) 
20. विवेक अग्निहोत्री (फिल्म निर्माता, निर्देशक) 
ओर भी राष्ट्रवादी, राष्ट्रप्रेमी लोग इस आंदोलन का हिस्सा है, आयोजक है, संयोजक है
संभवतः 1947 के बाद ये देश का पहला ऐसा आंदोलन होगा जिसमे राष्ट्रीय चेतना होगी ओर देशभक्त लोग शामिल होगे अभी तक देश मे बडे़ आंदोलन(CAA एवं NRC के खिलाफ शाहीन बाग ओर किसान आंदोलन)राजनीतिक स्वार्थ के लिए ओर राष्ट्र को तोड़ने के लिए गद्दारों ने दुश्मन देशों की मदद से किए है पर यह पहला आंदोलन है जो राष्ट्रहित मे, हिन्दूधर्म के हित मे ओर भारतीय संस्कृति के हित मे है ओर 2011 के अन्ना हजारे के आंदोलन की तरह गुमराह नही होगा
याद रखना
1.भारत के 9 राज्यों मे हिन्दू 10% से कम हो चुके है वहा दुश्मन देशों के दलाल सरकार चला रहे है
2. कांग्रेस ने 2006 मे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर अप्लसंख्यक आयोग बनाया जो इन गद्दारो को कई तरह की सुविधा देता है
3. वक्फबोर्ड जमीन का कानून जिसके कारण ही मथुरा मे कृष्णजन्म भुमि पर ईदगाह बन गई
4.हमारे दिये Tax से मदरसो के मोलवी ओर जमातियो को वजीफा, पेंशन आदि दिया जा रहा है
5.हिन्दूमंदिरों के चढ़ावे, पैसे पर देश की सरकार का कब्जा है सरकार ये पैसा हिन्दू समाज के लिए उपयोग नही करती जबकि मस्जिदों का चढ़ावा, पेसा मुस्लिम समाज के लोगों के लिए ओर उनकी धार्मिक गतिविधियों के लिए ही उपयोग होता है ओर आप जानते ही हो ये गतिविधिया किस प्रकार की है
ये तो हुए वो मुद्दे जो हिन्दूधर्म, हिन्दू संस्कृति के खिलाफ है इनके अलावा ओर भी बहुत से कानून नियम हिन्दू धर्म के विरोध मे है

ओर अब वे कमजोरिया, वे मुद्दे ओर कानून जो देश को खोखला कर रहे है
6. करोड़ों रुपये का घोटाला करने के बाद भी किसी नेता को सिर्फ 7 साल की सजा क्यों??
7. भारत मे ही घुसपैठ क्यों हो रही है अमेरिका, चायना, इजराइल ओर फ्रांस मे क्यो नही?? 
8.लगभग 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है उसे अल्पसंख्यक का दर्जा ओर अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली सुविधाएं नही मिल रही क्यों??
9. देश मे मुसलमानों को अपने धर्म की शिक्षा ओर धार्मिक ग्रंथ कुरान को पढा़ने की अनुमति है पर हिन्दूओ को नही क्यों?? 
10. देश मे मिलावटखोरो के लिए भी 7 साल की सजा, बलात्कारियों के लिए भी 7 साल की सजा, धर्म परिवर्तन करवाने वालो के लिए भी 7 साल की सजा, देश से गद्दारी करने वाले के लिए भी 7 साल की सजा, करोड़ों रुपये का घोटाला करने वालो के लिए भी 7 साल की सजा ओर तो ओर कई मामलो मे देश पर हमला करने वाले, देश के खिलाफ षड्यंत्र करने वाले को भी 7 साल की सजा ही मिलती है क्यों??? 
देश की सारी समस्याओं की जड़ इस तरह के लगभग 200 से ज्यादा कानून है जो अंग्रेज़ों ने कई वर्षों पहले अपने हिसाब से देश को लुटने के लिए बनाए थे इनको बदलना हटाना बहुत आवश्यक है अभी सरकार भी देश के अनुकूल है अगर 100 करोड़ हिन्दूओ मे से 50 करोड़ हिन्दू भी अपने राष्ट्र के लिए, अपने धर्म के लिए चिंतित है ओर उनमे से 10% यानि 5 करोड़ लोग भी अगर 8 अगस्त को दिल्ली पहुँच जाते है तो सरकार को आपकी बात, आपकी मांगे माननी ही होगी
ये आंदोलन के आयोजक ओर कार्यकर्ता वो लोग है जो इस देश की सरकारी सेवाओ (सेना,खुफिया एजेंसी, पुलिस शिक्षा,ब्युरोक्रेसी) मे रह चुके है और इसलिए ये लोग सब जानते है इसलिए इनका साथ दीजिये

माना कि हर हर कोई दिल्ली नही जा सकता पर इस मेसेज को जितने लोगो को भेज सकता है भेजे हर राष्ट्रवादी हिन्दू के पास ये मेसेज होना चाहिए
.... याद रखिये 8 अगस्त 2021🇮🇳🇮🇳

मिर्ची बड़ा पुराण


मिर्ची बड़ा पुराण :-

यदि आपने कभी मिर्चीबड़ा का नाम नही सुना। कभी खाया नही । तो मैं बेहिचक मान लूंगा कि आप एलियन हैं।

कोई इस पृथ्वी पर जन्में और बिना मिर्चीबड़ा खाये मर जाये , ये तो हो ही नही सकता।

मिर्ची बड़े के लिए जोधपुर के एक शायर ने जोरदार जुमला जड़ा है..

वे कहते हैं-बेसन के कफ़न में लिपटा,

मिर्च का ताबूत है मिर्चीबड़ा।

बेसन के घोल में सुनहरे तले हुये कवर में लम्बी हरि मिर्ची के साथ भरे मसालेदार दुष्ट आलूओ का दल है ये। जो सदियों से नशे की तरह जोधपुरियो के दिल दिमाग पर हावी बना हुआ है।

हमारा राष्ट्रीय भोजन है ये। सुबह नाश्ते मे मिर्चीबड़ा हों, दोपहर मे भूख लगने पर मिल जाये ये या शाम को चाय के साथ ही इनके दर्शन हो जायें, किसी की मजाल नही जो इन्हे ना कह दे।

मिर्चिबड़े का भूख से कोई लेना देना नही होता। पेट भरा है, ये नियम मिर्चिबड़े पर लागू नही होता। मिर्चिबड़े सामने हों तो दिमाग काम करना बंद कर देता है। दिल मर मिटता है मिर्चीबड़े पर। ये बेबस कर देते हैं आपको। मिर्चीबड़े को कोई बंदा ना कह दे ऐसे किसी शख्स से मै अब तक मिला नही हूँ।

मिर्चीबड़े मे बडी एकता होती है। इनमें से कोई अकेला आपके पेट मे जाने को तैयार नही होता। आप पहला मिर्चीबड़ा खाते हैं तो आँखे दूसरे मिर्चीबड़े को तकने लगती है, तीसरा आपके दिमाग पर कब्जा कर लेता है और दिल की सवारी कर रहे चौथे मिर्चीबड़ेे की बात आप टाल नही पाते।

मिर्चीबड़े को देखते ही आपकी समझदारी घास चरने चली जाती हैं। आप अपने डॉक्टर की सारी सलाह, अपने कोलेस्ट्राल की खतरनाक रिपोर्ट भूल जाते हैं। पूरी दुनिया पीछे छूट जाती है आपके और आप मिर्चीबड़े के पीछे होते हैं।

मिर्चीबड़ेे को गरम गरम बनते देखना तो और भी खतरनाक है। आप कहीं भी कितने जरूरी काम से जा रहे हो, सडक किनारे किसी दुकान की कढाई मे गरम गरम तेल मे छनछनाते, झूमते सुनहरे मिर्चीबड़े आपके पाँव रोक ही लेगें। ये जादूगर होते हैं। आप को सम्मोहित कर लेते हैं ये। आप दुनिया जहान को भूल जाते हैं। आप खुद-ब-खुद खिंचे चले आते है मिर्चीबड़े की दुकान की तरफ, और तब तक खडे रहते है जब तक दुकानदार दया करके आपको मिर्चीबड़े की प्लेट ना थमा दें।

किसी मशहूर मिर्चीबड़े दुकान को ध्यान से देखिये, यहाँ जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्रियता, अमीरी, गरीबी का कोई भेद नही होता। मिर्चीबड़ेे से प्यार करने वाले एक साथ धीरज से अपनी बारी का इंतजार करते हैं। जिन बातो ने हमारे देश की एकता अखंडता बनाये रखने मे मदद की है उनमें मिर्चीबड़े को बाइज्जत शामिल किया ही जाना चाहिये।

मिर्चीबड़ा पीज्जा, बर्गर के दादा हैं। आदमी का पेट खराब करना पीज्जा, बर्गर ने मिर्चीबड़े से ही सीखा है, पर जीभ के आगे पेट की सुनता कौन है।

वो तो हम पैसे धैले के मामले मे अमेरिका से उन्नीस पडते हैं वरना पूरी दुनिया मे मैकडोनाल्ड की जगह मिर्चीबड़े कार्नर की चेन्स होतीं।

हमारे खाने पीने की दुनिया के बाद़शाह है मिर्ची बड़ेे । और हमारे देश मे बादशाह को ना कहने का नहीं झुक झुक कर सलाम करने का रिवाज है।

तो फिर जाइये, अब देर किस बात की। तुरन्त दो-चार मिर्चीबड़े उदरस्थ कीजिये और मस्त-मलंग हो कर दोबारा फिर मिर्चीबड़ा खाने के समय को निर्धारित कीजिये।

पर्यावरण को बचाना नए फलदार पेड़ लगाना एवं ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाना


*बरगद एक लगाइये,पीपल रोपें पाँच।*
*घरघर नीम लगाइये,यही पुरातन साँच।।*
*यही पुरातन साँच,- आज सब मान रहे हैं।*
*भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं।।*
*विश्वताप मिट जाये होय हर जन मन गदगद।*
*धरती पर त्रिदेव हैं- नीम पीपल औ बरगद।।*

*आप को लगेगा अजीब बकवास है किन्तु यह सत्य है.. .*

*पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है*

*पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75 %*

*अब सरकार ने इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन कर देता है*

*आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है*

*अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही*

*हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान होगा*

*वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए*
*पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है*
*जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं।*
*वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए-*

*मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,*
*सखा शंकरमेवच।*
*पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,*
*वृक्षराज नमस्तुते।*
*अब करने योग्य कार्य*

*इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ायें...*

*पर्यावरण को बचाना नए फलदार पेड़ लगाना एवं ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाना*
*यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है जो हमारी भारतीय संस्कृति में लगातार रही है*
*पर्यावरण सुरक्षित मानव जीवन सुरक्षित*

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शनिवार, 3 जुलाई 2021

आपको जीवन में प्रत्येक पग पर सुझाव देने वाले मिलेंगे जो उस विषय के विशेषज्ञ नहीं हैं


*सुझाव* 
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 एक व्यक्ति ने अगरबत्ती की दुकान खोली ! नाना प्रकार की अगरबत्तियां थीं ! उसने दुकान के बाहर एक साइन बोर्ड लगाया - "यहाँ सुगन्धित अगरबत्तियां मिलती हैं ! "

दुकान चल निकली ! एक दिन एक ग्राहक उसके दुकान पर आया और कहा - आपने जो बोर्ड लगा रखा है , उसके एक विरोधाभास है ! भला अगरबत्ती सुगंधित नहीं होंगी तो क्या दुर्गन्धित होंगी ? 

उसकी बात को उचित मानते हुए विक्रेता ने बोर्ड से सुगंधित शब्द मिटा दिया ! अब बोर्ड इस प्रकार था - "यहाँ अगरबत्तियां मिलती हैं ! "

इसके कुछ दिनों के पश्चात किसी दूसरे सज्जन ने उससे कहा - आपके बोर्ड पर "यहाँ " क्यों लिखा है ? दुकान जब यहीं है तब यहाँ लिखना निरर्थक है ! 
इस बात को भी अंगीकार कर विक्रेता ने बोर्ड पर यहाँ शब्द मिटा दिया ! अब बोर्ड था - अगरबत्तियां मिलती हैं ! 

पुनः उस व्यक्ति को एक रोचक परामर्श मिला - अगरबत्तियां मिलती हैं का क्या प्रयोजन ? अगरबत्ती लिखना ही पर्याप्त है ! अतः वह बोर्ड केवल एक शब्द के साथ रह गया - "अगरबत्ती "
विडम्बना देखिये ! एक शिक्षक ग्राहक बन कर आये और अपना ज्ञान वमन किया - दुकान जब मात्र अगरबत्तियों की है तो इसका बोर्ड लगाने का क्या लाभ ? लोग तो देखकर ही समझ जायेंगे कि मात्र अगरबत्तियों की दुकान है ! इस प्रकार वह बोर्ड ही वहाँ से हट गया ! 

कालांतर में दुकान की बिक्री मंद पड़ने लगी और विक्रेता चिंतित रहने लगा ! एक दिन में उसका पुराना मित्र उसके पास आया ! अनेक वर्षों के उपरांत वे मिल रहे थे ! मित्र से इसकी स्थापना उसके चिंता ना छिप सकी और उसने इसका कारण पूछा तो व्यवसाय के गिरावट का पता चला ! 

मित्र ने सब कुछ ध्यान से देखा और कहा - तुम बिल्कुल ही मूर्ख हो ! इतनी बड़ी दुकान खोल ली और बाहर एक बोर्ड नहीँ लगा सकते थे - यहाँ सुगंधित अगरबत्तियां मिलती हैं !
www.sanwariyaa.blogspot.com

*शिक्षा:-*
आपको जीवन में प्रत्येक पग पर सुझाव देने वाले मिलेंगे जो उस विषय के विशेषज्ञ नहीं हैं परंतु लगेगा कि सारा विज्ञान, दर्शनशास्त्र , समाजशास्त्र इत्यादि उनमें अंतर्निहित है ! आप ऐसे व्यक्तियों की सुनेंगे या अनुपालन करेंगे तो आपकी स्थिति भी उस विक्रेता की भाँति हो जायेगी ! आप किसी भी विषय या निराकरण के लिये उससे सम्बन्धित विशेषज्ञों की सुने या अपने अन्तह्चेतन की क्योंकि आपको आपसे अधिक कोई नहीं जानता..!!

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