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रविवार, 30 जुलाई 2023
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सोमवार, 24 जुलाई 2023
हर खेत, हर गांव, कसबे, शहर मे बारिश का पानी धरती में उतारने का काम होना ही चाहिए...
क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है?
क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है? पढें भूतभावन भोलेनाथ के पवित्र मास श्रावण में एक उपयोगी एवम विस्तृत प्रस्तुति।
रुद्राभिषेक का महत्त्व तथा लाभ भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह जनित दोषों और रोगों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद अनुसार शिव हैं – सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।
भगवान शंकर सर्व कल्याणकारी देव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी पूजा,अराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं।
भगवान शिव को शुक्लयजुर्वेद अत्यन्त प्रिय है कहा भी गया है वेदः शिवः शिवो वेदः। इसी कारण ऋषियों ने शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से रुद्राभिषेक करने का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है यथा –
यजुर्मयो हृदयं देवो यजुर्भिः शत्रुद्रियैः।
पूजनीयो महारुद्रो सन्ततिश्रेयमिच्छता।।
शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी में बताये गये विधि से रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है ।जाबालोपनिषद में याज्ञवल्क्य ने कहा – शतरुद्रियेणेति अर्थात शतरुद्रिय के सतत पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
परन्तु जो भक्त यजुर्वेदीय विधि-विधान से पूजा करने में असमर्थ हैं या इस विधान से परिचित नहीं हैं वे लोग केवल भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते है।
महाशिवरात्रि पर शिव-आराधना करने से महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होते है। शिव भक्त इस दिन अवश्य ही शिवजी का अभिषेक करते हैं।
क्या है रुद्राभिषेक ?
अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान करना अथवा कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है।
अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।
रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?
रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।
रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ?
प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ।
इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।
एक अन्य कथा के अनुसार ––
एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती ने मृत्यु लोक में रुद्राभिषेक कर्म में प्रवृत्त लोगो को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ मृत्यु लोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है?
भगवान शिव ने कहा – हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ।
जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक करता है वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए।
रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ?
शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।
जरूर पढ़े “शिवजी को कौन सा फूल चढाने से क्या फल मिलता है”
जानिए शिवजी की पूजा में क्या नहीं चढ़ाना चाहिए
संस्कृत श्लोक
जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।
अर्थात
जल से रुद्राभिषेक करने पर — वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर — रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर — पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक करने पर — लक्ष्मी प्राप्ति
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि के लिए।
तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर — मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से — बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेककरने से — पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनाएं पूर्ण
गंगाजल से अभिषेक करने से — ज्वर ठीक हो जाता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति हेतू।
घी से अभिषेक करने से — वंश विस्तार होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से — रोग तथा शत्रु का नाश होता है।
शुद्ध शहद रुद्राभिषेक करने से —- पाप क्षय हेतू।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है उसके बाद शिव के शुभाशीर्वाद सेसमृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
क्या श्री कृष्ण की जन्म की घटना सत्य थी अगर हा तो इसका क्या सबूत है?
जी हां ये बात बिल्कुल सत्य है। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। फिर बासुदेव जी के जरिए उनको गोकुल में पहुंचाया गया। आप सभी जानते है जब वासुदेव जी श्री कृष्ण को गोकुल ले जा रहे थे। उस समय रास्ते में यमुना जी से होकर उन्हें जाना पड़ा था। जिसमें चलकर श्री कृष्ण को ले जाया गया था। इस बात का सबूत आप गूगल मैप पर देख सकते हो कि मथुरा और गोकुल के बीच में यमुना जी पड़ती है।
दुर्गा सप्तशती में भगवान विष्णु जी कानो के मैल से राक्षस मधु कैटभ ही क्यों उतपन्न हुए? कोई देवता शक्ति क्यों नहीं उतपन्न हुई
भगवान ने कौन सा काम क्यों किया यह समझ पाना हमारे वश का नहीं है फिर भी मधु कैटभ की उत्पत्ति और अंत पर कुछ बातें करते हैं।
प्रलय के अंत में सब कुछ जलमग्न था भगवान विष्णु योगनिद्रा के प्रभाव से शयन कर रहे थे लेकिन ब्रह्म जी उनकी कमल नाभि पर बैठे थे। जहां तक मुझे लगता है भगवान विष्णु कभी खाली नहीं रहते कुछ ना कुछ करते ही रहते हैं। ब्रह्म जी को ब्रह्मा होने का अभिमान बहुत बार हो चुका है , इस बार भी ब्रह्मा जी को एक पाठ पढ़ाने के लिए भगवान ने अपने कान के मैल से महा शक्तिशाली मधु कैटभ को उत्पन्न कर दिया है या उत्पन्न होने दिया।
मनु कैटभ उत्पन्न होते ही ब्रह्मा जी को मारने चल दिए, उन भयानक असुरों को देखकर ब्रह्मा जी ने सोचा भगवान तो सो रहे हैं अब उन्हें कौन बचाएगा ? तब ब्रह्म जी ने देवी की स्तुति करना प्रारंभ किया जिनके वश में आकर भगवान विष्णु शयन कर रहे थे।
ब्रह्मा जी ने कहा — " ये जो दोनों असुर मधु और कैटभ हैं, इनको मोह में डाल दो और जगदीश्वर भगवान विष्णु को शीघ्र ही जगा दो। साथ ही इनके भीतर इन दोनों असुरों को मार डालने की बुद्धि उत्पन्न कर दो "
तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी योगनिद्रा इस स्तुति से प्रसन्न हुईं और भगवान विष्णु के नेत्रों से निकलकर ब्रह्मा जी के सामने खड़ी हो गईं।
योगनिद्रा से मुक्त होते ही जगत के आधार भगवान शेषनाग की शैय्या पर बैठ गए और दो असुर वीरों को ललकारते हुए देखा। जो लाल लाल नेत्र किए ब्रह्मा जी को खाने के लिए उद्यत थे।
भगवान विष्णु को उन महापराक्रमी असुरों ने युद्ध करने को आमंत्रित किया लेकिन भगवान बल के साथ बुद्धि के भी भंडार हैं, वे उन असुरों की स्तुति करके उनसे उन्हीं के मृत्यु का वरदान मांग लिया। तत्पश्चात भगवान ने उनका वध कर दिया।
भगवान के इस लीला से हमें बहुत कुछ मिला जैसे दुर्गा जी की स्तुति करने का तरीका, भगवान की पावन कथा और व्यवहारिक ज्ञान तो मिला ही। अगर भगवान ये सब ना करें तो भवसागर से पार होने के लिए हमारे पास कोई साधन नहीं रहेगा।
मणिपुर से आ रही वीडियो ने देश को बुरी तरह से झंझोर दिया है। इस पर आपकी कोई टिप्पणी?
मणिपुर हिंसा वर्तमान समय में लगभग 80 दिनों से उपर से हो रही है। नागा,मैती और कुकी इन तीनो जनजातियों की गलती है हिंसा में। जिन दो महिलाओं की वीडियो को लेकर सारा बबाल हो रहा है वो 3–4 मई की है जो ठीक संसद के मानसून सत्र के पहले आई।सूत्र तो ये भी कहते हैं की कई महिलाओं शायद 200 से लेकर 2000 की इज्जत तार तार हुई।ये वीडियो सामने न आती तो कुछ विशेष प्रवृति के मनावतावादियों के छाती में दूध शायद न उतरता।दरअसल महिलाओं को हमेशा से समाज में एक व्यक्ति के तौर पर नही बल्कि एक वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया गया है।एक ऐसी वस्तु जिसका मान मर्दन कर सामने वाले प्रतिद्वंदी को नीचा दिखाया जा सके।युद्धकाल और आपातकाल में महिलाएं खासकर कम उम्र की स्त्री की इज्जत को नीलाम करने वाले नरपिचाषों से स्वयं को बचाकर रखना बेहद कठिन कार्य है।इसके बारे में हम मुंह उठाकर कितना भी लिखें परंतु उस स्वाभिमानी नवयोवना के अलावा रूह कंपा देने वाली इस स्तिथि को कोई नहीं समझ सकता जिसने इसका सामना किया हो। कहते हैं किसी महिला ने ही इस कृत्य के लिए इनको उकसाया था।
आज समाज की हालात बद से बद्तर हो चुकी है। इसे सिर्फ मणिपुर तक ही क्यों देखा जाए। महिलाएं स्वयं को एक बाजारू वस्तु के रूप में प्रस्तुत करने में गौरवान्वित महसूस करती है।जीतने कम कपड़े हम उतने हाई क्लास सोच वाले और मॉर्डन।इसे तो समाज सहर्ष स्वीकार कर रहा है।
मणिपुर की घटना गलत तो ये सही कैसे 👇
आज जो गंदगी परोसी जा रही है उसपर समाज क्यूं नही बोलता ,सोचा है कभी कितना नीचे गिर चुके हैं।🤔
मणिपुर गलत तो बंगाल सही कैसे 👇
नीचे की तस्वीर भी मणिपुर की महिलाओं की ही है 👇 ये सही था क्या
नीचे जो तस्वीर है वो सूत्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है बंगाल की ही है हो सकता है न भी हो ।ये नग्न महिला पुलिस को खदेड़ रही है।यहां मानवता कहां गई।
दो अमर्यादित तस्वीर हटानी जरूरी थी सो हटा दी। दूसरे को नसीहत देने से पहले स्वयं के आचरण पर गौर करना चाहिए। उन तस्वीरों से किसी की भावना आहत हुई है खासकर किसी बहन की तो क्षमा चाहूंगा। 🙏पर क्या करूं कुछ लोगों को आईना दिखाना जरूरी हो जाता है। मैं स्वयं मर्यादा का पालन न करूं तो दूसरों से उम्मीद बेमानी है।
सूत्रों के अनुसार ये मुर्शिदाबाद बंगाल की है।मोदी को मानवता और नारीवाद के नाम पर कोसने वाले लिब्रांड कोरापुत्रों अपने मोतियाबिंद वाला काला चश्मा नैनो पर चढ़ा कर लिखते रहो,नारीवाद का एकतरफा RR करने वाले इसपर क्या बोलोगे 👆👇my body my choice इतना काफी है इसे सही साबित करने को क्यूं
एकतरफा सोच रखकर लिखने वाले अपनी पीछे वाली जेब में अपनी पक्षपाती सोच की बत्ती बनाकर डाल लें तो बेहतर रहेगा।
खुद से स्वयं का मॉर्डनाइजेशन के नाम पर दैहिक शौषण करना सही कैसे
ये मोहतरमा कहती है अनपढ़ रूल कर रहे जिसका खुद का पति पूरे देश में पान और गांजा बेचता फिरता है।जिसका सामाजिक बहिष्कार नही होता 🤔अनपढ़ कौन ये या हम।
एक महिला बिना कपड़ों के हो या पूरे कपड़ों में उसे खिलौना ही समझा जाता है जिसमे महिलाएं भी 100% जिम्मेदार हैं ।
बेटियों के साथ साथ बेटों को भी जिस दिन हर घर में बचपन से अच्छे संस्कार मिलेंगे तो शायद स्तिथि थोड़ी बेहतर हो सके
रविवार, 23 जुलाई 2023
संस्कारी इवेंट्स द्वारा संगीत प्रतियोगिता का सेमीफाइनल का आयोजन संपन्न फाइनल 6 अगस्त को होगा
शनिवार, 22 जुलाई 2023
हरियाणा में छाया सृष्टि का नाम। करंट अफेयर्स में आया सृष्टि का नाम।* सृष्टि की ऐतिहासिक उपलब्धि।
मंगलवार, 18 जुलाई 2023
कांग्रेस भारत को संविधान के माध्यम से मुस्लिम राष्ट्र बना चुकी थी बस घोषणा नहीं कर पाई
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