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सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

शरद पूर्णिमा - हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना

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अमृत बरसाने वाला त्यौहार : शरद पूर्णिमा.......

दूधिया रौशनी का अमृत बरसाने वाला त्यौहार शरद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है हिन्दू धर्मावलम्बी इस पर्व को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं ज्योतिषों के मतानुसार पूरे साल भर में केवल इसी दिन भगवान 'चंद्रदेव' अपनी सोलह कलाओं के साथ परिपूर्ण होते हैं | हिन्दू धर्मशास्त्र में वर्णित कथाओं के अनुसार देवी देवताओं के अत्यंत प्रिय पुष्प 'ब्रह्मकमल' केवल इसी रात में खिलता है इस रात इस पुष्प से मां लक्ष्मी की पूजा करने से भक्त को माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है

कहते हैं इसी मनमोहक रात्रि पर भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था
शरद पूर्णिमा के सम्बन्ध में एक दंतकथा अत्यंत प्रचलित है कथानुसार एक साहूकार की दो बेटियां थी और दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थी, लेकिन बड़ी बेटी ने विधिपूर्वक व्रत को पूर्ण किया और छोटी ने व्रत को अधूरा ही छोड़ दिया फलस्वरूप छोटी लड़की के बच्चे जन्म लेते ही मर जाते थे एक बार बड़ी लड़की के पुण्य स्पर्श से उसका बालक जीवित हो गया और उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक पूर्ण रूप से मनाया जाने लगा इस दिन व्रती को जितेन्द्रय भाव से रहना चाहिए और हाथ में गेंहू लेकर इस पुण्यशाली व्रत की कथा सुननी चाहिए इस दिन शिव-पार्वती, कार्तिक और महालक्ष्मी की पूजा की जाती है, मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है |

शरद पूर्णिमा का शास्त्रों में महत्व : 16 कलाओं के चांद वाली पूनम रात.......

शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है । इस रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत-तत्त्व बरसता है । चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषकशक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है । आज की रात्रि चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं तो उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है । उसका शरीर पुष्ट होता है । भगवान ने भी कहा है -

पुष्णमि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।
'रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ।' (गीताः15.13)

चन्द्रमा की किरणों से पुष्ट यह खीर पित्तशामक, शीतल, सात्त्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है । इससे चित्त को शांति मिलती है और साथ ही पित्तजनित समस्त रोगों का प्रकोप भी शांत होता है ।

आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो चन्द्र का मतलब है, शीतलता । बाहर कितने भी परेशान करने वाले प्रसंग आयें लेकिन आपके दिल में कोई फरियाद न उठे । आप भीतर से ऐसे पुष्ट हों कि बाहर की छोटी मोटी मुसीबतें आपको परेशान न कर सकें ।

इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना । एक आध मिनट आँखें पटपटाना । कम से कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं । इससे 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी और फिर ऐसा आसन बिछाना जो विद्युत का कुचालक हो, चाहे छत पर चाहे मैदान में । चन्द्रमा की तरफ देखते-देखते अगर मौज पड़े तो आप लेट भी हो सकते हैं । श्वासोच्छवास के साथ भगवन्नाम और शांति को भरते जायें, निःसंकल्प नारायण में विश्रान्ति पायें । ऐसा करते-करते आप विश्रान्ति योग में चले जाना । विश्रांति योग.... भगवदयोग.... अंतरंग जप करते हुए अपने चित्त को शांत, मधुमय, आनंदमय, सुखमय बनाते जाना । हृदय से जपना प्रीतिपूर्वक, आपको बहुत लाभ होगा ।

जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो, वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें । जिनको दमे की बीमारी हो, वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना । दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना । जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है ।

पौराणिक मान्यताएं एवं शरद ऋतु, पूर्णाकार चंद्रमा, संसार भर में उत्सव का माहौल । इन सबके संयुक्त रूप का यदि कोई नाम या पर्व है तो वह है 'शरद-पूनम' । वह दिन जब इंतजार होता है रात्रि के उस पहर का जिसमें 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा अमृत की वर्षा धरती पर करता है । वर्षा ऋतु की जरावस्था और शरद ऋतु के बाल रूप का यह सुंदर संजोग हर किसी का मन मोह लेता है । प्राचीन काल से शरद पूर्णिमा को बेहद महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है । शरद पूर्णिमा से हेमंत ऋतु की शुरुआत होती है । इसके महत्व और उल्लास के तौर-तरीकों का महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है । इस रात्रि को चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं के साथ होता है और धरती पर अमृत वर्षा करता है । रात्रि 12 बजे होने वाली इस अमृत वर्षा का लाभ मानव को मिले इसी उद्देश्य से चंद्रोदय के वक्त गगन तले खीर या दूध रखा जाता है, जिसका सेवन रात्रि 12 बजे बाद किया जाता है । मान्यता तो यह भी है कि इस तरह रोगी रोगमुक्त भी होता है । इसके अलावा खीर देवताओं का प्रिय भोजन भी है ।

शरद पूर्णिमा को कोजागौरी लोक्खी (देवी लक्ष्मी) की पूजा की जाती है । चाहे पूर्णिमा किसी भी वक्त प्रारंभ हो पर पूजा दोपहर 12 बजे बाद ही शुभ मुहूर्त में होती है । पूजा में लक्ष्मीजी की प्रतिमा के अलावा कलश, धूप, दुर्वा, कमल का पुष्प, हर्तकी, कौड़ी, आरी (छोटा सूपड़ा), धान, सिंदूर व नारियल के लड्डू प्रमुख होते हैं । जहां तक बात पूजन विधि की है तो इसमें रंगोली और उल्लू ध्वनि का विशेष स्थान है । इस प्रकार प्रतिवर्ष किया जाने वाला यह कोजागर व्रत लक्ष्मीजी को संतुष्ट करने वाला है । इससे प्रसन्न हुईं माँ लक्ष्मी इस लोक में तो समृद्धि देती ही हैं और शरीर का अंत होने पर परलोक में भी सद्गति प्रदान करती हैं ।

इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।
शरद पूर्णिमा कब मनाई जाती है?
अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस बार शरद पूर्णिमा 24 अक्‍टूबर को है.

शरद पूर्णिमा का महत्‍व
शरद पूर्णिमा का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शरद पूर्णिमा को 'कोजागर पूर्णिमा' (Kojagara Purnima) और 'रास पूर्णिमा' (Raas Purnima) के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत को 'कौमुदी व्रत' (Kamudi Vrat) भी कहा जाता है. मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि जो विवाहित स्त्रियां इसका व्रत करती हैं उन्‍हें संतान की प्राप्‍ति होती है. जो माताएं इस व्रत को रखती हैं उनके बच्‍चे दीर्घायु होते हैं. वहीं, अगर कुंवारी कन्‍याएं यह व्रत रखें तो उन्‍हें मनवांछित पति मिलता है. शरद पूर्णिमा का चमकीला चांद और साफ आसमान मॉनसून के पूरी तरह चले जाने का प्रतीक है. मान्‍यता है कि इस दिन आसमान से अमृत बरसता है. माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में औषधिय गुण मौजूद रहते हैं जिनमें कई असाध्‍य रोगों को दूर करने की शक्ति होती है.

शरद पूर्णिमा की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त
चंद्रोदय का समय: 23 अक्‍टूबर 2018 की शाम 05 बजकर 20 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 23 अक्‍टूबर 2018 की रात 10 बजकर 36 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 24 अक्‍टूबर की रात 10 बजकर 14 मिनट

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
- शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें.
- घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं
- इसके बाद ईष्‍ट देवता की पूजा करें.
- फिर भगवान इंद्र और माता लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है.
- अब धूप-बत्ती से आरती उतारें.
- संध्‍या के समय लक्ष्‍मी जी की पूजा करें और आरती उतारें.
- अब चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर प्रसाद चढ़ाएं और आारती करें.
- अब उपवास खोल लें.
- रात 12 बजे के बाद अपने परिजनों में खीर का प्रसाद बांटें.

शरद पूर्णिमा के दिन खीर कैसे बनाएं?
शरद पूर्णिमा के दिन खीर का विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं ये युक्‍त होकर रात 12 बजे धरती पर अमृत की वर्षा करता है. शरद पूर्णिमा के दिन श्रद्धा भाव से खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है और फिर उसका प्रसाद वितरण किया जाता है. इस दिन चंद्रोदय के समय आकाश के नीचे खीर बनाकर रखी जाती है. इस खीर को 12 बजे के बाद खाया जाता है. आप शरद पूर्णिमा की खीर इस तरह बना सकते हैं:
- एक मोटे तले वाले बर्तन में दूध गर्म करें. जब दूध घटकर तीन चौथाई रह जाए तब उसमें थोड़े से चावल डालें.
- अब करछी से दूध को हिलाते रहें ताकि चावल नीचे न लग पाएं.
- जब चावल अच्‍छी तरह पक जाएं तब स्‍वादानुसार चीनी डालें.
- करछी से खीर हिलाने के बाद अब इसमें कुटी हुई हरी इलायची या इलायची पाउडर डालें.
- अब काजू, बादाम, किशमिश, चिरौंजी और पिस्‍ते कूटकर डालें. साथ ही केसर भी डालें.
- खीर को अच्‍छी तरह मिलाएं. अगर खीर गाढ़ी हो गई हो तो गैस बंद कर दें.
- खीर को बारीक कटे काजू-बादाम से सजाकर परोसें.

शरदपूर्णिमा का महत्व व् पूजन की पूरी विधि
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्घ है। इस पूर्णिमा से सर्दी आरम्भ हो जाती है, इसी कारण इसका नाम शरद पूर्णिमा पड़ा। वैसे तो इस पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा तथा कोजागर पूर्णिमाभी कहा जाता है। शास्त्रानुसार भगवान श्री कृष्ण ने इसी पूर्णिमा की रात को गोपियों के साथ महारास रचाई थी इसलिए यह पूर्णिमा रास पूर्णिमा के रुप में भी जानी जाती है।

क्या है महत्व?
कहते हैं कि चन्द्रमा की 16 कलाएं हैं तथा इस पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है तथा उसकी चांदनी से अमृत बरसता है। उस अमृत का लाभ पाने के लिए चांद की चांदनी में खीर तैयार की जाती है तथा उसमें चन्द्रमा की चांदनी का अमृत पडऩे से वह प्रसाद बन जाता है। वैसे तो हर मास पूर्णिमा आती है तथा मंदिरों में इस दिन रात्रि संकीर्तन होता है परंतु शरद पूर्णिमा को विशेष उत्सव होते हैं तथा अमृतमय खीर का प्रसाद अगले दिन प्रात:भक्तों में बांटा जाता है। माना जाता है कि जब चन्द्रमा अपनी आलौकिक किरणें बिखेरता है तो इस शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी जी का आगमन होता है। इस रोज लक्ष्मी जी के पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है की इस रात जो भक्त प्रेम और श्रद्धा से मां को अपने घर आने का न्यौता देता है, वह उसके आशियाने में जरूर आती हैं। लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए सुन्दर रंगोली सजाने का भी विधान है।

कैसे हुई चांद की उत्पत्ति?
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु जी के नाभि कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई तथा ब्रह्मा जी के पुत्र अत्रि मुनि के नेत्रों से चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई थी तथा व्रह्मा जी ने चन्द्रमा को संसार में उपलब्ध समस्त औषधियों और नक्षत्रों का स्वामित्व प्रदान किया। प्रभु नाम से जैसे जीव के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं उसी तरह चन्द्रमा की शीतल चांदनी संसार की समस्त वनस्पतियों में जीवन प्रदायिनी औषधि का निर्माण करती है। शरद पूर्णिमा की किरणों से अनेक रोगों की विशेष औषधियां तैयार की जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार जिस खीर में चांद की छिटकती चांदनी की किरणें पड़ जाती हैं वह अमृत से कम नहीं होती, उसे खाने से अनेक मानसिक एवं असाध्य रोगों का निवारण हो जाता है। इसी रात्रि को अनेक आयुर्वैदिक औषधियां भी तैयार की जाती है।

किसका कैसे करें पूजन?
इस दिन महिलाएं अपने घर की सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। वह प्रात: नहा धोकर धूप, दीप, नैवेद्य, फल और फूलों से भगवान विष्णु और श्री सत्यनारायण भगवान का पूजन करके व्रत रखती हैं। जल के पात्र को भरकर तथा हाथ में 13 दाने गेहूं के लेकर मन में शुद्घ भावना से संकल्प करके पानी में डालती हैं रात को चांद निकलने पर उसी जल से अर्घ्य देकर व्रत पूरा करती हैं। पूजा में कमल के फूल शुभ हैं तथा नारियल के लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि रात को राजा इन्द्र अपने एरावत हाथी पर सवार होकर निकलते हैं इसलिए रात को मंदिर में अधिक से अधिक दीपक जलाने चाहिए तथा श्रीमहालक्ष्मी जी का पूजन, जागरण तथा लक्ष्मीं स्रोत का पाठ करना चाहिए।

क्या है पुण्य फल?
व्रत के प्रभाव से इस दिन किया गया कोई भी अनुष्ठान निर्विध्न सम्पन्न होता है तथा जिसने विवाह के उपरांत पूर्णिमा के व्रत आरम्भ करने हो वह इसी दिन से उनकी शुरुआत कर सकता है। इस व्रत से घर में सुख-सम्पत्ति आती है तथा सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। जिन कन्याओं ने 25 पुण्यां (पूर्णिमा) व्रत करने होते हैं वह यदि इस पूर्णिमा से व्रत करें तो अति उत्तम है।

शरद पूर्णिमा से जुड़ी मान्‍यताएं
- शरद पूर्णिम को 'कोजागर पूर्णिमा' कहा जाता है. मान्‍यता है कि इस दिन धन की देवी लक्ष्‍मी रात के समय आकाश में विचरण करते हुए कहती हैं, 'को जाग्रति'. संस्‍कृत में को जाग्रति का मतलब है कि 'कौन जगा हुआ है?' कहा जाता है कि जो भी व्‍यक्ति शरद पूर्णिमा के दिन रात में जगा होता है मां लक्ष्‍मी उन्‍हें उपहार देती हैं.
- श्रीमद्भगवद्गीता के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्‍ण ने ऐसी बांसुरी बजाई कि उसकी जादुई ध्‍वनि से सम्‍मोहित होकर वृंदावन की गोपियां उनकी ओर खिंची चली आईं. ऐसा माना जाता है कि कृष्‍ण ने उस रात हर गोपी के लिए एक कृष्‍ण बनाया. पूरी रात कृष्‍ण गोपियों के साथ नाचते रहे, जिसे 'महारास' कहा जाता है. मान्‍यता है कि कृष्‍ण ने अपनी शक्ति के बल पर उस रात को भगवान ब्रह्म की एक रात जितना लंबा कर दिया. ब्रह्मा की एक रात का मतलब मनुष्‍य की करोड़ों रातों के बराबर होता है.
- माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्‍मी का जन्‍म हुआ था. इस वजह से देश के कई हिस्‍सों में इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है, जिसे 'कोजागरी लक्ष्‍मी पूजा' के नाम से जाना जाता है.
- ओड‍िशा में शरद पूर्णिमा को 'कुमार पूर्णिमा' कहते हैं. इस दिन कुंवारी लड़कियां सुयोग्‍य वर के लिए भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं. लड़कियां सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद सूर्य को भोग लगाती हैं और दिन भर व्रत रखती हैं. शाम के समय चंद्रमा की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोलती हैं.

शरद पूर्णिमा व्रत कथा
पौराणिक मान्‍यता के अनुसार एक साहुकार की दो बेटियां थीं. वैसे तो दोनों बेटियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन छोटी बेटी व्रत अधूरा करती थी. इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी. उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्‍होंने बताया, ''तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थीं, जिसके कारण तुम्‍हारी संतानें पैदा होते ही मर जाती हैं. पूर्णिमा का व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्‍हारी संतानें जीवित रह सकती हैं.''

उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया. बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ, जो कुछ दिनों बाद ही मर गया. उसने लड़के को एक पीढ़े पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढक दिया. फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया. बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी तो उसका घाघरा बच्चे का छू गया. बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा. तब बड़ी बहन ने कहा, "तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी. मेरे बैठने से यह मर जाता." तब छोटी बहन बोली, "यह तो पहले से मरा हुआ था. तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है. तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है."

उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया.

शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम देवो न जानाति, कुतो मनुष्य:

“पुरुष का चरित्र और नारी का सौभाग्य”

इस देश में “त्रिया चरित्र” बहुत प्रसिद्धि है, यह शब्द महाभारत के एक श्लोक से आया है, जिसकी अर्धाली मेरे देश में बहुत प्रचलित है।

त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम देवो न जानाति, कुतो मनुष्य:

अर्थात स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य देवता भी नहीं जानते, मनुष्य कैसे जान सकता है?, पर पूरा श्लोक निम्नवत है।

नृपस्य चित्तं, कृपणस्य वित्तम; मनोरथाः दुर्जनमानवानाम्।
त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम; देवो न जानाति कुतो मनुष्यः।।

'राजा का चित्त, कंजूस का धन, दुर्जनों का मनोरथ, पुरुष का भाग्य और स्त्रियों का चरित्र देवता तक नहीं जान पाते तो मनुष्यों की तो बात ही क्या है?'

पर हमने कभी पुरुष के चरित्र पर अंगुली नहीं उठाई,पुरुष, त्रिया चरित्र से भी १०० कदम आगे है, यदि एक स्त्री एक ही समय किसी से बात करती, किसी के बारे में सोचती और किसी से प्यार करती तो पुरुष अपने शरीर की काम वासना की तृप्ति हेतु १०० भिन्न स्त्रियों के साथ संसर्ग करने के लिए श्वानवत यत्र-तत्र विचरण करता रहता है, तभी तो पाणिनि ने श्वान, युवा और इंद्र को एक ही तराजू में तौल दिया।

एक कहावत है न अपना बच्चा और दूसरे की स्त्री,हर इंसान को अच्छी लगती। यह कहावतें ऐसी ही नहीं बन गयीं- बहुत से केस स्टडी कर के हमारे ब्रह्मरत ऋषियों ने कोई श्लोक लिखा और वह श्लोक ही लोकभाषा में कहावतें बन गयीं,जो आज भी सत्य की कसौटी पर परीक्षित होकर स्वर्णवत् प्रकाशमान हैं।

अतः पुरुष का चरित्रवान होना बहुत आवश्यक है, मैंने बचपन में एक कहानी सुनी थी.. एक स्त्री ने अपने पति से पूछा, मुझे कैसे विश्वास हो कि तुम हमारे प्रति वफादार हो? उस युवक ने कहा, यदि मैंने किसी दूसरी स्त्री पर आज तक गलत निगाह नहीं डाली होगी तो कोई तुम्हारे बारे में भी गलत नहीं सोचेगा। स्त्री ने पति की परीक्षा हेतु एक दिन भीड़ में एक किशोर का हाथ पकड़ा.. किशोर बोला, क्या है माता जी?, दूसरे किसी दिन एक युवक का हाथ पकड़ा... युवक बोला,बहिन जी कोई परेशान कर रहा क्या?, तीसरे अवसर पर एक वृद्ध का सहारा लिया, बृद्ध बोला.. बेटी तू क्यों दुःखी है? तब उसे विश्वास हुआ, हमारा पति उच्च आचरण का है।

अतः सामाजिक परिवेश में सद आचरण करने का उत्तरदायित्व प्रत्येक जीव का है, तभी हमारी नारियां भी सावित्री जैसी सौभाग्यशालिनी होंगी, जिसने अपने आचरण से पिता और पति दोनों कुलों के सारे कष्ट अपनी तपस्या की अग्नि में भष्म कर दिए। कोई विदेहकन्या ही सीता रूप में अपने पति का वनवास काल में अनुसरण कर सकती है, जिसके ऐसे आचरण से उसका पिता भी अपने को गौरान्वित महसूस कर के- ”पुत्रि पवित्र किये कुल दोउ” का उद्घोष करेगा और पुत्रि के तपस्वी वेश को भी अपना गौरव समझेगा।

ऐसी नारियों का सौभाग्य और सद्चरित्र कर्मठ पुरुषों का पौरुष ही हमारे देश का स्वर्णिम भविष्य है

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018

नवरात्रि के कंजक पूजन के लिए कन्याएं चाहिए

इस कहानी को पूरे दिल से पढ़िए  और एक बार विचार जरूर कीजिए ....
शहर की मशहूर महिला डॉक्टर ने नवरात्रि के व्रत रखें l
कंजक पूजन के लिए कन्याएं चाहिए थी महिला डॉक्टर खुद ही निकल पड़ी घर से कि वह कुछ जाएंगी तो कन्याओं के माता पिता खुद कन्याओं को उसके साथ जल्दी से भेज देंगे तो वह कन्या जल्दी ले आएंगी  l

.
महिला डॉक्टर पड़ोस में आए नए पड़ोसी के घर गई अपना परिचय दिया, पड़ोसन ने आदर सम्मान के साथ अंदर बुलाया और बैठाया l

और अपनी बेटी से मिलाया यह मेरी बड़ी बेटी है l बहुत ऊंची पढ़ाई कर रही है नासा घूम कर आई है  l
और उसी के स्कॉलरशिप की तैयारी कर रही है l

डॉक्टर साहिबा आपको याद नहीं होगा शायद...
 मेरी सास ने मेरा टेस्ट करवाया था आपसे , और गर्भ गिराने के लिए पैसे भी दिए थे पर मैंने उनकी जिद नहीं मानी  lआपने भी काउंसलिंग के नाम पर मुझे गर्भ गिराने के लिए  राजी करने की भरपूर कोशिश की थी l

 उसके बाद मेरी एक बेटी हुई डॉक्टर साहब आपके बेटे की क्लासमेट है l

आपके बेटे से पूछना जो क्लास में फर्स्ट आता है वह कौन बच्चा है वह मेरी बेटी है डॉक्टर साहिबा l

हमारा तलाक हो चुका है l
आप डॉक्टर होने से पहले एक महिला है और चंद पैसो के लिए आप बेटियों को क्रम में मारने की  सलाह देती है और गर्भ गिरवा देती हैं l

आपके वो काउंसलिंग अगर मेरी जगह मेरी सास के साथ हुई होती तो आज मेरा तलाक ना हुआ होता l

हम इस कंजक पूजन में विश्वास नहीं रखते डॉक्टर साहिबा दोगले चरित्र मुझे पसंद नहीं है अगर आप जैसी डॉक्टर और मेरी सास जैसी औरतें इस समाज में है तो कहां से आएंगी कंजक और कितने दिन आएंगी l

आप बैठिए मैं आपके लिए चाय बना देती हूं l इतना कहकर अंदर चली गई और डॉक्टर से उठा नहीं जा रहा था  l
जैसे तैसे  खड़ी हुई और घर जाकर वह सामान अपने नौकर को दे दिया कि जहां भी कन्या मिले उनको दे देना l

बात तो उनकी बिल्कुल सही थी 9 दिन बेटी मां का रूप बाकी पूरे साल अलग विचारधारा क्यों.....???
 कन्या है तो मां है बहन है पत्नी है l उसी से सारे रिश्ते हैं उसी से सारे नाते हैं l बेटी का आदर सम्मान करें l🙏
 IIजय माता दी ll


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6 वर्ष में खत्म हो जायेगे होलसेल और रिटेल व्यपारी

6 वर्ष में खत्म हो जायेगे होलसेल और रिटेल व्यपारी

1 बार मैं अपने अंकल के साथ एक बैंक में गया, क्यूँकि उन्हें कुछ पैसा कही ट्रान्सफ़र करना था।
ये स्टेट बैंक एक छोटे से क़स्बे के छोटे से इलाक़े में था। वहां एक घंटे बिताने के बाद जब हम व हां से निकले तो उन्हें पूछने से मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।
अंकल क्यूँ ना हम घर पर ही इंटर्नेट बैंकिंग चालू कर ले?
अंकल ने कहा ऐसा मैं क्यूँ करूँ ?
तो मैंने कहा कि अब छोटे छोटे ट्रान्सफ़र के लिए बैंक आने की और एक घंटा टाइम ख़राब करने की ज़रूरत नहीं, और आप जब चाहे तब घर बैठे अपनी ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं। हर चीज़ बहुत आसान हो जाएगी। मैं बहुत उत्सुक था उन्हें नेट बैंकिंग की दुनिया के बारे में विस्तार से बताने के लिए। इस पर उन्होंने पूछा अगर मैं ऐसा करता हूँ तो क्या मुझे घर से बाहर निकलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी? मुझे बैंक जाने की भी ज़रूरत नहीं?
मैंने उत्सुकतावश कहा, हाँ आपको कही जाने की जरुरत नही पड़ेगी और आपको किराने का सामान भी घर बैठे ही डिलिवरी हो जाएगा और ऐमज़ॉन, फ़्लिपकॉर्ट व स्नैपडील सबकुछ घर पे ही डिलिवरी करते हैं।
उन्होने इस बात पे जो जवाब मुझे दिया उसने मेरी बोलती बंद कर दी।
उन्होंने कहा आज सुबह जब से मैं इस बैंक में आया, मै अपने चार मित्रों से मिला और मैंने उन कर्मचारियों से बातें भी की जो मुझे जानते हैं। मेरे बच्चें दूसरे शहर में नौकरी करते है और कभी कभार ही मुझसे मिलने आते जाते हैं, पर आज ये वो लोग हैं जिनका साथ मुझे चाहिए। मैं अपने आप को तैयार कर के बैंक में आना पसंद करता हुँ, यहाँ जो अपनापन मुझे मिलता है उसके लिए ही मैं वक़्त निकालता हूँ।
दो साल पहले की बात है मैं बहुत बीमार हो गया था। जिस मोबाइल दुकानदार से मैं रीचार्ज करवाता हूं, वो मुझे देखने आया और मेरे पास बैठ कर मुझसे सहानुभूति जताई और उसने मुझसे कहा कि मैं आपकी किसी भी तरह की मदद के लिए तैयार हूँ।
वो आदमी जो हर महीने मेरे घर आकर मेरे यूटिलिटी बिल्स ले जाकर ख़ुद से भर आता था, जिसके बदले मैं उसे थोड़े बहुत पैसे दे देता था उस आदमी के लिए कमाई का यही एक ज़रिया था और उसे ख़ुद को रिटायरमेंट के बाद व्यस्त रखने का तरीक़ा भी !
कुछ दिन पहले मोर्निंग वॉक करते वक़्त अचानक मेरी पत्नी गिर पड़ी, मेरे किराने वाले दुकानदार की नज़र उस पर गई, उसने तुरंत अपनी कार में डाल कर उसको घर पहुँचाया क्यूँकि वो जानता था कि वो कहा रहती हैं।
अगर सारी चीज़ें ऑन लाइन ही हो गई तो मानवता, अपनापन, रिश्ते - नाते सब ख़त्म ही नही हो जाएँगे !
मैं हर वस्तु अपने घर पर ही क्यूँ मँगाऊँ ?
मैं अपने आपको सिर्फ़ अपने कम्प्यूटर से ही बातें करने में क्यूँ झोंकू ?
मैं उन लोगों को जानना चाहता हूँ जिनके साथ मेरा लेन-देन का व्यवहार है, जो कि मेरी निगाहों में सिर्फ़ दुकानदार नहीं हैं।
इससे हमारे बीच एक रिश्ता, एक बन्धन क़ायम होता है !
क्या ऐमज़ॉन, फ़्लिपकॉर्ट या स्नैपडील ये रिश्ते-नाते , प्यार, अपनापन भी दे पाएँगे ?
फिर उन्होने बड़े पते की एक बात कही जो मुझे बहुत ही विचारणीय लगी, आशा हैं आप भी इस पर चिंतन करेंगे....
उन्होने कहां कि ये घर बैठे सामान मंगवाने की सुविधा देने वाला व्यापार उन देशों मे फलता फूलता हैं जहां आबादी कम हैं और लेबर काफी मंहगी है।
अपने भारत जैसे १२५ करोड़ की आबादी वाले गरीब एंव मध्यम वर्गीय बहुल देश मे इन सुविधाओं को बढ़ावा देना आज तो नया होने के कारण अच्छा लग सकता हैं पर इसके दूरगामी प्रभाव बहुत ज्यादा नुकसानदायक होंगे।
देश मे ८०% जो व्यापार छोटे छोटे दुकानदार गली मोहल्लों मे कर रहे हैं वे सब बंद हो जायेगे और बेरोजगारी अपने चरम सीमा पर पहुंच जायेगी।
अधिकतर व्यापार कुछ गिने चुने लोगों के हाथों मे चला जायेगा और बाकी जनता बेकारी की ओर अग्रसर हो जायेगी।
मैं आजतक उनको क्या जबाब दूं ये नही समझ पाया हूं, अगर आप को कोई सटीक जबाब मिले तो मुझसे जरुर शेयर करे।
प्रिय मित्रों, अगर आप इन बातों से सहमत हैं तो इस मेसिज को अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और अपने दूसरे जानने वालो के ग्रूप्स में भी शेयर करे तथा इसके दूरगामी परिणामों के बारे मे आपकी राय भी मुझे बताये। आप का
🙏 🙏
सुप्रभातम्
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रविवार, 14 अक्टूबर 2018

राजधानी दिल्ली में 7 नवंबर, 1966 को क्या हुआ था?

खतरनाक पोस्ट.. वोट के लिए हिंदू बनने वालों के लिए...

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार श्री मनमोहन शर्माजी के वॉल से...

राजधानी दिल्ली में 7 नवंबर, 1966 को क्या हुआ था? इस बाबत जितना लोग बताते हैं, उससे अधिक छुपा लेते हैं। मनमोहन शर्मा एक रिपोर्टर के तौर पर गो-भक्तों की उस रैली को कवर कर रहे थे। यहां पढ़ें कि उस दिन उन्होंने क्या देखा था-
मुझे खबर मिली कि दिल्ली में सात-आठ जगहों पर गोलियां चली हैं। गोल डाकखाना पर गोली चलने की खबर मिली। के. कामराज के घर पर गोली चली। विंडसर प्लेस पर गोलियां चलीं। ऐसी कई जगहें थीं। करीब दो घंटे तक दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर गोलियां चलती रहीं। अनौपचारिक तौर पर यह बताया गया था कि करीब 11 हजार राउंड गोलियां चलाई गई हैं। यह भी पता चला कि गोलियां चलने से 2700 से 2800 लोगों की जान गई थी।

वह दृश्य भूला नहीं हूं। सुबह आठ बजे होंगे। लोग संसद के सामने इकट्ठा होने लगे थे। घंटे भर बाद ही एक विशाल जनसमूह वहां एकत्र हो चुका था। कहीं से भक्ति-संगीत की आवाजें आ रही थी, तो कोई गीता के श्लोक गा रहा था। यूं समझ लीजिए कि पूरा वातावरण भक्ति-मय था।

संसद के ठीक समाने एक विशाल मंच बना था। मंच पर करीब ढाई सौ लोग बैठे थे। चारो पीठों के शंकराचार्य मंच पर थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख लोग वहां थे। स्वयं करपात्री महाराज थे। आर्य समाजी और नामधारी समाज के प्रमुख लोग भी वहां मौजूद थे। आखिर कौन नहीं था! यहां सभी के नाम को क्या गिनाना है, कुल मिलाकर कहूं तो उस दिन मंच पर विराट हिन्दू समाज प्रकट हुआ था।

मंच से भाषण का सिलसिला चल रहा था। दूसरी तरफ धार्मिक-गीत गाते-बजाते जत्थे आते जा रहे थे। बच्चे, बुढ़े, महिलाएं सभी उन जत्थों में शामिल थे। कई महिलाओं की गोद में तो दूध पीते बच्चे थे। चूंकि मामला आस्था से जुड़ा था तो लोग भाव-भक्ति में डूबे चले आ रहे थे।

करीब पांच लाख लोग दिल्ली के बाहर से आए हुए थे। वे दिल्ली में जगह-जगह बिखरे हुए थे। सात नवंबर की सुबह अचानक संसद के सामने वह जन-सैलाब प्रकट हुआ। इन आंदोलनकारियों के हाथों में झंडे भी थे। लेकिन, वह झंडा किसी पार्टी या संगठन का नहीं था, बल्कि उन झंडों में गो-माता के चित्र प्रमुखता से दिखाई दे रहे थे। कुल मिलाकर दोपहर ग्यारह बजे तक सब कुछ अपनी गति और लय में चल रहा था। गुरुजी का भाषण समाप्त हो चुका था। कई अन्य लोग भी अपनी बात रख चुके थे।

अचानक अफवाह फैली कि कुछ लोगों ने के. कामराज के घर पर हमला कर दिया है। फिर ट्रांसपोर्ट भवन के सामने कुछ वाहनों में आग लगाने की खबर आई। यह भी देखा गया कि साधु समाज के कुछ लोगों ने संसद भवन के भीतर प्रवेश करने की कोशिश की। उस वक्त इन पंक्तियों का लेखक स्वयं संसद के प्रेस कक्ष में मौजूद था।
मैं खबरें प्राप्त करने की कोशिश कर रहा था। तभी मेहताजी (संसद भवन के प्रमुख कर्मचारी) भागे-भागे वहां आए। उन्होंने मुझसे कहा- “शर्मा जी साधुओं पर गोलियां चल रही हैं। आप यहां बैठे हैं!” उन्हें जवाब देते हुए मैंने कहा – “नहीं, गोली नहीं चल रही होगी। आंसू गैस छोड़े जा रहे होंगे।”हमारे बीच इतनी बात हुई थी कि दो अन्य व्यक्ति वहां आए और कहने लगे- “बाहर गोलियां चल रही हैं।”

उनकी बातें सुनकर मैं चौंका। तेजी से बाहर निकला। वहां मैंने देखा कि आंसू गैस का धुंआ चारों तरफ फैला हुआ है। वह इतना घना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। गोलियां चल रही थीं। चारो तरफ कोहराम मचा था। कुल मिलाकर वह दृश्य भयावह था।

तत्काल मैं लौटकर वापस आया। तभी संसद के गेट पर हमारी भेंट गुलजारी लाल नंदाजी से हो गई। तब वे गृहमंत्री थे। चूंकि, उस करुण दृश्य को देखकर मैं भावुक हो उठा था, तो नंदाजी को देखकर मैं खुद को रोक न सका। मैं फट पड़ा। मैंने उनसे पूछा- “नंदाजी, इस दृश्य को देखकर क्या आपको शर्म नहीं आ रही है? आप निहत्थे गौ-भक्तों पर गोलियां चलवा रहे हैं।”

मुझे याद नहीं है कि तब गुस्से में मैंने उनसे क्या-क्या कहा था। हां, जवाब में नंदाजी ने कहा था- “सुनो, मैंने गोली चलाने के कोई आदेश नहीं दिए हैं। किसके आदेश से गोली चली है? यह मेरी जानकारी में नहीं है। इस घटना ने मुझे बहुत दुखी किया है।”

खैर, नंदाजी से बातचीत के बाद मैंने रूमाल भिगोकर चेहरे पर लपेटा और संसद परिसर से बाहर निकला। वहां से पटेल चौक आया। रास्ते में हर तरफ शव पड़े हुए थे। इतने खून बह रहे थे कि मेरा जूता खून से पूरी तरह लथपथ हो गया था। चारो तरफ से लोगों के कराहने की आवाज आ रही थी।

इसी दौरान मुझे खबर मिली कि दिल्ली में सात-आठ जगहों पर गोलियां चली हैं। गोल डाकखाना पर गोली चलने की खबर मिली। के. कामराज के घर पर गोली चली। विंडसर प्लेस पर गोलियां चलीं। ऐसी कई जगहें थीं। करीब दो घंटे तक दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर गोलियां चलती रहीं।

मुझे अनौपचारिक तौर पर यह बताया गया था कि करीब 11 हजार राउंड गोलियां चलाई गई हैं। सूत्रों से यह भी पता चला कि गोलियां चलने से 2700 से 3088 लोगों की जान गई थी।

पूरी खोज-खबर लेने के बाद मैं अपने दफ्तार पहुंचा। उन दिनों हमारा दफ्तर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ कनॉट प्लेस में था। मन व्यथित था, लेकिन खबर तो बनाना ही था, सो मैं खबर बनाने लगे। तभी मुझे सूचना मिली कि दिल्ली के चार अस्पतालों में उन शवों को रखा गया है, जिनमें एक विलिंगटन अस्पताल था। इसे हम आजकल राम मनोहर लोहिया अस्पताल के नाम से जानते हैं।

ज्यों ही मुझे खबर मिली, मैं वहां पहुंच गया। अस्पताल के बाहर सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा था। लेकिन एक कर्मचारी कुछ पैसे लेकर मुझे उन जगहों पर ले गया, जहां शव रखे थे। मैंने शवों को गिनना शुरू किया तो कुल 374 शव थे, जिनमें आठ महिलाएं के और 40-45 बच्चों के शव थे। वे सभी दूध पीते बच्चे थे।

मेरा अनुमान लगाया कि गोली चलने के बाद भगदड़ मची तो वे बच्चे कुचले गए होंगे। उन बच्चों के शरीर पर इसके ही जख्म थे। फिर मैं इरविन हॉस्पीटल (एलएनजेपी) आया। वहां सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त थी कि शवों को गिनने का अवसर नहीं मिला। तब तक दिल्ली में सेना को तैनात कर दिया गया था। उन्हें सख्त निर्देश थे कि किसी को भीतर न आने दिया जाए। सेना ने उन सभी स्थानों को कब्जे में कर रखा था, जहां-जहां गोलियां चली थीं।

वापस दफ्तर लौट आया। तब तक भारत सरकार का एक निर्देश-पत्र भी दफ्तर पहुंच चुका था। सरकार की तरफ से सभी एजेंसियों व अखबारों को एक निर्देश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था उन्हें वही छापना है, जो सरकार की प्रेस-विज्ञप्ति में लिखा है। उस विज्ञप्ति में लिखा था- “गोली चलने से 16 लोग मरे।” उस दिन मैंने भी अपनी रिपोर्ट फाइल की, लेकिन हमें निर्देश था कि सरकार की विज्ञप्ति को ही खबर बनाया जाए। सरकार ने जो प्रेस विज्ञप्ति भेजी थी, उसे ही एजेंसियों ने चलाया। अखबारों में भी वही खबर छपी।

उस वक्त एक अन्य महत्वपूर्ण जानकारी मुझे मिली। वह यह कि आईबी ने रिपोर्ट दी थी कि यदि जरूरत पड़ने पर दिल्ली पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिए गए तो संभव है कि वह गोली न चलाए। दिल्ली पुलिस साधु-संतों पर गोली चलाने से इनकार कर सकती है।

आईबी की इस सूचना के बाद ही जम्मू-कश्मीर मलेशिया पुलिस को खास तौर पर दिल्ली में तैनात किया गया था। इसमें ज्यादातर अन्य संप्रदाय के लोग थे। जब गोली चलाने के आदेश दिए गए तो इस दल के सुरक्षाकर्मियों ने समझ-बूझकर गो-भक्तों को जान से माने के लिए गोलियां चलाईं। उन्हें डराने या भगाने के लिए गोलियां नहीं चलाई गईं।

इस बात को मैं इसलिए दावे के साथ कहा रहा हूं, क्योंकि अधिकतर लोगों के शरीर पर जख्म के निशान कमर से ऊपर थे। जबकि, अक्सर कमर से नीचे गोली चलाने के आदेश होते हैं।

चार दिनों तक दिल्ली में कर्फ्यू लगा रहा। बाहर से आए आंदोलनकारियों को सेना के जवान बसों, ट्रकों में बिठाकर दिल्ली से बाहर जहां-तहां छोड़ने में जुटे रहे। पूरी क्षमता के साथ सेना ने अपना दो दिन इसी काम में लगाया। चूंकि यह डर बना हुआ था कि जिन गो-भक्तों ने अपनी आंखों के सामने लोगों को मरते देखा है, कहीं वे भड़क न जाएं। उनके गुस्से से बचने का यही रास्ता सरकार ने निकाला।

मैं जितनी जानकारियां इकट्ठा कर पाया, उसके आधार पर कह सकता हूं कि उस आंदोलन से सरकार हिल गई थी, इसलिए सरकार में शामिल कुछ षड्यंत्रकारी लोगों ने आंदोलन को बदनाम करने और उसे बल पूर्वक दबाने के लिए एक साजिश रची थी।

अगर कोई जांच आयोग गठित होता तो निश्चित तौर पर यह सच सामने आता। मेरे पास इस बात की पक्की जानकारी थी कि कांग्रेसी सांसद शशि भूषण वाजपेयी ने अपने गुंडों को लगाकर हिंसा भड़काई थी। हिंसक वारदातों को अंजाम देने के लिए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गुंडे बुलाए गए थे।

घटना के तीन दिन बाद गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा ने कहा, “मैं साधुओं का खून अपने सिर पर नहीं ले सकता।” उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

(मनमोहन शर्मा)

ये जो ME TOO कम्पैन चल रहा है इसे हल्के में मत लीजिये #metoo #me_too

ये जो ME TOO कम्पैन चल रहा है इसे हल्के में मत लीजिये - उस व्यक्ति के आला दिमाग की दाद दीजिये जिसके हरामी मष्तिष्क से ये निकला है कि कुछ बूढी होती कोठे की मौसियों का भी वापस बाजार भाव बढ़ा दिया है - ऊपर से खतरनाक पक्ष क्या है -समझे आप? जो कलम राष्ट्रवादिता के समर्थन में लिखेगी उसका चरित्र हनन किया जाएगा -ये सीधे थ्रेट हैं - ब्लैकमेल है।

अब इस कैम्पेन से थोड़ा डरिये भी और इसका तोड़ भी सोचिये , क्योंकि बहुतो की कलम खामोश हो जाएगी। बहुतो की पत्नियाँ समझदार नहीं निकलेंगी और परिवार तबाह कर बैठेंगी - पुरुष मूर्खो की तरह खड़ा रह जाएगा। और जो ये चूकी हुई नगर वधुऐं मी-टू कैम्पेन चला रही है

जिनकी बाज़ारी कीमत ५ रुपया भी नहीं है - इनको कोर्ट में घसीटने की तैयारी कीजिये - लड़िये पलट वार कीजिये इन वेश्याओं पर - इनको नारी होने लाभ मत लेने दीजिये -- याद रखिये ''ताड़का - शूर्पणखा-- पूतना '' भी नारियाँ ही थी, जिन्हे मारने मे ईश्वर ने भी देर न लगाई.

हालीवुड और विदेशों का चलन #meetoo का भसड़ अब भारत भी आ गया ..लेकिन निशाने पर कौन है ये सोचिये....

एमजे अकबर 13 सालो तक नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के सबसे बड़े आलोचक थे ।। मोदी के खिलाफ खूब जहर उगलते थे । तब उन पर किसी भी महिला ने कोई आरोप नही लगाया .. लेकिन जैसे ही वो मोटा भाई के आबे जमजम से पवित्र हो गए और केंद्रीय मंत्री बन गए तो अब चुनावी वर्ष में 5 महिला पत्रकार उनके ऊपर आरोप लगा रही हैं कि उन्होंने कई बार उन्हें गलत तरीके से छुआ था

मतलब जब इन महिलाओं को छुआ था तब उन्हें नहीं पता चला कि उन्हें सही तरीके से छुआ जा रहा है कि गलत तरीके से लेकिन 20 साल 25 साल बाद अचानक इन महिलाओं को याद आने लगा फलाने ने उन्हें गलत तरीके से छुआ था

अब नाना पाटेकर और विवेक अग्निहोत्री जैसे लोगों को देख लीजिए यह लोग ट्विटर पर और दूसरे माध्यमों में वामपंथियों को जमकर लतियाते हैं उनके खिलाफ अचानक दो तीन महिलाएं सामने आती हैं और कहती है 25 साल पहले मेरे साथ ही उन्होंने गलत व्यवहार किया था

यह एक नया ट्रेंड जो बेहद खतरनाक है अब 20 साल पहले या 25 साल पहले ना तो कोई सुबूत बचा होगा ना ही कोई ऐसा गवाह बचा बचा होगा फिर अब आरोप लगाकर वह भी ट्विटर पर या फेसबुक पर वह महिला क्या हासिल करना चाहती है

एक और ट्रेंड मैंने देखा है कि ज्यादातर वही महिलाएं आरोप लगा रही है या तो जिनका घर टूट चुका है या जो वक्त की मार से बेहद मोटी और कुरूप हो चुकी है और ऐसे पुरुषों पर आरोप लगा रही हैं जो अब शांत सुखी दांपत्य जीवन बिता रहे हैं

#MeeTo #MeTo #MeeToo #MeToo
पुरुषों के लिए #YouTo #WeTo जैसी केम्पेन चलानी चाहिए , माचिस की तीली बगैर माचिस के मसाला लगे सिरे पर रगड़ें नही जलती ?
इन्हें तीन चार शादी किये आमिर ,शाहरुख , जावेद भी नही दिखेंगे ,या 300 के साथ सोने की घोषणा करने वाले  संजय दत्त या महेश भट्ट या कोई और
#मीटू #यूटू #वीटू #WeTo #YouTo
संजय दत्त ने ख़ुलासा किया था कि वह तीन सौ लड़कियों के साथ सो चुका है। आश्चर्य है कि इस बात पर कोई महिलावादी आगे नहीं आया/आयी और न संजय दत्त को धिक्कार भेजा।
इससे सिद्ध होता है कि यह अभियान शुद्ध राजनैतिक साजिश है, और कुछ नहीं।
चुंबक वाले इमरान हाशमी भी बेदाग। 😳 ऐश्वर्या राय को पीटने वाले सलमान पर भी आरोप नहीं और ना शाहरूख खान के लड़के पर, जिसका mms दुनिया में घूमा।
Cambridge Analitica..... New plan against bjp supporters..... I think so

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

आज का पंचांग 11 october 2018

.                 *।। ॐ  ।।*
     🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द........................5120
विक्रम संवत्.......................2075
शक संवत्..........................1940
मास................................आश्विन
पक्ष...................................शुक्ल
तिथी................................तृतीया
दुसरे दिन प्रातः 05.28 पर्यंत पश्चात चतुर्थी
रवि............................दक्षिणायन
सूर्योदय.................06.21.53 पर
सूर्यास्त..................06.05.45 पर
सूर्य राशि...........................कन्या
चन्द्र राशि...........................तुला
नक्षत्र...............................स्वाति
प्रातः 10.27 पर्यंत पश्चात विशाखा
योग............................विषकुम्भ
प्रातः 09.54 पर्यंत पश्चात प्रीती
करण..............................तैतिल
संध्या 05.47 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु.................................शरद
दिन...............................गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
11 अक्तूबर सन 2018 ईस्वी ।

⚜ *ब्रह्मचारिणी पूजन (द्वितीय दिवस) :-*
भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया। मांदुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं। पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा -हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 01.40 से 03.07 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
दक्षिणदिशा -
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक.................2
🔯 शुभ रंग................पीला

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 06.24 से 07.51 तक शुभ
प्रात: 10.45 से 12.12 तक चंचल
दोप. 12.12 से 01.39 तक लाभ
दोप. 01.39 से 03.06 तक अमृत
सायं 04.33 से 06.00 तक शुभ
सायं 06.00 से 07.33 तक अमृत
रात्रि 07.33 से 09.06 तक चंचल |

📿 *आज का मंत्र* :-
|| ॐ ब्रह्मचारिन्ये नमः ||

📢 *सुभाषितम्* :-
संगः सत्सु विधीयतां
भगवतो भक्ति: दृढाऽऽधीयतां,
शान्त्यादिः परिचीयतां
दृढतरं कर्माशु संत्यज्यताम्।
सद्विद्वानुपसृप्यतां प्रतिदिनं
तत्पादुका सेव्यतां,
ब्रह्मैकाक्षरमर्थ्यतां
श्रुतिशिरोवाक्यं समाकर्ण्यताम्॥२॥
अर्थात :-
सज्जनों का साथ करें, प्रभु में भक्ति को दृढ़ करें, शांति आदि गुणों का सेवन करें, कठोर कर्मों का परित्याग करें, सत्य को जानने वाले विद्वानों की शरण लें, प्रतिदिन उनकी चरण पादुकाओं की पूजा करें, ब्रह्म के एक अक्षर वाले नाम ॐ के अर्थ पर विचार करें, उपनिषदों के महावाक्यों को सुनें ॥२॥

🍃 *आरोग्यं* :-
*दाढ़ी के सफेद बालों का घरेलू उपचार -*

*4. विटामिन बी12 -*
यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने भोजन पर ध्यान दें। बालों के भूरे रंग को रोकने के लिए विटामिन बी12 एक महत्वपूर्ण घटक है। यदि आपको लगता है कि आपको पर्याप्त विटामिन बी12 नहीं मिल रहा है, तो आप विटामिन बी कॉम्प्लेक्स सप्लीमेंट्स पर भी विचार कर सकते हैं।

⚜ *आज का राशिफल* :-

🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बाहरी-भीतरी मतभेद समाप्त होने से प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न लें। भाइयों से सहयोग मिलेगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
पुराना रोग उभर सकता है। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। बुद्धि का प्रयोग लाभ में वृद्धि करेगा। दूसरों की जवाबदारी न लें।

👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। बुद्धि व ज्ञान की वृद्धि होगी। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। बड़ों की बात मानें, लाभ होगा। अच्छी खबर मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। वरिष्ठ जन सहयोग करेंगे। जोखिम न लें। आलस्य रहेगा।

🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
शोक समाचार मिल सकता है। दौड़धूप अधिक होगी। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। घर-बाहर तनाव रहेगा। शांति बनाए रखें। अधिक प्रयास करने से लाभ होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। मेहनत का फल मिलेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। आय में वृद्धि होगी। कोई बड़ी समस्या का हल मिलेगा। मित्र व संबंधी सहयोग करेंगे। घर के बड़ों की चिंता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। संतान पक्ष तरक्की करेगा।

👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
भूले-बिसरे मित्र व संब‍ंधियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। दूसरों के काम की जवाबदारी न लें। प्रयास भरपूर करें, लाभ होगा। वरिष्ठजनों से मेल-मुलाकात होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।

⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
लाभ के अवसर हाथ आएंगे। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। यात्रा से लाभ होगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम उठाने व जल्दबाजी करने से बचें। अतिउत्साह हानि देगा। विवाद न करें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
सुख के साधनों पर अतिव्यय हो सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। बोलचाल में हल्की मजाक न करें। घर-बाहर तनाव रह सकता है। कार्यकुशलता में कमी रहेगी। कोई बड़ी गलती हो सकती है। अपरिचितों पर विश्वास न करें।

🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
रुका हुआ धन मिल सकता है। भाइयों व पार्टनर से सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। भाग्य अनुकूल है। समय का लाभ लें। रोजगार में वृद्धि होगी। परिवार में कोई मंगल कार्य हो सकता है। प्रसन्नता रहेगी। अपेक्षित कार्य पूर्ण होंगे।

🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
कार्यस्थल पर सुधार होगा। योजना फलीभूत होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। मतभेद समाप्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कार्य में प्रगति होगी। दूसरों से अपेक्षा न करें। अज्ञात भय सताएगा। विरोधी पस्त होंगे। प्रमाद न करें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
तं‍त्र-मंत्र में रुचि रहेगी। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। ऐश्वर्य पर व्यय होगा। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा।

🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
विवाद को बढ़ावा न दें। उत्तेजना पर नियंत्रण आवश्यक है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। घर में अशांति रहेगी। कुसंगति से बचें। वस्तुएं संभालकर रखें। कोई बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है, धैर्य रखें।

☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।

।। *शुभम भवतु* ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय*  🚩🚩

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