"हिंदू: हिन्दुश्च प्रसिद्धौ दुशतानाम च विघर्षने"।
अर्थात.......... हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है।
इतना ही नहीं...... वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी) में भी मन्त्र है,.......................... .
हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:। वेद्.........हिंदु मुख शब्द भाक्।"
अर्थात........ जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।
ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,........................... .....
"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं। तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत ।
अर्थात....... हिमालय पर्वत से लेकर इंदु (हिंद) महासागर तक देवपुरुषों द्बारा निर्मित इस क्षेत्र को हिन्दुस्थान कहते है।
और तो और.... पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन ग्रन्थ में भी लिखा है कि,
"अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त"।
अर्थात...... व्यास नामक एक ब्राह्मण हिंद से आया जिसके बराबर कोई अक्लमंद नही था।
इस्लाम के पिगम्बर मुहम्मद से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए। उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,........................... .
"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे। व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं॥
अर्थात............ हे हिंद की पुन्य भूमि ! तू धन्य है, क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझेचुना है।
१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन लिखते हैं .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं ।
महाकवि चन्द्र बरदाई ने भी लिखा है ....................
जब हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम ।
सिर्फ इतना ही नहीं...... इन जैसे हजारो तथ्य चीख-चीख कर कहते है कि हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है
इसलिये कहता हूँ गर्व से कहो हम हिन्दू हैँ।
Sabhar
डा. सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
अर्थात.......... हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है।
इतना ही नहीं...... वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी) में भी मन्त्र है,..........................
हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:। वेद्.........हिंदु मुख शब्द भाक्।"
अर्थात........ जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।
ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,...........................
"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं। तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत ।
अर्थात....... हिमालय पर्वत से लेकर इंदु (हिंद) महासागर तक देवपुरुषों द्बारा निर्मित इस क्षेत्र को हिन्दुस्थान कहते है।
और तो और.... पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन ग्रन्थ में भी लिखा है कि,
"अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त"।
अर्थात...... व्यास नामक एक ब्राह्मण हिंद से आया जिसके बराबर कोई अक्लमंद नही था।
इस्लाम के पिगम्बर मुहम्मद से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए। उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,...........................
"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे। व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं॥
अर्थात............ हे हिंद की पुन्य भूमि ! तू धन्य है, क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझेचुना है।
१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन लिखते हैं .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं ।
महाकवि चन्द्र बरदाई ने भी लिखा है ....................
जब हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम ।
सिर्फ इतना ही नहीं...... इन जैसे हजारो तथ्य चीख-चीख कर कहते है कि हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है
इसलिये कहता हूँ गर्व से कहो हम हिन्दू हैँ।
Sabhar
डा. सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
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