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सोमवार, 10 अक्तूबर 2022
गरीबी दूर कर धन-दौलत से मालामाल करती है 'झाडू'
तीन झाड़ू का दान और बन सकते हैं धनवान
कुछ ऎसे ही टोटके जिनसे आप न केवल धनी और सफल बन सकते हैं वरन अपने प्रेमी, पति-पत्नी को भी वश में कर सकते हैं।
रविवार को करें रोटी-गुड़ का ये एक छोटा-सा अचूक उपाय, जल्द बन जाएगा खुद का घर
आदिपुरुष फिल्म में हनुमान जी के लुक को लेकर क्या आलोचना हो रही है?
ये कौनसे angel से आपको हनुमान जी लग रहे है हनुमान जी के प्रति हम सबकी आस्था है लेकिन ऐसा रूप हम में से किसी की आस्था में नहीं है हनुमान जी का।
तो इसका सीधा सा मतलब है की हमारी आस्थाओं का मजाक उड़ाया जा रहा है और इसके सभी कलाकारों ने ऐसा की मजाक बनाया है इसीलिए इसका बहिष्कार हो रहा है जो की ठीक ही है
ये इनका रावण रूप है किस प्रकार से ये रावण लग रहा है मुझे तो ये रावण से ज्यादा ओसामा बिन लादेन लग रहा है
पत्थरचट्टा पौधे की विशेषता - इनके औषधीय गुण
पथरचट्टा औषधीय गुणों वाला पौधा है जिसका उपयोग किडनी से जुड़े रोगों और मूत्र विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। यह सदाबहार पौधा है जो पूरे भारत में पाया जाता है।
खोखले डंठल वाला यह लाल या हरे रंग का पौधा लम्बाई में 3-4 फीट का होता है। इसके पत्ते थोड़े मोटे और थोड़ी-थोड़ी दूरी पर होते हैं।
यह पथरी के इलाज के साथ-साथ पेट से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसमें रेचक गुण होते है जिससे यह बवासीर (पाइल्स) की समस्या से राहत प्रदान करता है। इसके अलावा यह त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) का शमन करता है। पथरचट्टा पेट फूलने की समस्या, अल्सर, घावों को ठीक करने और रक्त को शुद्ध करने में भी मदद करता है। किडनी की पथरी और इसी तरह की अन्य समस्याओं को ठीक करने के लिए यह बहुत लाभकारी है।
👉.किडनी को बनाए हेल्दी
आयुर्वेद में इसे गुर्दे की पथरी के लिए रामबाण माना जाता है. अगर इसका काढा पिया जाए तो पेशाब में जलन, पेशाब का रुक-रुककर आना, दर्द होना जैसी पेशाब की समस्याओं को ठीक किया जा सकता है.
👉2.इंफ्लामेशन को करे ठीक
आप इसके 4-5 पत्तों को पीसकर एक लेप तैयार कर सकते हैं और उसे घाव, चोट वाली जगह पर लगा सकते हैं. ऐसा करने से आपको तुरंत आराम मिलेगा. शरीर पर हुए रैशेज या खुजली की समस्या भी इससे ठीक होगी
👉4.खूनी दस्त के इलाज के लिए
पत्थरचट्टे का सेवन से खूनी दस्त को रोकने में काफी मदद मिलती है. इसके लिए आप इसके पत्तों से रस निकालें और उसमें चुटकी भर पीसा हुआ जीरा और आधा चम्मच देशी घी डालकर अच्छी तरह मिला लें. इस मिश्रण का सेवन दिन में दो बार करें. आपको आराम मिलेगा.
👉5.हाई ब्लड प्रेशर को करे नियंत्रित
इसके सेवन से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को भी ठीक किया जा सकता है. आप इसके पत्तों का रस निकालकर पांच-पांच बूंद पानी में मिलाकर रोज खाली पेट पिएं
आप स्पेन (Spain) के बारे में ऐसा हैं जिसे ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं?
- ला टोमाटिना स्पेन में आयोजित एक वार्षिक उत्सव है जहां लोग एक-दूसरे पर हजारों टमाटर फेंकते हैं। आमतौर पर 150,000 से अधिक टमाटर फेंक दिया जाता हैं।
- स्पेन के राष्ट्रगान में कोई शब्द नहीं है।
- स्पेन के 47 मंजिला गगनचुंबी इमारत में कोई लिफ्ट नहीं है।
- स्पेन में तलाक की दर बहुत कम है, और स्पेन में केवल 5% बच्चे अविवाहित माता-पिता से पैदा होते हैं।
- स्पेन जैतून के तेल का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। स्पेन दुनिया में कुल जैतून के तेल का लगभग 44% उत्पादन कर रहा है।
- 2013 में स्पेन दुनिया का तीसरा सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल था (फ्रांस और अमेरिका के बाद)।
- परंपरागत रूप से, स्पेन में दो उपनाम हैं - पहला उपनाम पिता से, और दूसरा मां से।
- मैड्रिड दुनिया में सबसे अधिक पर्यावरण के अनुकूल स्थानों में से एक है। जिसका अर्थ है कि वे पूरे दिन सोते हैं और पूरी रात बाहर रहते हैं। मैड्रिड स्पेन की राजधानी है।
- स्पेन में दुनिया का सबसे पुराना मौजूदा लाइटहाउस - टॉवर ऑफ़ हरक्यूलिस भी है। यह पहली शताब्दी में बनाया गया था और आज भी चालू है।
- एफिल टॉवर जो पेरिस, फ्रांस में है, मूल रूप से बार्सिलोना, स्पेन में बनाया जाने की योजना थी।
- स्पेन बहुत पहाड़ी है, और स्विट्जरलैंड के बाद दूसरा सबसे पहाड़ी यूरोपीय देश है।
- हर साल स्पेन बुल्स फेस्टिवल का आयोजन करता है और हर साल 10 लाख से अधिक लोग इसे देखने के लिए आते हैं ताकि लोग स्पैनिश बैलों के साथ सड़कों पर दौड़ सकें।
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क्या आप जानते हैं कि भूत प्रेत भी आपका खाना खाते हैं ?
क्या आप जानते हैं कि भूत प्रेत भी आपका खाना खाते हैं ?
आज मैं इस विषय में आपको कुछ गंभीर बातें बताऊंगा। एक ऐसा सत्य बताऊंगा, जो आज तक लोगों को नहीं पता।
जैसा कि हम सब जानते हैं, भूत प्रेत वो आत्माएं होती हैं, जिन्होंने अपना शरीर खो दिया है और जो इस पृथ्वी लोक पर भटक रही हैं। ये वो अभागी आत्माएं हैं, जिनके लिए न मुक्ति का द्वार खुला है और न ही इन्हें कोई नया जन्म मिला है। इन्हें नहीं पता ये कहाँ जाएं, क्या करें। ये बस हम इंसानों की दुनिया में रह रही हैं, इसी इंतजार में कि किसी दिन इनका भी वक्त आएगा, जब इन्हें इस प्रेत योनि से छुटकारा मिलेगा। पर तब तक हम इंसानों को जीते देख, खाते देख, पीते देख, मौज करते देख उनका भी मन तड़प उठता है। कुछ ऐसी इच्छाएं होती हैं, जो शरीर के नष्ट हो जाने के बाद भी बनी रहती हैं जैसे भोजन करने की इच्छा, भोग विलास की इच्छा, सेक्स करने की इच्छा, किसी प्रियजन से मोह रखने की इच्छा और ये इच्छाएं आत्मा के अंदर होती हैं, इसमें शरीर का कोई लेना देना नहीं है। हालांकि शरीर ही एक माध्यम है जिसके द्वारा हम इन इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं, जैसे भोजन की इच्छा शरीर द्वारा ही पूरी की जा सकती है। विलास की, काम की इच्छा भी शरीर के द्वारा ही पूरी की जा सकती है और अगर आप किसी को चाहते हैं, किसी से प्यार करते हैं, किसी के प्रति का आपका मोह है चाहे आपका बेटा है, चाहे बेटी, चाहे पति है, चाहे पत्नी है तो आप शारीरिक रूप से ही उसके साथ रह कर, उसको प्यार दे कर, अपना मोह और अपना प्यार प्रदर्शित कर सकते हैं। पर एक प्रेत या एक आत्मा क्या करे ! उसके पास तो शरीर है ही नहीं ! इसीलिए वो उन इच्छाओं को पूरा करने के लिए शरीर का सहारा लेती हैं। हम जैसे इंसानों का सहारा लेती हैं, जिनके पास शरीर है। सबसे ज्यादा जो एक यूँ कह लीजिए, एक कॉमन चीज है, वो है पेट की भूख। इंसानों को इसलिए होती है क्योंकि उनके पास शरीर है। उनका शरीर भोजन माँगता है, चलने के लिए। पर जो उस भोजन का स्वाद है, वो इन आत्माओं को मरणोपरांत भी याद रहता है, शरीर नष्ट हो जाने के बाद भी याद रहता है। जो इन्होंने कभी भोगा था, जब ये कभी जिंदा थे। यूँ कह लीजिए जिंदा तो ये हमेशा ही हैं, जब कभी इनके पास शरीर था। अब क्योंकि उस भोजन का स्वाद ये नहीं ले पा रहे इसलिए अक्सर काफी आत्माओं का एक ही जो है अभिलाषा रह जाती है, वो ये होती है कि हम उस भोजन की अनुभूति दुबारा करें और इसको दुबारा करने के लिए वो किसी न किसी इंसान के चिपकती हैं।
अक्सर हम लोग जब खाना खाते हैं, किसी भी तरीके का भोजन करते हैं तो हम सोचते हैं कि हम अकेले हैं पर ऐसा नहीं है। ऐसा भी हो सकता है हमारे साथ कोई आत्मा बैठी हो। हम कहीं रेस्टोरेंट में खाना खा रहे हैं, कहीं बाहर सड़क पर खाना खा रहे हैं, कोई रोल बनवा लिया, कोई भी फास्ट फूड ले लिया, बर्गर ले लिया और हम उसे खाते हुए जा रहे हैं। हम किसी भी जगह पर हैं, वहाँ पर कोई भी आत्मा बैठी हो सकती है क्योंकि हमारे को भगवान ने ये चक्षु नहीं दिए कि हम ये देख सकें कि कहाँ पर कौन है। हम उस ब्रह्मांड के पार नहीं देख सकते क्योंकि हमारे पास वो चक्षु ही नहीं हैं। इसलिए हमें नहीं पता लगता। पर असल में, हकीकत में हर वक्त, हर जगह कोई न कोई प्रेत, कोई न कोई आत्मा विचरण कर रही है, बैठी है, घूम रही है और जब आप भोजन खाते हो तो उनकी सीधा दृष्टि आपके भोजन पर जाती है, आप पर जाती है कि आप कितना सुख भोग रहे हो ! क्या बढ़िया भोग ले रहे हो ! क्या स्वाद का मजा ले रहे हो और वो इतने अभागे हैं कि इस स्वाद से वंचित हैं। तो इसीलिए वो इंसान के शरीर में प्रवेश करके उस भोजन का आनंद लेती हैं।
अक्सर ऐसा हुआ है कि आपको भूख नहीं है तब भी आप ज्यादा खा रहे हैं। आप दो रोटी खाते हैं पर अचानक से आप तीन रोटी, चार रोटी खाने लग गए। आपको ये महसूस हो रहा कि आपके पेट में जगह नहीं है पर फिर भी आपका अपने ऊपर ही कोई कंट्रोल नहीं है और आप एक के बाद एक रोटियाँ खाते जा रहे हैं। ये एक ऐसी अवस्था है जो बताती है कि जो दो रोटी के ऊपर की जो भूख है, वो आपकी नहीं किसी और की है और वो अपनी इस भूख मिटाने के लिए आपके शरीर का इस्तेमाल कर रहा है। आपके ऊपर अपना कब्जा जमा रहा है, उस रोटी को खाने के लिए, उस भोजन को खाने के लिए।
अक्सर ऐसा होता है हम ज्यादा से ज्यादा खाना खा लेते हैं। हालांकि हमारा मन नहीं था और बाद में हमारी तबियत भी खराब होती है। हम कहते हैं यार क्यों खा लिया, पता नहीं क्यों खा लिया ? मन नहीं था, तब भी खा लिया ! क्योंकि वो मन किसी और का था।
और दूसरी बात कई दफा ऐसा भी होता है कि हमें कोई चीज आज तक नहीं पसंद थी खाने की। अचानक वो पसंद आने लगे। उसका स्वाद इतना अच्छा लगने लगे कि हम यही हैरान हो जाएं कि आज तक हमें ये चीज हमें बेकार लगती थी, खाते नहीं थे और अब हम कैसे खा रहे हैं ? तो वो स्वाद उस आत्मा को पसंद है जो उस इंसान के शरीर में है, जिसके द्वारा वो उस भोजन का भोग ले रही है। अब इसमें दो बातें हो सकती हैं। जरूरी नहीं कि हर बार किसी आत्मा का ही काम हो। आपकी खुद की शारीरिक एक ये अनुभूति भी हो सकती है। पर मैक्सिमम केसेज में ये किसी न किसी प्रेत या आत्मा का काम होता है। जो अपनी इच्छा आपके द्वारा पूरी करती है और फिर निकल जाती है।
अक्सर बहुत से मानव हैं, बहुत से लोग हैं जिनके शरीर में कोई न कोई आत्मा प्रवेश करके भोजन कर रही है और उन्हें ये बात नहीं पता क्योंकि वो प्रेत या वो आत्मा वो बात उजागर होने ही नहीं देते। उनका लक्ष्य सिर्फ उस भोजन को खाना होता है, जो इंसान खा रहा है। कुछ आत्मा इतनी ताकतवर हो जाती हैं कि उन्हें शरीर में लगातार रहने की भी जरूरत नहीं पड़ती किसी के। वो एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश आसानी से कर लेती हैं, सिर्फ अपने अलग अलग अनुभूतियों को, अलग अलग चीजों को भोगने के लिए, जो वो पहले भोगा करती थीं।
कुछ लोग इतने अभागे होते हैं कि उनके शरीर में एक बार अगर किसी प्रेत ने प्रवेश किया, ये देख कर कि वो बंदा भोजन खा रहा है या मीठा खा कर आया है तो उस स्वाद को फील करने के लिए। तो वो प्रेत उसी शरीर में रह जाता है और उस शरीर को घर बना लेता है क्योंकि वो ये सोचता है कि आज ये इतना बढ़िया भोजन कर रहा है और इसके शरीर में आकर मैंने स्वाद को लिया। अगर मैं इसके शरीर में रहने लगे जाता हूँ तो मुझे तो रोज ऐसे तरीके के भोजन और पकवान खाने को मिलेंगे।
तो इसमें बहुत चीजें हैं। आप इन चीजों से न बच सकते हैं, न इससे पार जा सकते हैं। बस आप कुछ ऐसे छोटे उपाय कर सकते हैं, जिससे आपके साथ ये न हो क्योंकि अगर ये आप साथ हो रहा है तो भी आपको पता नहीं चलेगा और अगर आपके साथ नहीं हो रहा तो भी आपको पता नहीं चलेगा। ये चीज ऐसी है जिसको पता लगा पाना बहुत मुश्किल है। ये तभी पता लगती है जब आपके शरीर में बैठा प्रेत इतना पुराना हो जाता है कि वो फिर उसके बाद ठसक से अपना कब्जा जमाने के बाद आपको ये बताने की कोशिश करता है, ये दिखाने लगता है कि ये शरीर अब उसका है और तब तक पता नहीं कितने साल निकल जाते हैं, इंसान सोच भी नहीं सकता।
तो कैसे इस चीज को रोका जाए ? कैसे किसी भी प्रेत या भूत को रोका जाए कि वो आपका भोजन न खाए। जब भी आप भोजन करते हैं, चाहे आप घर में भोजन कर रहे, चाहे आप बाहर भोजन कर रहे हैं, भोजन का थोड़ा सा टुकड़ा (जो भी आप खा रहे हैं) निकाल कर एक कोने में रख दें। जिससे आपने उस आत्मा के, उस प्रेत के निमित्त का भोजन पहले ही निकाल दिया और साथ ही भोजन का थोड़ा सा टुकड़ा भगवान के चरणों में रख दें। भगवान से प्रार्थना करें भोजन करने से पहले कि हे ईश्वर मैं पनाह में आ कर इस भोजन को ग्रहण कर रहा हूँ और ये भोजन मैं आपको अर्पण करता हूँ। आप स्वयं इस भोजन को कर रहे हैं। जिस भी देव को आप मानते हैं। सिर्फ ये एक छोटी सी प्रार्थना कर लेने से और छोटा सा टुकड़ा उस भोजन में से निकाल देने से ही आपका काम बन जाएगा और उसमें छोटा सा टुकड़ा अगर आप किसी जानवर को डाल दें तो वो और भी उत्तम है।
ये छोटा सा उपाय आपको बहुत सी चीजों से बचाएगा। नजर दोष से भी बचाएगा क्योंकि अक्सर अगर कोई प्रेत नहीं देख रहा या कोई प्रेत आपका खाना नहीं खा रहा तो लोग जो आपको देख रहे, उनकी नजर लग जाती है। उस नजर को भी ये उपाय काटता है। जब एक बार आप ईश्वर को शामिल कर लेते हैं किसी भी अपने कार्य में तो फिर आपकी जीत ही जीत होती है। आपको कोई हरा नहीं सकता। आपको कोई मात नहीं दे सकता। आपका कोई बुरा नहीं कर सकता क्योंकि स्वयं आपने वो भोजन ईश्वर को अर्पण कर दिया और ईश्वर स्वयं वो भोजन कर रहे हैं और आप उनकी सत्ता में भोजन कर रहे हो। उनकी पनाह में भोजन कर रहे हो। ईश्वर से ऊपर तो कोई है ही नहीं।
कभी भी आप भोजन करें थोड़ा सा टुकड़ा निकाल दें और अपने ईश्वर को याद करें। अगर आप कोई ऐसी जगह पर भोजन कर रहे हैं जहाँ पर आपको वाकई लगता है कि जगह सुनसान है या डरावनी है या जगह ऐसी है जहाँ पर कोई न कोई ऐसी चीज हो सकती है तो आप थोड़ा सा गंगाजल ले कर अपने खाने में मिला कर उस भोजन को कर सकते हैं। तो ये कुछ ऐसी चीजें हैं, अगर आप अपने जिंदगी में इसको उतार लें तो काफी बड़ी परेशानीयों से बच सकते हैं।
11 अक्टूबर की शाम एक दीप अर्पित करें महाकाल सरकार के नाम
रविवार, 9 अक्तूबर 2022
शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima 2022,
शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima 2022,
हिन्दु धर्म शास्त्रो मे शरद पूर्णिमा Sharad Purnima को बहुत ही पुण्यदायक पर्व माना गया है। शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima ke upay, बहुत ही सिद्ध और शीघ्र फलदायी कहे गए है।
हम सभी जीवन भर धन लक्ष्मी Dhan Lakshmi की पीछे भागते है सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की चाह रखते है, इसके लिए अपने परिश्रम के साथ नित्य पूजा अर्चना, दान-पुण्य, ब्रत इत्यादि भी करते है कि माँ लक्ष्मी की कृपा अवश्य ही बनी रहे।
और शरद पूर्णिमा तो वह तिथि है जिस दिन माँ लक्ष्मी का अवतरण हुआ था अतः इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा Maa Laxmi Ki Puja आराधना, उनको प्रसन्न करने के लिये किये गए उपायों का अत्यंत श्रेष्ठ फल मिलता है ।
शास्त्रो में कई ऐसे शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima ke upay, बताये गए है जिन्हें करने से घोर से घोर आर्थिक संकट भी दूर हो जाते है जीवन में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की वर्षा होने लगती है,
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अवश्य पढ़ें :- अगर गिरते हो बाल तो ना होएं परेशान तुरंत करें ये उपाय, जानिए बालो का गिरना कैसे रोकें,
शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima ke upay,
* वर्ष 2022 में शरद पूर्णिमा 9 अक्तूबर दिन शनिवार को है । शरद पूर्णिमा के उपाय sharad purnima ke upay से सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की कोई भी कमी नहीं रहती है।*
शरद पूर्णिमा sharad purnima के दिन माता अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर लेकर उसपर केसर का तिलक करके, 8 कमल चढ़ाकर महालक्ष्मी अष्टकम पढे । इस उपाय से कुंडली में चाहे जैसा भी योग हो माँ लक्ष्मी अपने भक्त को जीवन में अतुल ऐश्वर्य प्रदान करती है।
शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke din आँवले को रात में चन्द्रमा की चाँदनी में रखे। मान्यता है की इस दिन चन्द्रमा की किरणों में रखे आंवले में औषधीय शक्ति आ जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है ।
* शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke din माँ लक्ष्मी Maa Lakshmi अवतरित हुई थी। इस दिन लक्ष्मी सहस्त्रनाम, सिद्धिलक्ष्मी कवच, श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त, महालक्ष्मी कवच, कनकधारा के पाठ में जो भी कर सके उसे अधिक से अधिक अवश्य ही करें । इससे आने वाली पीढ़ियों पर भी माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
* इस दिन तांबे के बरतन में देशी घी भरकर किसी ब्राह्मण को दान करने और साथ में दक्षिणा भी देने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है और धन लाभ की प्रबल सम्भावना बनती है। इस दिन ब्राह्मण को खीर, कपड़े आदि का दान भी करना बहुत शुभ रहता है ।
* इस दिन संध्या के समय 11 या इससे अधिक घी के दीपक जलाकर घर के पूजा स्थान, छत, गार्डन, तुलसी के पौधे, चारदिवारी आदि के पास रखने से, अर्थात इन दीपमालाओं से घर को सजाने से भी माँ लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है।
* माँ लक्ष्मी को खीर अत्यंत प्रिय है । शास्त्रो में गाय के दूध में महालक्ष्मी का वास Maa Lakshmi ka Vaas माना गया है, अत: इस दिन यथा संभव गाय के दूध में खीर बनाये और खीर में केसर, छुआड़े और मेवे भी अपनी सामर्थ्यानुसार अवश्य ही डालें ।
* मान्यता है कि खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है इसलिए इससे विषाणु दूर रहते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke Din प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक चंद्रमा की रौशनी का स्नान अवश्य ही करना चाहिए।
इसके लिए रात्रि 10 से 12 बजे तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है।
* दमा रोगियों के लिए शरद पूर्णिमा Sharad Purnima की रात वरदान बनकर आती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि Sharad Purnima ki Ratri खीर को चांदनी रात में रखकर प्रात: 4 बजे माँ लक्ष्मी को उसका भोग लगाकर उसका सेवन रोगी को कराएं है।
दमे का मरीज चंद्रमा की चाँदनी में रात्रि जागरण करें और इस रात्रि में 2-3 किमी पैदल भी अवश्य ही चले, इससे दमे में अत्यधिक सुधार होता है।
* शोध से पता चला है कि शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता बहुत अधिक होती है। लंकापति रावण शरद पूर्णिमा की रात Sharad Purnima ki Raat चन्द्रमा की किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था इससे उसे यौवन शक्ति की प्राप्त होती थी।
माना जाता है कि शरद पूर्णिमा Sharad Purnima की चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में चन्द्रमा की चाँदनी में स्नान करने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है, उसका यौवन बढ़ता है। अत: प्रत्येक व्यक्ति को इस इन 10 से 12 बजे घर के अंदर नहीं वरन चन्द्रमा की रौशनी में ही रहना चाहिए ।
* मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke Din चन्द्रमा अपनी पूर्ण सोलह कलाओं के साथ अवतरित होता है, इस दिन चन्द्रमा की किरणों में अमृत का वास माना गया है, चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा खीर में समाहित हो जाती हैं जिसका सेवन करने से सभी प्रकार की बीमारियां आदि दूर हो जाती हैं।
आयुर्वेद में भी चाँदनी के औषधीय महत्व का वर्णन मिलता है, खीर को रात्रि में चांदनी में रखकर अगले दिन इसका सेवन करने से असाध्य रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है, यौवन बना रहता है।
* शरद पूर्णिमा Sharad Purnima के दिन सत्यनारायण भगवान को आँवले, सिंघाड़े, नारियल, पीले पुष्प, लौंग, इलाइची, केसर और मिष्ठान अर्पित करते हुए उनकी कथा कहे।
इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा कहने से माँ लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती है जातक को जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
जातक के घर कारोबार में धन, सुख-समृद्धि की कोई भी कमी नहीं रहती है।
* भगवान विष्णु को आँवला अत्यंत प्रिय है । शरद पूर्णिमा Sharad Purnima को भगवान श्री विष्णु जी को आंवला चढ़ाने, आंवला की पूजा करने से माँ लक्ष्मी घर में अवश्य ही आती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवी माँ लक्ष्मी प्रकट हुई। उनके रूप, सौन्दर्य को देखकर उन्हे पाने के लिए देव-दानव आपस में संघर्ष करने लगे। इस संघर्ष के दौरान देवी लक्ष्मी ने बिल्व वृक्ष के नीचे आराम किया था।
अतः नवरात्र के दौरान महाष्टमी व महानवमी, शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए बिल्वपत्र के पेड़ की पूजा की जाती है और जल चढ़ाया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन बिल्व पत्र ( बेल पत्र ) का पौधा लगाने, उसकी सेवा करने, सांय काल वहां पर दीपक जलाने से माता लक्ष्मी उस जातक का साथ कभी भी नहीं छोड़ती है, उस पर कभी कोई कर्ज नहीं रहता है, उसे अतुल ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke Din मंदिर में जाकर माँ लक्ष्मी को इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए । इत्र की शीशी खोलकर माता के वस्त्र पर वह इत्र छिड़क दें , उस अगरबत्ती के पैकेट से भी कुछ अगरबत्ती निकल कर जला दें फिर धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें।
इससे माँ अपने भक्त के सभी संकट दूर करती है।
🌝 *शरद पूर्णिमा* 🌝
*19,20 अक्टूबर, 2021- कुछ विशेष करने योग्य बातें*
*आँखों के लिए टॉनिक*
त्रिफला, शहद और देसी गाय के घी का 02:02:01 के अनुपात में मिश्रण तैयार करके उसे शरद पूनम की पूरी रात (19,20 अक्तूबर 2021) को चांदनी में रखो । फिर उस मिश्रण को काँच की बाटल में रख लें । फिर अगले 40 दिनों तक इस मिश्रण को 11 ग्राम सुबह - शाम लें । आंखें टनाटन, न मोतिया न मोतियाबिंद न लेंस ।
*बल, सौंदर्य व आयुवर्धक प्रयोग*
शरद पूर्णिमा की चाँदनी में रखे हुए आँवलों के रस 4 चम्मच, शुद्ध शहद 2 चम्मच् व गाय का घी 1 चम्मच मिलाकर नियमित सेवन करें। इससे बल, वर्ण, ओज, कांति व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है।
*नेत्र सुरक्षा के लिए शरद पूर्णिमा का प्रयोग*
वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए शरद पूनम की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें । कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए । दशहरा से शरद पूर्णिमा तक 15-20 मिनट चन्द्रमा की ओर देखते हुए त्राटक करने से भी आखों की रौशनी बढती है l
*शरद पूर्णिमा पर अध्यात्मिक उन्नति*
शरद पूनम रात आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है । इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए ।
*शरद पूर्णिमा विशेष*
चावल, दूध और मिश्री की खीर बनायें । खीर बनाते समय उसमें कुछ समय के लिए थोड़ा चाँदी मिला दें । खीर को कम से कम 2 घंटे के लिए चन्द्रमा के प्रकाश में रख दें । उस दिन के लिए कोई अन्य भोजन नहीं पकाएं, केवल खीर खाएं ।
हमें देर रात को भारी आहार नहीं लेना चाहिए इसलिए तदनुसार खीर खाएं । शरद पूनम की रात में रखी गयी खीर को भगवान को भोग लगाने के बाद अगले दिन प्रसाद रूप में नाश्ते में भी ले सकते है ।
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