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मंगलवार, 30 जुलाई 2024

ओपल रत्न पहनने के क्या फायदे और नुकसान हैं?

ओपल रत्न शुक्र ग्रह का रत्न है और डायमंड का विकल्प है डायमंड के बजाय इसे भी धारण कर सकते हैं यह बहुत ही सुंदर और आकर्षक होता है इसे धारण करने से मनुष्य को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है इस रत्न को कीमती रत्नों की श्रेणियों में रक्खा गया है यदि आपके वैवाहिक जीवन में परेशानी है तो ऐसी स्तिथि में आपको ओपल रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र में ओपल रत्न को प्रेम और भौतिक सुख का देवता माना गया है यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में सभी प्रकार के सुख पाना चाहता है तो उसे ओपल रत्न धारण करना चाहिए, ओपल अत्यंत सुंदर रत्न है जिस प्रकार यह सुंदर रत्न है उसी प्रकार यह धारण कर्ता के जीवन को भी सुंदर बना देता है ।

ओपल रत्न के ग्रह शुक्र हैं और ये शुभ ग्रह हैं यदि कोई व्यक्ति शुक्र ग्रह को खुश कर ले तो उसे शारीरिक, वैवाहिक और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है ।

शुक्र ग्रह को प्रेम, कला, भोग विलास, रोमांस, सौंदर्य एवं सुख का कारक माना गया है ।

ओपल रत्न धारण करने फायदे —

ओपल रत्न धारण के अनेकों फायदे हैं चलिए हम सभी फायदों की और हम अपना ध्यान केंद्रित करते हैं ।

  1. ओपल रत्न वैवाहिक जीवन के प्रेम में वृद्धि करता है और सभी समस्याओं को दूर कर आपसी प्रेम को बढ़ाता है।
  2. ज्वेलरी, फैशन, महंगी कार, कलाकृतियों और कपड़े आदि के व्यापारियों को ओपल रत्न अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से उनके व्यापार में वृद्धि होगी जिससे अधिक धन लाभ होगा ।
  3. ओपल रत्न धारण करने वाले व्यक्ति को जीवन भर प्रेम, भाग्य का साथ और हमेशा खुशी मिलती है ।
  4. पेंटिंग, संगीत, थियेटर और नृत्य से जुड़े कला के लोगों को ओपल धारण करने अत्यधिक लाभ मिलते हैं ।
  5. यदि पति पत्नी इस रत्न को धारण करें तो उनके प्रेम में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जाती है।
  6. जिन लोगों की नींद टूटती है, लगातार बुरे सपने आते हैं तो ऐसी स्तिथि में ओपल रत्न धारण करना चाहिए।
  7. इसे धारण करने वाले व्यक्ति के आकर्षण में वृद्धि है जिससे लोग धारण करता से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं।
  8. यह रत्न सफलता, लोकप्रियता और मान सम्मान में वृद्धि करता है ।
  9. मानसिक शांति एवं एकाग्रता पाने के लिए ओपल धारण करना चाहिए ।
  10. यात्रा, आयत और निर्यात से जुड़े क्षेत्रों के व्यापारियों के लिए यह रत्न अत्यंत लाभकारी है ।
  11. इसे धारण करने से धारण कर्ता की यौन शक्ति में वृद्धि होती है ।
  12. यह रत्न धारण करने से उदासीनता, आलस और तनाव दूर होती है और धारण कर्ता के विचारों में स्पष्टता आती है।
  13. यह किडनी के कार्य एवं मूत्राशय प्रणाली में सुधार लाता है ।
  14. लाल रत्न कोशिकाओं एवं खून से संबंधित विकारों में ओपल रत्न सहायता करता है साथ ही साथ नेत्र रोगों में लाभ पहुंचाता है।

ओपल रत्न पहनने के नुकसान

ओपल रत्न ज्योतिषी के सलाह से ही धारण करें ।

 अभिमंत्रित ओपल रत्न कहां से खरीदें ?

हमारे ज्योतिष केंद्र में  में मिल जाएगा जो साथ ही साथ हमारे पंडित द्वारा अभिमंत्रित करके दिया जाएगा जिससे आपको रत्न का तुरंत लाभ मिलेगा इसके अलावा हमारे यहां सभी प्रकार के रत्न, सभी पूजा की सामग्री, सभी प्रकार की जड़ी बूटी, सभी प्रकार के रुद्राक्ष एवं हवन ऑनलाइन और ऑफलाइन कराए जाते हैं ।

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गोमेद रत्न पहनने के क्या फायदे होते हैं?

ज्योतिषी प्रणाली में राहु को एक छाया ग्रह माना गया है। इस ग्रह का अपना कोई अस्तित्व नहीं है, यह जिस भाव, राशि, नक्षत्र या ग्रह के साथ से जुड़ जाता है, उसके अनुसार ही अपना फल देने लगता है। राहु जब नीच का या अशुभ होकर प्रतिकूल फल देने लगता है तो गोमेद पहनने का सुझाव दिया जाता है। गोमेद राहु का रत्न है, इसे पहनने से लाभ और हानि दोनों हो सकते है। इसलिए गोमेद पहनने से पहले उसके बारें में अच्छे से जान लेना जरूरी होता है।

गोमेद को गोमेदक, तपोमणि, पिग स्फटिक, जटकूनिया, जिरकान आदि के नामों से भी जाना जाता है।

गोमेद आकर्षक पारदर्शक पारभासक तथा अपारदर्शक पत्थर है। जो गोमेद दूर से स्वच्छ गोमूत्र अथवा अंगार के समान रंग का हो, वजनी कड़कदार हो, जिसमें परत न हो, जो छूने पर कोमल और चमकदार हो, वह उत्तम जाति का माना जाता ह

गोमेद को तीन वर्गो में बांटा जा सकता है

उच्च वर्ग-जो गोमेद स्वच्छ, पारदर्शक, गोमूत्र के समान पीलापन लिए हुये लाल रंग का बराबर कोण वाला,चमकीला, चिकना सुन्दर हो, उसे उच्च वर्ग का गोमेद कहा जाता है।

मध्यम वर्ग-ऐसा गोमेद भूरापन लिए हुये लाल रंग का होता है।

निम्न वर्ग-जो गोमेद खुदरापन लिए हुये अपारदर्शी, छायारहित छींटो से युक्त पीले कॉच के समान दिखाई देने वाला हो, वह निम्न वर्ग का गोमेद कहलाता है।

दोषयुक्त गोमेद धारण करने से हानि

यदि गोमेद में किसी प्रकार का धब्बा हो तो उसको धारण करने से आकस्मिक मृत्यु का भय बना रहता है।

अगर गोमेद में लाल रंग के छींटे दिखाई दे तो वह आर्थिक नुकसान कराता है एंव पेट की समस्यायें उत्पन्न करता है।

यदि गोमेद में किसी प्रकार का गड्डा दिखाई दे तो वह पुत्र व व्यापार को हानि पहुॅचाता है।

यदि गोमेद में चीरा या क्रास हो तो वह शरीर में रक्त सम्बन्धी विकार उत्पन्न करता है।

अगर गोमेद में किसी प्रकार की कोई चमक न हो तो शरीर को लकवा भी हो सकता है।

कैसे जाने कि गोमेद अच्छी क्वालिटी का है

गोमेद को गोमूत्र में 24 घण्टे के लिए रख दे तो गोमूत्र का रंग बदल जायेगा। ऐसा गोमेद अच्छा माना जाता है।

असली गोमेद को लकड़ी के बुरादे में रगड़ेंगे तो उसकी चमक घट जाएगी।

क्या हैं गोमेद धारण करने के लाभ

जब व्यक्ति के बनते हुये काम में बाधायें आने लगे, भूत-प्रेत का भय हो, किसी ने काम को बॉध दिया हो या फिर अचनाक व्यवसाय में हानि हो रही हो तो गोमेद धारण करने से लाभ मिलता है। यदि किसी के पास धन रूकता न हो तो गोमेद धारण करने लाभ मिलता है। पति-पत्नी में आपसी तनाव रहता हो और तलाक तक की नौबत आ जाये तो गोमेद पहनने से रिश्ते फिर से मधुर हो जाते है। जिस व्यक्ति का मन परेशान रहता हो, घर में दिल न लगे, मन उखड़ा-उखड़ा रहे तो उसे गोमेद अवश्य धारण करना चाहिए।

गोमेद किसे धारण करना चाहिए-

जिन व्यक्तियों की राशि अथवा लग्न वृष, मिथुन, कन्या, तुला या कुम्भ हो उन्हें गोमेद धारण करना चाहिए।

यदि राहु जन्मकुण्डली में केन्द्र 1, 4, 7, 10 इनमें से किसी भाव में हो या फिर पॉचवें व नवम भाव में हो तो गोमेद पहनने से लाभ होता है।

राजनीति में सफलता हासिल करने वाले लोगों को गोमेद धारण करने से विशेष लाभ होता है।

यदि राहु दूसरे , एकादश भाव में हो तो गोमेद पहनने से लाभ होगा किन्तु यदि राहु छठें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो गोमेद सोंच-समझकर पहने अन्यथा हानि हो सकती है।

कब करें गोमेद को धारण व उसकी विधि

शनिवार के दिन अष्टधातु या चॉदी की अंगूठी में जड़वाकर षोड़षोपचार पूजन करने के बाद निम्न ‘‘ऊॅ रां राहवे नमः'' मन्त्र की कम से कम एक माला जाप करके मध्यमा ऊंगली में धारण करना चाहिए।

रुद्राक्ष पहनने के क्या फायदे होते हैं?

 

रुद्राक्ष जाबाला उपनिषद और शिव पुराण शिव त्रिवेणी की स्थापना की शक्ति का प्रचार करते हैं। यह अरबों जीवन में एक बार होता है कि संचित पुण्य कर्म अंकुरित होते हैं जब किसी को एक प्रामाणिक शैव गुरु मिलता है और उनकी कृपा और दीक्षा से, रुद्राक्ष और भस्म त्रिपुंड्र धारण के साथ मनुष्य कट्टर शैव बन जाता है।

शिव पुराण विद्याश्वर संहिता में उल्लेख है कि जो लोग कम से कम एक रुद्राक्ष, माथे पर त्रिपुंड्र धारण करते हैं और पंचाक्षरी का जाप करते हैं, उन्हें यम रक्षकों द्वारा सम्मानित किया जाता है। शैव स्वयं शिव के रूप में गुरु तत्व वाले संत माने जाते हैं। वे सभी जिनके पास भस्म और रुद्राक्ष है, उनका सम्मान किया जाएगा क्योंकि वे शक्तिशाली शैव हैं। उन्हें कभी भी यमलोक नहीं लाया जाएगा। गुरुदेव ने हमेशा भस्म और त्रिपुंड को माथे पर पहनने या भस्मोधुलन यानी पवित्र राख की धूल से शरीर पर लेपन करने पर जोर दिया है। एक सत्संग में उन्होंने सुझाव दिया कि कम से कम एक रुद्राक्ष को गले या बांह पर लाल रंग के कपड़े में पहनना चाहिए और रुद्राक्ष के प्रकार की महानता। हालांकि सबसे आसान 5 मुखी रुद्राक्ष है जो प्राकृतिक और आसान है। रुद्राक्ष जब एक बार धारण करने के बाद आपके शरीर का हिस्सा बन जाता है तो यह आपके "अंग" की तरह होता है। एक बार अभिषेक करके इसे पहना जाता है, इसे हटाया नहीं जाना चाहिए। हाथ में पहनी जाने वाली माला गृहस्थों को नहीं धारण करना चाहिए और रुद्राक्ष धारण के बाद सात्विक आचारण, सात्विक अनाज का पालन करना चाहिए। मसाहार का त्याग करना चाहिए

रुद्राक्ष जाबला उपनिषद में कहा गया है:

एकवक्रं तु रुद्राक्षं परतत्त्वस्वरूपकम् ।

तद्धानात्परे तत्त्वे लीयते विजितेन्द्रियः ॥ 1॥

एक मुखी रुद्राक्ष निर्विकार स्वरूप श्री सदा शिव सर्वोच्च तत्त्व शिवत्व स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है और इसे धारण करने से व्यक्ति सांबा सदा शिवाय में विलीन हो जाता है। इसे धारण करने से समस्त इन्द्रियों पर विजय प्राप्त होती है। शिव पुराण में यह भी कहा गया है कि एक मुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव है। यह सांसारिक सुख और मोक्ष प्रदान करता है। ब्राह्मण-वध का पाप इसके दर्शन मात्र से धुल जाता है और इच्छा, समृद्धि और भाग्य की पूर्ति भी कर सकता है।

मेरे गुरुजी ने एक बार उल्लेख किया था कि यह रुद्राक्ष दुर्लभतम है और भौतिक क्षेत्र में कुल 3 उपलब्ध हैं। इसलिए यदि कोई आपको एक मुखी रुद्राक्ष बेचने का दावा करता है तो सावधान हो जाइए। यह रुद्राक्ष एक सिद्ध संत या शैव गुरु द्वारा दिया जा सकता है यदि उनके पास गुरु वंश से उत्तराधिकारी है, बस इतना ही। यह हमेशा संन्यासी द्वारा पहना जाता है।

द्विवक्रं तु मुनिश्रेष्ठ चर्धनारीश्वरात्मकम् ।

धारणादर्धनारीशः प्रीयते तस्य नित्यशः ॥ 2॥

दो मुंह वाला, हे ऋषियों में सर्वश्रेष्ठ, अर्धनारीश्वर शिव (आधे पुरुष पुरुष शिव और आधी महिला प्रकृति शक्ति वाले भगवान) का प्रतिनिधित्व करता है। इसे धारण करने से अर्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं। यह वैवाहिक आनंद और दिव्य शक्ति शिव जैसे संबंधों को लाता है। शिव पुराण में दो मुख वाले दो मुखी रुद्राक्ष को इसाना कहा गया है। इससे गोहत्या का पाप शांत होता है।

इसे लाल रंग के ढागे में बांह में पहना जा सकता है। बांह में संभव न हो तो गर्दन में ही। लंबाई छाती के केंद्र से 2 इंच ऊपर होनी चाहिए।

त्रिमुखं चैव रुद्राक्षमग्नित्रीस्वरूपकम् ।

तद्धारनाच्च हुतभुक्तस्य तुष्यति नित्यदा ॥ 3 ॥

तीन मुख वाला तीन पवित्र अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात अग्निदेव पूर्ववर्ती देवता हैं। अग्नि देवता हमेशा उनसे प्रसन्न होते हैं जो इसे पहनते हैं। तीन मुख वाला रुद्राक्ष हमेशा आनंद का साधन प्रदान करता है। इसकी शक्ति के परिणामस्वरूप

चतुर्मुखं तु रुद्राक्षं चतुर्वक्रस्वरूपकम् ।

तद्धारनाच्चतुर्वक्रः प्रीयते तस्य नित्यदा ॥ 4॥

चार मुख वाला रुद्राक्ष चार मुख वाले देवता (ब्रह्मा) का प्रतिनिधित्व करता है और ब्रह्म देव उससे प्रसन्न होते हैं जो इसे धारण करता है। शिव पुराण में कहा गया है कि यह मनुष्य-वध के पाप को शांत करता है। इसके दर्शन मात्र से और एक बार पूजा करने से चारों सिद्धि प्राप्त हो जाती है। धर्म, काम, अर्थ, मोक्ष

पञ्चवक्रं तु रुद्राक्षं पञ्चब्रह्मस्वरूपकम् ।

पञ्चवक्रः स्वयं ब्रह्म पुंहत्यां च व्यपोहति ॥ 5॥

पांच मुखी रुद्राक्ष भगवान सदा शिव के पांच मुखों का प्रतिनिधित्व करता है। ईशान, तत्पुरुष, अघोरा, वामदेव और सद्योजाता। पांच मुख वाला रुद्राक्ष स्वयं शिव है। यह ब्राह्मण वध के पाप को शांत करता है। शिव पुराण में कहा गया है कि इसका नाम कालाग्नि है और इसे धारण करने से सभी वांछित वस्तुओं की भौतिक उपलब्धि प्राप्त होती है और इसलिए मोक्ष मिलता है। पांच मुखी रुद्राक्ष अधर्म और तामसिक भोजन करने के सभी प्रकार के पापों को दूर करता है।

षद्वक्रमपि रुद्राक्षं कार्तिकेयाधिदैवतम् ।

तद्धारान्महाश्रीः स्यान्महदारोग्यमुत्तमम् ॥ 6॥

मतिविज्ञानसंपत्तिशुद्धये धारयेत्सुधीः ।

विनायकाधिदैवं च प्रवदन्ति मनीषिणः ॥ 7॥

छह मुखी रुद्राक्ष में छह सिर वाले शनानन कार्तिकेय (सुब्रह्मण्यम स्वामी) इसके अधिष्ठाता देवता हैं। पहनने से धन और बहुत अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। इससे रिद्धि और सिद्धि के देवता भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। वह महान बुद्धि प्रदान करते हैं और इसलिए गुणों का पालन करते हैं। शिव पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति इसे दाहिने हाथ में धारण करता है वह निश्चित रूप से ब्राह्मण-वध के पापों से मुक्त हो जाता है।

सप्तवक्त्रं तु रुद्राक्षं सप्तमाधिदैवतम् ।

तद्धारान्महाश्रीः स्यान्महदारोग्यमुत्तमम्॥

महती ज्ञानसम्पत्तिः शुचिर्धारणतः सदा ।

सात मुखी रुद्राक्ष के अधिष्ठाता देवताओं के रूप में स्पता मातृकाएँ हैं। इसे धारण करने से अपार धन और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह मन में पवित्रता देता है, ज्ञान। शिव पुराण में कहा गया है कि सात मुख वाले रुद्राक्ष को अनहग कहा जाता है, इसे धारण करने से एक गरीब व्यक्ति भी महान भगवान बन जाता है।

अष्टवक्रं तु रुद्राक्षमष्टमात्राधिदैवतम् ॥ 9॥

वस्वष्टकप्रियं चैव गङ्गाप्रीतिकरं तथा ।

तद्धारादिमे प्रीता भवेयुः सत्यवादिनः ॥ 10॥

आठ मुखी रुद्राक्ष की अधिष्ठात्री देवी अष्टमातृकाएँ हैं। यह आठ वसुओं और गंगाधर शिव, श्री जाह्नवी गंगा के मस्तक से बहने वाली देवी को प्रसन्न करता है, इसे धारण करने से उपरोक्त देवता प्रसन्न होंगे, जो अपने वचन के प्रति सच्चे हैं। आठ मुख वाले रुद्राक्ष को वसुमूर्ति और भैरव कहा जाता है। इसे धारण करने से मनुष्य पूर्ण आयु तक जीवित रहता है। मृत्यु के बाद, वह त्रिशूलधारी भगवान (शिव) बन जाता है।

नववक्रं तु रुद्राक्षं नवशक्तिधिदैवतम् ।

तस्य धारणमात्रेण प्रीयन्ते नवशक्तयः ॥ 11 ॥

नौ मुखी रुद्राक्ष में नौ शक्तियाँ / दुर्गा इसके अधिष्ठाता देवताओं के रूप में हैं। इसे धारण करने मात्र से आध्या परा शक्ति के नौ रूप प्रसन्न होते हैं। शिव पुराण में कहा गया है कि नौ चेहरों वाला रुद्राक्ष भी भैरव है। इसके ऋषि कपिल हैं। इसकी अधिष्ठात्री देवी दुर्गा, महेश्वरी हैं। इस रुद्राक्ष को बाएं हाथ में शक्ति और शिव की सच्ची भक्ति के साथ पहना जाना चाहिए, जो भक्त सर्वेश्वर बन जाता है।

दशवक्रं तु रुद्राक्षं यमदैवत्यमीरितम् ।

दर्शनाच्छान्तिजकं धारणान्नात्र संशयः ॥ 12॥

दस मुखी रुद्राक्ष के अधिष्ठाता देवता यम हैं। इसके दर्शन मात्र से संचित पाप कम हो जाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। शिव पुराण में कहा गया है कि दस मुखी रुद्राक्ष स्वयं भगवान कृष्ण हैं, इसे धारण करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह कुंडली में ग्रहों की स्थिति के बुरे प्रभाव को भी कम करता है

दशवक्रं तु रुद्राक्षं यमदैवत्यमीरितम् ।

दर्शनाच्छान्तिजकं धारणान्नात्र संशयः ॥ 12॥

दस मुखी रुद्राक्ष के अधिष्ठाता देवता यम हैं। इसके दर्शन मात्र से संचित पाप कम हो जाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। शिव पुराण में कहा गया है कि दस मुखी रुद्राक्ष स्वयं भगवान कृष्ण हैं, इसे धारण करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह कुंडली में ग्रहों की स्थिति के बुरे प्रभाव को भी कम करता है

एकादशमुखं त्वक्षं रुद्राकादशदैवतम् ।

तदिदं दैवतं प्राहुः सदा

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष ग्यारह रुद्रों को उसके अधिष्ठाता देवताओं के रूप में दर्शाता है। समृद्धि शिव का दूसरा नाम है इसलिए जो इसे धारण करता है उसके लिए शिव भी उसे समृद्ध करते हैं और व्यक्ति सभी प्रयासों में विजयी होता है

रुद्राक्षं द्वादशमुखं महाविष्णुस्वरूपकम् ॥ 13॥

च बिभर्त्येव हि तत्परम् ॥14॥

बारह मुखी रुद्राक्ष महान विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है। यह बारह आदित्यों का भी प्रतिनिधित्व करता है। बारह मुखी रुद्राक्ष को सिर के बालों में धारण करना चाहिए। उसमें सभी बारह आदित्य (सूर्य) विद्यमान हैं। जो इसे धारण करता है वह स्वयं महा विष्णु का एक रूप है

त्रयोदशमुखं त्वक्षं कामदं सिद्धिदं शुभम्।

शुभम्तस्य धारणमात्रेण कामदेवः प्रसी

दति ॥ १५॥

तेरह मुखी रुद्राक्ष सभी इच्छाओं, सिद्धियों और समृद्धि को पूरा करता है। सद्हृदय से जब इसे धारण करने मात्र से ही कामदेव प्रसन्न हो जाते हैं। शिव पुराण में तेरह मुखी रुद्राक्ष की महिमा स्वयं विश्वदेव के रूप में बताई गई है इसलिए वह सभी इच्छाओं, सौभाग्य और शुभता को प्रदान करते हैं।

चतुर्दशमुखं चाक्षं रुद्रनेत्रसमुद्भवम् ।

सर्वव्याधिहरं चैव सर्वदारोग्यमाप्नुयात् ॥ 16॥

चौदह मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान रुद्र के नेत्रों से हुई है। यह सभी रोगों को दूर भगाता है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है। आरोग्य हमेशा के लिए। शिव पुराण में कहा गया है कि चौदह मुख सर्वोच्च शिव हैं। पिछले जन्मों में संचित सभी पापों को नष्ट करने के लिए इसे बड़ी श्रद्धा के साथ सिर पर धारण किया जाएगा।

भगवान रुद्र हमें दिन-प्रतिदिन के जीवन में त्रिवेणी स्थापित करने के लिए दृढ़ भक्ति और आशीर्वाद दें और हमें अपार शक्ति और महान महिमा वाले रुद्राक्ष पहनने का अवसर दें।

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः

सर्वे सन्तु निरामयाः।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु

मा कश्चिद्दुःखभागभवेत।

आत्मा त्वं गिरिजा मति:

नमः शिवाय

माणिक्य रत्न पहनने के क्या फायदे होते हैं?

 

नमस्कार मित्रों, माणिक्य सूर्य का रत्न है जो की अत्यंत ताकतवर है और यह नीलम के समान ही अति शीघ्र प्रभाव दिखाता है। सूर्य ग्रहों का राजा है इसीलिए माणिक्य भी राजयोग दिलाता है आप जानते होंगे की पहले के समय राजा महाराजा अपने मुकुट में माणिक्य रत्न धारण करते थे ।

कुंडली में सूर्य के कमजोर होने पर माणिक्य धारण करने की ज्योतिषों द्वारा सलाह दी जाती है, यह रत्न सूर्य से जुड़ा हुआ है इसलिए सूर्य से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए इसे धारण किया जाता है।

सूर्यदेव सफलता के कारक हैं इसलिए अगर आप अनेकों प्रयासों के पश्चात भी सफलता नहीं पा रहे हैं तो हो सकता है की आपकी कुंडली में सूर्य दोष हो तो ऐसी स्तिथि में आपको माणिक्य धारण करना चाहिए यह आपके लिए अत्यंत लाभकारी है।

माणिक्य की चमत्कारी शक्तियां —

  1. लोगों की मान्यता अनुसार इसे धारण करने वाला व्यक्ति अगर भविष्य में बीमार होने वाला होता है तो इसका रंग फीका पड़ने लगता है ।
  2. यदि किसी व्यक्ति का देहांत होने वाला हो और उसने माणिक्य धारण किया है तो 3 महीने पहले से ही उसके माणिक्य का रंग सफेद रंग में परिवर्तित होने लगता है।
  3. माणिक के विषय में लोगों की यह मान्यता भी है अगर पति पत्नी से धारण करें और उन में से कोई एक बेवफाई करता है अर्थात यदि पत्नी बेवफाई करती है तो पति के माणिक्य का रंग फीका पड़ने लगेगा।

माणिक्य के चमत्कारी फायदे —

मित्रों माणिक्य के अनेकों लाभकारी फायदे हैं चलिए उन सभी फायदों की और अपना ध्यान केंद्रित करते हैं —

  1. यह रत्न तेज और समृद्धि प्रदान करने वाला है और सूर्य ऊर्जावान ग्रह है इसलिए इसे धारण करने वाले जातक को सूर्य की ऊर्जा मुफ्त प्राप्त होती है ।
  2. सूर्य सिंह राशि का स्वामी है इसलिए जातक आत्मनिर्भर भी बनता है, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों में वृद्धि होती है इसके अलावा जीवन में स्थिरता आती है और मनुष्य उन्नति की और बढ़ता जाता है ।
  3. इसे धारण करने से आत्मबल बढ़ता है, त्वचा की परेशानी नहीं होती, हड्डियों की कमजोरी नहीं होती है, आंखों की परेशानी दूर होती है, चेहरे पर एक प्रकार की चमक आती है।
  4. शरीर की शक्ति में वृद्धि होती है, आलस से छुटकारा मिलता है, मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है, आत्मविश्वास बढ़ता है, सरकारी नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होती है और इसे धारण करने इच्छा शक्ति में वृद्धि होती है ।

लैब सर्टिफाइड माणिक्य रत्न कहां से खरीदें ?

मित्रों यदि आप हमारे ज्योतिष केंद्र से ओरिजनल माणिक्य रत्न खरीदना चाहते हैं जो आपको हमारे ज्योतिष केंद्र में मिल जाएगा, मंगाने हेतु संपर्क सूत्र — 9414129498

सुलेमानी हकीक धारण करने के चमत्कारी फायदे ?

 

सुलेमानी हकीक क्या है ?

सुलेमानी हकीक एक अत्यंत प्रभावशाली रत्न है जिसे सुलेमानी पत्थर के नाम से भी जाना जाता है यह गोदावरी और नर्मदा नदी के नीचे तलों में पाया जाता है इसे धारण करने से शनि, राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों से छुटकारा मिलता है और इसकी खास बात यह है की इसे सभी लोग धारण कर सकते हैं ।

सुलेमानी हकीक की पहचान कैसे करें ?

सुलेमानी हकीक उच्च गुणवत्ता का होता है और बेहतर रंग का होता है यदि आप इसे अपने उपचार के लिए खरीदना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है यह कहीं से टूटना न हो, पहले किसी के द्वारा उपयोग न किया हो और चमकदार होना चाहिए इसके आलावा इस पर धब्बा नहीं होना चाहिए। इसे आप अंगूठी या माले के रूप में धारण कर सकते हैं।

सुलेमानी हकीक धारण करने के चमत्कारी फायदे ?

सुलेमानी हकीक धारण करने के अनेकों शक्तिशाली फायदे हैं तो चलिए उन सभी फायदों के बारे में जानते हैं ।

  1. यदि आपके जीवन में नकारात्मकता अधिक है या आप काला जादू भूत प्रेत आदि से परेशान हैं तो ऐसी स्तिथि में आपको सुलेमानी हकीक धारण करना चाहिए।
  2. यह तनाव, चिड़चिड़ापन दूर करता है और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है यदि आप भी तनाव से परेशान हैं तो आपको सुलेमानी हकीक धारण करना चाहिए ।
  3. यह पत्थर अनेकों गुणों से युक्त है इसे धारण करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और इसे अपने बैडरूम में रखने से नींद अच्छी आती हैं ।
  4. यह रत्न लक्ष्य की प्राप्ति की और अधिक जागृत करता है और इसे धारण करने से मन शांत रहता है जिससे मन में किसी भी प्रकार की फालतू बातें नहीं आती हैं । इसे धारण करने से समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है।
  5. यह मस्तिष्क और हृदय के बीच अच्छे संतुलन को बनाता है और इसे धारण करने से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है ।
  6. जो लोग अधिक बीमार रहते हैं उन्हें सुलेमानी हकीक अवश्य धारण करना चाहिए यह कमजोरी दूर कर शरीर में ऊर्जा का निर्माण करता है जिससे धरनकर्ता के स्वास्थ्य में सुधार होता है और वह बलवान बनता है।
  7. यदि आपके व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है, घर में पैसा नहीं रुक रहा है, धन संचय नहीं हो पा रहा है तो ऐसी स्तिथि में आपको सुलेमानी हकीक अवश्य धारण करना चाहिए यह धन आने के अनेकों मार्ग खोलता है और घर में पैसे स्थिर होने लगते हैं।
  8. जिनके घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव है उन्हें सुलेमानी हकीक धारण करना चाहिए।
  9. इसे धारण करने से हृदय, आंख और किडनी मजबूत होते हैं और इनसे संबंधित कोई बीमारी नहीं होती ।
  10. वे लोग जिनके जीवन में राहु, केतु या शनि के नकारात्मक प्रभाव हैं वे लोग सुलेमानी हकीक अवश्य धारण करें ।

लैब प्रमाणित सुलेमानी हकीक कहां से खरीदें —

मित्रों यदि आप हमारे ज्योतिष केंद्र से लैब प्रमाणित सुलेमानी हकीक खरीदना चाहते हैं जो आपको हमारे यहां मात्र 600₹ कैरेट मिल जाएगा । हमारे  ज्योतिष केंद्र में सभी प्रकार के रत्न अभिमंत्रित करके दिए जाते हैं जिससे आपको इसका तुरंत लाभ मिल सके ।

इसके अलावा हमारे यहां सभी प्रकार के रत्न, सभी प्रकार की पूजा सामग्री, सभी प्रकार के रुद्राक्ष एवं ऑनलाइन और ऑफलाइन पूजा की जाती है ।

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मूंगा रत्न पहनने के क्या फायदे होते हैं?

 

रत्नों को हमेशा ग्रहों के अनुसार धारण करना चाहिए, ज्योतिषों की मानें तो हर ग्रह के अपने रत्न होते हैं इसके अलावा यदि आपके कुंडली में कोई ग्रह नकारात्मक प्रभाव दे रहा है या यूं कहें की कोई ग्रह निर्बल स्तिथि में है तो उसे मजबूत करने हेतु एवं उसका शुभ फल प्राप्त करने हेतु रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति के कुंडली में मूंगा नकारात्मक प्रभाव दे रहा है तो ऐसी स्तिथि में मूंगा रत्न धारण करना चाहिए ।

मूंगा रत्न क्या है ?

मूंगा रत्न मंगल का प्रतिनिधित्व करने वाला रत्न है जो मूंगा के सकारात्मक प्रभावों की प्राप्ति करवाता है, मंगल को पराक्रम का कारक माना गया है जिस प्रकार बृहस्पति गुरु हैं, सूर्य राजा हैं उसी प्रकार मंगल को देवों के सेनापति होने का अभिमान प्राप्त है ये रक्त एवं उत्साह के कारक माने गए हैं, जहां ये विवाह एवं शुभ प्रसंगों में बाधा डालते हैं वहीं ये पराक्रम एवं शक्ति भी प्रदान करते हैं। हमारे जीवन में मंगल ग्रह का निर्बल एवं शक्तिशाली होना यह अत्यधिक प्रभावित करता है।

अनुभवी लोगों का मानना है मूंगा रत्न को सही विधि से एवं अपने वजन के अनुसार धारण करने से यह जातक को करोड़पति भी बना देता है तो कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं की यह रत्न किस्मत बदल देने वाला रत्न है।

असली मूंगा रत्न की पहचान —

आज के समय में असली रत्नों की पहचान अत्यंत आवश्यक हो गई है क्योंकि नकली रत्न पहनने के कोई लाभ नहीं है इसलिए यदि आप अपने पैसे खर्च कर रहे हैं तो रत्नों की पहचान अवश्य कर लें, कुछ उपाय हैं जिनके माध्यम से असली मूंगा रत्न की पहचान कर सकते हैं —

  1. यह सभी रत्नों से अधिक चिकना होता है, इसलिए इसे हाथों में लेने से यह फिसलता है ।
  2. यदि मूंगा रत्न रक्त के समीप रक्खा जाए तो यह पूर्ण रूप से रक्त को सोख लेता है।
  3. असली मूंगा पर पानी की बूंदे रुकती हैं इसके विपरित नकली मूंगे पर फिसल जाती है ऐसा इसलिए है क्योंकि नकली मूंगा प्लास्टिक का होता है।
  4. ओरिजनल मूंगा जलाने पर उसमें से बाल जलने की सुगंध आती है ।
  5. यदि मूंगा रत्न को मैग्नीफाइंग ग्लास द्वारा देखा जाए तो उस पर सफेद रेखाएं दिखाई देती हैं ।
  6. असली मूंगा रत्न कांच पर घिसा जाए तो वह बिलकुल भी आवाज नहीं करता एवं इस पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालने पर झाक बनता है।

ये कुछ उपाय हैं जिनके माध्यम से ओरिजनल मूंगे की पहचान कर सकते है ।

मूंगा रत्न धारण करने के चमत्कारी फायदे ?

  1. इस रत्न को चांदी, सोना या तांबें में धारण करने से बुरी नजर से छुटकारा मिलता है एवं भूत प्रेत आदि के भय हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं ।
  2. मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से उन्हें अत्यंत लाभ प्राप्त होगा ।
  3. मूंगा रत्न पहनने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है एवं दूसरों के प्रति ईर्ष्या समाप्त होती है।
  4. मानसिक थकावट एवं उदासी पर नियंत्रण पाने के लिए मूंगा अवश्य धारण करें ।
  5. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर इंजीनियर, हथियार बनाने वाले, सर्जन करने वाले, पुलिस, डॉक्टर, आर्मी आदि के लोगों को मूंगा धारण करने से विशेष प्रकार का लाभ मिलता है ।
  6. यदि आप आलसी हैं तो आपको मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से आलस से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है।
  7. यदि किसी व्यक्ति को रक्त से संबंधित समस्याएं हैं तो उसे मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से अत्यंत लाभ मिलेगा ।
  8. पीलिया एवं मिर्गी रोगियों के लिए मूंगा धारण करना अत्यधिक लाभकारी है।
  9. यदि आपके जीवन में अनेकों प्रकार की परेशानियां आ रहीं है और आप चाहते हैं की उनसे आपको छुटकारा मिले तो ऐसी स्तिथि में आपको मूंगा धारण करना चाहिए ।
  10. मूंगा नेतृत्व क्षमता में वृद्धि करता है और भविष्य में आने वाली चुनौतियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
  11. लोगों के मान्यता अनुसार यदि गर्भवती स्त्री मूंगा रत्न धारण करे तो गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों में गर्भपात की संभावना अत्यधिक कम हो जाती है।
  12. वे बच्चे जो कुपोषण से पीड़ित हैं उन्हें लाल मूंगा धारण करना चाहिए यह उनके लिए लाभकारी है।

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