जय श्री कृष्णा,
क्या हम भारतीय है ?
कोई कहता है मैं ब्राह्मण, मैं पंजाबी, मैं बंगाली, मैं मराठी, पर क्या आज तक किसी ने ये कहा मे भारतीय हूँ
सबको अपनी पड़ी है अंग्रेज़ो द्वारा थोपे गये नाम इंडियन को आज तक ढो रहे है अंग्रेज़ो ने भारत के हर क्षेत्र मे अंदर और बाहर अपनी छाप लगा रखी है जिसे हम लोग किसी ना किसी रूप मे प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल कर रहे है
हमे अब इस मानसिक गुलामी को छोड़ना होगा,
१. जैसे टाई का जो की अंग्रेज़ो की क्रॉस का प्रतीक है आज तक बिना सोचे समझे लगा रहे है ओर आज वो क्रॉस हमारी भारतीय मुद्रा मे भी सिक्को के पीछे दिखाई दे रहा है ,
२. लोवेस्ट जीन्स - जो की बहुत ही घटिया मानसिकता के कामुक वहशी संस्क्रती की उपज है जो आज युवा पीढ़ी बिना इसका इतिहास जाने अपनाने लगी है
३. धर्मांतरण - लोग बिना सोचे समझे फेशन के चक्कर मे अपनी परंपराओं की वैज्ञानिकता को बिना समझे आधुनिकता की आड़ मे मॉर्डन बनने के साथ ही अपने धर्म से विमुख हो रहे है
४. अंग्रेज़ो द्वारा थोपा गया शब्द इंडिया(गुलाम) आज तक हर जगह प्रयोग कर रहे है अँग्रेज़ी बोलना अपनी शान समझते है
क्या हमे इस तरह की गुलामी से बाहर नही निकलना चाहिए, सरकार ओर उसमे बैठे स्वार्थी लोगो को इन सब बातों से कोई मतलब नही, उनकी जेब भरने के लिए यदि जनता को मौत के मूह मे भी भेजना पड़े तो उन्हे कोई फ़र्क नही पड़ता | इसलिए आज देश को खोखला करने वाली इतनी बाहरी कंपनिया भारत मे अपना अस्तित्व बना चुकी है
महँगाई ओर भ्रष्टाचार से आज सिर्फ़ ओर सिर्फ़ ग़रीब ओर निम्न वर्ग ही त्रस्त है क्योंकि
उच्च वर्ग को कोई फ़र्क नही पड़ता
मध्यम वर्ग के पास समय नही है
ओर निम्न वर्ग कुछ कर नही सकता
तो समस्या ज्यों की त्यों है
क्यों ना इस समस्या का एक एक करके समाधान किया जाए
सबसे पहले हमे अपने नाम के साथ थोपे गये इंडियन शब्द से छुटकारा पाना होगा
इसके लिए आज से ही सभी अपनी हर सोशियल वेबसाइट की प्रोफाइल मे ओर जहाँ भी पता लिखे वहाँ इंडिया की जगह भारत लिखना शुरू कीजिए
जेसे भीलवाड़ा, (राजस्थान) भारत
इससे आने वाले समय मे इस कलंक से तो मुक्ति मिल जाएगी
बाकी की समस्याओं के लिए आप लोग इस बारे मे अपनी राय दीजिए ताकि एक ठोस समाधान सामने आएगा
आपका सहयोग इस आंदोलन मे एक एक इंट का काम करेगा
धन्यवाद
कैलाशचंद्र (साँवरिया)
क्या हम भारतीय है ?
कोई कहता है मैं ब्राह्मण, मैं पंजाबी, मैं बंगाली, मैं मराठी, पर क्या आज तक किसी ने ये कहा मे भारतीय हूँ
सबको अपनी पड़ी है अंग्रेज़ो द्वारा थोपे गये नाम इंडियन को आज तक ढो रहे है अंग्रेज़ो ने भारत के हर क्षेत्र मे अंदर और बाहर अपनी छाप लगा रखी है जिसे हम लोग किसी ना किसी रूप मे प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल कर रहे है
हमे अब इस मानसिक गुलामी को छोड़ना होगा,
१. जैसे टाई का जो की अंग्रेज़ो की क्रॉस का प्रतीक है आज तक बिना सोचे समझे लगा रहे है ओर आज वो क्रॉस हमारी भारतीय मुद्रा मे भी सिक्को के पीछे दिखाई दे रहा है ,
२. लोवेस्ट जीन्स - जो की बहुत ही घटिया मानसिकता के कामुक वहशी संस्क्रती की उपज है जो आज युवा पीढ़ी बिना इसका इतिहास जाने अपनाने लगी है
३. धर्मांतरण - लोग बिना सोचे समझे फेशन के चक्कर मे अपनी परंपराओं की वैज्ञानिकता को बिना समझे आधुनिकता की आड़ मे मॉर्डन बनने के साथ ही अपने धर्म से विमुख हो रहे है
४. अंग्रेज़ो द्वारा थोपा गया शब्द इंडिया(गुलाम) आज तक हर जगह प्रयोग कर रहे है अँग्रेज़ी बोलना अपनी शान समझते है
क्या हमे इस तरह की गुलामी से बाहर नही निकलना चाहिए, सरकार ओर उसमे बैठे स्वार्थी लोगो को इन सब बातों से कोई मतलब नही, उनकी जेब भरने के लिए यदि जनता को मौत के मूह मे भी भेजना पड़े तो उन्हे कोई फ़र्क नही पड़ता | इसलिए आज देश को खोखला करने वाली इतनी बाहरी कंपनिया भारत मे अपना अस्तित्व बना चुकी है
महँगाई ओर भ्रष्टाचार से आज सिर्फ़ ओर सिर्फ़ ग़रीब ओर निम्न वर्ग ही त्रस्त है क्योंकि
उच्च वर्ग को कोई फ़र्क नही पड़ता
मध्यम वर्ग के पास समय नही है
ओर निम्न वर्ग कुछ कर नही सकता
तो समस्या ज्यों की त्यों है
क्यों ना इस समस्या का एक एक करके समाधान किया जाए
सबसे पहले हमे अपने नाम के साथ थोपे गये इंडियन शब्द से छुटकारा पाना होगा
इसके लिए आज से ही सभी अपनी हर सोशियल वेबसाइट की प्रोफाइल मे ओर जहाँ भी पता लिखे वहाँ इंडिया की जगह भारत लिखना शुरू कीजिए
जेसे भीलवाड़ा, (राजस्थान) भारत
इससे आने वाले समय मे इस कलंक से तो मुक्ति मिल जाएगी
बाकी की समस्याओं के लिए आप लोग इस बारे मे अपनी राय दीजिए ताकि एक ठोस समाधान सामने आएगा
आपका सहयोग इस आंदोलन मे एक एक इंट का काम करेगा
धन्यवाद
कैलाशचंद्र (साँवरिया)